निसंदेह ऐतिहासिक ओलंपिक खेल में शिरकत करना ही सम्मान की बात है गौरव की बात है. ऐसे में अगर वंदना कटारिया और अन्य खिलाड़ी हाकी के सेमीफाइनल में अच्छा परफारमेंस नहीं दिखा पाए तो क्या किसी एक खिलाड़ी को उसके जाते पात को लेकर, उसे या उसके परिजनों को गाली दी जानी चाहिए या फिर अथवा उत्साहवर्धन करना चाहिए.

दरअसल,खिलाड़ी हमारे देश के गौरव हैं खेल में हार जीत तो होती ही है. और खेल को खेल भावना के साथ खेलने की नसीहत दी जाती है. ऐसे में अगर दो चार लोग उत्तेजित होकर के किसी खिलाड़ी के घर के सामने नारेबाजी करने लगे तो यह देश के लिए शर्मनाक है. ऐसे लोगों को माफ नहीं किया जाना चाहिए.

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ऐतिहासिक तोक्यो ओलंपिक के एक सौ पच्चीस साल का आगाज और खेलों का आनंद लोग उठा रहे हैं.ऐसे में सेमीफाइनल में अर्जेंटीना से हारने के बाद भारतीय महिला हॉकी टीम की सदस्य वंदना कटारिया के परिजनों के साथ कथित तौर पर गाली-गलौच तथा जातिसूचक टिप्पणी घटना घटित हो गई जो यह बता रही है कि अभी भी हमारे देश के कुछ अंचल में कैसी क्षुद्र भावना रखते हुए लोग जिंदगी बसर कर रहे हैं.

वस्तुत: जातिसूचक शब्दों के प्रयोग और घर के सामने पटाखे जलाकर अपमानित करने के संदर्भ में पुलिस ने बृहस्पतिवार को हरिद्वार जिले के रोशनाबाद क्षेत्र में एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर भारतीय दंड विधान की धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध किया है जो एक सबक हो सकता है कि हमें जाती पाती भेदभाव से ऊपर उठना चाहिए.

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