एएसपी कमलेश कुमार दीक्षित ने मृतका शालू का मोबाइल फोन खंगाला तो उस में स्वीट होम, हसबैंड, सिस्टर तथा आकाश के नाम से फोन नंबर सेव थे, जो उस के घर वालों के थे. इन नंबरों पर काल कर केश्री दीक्षित ने घर वालों को घटना की जानकारी दी तथा शीघ्र ही विधूना थाने आने को कहा.
शालू ने मौत से पहले अपनी बहन सपना से बात की थी. घटनास्थल पर मकान मालिक तरुण सिंह भी मौजूद था. सीओ मुकेश प्रताप सिंह ने जब उस से पूछताछ की तो उस ने बताया कि सिपाही शालू गिरि ने 2 हफ्ते पहले ही रूम किराए पर लिया था.
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दूसरे रूम में पब्लिक डिग्री कालेज विधूना के निदेशक मनोज कुमार सिंह चौहान रहते हैं. उन का परिवार कानपुर में रहता है. कल वह परिवार से मिलने कानपुर चले गए थे. मकान मालिक ने बताया कि शालू गिरि बातचीत में सरल तथा हंसमुख स्वभाव की थी. उस ने आत्महत्या किन परिस्थितियों में की, उसे इस की जानकारी नहीं है.
पति करता था शक
चूंकि आत्महत्या का यह मामला एक सिपाही का था. अत: पुलिस अधिकारियों ने नायब तहसीलदार को भी सूचना भेज दी थी. सूचना पा कर नायब तहसीलदार वंदना कुशवाहा घटनास्थल पर आ गई थीं. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया फिर पुलिस अधिकारियों से घटना के संबंध में जानकारी हासिल की. उस के बाद उन्हीं की मौजूदगी में इंस्पेक्टर विनोद कुमार शुक्ला ने सिपाही शालू गिरि के शव का पंचनामा भरा.
पंचनामे पर नायब तहसीलदार वंदना कुशवाहा ने हस्ताक्षर किए. उस के बाद शव पोस्टमार्टम हेतु औरैया के जिला अस्पताल भिजवा दिया.
देर शाम मृतका शालू गिरि के मांबाप, भाईबहन तथा पति थाना विधूना आ गए. उस के बाद तो थाने में कोहराम मच गया. मां सुमित्रा देवी, पिता राजेंद्र गिरि तथा बहन स्वाति व सपना दहाड़ मार कर रो रही थीं. थानाप्रभारी ने उन्हें धैर्य बंधाया. फिर थानाप्रभारी उन सब को उस रूम में ले गए, जहां शालू ने आत्महत्या की थी.
वहां एक बार फिर कोहराम मच गया. थानाप्रभारी विनोद कुमार शुक्ला ने आत्महत्या का कारण जानने के लिए सब से पहले मृतका शालू की मां सुमित्रा देवी से पूछताछ की. सुमित्रा देवी ने बताया कि शालू उन की लाडली बेटी थी. वह बेहद खुशमिजाज थी. अभी एक महीना पहले ही उस की शादी पड़ोस में रहने वाले इलम चंद्र के बेटे राहुल से हुई थी.
राहुल शालू को खुश नहीं रखता था, जिस से वह परेशान रहने लगी थी. राहुल, शालू पर शक भी करता था. वह उसे मानसिक तौर पर भी टौर्चर करता था. उस के कारण ही शालू ने आत्महत्या की है.
पिता राजेंद्र गिरि ने बताया कि वह किसान हैं. बेटियों को पढ़ाने व उन का भविष्य बनाने के लिए उन्होंने सब कुछ दांव पर लगाया. शालू सिपाही बनी तो बेहद खुशी हुई. इस के बाद शालू की मरजी से उस का विवाह राहुल के साथ कर दिया. लेकिन शादी के बाद उस की खुशी गायब हो गई थी.
पहली जून सोमवार को शालू की बात उस की मां सुमित्रा से दिन में ढाई बजे हुई थी. तब वह परेशान थी और जिंदगी से ऊबने की बात कर रही थी. तब हम दोनों ने उसे समझाया था, और जिंदगी को निराशा से आशा में बदलने की बात कही थी. लेकिन उस ने रात में आत्महत्या कर ली.
शालू की बड़ी बहन सपना, जो लखनऊ के कैसर बाग थाने में सिपाही है, ने बताया कि ट्रेनिंग के बाद जब शालू की पहली पोस्टिंग विधूना थाने में हुई तो वह बेहद खुश थी. सप्ताह में एकदो बार उस की उस से बात जरूर होती थी.
शादी के पहले वह बेहद खुश रहती थी. हंसहंस कर बतियाती थी और चुहलबाजी भी करती थी. लेकिन शादी के बाद वह गुमसुम रहने लगी थी. उस ने फोन पर बात करना भी बंद कर दिया था. जब कभी बात होती तो कहती कि वह अपनी जिंदगी से खुश नहीं है. जी चाहता है जिंदगी खत्म कर लूं.
शायद शालू अपने पति राहुल से खुश नहीं थी. क्योंकि वह शालू पर शक करता था. सिपाही आकाश को ले कर राहुल के मन में गलत धारणा घर कर गई थी. आकाश को ले कर ही राहुल उसे मानसिक तौर पर परेशान करता था. जबकि शालू और सिपाही आकाश के बीच सिर्फ दोस्ती थी. दोनों एकदूसरे के व्यक्तित्व से प्रभावित थे और आमनासामना होने पर हंसबोल लेते थे.
सपना ने बताया कि बीती रात 11 बजे कई बार नंबर मिलाने के बाद उस की शालू से बात हुई थी. तब वह बहकीबहकी बातें कर रही थी. बात करतेकरते उस ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया था.
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उस के बाद जब सुबह उस ने फोन मिलाया तो शालू फोन रिसीव ही नहीं कर रही थी. तब घबरा कर मैं ने आप को फोन किया था और शालू से बात कराने को कहा था. लेकिन कुछ देर बाद आप ने सूचना दी थी कि शालू ने आत्महत्या कर ली है.
पत्नी की मौत की खबर पा कर राहुल भी अपने पिता इलम चंद्र के साथ थाना विधूना पहुंचा था. थानाप्रभारी विनोद कुमार शुक्ला ने जब राहुल से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस ने शालू की रजामंदी से उस के साथ प्रेमविवाह किया था. शादी के बाद उसे पता चला कि शालू की दोस्ती किसी आकाश नाम के सिपाही से है.
वह मोबाइल फोन पर उस से बतियाती है. आकाश को ले कर उस ने शालू से टोकाटाकी की थी. इस से वह उस से नाराज रहने लगी थी. पर वह आत्महत्या जैसा कदम उठा लेगी, ऐसा तो उस ने कभी सोचा नहीं था.
शालू कौन थी? उस ने आत्महत्या क्यों और किन परिस्थितियों में की? यह सब जानने के लिए हम पाठकों को उस के अतीत की ओर ले चलते हैं.
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बालौनी थाना अंतर्गत एक गांव है- लतीफपुर दत्त नगर. इसी गांव में राजेंद्र गिरि अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी सुमित्रा गिरि के अलावा 3 बेटियां सपना, शालू, स्वाति तथा एक बेटा राजीव था.
राजेंद्र गिरि किसान थे. कृषि उपज से ही वह अपने परिवार का भरणपोषण करते थे. खेती के काम में उन का बेटा राजीव भी मदद करता था. उन्होंने अपने सभी बच्चों को उन की इच्छा के अनुसार पढ़ाया.
राजेंद्र की बड़ी बेटी सपना पुलिस विभाग में नौकरी करना चाहती थी. उन्हीं दिनों पुलिस विभाग में महिला सिपाही के पद पर भरती हो रही थी. सपना ने प्रयास किया तो उस का चयन हो गया. उस की ट्रेनिंग सीतापुर में हुई. बाद में उस की पोस्टिंग लखनऊ के कैसर बाग थाने में हो गई.
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सपना से छोटी शालू थी. अपनी बड़ी बहन सपना की तरह वह भी पुलिस में भरती होना चाहती थी. इस के लिए उस ने पढ़ाई के अलावा अपने शरीर को चुस्तदुरूस्त बनाने के लिए सुबहशाम दौड़ लगानी शुरू कर दी.