Writer- Kadambari Mehra
मौयरा अगले दिन किनारों पर से फटी काली हाटपैंट, कसा हुआ ब्लाउज और 10 इंच लंबा आगे बांधने वाला कार्डिगन पहन कर और छोटेछोटे बौबकट केशों में बिलकुल स्कूल गर्ल बन कर नासेर की दुकान में अकेली चली गई.
नासेर को चिडि़या अच्छी लगी. उस ने दाना फेंकने में देर नहीं लगाई. बताया कि वह दुकान के ऊपर अकेला रहता है. मौयरा ने कहा, ‘‘हो सकता है तुम अकेले हो पर अकसर तुम्हारी जात के लड़के 30 से पहले ही ब्याह जाते हैं.’’
‘‘ब्याह तो हुआ था. मगर मेरी बीवी मुझ से बहुत बड़ी है. मेरे भाई की बेवा थी वह.
3 बच्चे थे पर लड़का नहीं था. लड़के के बिना उस के आदमी की सारी जायदाद उस के भतीजे ले जाते, इसलिए उस ने मुझ से शादी कर ली.’’
‘‘लड़का हो गया तुम से उसे?’’
‘‘हां हुआ, मगर मैं कमाई करने इधर आ गया. 7-8 साल से मुल्क नहीं गया. तुम क्या इधर ही रहती हो?’’
‘‘हां, यहीं पास में. 4-5 मील दूर. तरहतरह की चीजें खानेपीने का शौक है, इसलिए इधर चली आई. तुम क्या पाकिस्तान से हो?’’
‘‘अरे नहीं, हम तो तुम्हारे पड़ोसी हैं. टर्की से आया हूं. वह तो यूरोप का ही हिस्सा है. देखो न, मेरा रंग भी कितना गोरा है.’’
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मौयरा ने कबाब बनवाया.
फिर मौयरा से बोला, ‘‘यहीं बैठ कर खाओ न. मैं ने भी सुबह से दाना पेट में नहीं डाला. तुम्हारी कंपनी में मुझे भी भूख लग गई है.’’
नासेर बड़ा स्मार्ट और हंसमुख आदमी लगा मौयरा को, मगर एकएक कर के जो तथ्य सामने आ रहे थे, उसे कटघरे में धकेलते जा रहे थे.
‘‘नहीं, अभी पैक करा दो. फिर किसी दिन फुरसत में आ जाऊंगी. आज तो मेरा टैनिस कोर्ट में सेशन बुक किया हुआ है. बेकार में नुकसान हो जाएगा किराए का.’’
‘‘टैनिस तो मैं भी खेलता हूं. चलो अगली बार संगसंग बुक करवाएंगे. कल आओगी?’’
‘‘कह नहीं सकती पर मिलूंगी, तुम मुझे अच्छे लगे.’’
डेविड क्रिस्टी ने दुकान के बाहर एक सिपाही एंडी को ट्रैफिक वार्डन बना कर तैनात कर दिया. लोगों की गाडि़यों की अवैध पार्किंग पर नजर रखता. वह वहीं घूमता और नासेर की दुकान पर भी नजर रखता.
उस दिन तो नहीं मगर 2-4 दिन बाद नासेर बाहर निकला. वार्डन ने अपनी कार से उस का पीछा किया. नासेर एक मसजिद में गया, जहां लंबी स्कर्ट और पूरी बांह का ब्लाउज पहने एक प्रौढ़ सी खूबसूरत औरत 3 बच्चों को ले कर खड़ी थी. 2 बड़ी बेटियां और 1 बेटा, जो करीब 5 साल का था. बेटा नासेर को देख कर डैडडैड कहता हुआ आया और उंगली पकड़ कर मसजिद में दाखिल हो गया. स्कर्ट वाली औरत ने सिर पर रेशमी रूमाल बांधा हुआ था. वह बेटियों के साथ दूसरे दरवाजे से अंदर गई. नासेर उस बच्चे को देख कर एकदम खिल उठा.
यानी नासेर ने मौयरा को जो कहानी सुनाई थी वह झूठी थी. नासेर की बीवी वहीं पर थी.
क्रिस्टी ने इस औरत पर भी जाल बिछा दिया. टै्रफिक वार्डन बने हुए अपने सहायक से कहा कि वह नासेर को छोड़ कर इस स्त्री का पीछा करे.
2 घंटे बाद नासेर अपनी दुकान में चला गया. मसजिद के बाहर कई औरतें उस की बीवी से बातें करती रहीं. जब वह वहां से चली, सिपाही ने लगातार उस पर निगरानी रखी. अंत में उस ने उसे घर की चाबी निकाल कर ताला खोलते हुए और अंदर जाते हुए देखा. उस ने पता अपनी डायरी में लिख लिया और घर का एक फोटो भी कैमरे में कैद कर लिया.
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उस दिन शुक्रवार था. शनिवार और इतवार को दफ्तर की छुट्टी थी. सोमवार को सुबह 7 बजे से एंडी की ड्यूटी नासेर के तथाकथित घर के बाहर लगा दी गई. वह एक वीडियो कैमरा ले कर अपनी कार में बैठा सारी गतिविधियां रिकार्ड करता रहा. 8 बजे नासेर की पत्नी अपने तीनों बच्चों को ले कर स्कूल की ओर रवाना हुई. स्कूल ज्यादा दूर नहीं था. यही कोई 15 मिनट की चहलकदमी पर. एंडी अपना फासला रखते हुए धीमी रफ्तार से पीछेपीछे रेंगता हुआ स्कूल का नामपता भी दर्ज कर लाया.
बच्चों को भेज कर नासेर की बस से कहीं जाने लगी. एंडी ने पीछा किया. 2-3 मील दूर पर एक दुकान थी, जिस में मिठाइयां, स्वीट, अखबार आदि के साथसाथ ब्रैड, दूध, सब्जी, फल भी रखे थे. दुकान पहले से खुली हुई थी. मतलब उस का मालिक कोई और था. नासेर की पत्नी ने अंदर जा कर कार्यभार संभाल लिया और वहां से एक और औरत, जो काफी कम उम्र की और स्मार्ट थी बाहर आई और एक छोटी कार से कहीं चली गई.
शाम को 3 बजे वह लड़की दुकान में वापस आ गई और नासेर की पत्नी वापस अपने बच्चों को स्कूल से ले कर अपने घर चली गई.
एंडी ने यह सारी रिपोर्ट मौयरा और डेविड को दे दी. मौयरा की बातों से जाहिर था कि नासेर इस शादी की कतई इज्जत नहीं करता था. फिर भी वह उसी घर में रहता था और वहीं रात को सोता था. हो सकता है कि उस की बीवी को उस की तफरीहों का पता ही न हो. बेईमान पुरुष जरा ज्यादा ही शरीफ बने रहते हैं अपनी बीवियों के साथ. क्रिस्टी को संभलसंभल कर अगला कदम रखना होगा. मौयरा को वह इस खेल में झोंक नहीं सकता था. वह एक इज्जतदार स्त्री थी. कई सालों से एक ही बौयफैंरड से निभा रही थी. वह भी इसे पूरे मन से चाहता था, मगर उस की कमर्शियल पायलट की जिंदगी शादी, गृहस्थी के हिसाब से ठीक नहीं बैठती थी, इसलिए वे दोनों शादी नहीं कर रहे थे.
एक दिन मौयरा फिर उड़ती चिडि़या की तरह कबाब की दुकान में जा बैठी. नासेर खिल उठा. मौयरा ने जरा ज्यादा भाव दिया, तो नासेर सीधा मतलब पर आ गया.
‘‘तू आ न आज शाम को. हम इकट्ठे घूमेंगेफिरेंगे.’’
‘‘नहीं, शाम को बड़ा मुश्किल होता है. मेरी मां रहती है साथ में.’’
‘‘तो फिर अभी चल ऊपर मेरे फ्लैट में. वहां आराम से बैठते हैं. आई विल गिव यू ए गुड टाइम.’’
‘‘थैंक यू, मगर मैं तो तुम्हें ज्यादा जानती नहीं, फिर कभी मिलेंगे. हो सका तो वीकएंड में आऊंगी.’’
‘‘वीकएंड में ठीक नहीं रहेगा. काम बहुत बढ़ जाता है. मुझे फुरसत नहीं मिलती.’’
‘‘कोई बात नहीं अगले हफ्ते देखूंगी, बाय.’’
नासेर की दाल नहीं गल रही थी.
क्रिस्टी ने स्कूल के हेडमास्टर को अपने विश्वास में लपेटा. बिना उसे कुछ बताए उस ने नासेर के बच्चों का हवाला लिया. बड़ी लड़की 10 साल की होने जा रही थी. उस से छोटी 7 साल की थी और सब से छोटा लड़का 5 साल पूरे कर चुका था, अभी कुछ ही दिन पहले मां का नाम साफिया था मगर लड़के का नाम अब्दुल नहीं था. उसे सब शकूर अली नासेर बुलाते थे.
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डेविड क्रिस्टी ने बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट निकलवाया. वह मोरक्को का पैदा हुआ बच्चा था और उस की जन्म की तारीख में भी फर्क था.
फिर से चक्का जाम हो गया यानी इस पहेली के कई दरवाजे अभी भी बंद थे. डेविड और मौयरा दोनों बौखला गए. अब किस आधार पर जा कर नासेर को पकड़ें? कहीं भी नासेर की तसवीर में फैमी फिट नहीं हो रही थी.
कहां थी जैनेट के घर में रहने वाली फैमी और उस का बच्चा? हो सकता है वे दोनों कहीं और रहते हों. बेकार ही वह इस परिवार को दोषी समझ बैठा है.
अगले दिन सुबह वह अपने औफिस में मौयरा के आने का इंतजार कर रहा था. नीचे से उस को खबर आई कि एक औरत मिलने आई है. डेविड ने उसे वहीं अपने औफिस में बुला लिया. आगंतुक एक ईरानी औरत थी. उस ने सिर में रूमाल बांधा हुआ था और टखनों तक लंबा कोट पहना था. डेविड देर तक उस से बातें करता रहा.
उस के जाने के बाद मौयरा आई तो डेविड खिड़की से बाहर खोयाखोया सा आसमान को ताक रहा था.
‘‘तुम्हारा चेहरा तो बेहद उतरा हुआ है डेविड, क्या हुआ?’’
‘‘कुछ भी नहीं हुआ मगर मौयरा जब भी मैं यह केस बंद करना चाहता हूं, कुछ ऐसा हो जाता है कि मुझे अपना फैसला रद्द कर देना पड़ता है.’’
मौयरा ने पूछा, ‘‘यह औरत कौन थी?’’
‘‘यह एक ईरानी औरत है बर्ग हीथ से आई थी.’’
‘‘क्या चाहती थी?’’
‘‘फिर बताऊंगा, वह इत्तफाक से यहां आ पहुंची. हां, यह पता लगा है कि नासेर का बेटा मोरक्को में पैदा हुआ.’’
‘‘तो फिर अब्दुल कहां गया?’’
‘‘यही तो गड़बड़ है. अब किस बिना पर नासेर को दोषी मान लें?’’
‘‘छोड़ो मत उसे, वह बेहद गंदा आदमी है. एकदम घटिया. मैं अब अकेली उस के यहां नहीं जाऊंगी. वह तो सीधा गुड टाइम की बात करने लगता है.’’
‘‘हां, वह खतरनाक हो सकता है पर अब क्या करें कि उसे पकड़ कर इलजाम लगाया जा सके?’’
‘‘मेरी मानो तो लारेन को ले आना चाहिए. देखें कैसा रिएक्शन रहता है उस का.’’
‘‘चलो यह भी कर के देख लें.’’
अगले दिन डेविड फिर नासेर की दुकान में गया. नासेर हंसहंस कर उस से बातें करने लगा.
‘‘क्या बताया तुम ने कि टर्की से आए हो?’’
‘‘नहीं टर्की से तो मेरी बीवी है. मैं तो सच पूछो तो मोरक्को का रहने वाला हूं, वहां मेरे खानदान का बड़ा बिजनेस है.’’
‘‘मोरक्को के तो कई लोगों को मैं जानता हूं. एक बीवी की फ्रैंड थी फैमी फहमीदा सादी. वह भी मोरक्को से आई थी. तुम जानते हो उसे?’’
यह सुन कर नासेर का रंग उड़ गया. वह अटक कर बोला, ‘‘नहीं, मैं इस नाम की किसी और को नहीं जानता.’’
इस के बाद उस का बातचीत का रुख बदल गया. वह धंधे की परेशानियों का रोना रोने लगा.
क्रिस्टी का शक और पक्का हो गया मगर ऊपर से उस ने कुछ जाहिर नहीं किया.
इस के बाद क्रिस्टी लारेन से मिला. लारेन को पुलिस के काम के लिए छुट्टी दिला दी और वह उसे ले कर नासेर की दुकान में गया. खुद कुछ देर के लिए बाहर ही खड़ा रहा और अकेली लारेन अंदर गई. लारेन को देख कर नासेर के चेहरे पर की हवाइयां उड़ने लगीं. उस ने झूठा स्वांग रचा कि उसे दमा का रोग है और अटैक आ गया है, इसलिए वह दुकान बंद कर के बाहर खुली हवा में जाना चाहता है.
वह जोरजोर से खांसने लगा. काउंटर के नीचे झुक कर उस ने कबाब के ग्रिल का बटन बंद कर दिया और रुकरुक कर घुटती सी आवाज में गालियां बकने लगा.
‘‘ये कम्बख्त चूल्हा और यह गोश्त का धुआं मेरी जान ले लेगा. जाओ, प्लीज बाहर निकलो, मुझे जाना है.’’
लारेन बाहर चली गई तो उस ने झटपट दुकान का शटर गिरा दिया और ऊपर फ्लैट में चला गया.
इधर मौयरा बाल मनोविज्ञान का परीक्षण करने वाली टीचर बन कर शकूर अली नासेर के हेडमास्टर से मिली और उसे इस बात के लिए राजी कर लिया कि शकूर से अकेले में बात करेगी. एक अन्य डिनर लेडी शकूर को लाने की जिम्मेदारी बनी. शायद इतना छोटा बच्चा अजनबी स्त्री से ठीक तरह बात न करता.
मौयरा ने ढेर सारे कंस्ट्रक्शन गेम टेबल पर रख दिए और शकूर से उन्हें बनाने को कहा. बच्चा ही तो था झट बहल गया.
फिर उस की बनाई चीजें की खूब तारीफ की और अनेक मिलेजुले छोटेमोटे सामान मेज पर बिखेर दिए.
‘‘शकूर, तुम्हें जोड़े मिलाने पड़ेंगे यानी क्या चीज किस के साथ जोड़ी जाती है. जैसे, ताले के साथ चाबी, जूते के साथ मोजा वगैरह.’’
शकूर जब खूब मगन हो गया तब उस ने धीमे से फैमी का फोटो मेज पर रख दिया.
जैसे ही उस ने उसे देखा वह सकपका गया और फिर रोआंसा हो गया. उस ने फोटो उठा लिया और उसे निहारता रहा.
‘‘तुम जानते हो यह कौन है?’’
‘‘आंटी.’’
‘‘तुम्हें प्यार करती है?’’
‘‘बहुत, हम घूमने जाते थे. वह मुझे बाहर ले जाती थी.’’
‘‘कहां?’’
‘‘कभी चिडि़याघर तो कभी पार्क में.’’
‘‘अब भी जाते हो?’’
‘‘अब नहीं आती.’’
यह बात कह कर शकूर रोने लगा.
अगले दिन हेडमास्टर ने साफिया को स्कूल के बाद आधा घंटा रुकने को कहा. बताया कि तुम्हारा बेटा बहुत मेधावी है.