सवाल

मैं 43 वर्षीय पुरुष हूं. जिंदगी में मैं ने जो चाहा, कभी नहीं मिला. कालेज टाइम में चाहता था कोई गर्लफ्रैंड बने, लेकिन नहीं बनी. एक लड़की को बहुत पसंद करता था लेकिन कभी उस से बोल नहीं पाया. शादी हुई तो सोचा सिंपल सी प्यार भरी लाइफ होगी लेकिन पत्नी ऐसी मिली जिसे सैक्स में रुचि न थी. डिप्रैशन में रहती थी. एक साल के अंदर ही तलाक हो गया. दूसरी शादी की, पत्नी झगड़ालू निकली. मेरे मातापिता से लड़ती. मुझ से ज्यादा पढ़ीलिखी थी, सो इस बात का मुझ पर रोब झाड़ती. खैर, उस ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया, लेकिन डिलीवरी के दौरान कुछ कौंप्लिकेशंस के कारण उस की मौत हो गई.

अब बच्चों को पालने की जिम्मेदारी पूरी तरह से मेरे ऊपर है. पिताजी का देहांत हो चुका है और मम्मी बीमार रहती हैं. सोचता हूं, उन्हें कुछ हो गया तो मैं तो बिलकुल अकेला हो जाऊंगा. रिश्तेदार शादी करने की सलाह देते हैं तो कोई कहता है एक बच्चा मैं गोद दे दूं, 2-2 बच्चे संभालना मुश्किल है.

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आर्थिक प्रौब्लम भी है. प्राइवेट जौब करता हूं. कब छूट जाए, कुछ कह नहीं सकता क्योंकि कंपनी घाटे में चल रही है. मम्मी का कहना है कि शादी के बारे में सोचना छोड़, बच्चों की परवरिश के बारे में सोचूं. लेकिन पुरुष हूं, मेरी शारीरिक जरूरत भी है. मैं बहुत उलझन में हूं. कुछ सोच नहीं पा रहा कि लाइफ में मेरे लिए क्या अच्छा और क्या बुरा?

जवाब

वाकई आप की जिंदगी में मिठास कम, कड़वाहट ज्यादा रही है. खैर, जो हो गया सो गया. अब आगे की ओर देखिए. फिलहाल, अभी आप की पहली समस्या है जुड़वां छोटे बच्चों को पालना. आप की मम्मी ठीक कह रही हैं कि आप का फोकस अभी बच्चों की परवरिश पर होना चाहिए. अभी तो सिर्फ बच्चों की जिम्मेदारी है. दोबारा शादी कर लेंगे तो पत्नी की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ेगी और उसे भी अपना वक्त देना पड़ेगा.

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