Manohar Kahaniya: बबिता का खूनी रोहन- भाग 2

इस दौरान इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक की टीम ने भीमराज की पत्नी बबीता से जब पूछताछ शुरू की तो पता चला की भीमराज ने चिराग दिल्ली गांव में अपना मकान बना रखा था, जहां वह अपनी पत्नी बबीता व 3 बच्चों के साथ रहता था.

भीमराज और बबीता के 3 बच्चों में 2 बेटी और एक बेटा था. बड़ी बेटी की उम्र करीब 19 साल थी, जबकि छोटी बेटी 15 साल की थी. उन के बीच 17 साल का एक बेटा था.

बबीता आई शक के दायरे में

42 साल की बबीता आकर्षक व तीखे नाकनक्श वाली महिला थी. इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक को पूछताछ की शुरुआत में ही लगा कि बबीता को अपने पति के साथ हुई इस गंभीर वारदात का मानो कोई रंज नहीं है.

इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक के हर सवाल का बबीता इतने सहज भाव से जवाब दे रही थी, मानो कुछ हुआ ही नहीं था.

पुलिस की नौकरी करते करते हुए अनुभव में जितेंद्र मलिक ने इस तरह के कई हादसे देखे थे, जिस में मृत्यु की शैय्या पर पड़े पति के गम और आशंका में पत्नी का रोरो कर बुरा हाल हो जाता है और उसे कोई सुधबुध नहीं रहती. लेकिन बबीता न सिर्फ इंसपेक्टर मलिक के हर सवाल का सहजता से जवाब दे रही थी अपितु जब उन्होंने उस के लिए चाय मंगाई तो वह पूरी सहजता के साथ चाय भी पी गई.

किसी पीडि़त की पत्नी का ऐसा व्यवहार इंसपेक्टर मलिक को थोड़ा अटपटा लगा. हालांकि बबीता ने पूछताछ में यह बात साफ कर दी थी कि उस के पति की किसी से उस की दुश्मनी या रंजिश के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है.

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बबीता ने यह भी बताया कि उस के पति भीमराज की संगत ठीक नहीं थी. वह खानेपीने का शौकीन था और अकसर शराब पी कर घर आता था. उस ने बताया कि पति की कमाई से घर ठीक से नहीं चल पाता था, इसलिए वह खुद भी घरगृहस्थी चलाने में पति का हाथ बंटाती थी. बबीता ने साउथ एक्सटेंशन में किराए की दुकान ले कर उस में अपना ब्यूटीपार्लर खोल रखा था, जो ठीकठाक चलता था और उस से अच्छीखासी कमाई भी हो जाती थी.

एक तो बबीता का अटपटा व्यवहार और दूसरा उस का ब्यूटीपार्लर के पेशे से जुड़ा होना दोनों ऐसी बातें थीं, जिस के कारण इंसपेक्टर मलिक के लिए बबीता जिज्ञासा और जांचपड़ताल का केंद्रबिंदु बन गई. उन्होंने बातों ही बातों में भीमराज के अलावा बबीता और उस के तीनों बच्चों के मोबाइल नंबर नोट कर लिए.

सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग

बबीता से पूछताछ के बाद इंसपेक्टर मलिक ने तत्काल एसआई प्रमोद को  भीमराज और बबीता के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाने के लिए भेज दिया. इधर कई घंटे की मशक्कत और जांचपड़ताल के बाद पुलिस की अलगअलग टीमों ने 5 किलोमीटर के दायरे में जो सीसीटीवी फुटेज खंगाले थे, उन में से एक फुटेज में हुडको कालोनी के पास वही बाइक सवार पुलिस को एक बार उसी बाइक पर सवार नजर आया.

लेकिन यह फुटेज वारदात से करीब एक घंटा पहले की थी. उस वक्त बाइक सवार ने हेलमेट को हाथ में पकड़ा हुआ था और वह बाइक पर बैठा हुआ शायद किसी का इंतजार कर रहा था. इतना ही नहीं इस फुटेज में बाइक की नंबर प्लेट भी मुड़ी हुई नहीं थी, जिस से बाइक के नंबर भी स्पष्ट नजर आ रहे थे.

भीमराज के हमलावर तक पहुंचने के लिए पुलिस के हाथ यह बड़ी सफलता लगी थी. बाइक के उस नंबर को उसी शाम पुलिस ने ट्रेस कर के यह पता लगा लिया कि यह बाइक किस की है. भीमराज का हमलावर जिस बाइक पर सवार था वह महिंद्रा सेंटुरो बाइक थी. घटनास्थल से ले कर हुडको प्लेस में कालोनी के बाहर सीसीटीवी में दिख रही दोनों बाइक व उन पर वही लिबास पहने व्यक्ति एक ही था.

पुलिस ने परिवहन विभाग के पोर्टल से जब उस बाइक का इतिहास खंगाला तो पता चला कि कबीरनगर में रहने वाले प्रवीण के नाम पर यह बाइक पंजीकृत थी. पुलिस की एक टीम उसी रात प्रवीण के घर पहुंच गई और उसे हिरासत में ले लिया. फिर उस से पूछताछ शुरू हो गई.

प्रवीण को जब पता चला कि उस पर एक व्यक्ति पर गोली चलाने का आरोप है और जिस के गोली लगी है, वह जिंदगी और मौत से जूझ रहा है तो उस के होश उड़ गए.

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जांच में आए नए तथ्य

उस ने बताया कि यह बाइक उस के नाम पंजीकृत जरूर है, लेकिन एक साल पहले उस ने यह बाइक लखन नाम के व्यक्ति को बेच दी थी, जिस ने शायद लौकडाउन के कारण इसे अपने नाम पर अभी ट्रांसफर नहीं कराया है.

पुलिस ने उस की बात पर विश्वास करने से पहले प्रवीण की वारदात वाले दिन की गतिविधियों का पता लगाया और उस के मोबाइल की लोकेशन चैक की तो पता कि वारदात के वक्त वह अपने घर में मौजूद था. लिहाजा पुलिस ने उस से लखन नाम के उस व्यक्ति का फोन नंबर व पता हासिल किया, जिसे उस ने अपनी बाइक बेची थी.

लखन गोविंदपुरी, दिल्ली का रहने वाला था. पुलिस ने उसे भी रात में ही दबोच लिया और थाने ले आई. जब लखन को पता चला कि जो बाइक उस ने प्रवीण से खरीदी थी, उस का इस्तेमाल किसी पर जानलेवा हमला करने में हुआ है तो लखन ने भी माथा पीट लिया.

जितेंद्र मलिक समझ गए कि कोई खास बात है, जो लखन ने ऐसी प्रतिक्रिया दी है. लिहाजा उन्होंने थोड़ा सख्ती के साथ लखन से पूछा, ‘‘लगता है तुम्हें पता है कि भीमराज को गोली किस ने मारी है.’’

‘‘नहीं सर, मुझे कुछ नहीं पता. मैं तो यह भी नहीं जानता कि आप किस भीमराज की बात कर रहे हो… सर मैं तो अपने भतीजे की बात कर रहा हूं, जिस को मैं ने पिछले कुछ महीनों से ये गाड़ी चलाने के लिए दी हुई थी. अब पता नहीं उस ने किस को ये गाड़ी दी थी कि जिस ने यह कांड किया है.’’

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Manohar Kahaniya: चाची का आशिक- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

तब जमना ने कसम खा कर पति से कहा कि वह भविष्य में कभी भी मदनमोहन से बात नहीं करेगी. जमना ने पति से यह वादा कर तो लिया लेकिन मदन से बात किए बिना उस का मन नहीं लग रहा था. तब उस ने एक नई सिम ले ली. फिर वह उस नए नंबर से चोरीछिपे मदन से बतिया लेती. कमल ने सोचा कि बीवी ने मदनमोहन से बात करनी छोड़ दी है.

2 महीने बाद जमना को पुन: मदनमोहन से फोन पर बातें करते समय कमल ने पकड़ लिया. तब कमल ने जमना को जम कर पीटा और मदनमोहन को भी फोन कर के धमकाया, ‘‘हरामजादे, तेरे खिलाफ अपनी बीवी से बलात्कार करने का मुकदमा दर्ज कराऊंगा. तब तू सुधरेगा.’’

इतनी पिटाई के बाद भी जमना नहीं सुधरी. उसे अपने प्रेमी से बात करनी नहीं छोड़ी.

इस के बाद कमल सिंह ने एक बार फिर बीवी को मदनमोहन से बात करते पकड़ा. तब बीवी को पीटा और मदनमोहन को धमकी दी कि उस ने अगर 2 लाख रुपए नहीं दिए तो वह बलात्कार का मामला दर्ज करा कर सारे परिवार व रिश्तेदारों से तुम दोनों के अवैध संबंधों की पोल खोल देगा.

मदनमोहन डर गया. उस ने कहा कि उस के पास इतने रुपए नहीं हैं. वह रुपए किस्तों में दे देगा. वह बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज न कराएं. इस के बाद कमल ने 14 फरवरी, 2021 को फोन कर मदनमोहन को भिवाड़ी बुलाया. शाम 5 बजे मदनमोहन भिवाड़ी स्थित कमल के घर आया. इस के बाद कमल और मदनमोहन ने साथ बैठ कर शराब पी.

जब शराब का नशा चढ़ा तो कमल ने मदनमोहन से पूछा कि 2 लाख रुपए देगा तो बलात्कार का मामला दर्ज नहीं कराऊंगा. तब मदनमोहन ने कहा कि वह किस्तों में रुपए जरूर दे देगा.

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इस के बाद कमल, जमना व मदनमोहन कमरे में एक ही बैड पर सो गए. कमल के दिमाग में तो उस समय कुछ और ही चल रहा था. वह चुपके से उठा और पास में सो रही अपनी बीवी और मदनमोहन के इस तरह फोटो खींचने लगा जैसे वे दोनों एक साथ सो रहे हैं.

फोटो खींच कर कमल ने मदनमोहन और जमना को जगा कर कहा, ‘‘अब मैं रिश्तेदारों को फोन कर के बुलाता हूं और पूरी कालोनी के लोगों को बुला कर बताता हूं कि मैं ने तुम दोनों को शारीरिक संबंध बनाते रंगेहाथों पकड़ा है.’’

तब कमल की पत्नी जमना बोली कि ऐसा मत करो. लेकिन कमल नहीं माना और जिद करने लगा कि वह लोगों को तुम्हारे अवैध संबंधों के बारे में बता कर ही रहेगा.

अपनी पोल खुलने के डर से मदनमोहन ने कमल सिंह को पकड़ लिया और जमना ने अपनी चुन्नी पति के गले में डाल कर जोर से कस दी, जिस से कमल की मृत्यु हो गई. तब मदन और जमना के हाथपांव फूल गए. मगर कमल तो मर चुका था.

तब दोनों ने कमल की लाश ठिकाने लगाने की योजना बनाई, जिस के तहत जमना उसी समय अपने जेठ भीम सिंह के घर गई और उन की बाइक की चाबी यह कह कर ले आई कि कमल को अभी एटीएम से पैसे निकालने बल्लभगढ़ जाना है.

जमना और मदन ने कमल की बाइक पर रात करीब एक बजे कमल के शव को इस तरह दोनों के बीच बिठा कर रखा जैसे किसी बीमार को अस्पताल ले जा रहे हैं. दोनों बाइक पर शव को बाबा मोहनराम के जंगलों में डालने के लिए रवाना हुए लेकिन सड़क पर आने पर बाइक के पीछे पुलिस गश्त की मोटरसाइकिल देख कर मदनमोहन ने बाइक हेतराम चौक से सेक्टर-5 की तरफ मोड़ दी.

सेक्टर-5 व 6 वाली रोड पर बस की लाइट दिखाई देने पर दोनों ने शव को सेक्टर-5 में खाली प्लौट के सामने सड़क किनारे पटक दिया और वापस घर आ गए. मोटरसाइकिल पर मृतक कमल के पैर जमीन पर लटक रहे थे, जिस के कारण दोनों पैरों के अंगूठे आगे से रगड़ कर छिल गए थे. लाश ठिकाने लगाने के बाद आरोपी मदनमोहन फरीदाबाद चला गया.

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अगली सुबह यानी 15 फरवरी, 2021 सड़क पर शव देख कर साढ़े 7 बजे थाना यूआईटी भिवाड़ी फेज-3 के थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार को किसी राहगीर ने शव पड़े होने की सूचना दी. इस के बाद थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे.

पुलिस ने मृतक की बाइक और जमना देवी व मदनमोहन के मोबाइल जब्त कर के पूछताछ के बाद दोनों को भिवाड़ी कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

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सौजन्य-मनोहर कहानियां

मोहन सिंह रसाल कंवर से भी बड़ी चिकनीचुपड़ी बातें करता था. जब डूंगरदान मजदूरी करने चला जाता और उस के बच्चे स्कूल तो घर में रसाल कंवर अकेली रह जाती. ऐसे मौके पर मोहन सिंह उस के यहां आने लगा. मीठीमीठी बातों में रसाल को भी रस आने लगा. मोहन सिंह अच्छीखासी कदकाठी का युवक था.रसाल और मोहन के बीच धीरेधीरे नजदीकियां बढ़ने लगीं.

थोड़े दिनों के बाद दोनों के बीच अवैध संबंध कायम हो गए. इस के बाद रसाल कंवर उस की दीवानी हो गई. डूंगरदान हर रोज सुबह मजदूरी पर निकल जाता तो फिर शाम होने पर ही घर लौटता था.

रसाल और मोहन पूरे दिन रासलीला में लगे रहते. डूंगरदान की पीठ पीछे उस की ब्याहता कुलटा बन गई थी. दिन भर का साथ उन्हें कम लगने लगा था. मोहन चाहता था कि रसाल कंवर रात में भी उसी के साथ रहे, मगर यह संभव नहीं था. क्योंकि रात में पति घर पर होता था.

ऐसे में एक दिन मोहन सिंह ने रसाल कंवर से कहा, ‘‘रसाल, जीवन भर तुम्हारा साथ तो निभाऊंगा ही, साथ ही एक प्लौट भी तुम्हें ले कर दूंगा. लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम्हारे बदन को अब मेरे सिवा और कोई न छुए. तुम्हारे तनमन पर अब सिर्फ मेरा अधिकार है.’’

‘‘मैं हर पल तुम्हारा साथ निभाऊंगी.’’ रसाल कंवर ने प्रेमी की हां में हां मिलाते हुए कहा.

रसाल के दिलोदिमाग में यह बात गहराई तक उतर गई थी कि मोहन उसे बहुत चाहता है. वह उस पर जान छिड़कता है. रसाल भी पति को दरकिनार कर पूरी तरह से मोहन के रंग में रंग गई. इसलिए दोनों ने डूंगरदान को रास्ते से हटाने का मन बना लिया. लेकिन इस से पहले ही डूंगरदान को पता चल गया कि उस की गैरमौजूदगी में मोहन सिंह दिन भर उस के घर में पत्नी के पास बैठा रहता है.

यह सुनते ही उस का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. गुस्से से भरा डूंगरदान घर आ कर चिल्ला कर पत्नी से बोला, ‘‘मेरी गैरमौजूदगी में मोहन यहां क्यों आता है, घंटों तक यहां क्या करता है? बताओ, तुम से उस का क्या संबंध है?’’ कहते हुए उस ने पत्नी का गला पकड़ लिया.

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रसाल मिमियाते हुए बोली, ‘‘वह तुम्हारा दोस्त है और तुम्हें ही पूछने आता है. मेरा उस से कोई रिश्ता नहीं है. जरूर किसी ने तुम्हारे कान भरे हैं. हमारी गृहस्थी में कोई आग लगाना चाहता है. तुम्हारी कसम खा कर कहती हूं कि मोहन सिंह से मैं कह दूंगी कि वह अब घर कभी न आए.’’

पत्नी की यह बात सुन कर डूंगरदान को लगा कि शायद रसाल सच कह रही है. कोई जानबूझ कर उन की गृहस्थी तोड़ना चाहता है. डूंगरदान शरीफ व्यक्ति था. वह बीवी पर विश्वास कर बैठा. रसाल कंवर ने अपने प्रेमी मोहन को भी सचेत कर दिया कि किसी ने उस के पति को उस के बारे में बता दिया है. इसलिए अब सावधान रहना जरूरी है.

उधर डूंगरदान के मन में पत्नी को ले कर शक उत्पन्न तो हो ही गया था. इसलिए वह वक्तबेवक्त घर आने लगा. एक रोज डूंगरदान मजदूरी पर गया और 2 घंटे बाद घर लौट आया. घर का दरवाजा बंद था. खटखटाने पर थोड़ी देर बाद उस की पत्नी रसाल कंवर ने दरवाजा खोला. पति को अचानक सामने देख कर उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं.

डूंगरदान की नजर कमरे में अंदर बैठे मोहन सिंह पर पड़ी तो वह आगबबूला हो गया. उस ने मोहन सिंह पर गालियों की बौछार कर दी. मोहन सिंह गालियां सुन कर वहां से चला गया. इस के बाद डूंगरदान ने पत्नी की लातघूंसों से खूब पिटाई की. रसाल लाख कहती रही कि मोहन सिंह 5 मिनट पहले ही आया था. मगर पति ने उस की एक न सुनी.

पत्नी के पैर बहक चुके थे. डूंगरदान सोचता था कि गलत रास्ते से पत्नी को वापस कैसे लौटाया जाए. वह इसी चिंता में रहने लगा. उस का किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था. वह चिड़चिड़ा भी हो गया था. बातबात पर उस का पत्नी से झगड़ा हो जाता था.

आखिर, रसाल कंवर पति से तंग आ गई. यह दुख उस ने अपने प्रेमी के सामने जाहिर कर दिया. तब दोनों ने तय कर लिया कि डूंगरदान को जितनी जल्दी हो सके, निपटा दिया जाए.

रसाल कंवर पति के खून से अपने हाथ रंगने को तैयार हो गई. मोहन सिंह ने योजना में अपने दोस्त मांगीलाल को भी शामिल कर लिया. मांगीलाल भीनमाल में ही रहता था.

साजिश के तहत रसाल और मोहन सिंह 12 जुलाई, 2019 को डूंगरदान को उपचार के बहाने बोलेरो गाड़ी में जालौर के राजकीय चिकित्सालय ले गए. मांगीलाल भी साथ था. वहां उस के नाम की परची कटाई. डाक्टर से चैकअप करवाया और वापस भीनमाल रवाना हो गए. रास्ते में मौका देख कर रसाल कंवर और मोहन सिंह ने डूंगरदान को मारपीट कर अधमरा कर दिया. फिर उस का गला दबा कर उसे मार डाला.

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इस के बाद डूंगरदान की लाश को ठिकाने लगाने के लिए बोलेरो में डाल कर बोरटा से लेदरमेर जाने वाले सुनसान कच्चे रास्ते पर ले गए, जिस के बाद डूंगरदान के शरीर पर पहने हुए कपड़े पैंटशर्ट उतार कर नग्न लाश वन विभाग की खाली पड़ी जमीन पर डाल कर रेत से दबा दी. उस के बाद वे भीनमाल लौट गए.

भीनमाल में रसाल कंवर ने आसपास के लोगों से कह दिया कि उस का पति जालौर अस्पताल चैकअप कराने गया था. मगर अब उस का कोई पता नहीं चल रहा. तब डूंगरदान की गुमशुदगी उस के रिश्तेदार शैतानदान चारण ने जालौर सिटी कोतवाली में दर्ज करा दी.

पुलिस पूछताछ में पता चला कि आरोपी मोहन सिंह आपराधिक प्रवृत्ति का है. उस ने अपने साले की बीवी की हत्या की थी. इन दिनों वह जमानत पर था. मोहन सिंह शादीशुदा था, मगर बीवी मायके में ही रहती थी. भीनमाल निवासी मांगीलाल उस का मित्र था. वारदात के बाद मांगीलाल फरार हो गया था.

थाना रामसीन के इंचार्ज छतरसिंह देवड़ा अवकाश से ड्यूटी लौट आए थे. उन्होंने भी रिमांड पर चल रहे रसाल कंवर और मोहन सिंह राव से पूछताछ की.

रिमांड अवधि समाप्त होने पर पुलिस ने 19 जुलाई, 2019 को दोनों आरोपियों रसाल कंवर और मोहन सिंह को फिर से कोर्ट में पेश कर दोबारा 2 दिन के रिमांड पर लिया और उन से पूछताछ कर कई सबूत जुटाए. उन की निशानदेही पर मृतक के कपड़े, वारदात में प्रयुक्त बोलेरो गाड़ी नंबर आरजे14यू बी7612 बरामद की गई. मृतक डूंगरदान के कपडे़ व चप्पलें रामसीन रोड बीएड कालेज के पास रेल पटरी के पास से बरामद कर ली गईं.

पूछताछ पूरी होने पर दोनों आरोपियों को 21 जुलाई, 2019 को कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. पुलिस तीसरे आरोपी मांगीलाल माली को तलाश कर रही है.

Manohar Kahaniya: बबिता का खूनी रोहन- भाग 3

इंसपेक्टर मलिक की सख्ती पर सहमे हुए लखन ने बताया तो मलिक ने उसे पूरी बात साफसाफ बताने के लिए कहा.

तब लखन ने बताया कि उस ने करीब एक साल पहले यह बाइक प्रवीण से खरीदी थी. उस समय वह एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था, लेकिन बाइक खरीदने के कुछ दिन बाद ही कोरोना महामारी के कारण हुए लौकडाउन में उस की नौकरी चली गई और वह बेरोजगार हो गया.

बाइक अकसर घर पर ही खड़ी रहती थी. इसी दौरान कुछ महीने पहले उस के बड़े भाई के बेटे रोहन उर्फ मनीष की एयरटेल कंपनी में नौकरी लग गई, लेकिन उस के पास भागदौड़ करने के लिए कोई साधन नहीं था.

लिहाजा उस ने अपनी बाइक रोहन को दे दी और कहा जब वह अपने लिए दूसरी बाइक खरीद ले तब उस की बाइक वापस कर देना. इस के बाद से रोहन ही उस की बाइक का इस्तेमाल करता है. उसे नहीं पता कि भीमराज पर गोली किस ने चलाई. रोहन ने खुद इस का इस्तेमाल किया था या किसी अन्य व्यक्ति को उस ने बाइक इस्तेमाल के लिए दी थी.

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जांच ले गई आरोपी रोहन तक

यह बात तो साफ हो गई कि लखन की बाइक का इस्तेमाल भीमराज पर हुए हमले में किया गया था. लेकिन वारदात वाले दिन बाइक कौन ले कर गया था, इस का खुलासा होना मुश्किल काम नहीं था. इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक ने तत्काल सीसीटीवी की फुटेज लखन को दिखाई तो उस ने साफ कर दिया कि बाइक पर सवार युवक उस का भतीजा रोहन ही है. बस इस के बाद पुलिस के लिए रोहन को पकड़ना कोई मुश्किल काम नहीं था. पुलिस टीम ने अगली सुबह ही रोहन को उस के घर से सोते हुए दबोच लिया.

थाने ला कर जब रोहन से पूछताछ शुरू हुई तो पहले वह इधरउधर की बातें करता रहा. लेकिन जब पुलिस ने उसे सीसीटीवी में कैद हुई उस की तसवीरें दिखाईं तो उस ने कबूल कर लिया कि उसी ने भीमराज को गोली मारी थी.

आखिर ऐसी क्या बात थी कि रोहन ने भीमराज को गोली मार दी. इस सवाल के जवाब में रोहन ने कहा कि भीमराज ने उस दिन गाड़ी चलाते समय उस की बाइक को टक्कर मार दी थी और जब उस ने विरोध जताया तो वह भद्दी गालियां देने लगा. इसी बात से गुस्से में आ कर उस ने पीछा करते हुए एंड्रयूजगंज में जा कर उसे गोली मार दी.

हालांकि रोडरेज के दौरान गुस्से में गोली मार देना, दिल्ली शहर में कोई नई बात नहीं है. क्योंकि इस तरह की घटनाएं यहां अकसर होती रहती हैं. लेकिन थानाप्रभारी मलिक को रोहन की बात पर इसलिए भरोसा नहीं हुआ क्योंकि वे रोहन द्वारा भीमराज को गोली मारने की साजिश तक पहुंच चुके थे.

दरअसल, थानाप्रभारी जितेंद्र मलिक ने भीमराज और बबीता के मोबाइल फोन की जो काल डिटेल्स निकलवाई थी, उस ने रोहन के झूठ की कलई खुल गई.

दरअसल, काल डिटेल्स की जांच के बाद पुलिस ने सब से पहले भीमराज के फोन पर आने वाले नंबरों में इस बात की पड़ताल की थी कि घटना वाले दिन या उस से पहले या कुछ महीनों के दौरान उस ने सब से ज्यादा किन लोगों से बात की थी.

बबीता के मोबाइल की काल डिटेल्स की जांच की गई तो पता चला कि पिछले 3 महीनों से बबीता एक नंबर पर सब से ज्यादा और लंबीलंबी बातें किया करती थी. उस नंबर पर देर रात में भी बात करने की डिटेल थी. इसी नंबर पर वाट्सऐप मैसेजों का भी आदानप्रदान था. जिस दिन भीमराज को गोली मारी गई थी, उस दिन सुबह 7 बजे से ही इस नंबर पर बातें हुईं.

इतना ही नहीं, जिस वक्त एंड्रयूजगंज में भीमराज को गोली लगी, उस के 10 मिनट बाद भी इसी नंबर से बबीता के फोन पर काल की गई. बाद में भी कुछ काल्स के रिकौर्ड मिले. हालांकि जब बबीता से इस बात की जानकारी ली गई तो उस ने बताया कि उस ने अपने पार्लर पर जो पेमेंट स्वाइप मशीन लगवाई हुई है, उस में नेटवर्किंग की दिक्कत रहती है, इसी संबध में वह एयरटेल कंपनी के नेटवर्किंग एग्जीक्यूटिव से बात करती है. पूछने पर उस ने एग्जीक्यूटिव का नाम रोहन बताया.

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इधर जब पुलिस ने उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि रोहन गोविंदपुरी की गली नंबर 13 में रहता है.

रोहन जब कभी रोडरेज, तो कभी लेनदेन के विवाद की कहानी बता कर पुलिस को काफी देर तक उलझाता रहा तो इंसपेक्टर मलिक ने उस के सामने वो काल डिटेल्स रख दी, जिस में उस के फोन व बबीता के नंबर पर दिन व रात में अनगिनत बार लंबीलंबी बातें करने का रिकौर्ड था.

आखिर रोहन ने बता दी सच्चाई

रोहन पुलिस को पूछताछ में बबीता से बात करने और रातों में बातचीत का कोई स्पष्ट कारण नहीं बता सका. इसीलिए पुलिस ने जब उस के साथ सख्ती की तो वह टूट गया और उस ने सच उगल दिया.

रोहन से पूछताछ के बाद इस वारदात के पीछे नाजायज रिश्ते की एक ऐसी कहानी सामने आई, जिस में एक अधेड़ उम्र की महिला ने कमउम्र के नौजवान को अपने प्यार के जाल में फांस कर उस की ऐसी मतिभ्रष्ट कर दी कि महिला के कहने पर उस ने अधेड़ प्रेमिका के पति को गोली मार दी.

दरअसल, बबीता की उम्र भले ही 42 की हो गई थी, लेकिन ब्यूटीपार्लर चलाने के कारण आज भी वह अपने 45 साल के पति से ज्यादा आकर्षक व सुंदर थी. भीमराज के तीनों बच्चे किशोरावस्था की दहलीज से निकल कर जवानी की तरफ कदम बढ़ा रहे थे. इस कारण उस में अब पत्नी के प्रति आकर्षण कम हो गया था और बच्चों  व घरगृहस्थी चलाने की जद्दोजहद उस पर ज्यादा सवार रहती थी.

ढलती जवानी में जब पति अपनी पत्नी की देह से ऐसा उदासीन व्यवहार करे तो कुछ महिलाएं रास्ता भटक ही जाती हैं. हां, भीमराज जब कभी शराब के नशे में होता तो वह जरूर बबीता की देह को जम कर रौंदता था. लेकिन बबीता चाहती थी कि उस का पति उसे न सिर्फ प्यार करे बल्कि उसे अपने व्यवहार से भी इस बात का अहसास कराए.

बस अपने प्रति इसी उदासीन व्यवहार के कारण बबीता पति से इतर किसी दूसरे शख्स  में इस अहसास को तलाशने लगी. यह सितंबर 2020 महीने की बात है. बबीता ने अपने पार्लर पर डिजिटल पेमेंट के लिए एयरटेल का ब्राडबैंड कनेक्शन तथा एक स्वाइप मशीन लगवाई थी. इसी संबध में एयरटेल की तरफ से रोहन उस के यहां एग्जीक्यूटिव बन कर आया था. 23 साल का गबरू जवान और गठीला शरीर. न जाने क्या था, रोहन के व्यक्तित्व में कि बबीता पहली ही नजर में उस पर फिदा हो गई.

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रोहन ने भी पहली मुलाकात में ही बबीता की आखों में भरी मस्ती और देह में बसी तड़प को पढ़ लिया था. पहली ही मुलाकात के बाद दोनों के बीच नंबरों का आदानप्रदान हो गया. बबीता छोटीछोटी बात पर किसी बहाने से रोहन को अपने पार्लर पर बुलाने लगी.

2-4 मुलाकातों के बाद शिष्टाचार की भेंट अपनत्व में बदल गई और निजी व परिवार की बातें भी होने लगीं.

ब्यूटीपार्लर में रखी प्यार की नींव

बबीता जहां अपने अतृप्त प्यार को पाने के लिए रोहन की तरफ झुकी जा रही थी तो जवान जिस्म की देह सुगंध से महरूम रोहन भी जल्द से जल्द बबीता के मादक जिस्म  की देह को पाने के लिए मचल रहा था.

जल्द ही दोनों के बीच ऐसे रिश्ते बन गए, जिन्हें समाज नाजायज रिश्तों का नाम देता है. रोहन के जवान जिस्म  के स्पर्श ने बबीता में एक अजीब सा रोमांच भर दिया था. वे दोनों अकसर मिलने लगे.

बबीता कभी रोहन को अपने पार्लर पर बुला कर अपनी अतृप्त देह को तृप्त कर लेती तो कभी उसे पति व बच्चों की अनुपस्थिति में अपने घर बुला लेती. कभीकभी वे किसी होटल का कमरा बुक कर के अपने अरमानों को पूरा करने लगे.

अपनी उम्र से 20 साल छोटे रोहन के प्यार में बबीता इस कदर पागल हो चुकी थी कि इस बात को भी भूल गई थी कि वह एक शादीशुदा औरत है और रोहन की उम्र से कुछ ही छोटे 3 बच्चों की मां भी है.

अगले भाग में पढ़ें-  रोहन को घर बुलवा कर हुई पिटाई

Manohar Kahaniya: बबिता का खूनी रोहन- भाग 4

रोहन के प्यार में डूबी बबीता अकसर उस से फोन पर लंबीलंबी बातें करती. रात में भी दोनों चोरीछिपे प्यार भरी बातें करते और दोनों वाट्सऐप पर भी एकदूसरे को मैसेज करते रहते थे. रोहन तो बबीता को काम कलाओं की अश्लील तस्वीरें तथा वीडियो तक वाट्सऐप पर भेजने लगा.

पहली जनवरी की रात की बात है. बबीता उस वक्त बाथरूम में थी. फोन बैड पर रखा था. उसी वक्त वाट्सऐप पर एक मैसेज का नोटिफिकेशन देख पति भीमराज ने फोन उठा कर देख लिया. संयोग से फोन में लौक नहीं लगा था.

मैसेज देखते ही भीमराज के पांव तले की जमीन जैसे खिसक गई, फोन में पड़े दरजनों अश्लील फोटो और वीडियो तथा चैट देख कर भीमराज का शरीर गुस्से से कांपने लगा. उस दिन भीमराज के सामने साफ हो गया कि उस की पत्नी के किसी युवक से नाजायज संबध हैं और उस ने युवक का नंबर लाइफ के नाम से अपने फोन में सेव किया हुआ है. उस रात भीमराज और बबीता के बीच इस बात को ले कर जम कर झगड़ा हुआ और भीमराज ने अपनी पत्नी की जम कर पिटाई कर दी.

बस इस के बाद तो यह आए दिन की बात हो गई. जब एक बार शक का कीड़ा दांपत्य जीवन में आ जाता है तो बसीबसाई गृहस्थी बिखर जाती है. लेकिन यहां तो शक नहीं एक सच्चाई थी, जो उजागर हो गई थी.

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रोहन को घर बुलवा कर की पिटाई

कुछ रोज बाद भीमराज ने बबीता के साथ मारपीट कर उस से रोहन को फोन करवाया और उसे घर आने के लिए कहा. रोहन जब घर पहुंचा और वहां भीमराज को देखा तो समझ गया कि उस की पोल खुल चुकी है. भीमराज ने उस दिन रोहन की भी पिटाई कर दी और धमकी दी कि अगर उस ने बबीता का पीछा नहीं छोड़ा तो वह उसे जेल भिजवा देगा. जेल जाने के डर से उस समय रोहन अपमान का घूंट पी कर रह गया.

लेकिन इस के बाद भीमराज व बबीता में आए दिन झगड़े होने लगे. एक दिन इसी से आजिज आ कर बबीता ने रोहन से मुलाकात की और उस से कहा कि अगर वह उस से सच्चा प्यार करता है तो किसी भी तरह उसे भीमराज से छुटकारा दिला दे. उस ने रोहन से अपने पति की हत्या करने के लिए कहा. साथ ही वादा किया कि अगर वह ऐसा कर देगा तो वह उसे अपने साथ रख लेगी. उस का अपना मकान है. वह खुद भी कमाती है दोनों साथ मिल कर आगे की जिंदगी खुशी से बिताएंगे.

रोहन तो पहले से ही अपमान की आग में जल रहा था. बबीता के कहने पर रोहन आवेश में आ गया और उस ने बिना सोचेसमझे व अंजाम की परवाह किए भीमराज की हत्या की साजिश रच डाली. उस ने सब से पहले  एक पिस्तौल और कारतूस की व्यवस्था की. इस के बाद उस ने कई दिन तक बबीता से फोन पर जानकारी ले कर भीमराज की दिनचर्या का पता लगाना शुरू कर दिया और उस की रेकी करने लगा. बबीता उसे सब कुछ बताती रही कि वह कब घर से निकला है, कब और कहां जा रहा है.

रोहन ने 10 मार्च, 2021 का दिन चुना. उस दिन वह अपनी बाइक ले कर सुबह ही घर से निकल पड़ा. वह भीमराज के घर से करीब 3 किलोमीटर दूर हुडको प्लेस के पास भीमराज का इंतजार करने लगा.

दरअसल, भीमराज औफिस जाने से पहले यहां बने पार्क में घूमने जाता था. काफी देर तक वह भीमराज को मारने का मौका देखता रहा, लेकिन भीड़ ज्यादा होने के कारण उसे मौका नहीं मिला.

सुबह करीब साढ़े 8 बजे भीमराज पार्क से निकला और अपनी वैगनआर पार्किंग से निकाल कर घर की तरफ रवाना हो गया. रोहन भी बाइक से उस का पीछा करने लगा. कोई पहचान न ले, इसलिए उस ने हाथ में पकड़ा हेलमेट सिर पर लगा लिया और अपनी बाइक की दोनों नंबर प्लेटें थोड़ी मोड़ लीं ताकि कोई उस का नंबर न पढ़ सके.

रोहन को एंड्रयूजगंज में बिजलीघर के पास मौका मिला, जहां भीमराज की गाड़ी की स्पीड कम थी और उस ने वहां पिस्तौल निकाल कर उस की गरदन पर गोली मार दी.

रोहन से पूछताछ के बाद पूरी वारदात का खुलासा हो चुका था, इसलिए पुलिस ने हत्या की साजिश में शामिल भीमराज की पत्नी बबीता को भी गिरफ्तार कर लिया. बबीता ने भी पूछताछ में अपने जुर्म का इकबाल कर लिया और बताया कि अपनी उपेक्षा से तंग आ कर उस ने रोहन के साथ संबध बनाए थे और खुलासा होने पर जब भीमराज अकसर उस से मारपीट करने लगा तो तंग आ कर उस ने उसे रास्ते से हटाने की साजिश रची.

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पुलिस ने आरोपी रोहन की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त पिस्तौल, 2 जिंदा कारतूस तथा महिंद्रा सेंटुरो बाइक भी बरामद कर ली. पुलिस ने जिस दिन रोहन व बबीता को गिरफ्तार किया, उसी दिन यानी 11 मार्च की शाम को इलाज के दौरान भीमराज की मौत हो गई.

डिफेंस कालोनी पुलिस ने मुकदमे में हत्या की धारा 302, 34 आईपीसी व आर्म्स एक्ट की धारा जोड़ कर दोनों अभियुक्तों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. अधेड़ उम्र की बबीता ने अपनी से आधी उम्र के आशिक के साथ ऐश करने के सपने संजोए थे, अब वह उसी के साथ तिहाड़ जेल की सलाखों के पीछे पहुंच चुकी है.

Manohar Kahaniya: रास्ते का कांटा

सौजन्य- मनोहर कहानियां

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे जनपद बाराबंकी के थाना सुबेहा क्षेत्र में एक गांव है ताला रुकनुद्दीनपुर. पवन सिंह इसी गांव में रहता था. 14 सितंबर, 2020 की शाम पवन सिंह अचानक गायब हो
गया. उस के घर वाले परेशान होने लगे कि बिना बताए अचानक कहां चला गया. किसी अनहोनी की आशंका से उन के दिल धड़कने लगे. समय के साथ धड़कनें और बढ़ने लगीं. पवन का कोई पता नहीं चल पा रहा था. पवन की तलाश अगले दिन 15 सितंबर को भी की गई. लेकिन पूरा दिन निकल गया, पवन का कोई पता नहीं लगा.

16 सितंबर को पवन के भाई लवलेश बहादुर को उस के मोबाइल पर सोशल मीडिया के माध्यम से एक लाश की फोटो मिली. फोटो लवलेश के एक परिचित युवक ने भेजी थी. लाश की फोटो देखी तो लवलेश फफक कर रो पड़ा. फोटो पवन की लाश की थी. दरअसल, पवन की लाश पीपा पुल के पास बेहटा घाट पर मिली थी. लवलेश के उस परिचित ने लाश देखी तो उस की फोटो खींच कर लवलेश को भेज दी. जानकारी होते ही लवलेश घर वालों और गांव के कुछ लोगों के साथ बेहटा घाट पहुंच गया.

लाश पवन की ही थी. पीपा पुल गोमती नदी पर बना था. गोमती के एक किनारे पर गांव ताला रुकनुद्दीनपुर था तो दूसरे किनारे पर बेहटा घाट. लेकिन बेहटा घाट थाना सुबेहा में नहीं थाना असंद्रा में आता था. लवलेश ने 112 नंबर पर काल कर के घटना की सूचना पुलिस को दे दी. कुछ ही देर में एसपी यमुना प्रसाद और 3 थानों असंद्रा, हैदरगढ़ और सुबेहा की पुलिस टीमें मौके पर पहुंच गईं. पवन के शरीर पर किसी प्रकार के निशान नहीं थे और लाश फूली हुई थी. एसपी यमुना प्रसाद ने लवलेश से आवश्यक पूछताछ की तो पता चला कि वह अपनी हीरो पैशन बाइक से घर से निकला था. बाइक पुल व आसपास कहीं नहीं मिली. पवन वहां खुद आता तो बाइक भी वहीं होती, इस का मतलब था कि वह खुद अपनी मरजी से नहीं आया था. जाहिर था कि उस की हत्या कर के लाश वहां फेंकी गई थी.

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पवन की बाइक की तलाश की गई तो बाइक कुछ दूरी पर टीकाराम बाबा घाट पर खड़ी मिली. यह क्षेत्र हैदरगढ़ थाना क्षेत्र में आता था. वारदात की पहल वहीं से हुई थी, इसलिए एसपी यमुना प्रसाद ने घटना की जांच का जिम्मा हैदरगढ़ पुलिस को दे दिया. हैदरगढ़ थाने के इंसपेक्टर धर्मेंद्र सिंह रघुवंशी ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. फिर लवलेश को साथ ले कर थाने आ गए. इंसपेक्टर रघुवंशी ने लवलेश की लिखित तहरीर पर अज्ञात के विरुद्ध भादंवि की धारा 302/201 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु की सही वजह पता नहीं चल पाई. इंसपेक्टर रघुवंशी के सामने एक बड़ी चुनौती थी. क्योंकि कोई भी सुराग हाथ नहीं लगा था. उन्होंने पवन की पत्नी शिम्मी उर्फ निशा और भाई लवलेश से कई बार पूछताछ की, लेकिन कोई भी अहम जानकारी नहीं मिल पाई. पवन के विवाह के बाद ही उस की मां ने घर का बंटवारा कर दिया था. पवन अपनी पत्नी निशा के साथ अलग रहता था. इसलिए घर के अन्य लोगों को ज्यादा कुछ जानकारी नहीं थी.

स्वार्थ की शादी

समय गुजरता जा रहा था, लेकिन केस का खुलासा नहीं हो पा रहा था. जब कहीं से कुछ हाथ नहीं लगा तो इंसपेक्टर रघुवंशी ने अपनी जांच पवन की पत्नी पर टिका दी. वह उस की गतिविधियों की निगरानी कराने लगे. घर आनेजाने वालों पर नजर रखी जाने लगी तो एक युवक उन की नजरों में चढ़ गया. वह पवन के गांव का ही अजय सिंह उर्फ बबलू था. अजय का पवन के घर काफी आनाजाना था. वह घर में काफी देर तक रुकता था.

अजय के बारे में और पता किया गया तो पता चला कि अजय ने ही पवन से निशा की शादी कराई थी. निशा अजय की बहन की जेठानी की लड़की थी. यानी रिश्ते में वह अजय की भांजी लगती थी. पहले तो उन को यही लगा कि अजय अपना फर्ज निभा रहा है लेकिन जैसेजैसे जांच आगे बढ़ी तो उन्हें दोनों के संबंधों पर संदेह होने लगा. इंसपेक्टर रघुवंशी ने उन दोनों के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. पता चला, दोनों के बीच हर रोज काफी देर तक बातें होती थीं. दोनों के बीच जो रिश्ता था, उस में इतनी ज्यादा बात होना दाल में काला होना नहीं, पूरी दाल ही काली होना साबित हो रही थी.

7 फरवरी, 2021 को इंसपेक्टर धर्मेंद्र रघुवंशी ने अजय को टीकाराम मंदिर के पास से और निशा को गांव अलमापुर में उस की मौसी के घर से गिरफ्तार कर लिया. जिला बाराबंकी के सुबेहा थाना क्षेत्र के गांव ताला रुकनुद्दीनपुर में अजय सिंह उर्फ बबलू रहता था. अजय के पिता का नाम मान सिंह था और वह पेशे से किसान थे. अजय 3 बहनों में सब से छोटा था. इंटर तक पढ़ाई करने के बाद अजय अपनी पुश्तैनी जमीन पर खेती करने लगा था.

निशा उर्फ शिम्मी अजय की बड़ी बहन अनीता (परिवर्तित नाम) की जेठानी की लड़की थी. शिम्मी के पिता चंद्रशेखर सिंह कोतवाली नगर क्षेत्र के भिखरा गांव में रहते थे, वह दिव्यांग थे, किसी तरह खेती कर के अपने परिवार का भरणपोषण करते थे. निशा की एक बड़ी बहन और 2 बड़े भाई बबलू और मोनू थे. बबलू पंजाब में फल की दुकान लगाता था. मोनू सऊदी अरब काम करने चला गया था. निशा अलमापुर में रहने वाली अपनी मौसी के यहां रहती थी. हमउम्र अजय और निशा रिश्ते में मामाभांजी लगते थे. जहां निशा हसीन थी, वहीं अजय भी खूबसूरत नौजवान था. निशा ने 11वीं तक तो अजय ने इंटर तक पढ़ाई की थी.
दोनों जब भी मिलते, एकदूसरे के मोहपाश में बंध जाते. दोनों मन ही मन एकदूसरे को चाहने लगे थे. लेकिन रिश्ता ऐसा था कि वे अपनी चाहत को जता भी नहीं सकते थे. लेकिन चाहत किसी भी उम्र और रिश्ते को कहां मानती है, वह तो सिर्फ अपना ही एक नया रिश्ता बनाती है, जिस में सिर्फ प्यार होता है. ऐसा प्यार जिस में वह कोई भी बंधन तोड़ सकती है.

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दोनों बैठ कर खूब बातें करते. बातें जुबां पर कुछ और होतीं लेकिन दिल में कुछ और. आंखों के जरिए दिल का हाल दोनों ही जान रहे थे लेकिन पहल दोनों में से कोई नहीं कर रहा था. दोनों की चाहत उन्हें बेचैन किए रहती थीं. दोनों एकदूसरे के इतना करीब आ गए थे कि एकदूसरे के बिना नहीं रह सकते थे. लेकिन प्यार के इजहार की नौबत अभी तक नहीं आई थी.

आखिरकार अजय ने सोच लिया कि वह अपने दिल की बात निशा से कर के रहेगा. संभव है, निशा किसी वजह से कह न पा रही हो. अगली मुलाकात में जब दोनों बैठे तो अजय निशा के काफी नजदीक बैठा. निशा के दाहिने हाथ को वह अपने दोनों हाथों के बीच रख कर बोला, ‘‘निशा, काफी दिनों की तड़प और बेचैनी का दर्द सहने के बाद आज मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं.’’ कह कर अजय चुप हो गया. निशा अजय के अंदाज से ही जान गई कि वह आज तय कर के आया है कि अपने दिल की बात जुबां पर ला कर रहेगा. इसलिए निशा ने उस के सामने अंजान बनते हुए पूछ लिया, ‘‘ऐसी कौन सी बात है जो तुम बेचैन रहे और तड़पते रहे, मुझ से कहने में हिचकते रहे.’’

अजय ने एक गहरी सांस ली और हिम्मत कर के बोला, ‘‘मेरा दिल तुम्हारे प्यार का मारा है. तुम्हें बेहद चाहता है, दिनरात मुझे चैन नहीं लेने देता. इस के चक्कर में मेरी आंखें भी पथरा गई हैं, आंखों में नींद कभी अपना बसेरा नहीं बना पाती. अजीब सा हाल हो गया है मेरा. मेरी इस हालत को तुम ही ठीक कर सकती हो मेरा प्यार स्वीकार कर के… बोलो, करोगी मेरा प्यार स्वीकार?’’ ‘‘मेरे दिल की जमीन पर तुम्हारे प्यार के फूल तो कब के खिल चुके थे, लेकिन रिश्ते की वजह से और नारी सुलभ लज्जा के कारण मैं तुम से कह नहीं पा रही थी. इसलिए सोच रही थी कि तुम ही प्यार का इजहार कर दो तो बात बन जाए. तुम भी शायद रिश्ते की वजह से हिचक रहे थे, तभी इजहार करने में इतना समय लगा दिया.’’

‘‘निशा, यह जान कर मुझे बेहद खुशी हुई कि तुम भी मुझे चाहती हो और तुम ने मेरा प्यार स्वीकार कर लिया. नाम का यह रिश्ता तो दुनिया का बनाया हुआ है, उसे हम ने तो नहीं बनाया. हमारी जिंदगी है और हम अपनी जिंदगी का फैसला खुद करेंगे न कि दूसरे लोग. रिश्ता हम दोनों के बीच वही रहेगा जो हम दोनों बना रहे हैं, प्यार का रिश्ता.’’ निशा अजय के सीने से लग गई, अजय ने भी उसे अपनी बांहों के घेरे में ले लिया. दोनों ने एकदूसरे का साथ पा लिया था, इसलिए उन के चेहरे खिले हुए थे. कुछ ही दिनों में दोनों के बीच शारीरिक रिश्ता भी कायम हो गया.

समय के साथ दोनों का रिश्ता और प्रगाढ़ होता चला गया. दोनों जानते थे कि वे विवाह के बंधन में नहीं बंध पाएंगे, फिर भी अपने रिश्ते को बनाए रखे थे. निशा का विवाह उस के घर वाले कहीं और करें और निशा उस से दूर हो जाए, उस से पहले अजय ने निशा का विवाह अपने ही गांव में किसी युवक से कराने की ठान ली. जिस से निशा हमेशा उस के पास रह सके. पवन सिंह अजय के गांव ताला रुकनुद्दीनपुर में ही रहता था. पवन के पिता दानवीर सिंह चौहान की 2008 में मत्यु हो चुकी थी. परिवार में मां शांति देवी उर्फ कमला और 3 बड़ी बहनें और 3 बड़े भाई थे.

मनमर्जी की शादी

अजय ने निशा का विवाह पवन से कराने का निश्चय कर लिया. अजय ने इस के लिए अपनी ओर से कोशिशें करनी शुरू कर दीं. इस में उसे सफलता भी मिल गई. 2012 में दोनों परिवारों की आपसी सहमति के बाद निशा का विवाह पवन से हो गया. निशा मौसी के घर से अपने पति पवन के घर आ गई. विवाह के बाद पवन की मां ने बंटवारा कर दिया. पवन निशा के साथ अलग रहने लगा. इस के बाद पवन की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई. पवन पिकअप चलाने लगा. लेकिन अधिक आमदनी हो नहीं पाती थी. जो होती थी, वह उसे दारू की भेंट चढ़ा देता था. कालांतर में निशा ने एक बेटी शिवांशी (7 वर्ष) और एक बेटे अंश (5 वर्ष) को जन्म दिया.

अजय ने भी निशा के विवाह के एक साल बाद फैजाबाद की एक युवती जया से विवाह कर लिया था. जया से उसे एक बेटा था. लेकिन निशा और अजय के संबंध बदस्तूर जारी थे. पवन शराब का इतना लती था कि उस के लिए कुछ भी कर सकता था. एक बार शराब पीने के लिए पैसे नहीं थे तो पवन निशा के जेवरात गिरवी रख आया. मिले पैसों से वह शराब पी गया. वह जेवरात निशा को अजय ने दिए थे. पवन की हरकतों से निशा और अजय बहुत परेशान थे. अपनी परेशानी दूर करने का तरीका भी उन्होंने खोज लिया. दोनों ने पवन को दुबई भेजने की योजना बना ली. इस से पवन से आसानी से छुटकारा मिल जाता. उस के चले जाने से उस की हरकतों से तो छुटकारा मिलता ही, साथ ही दोनों बेरोकटोक आसानी से मिलते भी रहते.

निशा और अजय ने मिल कर अयोध्या जिले के भेलसर निवासी कलीम को 70 हजार रुपए दे कर पवन को दुबई भेजने की तैयारी की. लेकिन दोनों की किस्मत दगा दे गई. लौकडाउन लगने के कारण पवन का पासपोर्ट और वीजा नहीं बन पाया. पवन को दुबई भेजने में असफल रहने पर उस से छुटकारा पाने का दोनों ने दूसरा तरीका जो निकाला, वह था पवन की मौत. अजय ने निशा के साथ मिल कर पवन की हत्या की योजना बनाई. 13 सितंबर को अजय ने पवन से कहा कि वह बहुत अच्छी शराब लाया है, उसे कल पिलाएगा. अच्छी शराब मिलने के नाम से पवन की लार टपकने लगी.

अगले दिन 14 सितंबर की रात 9 बजे पवन अपनी बाइक से अजय के घर पहुंच गया. वहां से अजय उसे टीकाराम बाबा के पास वाले तिराहे पर ले गया. अजय ने वहां उसे 2 बोतल देशी शराब पिलाई. पिलाने के बाद वह उसे पीपा पुल पर ले गया. वहां पहुंचतेपहुंचते पवन बिलकुल अचेत हो गया. अजय ने उसे उठा कर गोमती नदी में फेंक दिया. उस के बाद वह घर लौट गया.

लेकिन अजय और निशा की होशियारी धरी की धरी रह गई और दोनों पकड़े गए. आवश्यक कागजी खानापूर्ति करने के बाद इंसपेक्टर धर्मेंद्र रघुवंशी ने दोनों को न्यायालय में पेश कर दिया, वहां से दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया.

चाइल्ड पोर्नोग्राफी: यौनशोषण की सच्ची दास्तान

तुम्हारा नाम रामभवन है ?’ रामभवन के बांदा स्थित उसके घर पर आने वाले आदमी ने कहा.
‘जी सही जगह आये है आप. किस सिलसिले में हमसे मिलने आये है.‘ रामभवन ने उसको देखते हुये जवाब दिया.
‘मैं सीबीआई की टीम में हॅू. हमारे टीम के लोग बांदा के सरकारी गेस्ट हाउस में रूके है. आपको वहां बयान दर्ज कराने आना है.‘ सीबीआई का सदस्य बताने वाले आदमी ने जब यह कहा तो रामभवन के चेहरे की हवाईयां उडने लगी.
‘बयान…किस तरह का बयान हमें दर्ज कराना है.‘
‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर एक मुकदमें के सिलसिलें में जांच चल रही है. जिसमें आपके उपर भी आरोप है.‘
‘मेरे उपर आरोप है. पर मैने तो कुछ किया नहीं.‘
‘रामभवन बहुत नासमझ मत बनो. तुम्हारी पेन ड्राइव में बहुत सारी वीडियो क्लिप और फोटो मिली है.‘ बांदा में सिचाई विभाग में कार्यरत जूनियर इंजीनियर रामभवन को इस बात का कोई अंदाजा लग चुका था कि सीबीआई उसके चारों तरफ मकडजाल बुन चुकी है. सीबीआई से आये हुये अफसर के साथ चलने के लिये खडा हुआ. घर के बाहर खडी गाडी में बैठ गया वहां से यह लोग सरकारी गेस्ट हाउस पहंुच गये. रामभवन की निगाह वहां पर अपने ड्राइवर अभय को देखकर रामभवन के दिल की धडकने बढ चुकी थी.
‘यह पेन ड्राइव तुम्हारी ही है‘. सीबीआई के एक अफसर ने रामभवन से पूछा. तो उसने देखा पर कोई जवाब नहीं दिया.
‘…….रामभवन चुप रहने का कोई लाभ नहीं है. एक माह से अधिक का समय हो गया है. सीबीआई की टीम सारे सबूत एकत्र कर चुकी है. विदेशी कई वेबसाइटों पर वह फोटो और वीडियो हमें दिखी जो तुम्हारी पेन ड्राइव में भी मौजूद है. तुम जिस तरह से बच्चों को मोबाइल खेलने के लिये देते हो, उनको उपहार और पैसे देते हो वह भी जानकारी हमारे पास है. तुम्हारे ड्राइवर अभय से हमने पूछताछ कर ली है. यही नहीं सोनभद्र के इंजीनियर नीरज यादव के बेवसाइट पर भी तुम्हारे द्वारा भेजी गई फोटो और वीडियों मिल गये है. अब तुमको पूछतांछ के लिये गिरफ्तार किया जाता है.‘

Ram bhawan

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45 साल के रामभवन को सीबीआई ने अपनी हिरासत में ले लिया. सीबीआई रामभवन को बांदा से आगे की तहकीकात के लिये चित्रकूट लेकर गई. बाद में वापस बांदा की अदालत में रामभवन को पेश किया गया. वहां उसकी पत्नी भी पहंुच चुकी थी. रामभवन तो अपने को बेकसूर बता ही रहा था उसकी पत्नी प्रियावती भी अपने पति को निर्दोष बता रही थी.
सीबीआई ने इसकी पडताल अगस्त-सितम्बर माह से शुरू की थी. सीबीआई टीम को बेल्जियम की एक साइट पर भारतीय बच्चों के पोर्नोग्राफी वीडियों देखने को मिले. इसकी जांच करते करते सीबीआई उत्तर प्रदेश के सोनभद्र और बांदा जिलों तक पहंुच गये. उत्तर प्रदेश के बुन्देलखंड के इस इलाके में गरीबी बहुत है. गरीबी को दूर करने के लिये सरकार ने यहां तमाम योजनाएं भी चला रखी है. इनमें कई विदेशियों की मदद से भी चलते है. कई एनजीओ का यहां आना जाना होता है. पूरे उत्तर प्रदेश में मदद के नाम पर सबसे अधिक पैसा यहां ही आता है.
गरीब लोगों की हालत का लाभ उठाकर उनसे मनचाहा काम भी यहंा करवाया जाता है. कई बार ऐसी खबरे यहां के अखबारों में सुखर््िायां बनती रही है. सीबीआई ने एक माह तक यहां गहरी विवेचना की. इस जांच में सीबीआई को सोनभद्र में रहने वाले इंजीनियर नीरज यादव का पता चला. सबसे पहले सीबीआई ने नीरज यादव को पकडा. यहां पर बांदा में रहने वाले सिचाई विभाग के इंजीनियर राम भवन का भी पता लगा.

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सीबीआई ने रामभवन के करीबी रहने वाले दिनेश को अपने भरोसे में लिया. दिनेश की पहचान छिपाकर सीबीआई ने रामभवन के बारें में पूछताछ की. इस मामले में सीबीआई की सबसे बडी परेशानी यह थी कि यहां कोई वादी मुकदमा नहीं था. सीबीआई अपनी पहल पर ही मुकदमा लिख चुकी थी. रामभवन के करीबी दिनेश की आजकल आपस में बनती नहीं थी. सीबीआई को इसका लाभ मिला और सीबीआई ने दिनेश से कई राज उगलवा लिये. रामभवन के 3 मोबाइल नम्बर, एक पेन ड्राइव सीबीआई को मिल गये. जिसमंे रामभवन के खिलाफ सारा काला चिटठा था. रामभवन के सभी फोन नम्बर उसके अपने पते पर लिये गये थे. रामभवन के खिलाफ पुख्ता सबूत इकठ्ठा करने के बाद सीबीआई ने रामभवन को गिरफ्तार कर लिया.
सीबीआई ने रामभवन को अपर जिला और सत्र न्यायाधीश (पंचम) की अदालत में पेश किया. शासकीय अधिवक्ता मनोज कुमार ने बताया कि रामभवन को रिमांड पर लेकर पूरी जांच की जायेगी. आरोप है कि वह कमजोर वर्ग के बच्चों को अपना निशाना बनाता था. इसमें दिहाडी मजदूरी करने वाले, फुटपाथ पर सामान बेचने वाले और ठेके पर काम करने वाले बच्चे शामिल होते थे. वह उन बच्चों को निशाना बनाता था जिनको कुछ लाभ देकर आसानी से फंसाया जा सके. लडकियों को बुलाने पर लोगों के संदेह का खतरा ज्यादा होता है इस कारण लडको का प्रयोग भी इस धंधे में किया जा रहा था.
देश में बच्चों का यौन शोषण कोई नई बात नहीं है. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरों (एनसीआरबी) के आंकडे बताते है कि साल 2020 में जारी आंकडों में बताया कि हर रोज 100 से अधिक बच्चों के यौन शोषण मामलों की शिकायत आती है. बच्चों के यौन शोषण में तमाम सख्ती के बाद भी इसमें 22 फीसदी की बृद्वि देखी गई है. कई बार पुलिस को इस बात का पता भी नहीं चलता था कि किस जगह से यह धंधा पनप रहा है.
इसमें शामिल बच्चे बेहद गरीब और दूरदराज के जगहों के होते थे कि उनकी पहचान भी नहीं हो पाती थी. ऐसे में अपराधियों की जड तक पहंुच पाना मुश्किल काम होता था. इस अपराध की जड तक पहंुचने के लिये केन्द्रीय अपराध ब्यूरो यानि सीबीआई ने दिल्ली ‘औनलाइन चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज एंड एक्सप्लायटेशन प्रीवेंशन इंवेस्टीगेशन‘ इकाई का गठन किया. इसका काम चाइल्ड पोर्नोग्राफी के पूरे धंधे को बेनकाब करना था.

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विदेशो में भारतीय पोर्न की डिमांड ज्यादा होती है. असल में विदेशो की पोर्न इंडस्ट्री फिल्मी दुनिया की तरह होती है. जबकि भारत में ऐसे वीडियो चोरी चुपके और लोगों को बहकाकर बनाये जाते है. जो फिल्मी कहानी से नहीं दिखते है. ऐसे में यह सच्चे वीडियों मानकर सबसे ज्यादा पसंद किये जाते है. सीबीआई ने जिस रामभवन को पकडा उसे देखकर कोई नहीं कह सकता कि इतना भोला और सरल दिखने वाला इंसान ऐसी घिनौनी हरकतें भी कर सकता है.
45 साल के रामभवन को उसके आसपास रहने वाले बच्चे ‘जेई अंकल’ के नाम से जानते है. जेई का मतलब जूनियर इंजीनियर होता है. रामभवन बच्चों को अपने घर पर बुलाता था. वो बच्चों को खेलने के लिये मोबाइल फोन दे देता था. बच्चे घंटोघंटो उनके घर पर मोबाइल पर वीडियो गेम्स खेलते रहते थे. ‘जेई अंकल’ के अपना कोई बच्चा नहीं था. पडोसियों को लगता था कि अपने बच्चे ना होने के कारण वह दूसरे बच्चों को लाडप्यार करते थे. रामभवन अपने घर आने वाले बच्चों को उपहार और नकद पैसे भी देते थे. बच्चों के परिजनों को रामभवन बताते थे ‘बच्चे औनलाइन गेम्स खेलते है इसमें जो पैसा मिलता है वह आपको सबको दे देता हॅू.‘ यह बच्चे गरीब परिवारों के होते थे. उनके लिये यह छोटीछोटी मदद भी बडी होती थी.

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‘ंजेई अंकल’ का राज सीबीआई ने खोला और बताया कि वह बच्चों की अश्लील फोटो यानि चाइल्ड पोनोग्राफी का औन लाइन बिजनेस करते थे. इसके बाद भी बच्चों के परिवार यह बात मानने को तैयार नहीं है. बच्चों से जब इस तरह के ‘गंदे काम’ के बारे में पूछा गया तो उन सबने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. सीबीआई कहती है कि बच्चे और उनके परिवार के लोग पैसे पाने की वजह से खामोश है. इसके अलावा उनको लगता है कि बयान देने के बाद कानूनी दांवपेंच में फंसने से अच्छा है कि पूरे मामले से दूर रहा जाये. रामभवन के आसपास रहने वाले लोग मानते है कि वो सीधे आदमी है उनके फंसाया जा रहा है. रामभवन भी खुद को निर्दोष मानते है. वह कहते है हमें सीबीआई जांच से कोई डर नहीं. सच्चाई सामने आ जायेगी.
रामभवन मूलरूप से खरौंच गांव के देविना का पुरवा का रहने वाला है. उसके पिता चुन्ना कारीगर थे. घर बनाने का काम करते थे. उन्होने अपनी मेहनत ने अपने 3 बेटो का पालन पोषण करके बडा किया और उनको अपने पैरों पर खडा किया. रामभवन होनहार था तो उसकी सरकारी नौकरी लग गई. 2004 में रामभवन की शादी प्रियावती से हुई थी. रामभवन के अपनी कोई औलाद नहीं है. 3 साल पहले हार्ट अटैक से रामभवन के पिता चुन्ना कारीगर की मौत हो गई थी. इसके बाद से रामभवन अपनी पत्नी को साथ रखने लगा. तब से गांव में रहना छूट गया. रामभवन के दोनो भाई राजा और रामप्रकाश बांदा जिले के ही नरैनी-अतर्रा रोड पर अपने परिवारों के साथ रहते है.
रामभवन का काम सिचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर के रूप में अर्जुन सहायक परियोजना महोबा और रसिन बांध परियोजना चित्रकूट की देखभाल करने का था. बांदा, महोबा और हमीरपुर के जिलों में ही उसकी नौकरी का ज्यादातर समय बीता था. इस कारण पूरे इलाके में उसकी मजबूत पकड थी. 2009-10 में रामभवन की तैनाती कर्वी में हुई थी. रामभवन काफी मिलनसार और सरल स्वभाव का दिखता था. उसका अपने साथ काम करने वालों और पडोसियों से अच्छा व्यवहार था. रामभवन करीब 10 साल से चित्रकूट में तैनात था.

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सिचाई विभाग कार्यालय के सामने ही कपसेठी गांव में किराये का मकान लेकर वह रहता था. रामभवन को नौकरी के षुरूआती दिनों में सिचाई विभाग कालोनी में ही रहने के लिये सरकारी आवास मिल गया था. इसके बाद भी वह कभी कालोनी के मकान में नहीं रहा. चित्रकूट में नौकरी के दिनों में सिकरी गांव के रहने वाले कुक्कू सिंह के यहां किराये का मकान लेकर रहता था. कुछ ही दिनों के बाद पडोसियों ने कुक्कू सिंह से षिकायत की थी कि रामभवन के घर में अनजान लोगों को आना जाना होता है. रामभवन ने खाना बनाने के लिये एक महिला को नौकरानी की तरह से रखा था. उसकी दो बेटियां भी यहां आतीजाती रहती थी. इस शिकायत के कुछ दिन बाद रामभवन ने यह मकान खाली कर दिया था.
दोबारा इसके खिलाफ 2012 में शिकायत हुई थी जब उसके पास रहने वाली एक किशोर उम्र की लडकी ने आत्महत्या कर ली थी. आरोप था कि रामभवन ने लडकी का यौन शोषण किया था. जिसके कारण लडकी ने आत्महत्या कर ली थी. चित्रकूट के लोग बताते है कि रामभवन उस मामले में बच गया क्योकि लडकी के घर परिवार वाले गरीब थे. रामभवन ने पानी की तरह से पैसा बहाकर अपने का बचाने में सफलता हासिल कर ली थी. रामभवन के कारनामों पर पर्दा पडा रहा. 2 नवंबर 2020 को रामभवन का नाम चर्चा में आया.
सीबीआई ने अनपरा सोनभद्र निवासी इंजीनियर नीरज यादव को पकडा. नीरज बीटेक करने के बाद दिल्ली की एक कंपनी में नौकरी करता था. लौकडाउन के दौरान नीरज की नौकरी छूट गई थी. त बवह सोनभद्र आकर रहने लगा. सोषल मीडिया पर उसने पोनोग्राफी के कुछ वीडियो लोड किये थे. वहां से सीबीआई को रामभवन का नाम मिला. सीबीआई ने 25 सितंबर 2020 को सबसे पहले नीरज यादव को पकडा उसके बाद 15 नवम्बर 2020 को रामभवन को पकडा. सिचाई विभाग के जूनियर इजीनियर का नाम यौन शोषण मामले में आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के सिचाई और जल मंत्री डाक्टर महेन्द्र सिंह ने उनको निलंबित कर कठोरतम कारवाई करने के निर्देष दिये.
सीबीआई को रामभवन के पास से बच्चों के साथ यौन षोषण के 66 वीडियो, 600 से अधिक फोटो, सेक्स टाॅय, बच्चों से संबंधित अश्लील सामाग्री और 8 लाख रूपये बरामद हुये. बरामद हुये. इसमें 50 बच्चों का शामिल होना बताया जाता है. इन बच्चों की उम्र 5 से 15 साल के आसपास मानी जा रही है. यह सभी बच्चे हमीरपुर, चित्रकूट और बांदा के आसपास के रहने वाले माने जा रहे है. रामभवन इनके साथ अश्लील वीडियो बनाकर विदेशो मेे रहने वालों को बेच देता था. सीबीआई ने पाया कि रामभवन ‘डार्कवेब’ नामक वेबसाइट के जरीये यह काम करता था.
‘डार्कवेब’ इंटरनेट का बेहद जटिल स्वरूप है. डेनमार्क, कनाडा, स्वीडन और आयरलैंड जैसे देषों में इसकी जडे पाई गई है. यहां के इंटरनेट सर्वर के जरीये ‘डार्कवेब’ का संचालन होता है. यहां के आईपी एड्रेस का पता भी जल्दी नहीं लग पाता है. ‘डार्कवेब’ के जरीये केवल पोर्नोग्राफी ही नहीं मादक पदार्थो और अवैध असलहों की भी खरीद फरोख्त होती है. ‘डार्कवेब’ का सर्च इंजन कहीं नजर नहीं आता है. इस कारण ही इसको डीपनेट भी कहा जाता है. रामभवन को इसके संचालन की जानकारी कैसे हुई यह बडा सवाल है ?

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सीबीआई के सूत्र मानते है कि अनपरा के रहने वाले इंजीनियर नीरज यादव से रामभवन को यह जानकारी मिली हो. वीडियों बनाने का काम रामभवन करता हो और इसको ‘डार्कवेब’ तक ले जाने का काम नीरज यादव करता हो. नीरज यादव दिल्ली में रहने के दौरान किसी ऐसे चाइल्ड पोनोग्राफी रैकेट के संपर्क में आया होगा. जिसके बाद वह और रामभवन मिलकर यह काम करने लगे हो. सीबीआई रामभवन को रिमांड पर लेकर इन सवालों के जबाव तलाशने काम कर रही है. सीबीआई कां जाच में यह पता चला कि रामभवन 5 साल से 15 साल आयु वर्ग के बच्चों को अपने जाल में फंसा उनकी अश्लील वीडियों बना लेता था. इसके आधार पर बच्चों का यौन शोषण करता था.
‘डार्कवेब’ नामक वेबसाइट के संपर्क में आने के बाद रामभवन इन वीडियो को विदेशो में बेचने का काम भी करने लगा था. उसको जो पैसे मिलते थे वह बच्चों को भी देता था. बच्चों के घर वालों को बताता था कि बच्चे औनलाइन गेम्स में यह पैसा जीतते है. बच्चों को पैसे और उपहार देने से उसके खिलाफ कोई बोलने को तैयार नहीं है. रामभवन बच्चांे की इसी मजबूरी का लाभ उठाकर वीडियों बनाता था. रामभवन को पता नहीं था कि बुरे काम का बुरा नतीजा होता है. कभी न कभी अपराध सामने खुलकर आ ही जाता है.
भारत में इन्टरनेट पर अश्लील और आपत्तिजनक तस्वीर या कोई अश्लील फिल्म देखना और बनाना दोनों ही अपराध माने जाते है. इसके बाद भी यहां पर बडी संख्या में अवैध तरीके से ऐसे फोटो और वीडियों तैयार होते है. विदेषों में इनकी डिमांड ज्यादा है. साइबर क्राइम में सबसे अधिक मामले अष्लीलता के दर्ज हो रहे है. कई अपराधिक मामलों में ऐसे वीडियो अपराधियों के गले की फांस भी बन जाते है. भारत में देषी और विदेषी दोनो ही तरह के सेक्सी वीडियो सबसे अधिक देखी जाती है. भारत में 49 प्रतिशत लोग चोरी से पोर्न देखते है. 17 प्रतिषत लोग इस तरह की विडियो नियमित देखते है. भारत में 70 प्रतिषत पोर्न इंटरनेट मीडिया से आता है. भारत में सबसे ज्यादा पोर्न मोबाइल फोन पर देखी जाती है. भारत में अब तेजी से ऐसे वीडियो बनने लगे है. कुछ दिन पहले दिल्ली के स्कूल में पढने वाली लड़की का लगभग 2 मिनट की अश्लील वीडियो चर्चा में आया था. दिल्ली के चैक मेट्रो स्टेशन पर एलसीडी में इस तरह की सेक्स विडियो दिखने लगी थी.
बहुत सारे ऐसे मामले भी आये जिसमें लडके अपने साथियों के वीडियों और फोटो लेते पकडे गये थे. कई बार परेशन लडके लडकियों ने आत्महत्या जैसे कदम भी उठाये थे. कई मशहूर हस्तियों के वीडियो एडिट करके भी बनाने की घटनायें भी सामने आई. इंटरनेट कुछ ही सालों में पोर्न साईट देखने का सबसे बडा साधन बन गया. इसका व्यापार दिन पर दिन बढ़ रहा है. सेक्स से जुडी तमाम तरह की देशी और विदेशी वीडियो इंटरनेट पर मिलने लगी है. ऐसे में वीडियों बनाने का धंधा भी तेजी से फैल रहा है. देह का धंधा करने वाले गिरोह इंटरनेट पर अश्लील चैटिंग और सेक्स वीडियो का कारोबार कर रहे है. इनके जरीये देह धंधे के ग्राहक भी तलाशे जाते है. कई इंटरनेट साइड इस काम में लगी है. इसकी आड में तमाम तरह के फ्राड भी होते है.

“प्रेमिका” को प्रताड़ना, “प्रेमी” की क्रूरता!

छत्तीसगढ़ के जिला कोरिया की पुलिस ने को 8 वर्षीय बालक के अपहरण व हत्या की गुत्थी को सुलझाते हुए मासूम के शव को बरामद कर 23 वर्षीय आरोपी सहित उसके सहयोगी तीन नाबालिग साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया है.

कोरिया पुलिस अधीक्षक चन्द्र मोहन सिंह ने हमारे संवाददाता को बताया कि प्रार्थी राकेश चौधरी ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसका नाबालिक पुत्र ऋषि चौधरी उर्फ चरका उम्र 8 वर्ष 13 नवम्बर की शाम 6 बजे से लापता है और उसे शंका है कि उसके नाबालिक पुत्र को किसी व्यक्ति के द्वारा उसके घर से अपहृत कर ले जाया गया है.

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प्रार्थी की रिपोर्ट पर थाना झगराखाण्ड में अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया. पुलिस अधीक्षक कोरिया चंद्रमोहन सिंह के द्वारा मामले की गभीरता को देखते हुए एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कोरिया डॉ . पंकज शुक्ला के दिशा निर्देशन व पुलिस अनुविभागीय अधिकारी मनेन्द्रगढ़ कर्ण उईके के नेतृत्व में थाना प्रभारी विजय सिंह , थाना प्रभारी मनेन्द्रगढ़ सचिन सिंह , खोगापानी प्रभारी तथा चौकी प्रभारी कोड़ा का अलग – अलग टीम का गठन कर स्वयं पुलिस अधीक्षक चंद्रमोहन सिंह द्वारा घटना स्थल पहुंच घटना स्थल का निरीक्षण किया जाकर पता साजी हेतु निर्देशित किया. पुलिस ने जब विवेचना प्रारंभ की तो आगे चलकर जो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए वह अपने आप में दर्दनाक कहानी को समेटे हुए है.
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लीलावती को पाने किया अपराध
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खोजबीन के पश्चात कोरिया पुलिस के हाथ लगे आरोपी बबलू यादव ने बताया कि मृतक बालक की मां लीलावती से उसका प्रेम संबंध था. लीलावती को अपने साथ भगाकर ले गया था , वह उसे बहुत प्यार करने लगा था लेकिन बाद में लीलावती उसके साथ रहने से मना करने लगी.वह उसे छोड़कर अपने पति एवं बच्चे के पास जाना चाहती थी. कुछ समय से उसे छोड़ कर वापस मायके में रह रही थी और पति से उसके समझौते के आसार थे ,जो आरोपी बबलू यादव को नागवार गुजर रहा था। परेशान प्रेमी बबलू ने ऐसे में यह योजना बनाई की क्यों ना उसके मासूम पुत्र को अपहरण करके उसे प्रताड़ित किया जाए. मासूम ऋषि का अपहरण करके प्रेमी बबलू यादव एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिश कर रहा था. वह यह मान रहा था कि अपहरण करके कुछ दिनों में ऋषि को लौटा देगा, जिससे प्रेमिका उस पर प्रसन्न हो कर उसकी हो जाएगी. मगर परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी की अपहरण के बाद उसे लगने लगा कि ऋषि को मार देने से उसका काम और आसान बन सकता है.

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इस बीच लीलावती के पति तक वह चालाकी पूर्वक यह खबर भेजवा रहा था कि उसकी पत्नि बबलू से बात करती है मगर उसकी चालाकी नहीं चल रही थी. लीलावती का पति समझौता करके पत्नि को घर लाने के लिए तैयार हो गया था. परिणाम स्वरूप बबलू यादव ने प्रेमिका के परिवार से बदला लेने का मन बना लिया और मासूम बालक एवं उसके भाई को अपने पास मोबाईल दिखाने के लिए बुलाता रहा. मृतक के चाचा के लड़के नाबालिक बालक को पैसे का लालच देकर उसको अपने पास बुलाता रहा एवं अपचारी बालक को अपहृत बालक को लाने के प्रेरित किया. नाबालिक के द्वारा ऋषि को लाया गया तब आरोपी उसे अपनी मोटर साईकल से बैठाकर अपने ईटा भट्ठा ले गया और नाबालिक बालक के साथ मिल कर पानी में डाल कर उसकी डूबा कर हत्या कर दी. यही नहीं वहां बने नाली में लाश को डाल कर घास एवं मिट्टी से ढक दिया. परंतु बाद में आरोपी बबलू यादव को यह भय सताने लगा था कि नाबालिक बालक किसी को बता देगा. इस डर से दूसरे दिन 14 नवंबर को दो नाबालिग दोस्तों को बुलाया और मृत ऋषि की लाश को सीमेंट के बोरे में ले, सहवानी टोला मशकूर के तलाब के पास नीम पेड़ के नीचे, तीनों ने मिल कर गड्डा खोद, बोरा सहित शव को दफन कर दिया.

पुलिस ने आरोपी की निशानदेही पर कार्यपालिक दण्डाधिकारी की उपस्थिति में शव को बरामद कर पंचनामा कार्यवाही की. आरोपी बबलू यादव आ.अजय यादव उर्फ मुन्ना उम्र 23 एवं अन्य तीनो नाबालिको को भी गिरफ्तार किया गया है . आरोपी बबलू ने मासूम मृतक के शव को जहां पहले दफनाया था, किसी को शक न हो सोच कर वहां एक सुअर मार कर फेंक दिया था जिससे कि पुलिस को गुमराह किया जा सकें . मगर पुलिस की सतर्कता से अंततः आरोपी पकड़ा गया मगर एक बार फिर यह सच्चाई बता गया कि जर जोरू और जमीन का मामला कब कैसा विभत्स रूप लेगा, यह कोई नहीं जानता.

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किन्नर का आखिरी वार- भाग 2

कहानी सौजन्य- मनोहर कहानियां

राइटर- सुरेशचंद्र मिश्र

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आगे पढ़ें कैसे विमला को पाने के जतन करने लगा बंका….

किन्नर के 2 बेटे थे संदीप व कुलदीप. दोनों स्कूल जाते थे. बच्चों की परवरिश और पढ़ाईलिखाई से खर्चे बढ़ गए थे, जबकि आमदनी उतनी ही थी. जरूरत होती तो किन्नर बंका से ब्याज पर पैसे ले लेता था. इसी सिलसिले मे एक रोज बंका, किन्नर यादव के घर आया था. दोनों घर से निकलने लगे, तो विमला ने पति को टोका, ‘‘सुनिए, बच्चों की फीस देनी है, 500 रुपए दे जाओ.’’

‘‘अभी पैसे नहीं है. शाम को बात करते है.’’ किन्नर ने लापरवाही से कहा, तो बंका ने जेब से पर्स निकाला और पांचपांच सौ के 2 नोट निकाल कर विमला की हथेली पर रख दिए, ‘‘ये लो भाभी, बच्चों की फीस दे देना.’’ फिर वह किन्नर की ओर मुखातिब हुआ, ‘‘यार बच्चों की जरूरतों के मामले में भाभी को परेशान मत किया करो. तुम्हारा यह दोस्त है तो..’’ कहने के साथ ही उस ने मुसकरा कर विमला की ओर देखा, ‘‘भाभी, आप संकोच मत करना. जब भी जरूरत हो, कह देना.’’

बंका के पर्स में नोटों की झलक देख विमला हसरत से उस के पर्स को देखती रह गई. बंका समझ गया कि विमला की दुखती रग पैसे की जरूरत है. उस रोज के बाद वह गाहेबगाहे विमला की आर्थिक मदद करने लगा. अब दोनों एकदूसरे को देख मुसकराने लगे थे.

बंका की नजरें विमला के सीने पर पड़ती, तो वह जानबूझ कर आंचल गिरा देती, जिस से बंका अपनी आंखें सेंक सके. दरअसल बंका विमला को पाने के लिए लालायित था, तो विमला भी कुंवारे बंका को अपने रूप जाल में फंसाने को उतावली थी.

घर के बढ़ते खर्चों के कारण किन्नर यादव की व्यस्तता बढ़ गई थी. वह ज्यादा से ज्यादा समय आढ़त पर बिताता था ताकि पल्लेदारी कर ज्यादा पैसा कमा सके. वह सुबह घर से निकलता तो देर रात थकामांदा लौटता था. उस का पूरा दिन और आधी रात आढ़त पर ही बीत जाती थी. घर आता तो खाना खा कर सो जाता था. कभी मन हुआ तो बेमन से विमला को बांहों में लेता फिर अपनी थकान उतार कर एक ओर लुढ़क जाता. इस से विमला का मन भटकने लगा. वह रवि बंका के हसीन जाल में फंसने को उतावली हो उठी.

पहले तो बंका किन्नर यादव की उपस्थिति में ही आता था, बाद में वह उस की गैरमौजूदगी में भी आने लगा. विमला से उस का हंसीमजाक व नैनमटक्का पहले ही दिन से शुरू हो गया था. गुजरते दिनों के साथ दोनों नजदीक भी आते गए. उस के बाद एक दोपहर को वह सब हो गया, जिस की चाहत दोनों के मन में थी.

चाहत में पतिता बन गई विमला

विमला और बंका के सामने एक बार पतन का रास्ता खुला, तो वे उस पर लगातार फिसलते चले गए. दिन में विमला घर में अकेली रहती थी. किन्नर यादव आढ़त चला जाता था और दोनों बच्चे स्कूल. विमला फोन कर के बंका को बुला लेती. बच्चों के स्कूल लौटने से पहले ही बंका अपने अरमान पूरे कर चला जाता था.

दोनों के बीच प्रीत बढ़ी, तो विमला को दिन का उजाला उलझन देने लगा. हर समय किसी के आने का डर भी बना रहता था. इसलिए हसरतों का पूरा खेल उन्हें जल्दीजल्दी निपटाना पड़ता था. दोनों ही इस हड़बड़ी और जल्दबाजी से संतुष्ट नहीं थे.

वे दोनों देह का पूरा खेल सुकून व इत्मीनान से खेलना चाहते थे. जिस दिन किन्नर आढ़त से घर नहीं आ पाता, उस दिन बच्चों के सो जाने के बाद विमला चुपके से उसे घर में बुला लेती.

बंका का किन्नर यादव की गैरमौजूदगी में चुपके से आना और उस के आने से पहले ही चले जाना पड़ोसियों की नजरों से छुपा नहीं रह सका. लिहाजा उन दोनों को ले कर तरहतरह की बातें होने लगीं. फैलतेफैलते ये बातें किन्नर यादव के कानों तक पहुंची तो उस ने विमला से जवाब तलब किया.

रंगे हाथ पकड़े बगैर औरतें हो या पुरुष, अपनी बदचलनी स्वीकार नहीं करते. विमला ने भी मोहल्ले वालों को झूठा और जलने वाला कह कर पल्ला झाड़ लिया. लेकिन किन्नर को इस से संतुष्टि नहीं हुई. उस ने दोनों की निगरानी शुरू कर दी और एक दिन उन्हें आपत्तिजनक हालत में पकड़ लिया.

किन्नर ने विमला को पीटा और बंका को अपमानित कर के घर से निकाल दिया. इस के बावजूद भी दोनों नहीं सुधरे. विमला, बंका को बुलाती रही और वह उस की देह को सुख देने आता रहा.

कुछ समय बाद एक रोज किन्नर ने दोनों को फिर रंगे हाथ पकड़ लिया. उस दिन उस की बंका से मारपीट भी हुई. यह तमाशा पूरे मोहल्ले ने देखा. किन्नर यादव ने बंका को धमकी भी दी, ‘‘तुझ से तो मैं अपने तरीके से निपटूंगा. ऐसा सबक सिखाऊंगा कि पराई औरत के पास जाने से डरेगा.’’

इस घटना के बाद बंका और विमला का मिलन बंद हो गया. किन्नर ने विमला को समझाया, बच्चों की दुहाई दी, इज्जत की भीख मांगी. लेकिन बंका के इश्क में अंधी विमला नहीं मानी. पकड़े जाने के बाद वह कुछ समय तक बंका से दूर रही, उस के बाद फिर से उसे बुलाने लगी.

अक्तूबर के पहले हफ्ते में विमला के दोनों बच्चे संदीप व कुलदीप अपनी नानी के घर सिरिया ताला गांव चले गए. बच्चे नानी के घर गए तो विमला और भी निश्चिंत हो गई.

वह प्रेमी बंका को मिलन के लिए दिन में बुलाने लगी. 8 अक्तूबर, 2020 की सुबह 6 बजे किन्नर किसी काम से घर से निकल गया. उस के जाने के बाद बंका उस के घर आ गया. वह विमला को बाहों में भर कर प्रणय निवेदन करने लगा. विमला ने किसी तरह अपने को मुक्त किया और कहा कि किन्नर किसी भी समय घर आ सकता है. वह वापस चला जाए. खतरा भांप कर बंका ने बात मान ली.

बंका घर से बाहर निकल ही रहा था कि किन्नर यादव आ गया. उस ने बंका को घर से बाहर निकलते देख लिया था, उसे शक हुआ कि बंका विमला के शरीर से खेल कर निकला है. शक पैदा होते ही किन्नर को बहुत गुस्सा आया. उस ने घर में रखा फरसा उठाया और पड़ोसी बंका के घर पहुंच गया.

बंका कुछ समझ पाता उस के पहले ही उस ने उस पर फरसे से प्रहार कर दिया. बंका का कान कट गया और खून बहने लगा. वह बचाओ… बचाओ… की गुहार लगाने लगा, तभी उस ने उस पर दूसरा प्रहार कर दिया, जिस से उस की गर्दन कट गई और वह जमीन पर गिर गया.

इधर बंका की चीख सुन कर विमला उसे बचाने पहुंच गई. विमला को देख किन्नर का गुस्सा और भड़क गया. उस ने बंका को छोड़ विमला पर फरसे से हमला कर दिया. फरसा विमला के पैर में लगा और वह जान बचा कर भागी.

सामने ननकी का घर था, वह उसी घर में घुस गई. पीछा करता हुआ किन्नर भी आ गया. वह विमला के बाल पकड़ कर घर के बाहर लाया और सड़क पर फरसे से उस की गर्दन धड़ से अलग कर दी. ननकी तथा कई अन्य लोगों ने देखा, पर उसे बचाने कोई नहीं आया.

पत्नी की गर्दन काटने के बावजूद किन्नर का गुस्सा ठंडा नहीं हुआ. उस ने एक हाथ में विमला का कटा सिर पकड़ा और दूसरे हाथ में फरसा ले कर थाने की ओर चल दिया. लगभग डेढ़ किलोमीटर का सफर पैदल तय कर के किन्नर थाना बबेरू पहुंचा और पुलिस के सामने आत्म समर्पण कर दिया.

9 अक्तूबर, 2020 को पुलिस ने अभियुक्त किन्नर यादव को बांदा कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

किन्नर का आखिरी वार- भाग 1

कहानी सौजन्य- मनोहर कहानियां

राइटर- सुरेशचंद्र मिश्र

8 अक्तूबर 2020 की सुबह 8 बजे बबेरू कस्बे के कुछ लोगों ने एक ऐसा खौफनाक मंजर देखा, जिस से उन की रूह कांप उठी. एक आदमी सड़क पर बेखौफ पैदल आगे बढ़ता जा रहा था. उस के एक हाथ में फरसा तथा दूसरे हाथ में कटा हुआ सिर था. सिर किसी महिला का था, जिसे वह सिर के बालों से पकड़े था.

कटे सिर से खून भी टपक रहा था, जिस से आभास हो रहा था कि कुछ देर पहले ही उस ने सिर को धड़ से अलग किया होगा. देखने वाले अनुमान लगा रहे थे कि कटा सिर या तो उस आदमी की प्रेमिका का है, या फिर पत्नी का. क्योंकि ऐसा जघन्य काम आदमी तभी करता है, जब या तो प्रेमिका धोखा दे या फिर पत्नी बेवफाई करे.

दिल कंपा देने वाला मंजर बिखेरता हुआ, वह आदमी बाजार चौराहा पार कर के थाना बबेरू के गेट पर जा कर रुका. पहरे पर तैनात सिपाही की नजर जब उस पर पड़ी तो वह घबरा गया, फिर हिम्मत जुटा कर अपनी ड्यूटी निभाने के लिए पूछा, ‘‘कौन हो तुम. और तुम्हारे हाथ में ये कटा सिर किस का है?’’ ‘‘यह सब बातें हम बड़े दरोगा साहब को बताएंगे. उन्हें बुलाओ.’’ उस रौद्र रूपधारी आदमी ने जवाब दिया.‘‘ठीक है, तुम इस कुर्सी पर बैठो. मैं दरोगा साहब को बुला कर लाता हूं.’’उस आदमी ने कटा सिर जमीन पर रखा फिर कंधा से फरसा टिका कर इत्मीनान से कुर्सी पर बैठ गया. पहरे वाला सिपाही बदहवास हालत में थाना इंचार्ज जयश्याम शुक्ला के कक्ष में पहुंचा, ‘‘सर एक आदमी आया है. उस के हाथ में फरसा और महिला का कटा सिर है.’’‘‘क्या?’’ शुक्लाजी चौंके. फिर वह रामसिंह व कुछ अन्य सिपाहियों के साथ थाना परिसर आए, जहां वह आदमी कुरसी पर बैठा था. उसे देख वह भी कांप उठे. कहीं वह पागल तो नहीं, उस स्थिति में वह पुलिस पर भी हमला कर सकता था. उन्होंने उस आदमी से कहा, ‘‘देखो, पहले अपना फरसा और कटा सिर चंद कदम दूर रख दो. फिर मैं तुम्हारी बात सुनूंगा.’’

जय श्याम शुक्ला की बात मान कर उस आदमी ने फरसा और कटा सिर चंद कदम दूर रख दिया. जिसे एक सिपाही ने संभाल लिया. इस के बाद शुक्ला ने उस आदमी को हिरासत में ले कर पूछा, ‘‘अब बताओ, तुम कौन हो, कहां रहते हो और कटा सिर किस का है?’’

‘‘दरोगा बाबू, मेरा नाम किन्नर यादव है. मैं अतर्रा रोड, नेता नगर में रहता हूं. कटा सिर मेरी पत्नी विमला का है. मैं ने ही फरसे से उस का सिर काटा है. मैं हत्या का जुर्म कबूल करता हूं. आप मुझे गिरफ्तार कर लो.’’

‘‘तुम ने अपनी पत्नी विमला की हत्या क्यों की?’’ जय श्याम शुक्ला ने पूछा.

‘‘साहब, वह बदचलन औरत थी. पड़ोसी रवि उर्फ बंका के साथ रंगरेलियां मनाती थी. कई बार मना किया, बच्चों की कसम खिलाई, इज्जत की दुहाई दी, लेकिन वह नहीं मानी. आज मुझ से बर्दाश्त नहीं हुआ. मैं ने बंका पर फरसा से हमला किया तो वह उसे बचाने आ गई. इस पर मैं ने उस की गर्दन काट दी और ले कर थाने आ गया.’’

‘‘बंका कहां है?’’ शुक्लाजी ने पूछा.

‘‘बंका घर में तड़प रहा होगा. उस की किस्मत अच्छी थी, बच गया.’’

मंजर देख पुलिस भी हैरान थी

पूछताछ के बाद प्रभारी निरीक्षक जय श्याम शुक्ला ने कातिल किन्नर यादव को हवालात में बंद कराया, फिर इस दिल कंपा देने वाली घटना की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी. इस के बाद कटा सिर साथ में ले कर पुलिस बल के साथ नेता नगर स्थिति किन्नर यादव के मकान पर पहुंच गए.

उस समय वहां भारी भीड़ जुटी थी. मृतका विमला की सिरविहीन लाश सड़क पर पड़ी थी. उस की गर्दन बड़ी बेरहमी से काटी गई थी. पैर पर भी वार किया गया था, जिस से पैर पर जख्म लगा था. मृतका की उम्र 35 वर्ष के आसपास थी. रंग साफ और शरीर स्वस्थ था. उस के शव के पास बच्चे तथा महिलाएं बिलख रही थी.

पड़ोस में सूरजभान सविता का मकान था. उस का बेटा रवि उर्फ बंका घायल पड़ा तड़प रहा था. किन्नर यादव ने उस पर भी फरसे से हमला किया था, जिस से उस का एक कान तथा गर्दन कट गई थी. जय श्याम शुक्ला ने उसे इलाज के लिए स्वास्थ केंद्र भिजवा दिया.

जय श्याम शुक्ला अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ शंकर मीणा, अपर पुलिस अधीक्षक महेंद्र प्रताप सिंह चौहान तथा डीएसपी आनंद कुमार पांडेय भी वहां आ गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया और पासपड़ोस के लोगों तथा मृतका के पिता रामशरण यादव से घटना के बारे में जानकारी हासिल की.

पड़ोस में रहने वाली ननकी ने बताया कि विमला जान बचाने के लिए उस के घर में घुस आई थी. लेकिन पीछा करते हुए उस का पति किन्नर यादव घर में आ गया था. वह विमला  के बाल पकड़ कर घसीटते हुए घर के बाहर सड़क पर ले गया. फिर उस ने फरसे से विमला की गर्दन धड़ से अलग कर दी. वह चाह कर भी उस की कोई मदद नहीं कर पाई थी.

रामदत्त की बेटी अंतिमा ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि वह घर के बाहर साफसफाई कर रही थी तभी किन्नर चाचा फरसा ले कर आए और बंका पर हमला कर दिया. उस का कान तथा गर्दन कट गई. विमला चाची बंका को बचाने आई तो चाचा ने बंका को छोड़ कर विमला चाची पर हमला कर दिया. वह जान बचा कर ननकी काकी के घर घुस गई. लेकिन उन की जान नहीं बच सकी.

थाने लौट कर पुलिस अधिकारियों ने हवालात में बंद किन्नर यादव को बाहर निकलवा कर बंद कमरे में पूछताछ की. पूछताछ में उस ने सहजता से पत्नी की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. अपर पुलिस अधीक्षक महेंद्र सिंह चौहान ने स्वास्थ केंद्र पहुंच कर घायल रवि उर्फ बंका से जानकारी हासिल की. बंका ने विमला से अवैध रिश्तों की बात स्वीकार की.

इधर पुलिस अधिकारियों के आदेश पर प्रभारी निरीक्षक जयश्याम शुक्ला ने मृतका विमला के सिर और धड़ को एक साथ पोस्टमार्टम के लिए बांदा के जिला अस्पताल भेज दिया. पोस्टमार्टम करा कर पुलिस ने उसी दिन मुक्तिधाम में उस का दाह संस्कार करा दिया.

चूंकि कातिल किन्नर यादव ने स्वयं थाने जा कर आत्मसमर्पण किया था और आलाकत्ल फरसा भी पुलिस को सौंप दिया था. इसलिए प्रभारी निरीक्षक जय श्याम शुक्ला ने मृतका के पिता रामशरण यादव को वादी बना कर धारा 302/324 आईपीसी के तहत किन्नर यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उसे विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में अवैध रिश्तों की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई.

किन्नर यादव बांदा जनपद के कस्बा बबेरू नेता नगर में रहता था. 12 साल पहले उस का विवाह मरका क्षेत्र के सिरिया ताला गांव निवासी रामशरण सिंह यादव की बेटी विमला के साथ हुआ था. विमला सरल स्वभाव की महिला थी. किन्नर यादव उसे बहुत प्यार करता था. कालांतर में विमला 2 बेटों संदीप व कुलदीप की मां बनी.

परिवार के लिए हाड़तोड़ मेहनत

किन्नर यादव पटाखा, आतिशबाजी बनाने का बेहतरीन कारीगर था. वह बबेरू के एक लाइसेंस होल्डर के यहां काम करता था. उसे पगार तो मिलती ही थी, साथ में वह अवैध रूप से भी पटाखे बना लेता था. इस से भी उसे ठीकठाक कमाई हो जाती थी. उस के परिवार के भरणपोषण के लिए इतना काफी था. यह काम करने वाले और भी थे.

लेकिन अवैध काम तो अवैध ही होता है. बबेरू पुलिस को भनक पड़ी तो उस ने धरपकड़ शुरू की, लेकिन किन्नर यादव किसी तरह बच गया. इस के बाद पत्नी विमला के समझाने पर उस ने अवैध काम को बंद कर दिया और कस्बे की एक आढ़त पर पल्लेदारी का काम करने लगा.

रवि उर्फ बंका किन्नर यादव के पड़ोस में रहता था. उस के पिता सूरजभान सविता गांव मरका में रहते थे. अविवाहित बंका अपनी मां गोमती के साथ रहता था. वह बिजली विभाग में संविदा कर्मचारी था. वेतन के अलावा उस की ऊपरी कमाई भी थी, सो वह ठाटबाट से रहता था.

बंका और किन्नर यादव हमउम्र थे. दोनो के बीच दोस्ती थी. लेकिन एकदूसरे के घर ज्यादा आना जाना नहीं था. एक बार बंका किसी काम से किन्नर यादव के घर आया. उस ने किन्नर की पत्नी विमला को देखा, तो उस की नियत खराब हो गई.

अगले भाग में पढ़िए विमला को पाने के लिए किस हद तक गया बंका…

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