Crime Story in Hindi: बहुरुपिया- भाग 1: दोस्ती की आड़ में क्या थे हर्ष के खतरनाक मंसूबे?

हर्ष से मेरी मुलाकात एक आर्ट गैलरी में हुई थी. 5 मिनट की उस मुलाकात में बिजनैस कार्ड्स का आदानप्रदान भी हो गया.

‘‘मेरी खुद की वैबसाइट भी है, जिस में मैं ने अपनी सारी पेंटिंग्स की तसवीरें डाल रखी हैं, उन के विक्रय मूल्य के साथ,’’ मैं ने अपने बिजनैस कार्ड पर अपनी वैबसाइट के लिंक पर उंगली रखते हुए हर्ष से कहा.

‘‘जी, बिलकुल, मैं जरूर आप की पेंटिंग देखूंगा. फिर आप को टैक्स मैसेज भेज कर फीडबैक भी दे दूंगा. आर्ट गैलरी तो मैं अपनी जिंदगी में बहुत बार गया हूं पर आप के जैसी कलाकार से कभी नहीं मिला. योर ऐवरी पेंटिंग इज सेइंग थाउजैंड वर्ड्स,’’ हर्ष ने मेरी पेंटिंग पर गहरी नजर डालते हुए कहा.

‘‘हर्ष आप से मिल कर बड़ा हर्ष हुआ, स्टे इन टच,’’ मैं ने उस वक्त बड़े हर्ष के साथ हर्ष से कहा था. इस संक्षिप्त मुलाकात में मुझे वह कला का अद्वितीय पुजारी लगा था.

बात तो 5 मिनट ही हुई थी पर मैं आधे घंटे से दूर से उस की गतिविधियां देख रही थी. वह हर पेंटिंग के पास रुकरुक कर समय दे रहा था, साथ ही एक छोटी सी डायरी में कुछ नोट्स भी लेता जा रहा था.

‘लगता है यह कोई बड़ा कलापारखी है,’ उस वक्त उसे देख कर मैं ने सोचा था.

हर्ष से हुई इस मुलाकात को 6 महीने बीत चुके थे. इस दौरान न उस ने मुझ से कौंटैक्ट करने की कोशिश की न ही मैं ने उस से. मेरी वैबसाइट से मेरी पेंटिंग्स की बिक्री न के बराबर हो रही थी. मैं हर तरह से उन के प्रचार की कोशिश कर रही थी. मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी वैबसाइट का लिंक भेज रही थी. मुझे मतलब नहीं था कि वे मुझे ज्यादा जानते हैं या कम. मुझे तो बस एक जनून था कला जगत में एक पहचान बनाने और नाम कमाने का. इस जनून के चलते मैं ने एक टैक्स मैसेज हर्ष को भी भेज दिया.

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‘‘क्या आज मेरे साथ कौफी पीने आ सकती हो?’’ तत्काल ही उस का जवाब आया.

मेरी हैरानी का ठिकाना नहीं था. 5 मिनट की संक्षिप्त मुलाकात के बाद कोई 6 महीने तक गायब था और जब किसी वजह से मैं ने उसे एक मैसेज भेजा तो सीधे मेरे साथ कौफी पीना चाहता है.

‘अजीब दुनिया है यह,’ मैं मन ही भुनभुनाई और फिर टैक्स मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया. 2 दिन यों ही आने वाली कला प्रदर्शनी की तैयारी में निकल गए और बाद में भी मैं हर्ष के मैसेज को भुला कर अपने स्तर पर अपनी कला को बढ़ावा देने में जुटी रही. कुछ दिनों के बाद अचानक उस का फोन आया फिर से मेरे साथ कौफी पीने के आग्रह के साथ.

‘‘न तुम मुझे जानते हो और न ही मैं तुम्हें, फिर यह बेवजह कौफी पीने का क्या मतलब है? मैं ने तुम्हें किसी वजह से एक मैसेज भेज दिया, इस का यह अर्थ बिलकुल नहीं है कि मैं फालतू में तुम्हारे साथ टाइम पास करने के लिए इच्छुक हूं,’’ मेरा दो टूक जवाब था.

‘‘मैं ने तुम्हारी कला और उस की गहराई को समझा है और उस जरीए से तुम्हें भी जाना है. मैं तुम्हारी उतनी ही इज्जत करता हूं जितनी दुनिया एमएफ हुसैन की करती है. मैं ने जब तुम्हारा नाम पहली बार अपने मोबाइल में डाला था तो उस के आगे पेंटर सफिक्स लिख कर डाला था. अभी भी तुम मानो या न मानो एक दिन तुम कला के क्षेत्र में एमएफ हुसैन को मात दे दोगी. रही बात हमारी जानपहचान की तो वह तो बढ़ाने से ही बढ़ेगी न?’’

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अपनी तारीफ सुनना किसे अच्छा नहीं लगता? हर्ष के शब्दों का मुझ पर असर होने लगा. अपनी तारीफों के सम्मोहन में जकड़ी हुई मैं अब उस से घंटों फोन पर बातें करती. हर बार वह मेरी और मेरी कला की जम कर प्रशंसा करता. उस की बातें मेरे ख्वाबों को पंख दे रही थीं. मन में बरसों से पड़े शोहरत की चाहत के बीज में अंकुर फूटने लगा था.

‘‘मैं तुम्हारी इतनी इज्जत करता हूं, जितनी कि हिंदुस्तान के सवा करोड़ हिंदुस्तानी मिल कर भी नहीं कर सकते. महीनों हो गए तुम्हें कौफी पर आने के लिए कहतेकहते… इतने पर तो कोई पत्थर भी चला आता,’’ एक दिन हर्ष ने कहा.

Manohar Kahaniya: पुलिस अधिकारी का हनीट्रैप गैंग- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

35साल की उम्र, गोरा रंग, तीखे नाकनक्श और गठीले बदन की सुनीता ठाकुर भोपाल के औद्योगिक क्षेत्र मंडीदीप की निवासी थी. अपनी अदाओं से वह लड़कों को दीवाना बना देती थी. जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही उस के हुस्न के चर्चे मंडीदीप की गलियों में होने लगे थे.

सुनीता के रंगढंग देख कर उस के पिता मानसिंह ठाकुर ने उस की शादी होशंगाबाद के पास के गांव में रहने वाले गणेश राजपूत से कर दी. सुनीता और गणेश के 3 बेटे और एक बेटी थी.

सन 2013 में सुनीता अपने पति गणेश और बच्चों के साथ गांव से आ कर होशंगाबाद के बालागंज में किराए के मकान में रहने लगी. उस की खूबसूरती देख कर कोई यकीन नहीं कर सकता था कि सुनीता 4 बच्चों की मां भी है.

गणेश की माली हालत अच्छी नहीं थी, मगर सुनीता हालात से समझौता करने वाली लड़की नहीं थी. फैशनपरस्त और मौडर्न खयालों की बिंदास युवती को घरपरिवार की बंदिशें ज्यादा दिनों तक रोक नहीं पाईं और एक दिन पति का घर छोड़ वह वापस मंडीदीप में आ कर रहने लगी.

सुनीता अब तितली की भांति तरहतरह के फूलों की महक लेने लगी. उस ने अपनी ख्वाहिशें पूरी करने के लिए लोगों को अपने प्रेमजाल में फंसा कर ब्लैकमेलिंग का धंधा शुरू कर दिया था. देखते ही देखते वह कार में चलने लगी और उस के हाथों में महंगे स्मार्टफोन रहने लगे.

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सुनीता पहले फेसबुक और सोशल मीडिया के जरिए होशंगाबाद जिले के नौजवानों से दोस्ती करती थी.

नजदीकियां बढ़ने पर वह दोस्तों को होटल में ले जा कर उन के साथ अंतरंग संबंध बना कर मोबाइल फोन में वीडियो बना लेती. फिर ब्लैकमेलिंग का खेल खेल कर युवकों से पैसा वसूल करने लगी.

उस ने इसी तरह से होशंगाबाद जिले के सोहागपुर के एक युवा व्यापारी विनोद रघुवंशी को भी फांस लिया था. 17 मार्च, 2021 की बात है. विनोद रघुवंशी के मोबाइल पर सुनीता ने फोन किया, ‘‘विनोदजी, मुझे आप से जरूरी बात करनी है और आप फोन तक नहीं उठा रहे.’’

‘‘हां बताइए, क्या कहना चाहती हैं आप?’’ विनोद रघुवंशी ने पूछा.

‘‘देखो, इस समय मेरे पास 2-3 लड़कियां हैं. एक रात के 2 हजार रुपए लगेंगे.’’ सुनीता बोली.

विनोद ने सुनीता को डांटते हुए कहा, ‘‘नहीं, मुझे किसी की जरूरत नहीं है, अब मुझे कभी फोन मत करना.’’ विनोद ने फोन कट कर के उस के नंबर को ब्लौक लिस्ट में डाल दिया.

सुनीता ने फांसा विनोद रघुवंशी को

सुनीता तो जैसे विनोद के पीछे ही पड़ गई थी. 21 मार्च को सुनीता ठाकुर सोहागपुर पहुंची और दूसरे नंबर से विनोद रघुवंशी को फोन कर के उस से एक बार मिलने को कहा. सुनीता के बारबार के फोन काल से परेशान हो कर विनोद ने उस से मिलने का फैसला किया और सुनीता से मिलने पहुंच गया. सोहागपुर में नए थाने के सामने एक कार में सुनीता ठाकुर के साथ एक महिला और एक युवक भी था.

जब विनोद रघुवंशी सुनीता ठाकुर से मिला तो सुनीता ने कहा, ‘‘देखो, मेरे पास जो 2 लड़कियां हैं, वो एकदम मस्त हैं. उन से मिलोगे तो खुश हो जाओगे. चाहो तो अभी उन्हें हमारे साथ चल कर देख सकते हो.’’

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‘‘मुझे इस की कोई जरूरत नहीं है.’’ विनोद ने कहा.

सुनीता विनोद पर काफी दबाब बनाती रही, लेकिन उस ने उस की एक न सुनी. उस से जल्द ही पीछा छुड़ा कर वह अपने खेत की तरफ चला गया.

दूसरे दिन 22 मार्च को सुनीता ने दोबारा किसी नए नंबर से विनोद को फोन किया और धमकी दे क र कहने लगी, ‘‘मैं तुम्हारे घर पुलिस ले कर आ रही हूं.’’

यह सुन कर विनोद चौंक गया, ‘‘पुलिस… मैं ने ऐसा क्या कर दिया?’’

विनोद के इतना कहने के बाद सुनीता ने उसे वाट्सऐप से एक शिकायती पत्र की कौपी भेजी. उस पर 22 मार्च की ही होशंगाबाद के सिटी थाने की मोहर भी लगी हुई थी.

थानाप्रभारी को दिए गए उस पत्र में सुनीता ठाकुर ने आरोप लगाया था कि विनोद रघुवंशी ने मेरे साथ शादी का झांसा दे कर 4 दिन

तक गलत काम किया और पचमढ़ी घुमाने ले गया था.

इसे देख कर विनोद डर गया. उस ने सुनीता को फोन लगा कर कहा, ‘‘मैडम, मैं ने ऐसा क्या कर दिया जो तुम ने मेरे खिलाफ पुलिस में यह शिकायत की है.’’

‘‘यह बात तो तुम कोर्ट में कहना. पुलिस जब तुम्हें कूट कर जेल भेज देगी तब कोर्ट में तुम्हें अपनी बात कहने का मौका मिलेगा.’’ सुनीता ने धमकाया.

‘‘मैडम, इस शिकायत को वापस ले लो और इस के बदले में जो चाहती हो बता दो.’’ विनोद गिड़गिड़ाते हुए बोला.

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‘‘अगर तुम पुलिसकचहरी के चक्कर में नहीं पड़ना चाहते तो 2 लाख रुपए दे दो.’’

‘‘2 लाख तो अभी मेरे पास नहीं हैं. अभी मेरे पास 20-25 हजार हैं,’’ वह बोला.

‘‘ठीक है, अभी यह दे दो. बाकी बाद में दे देना.’’ सुनीता ने कहा.

30 मार्च को विनोद सुनीता ठाकुर के बताए स्थान पर पैसे पहुंचाने के लिए सोहागपुर से होशंगाबाद चला गया. वहां पहुंच कर उस ने सुनीता ठाकुर को फोन किया, तो उस का फोन बंद मिला.

काफी देर बाद भी जब उस का फोन नहीं मिला तो विनोद वापस लौट आया. लेकिन उस के मन में सुनीता की उस शिकायत का डर बैठा हुआ था.

रुपए के लेनदेन से मामला हुआ उजागर

इस के बाद वह डरी हुई हालत में विधायक सीताशरण शर्मा से मिलने पहुंच गया. विनोद ने अपने साथ हुई ब्लैकमेलिंग की पूरी कहानी विधायक को बताई. विधायक सीताशरण शर्मा ने विनोद से पूछा, ‘‘तुम ने उस महिला के साथ कोई गलत काम तो नहीं किया?’’

अगले भाग में पढ़ें- वीडियो से हुई ब्लैकमेलिंग

Satyakatha: रिश्तों का कत्ल- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

7 जून को पुलिस को मृतक शैलेंद्र की काल डिटेल्स मिल गई थी. विवेचनाधिकारी सिंह ने काल डिटेल्स का अध्ययन किया तो उस में एक नंबर ऐसा भी मिला, जिस से काफी बातचीत हुई थी. पुलिस ने मृतक की पत्नी से उस नंबर के बारे में जानकारी मांगी तो वह नंबर मृतक के दामाद पवन कुमार का निकला.

विवेचनाधिकारी सिंह की नजरों में पता नहीं क्यों पवन संदिग्ध रूप में चढ़ गया था. फिर उन्होंने पवन के बारे में सरिता देवी से जानकारी ली. सास सरिता देवी ने उन्हें दामाद पवन के बारे में जो जानकारी दी, सुन कर वह चौंक गए थे.

पता चला कि पवन ने अपनी पत्नी सृष्टि के होते हुए अपने बड़े साले पीयूष की पत्नी निभा से प्रेम विवाह कर लिया था. यही नहीं, एक मोटी रकम को ले कर ससुर शैलेंद्र और दामाद पवन के बीच कई महीनों से रस्साकशी चल रही थी.

दरअसल, बिहारशरीफ रेलवे स्टेशन के पास एक 5 कट्ठे की जमीन थी. वह जमीन शैलेंद्र कुमार को पसंद आ गई थी. दामाद पवन ने उन्हें वह जमीन दिलवाने की हामी भी भर दी थी. दामाद के जरिए 60 लाख में जमीन का सौदा भी पक्का हो गया था.

जमीन मालिक को कुछ पैसे एडवांस दिए जा चुके थे और 17 जून को जमीन का बैनामा छोटे बेटे मनीष के नाम होना तय हो गया था. इसी दौरान शैलेंद्र की हत्या हो गई.

खैर, पुलिस ने पवन के मोबाइल नंबर को सर्विलांस में लगा दिया और मुखबिरों को भी उस के पीछे लगा दिया ताकि उस की गतिविधियों के बारे में सहीसही पता लग सके.

अंतत: पवन वह गलती कर ही बैठा, जिस की संभावना पुलिस को बनी हुई थी. उस गलती के बिना पर पुलिस ने पवन को उस के रामकृष्णनगर स्थित घर से धर दबोचा और उसे पूछताछ के लिए थाने ले आई.

पुलिस ने पवन से कड़ाई से पूछताछ करनी शुरू की तो पवन एकदम से टूट गया और ससुर की हत्या का जुर्म कुबूल करते हुए कहा, ‘‘हां सर, मैं ने ही सुपारी दे कर ससुर की हत्या कराई थी. मुझे माफ कर दीजिए सर, मैं पैसों के लालच में अंधा हो गया था.’’ कह कर वह रोने लगा.

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‘‘तुम्हारे इस काम में और कौनकौन थे या फिर तुम ने यह सब अकेले ही किया?’’ विवेचनाधिकारी मनोज कुमार ने सवाल किया.

‘‘साहब, मेरे इस काम में मेरी दूसरी पत्नी निभा, छोटा भाई टिंकू और शूटर अमर शामिल थे.’’ उस ने बताया.

‘‘ठीक है तो ले चलो सभी गुनहगारों के पास.’’

इस के बाद पुलिस पवन को कस्टडी में ले कर रामकृष्णनगर पहुंची और उस की पत्नी निभा तथा छोटे भाई टिंकू को गिरफ्तार कर लिया. उसी दिन कंकड़बाग के अशोकनगर कालोनी से शूटर अमर को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

तीनों आरोपियों ने भी अपने जुर्म कुबूल कर लिए. उस के बाद इस हत्या की जो कहानी सामने आई, बेहद चौंकाने वाली थी, जहां पैसों के लालच में अंधे हुए दामाद ने कई रिश्तों का कत्ल कर दिया था. पढ़ते हैं इस कहानी को—

60 वर्षीय शैलेंद्र कुमार सिन्हा मूलत: बिहार के नालंदा जिले के गड़पर प्रोफेसर कालोनी के रहने वाले थे. उन के परिवार में कुल 5 सदस्य थे. पत्नी सरिता देवी और 2 बेटे पीयूष व मनीष और एक बेटी सृष्टि. घर में किसी चीज की कमी नहीं थी.

भौतिक सुखसुविधाओं की ऐसी कोई चीज नहीं थी, जो उन के घर में मौजूद न हो. उस पर से वह खुद भारतीय स्टेट बैंक के मैनेजर थे. उन की अच्छीभली तनख्वाह थी, इसलिए जिंदगी बड़े मजे से कट रही थी.

शैलेंद्र का बड़ा बेटा पीयूष दिव्यांग था. वह पूरी तरह से चलफिर नहीं सकता था. बेटे की हालत देख कर उन के कलेजे में टीस उठती थी.

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छोटा बेटा मनीष हृष्टपुष्ट और तंदुरुस्त था, शरीर से भी और दिमाग से भी. पढ़ने में वह अव्वल था. अपनी योग्यता और काबिलियत की बदौलत मनीष की बैंक में नौकरी लग गई थी और वह असम के गुवाहाटी में तैनात था.

शैलेंद्र ने समय रहते दोनों बेटों की शादी कर दी थी. जिम्मेदारी के तौर पर एक बेटी बची थी शादी करने के लिए, सो उस के लिए भी वह योग्य वर की तलाश कर रहे थे. उन्होंने रिश्तेदारों के बीच में बात चला दी कि बेटी के योग्य कोई अच्छा वर मिले तो बताएं. रिश्तेदारों के बीच से पटना का रहने वाला पवन कुमार का रिश्ता आया.

पवन राजधानी पटना की पौश कालोनी में कोचिंग सेंटर चलाता था. कोचिंग से उस की अच्छीखाई कमाई हो जाया करती थी. बैंक मैनेजर शैलेंद्र को यह रिश्ता पसंद आ गया. उन्होंने बेटी सृष्टि की शादी पवन से कर के अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर दिया.

पवन कुमार 2 भाई थे. दोनों भाइयों में पवन बड़ा था और टिंकू कुमार छोटा. दोनों में पवन सुंदर और बेहद समझदार था. वह कोचिंग से इतना कमा लेता था कि अपना खर्च निकालने के बाद कुछ बैंक बैलेंस बना लिया था.

खैर, शैलेंद्र को यह रिश्ता पसंद आ गया और उन्होंने बेटी सृष्टि की शादी पवन से कर दी. एक प्रकार से पवन के कंधों पर ससुराल की देखरेख की जिम्मेदारी भी आ गई थी.

वह ऐसे कि बड़ा साला पीयूष दिव्यांग था. छोटा साला मनीष परिवार ले कर नौकरी पर गुवाहाटी में रहता था. घर पर बचे सासससुर. उन की देखरेख के लिए एक व्यक्ति की जरूरत रहती थी, सो दामाद पवन सास और ससुर की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहता था.

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दामाद के इस व्यवहार से सासससुर दोनों बहुत खुश रहते थे. वैसे भी बिहार की यह परंपरा है कि बेटी और दामाद घर के मालिक की तरह होते हैं. सास और ससुर बेटी और दामाद की सलाहमशविरा के बिना कोई काम नहीं करते थे.

कोई भी काम होता तो वे दामाद से रायमशविरा लिए बिना नहीं करते थे. बारबार ससुराल आनेजाने से बड़े साले पीयूष की पत्नी निभा, जो रिश्ते में पवन की सलहज लगती थी, दोनों के बीच खूब हंसीठिठोली होती थी.

हंसीठिठोली होती भी कैसे नहीं, उन का तो रिश्ता था ही मजाक का. मजाक का यह रिश्ता दोनों के बीच में कब प्रेम के रिश्ते में बदल गया, न तो पवन जान सका और न ही निभा.

यह रिश्ता प्रेम तक ही कायम नहीं रहा, बल्कि यह जिस्मानी रिश्ते में बदल गया था और पहली पत्नी के रहते पवन ने सलहज निभा से कोर्टमैरिज कर ली और उसे ले कर पटना में रहने लगा था.

अगले भाग में पढ़ें- पवन सलहज से पत्नी बनी निभा को साथ ले कर पटना में रहने लगा था

Crime Story in Hindi: अधूरी मौत- क्यों शीतल ने अनल के साथ खतरनाक खेल खेला?

Crime Story in Hindi- अधूरी मौत: भाग 1- क्यों शीतल ने अनल के साथ खतरनाक खेल खेला?

‘‘मेरे दिल ने जो मांगा मिल गया, जो कुछ भी चाहा मिला.’’ शीतल उस हिल स्टेशन के होटल के कमरे में खुदबखुद गुनगुना रही थी.

‘‘क्या बात है शीतू, बहुत खुश नजर आ रही हो.’’ अनल उस के पास आ कर कंधे पर हाथ रखते हुए बोला.

‘‘हां अनल, मैं आज बहुत खुश हूं. तुम मुझे मेरे मनपसंद के हिल स्टेशन पर जो ले आए हो. मेरे लिए तो यह सब एक सपने के जैसा था.

‘‘पिताजी एक फैक्ट्री में छोटामोटा काम करते थे. ऊपर से हम 6 भाईबहन. ना खाने का अतापता होता था ना पहनने के लिए ढंग के कपड़े थे. किसी तरह सरकारी स्कूल में इंटर तक पढ़ पाई. हम लोगों को स्कूल में वजीफे के पैसे मिल जाते थे, उन्हीं पैसों से कपड़े वगैरह खरीद लेते थे.

‘‘एक बार पिताजी कोई सामान लाए थे, जिस कागज में सामान था, उसी में इस पर्वतीय स्थल के बारे में लिखा था. तभी से यहां आने की दिली इच्छा थी मेरी. और आज यहां पर आ गई.’’ शीतल होटल के कमरे की बड़ी सी खिड़की के कांच से बाहर बनते बादलों को देखते हुए बोली.

‘‘क्यों पिछली बातों को याद कर के अपने दिल को छोटा करती हो शीतू. जो बीत गया वह भूत था. आज के बारे में सोचो और भविष्य की योजना बनाओ. वर्तमान में जियो.’’ अनल शीतल के गालों को थपथपाते हुए बोला.

‘‘बिलकुल ठीक है अनल. हमारी शादी को 9 महीने हो गए हैं. और इन 9 महीनों में तुम ने अपने बिजनैस के बारे में इतना सिखापढ़ा दिया है कि मैं तुम्हारे मैनेजर्स से सारी रिपोर्ट्स भी लेती हूं और उन्हें इंसट्रक्शंस भी देती हूं. हिसाबकिताब भी देख लेती हूं.’’ शीतल बोली.

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‘‘हां शीतू यह सब तो तुम्हें संभालना ही था. 5 साल पहले मां की मौत के बाद पिताजी इतने टूट गए कि उन्हें पैरालिसिस हो गया. कंपनी से जुड़े सौ परिवारों को सहारा देने वाले खुद दूसरे के सहारे के मोहताज हो गए.

‘‘नौकरों के भरोसे पिताजी की सेहत गिरती ही जा रही थी. तुम नई थीं, इसीलिए पिताजी का बोझ तुम पर न डाल कर तुम्हें बिजनैस में ट्रेंड करना ज्यादा उचित समझा. पिताजी के साथ मेरे लगातार रहने के कारण उन की सेहत भी काफी अच्छी हो गई है. हालांकि बोल अब भी नहीं पाते हैं.

‘‘मैं चाहता हूं कि इस हिल स्टेशन से हम एक निशानी ले कर जाएं जो हमारे अपने लिए और उस के दादाजी के लिए जीने का सहारा बने.’’ अनल शीतल के पीछे खड़ा था. वह दोनों हाथों का हार बना कर गले में डालते हुए बोला.

‘‘वह सब बातें बाद में करेंगे. अभी तो 7 दिन हैं, खूब मौके मिलेंगे.’’ शीतल बोली.

अगली सुबह अनल ने कहा, ‘‘देखो, आज 5 विजिटिंग पौइंट्स पर चलना है. 9 बजे टैक्सी आ जाएगी. हम यहां से नाश्ता कर के निकलते हैं. लंच किसी सूटेबल पौइंट पर ले लेंगे.’’

‘‘हां, मैं तैयार होती हूं.’’ शीतल बोली.

‘‘सर, आप की टैक्सी आ गई है.’’ नाश्ते के बाद होटल के रिसैप्शन से फोन आया.

‘‘ठीक है हम नीचे पहुंचते हैं.’’ अनल बोला.

दिन भर घुमाने के बाद ड्राइवर ने दोनों को होटल में छोड़ दिया. शीतल अनल के कंधे का सहारा ले कर टैक्सी से निकलते हुए बोली, ‘‘अनल, जब हम घूम कर लौट रहे थे तब उस संकरे रास्ते पर क्या एक्सीडेंट हो गया था? ट्रैफिक जाम था. तुम देखने भी तो उतरे थे.’’

‘‘एक टैक्सी वाले से एक बुजुर्ग को हलकी सी टक्कर लग गई. बुजुर्ग इलाज के लिए पैसे मांग रहा था. इसीलिए पूरा रास्ता जाम था.’’ अनल ने बताया. ‘‘ऐसा ही एक एक्सीडेंट हमारी जिंदगी में भी हुआ था, जिस से हमारी जिंदगी ही बदल गई.’’ अनल ने आगे जोड़ा.

‘‘हां मुझे याद है. उस दिन पापा मेरे रिश्ते की बात करने कहीं जा रहे थे. तभी सड़क पार करते समय तुम्हारे खास दोस्त वीर की स्पीड से आती हुई कार ने उन्हें टक्कर मार दी. जिस से उन के पैर की हड्डी टूट गई और वह चलने से लाचार हो गए.’’ शीतल बोली.

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‘‘हां, और तुम्हारे पिताजी ने हरजाने के तौर पर तुम्हारी शादी वीर से करने की मांग रखी.’’

‘‘मेरा रिश्ते टूटने की सारी जवाबदारी वीर की ही थी. इसलिए हरजाना तो उसी को देना था न.’’ शीतल अपने पिता की मांग को जायज ठहराते हुए बोली.

‘‘वीर तो बेचारा पहले से ही शादीशुदा था, वह कैसे शादी कर सकता था? मेरी मम्मी की मौत के बाद वीर की मां ने मुझे बहुत संभाला और पिताजी को पैरालिसिस होने के बाद तो वह मेरे लिए मां से भी बढ़ कर हो गईं.

‘‘कई मौकों पर उन्होंने मुझे वीर से भी ज्यादा प्राथमिकता दी. उस परिवार को मुसीबत से बचाने के लिए ही मैं ने तुम से शादी की.

‘‘मेरे बिजनैस की पोजीशन को देखते हुए कोई भी पैसे वाली लड़की मुझे मिल जाती. मैं किसी गरीब घर की लड़की से शादी करने के पक्ष में था ताकि वह पिताजी की देखभाल कर सके.’’

‘‘मतलब तुम्हें एक नौकरानी चाहिए थी जो बीवी की तरह रह सके.‘‘शीतल के स्वर में कुछ कड़वापन था.

‘‘बड़ेबुजुर्गों के मुंह से सुना था कि जोडि़यां स्वर्ग में बनती हैं. मगर हमारी जोड़ी सड़क पर बनी. लेकिन मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं हैं. मैं ने पिछले 9 महीनों में एक नई शीतल गढ़ दी है, जो मेरा बिजनैस हैंडल कर सकती है. बस एक ही ख्वाहिश और है जिसे तुम पूरा कर सकती हो.’’ अनल हसरतभरी निगाहों से शीतल की तरफ देखते हुए बोला.

‘‘अनल, पहाड़ों पर चढ़नेउतरने के कारण बदन दर्द से टूट रहा है. कोई पेनकिलर ले कर आराम से सोते हैं. वैसे भी सुबह 4 बजे उठना पड़ेगा सनराइज पौइंट जाने के लिए. यहां सूर्योदय साढ़े 5 बजे तक हो ही जाता है.’’ शीतल सपाट मगर चुभने वाले लहजे में बोली.

अनल अपना सा मुंह ले कर बिस्तर में दुबक गया.

अगली सुबह ड्राइवर आया तो शीतल उस से बोली, ‘‘ड्राइवर भैया, आज ऐसी जगह ले चलो जो एकदम से अलग सा एहसास देती हो.’’

‘‘जी मैडम, यहां से 20 किलोमीटर दूर है. इस टूरिस्ट प्लेस की सब से ऊंची जगह. वहां से आप सारा शहर देख सकती हैं, करीब एक हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है.

Manohar Kahaniya: पुलिस में भर्ती हुआ जीजा, नौकरी कर रहा साला!- भाग 1

17जून, 2021 को मुरादाबाद जिले के ठाकुरद्वारा के सीओ डा. अनूप सिंह अपने औफिस मे बैठे थे, तभी एसएसपी पंकज कुमार के पीआरओ का उन के पास फोन आया. पीआरओ की तरफ से सीओ साहब को विशेष जानकारी मुहैया कराई गई थी, जिसे सुन कर सीओ साहब सकते में आ गए थे.

सूचना मिली थी कि आप के सर्किल थाना क्षेत्र में मुजफ्फरनगर जनपद के खतौली थानाक्षेत्र के गांव दहौड़ का रहने वाला कांस्टेबल अनिल कुमार पुत्र सुखपाल, 112 पीआरवी 0281 ड्यूटी कर रहा है. लेकिन हमें यह खबर मिली है कि अनिल कुमार तो अकसर अपने घर पर ही मौजूद रहता है. तो फिर उस की जगह नौकरी कौन कर रहा है, यह जांच कराई जाए.

यह सूचना मिलते ही डा. अनूप सिंह ने तुरंत ही ठाकुरद्वारा थानाप्रभारी सतेंद्र सिंह को यह सूचना दे कर जांच करने को कहा. चूंकि अनिल कुमार की ड्यूटी हमेशा ही 112 पीआरवी में ही चलती रहती थी. इसी कारण उस का थाने आनाजाना बहुत ही कम होता था.

इस अहम जानकारी के मिलते ही थानाप्रभारी सतेंद्र सिंह ने सच्चाई जानने के लिए पुलिस रिकौर्ड में दर्ज कांस्टेबल अनिल कुमार के मोबाइल पर काल की.

‘‘जय हिंद सर.’’ फोन कनेक्ट होते ही दूसरी तरफ से आवाज आई.

‘‘आप कौन?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘कांस्टेबल अनिल कुमार रिपोर्टिंग. आदेश कीजिए सर, मेरी लोकेशन ठाकुरद्वारा में ही है सर. मेरी पीआरवी 0281 पर तैनाती है सर.’’ उस ने थानाप्रभारी से कहा.

‘‘अनिल आप फौरन थाने पहुंचो, आप से कुछ जरूरी काम है.’’ थानाप्रभारी ने आदेश दिया.

‘‘ओके सर.’’ कोई 10 मिनट बाद ही होमगार्ड के साथ एक सिपाही थाने पहुंचा.

उस की वरदी पर अनिल कुमार नाम का बैज लगा था. थानाप्रभारी ने युवक को ऊपर से नीचे तक देखा. उस के बाद अनिल कुमार से अपना पूरा परिचय देने को कहा.

थानाप्रभारी की बात सुनते ही एक सिपाही की भांति ही सावधान मुद्रा में अपना परिचय देने लगा. मैं कांस्टेबल 2608 अनिल कुमार पुत्र श्री सुखपाल, थाना खतौली जिला मुजफ्फरनगर के गांव दहौड़ का रहने वाला हूं. वर्ष 2011 बैच का सिपाही हूं. सर, 2016 में बरेली से ट्रांसफर पर मेरी यहां पर नियुक्ति हुई है.’’

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जिस तरह से युवक ने थानाप्रभारी के सामने अपना पूरा परिचय दिया था, उस के आत्मविश्वास को देख कर सतेंद्र सिंह भी चकरा गए. एक बार तो उन्हें लगा कि जिस ने भी कप्तान साहब से उस की शिकायत की है, वह झूठी ही होगी.

सब जानकारी लेने के बाद इंसपेक्टर सतेंद्र सिंह ने अनिल कुमार से आखिरी प्रश्न किया, ‘‘तुम्हारे ट्रांसफर के समय बरेली जिले के कप्तान कौन थे.’’

बस यही प्रश्न ऐसा था कि अनिल कुमार अपने जाल में फंस गया. वह इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दे पाया. फिर भी उन्होंने युवक की चरित्र पंजिका मंगवाई. कागज देख कर सतेंद्र सिंह को विश्वास हो गया कि जरूर कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ है.

इस से पहले सतेंद्र कुमार कुछ समझ पाते, युवक सब कुछ समझ गया.

‘‘सर, बहुत जोर से लघुशंका आई है, मैं बस एक मिनट में ही फ्रैश हो कर आया.’’ उस युवक ने कहा.

‘‘ठीक है. जल्दी से हो कर आओ.’’ उस के बाद थानाप्रभारी युवक के बाकी कागजात देखने में व्यस्त हो गए.

काफी समय बाद भी वह युवक वापस नहीं आया तो सतेंद्र कुमार ने संतरी से उसे देखने को कहा. लेकिन अनिल नाम का वह सिपाही कहीं भी नजर नहीं आया. उस के बाद थानाप्रभारी को आभास हो गया कि वह सिपाही फरार हो गया.

उस के फरार होने की जानकारी मिलते ही सतेंद्र कुमार ने उसे हर जगह पर  खोजा, लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं चला. उस के इस तरह से फरार होने से यह तो साबित हो ही गया था कि जिस ने भी उस की शिकायत कप्तान साहब से की थी, वह बिलकुल ही सही थी.

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यह सब जानकारी मिलते ही सीओ डा. अनूप सिंह ने अनिल की गिरफ्तारी के लिए थानाप्रभारी सतेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम का गठन किया. अनिल कुमार की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम तुरंत मुजफ्फरनगर रवाना की गई.

सरकारी कागजों में अनिल का पता मुजफ्फरनगर के गांव दहौड़ का था. पुलिस टीम ने गांव जा कर अनिल के बारे में पूछा तो पता चला कि यहां पर कोई अनिल कुमार पुलिस में नहीं है. एक अनिल कुमार तो है जो अपने को सरकारी टीचर बताता है.

असली सिपाही हुआ गिरफ्तार

पुलिस उसी पते पर पहुंच गई तो उस वक्त अनिल नाम का युवक घर पर ही मिल गया. लेकिन यह वह नहीं था, जो लघुशंका के बहाने से थाने से फरार हो गया था.

अपने घर अचानक पुलिस आई देख अनिल कुमार कुछ नरवस सा हो गया. थानाप्रभारी सतेंद्र कुमार ने उस से पुलिस में तैनात होने के बाबत पूछा तो उस ने साफ कह दिया कि वह तो अध्यापक परीक्षा की तैयारी कर रहा है. पुलिस से उस का कोई मतलब नहीं.

फिर उन्होंने उस से सुनील के बारे में पूछा क्योंकि अनिल की मूल फाइल में सुनील कुमार के नाम से कागज थे.

सुनील का नाम सुनते ही उस के चेहरे का रंग उड़ गया. अनिल से सख्ती से पूछताछ की तो सारी सच्चाई पुलिस के सामने आ गई.

सब से हैरत वाली बात यह थी कि अनिल ने सिपाही बन कर जो खेल खेला था, उस की जानकारी गांव वालों को क्या, उस के परिवार वालों तक को पता नहीं थी.

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जब गांव वालों को अनिल की हकीकत का पता चला तो वे सभी दंग रह गए. अनिल के बड़े भाइयों ने पुलिस पूछताछ में बताया कि उन्हें तो केवल इतना ही मालूम था कि गांव गंगधाड़ी निवासी सुनील मुरादाबाद में अपने जीजा अनिल के पास रह कर कोई काम कर रहा है.

अगले भाग में पढ़ें- पुलिस विभाग की लापरवाही आई सामने

Manohar Kahaniya: जॉइनिंग से पहले DSP को जेल- भाग 1

बिहार में शराबबंदी थी, इसलिए टे्रनी डीएसपी आशुतोष कुमार अपने 3 दोस्तों को पार्टी देने के लिए सीमावर्ती झारखंड के जिला कोडरमा ले गया, तिलैया बांध के पास मैदान में पार्टी के दौरान ऐसा क्या हुआ कि डीएसपी और उस के 2 दोस्तों को जेल जाना पड़ा?

बिहार में रोहतास जिले के छिनारी गांव का रहने वाला आशुतोष, हाल ही में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद डीएसपी बना था और ट्रेनिंग पर था, उस की ट्रेनिंग के 3 महीने बाद दूसरी जगह पर ट्रेनिंग के लिए उसे शिफ्ट किया गया था.

डीएसपी बन जाने के बाद उस की सब से पहली तैनाती 3 महीनों के लिए बिहार के बक्सर जिला के सिमरी पुलिस थाने में एसएचओ के रूप में हुई थी. जिसे पूरा कर लेने के बाद 4 जुलाई, 2021 को उसे ब्रह्मपुर थाने में इंसपेक्टर के रूप में आगे की ट्रेनिंग को पूरा करने के लिए तैनात किया गया था.

आशुतोष की नियुक्ति बिहार लोक सेवा आयोग 56-59वीं बैच में पुलिस सेवा के लिए हुई थी.

ब्रह्मपुर की इस तैनाती से आशुतोष कुमार मन ही मन बहुत खुश था. क्योंकि सिमरी में एक ही पुलिस थाने में एसएचओ के तौर पर काम कर के वह काफी ऊब चुका था. हालांकि ब्रह्मपुर थाना सिमरी थाने से बहुत ज्यादा दूर नहीं था. 26 किलोमीटर सिर्फ एक घंटे का रस्ता ही था.

लेकिन उस के बावजूद आशुतोष को मिली इस नई जगह से काफी खुशी थी. नए लोगों से मिलना, नए केस सुलझाने का मौका मिलना इत्यादि से वह जोश से भर गया था.

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यह बात जब उस ने अपने दोस्तों, निखिल रंजन और सौरभ कुमार को फोन पर बताई तो उन्होंने आशुतोष से इस खुशी में हार्ड पार्टी (शराब) मांगी. निखिल और सौरभ जो कि आशुतोष के करीबी दोस्तों में से एक थे, उन्हें इस बात की खुशी थी कि अब वे जब चाहे तब आशुतोष से मिल लिया करेंगे.

क्योंकि अब उन के घर से आशुतोष की नई पोस्टिंग ब्रह्मपुर की दूरी पहले से कम हो गई थी. निखिल और सौरभ को पार्टी के लिए आशुतोष पर ज्यादा दबाव नहीं डालना पड़ा. आशुतोष तैयार हो गया.

आशुतोष ने उन से यह भी कहा कि वह ऐसी पार्टी देगा, जिसे जिंदगी भर भुला नहीं पाओगे.

‘‘ठीक है यार तू बस बता देना, हम तैयार हैं.’’ निखिल ने कहा.

‘‘ओके,’’ आशुतोष बोला.

इस के बाद आशुतोष पार्टी के बारे सोचने लगा कि कहां और कैसे करनी है. उस ने यह बात तो पहले ही तय कर ली थी कि वह पार्टी का इंतजाम अच्छे से करेगा. आशुतोष पार्टी में ड्रिंक्स (शराब) की भी व्यवस्था करना चाहता था, लेकिन बिहार में शराबबंदी को देखते हुए उस ने इस की दूसरी जगह ही व्यवस्था कर ली. उसे वही अपना पुराना अड्डा याद आया.

पार्टी का फुल एंजौय करने के लिए उस ने 2 दिन की छुट्टी ले ली. 8 जुलाई की सुबह वह तैयार हो कर, अपने साथ थोड़ाबहुत सामान ले कर वह कार से पटना के महावीर नगर की तरफ निकल गया, क्योंकि उधर उस के दोस्त निखिल और सौरभ रहते थे. वहां से वह उन्हें पिकअप करना चाहता था.

कार ड्राइव करते हुए ही उस ने और सब से पहले दोस्त सौरभ को फोन किया. सौरभ और निखिल का घर एकदूसरे से ज्यादा दूर नहीं था. दोनों का घर पटना के बेउर थाना क्षेत्र में पड़ता था.

गाड़ी चलाते हुए आशुतोष ने सौरभ के फोन उठाते ही बोला, ‘‘अरे सुन यार, मैं तेरे पास आ रहा हूं वहां 2 घंटे में. तुझे जो काम निपटाने हैं, निपटा ले जल्दी से. और तैयार हो जा. 2 दिनों का ट्रिप बनाया है मैं ने.’’

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डीएसपी की 2 दिन की ट्रिप

2 दिनों के ट्रिप का नाम सुनते ही सौरभ आशुतोष से हकपकाते हुए बोला, ‘‘क्या..? 2 दिन का ट्रिप? यार, पहले बताना चाहिए था न तुझे. और एकदम से ऐसे आईडिया कहां से आते हैं तुझे.’’

उस की बात का जवाब देते हुए आशुतोष बोला, ‘‘अरे यार, बना लिया प्लान. अब ज्यादा चिंता करने की जरुरत नहीं है. अपने पुराने अड्डे पर जाएंगे हम. वहीं पर होटल किराए पर ले कर ठहर जाएंगे. अगर मन करेगा तो कार तो है ही, कहीं और कुछ अच्छा एक्सप्लोर करेंगे. तुम लोगों को हार्ड पार्टी चाहिए थी न, चलो करवाता हूं मैं तुम्हें हार्ड पार्टी.’’

आशुतोष की बात सुन कर सौरभ के भी मन में भी खुशी के लडडू फूटने लगे. वह आशुतोष के साथ ट्रिप पर चलने के लिए बहुत एक्साइटेड हो गया और बोला, ‘‘भाई, अगर ऐसा ही है तो ठीक है. लेकिन एक दिक्कत है, घर पर क्या बताऊं कि 2 दिनों के लिए कहां जा रहा हूं? और अगर घर वाले नहीं माने और पापा ने इनकार कर दिया तो फिर क्या करूंगा?’’

आशुतोष ने बड़ी बेफिक्री से सौरभ के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘‘बोल दे कि आशुतोष के साथ 2 दिनों के लिए जा रहा हूं. अगर कोई कुछ पूछे कि कहां तो कहना कि बिहारशरीफ जा रहे हैं, दोस्त की शादी है. 2 दिन रुकना पड़ेगा और अगर फिर भी न मानें तो उन से मेरी बात करवा देना.’’

सौरभ ने आशुतोष की बात ध्यान से सुनी और बोला, ‘‘चल ठीक है. मैं बोलता हूं पापा को. और जब तू घर के नजदीक पहुंच जाए तो फोन कर के बता दियो एक बार, मैं बाहर निकल आऊंगा घर से.’

यहां सौरभ ने अपने घर वालों को 2 दिनों के लिए घर से बाहर जाने के लिए कहा तो उस के घर वाले आशुतोष के साथ जाने का नाम सुन कर ही बेफिक्र हो गए और उन्होंने सौरभ को जाने की अनुमति दे दी.

सौरभ से बात करने के बाद आशुतोष ने निखिल को फोन लगाया. निखिल के फोन उठाते ही उस ने उसी अंदाज में उस से भी साथ चलने को कहा जिस अंदाज में उस ने सौरभ से कहा था. सौरभ की तरह निखिल भी पहले सकपका गया और बोला, ‘‘यार, तुझे पता ही है कि मेरे पापा कितने शख्त हैं, उन्हें मनाना बहुत मुश्किल है. तू उन से बात कर ले तो कोई बात बनेगी.’’

दरअसल, निखिल के पिता, ऋषिदेव प्रसाद सिंह भी बिहार के गया जिले के चरेखी थाने में सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत थे. और वह आशुतोष को भी जानते थे. निखिल के कहने पर आशुतोष तुरंत उस के पिता से बात करने की बात को मान गया और उस ने उस के पिता को फोन देने के लिए कहा.

निखिल ने हिचकिचाहट और डरते हुए फोन ले जा कर अपने पापा के हाथों में सौंपते हुए कहा, ‘‘पापा आशुतोष बात करना चाहता है आप से.’’

ऋषिदेव प्रसाद अपनी भौहें चढ़ाते हुए निखिल के हाथों से फोन लेते हुए बोले, ‘‘हां जी साहब, बताएं क्या बात है?’’

आशुतोष उन के सवाल का जवाब देते हुए बोला, ‘‘नमस्ते अंकल. दरअसल निखिल को साथ में ले जाने की सोच रहा था. बिहारशरीफ में एक दोस्त की शादी है तो 2 दिन रुकना पड़ सकता है उस के घर. अगर निखिल को भेज देंगे तो उसे भी अच्छा लगेगा.’’

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पार्टी के लिए पहुंचे कोडरमा

यह सुन कर निखिल के पिता ऋषिदेव प्रसाद ने आशुतोष को उसे साथ में ले जाने की अनुमति दे दी और कहा, ‘‘बस 2 दिन में वापस आ जाना. इन की मां इन के बगैर बड़ी परेशान रहती हैं. ध्यान रखिएगा.’’

अगले भाग में पढ़ें- कोडरमा बन गया शराबियों का अड्डा

Manohar Kahaniya: जिद की भेंट चढ़ी डॉक्टर मंजू वर्मा- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

15मई, 2021 की सुबह 4 बजे बिठूर थानाप्रभारी अमित मिश्रा को सूचना मिली कि सिंहपुर स्थित रुद्रा ग्रींस अपार्टमेंट की 8वीं मंजिल से कूद कर किसी महिला ने जान दे दी है. सूचना अपार्टमेंट के सिक्योरिटी गार्ड जगदीश ने दी थी.

रुद्रा ग्रींस अपार्टमेंट में ज्यादातर धनवान लोग ही रहते थे. अत: उन्होंने मामले को गंभीरता से लिया और पुलिस टीम के साथ तत्काल घटनास्थल की ओर रवाना हो लिए.

रुद्रा ग्रींस अपार्टमेंट बिठूर थाने से करीब 4 किलोमीटर दूर कल्याणपुर-बिठूर मार्ग पर स्थित है. वहां पहुंचने में थानाप्रभारी को ज्यादा समय नहीं लगा. उस समय वहां भीड़ जुटी थी. शव के पास एक युवक सुबक रहा था. अमित मिश्रा ने उस से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस का नाम डा. सुशील वर्मा है और मृतका उस की पत्नी डा. मंजू वर्मा है.

वह अपार्टमेंट की 8वीं मंजिल के फ्लैट नंबर 8-ए में रहते हैं. वहीं बालकनी से कूद कर इन्होंने खुदकशी की है. हम ने इन की मौत की सूचना इन के मायके वालों तथा अपने परिजनों को दे दी है.

चूंकि मौत का मामला हाईप्रोफाइल था और जरा सी चूक भारी पड़ सकती थी. अत: प्रभारी निरीक्षक अमित मिश्रा ने इस मामले की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी. थोड़ी देर बाद ही एसएसपी प्रीतिंदर सिंह, एसपी (वेस्ट) संजीव त्यागी तथा डीएसपी (कल्याणपुर) दिनेश कुमार शुक्ला घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया.

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पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. मृतका डा. मंजू वर्मा की लाश अपार्टमेंट के नीचे फर्श पर पड़ी थी. उन की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी.

ऊंचाई से गिरने के कारण उन के शरीर की हड्डियां चकनाचूर हो गई थीं. पुलिस अधिकारी 8वीं मंजिल के फ्लैट नंबर 8-ए पर पहुंचे जहां की बालकनी से डा. मंजू वर्मा ने छलांग लगाई थी. उन्होंने उस कुरसी का भी निरीक्षण किया, जिस पर चढ़ कर वह कूदी थीं.

पुलिस अधिकारियों ने फ्लैट की सघन तलाशी कराई. लेकिन उन्हें फ्लैट से सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ. अधिकारियों को मामला संदिग्ध लगा.

फोरैंसिक टीम ने की जांच

घटनास्थल पर फोरैंसिक टीम मौजूद थी. टीम प्रभारी प्रवीण कुमार श्रीवास्तव ने बड़ी बारीकी से जांच शुरू की. उन्होंने ग्राउंड फ्लोर से ले कर 8वीं मंजिल पर स्थित फ्लैट की जांच की.

जांच में उन्होंने पाया कि जहां से डा. मंजू वर्मा कूदी, वहां की बालकनी की बाउंड्री 3 फीट ऊंची है. बाउंड्री के पास कुरसी मिली, जोकि 40 सेंटीमीटर ऊंची थी. कुरसी पर चढ़ कर ही डा. मंजू वर्मा ने छलांग लगाई. टीम ने कई जगह से फिंगरप्रिंट भी लिए. फोरैंसिक टीम की रिपोर्ट के अनुसार डा. मंजू वर्मा ने खुदकुशी की थी.

पुलिस अधिकारी अभी छानबीन कर ही रहे थे कि मृतका के पिता अर्जुन प्रसाद आ गए. उन के साथ पत्नी मीरा, बेटा विष्णुकांत, बेटी गरिमा व सरिता भी थी. बेटी का शव देख कर अर्जुन प्रसाद व मीरा फफक पड़ी. गरिमा, सरिता व विष्णुकांत भी बहन का शव देख कर रो पड़े. एसपी संजीव त्यागी ने उन्हें धैर्य बंधाया.

घटनास्थल का निरीक्षण व मृतका के परिजनों के आ जाने के बाद पुलिस अधिकारियों ने शव को पोस्टमार्टम हेतु लाला लाजपतराय अस्पताल भिजवा दिया. आक्रोश को देखते हुए पोस्टमार्टम हाउस पर सुरक्षा भी बढ़ा दी.

एसपी (वेस्ट) संजीव त्यागी ने मृतका डा. मंजू वर्मा के पिता अर्जुन प्रसाद से घटना के संबंध में पूछताछ की तो वह रो पड़े. कुछ देर बाद आंसुओं का सैलाब थमा तो उन्होंने बताया कि दामाद सुशील वर्मा व उस का परिवार उन की बेटी को दहेज के लिए प्रताडि़त करता था.

डा. सुशील वर्मा रुद्रा ग्रींस अपार्टमेंट के जिस फ्लैट में रह रहा था. उसे उस ने 80 लाख रुपए में खरीदा था. इस पर 40 लाख रुपए का लोन था, जो उस ने उन की बेटी मंजू वर्मा के नाम पर लिया था.

इस लोन की अदायगी हेतु डा. सुशील वर्मा, डा. मंजू वर्मा पर दबाव डाल रहा था. लेकिन बेटी कहती थी कि वह अभी प्रैक्टिस भी नहीं कर रही है. इतना बड़ा लोन वह कहां से चुकाए.

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तब वह बेटी पर मायके से रकम लाने को कहता था. मना करने पर उस के साथ मारपीट करता था.

अर्जुन प्रसाद ने आगे बताया, ‘‘13 मई को मोबाइल फोन पर मेरी बात मंजू से हुई थी. तब उस ने बताया था कि डा. सुशील से लोन को ले कर उस की बहस हुई थी. बहस के दौरान उन्होंने उस से मारपीट की थी. तब से वह परेशान है. बेटी की व्यथा सुन कर मैं ने उसे समझाया था और दामादजी से बात कर कोई हल निकालने का आश्वासन दिया था.

‘‘इस के बाद 14 मई की शाम मैं ने बेटी से बात करने का प्रयास किया, लेकिन उस का फोन बंद था. रात 2 बजे उन के फोन पर काल आई. काल दामाद के छोटे भाई सुधीर की थी. उस ने बताया कि मंजू भाभी ने बालकनी से छलांग लगा कर जान दे दी है.

‘‘यह बात सुनते ही हमारे तो जैसे होश ही उड़ गए थे. फिर हम सभी प्रयागराज से अपने निजी वाहन से रुद्रा ग्रींस अपार्टमेंट पहुंचे. सर, मेरी बेटी मंजू ने आत्महत्या नहीं की है बल्कि दामाद सुशील वर्मा ने उसे बालकनी से धक्का दे कर मार डाला. दामाद को उकसाने में उन के बड़े भाई सुनील वर्मा का भी हाथ है, जो कानपुर (देहात) जिले में बेसिक शिक्षा अधिकारी है. आप मेरी रिपोर्ट दर्ज कर दहेज लोभियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करें.’’

एसपी(वेस्ट) संजीव त्यागी ने अर्जुन प्रसाद की बात गौर से सुनी और थानाप्रभारी को रिपोर्ट लिखने का आदेश दिया. थानाप्रभारी अमित मिश्रा ने एसपी साहब के आदेश पर अर्जुन प्रसाद की तहरीर पर दहेज हत्या की धारा 304बी के तहत डा. सुशील कुमार वर्मा तथा उन के बड़े भाई सुनील वर्मा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली.

अगले भाग में पढ़ें- डाक्टर से ही की बेटी की शादी

Crime- डर्टी फिल्मों का ‘राज’: राज कुंद्रा पोनोग्राफी केस- भाग 4

मूलरूप से कर्नाटक की रहने वाली शिल्पा शेट्टी के पिता सुरेंद्र शेट्टी मुंबई में दवा निर्माण का कारोबार करते थे इसलिए शिल्पा बचपन से ही मुंबई मे पलीबढ़ी और बाद में मौडलिंग करतेकरते फिल्मों का सफर शुरू हो गया. पहली फिल्म बाजीगार ने ही उन्हें शोहरत की बुलदियों पर पहुंचा दिया. इस के बाद उन्होंने कई चर्चित और सफल फिल्मों में काम किया.

शिल्पा से शादी के बाद राज कुंदा ने शिल्पा के लिए जुहू सी बीच पर एक आलीशान बंगला खरीदा और उस का नाम ‘किनारा’ रखा. करीब 70 करोड़ की कीमत का ये बंगला भव्यता और लोकेशन के लिहाज से बौलीवुड के सुपर स्टार अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान के बंगले के बाद तीसरे नंबर पर गिना जाता है.

शिल्पा की मां सुनंदा शेट्टी 2016 में अपने पति सुरेंद्र शेट्टी की मौत के बाद अब शिल्पा के पास ही रहती हैं. शिल्पा की एक छोटी बहन शमिता शेट्टी भी हिन्दी फिल्मों की जानीमानी अभिनेत्री हैं.

शिल्पा से शादी के बाद राज कुंद्रा की किस्मत का सितारा कुछ ऐसे चमका कि उस के बाद उस ने कई बडे़ बिजनैस शुरू किए. उस के ऊपर दौलत तो बरसने ही लगी, साथ ही एक जानीमानी अभिनेत्री का पति होने के कारण शोहरत भी उस के कदम चूमने लगी.

कभी 2 हजार यूरो से पश्मीना शाल का बिजनैस शुरू करने वाला राज कुंद्रा अब करीब 2700 करोड़ की संपत्तियों का मालिक और दरजन भर कंपनियों का स्वामी था.

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दिल्ली, लंदन और दुबई में उस के आलीशान घर हैं. राज कुंद्रा इन दिनों एक ऐसा बिजनेसमैन था, जिस की खबरें फाइनेंस सेक्शन से ज्यादा अखबार के एंटरटेनमेंट और पेज थ्री सेक्शन में छपती थीं. लेकिन अब कुंद्रा की डर्टी पिक्चर सामने आने के बाद अचानक वह नायक से खलनायक बन गया है.

मुंबई पुलिस में अलगअलग जगह अब तक राज कुंद्रा के खिलाफ अश्लील फिल्म बनाने के आरोप में करीब 5 मामले दर्ज हो चुके हैं.

मौडल पूनम पांडे ने भी 2020 में राज और उस के सहयोगी सौरभ कुशवाह के खिलाफ बौंबे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि राज कुंद्रा की कंपनी गैरकानूनी रूप से उन के वीडियो और तसवीरों का इस्तेमाल कर रही है.

पूनम का कहना था कि उन्होंने राज की कंपनी के साथ कौंट्रैक्ट किया था. राज की कंपनी उन के ऐप को मैनेज करती थी. लेकिन पेमेंट इश्यू के कारण कौंट्रैक्ट कैंसिल कर दिया गया था. हालांकि इन आरोपों को राज और उन के सहयोगी सौरभ ने सिरे से फरजी बताया था.

इसी साल अप्रैल 2021 में कुंद्रा के खिलाफ मौडल व एक्ट्रेस शर्लिन चोपड़ा ने भी एफआईआर करवाई थी. शर्लिन राज कुंद्रा के प्रोजेक्ट्स के लिए काम करती थी. उन्हें हर प्रोजेक्ट के लिए 30 लाख रुपयों का पेमेंट दिया जाता था. उन्होंने राज के साथ ऐसे 15-20 प्रोजेक्ट्स में काम भी किया था.

शर्लिन की शिकायत के मुताबिक साल 2019 की शुरुआत में राज कुंद्रा ने उन के बिजनैस मैनेजर को काल किया और किसी प्रपोजल को डिस्कस करने की बात कही थी.

बिजनैस मीटिंग के बाद 27 मार्च, 2019 को शर्लिन की राज से किसी बात को ले कर बहस हुई और वह बिन बुलाए उस के घर आ गया. और शिल्पा से अपने संबंध ठीक नहीं होने की बात कह कर उस से जबरन संबध बनाने की कोशिश करने लगा. उस ने किसी तरह खुद को राज के चंगुल से छुड़ाया.

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फरवरी 21 में सागरिका शोना सुमन नाम की एक एक्ट्रेस ने मीडिया में आ कर यह क्लेम किया था कि राज कुंद्रा ने उन से नग्न हो कर औडिशन देने के लिए कहा था.

राज कुंद्रा की गिरफ्तारी के बाद अब हर रोज उस के खिलाफ नए तरह के आरोप सामने आ रहे हैं. साथ ही सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या उस की पत्नी शिल्पा भी इस गंदे धंधे में उस की भागीदार थी?

बौलीवुड की लड़कियां ऐसे फंसती हैं पोर्न फिल्मों के जाल में हमारे देशभर में ऐसे लाखों नौजवान युवक और युवतियां हैं, जो फिल्म इंडस्ट्री में आ कर काम करना चाहते हैं. ऐसे युवकयुवतियां पूरे भारत से फिल्म इंडस्ट्री में काम करने की चाह ले कर रोज मायानगरी मुंबई आते हैं. लेकिन सभी को यहां काम नहीं मिलता और न ही फिल्मों में ब्रेक.

ऐसे में इन लोगों का इस्तेमाल मुंबई के ऐसे गिरोह करते हैं, जो फिल्मों और टीवी पर ब्रेक दिलाने के नाम पर लड़कियों को पोर्नोग्राफी की तरफ धकेल देते हैं. उन के अश्लील वीडियो बनाते हैं.

मुंबई के उपनगरों और कई इलाकों में शूटिंग के लिए बंगले किराए पर लिए जाते हैं, जहां अश्लील वीडियो फिल्में शूट की जाती हैं. बाद में उन पोर्न फिल्मों को मोबाइल ऐप और कई पोर्न साइटों पर अपलोड किया जाता है. इस काम से ये गिरोह लाखों रुपए कमाते हैं.

इस धंधे में शामिल पोर्न प्रोडक्शन हाउस और कंपनियां भी लाखों की कमाई करती हैं. उन्हें पोर्न वेबसाइट और मोबाइल ऐप के जरिए अच्छाखासा पैसा मिलता है.

पोर्न रैकेट से जुड़े दलाल पहले किसी प्रोडक्शन हाउस के तहत शौर्ट फिल्म, वेब सीरीज या टीवी सीरियल में काम दिलाने के नाम पर जरूरतमंद लड़कियों को जाल में फंसाते हैं. फिर उन से वादा करते हैं कि अगर वह कामयाब हुए तो उन्हें सीधे बड़े बजट की फिल्मों में ब्रेक मिलेगा. लेकिन उन के साथ होता कुछ और ही है.

राज कुंद्रा का विवादों से नाता

कहते हैं मुसीबत आती है तो बहुत सी परेशानियां अपने साथ लाती है. राज

कुंद्रा के साथ भी ऐसा ही हो रहा है. पोर्नोग्राफी केस में फंसे बिजनेसमैन राज कुंद्रा की मुसीबतें भी दिनबदिन बढ़ती जा रही हैं.

उस की पत्नी और बौलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी पर भी इस की आंच आ रही है. अब शेयर मार्केट रेग्युलेटर सेबी यानि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा पर जुरमाना लगाया है.

मामला है सेबी के इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के उल्लंघन का. बता दें कि जब किसी कंपनी के मैनेजमेंट से जुड़ा कोई आदमी उस की अंदरूनी जानकारी होने के आधार पर उस के शेयर खरीद कर या बेच कर गलत ढंग से मुनाफा कमाता है, तो उसे इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाता है.

निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग पर रोक लगाई हुई है. सेबी ने 28 जुलाई, 2021 को शिल्पा शेट्टी और उन के पति के स्वामित्व वाली कंपनी वियान इंडस्ट्रीज लिमिटेड के खिलाफ इनसाइडर ट्रेडिंग के नियमों का उल्लंघन करने के लिए 3 लाख रुपए का जुरमाना लगाया है.

शिल्पा और राज कुंद्रा वियान इंडस्ट्रीज के प्रमोटर हैं. यह आदेश सितंबर 2013 से दिसंबर 2015 के बीच इनसाइडर ट्रेडिंग निषेध (पीआईटी) नियमों के उल्लंघन की जानकारी मिलने के बाद जारी किया गया है.

अक्तूबर 2015 में वियान इंडस्ट्रीज ने 4 व्यक्तियों को 5 लाख इक्विटी शेयर दिए थे. इस में राज कुंद्रा और शिल्पा को 2.57 करोड़ रुपए की राशि के 1,28,800 लाख शेयर अलगअलग मिले.

नियमों के अनुसार 10 लाख रुपए से अधिक का लेनदेन होने पर दोनों को इस बात का खुलासा उस समय करना था, जो उन्होंने नहीं किया.

वैसे राज कुंद्रा हो या शिल्पा शेट्टी पोर्नोग्राफी रैकेट के अलावा पहले भी दोनों सुखिर्यो में रह चुके हैं.

अक्तूबर 2019 में वे उस समय भी सुर्खियों में आए थे, जब ईडी ने राज कुंद्रा से रंजीत बिंद्रा नाम के व्यक्ति से व्यापारिक संबंधों के चलते पूछताछ की थी. जिसे मुंबई पुलिस ने डौन दाउद इब्राहिम के गुर्गे इकबाल मिर्ची के लिए काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया था.

राज कुंद्रा और शिल्पा शेट्टी की आईपीएल क्रिकेट की एक टीम है, जिस का नाम है राजस्थान रौयल्स. इस टीम के खिलाड़ी एस. श्रीसंत, अजीत चंडीला और अंकित चव्हाण को मैच फिक्स करने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने 2013 में गिरफ्तार किया था.

इस मामले में राज कुंद्रा और आईसीसी चीफ श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन पर भी स्पौट फिक्सिंग और सट्टा लगाने के आरोप लगे थे.

पुलिस पूछताछ में कुंद्रा ने बुकी के द्वारा सट्टा लगाने की बात कुबूली भी थी, जिस के बाद कुंद्रा और मयप्पन को सस्पेंड कर उन की टीम पर बैन लगा दिया गया था. साथ ही उन्हें क्रिकेट से जुडे़ किसी भी इवेंट में शिरकत करने की भी मनाही कर दी गई थी. हालांकि बाद में सबूतों के अभाव में कुंद्रा को क्लीन चिट मिल गई थी.

2018 में हौट मौडल पूनम पांडे ने भी राज पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए बताया था कि उस ने 200 करोड़ का बिटकौइन घोटाला किया है. इस मामले में पुणे पुलिस ने उसे कस्टडी में ले लिया था. मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम के प्रमोशन के दौरान भी इन पर घोटाले का आरोप लगा था, जिस की वजह से कुंद्रा के कारण कई लोगों को काफी नुकसान पहुंचा था.

राज कुंद्रा की इतने बड़े मामले में गिरफ्तारी के बाद अब उस के काले अतीत के यह पन्ने खुल कर सामने आ रहे हैं.

Satyakatha: लॉकडाउन में इश्क का उफान- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

लेखक- शाहनवाज

7 जुलाई, 2021 की रात को दीपक ने पूजा को फोन कर के मिलने की जिद कर डाली. उस का मन प्रेमिका से मिलने के लिए बेचैन हो रहा था.

‘‘पूजा मेरी जान, नींद नहीं आ रही है. बताओ मैं क्या करूं?’’ दीपक ने अपनी बेचैनी का इजहार किया.

‘‘क्या करूं, मैं भी मिलना चाहती हूं, लेकिन ये मोहल्ले वाले हमारी मोहब्बत के दुश्मन बने बैठे हैं.’’ पूजा मायूसी से बोली.

‘‘क्या आज रात को मुलाकात हो सकती है? अभी तो मोहल्ले वाले सो रहे होंगे.’’ दीपक ने कहा.

‘‘कोशिश करती हूं, अभी रात के 10 बजे हैं. ’’ पूजा बोली.

‘‘अभी आ जाऊं?’’ दीपक ने कहा.

‘‘अभी नहीं, डेढ़ बजे आना. तब तक गली में सन्नाटा हो जाता है. पापा भी सोए होंगे.’’ इतना कह कर पूजा ने काल डिस्कनेक्ट कर दी.

यह सुन दीपक खुश हो गया. पूजा द्वारा डेढ़ बजे बुलाने से उस के मन में खुशियों की लहर दौड़ पड़ी. वह तुरंत कमरे से बाहर निकला. सीधा मैडिकल स्टोर गया. कंडोम का पैकेट खरीदा. किराने की दुकान से गली के कुत्तों को चुप कराने के लिए बिसकुट का एक पैकेट भी खरीद लिया.

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फिर कमरे पर वापस आ कर रात के डेढ़ बजने का इंतजार करने लगा. क्योंकि यह रात उस के जीवन की सब से अनोखी रातों में से एक होने वाली थी. जिसे बारबार सोच कर ही वह पागल हुए जा रहा था.

दीपक और पूजा के घर में करीब 5 मिनट के पैदल की दूरी थी. दीपक के मन में वासना की इतनी बेताबी थी कि उसे डेढ़ बजे तक का इंतजार बड़ा लंबा लग रहा था. इसलिए वह रात को एक बजे ही अपने घर से पूजा से मिलने निकल पड़ा.

गली में सन्नाटा था, फिर भी इक्कादुक्का आतेजाते लोगों से नजरें बचाता हुआ पूजा के घर के बाहर जा पहुंचा. आसपास टहलते कुत्तों के सामने साथ लाए बिसकुट फेंक दिए. उस के घर के नीचे बैठ कर डेढ़ बजने का इंतजार करने लगा.

रात के डेढ़ बजते ही पूजा हल्के कदमों से दरवाजे की कुंडी खोल नीचे उतरी. दरवाजा आधा खोल दीपक का कालर पकड़ा और अपने मुंह पर उंगली रख कर उसे शांत रहने का इशारा किया. पूजा के इशारे पर दीपक आहिस्ता से उस के पीछेपीछे हो लिया.

दोनों सीढि़यों से ऊपर चढ गए. सीढि़यां खत्म होते ही सामने बाथरूम था. पूजा ने बिना किसी आवाज के दीपक को अंधेरे में ही बाथरूम में जाने का इशारा किया और वह खुद अपने कमरे के दरवाजे पर लगा परदा हटा कर देखने लगी. जब वह आश्वस्त हो गई कि घर में कोई जागा तो नहीं है, तब वह भी उसी बाथरूम में घुस गई, जहां दीपक पहले से था. दोनों ने बंद दरवाजे के पीछे बिना किसी शोर के अपनी सारी दबी इच्छाएं शांत कीं. इतने महीनों से दोनों के मन में जो हसरतें दबी हुई थीं, चुपचाप वह पूरी कर लीं. पूजा को इस बात का अंदेशा नहीं था कि उस के पिता की नींद टूट चुकी है.

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पिता सत्यवीर ने आधी नींद में ही उठ बाथरूम जाने के लिए कदम बढ़ाए. इस की पूजा को भनक तक नहीं लगी और न ही दीपक को एहसास हुआ.

सत्यवीर ने बाथरूम का दरवाजा बाहर की ओर खोलने की कोशिश की. बंद पा कर कुछ समय रुक कर सोचने लगा कि शायद बाथरूम में पूजा हो. उस ने दरवाजे पर 2 थपकी देते हुए धीमी आवाज में कहा, ‘‘पूजा, जल्दी निकल.’’

यह सुनते ही अर्धनग्नावस्था में पूजा और दीपक सिहर उठे. पूजा डर गई. वह कांपने लगी. हड़बड़ाहट में जैसेतैसे कुछ अपने कपड़े पहने और कुछ हाथों में उठा लिए. उस में कुछ कपड़े दीपक के भी आ गए थे.

उसे कुछ नहीं सूझा और बाथरूम का दरवाजा खोल कर बाहर निकल दौड़ती हुई अपने कमरे की ओर भाग चली. इसी बीच दीपक का बनियान और अंडरवीयर दरवाजे पर गिर गया.

बाथरूम में अब केवल दीपक अकेला रह गया था. सत्यवीर अपनी बेटी को इस तरह से भाग कर कमरे की ओर जाते देख चौंक गया. उस के पैर पर कपड़ा गिरने का एहसास हुआ. उस ने बाथरूम की लाइट जलाई. लाइट जलते ही नीचे गिरा जेंटस का कपड़ा देख कर वह भुनभुनाने लगा.

तभी बाथरूम में दीपक नजर आया. वह नीचे झुक कर कुछ ढूंढ रहा था. केवल शर्ट पहने था. पैंट हाथ में पकड़े हुए था. यह देख सत्यवीर सन्न रह गया. उस की आंखों में बचीकुची नींद पूरी तरह उड़न छू हो गई.

सत्यवीर ने देरी किए बगैर दीपक का हाथ पकड़ कर बाथरूम से बाहर खींचा. उस के कपड़े को दिखाते हुए बोला, ‘‘ यही ढूंढ रहा है, बदतमीज!’’

दीपक को बाहर निकालते ही उस के गालों पर जोरदार 2 थप्पड़ जड़ दिए. थप्पड़ खा कर दीपक तिलमिला गया. स्तब्ध हो जड़वत दीपक पर सत्यवीर ने दनादन 2-4 थप्पड़ और जड़ दिए. दीपक को जरा भी आभास नहीं था कि वह इस बार पकड़ा जाएगा.

दरअसल वह पूजा के इश्क में इस कदर डूबा हुआ था और वासना की आग में जल रहा था कि इस बारे में कोई विचार ही नहीं आया था. जिस का उसे गहरा सदमा लगा था. दीपक की आंखों से आंसू निकल आए.

वह सत्यवीर के पैरों पर गिर कर माफी मांगने लगा, लेकिन तब तक सत्यवीर का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा था.

उस ने दीपक को बगल के खाली कमरे में ले जाकर बंद कर दिया. पूजा का कमरा बाहर से बंद किया और अपने कमरे से बेल्ट ले कर आया. कमरे का दरवाजा बंद कर बेल्ट से दीपक की जम कर पिटाई करनी शुरू कर दी. उसी दौरान उस ने उस के ऊपर कैंची से भी वार किए.

दीपक छोड़ देने की भीख मांगता रहा, लेकिन सत्यवीर रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था. बेल्ट से हमला करने की वजह से दीपक के कई नाजुक हिस्सों पर चोट लगी जिस से वह अधमरा हो गया. सत्यवीर गुस्से में अपना आपा पूरी तरह से खो चुका था. उस ने पहले से जख्मी दीपक के हाथ पैर रस्सी से कस कर बांध दिए.

8 जुलाई, 2021 की सुबह करीब साढ़े 6 बजे उत्तरपूर्वी दिल्ली के करावल नगर क्षेत्र में लोग अधखुली आंखों से बिस्तर छोड़ अपनेअपने काम की तैयारी में जुट गए थे. कई लोग अपनी दुकानें खोलने में लग गए थे, तो कुछ लोग अपने कामधंधे के लिए निकल पड़े थे.

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इसी बीच करावल नगर के भगत विहार में स्थित वर्ल्ड जिम के पास एक लाश पड़ी होने की खबर फैल गई. अधनंगी औंधे मुंह लाश जिम के बाहर पड़ी थी. शरीर पर काफी निशान थे.

पास खड़े लोग निशानों को देख हैरान थे. उन से खून भी रिस रहा था. कहीं खून सूख भी चुका था, लेकिन उस के पहने कपड़े खून से सने हुए और गीले थे.

उस के शरीर को देख कर कोई भी यह अंदाजा लगा सकता था की उस की मौत ज्यादा खून बह जाने की वजह से हुई होगी. निश्चित तौर पर किसी ने पीटपीट कर उस की हत्या की. जरूर वह किसी बदले का शिकार हुआ.

देखते ही देखते जिम के बाहर लाश देखने वालों की भीड़ बढ़ने लगी. लोग आपस में खुसरफुसर करने लगे. इसी बीच किसी ने दिल्ली पुलिस के 100 नंबर पर फोन कर इस की सूचना दे दी.

सूचना पा कर पुलिस कंट्रौल रूम की टीम वहां पहुंच गई. कुछ देर बाद स्थानीय करावल नगर थाने से थानाप्रभारी रामअवतार अपने साथ इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार और एसआई मनदीप पुखाना को साथ ले कर मौके पर पहुंच गए. दोनों अधिकारियों ने सब से पहले लाश की शिनाख्त करने के लिए वहां मौजूद लोगों से उस के बारे में पूछताछ की. कुछ ही देर में डीसीपी भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

लाश 19-20 साल के युवक की लग रही थी. घटनास्थल पर मौजूद भीड़ में से एक व्यक्ति ने बताया कि लाश करावल नगर के दयालपुर स्थित रामा गार्डन में रहने वाले दीपक की है. वह अपने चाचा रमेश के साथ रहता था.

मृतक की जेब से कंडोम का पैकेट भी मिला, उस के चेहरे पर भी काफी जख्म के निशान थे. कंडोम का पैकेट बरामद होने से पुलिस उस की मौत का कारण समझ गई. पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई पूरी करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए पास के शाहदरा में स्थित जगप्रवेश चंद्र अस्पताल भेज दी.

शुरुआती जांच से पुलिस को मृत व्यक्ति की पहचान की तो जानकारी मिल गई कि मृतक का नाम दीपक है. इस हत्या की वजह तलाशनी बाकी थी.

इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने मौके पर मौजूद कुछ और लोगों से बात कर मृतक दीपक के बारे में शुरुआती जानकारी जुटा ली थी. डीसीपी संजय सैन के निर्देश पर राजेंद्र कुमार रमेश के घर पहुंचे तब मालूम हुआ कि रमेश पहले से ही दीपक की तलाश कर रहा है. वह काफी परेशान दिखा. इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार को रमेश ने बताया कि दीपक बीती रात से ही घर से गायब था. पुलिस ने रमेश से उस की किसी के साथ दुश्मनी की बात, किसी से पैसे के लेनदेन या किसी झगड़े में शामिल होने के बारे में पूछा.

इस पर रमेश ने साफ तौर पर मना कर दिया. हालांकि पुलिस ने महसूस किया कि रमेश कुछ बातें छिपा रहा है. जब उस से सख्ती से पूछा, तब रमेश ने कुछ और जानकारी दी.

अगले भाग में पढ़ें- थाने में पूजा ने अपने और दीपक के प्रेम संबंधों को स्वीकार लिया

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