Film Review- शुभो बिजया: गुरमीत चौधरी व देबिना बनर्जी का बेहतरीन अभिनय

रेटिंग: तीन स्टार

निर्माता:एसोर्टेड मोशन पिक्चर्स, जीडी

प्रोडक्शन और वहाइट एप्पल

निर्देशक: राम कमल मुखर्जी

कलाकार: गुरमीत चैधरी, देबिना बनर्जी, खुशबू कारवा व अन्य

अवधि: 52 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्म: बिग बैंग

पत्रकार से निर्देशक बने राम कमल मुखर्जी ने पहले रितुपर्णो घो-ुनवजय  को श्रृद्धांजली देेते हुए फिल्म ‘‘सिटिजंस ग्रीटिंग्स’’ बनायी थी और अब ओ हेनरी की सबसे चर्चित लघु कहानी ‘गिफ्ट ऑफ मैगी’ को एक काव्यात्मक श्रद्धांजलि देनेके लिए फिल्म ‘‘षुभो बिजया’’ लेकर आए हैं. जो कि ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘बिग बैंग’’ पर स्ट्रीम हो रही है.

कहानी:

यह कहानी मशहूर फैशन फोटोग्राफर शुभो(गुरमीत चैधरी) और मशहूर फैशन मॉडल विजया (देबिना बनर्जी ) के इर्द गिर्द घूमती है. कहानी शुरू होती है कलकत्ता में अंधे शुभो के आरती(खुश्बू कारवा )के कैफे हाउस में पहुंचने से. जहां कैफे हाउस में आरती, शुभो को काफी पिलाते हुए उससे बिजया को लेकर सवाल करती है, तब शुभो को अपना अतीत याद आता है.

फैशन फोटोग्राफर के रूप में शुभो की तूती बोलती है.तमाम मॉडल, लड़कियां उसकी दीवानी हैं.मगर शुभो तो मशहूर फैशन मॉडल बिजया का दीवाना है. धीरे धीरे दोनों एक दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं और फिर शादी कर लेते हैं. जीवन खुशहाल जा रहा था कि अचानक पता चलता है कि बिजया को चौथे स्टेज का त्वचा कैंसर/स्क्रीन कैंसर है. विजय डॉ. रश्मी गुप्ता से कहती है कि यह सच शुभो को नहीं पता चलना चाहिए. पर एक दिन जब शुभो कार चला रहा था, तब डा. रश्मी गुप्ता फोन करके शुभो को सच बताती है, इस सच को सुनकर शुभो की कार का एक्सीडेंट हो जाता है.

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और शुभो की आंखो की रोशनी चली जाती है. उसके बाद वह अंधा बनकर चलने वगैरह की ट्रेनिंग लेता है. पर एक दिन बिजय, शुभो को छोड़कर चली जाती है. कुछ समय बाद शुभो वह घर और उस शहर को छोड़ने का फैसला कर लेता, जिस घर व शहर से बिजया की यादें जुड़ी हुई हैं. इस बीच शुभो की काफी खत्म हो चुकी है. आरती उससे कहती है कि कुछ लोग उसे मिस करेंगं.

शुभों काफी हाउस से निकलकर अपने घर पहुंचता है, जहां उसका सारा सामान पैक हो चुका है. फिर एक ऐसा सच सामने आता है,जो प्यार के नए चरमोत्क-नवजर्या को दिखाता है.

लेखन व निर्देशनः

ई-रु39या देओल के साथ ‘केकवॉक’,सेलिना जेटली के साथ ‘सीजन्स ग्रीटिंग्स’ और अविना-रु39या द्विवेदी के साथ ‘‘रिक्-रु39याावाला’की अपार सफलता व कई पुरस्कारों से नवाजे जा चुके राम कमल मुखर्जी ने फिल्म ‘‘शुभो बिजया’’ भी अपनी निर्देशकीय प्रतिभा को उजागर किया है.

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वह बहुत स्प-नवजयटता के साथ युगल के बीच के रि-रु39यते में कड़वे मधुर क्षणों को उजागर करते हैं. मगर बीच में पटकथा शिथिल पड़ जाती है. निर्देशक राम कमल मुखर्जी मूलतः बंगाली हैं, तो उम्मीद थी कि वह इस फिल्म में बंगाली विवाह को विस्तार से दिखाएंगे,मगर उन्होंने बहुत ही लघु रास्ता अपनाया.

अभिनयः

मशहूर युवा फै-रु39यान फोटोग्राफर की भूमिका में गुरमीत चैधरी ने उत्कृनवजयट अभिनय किया है. अंधे इंसान की भूमिका में वह अपनी अभिनय प्रतिभा से द-रु39र्याकों को आ-रु39यचर्य चकित करते हैं. वहीं मशहूर फैशन मॉडल बिजया के जटिल किरदार को देबिना बनर्जी ने जीवंतता प्रदान की है. खुश्बू कारवा के हिस्से करने को कुछ खास आया ही नही.

सपना चौधरी के बेटे का नाम आया सामने, ट्रोल हो रहे हैं सैफ-करीना

हरियाणवी डांसर सपना चौधरी अक्सर सुर्खियों में छाई रहती हैं. अब एक्ट्रेस के बेटे का नाम चर्चे में है. दरअसल  सपना चौधरी के बेटे 4 अक्‍टूबर को एक साल के हो गये. और इस खास मौके पर सपना चौधरी ने अपने बेटे का नाम सार्वजनिक कर दिया. बच्चे का नाम करीना कपूर और सैफ अली खान से जोड़ा जा रहा है. तो आइए जानते हैं सपना के बेटे का नाम करीन-सैफ से क्यों जुड़ा है.

दरअसल सैफ अली खान के बेटे का नाम तैमूर है तो वहीं सपना चौधरी के बेटे का नाम पोरस है. बता दें कि पोरस एक शासक था जिसने तैमूर और जहांगीर को धूल चटा दी थी. तैमूर एक क्रूर शासक था जिसने हिंदुओं पर बहुत अत्‍याचार किए थे. ऐसे में सपना चौधरी के बेटे के नाम को लेकर सभी जगह से अच्‍छी प्रतिक्रियांए आ रही हैं.

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फैंस सैफ अली खान और करीना कपूर को फिर से फैंस ट्रोल कर रहे हैं. सपना चौधरी के बेटे की पहली तस्‍वीर देखने के लिए भी फैंस को बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. जैसे ही सपना के बेटे का फोटो सोशल मीडिया पर आया, यह फोटो वायरल होने लगी.

 

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सपना चौधरी और वीर साहू की शादी जनवरी 2020 में हुई थी. वीर को सपना पहली नजर में भा गई थी. सपना चौधरी के मां बनने की खबर आने के बाद फैंस ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया था. सपना के पति वीर साहू ने ट्रोलर्स पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने केस भी दर्ज करवाई.

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इतना ही नहीं, वीर साहू ने कहा था कि सपना के खिलाफ बोलने वालों को मेरा खुला चैलेंज हैं जहां मिलना है वहां मिलकर मुझसे बात कर सकते हैं. खबरों की माने तो वीर साहू को जब रोहतक के महम चौबीसी के प्रचलित चबूतरे पर पहुंचने की चुनौती मिली तो वे एक लंबे काफिले के साथ वहां पहुंच गए थे.

हिंदी फिल्म ‘‘अंधाधुन’’ की मलयालम रीमेक ‘‘भ्रामम’’ का ट्रेलर हुआ वायरल, देखें Video

अमेजन प्राइम वीडियो पर सात अक्टूबर से स्ट्रीम होगी रवि के चंद्रन निर्देशित मलयालम रोमांचक अपराध फिल्म ‘‘भ्रामम’’ 2018 में श्रीराम राघवन दृष्टिहीन होने का नाटक करने वाले पियानो वादक की कहानी पर रहस्य प्रधान रोमांचक अपराध फिल्म ‘‘अंधाधुन’’ लेकर आए थे,जिसे जबरदस्त सफलता मिली थी. इस फिल्म में उत्कृष्ट अभिनय करने के लिए अभिनेता आयुष्मान खुराना को कई पुरस्कार भी मिले थे.

अब उसी फिल्म को मलयालम भाषा में निर्देशक रवि के चंद्रन ‘‘भ्रामक’’ नाम से लेकर आ रहे हैं, जिसमें मलयालम सुपर स्टार पृथ्वीराज सुकुमारन की मुख्य भूमिका है. इसे अमेजाॅन प्राइम वीडियो ने सात अक्टूबर 2021 से स्ट्रीम करने का फैसला किया है. पृथ्वीराज सुकुमारन ने स्वयं ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है. पृथ्वीराज सुकुमारन ने अपने ट्वीट में यह भी लिखा है कि ‘कोरोना’महामारी के चलते केरला में अभी तक थिएटर बंद है,इसलिए यह निर्णय हुआ है.

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फिल्म के स्ट्रीम होने से पहले मलयालम क्राइम थ्रिलर फिल्म ‘‘भ्रामम’’ का ट्रेलर बाजार में आते ही वायरल हो चुका है. एपी इंटरनेशनल और वायकॉम18 स्टूडियोज द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित फिल्म ‘‘भ्रामम’’ में पृथ्वीराज सुकुमारन की मुख्य भूमिका के अलावा उन्नी मुकुंदन, राशी खन्ना, सुधीर करमना और ममता मोहनदास सहित कई प्रतिभाशाली कलाकार प्रमुख भूमिकाओं में हैं.

‘‘भ्रामम का ट्रेलर रे मैथ्यूज के जीवन की एक झलक पेश करता है. पियानो वादक रे मैथ्यूज (पृथ्वीराज सुकुमारन ) खुद को दृष्टिहीन होने का नाटक करता है. जिसे अपने संगीत में एकांत मिलता है. लेकिन उसका संगीतमय रहस्य,उस वक्त रहस्य से भर जाता है, जब वह एक हत्या का गवाह बनता है और कई समस्याओं में उलझ जाता है. झूठ और छल का पर्दाभास होने पर पियानो वादक रे को अपनी जिंदगी बचाने के लिए मेजें बदलनी पड़ती है. संगीतकार जेक्स बिजॉय द्वारा रचे गए तार्किक पृष्ठभूमि संगीत के साथ, फिल्म एक अच्छी तरह से तैयार की गई पटकथा, एक अविश्वसनीय सहायक कलाकार और मुख्य भूमिका में पृथ्वीराज द्वारा एक शानदार प्रदर्शन पर आधारित है.

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फिल्म के प्रीमियर पर टिप्पणी करते हुए अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन ने कहा-“एक नेत्रहीन पियानोवादक की भूमिका निभाना एक कलाकार के रूप में एक बेरोजगार क्षेत्र में जाने जैसा था. लेकिन मुझे इस तरह के बारीक और स्तरीय चरित्र को चित्रित करने में बहुत मजा आया. भ्रामम एक अच्छी तरह से गढ़ी गई मर्डर मिस्ट्री है और दिलचस्प तत्वों से भरी हुई है,जो मलयालम दर्शकों और उससे आगे के लिए अपील करनी चाहिए. मैं अमेजॅन प्राइम वीडियो पर भ्रम के प्रीमियर की प्रतीक्षा कर रहा हूं और मुझे उम्मीद है कि इस फिल्म को दर्शकों से उतना ही प्यार और सराहना मिलेगी, जितना मुझे इस परियोजना के लिए काम करने में मजा आया, जो मेरे दिल के करीब है. ”

 

Film Review-‘‘निर्मल आनंद की पप्पी”: कमजोर लेखन व निर्देशन

रेटिंग: डेढ़ स्टार

निर्माताः गिजू जाॅन व संदीप मोहन

लेखक व निर्देशकः संदीप मोहन

कलाकार: करनवीर खुल्लर,गिलियन पिंटो,खुशबू,सलमिन शेरिफ,विपिन हीरो,सफून फारुकी,अविनाश कुरी, ज्योति सिंह, अमन शुक्ला,अश्वनी कुमार, नैना सरीन व अन्य

अवधि: एक घंटा चालिस मिनट

मुंबई जैसे शहरों में एकरसता का जीवन जीने वाले परिवारों और आधुनिक  रिश्तों पर फिल्म ‘‘निर्मल आनंद की पप्पी’ लेकर आए हैं. फिल्मकार संदीप मोहन, जो कि सत्रह सितंबर को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी.

कहानीः

एक मधुमेह विरोधी दवा कंपनी में कार्यरत एम आर निर्मल आनंद (करनवीर खुल्लर) और उसकी ईसाई पत्नी सारा (गिलियन पिंटो) के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है.दंपति अपनी बेटी ईषा व पालतू कुत्ते परी के साथ मुंबई में एक आरामदायक जिंदगी जीते हुए जल्द ही अपने दूसरे बच्चे की उम्मीद कर रहे हैं.माता-पिता के समर्थन के अभाव में उनका पारिवारिक नेटवर्क उनके प्यारे कुत्ते परी तक ही सीमित है.निर्मल को यह पसंद नहीं कि उनकी बेटी ईषा हमेशा इमारत में अन्य लड़कियों की बजाय एक लड़के दीपू के साथ ही खेले.

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बेटी की देखभाल करने के लिए वह पत्नी को पूर्णकालिक नौकरी करने नही देता. लेकिन एक के बाद एक होने वाली दो घटनाओं से निर्मल को पता चलता है कि उसे मधुमेह/ डायबिटीज है.वह कुछ दिन मधुमेह से छुटकारा पाने के लिए उपाय करने लगता है और काम करने में उसका मन नहीं लगता.यह एक बड़ी विडंबना को चिह्नित करता है,जो उसके अहंकार के लिए एक बड़ा झटका बन जाता है.

इसी बीच परी का भी निधन हो जाता है. दोनों घटनाओं का योग इस घनिष्ठ रूप से बंधे परिवार पर काफी असर डालता है.तभी निर्मल आनंद को अचानक एक फिल्म में अभिनय करने का अवसर मिलता है. जिसमें वह टैक्सी ड्रायवर का किरदार निभाता है.यहीं से उसकी पत्नी के साथ उसके संबंधों में तनाव आता है. जैसे ही निर्मल अपनी पहली फिल्म की शूटिंग शुरू करते हैं, दंपति की जिंदगी में दूरियां बढ़ने लगती है.फिल्म में निर्मल का चुंबन दृश्य करना सारा को रास नही आता.

लेखन व निर्देशनः

फिल्म की पटकथा बहुत धीमी गति से चलती है.फिल्म में कई दृश्यों को दोहराव है.खासकर जब निर्मल एक अभिनेता बनने की इच्छा रखते हैं और एक टैक्सी चालक के जीवन के बारे में अपनी समझ को सुधारने के लिए विधि अभिनय तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं. अपने पालतू कुत्ते (परी) के प्रति दंपति के लगाव को विकसित करने में बेवजह फिल्म खींची गयी.फिर भी उसे केवल एक सहारा के रूप में उपयोग किया गया है.

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जबकि कुत्ते परी के माध्यम से कहानी में बहुत कुछ रोचक तत्व पिरोए जा सकते थे,पर लेखक व निर्देषक मात खा गए.संवाद प्रभावशाली नही बन पाए हैं.फिर भी यह फिल्म एक सामान्य व्यक्ति के जीवन को काफी सरल तरीके से चित्रित करने में सफल है.फिल्म का क्लायमेक्स बहुत साधारण है.फिल्म की कहानी में जितने भी मोड़ हैं,उनका अहसास पहले से ही हो जाता है.यह लेखक व निर्देशक दोनों की विफ लता हैं. फिल्म के कैमरामैन ने बहुत निराश किया है.

अभिनयः

निर्मल के किरदार में अभिनेता करनवीर खुल्लर ने अच्छा अभिनय किया है. कुछ दृश्यों में उनके चेहरे के भाव उन्हे बेहतरीन कलाकार के रूप में उभारते हैं.उनके हाव-भाव से पता चलता है कि वह किस दौर से गुजर रहे हैं. गिलियन पिंटो को ऑन-स्क्रीन देखना एक खुशी की बात है.वह सहजता से एक मां,एक जिम्मेदार पत्नी और एक कामकाजी महिला की भावनाओं को व्यक्त करती है.पर एक उत्कृष्ट अदाकारा बनने के लिए उन्हें अभी मेहनत करने की जरुरत है. अन्य कलाकारों का अभिनय ठीक ठाक है.

Sunny Leone पहली बार बहुभाषी फिल्म ‘‘शेरो’’ में आएंगी नजर

इन दिनों पूर्व पाॅर्न स्टार और बौलीवुड अदाकारा सनी लियोन दक्षिण भारत में अपने कैंरियर की पहली बहुभाषी मनोवैज्ञानिक रोमांचक फिल्म ‘‘शेरो” की  शूटिंग पूरी करने के बाद अति उत्साहित हैं. मूलतः तमिल भाषा में फिल्मायी गयी श्रीजीत विजयन निर्देशित फिल्म ‘‘शेरो’’ हिंदी, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम भाषा में भी प्रदर्तशि की जाएगी.

फिल्म ‘‘शेरो’’ में सनी लियोन अमेरिका में जन्मी एक महिला सारा माइक की भूमिका में नजर आएंगी, जिनकी जड़ें भारत में हैं.सारा अपनी छुट्टियां बिताने के लिए जब भारत आती है,तब उसके साथ जिस तरह की घटनाएं घटित होतीहैं,उसी का इस फिल्म में चित्रण है.

फिल्म ‘‘शेरो’’ के निर्देशक श्रीजीत विजयन कहते हैं-‘‘ रोमांचक फिल्म का नाम सुनते ही हर इंसान के दिमाग मेें पहली बात अपराध के घटित होने की आती है.उसके बाद जांच और उससे जुड़ी हर तरह की बातें आती हैं.लेकिन हमारी फिल्म ‘शेरो‘ एक ऐसी फिल्म है,जो चरित्र के मनोविज्ञान में गहराई से उतरती है.”

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श्रीजीत विजयन अभिनेत्री सनी लियोन की तारीफें करते हुए कहते हैं-‘‘सनी लियोन एक बेहतरीन पेशेवर कलाकार हैं.चाहे सेट पर पहुंचने की उनकी समयबद्धता हो या चरित्र को समझने की उनकी कोशिश, सनी  लियोन अपने काम को लेकर बहुतगंभीर हैं. हमने शूटिंग से पहले एक वर्कशॉप आयोजित की थी.यहाँ दक्षिण में हम आमतौरपर कार्यशालाएं नहीं करते हैं. लेकिन, इस कार्यशाला ने वास्तव में काम को गति देने में हमारी मदद की.

उसने एक सप्ताह की कार्यशाला में भाग लिया, हमने चरित्र पर अच्छी तरह से चर्चा की और इसलिए शूटिंग तुलनात्मक रूप से आसान थी, यह देखते हुए कि वह कितनी बड़ी स्टार है.” फिल्म ‘शेरो‘ का निर्माण अंसारी नेक्सटल और रविकिरण द्वारा स्थापित ‘इकीगाई मोशन पिक्चर्स’ के बैनर तले किया गया है.‘इकीगााई’’ एक जापानी शब्द है.जिसका अर्थ है ‘एक होने का कारण‘ और ‘इकोगाई मोषन पिक्चर्स’ अच्छी फिल्मों के माध्यम से दर्शकों का मनोरंजन, उत्साहित और प्रेरित करने की दृष्टि से स्थापित किया गया है. फिल्म के कैमरामैन मनोज कुमार खटोरी, संगीतकार घिबरन हैं.‘शेरो‘ की कार्यकारी निर्माता जयश्री डी.,एडीटर वी.साजन द्वारा संपादन,कास्ट्यूम डिजायनर स्टेफी जेवियर हैं.

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Film Review- हेलमेटः कमजोर लेखन व निर्देशन

रेटिंगः एक स्टार

निर्माताःसोनी पिक्चर्स और डीनो मोरिया

निर्देशकः सतराम रमानी

कलाकार: अपारशक्ति खुराना, प्रनूतन बहल, अभिषेक बनर्जी, आशीष विद्यार्थी, शारिब हाशमी, रोहित तिवारी, सानंद वर्मा, हिमांशु कोहली, दीपक वर्मा,जयशंकर त्रिपाठी,अनुरीता झा, श्रीकांत वर्मा और अन्य.

अवधिः एक घंटा 44 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्म: जी 5

भारत में बहुत से विषयों पर बात करने से लोग हिचकते हैं. कुछ चीजों पर बात करना ‘टैबू’बना हुआ है. उन्हीं में से जनसंख्या नियंत्रण के उपाय के तौर पर कंडोम का उपयोग करना भी षामिल है. हमारे देश में कंडोम खरीदते हुए लोग झिझकते हैं.कंडोम के बारें में बात करना भी गंवारा नही है.इसी मुद्दे पर फिल्मकार सतराम रमानी फिल्म ‘‘हेलमेट’’ लेकर आए हैं,जो कि तीन सितंबर से ‘जी 5’’पर स्टीम हो रही है.

कहानीः

जोगी(अशीष विद्यार्थी) के साले गुप्ता(श्रीकांत वर्मा ) की शादी व्याह में बैंड बाजा बजाने वाली बैंड कंपनी है, जिसमें गीत गाने वाले अनाथ युवक लक्की(अपारषक्ति खुराना ) संग जोगी की बेटी रूपाली(प्रनूतन बहल) को प्यार है. लक्की और रूपाली के बीच प्यार की खिचड़ी पकते हुए चार वर्ष हो गए हैं. एक शादी के मौके पर जहां फूलों से सजावत करने का काम रूपाली करते हैं.वहीं रूपाली व लक्की को एक कमरे में एकांत मिलता है,पर हमबिस्तर होने केे लिए रूपाली,लक्की से कंडोम लेकर आने के लिए कहती है.

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लक्की, शंभू मेडिकल स्टोर पर जाने के बावजूद कंडोम नहीं खरीद पाता. रूपाली कहती है कि लक्की उसके पिता जोगी से उसका हाथ मांगकर शादी कर ले. लक्की जोगी के पास जाता है, मगर रूपाली के सामने ही जोगी,लक्की से कहते हैं कि वह रूपाली की शादी अमरीका में रह रहे विक्रम से करेंगे,जिसकी कमायी तीन लाख है. इतना ही नहीं गुप्ता जी लक्की को अपने बैंड से बाहर का रास्ता दिखा देते हैं.अब लक्की के पास नौकरी नही है.अपना खुद का बैंड शुरू करने के लिए पैसे नही है.

उसका दोस्त माइनस(अषीष वर्मा ) भी बेरोजगार है.माइनस के दोस्त सुल्तान(अभिषेक बनर्जी ) को बंटी (शारिब हाशमी) का कर्ज चुकाना है. अब लक्की,माइनस व सुल्तान तीनों योजना बनाकर एक ट्क से मोबाइल से भरे डिब्बे समझ कर चुुराते हैं.पर उन डिब्बों में मोबाइल की बजाय कंडोम के छोटे छोटे डिब्बे निकलते हैं.अब क्या करेे?तब तीनो हेलमेट पहनकर अपनी शक्ल व पहचान छिपाकर कंडोम के छेटे डिब्बे बेचना शुरू करते हैं. रूपाली भी उनका साथ देती है.पैसे आते ही लक्की अपना ‘‘लक्की ब्रास बैंड’’ शुरू करता है. पर जोगी, गुप्ता से कहते हैं कि लक्की का बैंड शुरू न होने पाए.उसके बाद कई घटनाकम्र तेजी से बदलते हैं.

लेखन व निर्देशन:

आयुष्मान खुराना जिस तरह की फिल्में करते हैं,उसी तरह की फिल्म सतराम रमानी ‘हेलमेट’लेकर आए हैं,मगर पटकथा बहुत कमजोर हैं. कहानी में नयापनद नही है.इस तरह की प्रेम कहानी साठ व सत्तर के दशक में काफी नजर आती थीं.इतना ही नही फिल्म में लक्की व रूपाली के रोमांस को भी ठीक से चित्रित नहीं किया जा सका.सब कुछ एकदम मोनोटोनस है. फिल्म में ह्यूमर का घोर अभाव है. जबकि इस तरह के विषय वाली फिल्म में ह्यूमर तो अनिवार्य रूप से होना चाहिए.कुछ दृश्य बड़े अजीबोगरीब हैं.दो दशक पूर्व एड्स की बीमारी का हौव्वा पैदा हुआ था.

उस वक्त एड्स जागरूकता मिशन के तहत कई एनजीओ कार्यरत हुए थे, उसी की पृष्ठभूमि में 2021 में लोगों को जन्म नियंत्रण के बारे में शिक्षित करने के साथ-साथ ‘कंडोम’खरीदने की शर्म और शर्मिंदगी को पेश करने का यह असफल प्रयास है. इस तरह के विषयों में ह्यूमर व व्यंग्य अनिवार्य होता है.पर सतराम रामनी बुरी तरह से मात खा गए.हास्य के दृश्य मेलोडमौटिक हो गए हैं. हकीकत में लेखन व निर्देशन इस कदर कमजोर है कि एक बेहतरीन विषय का सट्टानाश हो गया है.

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अभिनय:

अफसोस अपारशक्ति अपने अभिनय को निखार नही सके.लक्की के किरदार में अपारशक्ति खुराना को देखकर इस बात का अहसास हुआ कि उनके अंदर की अभिनय क्षमता को निकालने का काम अच्छा निर्देषक ही कर सकता है.क्योकि पिछली फिल्मों में अपारशक्ति बेहतरीन अभिनय कर चुके हैं. अपारशक्ति खुराना और आशीष वर्मा के पास तो स्वाभावकि मजाकिया गुण है,मगर वह भी इस फिल्म में नजर नहीं आया.अभिषेक बनर्जी का काम अच्छा है.आशीष वर्मा भी जमे नही. प्रनूतन बहल खूबसूरत लगने के अलावा कुछ नही कर पायी.उन्हे अपनी अभिनय प्रतिभा को निखारने के लिए काफी मेहनत करने की जरुरत है.अशीष विद्यार्थी की प्रतिभा को जाया किया गया है.षारिब हाषमी ने फिल्म क्यों की,यह समझ से पर है.

आमीर खान के भाई फैसल खान निर्देशित फिल्म ‘‘फैक्ट्री’’ में होशंगाबाद निवासी शरद सिंह बने मुख्य विलेन

बौलीवुड में सफलता पाना किसी के लिए भी संभव नही है. कम से कम देश के गाॅंव व छोटे शहरों में रहने वालों के लिए तो बौलीवुड दूर की कौड़ी ही है. क्योंकि बौलीवुड में गुटबाजी और नेपोटिजम का
बोलबाला है.जिसके चलते कुछ लोग आजीवन संघर्ष करते रह जाते हैं,पर सफलता नसीब नहीं होती.

मगर होशंगाबाद में रहने वाले शरद सिंह खुद  को भाग्यशाली मानते हैं कि उनका 18 वर्ष का संघर्ष अब रंग ला रहा है. होशंगाबाद के एक गरीब परिवार में जन्में षरद सिंह बचपन से ही अभिनेता
बनना चाहते थे.पर उनके पास अभिनय सीखने के लिए पैसे नही थे.किसी दूसरी जगह जाने के लिए किराए के पैसे नहीं थे. इसलिए वहीं पर स्ट्रीट  नाटक किया करते थे.18 वर्ष पहले उनका एक दोस्त उन्हे झांसी के पास ओरछा ले गया, जहां पर अभिनेता,निर्माता व निर्देषक राजा बुंदेला अपनी फिल्म ‘‘प्रथा’’ की शूटिंग कर रहे थे.

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राजा बुंदेला ने शरद सिंह को अपनी फिल्म ‘प्रथा’में एक पुलिस वाले का किरदार निभाने का अवसर दिया.पर इससे उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ. शरद सिंह ने एम आर की नौकरी करनी षुरू कर दी.फिर जब प्रकाश झा अपनी फिल्म ‘आरक्षण’की षूटिंग भोपाल में कर रहे थे, तब शरद सिंह को इस फिल्म में अभिनय करने का अवसर मिला.इसके बाद उन्होने अरशद वारसी की फिल्म ‘फ्रॉड सइयां’में अभिनय किया.फिर निर्देशक रविन्द्र गौतम अपने टीवी सीरियल ‘‘अरमानों का बलिदान’’की शूटिंग करने हौशंगाबाद  गए तो उन्होने शरद को इस सीरियल में बड़ा किरदार निभाने का अवसर मिला.

इसके बाद राजपाल यादव के साथ फिल्म ‘बांके की क्रेजी बारात’भी की.मगर अब 18 वर्ष के संघर्ष के बाद शरद सिंह को सही मायनो में बौलीवुड से जुड़ने का अवसर मिला है.शरद सिंह अब तीन सितंबर को सिनेमाघरों में प्रदर्तशि होने वाली फिल्म‘‘फैक्ट्री ’’में मुख्य खलनायक के किरदार में हैं.फिल्म ‘फैक्ट्ी’ के निर्माता,निर्देषक व हीरो फैसल खान हैं,जो आमीर खान के सगे भाई हैं. इसमें शरद सिंह ने जबरदस्त एक्षन किया है और उन पर दो गाने फिल्माए गए हैं. तो वहीं वह एक बहुत बड़े निर्देशक की फिल्म के साथ ही एक बड़े ओटीटी प्लेटफार्म की वेब सीरीज में भी सितंबर के अंत तक नजर आएंगे.

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खुद शरद सिंह कहते है- ‘‘मेेरे अंदर अभिनय का जुनून था.मैं किशोर वय में हर दिन होशंगाबाद, मध्यप्रदेश से मुम्बई जाने वाली ट्रेन ‘पंजाब मेल’ के पैर छूता था और मन्नत मांगता था कि एक दिन यह ट्रेन मुझे भी मुम्बई ले जाए.फिर कुछ छिटपुट काम किए.पर अब मेरा 18 वर्ष का संघर्ष रंग लाया है. आमीर खान के भाई फैसल खान निर्देषित फिल्म ‘फैक्ट्री’ एक सस्पेन्स थ्रिलर फिल्म है,जिसमें मैंने मुख्य विलेन का किरदार निभाया है.यह किरदार मेरी जिंदगी के सबसे महत्वपूर्ण किरदारों में से एक है यह फिल्म तीन सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी.’’

शरद सिंह आगे कहते हैं- ‘‘फिल्म ‘फैक्ट्ी’के अलावा मैने अमित गुप्ता की एक फिल्म की है,जिसमें मुख्य खलनायक का किरदार है.एक वेब सीरीज ‘व्हेयर आई लॉस्ट यू’जल्द आएगी.तो वहीं बौलीवुड के दिग्गज निर्देशक के साथ फिल्म तथा एक बड़े प्रोडक्शन हाउस की वेब सीरीज कर रहा हूं.’’

Film Review: ‘चेहरे’- तर्क से परे व कमजोर पटकथा व निर्देशन

रेटिंग: ढाई स्टार

निर्माताः अनांद पंडित मोषन पिक्चर्स और सरस्वती

इंटरटेनमेंट प्रा.लिमिटेड

निर्देशक: रूमी जाफरी

लेखक:रंजीत कपूर ओर रूमी जाफरी

कलाकार: अमिताभ बच्चन, इमरान हाशमी, क्रिस्टल डिसूजा,रिया चक्रवर्ती, अन्नू कपूर,सिद्धांत कपूर, समीर सोनी,रघुवीर यादव एलेक्स ओ नील,धृतिमान चटर्जी

अवधिः दो घंटे 19 मिनट

प्लेटफार्मः सिनेमाघरों में

1992 से अब तक पचास से अधिक काॅमेडी फिल्मों के लेखक अब बतौर निर्देशक रूमी जाफरी अब एक रहस्य रोमांच प्रधान फिल्म ‘‘चेहरे’’ लेकर आए हैं, जो कि 27 अगस्त से सिनेमाघरों में देखी जा सकती है. मगर महाराष्ट् में नही,क्योंकि महाराष्ट् राज्य में सिनेमाघर बंद हैं.फिल्म समाज में न्याय व कानून की विफलता की बात करती है.मगर हल नही बताती. यूं तो फिल्म ‘‘चेहरे’’ कोर्ट रूम ड्रामा  है,मगर इसमें अदालत की बजाय सारी कारवाही एक अवकाश प्राप्त जज जगदीष आचार्य के बंगले में होती है.

कहानीः

देश के किसी अतिबर्फीले और जंगलों के बीच एक बंगले में अस्सी वर्षीय अवकाश प्राप्त जज जगदीश आचार्य ( धृतिमान चटर्जी ) रहते हैं. वह हर दिन अपने दोस्तों के समूह के साथ वास्तविक जीवन के किसी भी इंसान के साथ एक खेल खेलते हैं,जिसमें इस बात को तय करते हैं कि न्याय दिया गया है या नहीं. यदि न्याय नही हुआ है,तो वे सुनिश्चित करते हैं कि न्याय किया गया.इनका मानना है कि हर इंसान अपनी जिंदगी में कोई न कोई अपराध कर सजा पाने से बच जाता है.

अब जज अपने घर में उस दबे हुए मामले की जांच कर उसे सजा सुनाते हैं. जगदीश आचार्य के दोस्तों में अवकाश प्राप्त पब्लिक प्रोसीक्यूटर लतीफ जैदी(अमिताभ बच्चन) ,अवकाष प्राप्त डिफेंस लाॅयर परमजीत सिंह भुल्लर(अन्नू कपूर), अवकाश प्राप्त जल्लाद हरिया जाटव (रघुवीर यादव) का समावेष है.वहीं जज आचार्य के घर पर अना(रिया चक्रवर्ती ) अपने भाई जो(सिद्धांत कपूर) के साथ रहती है.

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एक दिन दिल्ली जा रहे एक विज्ञापन एंजसी कंपनी के सीईओ समीर मेहरा (इमरान हाशमी ) गिरती बर्फ के बीच फंसने व बीच राह अपनी बीएम डब्लू गाड़ी के खराब हो जाने पर जज आचार्य के बंगले पर पहुॅच जाते हैं,जिससे सबसे ज्यादा खुश हरिया जाटव होता है.कार को बीच सड़क पर छोड़कर आते समय समीर मेहरा अपनी गाड़ी की चाभी भी वहीं गिरा देते हैं.कुछ देर बाद लतीफ जैदी का जज के घर आगमन होता है,पर आते समय वह समीर मेहरा की कार की चाभी पाने के बाद कार की तलाषी लेते हुए आते हैं.फिर समीर मेहरा के साथ खेल खेला जाता है.

पहले समीर मेहरा भी इस खेल का मजा लेते हैं, मगर फिर उन्हे लगता है कि वह गलत जगह फंस गए.प्राॅसीक्यूटर लतीफ जैदी धीरे धीरे समीर मेहरा पर संगीन जुर्म करने का साबित करना षुरू करते है,तब समीर मेहरा की जिंदगी की कहानी सामने आती है कि किस तरह समीर ने अपने कैरियर की महत्वाकांक्षा के चलते अपने बाॅस के मौत के लिए जिम्मेदार हैं.धीर धीरे समीर मेहरा,उनके बाॅस ओसवाल (समीर सोनी) और ओसवाल की पत्नी नताषा ओसवाल (क्रिस्टल डिसूजा ) की कहानी सामने आने पर कुछ अचंभित करने वाला मसला सामने आता है और समीर मेहरा को बेगुनाह साबित करने की लड़ाई लड़ रहे डिफेंस लायर परमजीत सिंह भुल्लर हार जाते हैं.

लेखन व निर्देशनः

फिल्म ‘‘चेहरे’’ की कमजोर कड़ी लेखक व निर्देषक हैं.बेहतरीन प्रतिभाशाली कलाकारों के साथ रूमी जाफरी एक बेहतरीन फिल्म नही बना सके. इंटरवल तक फिल्म काफी रोचक है,मगर इंटरवल के बाद फिल्म की पटकथा काफी कमजोर है.फिल्म में रहस्य व रोमांच काफी हद तक ठीक है,मगर उपदेशात्मक लहजा फिल्म को बर्बाद कर देता है. समीर मेहरा की निजी जिंदगी की कहानी को बेवजह खींचा गया है. यहां तक कि फिल्म निर्देश क के हाथ से यह फिल्म निकल जाती है.फिल्म के कुछ संवाद काफी अच्छे हैं.वैसे यह फिल्म अपराधी,पुलिस,वकील, कानून और न्यायालय पर गंभीर सवाल उठाती है.फिल्म भले ही कानून पर सवाल उठाती है,मगर फिल्म के कहानीकार रंजीत कपूर ने कहानी का आधार ही गलत चुना है. क्योंकि फिल्म में न्याय की बात करने वाले चारों लोग अवकाश प्राप्त हैं.इन्होने सेवारत रहते हुए न्याय की बात क्यों नही सोची? फिल्म को तर्क की कसौटी पर कसा नही जा सकता.

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इंटरवल से पहले फिल्म की में रोचकता है.दर्षक के मन में एक जिज्ञासा बनी रहती है कि प्राॅसीक्यूटर के वकील अपराध पर से किस तरह परतें हटाएंगे. इंटरवल के बाद फिल्म की रोचकता खत्म हो जाती है.इतना ही नहीं क्लायमेक्स से पहले पूरे चैदह मिनट का अमिताभ बच्चन का मोनोलाॅग के चलते दर्शक कह उठता है कि ‘कहां फसायो नाथ.’14 मिनट के अपने भाषण में अमिताभ बच्चन न्याय,इंसान के अधिकार,लड़कियों से बलात्कार व कैंडल मार्च पर बातें करते हैं.फिल्म कुछ सवाल जरुर उठाती है,मगर उसके जवाब न फिल्म देती है. और न समाज में किसी के पास नही है.वास्तव में अमिताभ बच्चन का मोनोलाॅग सिर्फ उपदेशात्मक है.

फिल्म का स्पेषल इफेक्ट/वीएफएक्स काफी कमजोर है.बर्फ का गिरना एकदम कृत्रिम लगता है.

अभिनयः

अमिताभ बच्चन की अभिनय कला हर फिल्म में एक अलग स्तर पर निखर कर आती है.कमजोर पटकथा के बावजूद अमिताभ बच्चन अपने अभिनय के बल पर फिल्म को बेहतर बनाते हैं.बेहतरीन संवादों को खींचने की उनकी क्षमता अदालत में एक अनुभवी वकील के तर्क के रूप में उनके अभिनय को उत्कृष्टता प्रदान करती है.अन्नू कपूर हमेशा की तरह अपने किरदार के साथ न्याय करने में सफल रहे हैं. फिल्म में उचित मात्रा में तनाव और रोमांच पैदा करने में अमिताभ बच्चन और अन्नू कपूर की केमिस्ट्री कमाल की है. रघुवीर यादव व धृतिमान चटर्जी का अभिनय ठीक ठाक है.एक कारपोरेट व सफल उद्यमी के किरदार में इमरान हाशमी थोड़ा सा कमतर नजर आते हैं.जो के किरदार में सिद्धांत कपूर के हिस्से करने को कुछ आया ही नही.लेखक ने उनके किरदार को सही ढंग से चित्रित नहीं किया.रिया चक्रवर्ती ठीक ही हैं.क्रिस्टल डिसूजा हाॅट व सुंदर नजर आयी हैं.

नुसरत जहां बनीं मां, दिया बेटे को जन्म

बंगाली एक्ट्रेस और लोकसभा सांसद नुसरत जहां (Nusrat Jahan) मां बन गई हैं. जी हां, एक्ट्रेस ने एक बेटे को जन्म दिया है. नुसरत जहां के घर कल यानी गुरुवार (26 अगस्त) को नन्हा मेहमान आया.  फैंस लगातार उन्हें सोशल मीडिया पर  शुभकामनाएं और बधाइयां दे रहे हैं.

रिपोर्ट्स के मुताबिक नुसरत और उनका बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. नुसरत जहां ने प्रेग्नेंसी की खबर इंस्टाग्राम अकाउंट पर फैंस के साथ शेयर किया था. हाल ही में नुसरत जहां तब सुर्खियों में छाई थीं जब उनके अपने पति निखिल जैन से अलग होने की खबर सामने आई.

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रिपोर्ट के अनुसार नुसरत ने कहा था कि निखिल से उनकी शादी विदेश में हुई थी और इस वजह से उनकी शादी अवैध है. वहीं नुसरत की प्रेग्नेंसी की खबर भी काफी चर्चे में रही. निखिल जैन ने कहा था कि ना तो उन्हें नुसरत की प्रेग्नेंसी के बारे में पता है और ना ही ये बच्चा उनका है.

 

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निखिल ने ये कहा था कि वह नुसरत से काफी दिनों से अलग हो गये हैं इसलिए वह बच्चे के पिता नहीं है. इतना ही नहीं निखिल ने नुसरत पर धोखाधड़ी करने का आरोप भी लगाया था.  निखिल ने कहा कि उन्होंने नुसरत का होम लोन उतारने के लिए लाखों रुपये एक्ट्रेस को दिए थे.

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कुछ दिन पहले ही एक्ट्रेस ने एक फोटो शेयर की थी. इस फोटो में वह मैचिंग ज्वैलरी के साथ मांग में सिंदूर भी लगाया था. हालांकि ये तस्वीर एक गर्भ निरोधक गोली के प्रचार का हिस्सा थी. लेकिन लोगों ने मांग में सिंदूर लगाने के लिए नुसरत जहां को ट्रोल करना शुरू कर दिया था.

यूजर्स ने कहा था कि नुसरत जहां अपने पति से अलग हो चुकी हैं. उनको अब सिंदूर लगाने का कोई भी हक नहीं है. तो वहीं कुछ यूजर्स ने ये भी सवाल किया था कि उन्होंने अब किसके नाम का सिंदूर अपनी मांग में भर लिया है.

South Star राशी खन्ना इस एक्टर के साथ वेब सीरीज में कर रही हैं वापसी

तमिल व तेलगू फिल्मों की चर्चित गायिका व अदाकारा राशी खन्ना ने यूं तो सर्वप्रथम 2013 में जाॅन अब्राहम के संग हिंदी फिल्म ‘‘मद्रास कैफे’’में अभिनय कर बौलीवुड में कदम रखा था. इस फिल्म में उन्होने राॅ के अफसर(जाॅन अब्राहम) की पत्नी रूबी सिंह का किरदार निभाया था.

इसके बाद तेलगू फिल्म‘‘ओहालू गुसागुसालडे’से तेलगू इंडस्ट्री में कदम रखा. इस फिल्म में उनके अभिनय की काफी तारीफ हुई.फिर उन्हे तेलगू फिल्म ‘जोरू’में अभिनय करने के साथ ही पाश्र्वगायन का भी अवसर मिला. जबकि 2017 में फिल्म ‘विलेन’ से मलयालम सिनेमा में कदम रखा था.

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महज सात वर्ष के कैरियर में उन्होने तमिल, तेलगू व मलयालम भाषाओं की 20 फिल्में की.इन दिनों दक्षिण भारतीय सिनेमा में वह तुगलक दरबार’,‘भ्रमम’,‘पक्का कमर्शियल’, थैंक यू’ ‘सरदार’,मेथावी;,‘शैतान का बच्चा’जैसी फिल्में कर रही हैं.

लेकिन अब पूरे आठ वर्ष बाद राशी खन्ना ने हिंदी में पुनः वापसी की है.इन दिनों वह अजय देवगन के साथ निर्देशक राजीव मापुस्कर के निर्देशन में वेब सीरीज ‘‘रूद्रा:द एज आफ डार्कनेस’’ की शूटिंग कर रही है जो इदरिस अल्बा निर्देशित ब्रिटिश सीरियल ‘‘लूथर’’का भारतीय करण है.

इस वेब सीरीज में राशी खन्ना के साथ अजय देवगन और अतुल कुलकर्णी भी हैं. यह वेब सीरीज ‘डिज्नी हाॅटस्टार’ के लिए खास तौर पर बन रही है. आठ वर्ष बाद हिंदी फिल्म उद्योग में वापसी की चर्चा चलने पर राशी कहती हैं-

‘‘हकीकत में कालेज दिनों में मैं आईएएस अफसर बनने का सपना देख रही थी,मैने कभी भी माॅडलिंग या अभिनेत्री बनने की बात सपने में भी नहीं सोची थी.पर तकदीर ने मुझे अभिनेत्री बना दिया.मुझे पहली हिंदी फिल्म ‘‘मद्रास कैफे’’ में जाॅन अब्राहम संग काम करने का अवसर मिला था.

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इस फिल्म में मेरे अभिनय की तारीफ के चलते मुझे तेलगू,तमिल व मलयालम फिल्मों में सशक्त व चुनौती पूर्ण किरदार निभाने के अवसर मिलते गए.मैंने दक्षिण भारतीय फिल्मों में अभिनय करने के साथ ही गीत गाए. जबकि मुझे हिंदी फिल्मों में महज नाच गाने वाले किरदार ही मिल रहे थे,इसलिए मैं नही कर रही थी.

मगर अब जब मुझे ‘रूद्रा:द एज आफ डार्कनेस’में चुनौतीपूर्ण किरदार निभाने का अवसर मिला,तो मैंने तुरंत इसे स्वीकार कर लिया.अब मैने इसकी शूटिंग पूरी कर ली है.यह मेरी खुशकिस्मती है कि पहली हिंदी फिल्म में स्टार कलाकार जाॅन अब्राहम के साथ काम करने का अवसर मिला था और अब पुनः वापसी करने पर स्टार व सफलतम कलाकार अजय देवगन के साथ काम किया है.अब मैं पुनः चेन्नई जाकर मिथरन जवाहर के निर्देशन में धनुष के साथ तेलगू फिल्म की शूटिंग करने वाली हॅू.’’

राशी आगे कहती हैं-‘‘ अपने करियर में आज जहां हूं,वहां पहुंचने के लिए मैंने बहुत मेहनत की है और इसके परिणामस्वरूप उत्तर और दक्षिण मनोरंजन उद्योग में मुझे दिलचस्प अवसर मिले हैं.हर तीन चार दिन में अलग अलग शहरों में यात्रा तय करना आसान नहीं है,पर मुझे इस बात की बिलकुल भी शिकायत नहीं है.क्योंकि मैं होनहार लोगों के साथ काम करना चाहती हूं. इससे मेेरे अंदर कला के प्रति जुनून बरकरार रहता है.‘‘

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