ऑनलाइन क्लास से लिखने की आदत छूट गई है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 12वीं क्लास का छात्र हूं. कोरोना के चलते इस बार स्कूल तो बिलकुल ठप हो गया है. औनलाइन क्लास तो होती है, पर उस से लिखने की आदत बिलकुल छूट गई है. अगर कल को बोर्ड के इम्तिहान होंगे तो उन में लिखना तो पड़ेगा न. इसी बात को सोचसोच कर मैं तनाव में रहता हूं. मु झे सही
सलाह दें.

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जवाब

यह आप की ही नहीं, बल्कि करोड़ों छात्रों की समस्या है कि कोरोना के चलते पढ़ाईलिखाई डगमगा गई है. आप औनलाइन पढ़ाई के बाद बचे वक्त में लिखने की प्रैक्टिस करते रहें. इस से इम्तिहान में लिखने की परेशानी नहीं आएगी.

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मेरी सासू मां सोने पर भी पाबंदियां लगाती है, मैं क्या करूं?

सवाल
मैं 25 वर्षीय महिला हूं. हाल ही में शादी हुई है. पति घर की इकलौती संतान हैं और सरकारी बैंक में कार्यरत हैं. घर साधनसंपन्न है. पर सब से बड़ी दिक्कत सासूमां को ले कर है. उन्हें मेरा आधुनिक कपड़े पहनना, टीवी देखना, मोबाइल पर बातें करना और यहां तक कि सोने तक पर पाबंदियां लगाना मुझे बहुत अखरता है. बताएं मैं क्या करूं?

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जवाब
आप घर की इकलौती बहू हैं तो जाहिर है आगे चल कर आप को बड़ी जिम्मेदारियां निभानी होंगी. यह बात आप की सासूमां सम झती होंगी, इसलिए वे चाहती होंगी कि आप जल्दी अपनी जिम्मेदारी सम झ कर घर संभाल लें. बेहतर होगा कि ससुराल में सब को विश्वास में लेने की कोशिश की जाए. सासूमां को मां समान सम झेंगी, इज्जत देंगी तो जल्द ही वे भी आप से घुलमिल जाएंगी और तब वे खुद ही आप को आधुनिक कपड़े पहनने को प्रेरित कर सकती हैं.

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घर का कामकाज निबटा कर टीवी देखने पर सासूमां को भी आपत्ति नहीं होगी. बेहतर यही होगा कि आप सासूमां के साथ अधिक से अधिक रहें, साथ शौपिंग करने जाएं, घर की जिम्मेदारियों को समझें, फिर देखिएगा आप दोनों एकदूसरे की पर्याय बन जाएंगी.

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मेरी पत्नी की मृत्यु हो चुकी है, मैं बच्चों की सारी जरूरतें कैसे पूरा करूं?

सवाल

मैं 43 वर्षीय पुरुष हूं. जिंदगी में मैं ने जो चाहा, कभी नहीं मिला. कालेज टाइम में चाहता था कोई गर्लफ्रैंड बने, लेकिन नहीं बनी. एक लड़की को बहुत पसंद करता था लेकिन कभी उस से बोल नहीं पाया. शादी हुई तो सोचा सिंपल सी प्यार भरी लाइफ होगी लेकिन पत्नी ऐसी मिली जिसे सैक्स में रुचि न थी. डिप्रैशन में रहती थी. एक साल के अंदर ही तलाक हो गया. दूसरी शादी की, पत्नी झगड़ालू निकली. मेरे मातापिता से लड़ती. मुझ से ज्यादा पढ़ीलिखी थी, सो इस बात का मुझ पर रोब झाड़ती. खैर, उस ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया, लेकिन डिलीवरी के दौरान कुछ कौंप्लिकेशंस के कारण उस की मौत हो गई.

अब बच्चों को पालने की जिम्मेदारी पूरी तरह से मेरे ऊपर है. पिताजी का देहांत हो चुका है और मम्मी बीमार रहती हैं. सोचता हूं, उन्हें कुछ हो गया तो मैं तो बिलकुल अकेला हो जाऊंगा. रिश्तेदार शादी करने की सलाह देते हैं तो कोई कहता है एक बच्चा मैं गोद दे दूं, 2-2 बच्चे संभालना मुश्किल है.

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आर्थिक प्रौब्लम भी है. प्राइवेट जौब करता हूं. कब छूट जाए, कुछ कह नहीं सकता क्योंकि कंपनी घाटे में चल रही है. मम्मी का कहना है कि शादी के बारे में सोचना छोड़, बच्चों की परवरिश के बारे में सोचूं. लेकिन पुरुष हूं, मेरी शारीरिक जरूरत भी है. मैं बहुत उलझन में हूं. कुछ सोच नहीं पा रहा कि लाइफ में मेरे लिए क्या अच्छा और क्या बुरा?

जवाब

वाकई आप की जिंदगी में मिठास कम, कड़वाहट ज्यादा रही है. खैर, जो हो गया सो गया. अब आगे की ओर देखिए. फिलहाल, अभी आप की पहली समस्या है जुड़वां छोटे बच्चों को पालना. आप की मम्मी ठीक कह रही हैं कि आप का फोकस अभी बच्चों की परवरिश पर होना चाहिए. अभी तो सिर्फ बच्चों की जिम्मेदारी है. दोबारा शादी कर लेंगे तो पत्नी की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ेगी और उसे भी अपना वक्त देना पड़ेगा.

दूसरे, इस बात की क्या गारंटी कि वह गाय की तरह इतनी सीधी होगी कि छोटेछोटे बच्चों को भी संभाल लेगी, घर के कामकाज भी करेगी. आप को शारीरिक सुख देगी तो बदले में क्या कुछ नहीं चाहेगी. क्या आप उस की जरूरतें पूरी करने की हालत में हैं. घर में रुपएपैसे की दिक्कत ही झगड़े पैदा करती है. जिस जने की 2 शादियां हो चुकी हों, उसे नई लड़की मिलेगी भी नहीं. इसलिए हमारी राय में इस वक्त आप का शादी करना एक और मुसीबत अपने सिर ले लेने जैसा है.

अभी आप अपने हिसाब से घर चला रहे हैं. मम्मी का साथ अभी बना हुआ है. उन की हैल्प के लिए डेटाइम एक मेड रख लें. घर के काम और बच्चों को संभालने में मम्मी की मदद हो जाएगी.

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जहां तक शारीरिक सुख की बात है, तो आजकल कई वैबसाइट्स हैं जहां आप की तरह ही कई लेडीज भी हैं जो रिलेशनशिप में विश्वास रखती हैं. फिजिकल रिलेशन के लिए शादी जरूरी तो नहीं. दोदो शादी कर के आप देख भी चुके हैं. और अब तो हालत ऐसी है कि शादी करना किसी भी एंगल से ठीक नहीं लग रहा. बस, पूरी तरह से देखपरख कर रिलेशनशिप का सलैक्शन कीजिएगा. कहीं फिर किसी मुसीबत में न पड़ जाना.

आप हर कदम फूंकफूंक कर रखना. खुद खुश रहना है और बच्चों की खुशीखुशी परवरिश करनी है. ज्यादा आगे की मत सोचिए. भविष्य किसी ने नहीं देखा. बस, वक्त को जितना आसान बना सकते हैं, बनाइए और अपने को फाइनैंशियली स्ट्रौंग बनाने की कोशिश कीजिए.

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नानाजी की मौत से बहुत दुखी हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

कुछ महीने पहले मेरे नानाजी गुजर गए. वे मुझे बहुत मानते थे. उन्होंने मुझे कभी किसी चीज की कोई कमी नहीं होने दी. उन के बगैर मेरा मन बहुत दुखी रहता है. मैं क्या करूं?

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जवाब

जीनामरना तो जिंदगी का दस्तूर है. आज नानाजी गए हैं, कल को और लोग भी जाएंगे. आप नानाजी की मौत को सहजता से स्वीकार करें.

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मैंने पैतृक संपत्ति में से अपना हक मांगा तो लोग मुझे लालची समझ रहे हैं, क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 55 वर्ष है. मायका मेरा संपन्न है. 2 भाई हैंदोनों बहुत अच्छा कमा रहे हैंअपने अलगअलग घरों में रहते हैं. मम्मीपापा दोनों अपनी पैतृक कोठी में रहते थे. दोनों की पिछले वर्ष मृत्यु होने के बाद उस पैतृक कोठी को बेचने की बात उठी.  मैंने उस में अपना हिस्सा मांगा क्योंकि मेरे पति की कोई खास कमाई नहीं है. भाइयों के पास धनदौलतजमीनजायदाद की कमी नहीं है. इसलिए पैतृक संपत्ति में से मैं ने अपना हक मांगा. लेकिन दोनों भाइयों के मुंह बन गए. रिश्तेदारी में मुझे लालची औरत समझा जा रहा है. क्या मैं ने अपना हक मांग कर कोई गलत काम किया है. मुझे अपराधबोधी बनाया जा रहा है. मैं मानसिक यंत्रणा से गुजर रही हूं. बताइएक्या मैं इस से पीछे हट जाऊंअपना हक न लूं?

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जवाब

यह अफसोस की बात है कि हमारे समाज में पैतृक संपत्ति में अपना बराबर का हक मांगने वाली लड़कियों की समाज में लालची स्त्री की छवि बनती हैन कि अपने हक के लिए जागरूक लड़की की. मतलब लड़की सिर्फ अपने हिस्से के हक को मांगने भर से भी लालचीतेजतर्रार और विद्रोही मान ली जाती है जबकि भाई अपनी बहन के आर्थिक हक को मारने के बाद भी लालची नहीं माने जाते. अकसर ही बहनों का हक छीनने का न तो भाइयों को खुद ही कोई अपराधबोध होता है और न ही परिवाररिश्तेदार या समाज ही उन्हें ऐसा महसूस कराने की कोशिश करते हैं. लेकिन यदि संपत्ति में अपना हिस्सा लेने के कारण भाइयों से संबंध खत्म या खराब हो जाएं तो परिवाररिश्तेदार और समाज के लोग अकसर ही इस बात के लिए बहनों को और भी ज्यादा अपराधबोध में डालने की भरपूर कोशिश करते हैं.

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मायके से संबंध खराब होने और रिश्तेदारों में छवि बिगड़ने के डर के चलते ही हिंदू उत्तराधिकार कानून बनने के 13 सालों बाद भी ज्यादातर लड़कियां पैतृक संपत्ति में अपना हक नहीं ले पा रही हैं. समय के साथ लड़कों की सोच में बदलाव होगासो होगा लेकिन इस की पहल लड़कियों को ही करनी होगी क्योंकि खुद चल कर कोई उन का हक देने नहीं आएगा. साथ ही यदि मातापिता बचपन से ही सिर्फ बेटों को ज्यादा अहमियत न दें और लड़कियों को अकसर ही भाइयों की खुशी के लिए कुछ न कुछ त्याग करने को न कहें तो बेटे भी संपत्ति के बंटवारे को बहुत ही सहजता से लेंगे. लेकिन तब तक महिलाओं को मायके से संबंध खराब होने के डर से अपने आर्थिक हकों को नहीं छोड़ना चाहिए. जो संबंध सिर्फ संपत्ति के देने और न देने से ही कमजोर या मजबूत होता हो उस संबंध के खोखलेपन को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

बहरहालआप अपराधबोध से ग्रस्त न हों और अपना हक लेने में संकोच न करें.

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मेरी बेटी पढ़ाई के अलावा कोई बात नहीं करती है, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 52 वर्ष है, कामकाजी माहिला हूं. मेरी बेटी 24 वर्ष की है, एमफिल की तैयारी कर रही है. बेटी के साथ मेरे संबंध कभी खास नहीं रहे. वह अपने में मस्त रहती है. अब मैं उस में कई बदलाव महसूस कर रही हूं. वह नाममात्र खाना खाती है, कभी भी रोती हुई दिख जाती है, कभी वह बेसुध पड़ी रहती है तो कभी किताबों या अपने फोन में गुम रहती है. मुझे याद भी नहीं आखिरी बार कब वह खुल कर हंसी थी या सब के साथ बैठ कर उस ने बातचीत की थी. मैं उस से बात करने की कोशिश करती हूं, तो वह उठ कर चली जाती है या ध्यान नहीं देती. उस के पापा भी उस से उस की पढ़ाई के अलावा कोई बात नहीं करते. मुझे अपनी बेटी की बहुत चिंता हो रही है और समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं.

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जवाब

आप अपनी बेटी में जो बदलाव देख रही हैं उस से साफ है कि उसे कोई बात परेशान कर रही है जिस के बारे में वह किसी से बात नहीं करना चाहती क्योंकि जैसा कि आप ने बताया वह घर में किसी के करीब नहीं है. आप को और आप के पति को साथ बैठ कर अपनी बेटी से बात करनी चाहिए. वह बताने में आनाकानी जरूर करेगी लेकिन उसे किस बात से परेशानी है वह जरूर बता देगी. आप ने जिस तरह बताया उस से साफ है कि वह ठीक नहीं है. वर्तमान माहौल से स्पष्ट है कि युवा आसानी से अवसादग्रस्त हो सकते हैं. हो सकता है उसे पढ़ाई की चिंता हो, किसी दोस्त से लड़ाई हुई हो या बौयफ्रैंड से ब्रेकअप. अगर वह आप से बात करने को तैयार न हो तो आप को किसी मनोवैज्ञानिक डाक्टर से कंसल्ट करना चाहिए.

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मैं एक्टर बनना चाहता हूं, इसके लिए मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल

मैं 18 साल का एक गरीब घर का लड़का हूं. मैं बीए पास हूं और देखने में हैंडसम भी हूं. मैं फिल्मों में जाना चाहता हूं, पर मुझे ऐक्टिंग का कोई अनुभव नहीं है. क्या मेरा यह सपना पूरा हो सकता है? इस सिलसिले में मुझे सही राह दिखाएं?

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जवाब

न तो ऐक्टिंग ही आसान काम है और न ही फिल्म इंडस्ट्री में मुकाम हासिल कर पाना हंसीखेल है. अगर आप खूबसूरती के दम पर फिल्मों का सपना देख रहे हैं तो वक्त रहते जाग जाएं, नहीं तो इन सपनों में आप का बहुत वक्त बरबाद हो जाएगा.

अगर आप वाकई संजीदा हैं, तो ऐक्टिंग का कोई कोर्स करें. इस के लिए अपने शहर के किसी ऐक्टिंग स्कूल या नाटक मंडली में दाखिला लें और फिर देखें कि ऐक्टिंग आप के बस की बात है या नहीं. लगन और मेहनत से कोई भी सपना पूरा हो जाता है, लेकिन ऐक्टिंग का होगा, इस की कोई गारंटी नहीं है.

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मेरी पत्नी को ब्रैस्ट कैंसर है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 32 साल का शादीशुदा मर्द हूं. मेरे 2 बच्चे हैं. पिछले कुछ समय से मेरी पत्नी बहुत ज्यादा बीमार रहने लगी है. उसे ब्रैस्ट कैंसर है. लेकिन साथ ही उसे शक हो गया है कि उस के मरते ही मैं दूसरी शादी कर लूंगा, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है.

इस डर और शक से वह अपना इलाज भी ढंग से नहीं करा रही है. वह सोचती है कि डाक्टर से मिल कर मैं उसे मारना चाहता हूं. मैं उसे हर तरह से समझा कर हार गया हूं, पर उस का शक का कीड़ा मरने का नाम ही नहीं लेता है. मैं क्या करूं?

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जवाब

यह शक बताता है कि आप की पत्नी आप को बहुत प्यार करती है. मुमकिन  है कि सामने दिख रही मौत का डर  कम करने के लिए वह शक का सहारा ले रही हो.

वैसे, मर्दों और औरतों दोनों की फितरत शक करने की होती ही है. इस समय आप की अहम जिम्मेदारी पत्नी की देखभाल और उसे प्यार देने के अलावा उस के इलाज की भी है. उस से प्यार से पेश आएं और उसे भरोसा दिलाते रहें कि आप उस से बहुत प्यार करते हैं और किसी और से शादी करने की सोच भी नहीं सकते.

उस पर  झल्लाएं नहीं, बल्कि सब्र से काम लें. उस की छोटी से छोटी जरूरत का भी खयाल रखें.

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मेरा 13 साल का बेटा घर पर बैठा-बैठा मोटापे का शिकार हो रहा है, क्या करूं?

सवाल

मैं 32 वर्षीय गृहिणी हूं. मेरी समस्या मेरे बेटे को ले कर है. कोरोना के कारण कई परेशानियां आईं. उन में से एक परेशानी यह है कि मेरा 13 साल का बेटा घर पर बैठाबैठा मोटापे का शिकार हो रहा है. मैं अपने इकलौते बेटे की हैल्थ को ले कर बहुत चिंतित हूं. समझ नहीं आ रहा, क्या करूं?

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जवाब

कोरोना के कारण लाइफस्टाइल एकदम से बदल गया. एक परेशानी जो देखने में आ रही है वह है बच्चों में मोटापा. हैल्दी खाना न खाने, बाहर खेलने न जाने और एक्स्ट्रा एक्टिविटी न करने की वजह से बच्चे बड़ी तेजी से मोटापे का शिकार हो रहे हैं. लेकिन आप ज्यादा टैंशन मत लीजिए. सब से पहले तो दिनभर का रूटीन और शैड्यूल फिक्स करें. बच्चा ही नहीं,  बल्कि आप सब भी उस रूटीन को फौलो करें. रूटीन में थोड़ा समय फिजिकल एक्टिविटी के लिए भी रखें. बेटे के खाने पर नजर रखें. अनहैल्दी चीजें घर पर रखें ही नहीं. बच्चों को स्नैक्स पसंद हैं तो घर पर ही बनाएं. तलने के बजाय बेक करें. आटा नूडल्स बनाएं. पास्ता में ज्यादा से ज्यादा सब्जियां डालें. स्प्राउट्स चाट बना कर दें. बच्चे मोबाइल, टीवी और वीडियो गेम खेलने में मस्त रहते हैं तो सम झदारी से उन्हें म्यूजिक चला कर डांस करने को कहें.

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मुझे एक लड़की से प्यार हो गया है हमने सेक्स भी किया हुआ है, मैं क्या करूं?

सवाल

मुझे एक लड़की से प्यार हो गया है. उस की नानी का घर मेरे पड़ोस में है. काफी पहले मौका पा कर मैं ने उस के साथ सेक्स भी किया था. मुझे यह नहीं पता कि वह भी मुझ से प्यार करती है या नहीं. मैं क्या करूं?

जवाब

आप ने उस के साथ हमबिस्तरी करने की हिम्मत तो कर ली, पर यह पूछने में शर्म आ रही है कि वह आप से प्यार करती है या नहीं. अब जब भी मौका मिले, तो उस से पूछ लें. अगर वह प्यार का इकरार करे तो ठीक है, वरना उस का पीछा करना छोड़ दें.

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क्या आप भी अनचाहे सेक्स की शिकार हैं

दिन ब दिन बलात्कार की घटनाओं में बढ़ोतरी होती जा रही है. इस के कई कारण हैं, जिन में एक है मानसिक हिंसा की प्रवृत्ति का बढ़ना. बलात्कार शब्द से एक लड़की या युवती पर जबरदस्ती झपटने वाले लोगों के लिए हिंसात्मक छवि उभर कर सामने आती है. इस घृणित कार्य के लिए कड़े दंड का भी प्रावधान है. मगर बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि वैवाहिक जिंदगी में भी बलात्कार वर्जित है और इस के लिए भी दंड दिया जाता है. मगर इसे बलात्कार की जगह एक नए शब्द से संबोधित किया जाता है और वह शब्द है अनचाहा सेक्स संबंध.

आज अनचाहे सेक्स संबंधों की संख्या बढ़ गई है. समाज जाग्रत हो चुका है और अपने शरीर या आत्मसम्मान पर किसी भी तरह का दबाव कोई बरदाश्त नहीं करना चाहता है. इस विषय पर हम ने समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों से बातचीत भी की और जानने की कोशिश की कि आखिर क्या है यह अनचाहा सेक्स संबंध?

डा. अनुराधा परब, जो एक प्रसिद्ध समाजशास्त्री हैं, बताती हैं, ‘‘बलात्कार और अनचाहे सेक्स में बहुत महीन सा फर्क है. बलात्कार अनजाने लोगों के बीच हुआ करता है और एक पक्ष इस का सशरीर पूर्ण विरोध करता है. अनचाहा सेक्स परिचितों के बीच होता है और इस में एक पक्ष मानसिक रूप से न चाह कर भी शारीरिक रूप से पूर्णत: विरोध नहीं करता है. सामान्यत: यही फर्क होता है. मगर गहराई से जाना जाए तो बहुत ही सघन भेद होता है. ‘‘अनचाहा सेक्स ज्यादातर पतिपत्नी के बीच हुआ करता है और आजकल प्रेमीप्रेमिका भी इस संबंध की चपेट में आ गए हैं. आधुनिक युग में शारीरिक संबंध बनाना एक आम बात भले ही हो गई हो, फिर भी महिलाएं इस से अभी भी परहेज करती हैं. कारण चाहे गर्भवती हो जाने का डर हो या मानसिक रूप से समर्पण न कर पाने का स्वभाव, मगर अनचाहे सेक्स संबंध की प्रताड़नाएं सब से ज्यादा महिलाओं को ही झेलनी पड़ती हैं.’’

वजह वर्कलोड

एक एडवरटाइजिंग कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर के पद पर कार्यरत पारुल श्रीनिवासन, जिन का विवाह 6 साल पहले हुआ था, एक चौंका देने वाला सत्य सामने लाती हैं. वह बताती हैं, ‘‘मैं अपने पति को बेहद प्यार करती हूं. उन के साथ आउटिंग पर भी अकसर जाती रहती हूं, मगर सेक्स संबंधों में बहुत रेगुलर नहीं हूं. इस का कारण जो भी हो, मगर मुझे ऐसा लगता है कि इस का मुख्य कारण है, हम दोनों का वर्किंग  होना. शुरूशुरू में 1 महीना हम दोनों छुट्टियां ले कर हनीमून के लिए हांगकांग और मलयेशिया गए थे. वहां से आने के बाद अपनेअपने कामों में व्यस्त हो गए. रात को बेड पर जाने के बाद सेक्स संबंध बनाने की इच्छा न तो मुझे रहती है, न मेरे पति को. पति कभी आगे बढ़ते भी हैं तो मैं टालने की पूरी कोशिश करती हूं.’’

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कारण की तह तक पहुंचने पर पता चला कि शुरूशुरू के दिनों में पति सेक्स संबंध बनाना चाहता था. मगर पारुल को अपनी मार्केटिंग का वर्कलोड इतना रहता था कि वह उसी में खोई रहती थी. पति के समक्ष अपना शरीर तो समर्पित कर देती थी, मगर मन कहीं और भटकता रहता था. पति को यह प्रक्रिया बलात्कार सी लगती. कई बार समझाने, मनाने की कोशिश भी उस ने की. मगर पारुल हमेशा यही कहती कि आज मूड नहीं बन रहा है. और एक दिन पारुल ने खुल कर कह ही दिया कि वह यदि सेक्स संबंधों में रत होती भी है तो बिना मन और इच्छा के. वह अनचाहा सेक्स संबंध जी रही है. पति को यह बुरा लगा और धीरेधीरे सेक्स के प्रति उसे भी अरुचि होती चली गई.

भयमुक्त करना जरूरी

ऐसी कई पत्नियां हैं, जो अनचाहा सेक्स संबंध बनाने पर विवश हो जाती हैं. मगर तबस्सुम खानम की कहानी कुछ और ही है.  26 वर्षीय तबस्सुम एक टीचर हैं, उन के पति उन से 12 साल बड़े हैं. उन की एक दुकान है. वह बताती हैं, ‘‘जब मैं किशोरी थी, तभी से मुझे सेक्स संबंधों के प्रति भय बना हुआ था. सहेलियों से इस को ले कर सेक्स अनुभव की बातें करती थीं और मुझे सुन कर डर सा लगता था. मैं सहेलियों से कहती थी कि मैं तो अपने शौहर से कहूंगी कि बस मेरे गले लग कर मेरे पहलू में सोए रहें. इस से आगे मैं उन्हें बढ़ने ही नहीं दूंगी. सभी सहेलियां खूब हंसती थीं. जब मेरी शादी हुई तो शौहर हालांकि बड़े समझदार हैं, मगर शारीरिक उत्तेजना की बात करें तो खुद पर संयम नहीं रख पाते हैं.’’

थोड़ा झिझकती हुई, थोड़ा शरमाती हुई तबस्सुम बताती हैं, ‘‘मेरे पति ने मेरे लाख समझाने पर भी सुहागरात के दिन ही मुझे अपनी मीठीमीठी बातों में बहला लिया. उन का यह सिलसिला महीनों चलता रहा, मुझे आनंद का अनुभव तो होता, मगर भय ज्यादा लगता था. मेरा भय बढ़ता गया. जब भी रात होती, मेरे पति बेडरूम में प्रवेश करते, मैं डर से कांप उठती थी. हालांकि मेरे पति के द्वारा कोई भी अमानवीय हरकत कभी नहीं होती. काफी प्यार और भावुकता से वे फोरप्ले करते हुए, आगे बढ़ते थे. मगर मेरे मन में जो डर समाया था, वह निकलता ही न था. 3 महीनों के बाद जब मैं गर्भवती हो गई तो डाक्टर ने हम दोनों के अगले 2 महीनों तक शारीरिक संबंध बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. मुझे तो ऐसा लगाजैसे एक नया जीवन मिल गया. मेरा बेटा हुआ. इस बीच मैं ने धीरेधीरे पति को अपने डर की बात बता दी और वे भी समझ गए. मेरे पति ने भी परिपक्वता दिखाई और मुझ से दूर रह कर मुझे धीरेधीरे समझाने लगे. वे सेक्स संबंधों को स्वाभाविक और जीवन का एक अंश बताते. अंतत: उन्होंने मेरे मन से भय निकाल ही दिया.’’

इच्छा अनिच्छा का खयाल

विनोद कामलानी, जो एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक हैं, अपना क्लीनिक चलाते हैं, बताते हैं, ‘‘तबस्सुम के मन में बैठा हुआ सेक्स का डर था. बहुत सी लड़कियां इस भय से भयातुर हुआ करती हैं. मगर बहुत कम पति ऐसे होते हैं, जो धीरेधीरे इस भय को निकालते हैं. ऐसे कई केस मेरे पास आते हैं. पुरुषों के भी होते हैं, मगर अनचाहे सेक्स की शिकार ज्यादातर महिलाएं ही हुआ करती हैं.’’ डा. कामलानी के ही एक मरीज तरुण पटवर्धन ने बताया कि उन की शादी को 3 साल हो गए हैं, मगर आज तक उन्होंने अनचाहा सेक्स संबंध ही जीया है.

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तरुण के अनुसार, विवाहपूर्व उन का प्रेम अपने पड़ोस की एक लड़की से था. किसी कारणवश शादी नहीं हो पाई, मगर प्रेम अभी भी बरकरार है. उस लड़की ने तरुण की याद में आजीवन कुंआरी रहने की शपथ भी ले रखी है. यही कारण है कि जब भी तरुण अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने की पहल करते हैं, उन की प्रेमिका का चेहरा सामने आ जाता है. उन्हें एक ‘गिल्ट’ महसूस होता है और वे शांत हो कर लेट जाते हैं. वे अपनी पत्नी से यह सब कहना भी नहीं चाहते हैं वरना उस के आत्मसम्मान को चोट पहुंचेगी. चूंकि उन की पत्नी तरुण को सेक्स प्रक्रिया बनाने में अयोग्य न समझे, उन्हें अपनी पत्नी के साथ सेक्स संबंध बनाना पड़ता है. वे सेक्स संबंध बिना मन, बिना रुचि के बनाते हैं और इस तरह वे अनचाहा सेक्स संबंध ही जी रहे हैं.

एक सर्वे के अनुसार, आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में काम की होड़ और आगे निकलने की चाह ने इनसान को मशीन बना दिया है. पैसा कमाना ही एक मात्र ध्येय बन चुका है. ऐसी भागदौड़ में इनसान सेक्स संबंधों के प्रति इंसाफ नहीं कर पाता है और बिना मन और बिना प्रोपर फोरप्ले के बने हुए सेक्स संबंध, मन में सेक्स के प्रति अरुचि पैदा कर देते हैं. यहीं से शुरुआत होती है अनचाहे सेक्स संबंधों की. अपने पार्टनर की खुशी के लिए संबंध बनाना कभीकभी विवशता भी होती है. अंतत: यही संबंध ऊब का रूप धारण कर लेते हैं या पार्टनर बदलने की चाह मन में उठती है. यद्यपि यह अनचाहा सेक्स पश्चिमी देशों में तेजी से बढ़ रहा है, भारत भी इस से अछूता नहीं है, परंतु यहां का अनुपात अन्य देशों के मुकाबले नगण्य है.

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