मजबूत इरादों से बदले हालात

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि प्रदेश की जेलों को हमनें सुधारगृह के रूप में बदला है. यहां अपराधियों को सुधरने का अवसर दिया गया है लेकिन जेलों को अपराध का गढ़ या अपराधियों की मौज मस्ती का केंद्र नहीं बनने दिया है. एक दौर वह भी था जब सत्ता माफिया का शागिर्द बन उसके पीछे चलती थी, आज माफिया पर हमारी सरकार का बुलडोजर चलता है.

सीएम योगी ने संतकबीरनगर जिले में 126 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित जिला कारागार का लोकार्पण समेत कुल 245 करोड़ रुपये की लागत वाली 122 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास करने के बाद जनसभा को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार में माफिया को मिले सत्ता के संरक्षण पर जमकर निशाना साधा.

सुधरे नहीं तो हराम कर देंगे माफियाओं को जीना

सीएम योगी ने कहा कि माफिया के लिए हमारा संदेश बिलकुल स्पष्ट है. माफिया यदि गरीब, किसान, व्यापारी का जीना हराम करेगा तो हमारी सरकार उसका जीना हराम कर देगी. सरकार ने यह करके दिखाया भी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि संतकबीरनगर में जिला कारागार बन जाने से अब यहां के कैदियों को बस्ती नहीं भेजना पड़ेगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि यह कारागार सुधारगृह के रूप में आदर्श कारागार बनेगा.

पहले नौकरियां नीलाम होती थीं,अब ऐसा करने वालों के घर

मुख्यमंत्री ने कहा कि साढ़े चार साल पहले कैसी सरकार थी, इसे आप सभी जानते हैं. वंशवाद, भाई भतीजावाद, तुष्टिकरण से जनता के हित पर डकैती, गुंडागर्दी और दंगा ही प्रदेश की पहचान बन गई थी. नौजवानों की नौकरियों की नीलामी होती थी और गरीबों के निवाले की डकैती. नौकरियां पहले गिरवी रख दी जाती थीं. एक परिवार के लोग नौकरी के नाम पर वसूली करने निकल जाते थे. आज किसी ने नौकरी नीलाम करने की कोशिश भी की तो हम उसका घर नीलाम करवा देंगे.

योग्यता 4.5 लाख सरकारी नौकरियां, 90 हजार और आ रहीं

सीएम योगी ने कहा कि हमारी सरकार ने नौजवानों को उनकी योग्यता के आधार पर 4.5 लाख सरकारी नौकरियां दी हैं. पूरी पारदर्शिता के साथ, कहीं भी सिफारिश नहीं, एक रुपये वसूली की शिकायत नहीं. उन्होंने कहा कि 90 हजार सरकारी नौकरियां और आ रही हैं.

प्रतियोगी परीक्षाओं में जुटे नौजवानों को देंगे भत्ता, टेबलेट

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर नौजवानों के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से खजाना खोलने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि जब तक कोरोना का प्रभाव है, उनकी सरकार प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे नौजवानों को वाहन किराया भत्ता व तैयारी भत्ता देने जा रही है. इसके अलावा वर्चुअली या फिजिकली तैयारी करने वाले, उच्च-तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा में अध्ययनरत नौजवानों को मुफ्त टैबलेट के साथ उन्हें डिजिटल असेस भी प्रदान किया जाएगा.

महिलाओं के सुरक्षा,सम्मान व स्वावलंबन पर सरकार का जोर

सीएम ने कहा कि उनकी सरकार का जोर महिलाओं की सुरक्षा के साथ उनके सम्मान और स्वावलंबन पर भी है. 30 हजार महिला पुलिसकर्मीयों की भर्ती इसी दिशा में बढ़ाया गया महत्वपूर्ण कदम है. महिलाओं के हित में सरकार मिशन शक्ति, कन्या सुमंगला, निराश्रित महिलाओं को पेंशन जैसी अनेकानेक योजनाओं को निरंतर आगे बढ़ा रही है.

रेडीमेड गारमेंट का हब बन सकता है संतकबीरनगर

सीएम योगी आदित्यनाथ ने समारोह में विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के तहत पांच महिलाओं को टेलरिंग टूलकिट भी प्रदान किया. इसका जिक्र अपने संबोधन में करते हुए उन्होंने कहा कि यह टूलकिट महिलाओं के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुरूप वोकल फॉर लोकल के मंत्र का अनुसरण करते हुए स्वरोजगार का मंच बन सकता है. सीएम ने कहा कि एक समय इस जिले का खलीलाबाद करघा और हथकरघा का बड़ा केंद्र हुआ करता था. ऐसे में यह रेडीमेड गारमेंट का हब क्यों नहीं बन सकता. अगर हम महिलाओं को आधुनिक सिलाई मशीन देकर उन्हें मार्केट से लिंक कर दें तो हर घर रेडीमेड गारमेंट बनने लगेगा. ऐसी स्थिति में रेडीमेड गारमेंट के उत्पादन के मामले में हम बांग्लादेश और वियतनाम को भी पीछे छोड़ सकते हैं.

बखिरा के बर्तन उद्योग को दिलाएंगे वैश्विक पहचान

मुख्यमंत्री ने संतकबीरनगर जिले के बखिरा के बर्तन उद्योग का भी प्रमुखता से उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि कभी इस जिले की पहचान बखिरा के बर्तनों से होती थी. पूर्व की सरकारों में इसे भुला दिया गया लेकिन हम बखिरा के बर्तन उद्योग को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं. यह स्थानीय स्तर पर नौजवानों व महिलाओं के लिए रोजगार का बड़ा माध्यम बनेगा.

संतकबीरनगर में पीपीपी मॉडल पर बनेगा मेडिकल कॉलेज

सीएम योगी ने कहा कि एक समय तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस, मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियों से बहुत मौतें होती थीं. इलाज का सारा दारोमदार गोरखपुर के जर्जर बीआरडी मेडिकल कॉलेज पर होता था. लोगों को मजबूरन लखनऊ, दिल्ली या मुम्बई जाना पड़ता था. आज प्रदेश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था हो रही है. गोरखपुर का बीआरडी मेडिकल कॉलेज नए व बेहतरीन रूप में है. गोरखपुर में एम्स भी बनकर तैयार है जिसका उद्घाटन पीएम मोदी शीघ्र करेंगे. देवरिया, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, अयोध्या, गोंडा, बलरामपुर, बहराइच सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ को मेडिकल कॉलेज की सौगात दी गई है. प्रदेश में कोई भी जिला शेष नहीं रहेगा जहां मेडिकल कॉलेज न हो. मुख्यमंत्री ने एक बार फिर कहा कि संतकबीरनगर में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज स्थापित किया जाएगा.

हर बाढ़ पीड़ित को उपलब्ध कराई जा रही राहत किट

संतकबीरनगर में लोगों से मुखातिब सीएम योगी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में भारी बारिश के चलते आई बाढ़ का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार हर पीड़ित तक पर्याप्त मात्रा में राहत सामग्री का किट उपलब्ध करा रही है. साथ ही बाढ़ के कारण होने वाली बीमारी से बचाव के लिए लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में एंटी स्नेक वेनम और एंटी रेबीज वैक्सिन की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है. उन्होंने जनप्रतिनिधियों से अपील की वे हर बाढ़ पीड़ित तक राहत सामग्री पहुंचना सुनिश्चित करें.

सपा-बसपा शासन के दौरान कोरोनाकाल में केरल, दिल्ली जैसे होते यूपी के हालात

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज यूपी में कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण है. पर सपा-बसपा का शासन होता तो कोरोनाकाल में यूपी के हालात केरल व दिल्ली जैसे खतरनाक होते. उन्होंने यूपी में कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण के लिए जनता के अनुशासन, स्वास्थ्यकर्मियों, कोरोना वारियर्स, जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों व मीडिया की भूमिका की सराहना की.

अब विकास में किसी से पीछे नहीं रहेगा संतकबीरनगर

सीएम ने अपने संबोधन में लोगों को जिले की विकास परियोजनाओं से जोड़ते हुए कहा कि अब संतकबीरनगर विकास के पैमाने पर किसी भी जनपद से पीछे नहीं रहेगा. उन्होंने कहा कि बाबा तामेश्वरनाथ और महान सूफी संत संतकबीर की यह धरती 24 वर्ष से विकास की आस में थी. विकास के लिए राजनीतिक घोषणाएं तो होती थीं लेकिन उनका क्रियान्वयन नहीं होता था. योजनाएं ठेके पट्टे, भाई भतीजावाद के चक्कर में फंसकर रह जाती थीं. पर बीते साढ़े चार सालों में परिवर्तन आया है.

245 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं से जुड़ा यह कार्यक्रम प्रदर्शित करता है कि यह जिला अब विकास के नए प्रतिमानों को छुएगा. विकास जनता की आवश्यकता है और इससे ही हर व्यक्ति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि दो वर्ष पूर्व मगहर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संतकबीर की साधना स्थली पर कबीरपीठ की स्थापना की थी, इसके लोकार्पण की शुभ तिथि भी अब आने वाली है.

कोरोना से निराश्रित बच्चों को प्यार-दुलार

कार्यक्रम में कोरोना से निराश्रित बच्चों को मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का स्वीकृति पत्र प्रदान करने के दौरान सीएम योगी ने बच्चों को खूब प्यार-दुलार दिया. उनसे उनकी पढ़ाई के बारे में पूछा और सिर पर हाथ फेरकर आशीर्वाद दिया. सीएम ने कहा कि हर पीड़ित के साथ सरकार खड़ी है. निराश्रित बच्चों के अलावा कोरोना से निराश्रित हुई महिलाओं के लिए भी सरकार शीघ्र योजना ला रही है.

कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को स्वीकृति पत्र का वितरण

समारोह के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के लाभार्थियों, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना व शादी अनुदान योजना के लाभार्थियों तथा सामुदायिक शौचालयों का स्वच्छता प्रबंधन करने वाले स्वयं सहायता समूहों के केयर टेकर्स को मानदेय स्वीकृति पत्र का वितरण भी किया. कोविड 19 से मृतक सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को नियुक्ति पत्र प्रदान करने के साथ ही उन्होंने विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के लाभार्थियों को टूलकिट सौंपा. इस अवसर पर सीएम के हाथों सबमिशन ऑफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन योजना के लाभार्थियों को चाबी का वितरण भी किया गया. समारोह में कारागार मंत्री जयकुमार सिंह जैकी, उद्यान एवं कृषि विपणन मंत्री श्रीराम चौहान, जिले के प्रभारी मंत्री व स्टाम्प पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल, सांसद प्रवीण निषाद, विधायक राकेश सिंह बघेल, दिग्विजय नारायण चौबे, दयाराम चौधरी आदि भी मौजूद रहे. आभार ज्ञापन अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने किया.

महिला सशक्तिकरण को विशेष महत्व

प्रदेश सरकार एक ओर अपनी योजनाओं से महिलाओं के मनोबल को बढ़ा रही है वहीं दूसरी ओर मिशन शक्ति जैसे वृहद अभियान से उनको सुरक्षा, सम्‍मान और स्‍वावलंबन का कवच प्रदान कर रही है. प्रदेश सरकार की दो योजनाओं से महिलाओं और बेटियों को लाभ मिल रहा है जिसमें पति की मृत्यु के बाद निराश्रित महिला पेंशन योजना और मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना से महिलाओं और बेटियों को सीधे तौर पर मदद मिल रही है.

मिशन शक्ति अभियान के तहत इन दोनों योजनाओं से नए लाभार्थियों को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है. महिला कल्‍याण विभाग की ओर से स्‍वावलंबन कैंप कार्यक्रम का आयोजन कर नई महिलाओं बेटियों के आवेदनों को स्‍वीकार कर इस योजना के तहत लाभान्वित किया जा रहा है. बता दें क‍ि म‍िशन शक्ति अभियान से प्रदेश की महिलाओं और बेटियों को योगी सरकार की योजनाओं की जानकारी संग उनको विभिन्‍न योजनाओं से जोड़ा जा रहा है.

महज एक साल में जुड़े 1.73 लाख पात्र नवीन लाभार्थी

पति की मृत्यु उपरान्त निराश्रित महिला पेंशन योजना के तहत साल 2017 से 2021 तक पति की मृत्यु उपरान्त निराश्रित महिला पेंशन योजना के तहत कुल 12.36 लाख नए लाभार्थी जुड़े हैं. वहीं साल 2021-22 में 1.73 लाख पात्र नवीन लाभार्थी जोड़े गए हैं. अब तक 29.68 लाख महिलाओं को लाभान्वित किया जा चुका है. बता दें कि पात्र लाभार्थियों को 500 रुपए प्रतिमाह की दर से 04 तिमाही में पेंशन का भुगतान पीएफएमएस के जरिए से सीधे उनके बैंक खाते में किया जाता है. इसके साथ ही योजना के लिए लाभार्थी की आयु की अधिकतम सीमा को समाप्त करते हुए वार्षिक आय सीमा को बढ़ाकर 2.00 लाख कर दिया गया है.

कन्या सुमंगला योजना से संवर रहा बेटियों का भविष्‍य

प्रदेश में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने, बालिकाओं के स्वास्थ्य व शिक्षा को सुदृढ करने, बालिका के परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान करने साथ ही बालिका के प्रति आम जन में सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने अप्रैल 2019 में मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना की शुरूआत की. इस योजना तहत अब तक 9.91 लाख लाभार्थियों को लाभान्वित किया जा चुका है.

साढ़े चार वर्षाें में प्रदेश ने खाद्यान्न उत्पादन में बनाया नया रिकॉर्ड

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व व मार्गदर्शन में देश ने सर्वांगीण विकास के नये प्रतिमान स्थापित किये हैं. कृषि एवं कृषि कल्याण के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ है. देश में पहली बार मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किये गये. न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत किसानों को लागत का डेढ़ गुना मूल्य प्रदान करने के साथ ही, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अन्तर्गत किसानों को आर्थिक सहायता सुलभ करायी गयी. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना सहित विभिन्न योजनाएं प्रभावी ढंग से क्रियान्वित की गयीं.

मुख्यमंत्री जी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के सम्बन्ध में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. वर्चुअल माध्यम से 03 चरणों में इस सम्मेलन का आयोजन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है. सम्मेलन को केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर एवं केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने भी सम्बोधित किया.

मुख्यमंत्री जी ने सम्मेलन के आयोजन के लिए केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री तथा केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री के प्रति आभार जताते हुए कहा कि इस आयोजन से राज्यों को कृषि एवं किसान कल्याण के सम्बन्ध में रणनीति बनाने में सहायता मिलेगी. इस प्रकार निर्मित रणनीति का सफल क्रियान्वयन करके प्रधानमंत्री जी के किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त किया जा सकेगा.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कृषि प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. विषम परिस्थितियों में भी कृषि और किसानों का कल्याण प्रदेश सरकार का मुख्य लक्ष्य है. कोविड-19 की वैश्विक महामारी देश के लिए चुनौतीपूर्ण रही है. स्वस्थ जीवन, व्यक्ति की सबसे बड़ी आवश्यकता है. समुचित पोषण एवं सुरक्षित भोजन वर्तमान परिवेश की सबसे बड़ी चुनौती है. कोविड कालखण्ड में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए किसानों द्वारा अनाज, दलहन, तिलहन, सब्जी, फल, दूध आदि की प्रचुर उपलब्धता आमजन को सुनिश्चित करायी गई है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विगत लगभग साढ़े चार वर्षाें में प्रदेश ने खाद्यान्न उत्पादन में नया रिकॉर्ड स्थापित किया है. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में प्रति वर्ष धान का औसत उत्पादन 139.40 लाख मीट्रिक टन था. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष में यह औसत बढ़कर 163.45 लाख मीट्रिक टन हो गया. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में धान की खरीद 123.61 लाख मीट्रिक टन रही. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष में यह बढ़कर 214.56 लाख मीट्रिक टन हो गई. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में 14,87,519 कृषकों को 17,119 करोड़ रुपए धान मूल्य का भुगतान हुआ. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष की अवधि में 31,88,529 कृषकों को अब तक 37,885 करोड़ रुपए धान मूल्य का भुगतान किया जा चुका है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में गेहूं उत्पादन 288.14 लाख मीट्रिक टन था. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष की अवधि में यह बढ़कर 369.47 लाख मीट्रिक टन हो गया है. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में 94.38 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में ही 209.67 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 के मध्य 19,02,098 कृषकों को 12,808 करोड़ रुपए गेहूं मूल्य का भुगतान किया गया. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष की अवधि में ही 43,75,574 कृषकों को 36,405 करोड़ रुपए गेहूं मूल्य का भुगतान किया जा चुका है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि खरीफ फसलों की बुआई के समय डी0ए0पी0 उर्वरक की कीमतें अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में बढ़ने के कारण प्रति बोरी मूल्य 2400 रुपए हो गया था. प्रधानमंत्री जी द्वारा 500 रुपए अनुदान प्रति बोरी से बढ़ाकर 1200 रुपए प्रति बोरी कर दिया गया. इससे किसानों को पूर्व की भांति 1200 रुपए प्रति बोरी की दर पर पर्याप्त मात्रा में डी0ए0पी0 उपलब्ध हुई. खरीफ 2020-21 में 57 लाख मीट्रिक टन उर्वरक वितरण लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 52.95 लाख मीट्रिक टन उर्वरक की उपलब्धता कराते हुए 36.76 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का वितरण कराया गया है. दानेदार यूरिया के स्थान पर इफ्को द्वारा विकसित नैनो तरल यूरिया का कृषकों द्वारा उपयोग किए जाने के लिए प्रचार-प्रसार किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गन्ना किसानों को वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक की अवधि में 95,215 करोड़ रुपए गन्ना मूल्य का भुगतान हुआ. वर्तमान सरकार द्वारा 45.74 लाख गन्ना कृषकों को अब तक 1,42,366 करोड़ रुपए से अधिक का रिकॉर्ड गन्ना मूल्य का भुगतान कराया जा चुका है. वर्ष 2020-21 में कुल 21.80 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में कुल 1783.40 लाख मीट्रिक टन गन्ने का उत्पादन हुआ है, जो 818.07 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि माह जुलाई, 2021 तक प्रदेश में कुल 165.55 लाख किसान क्रेडिट कार्ड का वितरण किया गया. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 के मध्य 239515.07 करोड़ रुपए का ऋण वितरण हुआ था, जबकि वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष में यह बढ़कर 471723.82 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है. इस प्रकार वर्तमान सरकार के कार्यकाल में फसली ऋण वितरण में पूर्व की सरकार के सापेक्ष 96.95 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्तमान सरकार द्वारा परम्परागत कृषि विकास योजना के अन्तर्गत 36 जनपदों में 585 क्लस्टर के 11,700 हेक्टेयर क्षेत्रफल में जैविक खेती कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है. प्राकृतिक खेती के क्रियान्वयन हेतु 35 जनपदों के 38,670 हे0 क्षेत्रफल की 03 वर्ष के लिए 197 करोड़ रुपए की कार्य योजना भारत सरकार को प्रेषित की गई है. नमामि गंगे परियोजना के अन्तर्गत 3,309 क्लस्टर (66,180 हे0) स्थापित कर 1,03,442 कृषकों को लाभान्वित किया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा भारत सरकार द्वारा कृषि अवसंरचना निधि की स्थापना की गयी है, जिससे कृषक अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें. इस उद्देश्य को पूर्ण करने हेतु भारत सरकार द्वारा फार्मगेट एवं समेकन केन्द्र (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादन संगठन, कृषि उद्यमी, स्टार्टअप, मण्डी समिति, एफ0पी0ओ0) के वित्त पोषण के लिए एक लाख करोड़ रुपए की वित्तीय सुविधा कृषि अवसंरचना निधि द्वारा प्रदान की गयी है. उन्होंने सुझाव दिया कि कृषि अवसंरचना निधि का पोर्टल अंग्रेजी भाषा में होने के कारण कृषकों को योजना समझने एवं आवेदन करने में कठिनाई हो रही है. अतः पोर्टल को हिन्दी भाषा में भी संचालित कराया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि योजना के अन्तर्गत प्रदेश के शेड्यूल कॉमर्शियल बैंकों को कुल 197 परियोजनाओं के आवेदन प्राप्त हुए, जिनकी लागत 218 करोड़ रुपये है. इन आवेदनों में से लगभग 20 करोड़ रुपए की 20 परियोजनाओं की स्वीकृति के बाद प्रथम किस्त वितरित की गई है. वर्तमान में सेण्ट्रल पी0एम0यू0 तथा विभिन्न शेड्यूल कॉमर्शियल बैंक के स्तर पर 74 आवेदन प्रक्रियाधीन हैं. इनकी परियोजना लागत 126 करोड़ रुपए है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कृषि अवस्थापना निधि के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के पैक्स को नाबार्ड की मल्टी सर्विस सेण्टर योजना के तहत लगभग 1,100 पैक्स के आवेदन पोर्टल पर प्राप्त हुए हैं. इनमें से नाबार्ड द्वारा 549 पैक्स के लगभग 120 करोड़ रुपए की डी0पी0आर0 स्वीकृत की गई है. इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश द्वितीय स्थान पर है. लगभग 45 करोड़ रुपए की लागत के 250 पैक्स के प्रस्ताव स्वीकृत हैं. 170 पैक्स को, प्रति पैक्स 4.25 लाख रुपए की दर से, प्रथम किस्त के रूप में कुल 10 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थी कृषक 250.09 लाख हैं. 165.55 लाख किसान क्रेडिट कार्ड वितरित किए जा चुके हैं.योजना के प्रारम्भ से वित्तीय वर्ष 2021-22 के माह अगस्त, 2021 तक 250.09 लाख कृषकों के बैंक खातों में कुल 32571.29 करोड़ रुपए की धनराशि डी0बी0टी0 के माध्यम से हस्तान्तरित की गई है. कुल 07 जनपदों में 100 प्रतिशत तथा 14 जनपदों में 90 प्रतिशत या उससे अधिक किसान क्रेडिट कार्डधारक कृषक हैं. 17 जनपदों में 25 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक तथा केवल 01 जनपद में 25 प्रतिशत से कम किसान क्रेडिट कार्डधारक कृषक हैं. इन जनपदों में अभियान चलाकर किसान क्रेडिट कार्ड बनाए जाने की कार्यवाही प्रगति पर है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि माह जनवरी, 2020 तक कुल 111.13 लाख किसान क्रेडिट कार्ड बने थे, जबकि जुलाई, 2021 तक कुल 165.55 लाख किसान क्रेडिट कार्ड बन गए थे. इस प्रकार जनवरी, 2020 से जुलाई, 2021 तक की अल्प अवधि में ही कुल 54.42 लाख किसान क्रेडिट कार्ड बनाए गए हैं. कुछ जनपदों में किसान क्रेडिट कार्ड कम बनने का मुख्य कारण, कृषकों का अप्रवासी होना तथा छोटी जोत के कृषकों द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड बनवाए जाने में रुचि न लेना है. उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि पीएम किसान के लाभार्थियों का डाटाबेस तथा किसान क्रेडिट कार्ड का डाटाबेस भारत सरकार के पास है, यदि दोनों डाटा की मैचिंग राज्य सरकार को उपलब्ध करा दी जाए, तो किसान क्रेडिट कार्ड बनाने में गति आएगी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत सरकार द्वारा देश के किसानों का एक डाटाबेस तैयार किए जाने की योजना है, जिसमें किसानों के कल्याण के लिए संचालित सभी योजनाओं को लिंक किया जाएगा, किसानों को समय-समय पर एडवाइजरी उपलब्ध करायी जाएगी तथा उनके उत्पादों के उचित विपणन की व्यवस्था की जाएगी. पायलट प्रोजेक्ट के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश के 03 जनपदों-मथुरा, मैनपुरी तथा हाथरस को सम्मिलित किया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि तिलहनी फसलों के उत्पादन में वृद्धि हेतु भारत सरकार द्वारा पुरोनिधानित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (ऑयल सीड्स) योजना प्रदेश के समस्त 75 जनपदों में संचालित है. कृषकों की आय में वृद्धि करने हेतु योजना के अन्तर्गत तिलहनी फसलों के मिनीकिट भारत सरकार द्वारा निःशुल्क प्रदान किए जाते हैं. वर्तमान वर्ष में खरीफ में 13,960 तिल एवं मूंगफली के बीज मिनीकिट कृषकों को निःशुल्क वितरित कराए जा चुके हैं. राई/सरसों एवं अलसी के 4,77,500 बीज मिनीकिट का वितरण कराया जाना प्रस्तावित है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गत वर्ष कुल तिलहनी फसलों (खरीफ व रबी) से 11.93 लाख हे0 भूमि आच्छादित की गई तथा कुल 12.71 लाख मीट्रिक टन तिलहनी फसलों का उत्पादन हुआ. वर्ष 2021-22 हेतु कुल तिलहनी फसलों से 13.68 लाख हे0 क्षेत्रफल को आच्छादित करने का लक्ष्य है तथा कुल 15 लाख मीट्रिक टन तिलहनी फसलों का उत्पादन सम्भावित है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोविड से प्रभावित होने के बावजूद वर्ष 2020-21 के दौरान प्रदेश से कृषि निर्यात 17,58,479.29 मीट्रिक टन रहा, जिसका मूल्य 2,389,89 मिलियन यू0एस0 डॉलर था. गत वर्ष 2019-20 में उत्तर प्रदेश से 15,15,784.59 मीट्रिक टन कृषि निर्यात, जिसका 2,227.87 मिलियन यू0एस0 डॉलर था. रुपए के सन्दर्भ में यह कीमत बढ़कर 17,699.12 करोड़ रुपए हो गई, जबकि गत वर्ष 2019-20 में 15,902.78 करोड़ रुपए थी. वित्तीय वर्ष 2020-21 में उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक वृद्धि नॉन-बासमती चावल के निर्यात में रही. मात्रा के सन्दर्भ में यह वृद्धि 50.34 प्रतिशत बढ़कर 3,60,897.38 मीट्रिक टन हो गयी है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में यह निर्यात 24,0043.93 मीट्रिक टन था. रुपए के सन्दर्भ में यह बढ़कर 913.16 करोड़ रुपए हो गई है. वर्ष 2019-20 में 689.70 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ था.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत सरकार की कृषि निर्यात नीति के सामंजस्य में प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2019 में अपनी राज्य कृषि निर्यात नीति अधिसूचित की गई है. इसका उद्देश्य राज्य से वर्ष 2019 के निर्यात से वर्ष 2024 तक कृषि निर्यात को दोगुना करना है. राज्य स्तर की निर्यात निगरानी समिति, मण्डल स्तरीय कृषि निर्यात निगरानी समिति और जिला स्तर पर क्लस्टर फैसिलिटेटिंग सेल बनाकर राज्य, मण्डल और जिला स्तर पर कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत तंत्र विकसित किया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विगत 06 माह में कानपुर से गंगा जी के किनारे उत्पादित जामुन का मई-जून, 2021 में लगभग 5,000 किलोग्राम का प्रथम बार यूनाईटेड किंगडम को निर्यात किया गया है. जामुन निर्यात से किसानों को 35 रुपए से 40 रुपए प्रति किलोग्राम के स्थान पर लगभग 70 रुपए प्रति किलोग्राम प्राप्त हुआ है. प्रदेश में कृषि निर्यात हेतु दो पैक हाउस लखनऊ एवं सहारनपुर में स्थापित हैं. लखनऊ पैक हाउस का इण्टीग्रेटेड पैक हाउस के रूप में आधुनिकीकरण किया जा रहा है तथा अमरोहा एवं वाराणसी में नये पैक हाउस निर्मित किये जा रहे हैं.

यूपी ने कायम की मिसाल, वैक्सिनेशन छह करोड़ पार

यूपी ने कोरोना टीकाकरण में दूसरे प्रदेशों को पीछे छोड़ते हुए अपने  नाम एक नया रिकार्ड हासिल किया है. महाराष्‍ट्र, दिल्‍ली, आंध्र प्रदेश, वेस्‍ट बंगाल समेत दूसरे कई राज्‍यों से आगे निकल 6 करोड़ से अधिक टीकाकरण की डोज दी हैं. यह आंकड़ा देश के दूसरे प्रदेशों से कहीं अधिक है. यूपी टीकाकरण के साथ ही सर्वाधिक जांच करने वाला प्रदेश है. ट्रिपल टी की रणनीति व टीकाकरण से यूपी में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर नियंत्रण में हैं. प्रदेश में वृहद टीकाकरण अभियान के तहत ‘सबका साथ, सबका विकास, सबको वैक्सीन, मुफ्त वैक्सीन’ के मूल मंत्र पर टीकाकरण किया जा रहा है.

प्रदेश में वैक्‍सीन की पहली खुराक 5 करोड़ 07 लाख से अधिक और 94 लाख से अधिक वैक्‍सीन की दूसरी डोज दी जा चुकी है. बता दें क‍ि मेगा वैक्सिनेशन में एक दिन में सर्वाधिक टीकाकरण कर यूपी देश के दूसरे प्रदेशों के समक्ष नज़ीर पेश कर चुका है. योगी सरकार ने मेगा वैक्सिनेशन ड्राइव के तहत एक दिन में 20 लाख लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया था जिसके सापेक्ष में यूपी ने 29.52 लाख लोगों का टीकाकरण किया था. जो एक दिन में किया गया अब तक का सर्वाधिक टीकाकरण था. एक दिन में अब तक सबसे अधिक वैक्‍सीन की डोज लगाकर योगी सरकार रिकार्ड बना चुकी है.

14 दिनों के अंदर एक करोड़ टीकाकरण कर अपने लक्ष्‍य के करीब पहुंचा यूपी

यूपी में टीकाकरण अभियान को गति देते हुए शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में युद्धस्‍तर पर टीकाकरण किया जा रहा है. तीन अगस्‍त को यूपी ने पांच करोड़ टीकाकरण कर एक कीर्तिमान बनाया था वहीं महज 14 दिनों में एक करोड़ टीकाकरण कर यूपी ने छह करोड़ टीकाकरण कर अपने निर्धारित टीकाकरण लक्ष्‍य की ओर तेजी  से आगे बढ़ रहा है. 31 अगस्‍त तक 10 करोड़ लोगों को टीका लगाने का लक्ष्‍य निर्धारित किया है. मिशन जून के तहत प्रदेश सरकार ने एक करोड़ लोगों को वैक्‍सीन की डोज लगाने का लक्ष्‍य निर्धारित किया था लेकिन प्रदेश में इससे कहीं अधिक एक करोड़ 29 हजार टीके की डोज दी गई.

यूपी ऐसे रहा महाराष्ट्र, दिल्ली और अन्य प्रदेशों से टीकाकरण में अव्वल

25 करोड़ के आबादी वाले उत्तर प्रदेश से देश के दूसरे प्रदेश टीकाकरण में कहीं पीछे हैं.  वेस्ट बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली समेत अन्य प्रदेशों में जहां काम आबादी होने के बावजूद टीकाकरण धीमी गति से चल रहा कहीं यूपी लगातार रिकॉर्ड बना रहा है. वेस्ट बंगाल में अब तक तीन करोड़ 47 लाख, केरल में दो करोड़ 47 लाख,महाराष्ट्र में पांच करोड़ 03 लाख, दिल्ली में एक करोड़ 17  लाख और तमिलनाडु दो करोड़ 72 लाख ही वैक्सिनेशन किया गया है.

सुविधाओं से लैस होगी एटीएस

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में आतंकी गतिविधियों के प्रभावी रोकथाम के लिए बड़ी पहल की है. उन्होंने प्रदेश में पहली बार एक साथ एटीएस की 12 इकाइयों की स्थापना की संस्तुति की है. साथ ही एटीएस को और मजबूत करने के लिए प्रस्ताव मांगा है, आशा है कि जल्द ही एटीएस को और अत्याधुनिक संसाधनों से लैस किया जाएगा और समुचित मानव संसाधन उपलब्ध कराया जाएगा.

प्रदेश के संवेदनशील 10 जिलों मेरठ, अलीगढ़, श्रावस्ती, बहराइच, ग्रेटर नोएडा (जेवर एयरपोर्ट), आजमगढ़ (निकट एयरपोर्ट), कानपुर, सोनभद्र, मीरजापुर और सहारनपुर के देवबंद में एटीएस इकाई/कमाण्डो ट्रेनिंग सेंटर स्थापित किया जाएगा. इसके लिए संबंधित जिलों में भूमि आवंटित हो गई है और भवनों के निर्माण के लिए कार्यवाही चल रही है. इसके अलावा वाराणसी और झांसी में एटीएस इकाई की स्थापना के लिए जल्द ही भूमि आवंटन होने की संभावना है. शासन के निर्देशानुसार एटीएस को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए इंडो-नेपाल बॉर्डर पर बहराइच और श्रावस्ती में एटीएस की नई फील्ड यूनिट स्थापित की जा चुकी है और कार्य सुचारु रूप से चल रहा है.

एटीएस आतंकी मंसूबों पर फेर रहा पानी, राष्ट्र द्रोहियों को भेज रहा जेल

एटीएस ने विभिन्न आतंकवादी संगठनों आईएसआईएस, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जैश-ए-मोहम्मद, जेएमबी, आईएसआई जासूस, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई), नक्सल, टेरर फंडिंग, एबीटी/बांग्लादेश, बब्बर खालसा, जाली भारतीय मुद्रा आदि से सम्बन्धित 69 आतंकवादियों, विभिन्न अपराधों से संबंधित 216 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इसके अलावा मूक बधिर छात्रों, कमजोर आय वर्ग के लोगों को धन, नौकरी और शादी का लालच देकर धर्मांतरण कराने वाले सिंडिकेट का भंडाफोड़ करते हुए कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावा 16 जनवरी को एटीएस ने कूट रचित प्रपत्रों के आधार पर भारी मात्रा में फर्जी मोबाईल सिम एक्टीवेट कराने से संबंधित 18 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है, जिसमें तीन चीनी नागरिक भी शामिल हैं. यह मामला आर्थिक घोटाले के साथ-साथ राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से जुड़ा है, जिसकी गहराई से जांच हो रही है.

खतरनाक ऑपरेशन के लिए स्पॉट की पांच टीमें और स्नाईपर्स की चार टोलियां तैयार

प्रदेश में एनएसजी की तरह खतरनाक ऑपरेशन को विशेषज्ञ तरीके से करने के लिए एटीएस के विशेष पुलिस संचालन दल (स्पॉट) का गठन 2017 में किया गया है. स्पॉट कर्मियों ने बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी आदि पुलिस के विशेषज्ञ प्रशिक्षकों से प्रशिक्षण लिया है. स्पॉट की पांच टीमें तैयार हैं, दो टीमें प्रशिक्षण ले रही हैं और दो अन्य टीमों के लिए कार्यवाही चल रही है. इसके अलावा यूपी पुलिस की पहली स्नाईपर्स टीम की चार टोलियां तैयार की गई हैं, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) ने प्रशिक्षण दिया है. इसके बाद यूपी पुलिस की दक्षता और प्रभावशीलता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है.

65 साल की उम्र में की शादी, कर्मकांडों में फंसा

दलित समाज  

बाबा साहब अंबेडकर और कांशीराम ने दलित समाज को कर्मकांडों से बाहर निकालने के लिए बहुतेरे उपाय किए थे. बहुजन समाज पार्टी के लोग ‘बाबा तेरा मिशन अधूरा, कांशीराम करेंगे पूरा’ नारा लगाते थे.

बहुजन समाज पार्टी और बामसेफ के कार्यक्रमों में दलित समाज की चेतना को जगाने के लिए तमाम उदाहरण दिए जाते थे कि मूर्तिपूजा और मंदिर जाने से कोई फायदा नहीं होने वाला.

मायावती के भाषण की एक सीडी वायरल हुई थी, जिस में वे कहती हैं कि ‘जो देवीदेवता कुत्तों से अपनी रक्षा नहीं कर पाते, वे आप की रक्षा कैसे करेंगे?’

बाद में सत्ता के लिए जब मायावती ने अगड़ी जातियों के साथ समझौते किए, तो बसपा का यह मिशन गायब हो गया. तब बसपा का नारा ‘हाथी नहीं गणेश है ब्रह्मा, विष्णु, महेश है’ हो गया. इस का असर दलितों की सोच पर भी पड़ा.

जो दलित समाज 80 के दशक में जिन कर्मकांडों से दूर हो रहा था, अब वही अगड़ी जातियों से बढ़चढ़ कर कर्मकांडी बनने लगा है. अपनी जिस मेहनत की कमाई को उसे अपनी पढ़ाईलिखाई और रहनसहन पर खर्च करना था, उसे वह मंदिरों, कर्मकांडों और पुजारियों पर चढ़ाने लगा.

उस के पास घर बनवाने और अच्छे कपड़े पहनने का समय भले ही न हो, पर वह पूजापाठ और मंदिरों में चढ़ावा चढ़ाने के लिए पैसे और समय दोनों निकाल ले रहा है.

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अमेठी जिले के गांव खुटहना में 40 साल बिना शादी किए साथसाथ रहने वाले मोतीलाल और मोहिनी देवी को कर्मकांडों के लिए धार्मिक रीतिरिवाज से अपनी शादी करनी पड़ी, जिस में पंडित भी था और पूजा की वेदी भी थी. शादी के मंत्र भी पढ़े गए.

डरासहमा मोतीलाल

इस अनोखी की शादी की जानकारी मिलने के बाद जब यह संवाददाता लखनऊ से तकरीबन 130 किलोमीटर दूर गांव खुटहना में मोतीलाल और मोहिनी देवी से मिलने के लिए पहुंचा तो पता चला कि दुलहन मोहिनी देवी अपने बच्चों के साथ मंदिर  गई हैं. उन के घर में मौजूद लड़की कुछ भी बोलने से मना कर के दरवाजा बंद कर घर के अंदर चली गई.

मोहिनी देवी और मोतीलाल के घर के लोग इस बात से डर रहे थे कि किसी बाहरी और अनजान आदमी से बात करने से उन को कोई नुकसान हो सकता है. परिवार वालों को डर लग रहा था कि बुढ़ापे में शादी कर के उन्होंने कोई गुनाह तो नहीं कर दिया है. कहीं किसी तरह से पुलिस या कानून की कोई दिक्कत पैदा न हो जाए, इस वजह से वे बातचीत करने से मना करने लगे.

जानकारी लेने पर गांव के लोगों  ने बताया कि मोतीलाल गांव से  3 किलोमीटर दूर गोदाम पर काम करने के लिए गए हुए हैं. हम ने वहां जा कर उन से बात करने की योजना बनाई.

यह मालगोदाम जामो ब्लौक के पास था. वहीं मोतीलाल माल ढुलाई का काम करते थे. मोतीलाल को जैसे ही हमारे पहुंचने की सूचना मिली, वे छिप गए.

हम ने लोकल नेताओं और कुछ दबदबे वाले लोगों को अपने साथ लिया, तब मोतीलाल का डर कुछ कम हुआ. हमारे ऊपर उन्हें थोड़ा सा भरोसा हुआ और वे बातचीत के लिए तैयार हुए.

हमारे सामने आते ही मोतीलाल हाथ जोड़ कर बोले, ‘‘साहब, शादी कर के कोई गलती कर दी क्या, जिस से आप लोग हमें तलाश कर रहे हैं?’’

जब सभी लोगों ने यह कहा कि ‘गलती की कोई बात नहीं है. ‘सरस सलिल’ देश की बड़ी पत्रिका है, उस में तुम्हारी शादी के बारे में छापा जाएगा…’ तब कहीं जा कर वे धीरेधीरे बात करने लगे.

असल में गांव में रहने वाला गरीब, कमजोर और कम पढ़ालिखा आदमी हर किसी से डरता है. उस को लगता है कि कोई उस का गलत फायदा न उठा ले. उसे कानून और अपने हकों की जानकारी नहीं होती. चार लोग जैसा कहने लगते हैं, वह वैसा करने लगता है.

मोतीलाल को जब हमारे ऊपर भरोसा हो गया, तब उन्होंने बुढ़ापे में शादी करने की पूरी वजह बताई.

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65 साल का दूल्हा और 60 साल की दुलहन

गौरीगंज विधानसभा की जामो ग्राम पंचायत के गांव खुटहना में ही मोतीलाल रहते हैं. सुलतानपुरलखनऊ हाईवे से तकरीबन 10 किलोमीटर दूर जामो ब्लौक और थाना बना है.

जामो में रहने वालों की दिक्कत यह है कि यहां से न तो अमेठी जिला हैडक्वार्टर जाने के लिए कोई सीधी सरकारी बस चलती है और न ही प्रदेश की राजधानी लखनऊ जाने के लिए बस जाती है.

जामो से जब गौरीगंज जाने वाली सड़क पर चलते हैं, तो 3 किलोमीटर के बाद खुटहना गांव आता है. यहां सभी घर दलितों के पासी जाति से हैं. वहीं के मोतीलाल अचानक सुर्खियों में आ गए.

सुर्खियों की वजह यह थी कि  65 साल के मोतीलाल ने 40 साल एकसाथ रहने के बाद 60 साल की मोहिनी देवी से धार्मिक रीतिरिवाज, ढोलबाजे और बरात ले कर शादी की.

मोहिनी देवी ने रंगबिरंगी साड़ी पहनी थी. मोतीलाल ने भी पाजामा और कमीज पहनी थी. बरात में दूल्हा बने मोतीलाल ने दूसरे बरातियों के साथ डांस भी किया.

बरात मोतीलाल के घर से निकल कर उन के ही घर जानी थी, जो गांव  की संकरी गलियों से होते हुए वापस मोतीलाल के घर पहुंच गई, जहां पूजापाठ कर के और एकदूसरे को फूलों की माला पहना कर बुढ़ापे में शादी की रस्म निभाई.

मोतीलाल और मोहिनी देवी की कहानी रोचक है. तकरीबन 45 साल पहले मोतीलाल की शादी अपनी ही जाति की श्यामा से हुई थी.

शादी के 2 साल के बाद ही श्यामा की मौत हो गई. दोनों के कोई बच्चा नहीं था. मोतीलाल अकेले पड़ गए थे.

मोतीलाल का पड़ोस के गांव मकदूमपुर आनाजाना होता था. वहां  की रहने वाली मोहिनी देवी के साथ उन की जानपहचान हुई. मोहिनी भी गरीब परिवार की थीं. उन के मातापिता से बात कर के मोतीलाल मोहिनी देवी को अपने साथ ले कर गांव आ गए.

उन दोनों के घरपरिवार को कोई दिक्कत नहीं थी. लिहाजा, वे बिना किसी शादी के कर्मकांड के साथ रहने लगे. उन्हें कभी इस बात की जरूरत ही महसूस नहीं हुई कि वे रीतिरिवाज वाली शादी करें. वे दोनों ही मेहनत करते हुए अपनी जिंदगी गुजारने लगे.

यहां दोनों के पास रहने के लिए झोंपड़ीनुमा घर था. समय के साथसाथ दोनों के 4 बच्चे हो गए. उन में 2 लड़के सुनील कुमार और संदीप कुमार और  2 लड़कियां सीमा और मीरा हैं.

मोतीलाल ने पूरी कोशिश की कि बच्चे पढ़लिख जाएं. पर बच्चे केवल  8वीं जमात से 10वीं जमात तक ही पढ़ सके. मोतीलाल ने सब से पहले अपनी दोनों बेटियों की शादी कर दी. दोनों लड़के भी मेहनतमजदूरी करने लगे.

इस के बाद भी मोतीलाल और उन की पत्नी मोहिनी देवी मेहनतमजदूरी करते हैं, जिस में उन का समय भी कटता है और पैसे भी मिलते हैं.

40 साल एकसाथ रहने के बाद भी मोहिनी देवी और मोतीलाल के संबंधों को धार्मिक मंजूरी नहीं मिली थी. मोहिनी देवी और मोतीलाल दोनों ही अनपढ़ थे. मोतीलाल तो बोझा ढोने की मजदूरी करते थे और मोहिनी देवी खेतीकिसानी के काम में मजदूरी कर के जो समय बचता था, उस में मंदिर जा कर देवी भवानी के दर्शन करतीं और वहां कथाप्रवचन सुनतीं. धर्म के इन प्रवचनों में शादी की अहमियत को बताया जाता था.

मोहिनी देवी को बताया गया कि ‘बिना शादी किए घर के बेटेबेटियों की शादी में होने वाली पूजापाठ का फल नहीं मिलता है. मरने के बाद घरपरिवार का दिया पानी भी नहीं मिलता, इसलिए शादी करना जरूरी हो गया. बिना शादी के हमारे संबंध पवित्र नहीं माने जा रहे थे.’

बिना शादी के किसी को अपनी पत्नी बना कर रखने में औरत को ‘उढरी’ कहा जाता है. मोहिनी देवी को अब लग रहा था कि ‘उढरी’ कहलाना अच्छा नहीं होता है.

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शादीशुदा बनी मोहिनी देवी

40 साल पहले जब मोतीलाल मोहिनी देवी को अपने गांव ले कर आए थे, तो उन के पास शादी में खर्च करने लायक पैसा नहीं था. अपनी बिरादरी को खिलाने के लिए भी पैसे नहीं थे. ऐसे में वे बिना शादी किए ही मोहिनी देवी के साथ रहने लगे थे.

दलित जाति में बिना शादी के साथ रहने वाली औरत को ‘उढरी’ कहा जाता है. दलित जातियों की पंचायतों में नियम था कि अगर बिना शादी के कोई किसी औरत के साथ रह रहा है, तो पंचायत के चौधरी और पंचों को ‘भात’ खिलाना जरूरी होता था.

‘भात’ एक तरह की दावत होती है. जब तक ‘भात’ नहीं खिलाया जाता था, तब तक ‘उढरी’ औरत को शादीशुदा  नहीं माना जाता था. उस के बच्चों को  भी सामाजिक और धार्मिक मंजूरी नहीं मिलती थी. सामाजिक और धार्मिक मंजूरी के अलगअलग मतलब होते हैं. सामाजिक मंजूरी न मिलने के चलते उन के बच्चों के शादीब्याह नहीं हो सकते थे. बिरादरी के लोग उन को दावत में नहीं बुलाते थे.

धार्मिक मंजूरी में यह माना जाता है कि बच्चों के द्वारा किए गए क्रियाकर्म का पुण्य मातापिता को नहीं मिलता था. बहुत सारी दलित चेतना के बाद भी दलितों की रूढि़वादी सोच में अंतर नहीं आया है. आज भी वे धर्म के प्रभाव में हैं. ऐसी ही बातों के प्रभाव में आ  कर मोहिनी देवी ने मोतीलाल से कहा, ‘‘हमें भी शादी कर लेनी चाहिए, तभी हमें कर्मकांडों का हक मिल सकेगा और हमें ‘उढरी’ भी कोई नहीं कह सकेगा.’’

‘श्राद्ध’ और ‘पिंडदान’ का डर

मोहिनी देवी की बात का समर्थन उन के बच्चों ने भी दिया. इस के बाद घरपरिवार के लोगों ने मिल कर शादी का आयोजन किया.

यह शादी कराने वाले तेजराम पांडेय बताते हैं, ‘‘मोतीलाल ने मोहिनी देवी से धार्मिक रीतिरिवाज से शादी नहीं की  थी. धर्म कहता है कि ‘उढरी’ के लड़के मातापिता के मरने के बाद जब उन का श्राद्ध करते हैं, पिंडदान करते हैं, तो वह उन को नहीं मिलता है, जिस से उन को मोक्ष नहीं मिलता. इस बात की जानकारी होने पर अब यह शादी की जा रही है.’’

मरने के बाद होने वाले कर्मकांडों  में श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है. समाज में कर्मकांडों को इस तरह से महिमामंडित किया जा रहा है कि  40 साल एकसाथ रहने के बाद मोतीलाल और मोहिनी देवी को शादी का कर्मकांड करना पड़ा. इस से पूरे समाज को यह संदेश देने का काम किया गया कि बिना शादी के साथ रहने को धार्मिक मंजूरी नहीं है. शादी के सहारे धार्मिक कर्मकांडों को मजबूत करने की कोशिश की जा रही है.

मोहिनी देवी के मन में इस बात को ठूंसठूंस कर भर दिया गया कि जब तक कर्मकांड वाली शादी नहीं होगी, तब तक शादी मानी नहीं जाएगी. शादी करने के बाद ही मोहिनी देवी को पत्नी का दर्जा मिल सका. इस के पहले उन्हें ‘उढरी’ ही माना जा रहा था.

मोतीलाल और मोहिनी देवी पर कर्मकांड का इतना दबाव पड़ा कि उन्हें धार्मिक हिसाब से शादी करनी पड़ी. यह शादी तमाम तरह की रूढि़वादी सोच को उजागर करती है.

अमेठी जिले में तमाम धार्मिक स्थान हैं. पीपरपुर गांव में महर्षि पिप्पलाद का पौराणिक आश्रम है. सिंहपुर ब्लौक में मां अहरवा भवानी, मुसाफिरखाना में मां हिंगलाज देवी धाम, गौरीगंज में मां दुर्गाभवानी देवी, अमेठी में मां कालिकन देवी धाम सती महारानी मंदिर भी हैं.

इन जगहों पर मेले भी लगते हैं. तमाम तरह की मान्यताएं भी हैं. अपनी मन्नत पूरी करने के लिए दलित औरतें यहां बड़ी तादाद में आती हैं. धार्मिक कहानियों के प्रभाव में वे कर्मकांडों के कहे अनुसार चलने लगती हैं.

यहां के दलित बहुत सारी कोशिशों के बाद भी आगे नहीं बढ़ सके हैं. वे अगड़ी जातियों के पीछे ही चलते रहे हैं. चुनाव लड़ने वाली पार्टी कोई भी रही हो, यहां से जीतने वाले नेता हमेशा ही अगड़ी जातियों के रहते हैं.

वैक्‍सिनेशन में देश में यूपी बना नंबर वन

यूपी ने कोरोना टीकाकरण में दूसरे प्रदेशों को पीछे छोड़ते हुए अपने  नाम एक नया रिकार्ड हासिल किया है. महाराष्‍ट्र, दिल्‍ली, आंध्र प्रदेश, वेस्‍ट बंगाल समेत दूसरे कई राज्‍यों से आगे निकल 5 करोड़ 09 लाख से अधिक टीकाकरण की डोज दी हैं. यह आंकड़ा देश के दूसरे प्रदेशों से कहीं अधिक है. यूपी टीकाकरण के साथ ही सर्वाधिक जांच करने वाला प्रदेश है. ट्रिपल टी की रणनीति व टीकाकरण से यूपी में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर नियंत्रण में हैं. प्रदेश में वृहद टीकाकरण अभियान के तहत ‘सबका साथ, सबका विकास, सबको वैक्सीन, मुफ्त वैक्सीन’ के मूल मंत्र पर टीकाकरण किया जा रहा है.

प्रदेश में वैक्‍सीन की पहली खुराक 4 करोड़ 28 लाख से अधिक और 80 लाख से अधिक वैक्‍सीन की दूसरी डोज दी जा चुकी है. मेगा वैक्सिनेशन के दिन मंगलवार को एक दिन में सर्वाधिक टीकाकरण कर यूपी ने देश के दूसरे प्रदेशों के समक्ष नज़ीर पेश की. योगी सरकार ने मेगा वैक्सिनेशन ड्राइव के तहत एक दिन में 20 लाख लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया था जिसके सापेक्ष में यूपी ने 23.94 लाख वैक्सीन डोज दिए गए जो एक दिन में किया गया अब तक का सर्वाधिक टीकाकरण है. एक दिन में अब सबसे अधिक वैक्‍सीन की डोज लगाकर योगी सरकार ने रिकार्ड बनाया है. बता दें कि इससे पहले बीते 24 जून को नौ लाख तीन हजार लोगों को वैक्‍सीन की डोज दी गई थी.

अगस्त के अंत तक 10 करोड़ लोगों को टीका लगाने का निर्धारित किया लक्ष्‍य

यूपी में टीकाकरण अभियान को गति देते हुए शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में युद्धस्‍तर पर टीकाकरण किया जा रहा है. 31 अगस्‍त तक 10 करोड़ लोगों को टीका लगाने का लक्ष्‍य निर्धारित किया है. मिशन जून के तहत प्रदेश सरकार ने एक करोड़ लोगों को वैक्‍सीन की डोज लगाने का लक्ष्‍य निर्धारित किया था लेकिन प्रदेश में इससे कहीं अधिक एक करोड़ 29 हजार टीके की डोज दी गई.

यूपी ऐसे रहा महाराष्ट्र, दिल्ली और अन्य प्रदेशों से अव्वल

25 करोड़ के आबादी वाले उत्तर प्रदेश से देश के दूसरे प्रदेश टीकाकरण में कहीं पीछे हैं.  वेस्ट बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली समेत अन्य प्रदेशों में जहां काम आबादी होने के बावजूद टीकाकरण धीमी गति से चल रहा कहीं यूपी लगातार रिकॉर्ड बना रहा है. वेस्ट बंगाल में अब तक तीन करोड़ छह लाख, केरल में दो करोड़ नौ लाख, महाराष्ट्र में चार करोड़ 52 लाख, दिल्ली में एक करोड़ दो लाख और तमिलनाडु दो करोड़ 38 लाख ही वैक्सिनेशन किया गया है.

गृहमंत्री ने की यूपी सरकार की जमकर तारीफ

राजधानी लखनऊ में  यूपी स्‍टेट फॉरेंसिक साइंस इंस्‍टीट्यूट के शिलान्‍यास के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने यूपी को माफिया राज से मुक्ति दिलाने और महिलाओं की सुरक्षा व स्‍वावलंबन पर योगी सरकार की जमकर तारीफ की. अमित शाह ने कहा कि पहले का यूपी मुझे ठीक तरह से याद है. महिलाएं असुरिक्षत थी, दिन दहाड़े गोलियों चलती थी, यूपी में माफियाओं का राज था. आज यूपी में खड़ा हूं तो मुझे गर्व होता है कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने यूपी से माफियाराज खत्‍म कर दिया. महिलाएं अकेले बेफिक्र होकर कहीं भी जा सकती है. यूपी अपराधमुक्‍त है. योगी सरकार ने उत्‍तर प्रदेश का आगे ले जाने का काम किया है. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी भी कई मंचों से योगी सरकार की तारीफ कर चुके हैं.

अमित शाह ने कहा कि कोरोना काल के कारण लम्बे समय बाद मैं यूपी आया हूं. उन्‍होंने कहा आजादी मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, इस नारे से अंग्रेजी शासन की नींव हिला देने वाले स्‍व बाल गंगाधर तिलक की आज पुण्‍यतिथि भी है. देश की युवा पी‍ढ़ी को उनके दिखाए मार्ग पर चलकर देश का मान बढ़ाना चाहिए. यूपी 2022 में फिर से भाजपा की सरकार बनने जा रही है. जिनको इस तरह के सपने आ रहे हैं, वह ‘भारत माता की जय’ नारे से स्‍वागत करें.

कोरोना प्रबंधन व वैक्‍सीनेशन में यूपी अव्‍वल

अमित शाह ने कहा कि यूपी में अपराधियों और भ्रष्‍टाचारियों के मन में योगी सरकार का भय है. अपराधी यह तो उत्‍तर प्रदेश छोड़ चुके हैं या फिर जेल की सलाखों के पीछे हैं. मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के नेतृत्‍व में उत्‍तर प्रदेश तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है. कोरोना काल के दौरान बेहतरीन प्रबंधन हो या फिर रोजगार सबमें यूपी अव्‍वल रहा है. वैक्‍सीनेशन में यूपी पूरे देश में सबसे आगे हैं. भारतीय जनता पार्टी देश के विकास के लिए काम करती है. हमने कहा था कि शासन एक जाति के लिए नहीं बल्कि सबके लिए होगा. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जब गुजरात के मुख्‍यमंत्री थे तो गांधीनगर में राष्‍ट्रीय फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी बनाने का काम किया. उन्‍होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार जातियों और परिवार के आधार पर नहीं चलती हैं.

यूपी में आज महिलाएं व जनता सुरक्षित है

कार्यक्रम के दौरान मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि 2017 से पहले उत्‍तर प्रदेश को दंगों का प्रदेश माना जाता था. चारों तरफ माफियाओं का राज था. चार सालों में माफियाओं पर नकेल कसी गई. पुलिसिंग को बेहतर किया गया. चार सालों में पेशेवर माफियाओं और गैंगस्‍टरों की 1584 करोड़ रुपए की सम्‍पत्ति को जब्‍त किया गया. आज यूपी में महिलाएं व जनता आज अपने को सुराक्षित महसूस कर रही हैं. उत्तर प्रदेश में जो परिवर्तन हुआ है वो किसी से छिपा नहीं है. यूपी के इस परिवर्तन में सबसे अहम रोल गृहमंत्री अमित शाह का है.

50 एकड़ में बन रहा यूपी फॉरेंसिक इंस्‍टीट्यूट

प्रदेश सरकार का आपराधिक मामलों के जल्‍द निस्तारण के लिए सरोजनीनगर में 50 एकड़ की भूमि में यूपी स्‍टेट फॅारेंसिक साइंस इंस्टीट्यूट का निर्माण करा रही है. जो डीएनए के क्षेत्र में स्थापित किए जाने वाला या सेंटर ऑफ एक्सीलेंस अपने आप में देश में अनूठा संस्थान होगा. यह संस्‍थान प्रदेश के युवाओं को शिक्षा व रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्‍ध कराएगा. इस संस्‍थान में विज्ञान व आईटी वर्ग के छात्र विभिन्‍न विषयों में कोर्स कर सकेंगे. जहां पर विशेषज्ञों द्वारा उनको फारेंसिक साइंस, डीएनएन आदि के बारे में पढ़ाएंगे. 50 एकड़ में बनने वाले यूपी स्‍टेट फॉरेंसिक साइंस इंस्‍टीट्यूट सबसे खास बात यह है कि यहां पर गुजरात के गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय न्यायालय विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) के सहयोग से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर डीएनए की स्थापना की जाएगी. डीएनए के क्षेत्र में स्थापित किए जाने वाला यह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस अपने आप में देश का सबसे अनूठा संस्थान होगा .

प्रदेश में कोई भी भूखा नहीं रहना चाहिए : सीएम योगी

कोरोना की वैश्विक महामारी में भाजपा की डबल ईंजन सरकार हर जरूरतमंद और गरीब के साथ खड़ी है. केंद्र सरकार की ओर से 15 करोड़ लोगों को 11 महीने और राज्य सरकार की ओर से पांच महीने राशन फ्री दिया गया है. अब तक केंद्र और राज्य सरकार की ओर से करीब 10 करोड़ कुंतल राशन लोगों को फ्री दिया गया है. यह सिलसिला अभी नवंबर तक और चलने वाला है. ई-पॉस मशीनों से राशन वितरण कराने के कारण राज्य सरकार को इस साल मई तक करीब 3263 करोड़ से अधिक की सब्सिडी की बचत हुई है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना की पहली और दूसरी लहर में गरीबों और जरूरतमंदों को लेकर निर्देश दिया था कि एक भी जरूरतममंद राशन से वंचित न रहे. राशन कार्ड न हो, तो तत्काल बनाएं. प्रदेश में कोई भी भूखा नहीं रहना चाहिए. केंद्र सरकार की ओर से ‘‘प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजना’’ के तहत नवम्बर तक और राज्य सरकार की ओर से अगस्त तक मुफ्त राशन दिया जा रहा है. 25 करोड़ की आबादी वाले राज्य यूपी के 14.81 करोड़ लाभार्थियों को हर माह निशुल्‍क राशन दिया जा रहा है. फिलहाल, केंद्र सरकार की ओर से पिछले साल अप्रैल, मई, जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर, अक्तूबर, नवंबर और इस साल मई, जून और जुलाई तक करीब नौ करोड़ 99 लाख 97 हजार 815 कुंतल निशुल्क राशन दिया गया है. कोरोना काल में राज्य में किसी को राशन के लिए परेशान न होना पड़े, इसलिए राज्य सरकार की ओर से भी पिछले साल अप्रैल, मई, जून और इस साल जून, जुलाई में 23 लाख 60 हजार 402 कुंतल राशन निशुल्क दिया गया है.

43,572 कार्डधारकों ने दूसरे राज्यों और दूसरे राज्यों के 6616 कार्डधारकों ने प्रदेश में लिया राशन

प्रदेश के सभी नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में अन्तः जनपदीय राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी लागू है. साथ ही पिछले साल पांच फरवरी से प्रदेश में स्टेट लेवेल पोर्टेबिलिटी सुविधा लागू है. वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना के तहत प्रदेश में नेशनल पोर्टेबिलिटी की सुविधा पिछले साल जून से लागू है, जिसके तहत प्रदेश के 43,572 कार्डधारकों द्वारा अन्य राज्यों से और अन्य राज्यों के 6616 कार्डधारकों द्वारा उत्तर प्रदेश में राशन लिया गया है.

8137 से अधिक असहाय लोगों को उनके घर पर ही पहुंचाया गया राशन

केंद्र और प्रदेश सरकार की ओर से 16 महीने तक प्रति यूनिट पांच किलो राशन दिया गया है, यानि एक व्यक्ति को 80 किलो राशन अभी तक दिया जा चुका गया है. इसके अलावा खाद्य एवं रसद विभाग की ओर से प्रदेश के 8137 से अधिक असहाय लोगों को उनके घर पर ही राशन दिया गया है.

मरीजों और उनके परिजन का उत्पीड़न बर्दाश्‍त नहीं: योगी

कोरोना महामारी के बीच मरीजों और तीमारदारों को मुसीबतों का सामना न करना पड़े इसके लिए सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को एम्बुलेंस संचालन की व्यवस्थाओं की सतत निगरानी करने के आदेश दिए हैं. प्रदेश के सभी जनपदों में मरीजों को समय से एंबुलेंस की सेवा मिले इसके लिए सीएम ने एम्बुलेंस की उपलब्धता को सुनिश्चिति करने के आदेश जारी किए हैं. उन्‍होंने कहा कि किसी भी हाल में मरीजों और उनके परिजन का उत्पीड़न न हो इस बात का ध्‍यान रखा जाए. सीएम ने बैठक में निर्देश देते हुए कहा कि एम्बुलेंस की अनुपलब्धता के कारण अगर किसी की असमय मृत्यु की दुःखद घटना की सूचना मिली, तो दोषियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी.

प्रदेश में बेहतर चिकित्‍सीय सेवाओं के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार ने कोरोना संक्रमण की पहली व दूसरी लहर में खुद को हर स्‍तर पर बेहतर साबित किया है. सर्वाधिक आबादी वाला प्रदेश होने के बावजूद कोरोना पर लगाम लगाने वाले उत्‍तर प्रदेश के योगी के यूपी मॉडल की चर्चा आज देश के दूसरे प्रदेशों में है. प्रदेश के नौ जिलों में बीते 24 घंटों में कोरोना का एक भी एक्टिव केस नहीं मिला वहीं, अब एक्टिव कोविड केस की संख्या 729 ही रह गई है. जो दूसरे प्रदेशों के मुकाबले काफी कम है. रोजना ढाई लाख से तीन लाख टेस्ट करने वाले यूपी में नए केस की संख्या में हर दिन गिरावट दर्ज की जा रही है. जनपद अलीगढ़, अमरोहा, बस्ती, एटा, हाथरस, कासगंज, कौशांबी, महोबा और श्रावस्ती में अब कोविड का एक भी मरीज शेष नहीं है. यह जनपद आज कोविड संक्रमण से मुक्त हैं.

55 जिलों में नहीं मिला संक्रमण का एक भी केस

सर्वाधिक कोविड टेस्टिंग करने वाले राज्य यूपी में अब तक 06 करोड़ 52 लाख से अधिक कोविड सैम्पल की जांच की जा चुकी है. बीते 24 घंटों में 02 लाख 44 हजार से अधिक की गई जांचों में महज 42 नए मरीजों की पुष्टि हुई. इस दौरान 91 लोगों ने कोरोना को मात दी है. बता दें कि किसी भी जिले में दोहरे अंक में नए केस की पुष्टि नहीं हुई. वहीं, 55 जिलों में संक्रमण का एक भी नया केस नहीं मिला. केवल 20 जनपदों में ही इकाई अंक में मरीजों की पुष्टि हुई है. पॉजिटिविटी रेट 0.01 फीसदी व रिकवरी रेट 98.6 फीसदी दर्ज किया गया है. कानपुर में बीते दिन संक्रमित पाए गए 22 लोगों की गहन कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की गई. इनके परिजनों समेत संपर्क में आए लगभग 1,400 लोगों की कोविड टेस्टिंग कराई गई जिसमें एक भी पॉजिटिव मरीज की पुष्टि नहीं हुई.

टीकाकरण में अब भी यूपी है अव्‍वल

ट्रिपल टी, टीकाकरण और ठोस निर्णयों के चलते प्रदेश में कोविड संक्रमण की रफ्तार थम गई है. प्रदेश में टीकाकरण का कार्य तेजी से चल रहा है. अब तक प्रदेश में 04 करोड़ 71 लाख से अधिक कोविड वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है. प्रदेश के 03 करोड़ 94 लाख से अधिक लोगों ने कम से कम कोविड की एक खुराक ले ली है. यह किसी एक राज्य द्वारा किया गया सर्वाधिक वैक्सीनेशन है.

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