अंधविश्वास: धर्म के डर की देन है नरबलि

आज भी देश में तंत्रमंत्रदकियानूसी मान्यताएं और नासमझी इतनी ज्यादा हावी है कि लोग अपने फायदे के लिए दूसरे का नुकसान करने में जरा भी देर नहीं लगाते हैं. ऐसा ही कुछ हाल ही में हुआजब एक मंदिर की चौखट पर एक सिरफिरे ने किसी नौजवान की कुल्हाड़ी से वार कर के हत्या कर दी.

दरअसलमध्य प्रदेश के रीवां जिले के बैकुंठपुर थाने के बेढ़ौआ गांव में बने एक देवी मंदिर के नजदीक 6 जुलाई2022 को एक नौजवान की लाश बरामद हुई थीजिस की गला काट कर हत्या की गई थी.

पुलिस कार्यवाही में उस नौजवान की पहचान 18 साल के दिव्यांश कोल के रूप में हुईजो क्योंटी इलाके का रहने वाला था. साथ हीयह भी जानकारी मिली कि दिव्यांश कोल को उसी दिन रामलाल प्रजापति के साथ देखा गया थाजो क्योंटी का ही रहने वाला था.

पुलिस ने शक के आधार पर रामलाल प्रजापति को हिरासत में ले कर थाने में पूछताछ कीतो एक ऐसा खौफनाक सच सामने आया कि सुन कर ही रोंगटे खड़े हो जाएं.

रामलाल प्रजापति ने पुलिस को बताया कि उस की 3 बेटियां थीं और उस ने एक बेटे के लिए देवी से मन्नत मांगी थी. बाद में उस की मन्नत पूरी हो गई और उसे एक बेटा हुआ.

अब मन्नत पूरी करने की बारी थीजिस के मुताबिक उसे एक नौजवान की बलि देवी को देनी थीजिस के लिए वह किसी लड़के की तलाश कर रहा था.

वारदात के दिन रामलाल प्रजापति को बकरियां चराता हुआ दिव्यांश कोल मिल गया था. वह उसे अपने साथ बेढ़ौआ गांव में बने देवी मंदिर में ले गयाजो काफी सुनसान जगह पर था. वहां पर उस ने दिव्यांश कोल की कुल्हाड़ी से गला काट कर हत्या कर दी और मौके से फरार हो गया.

बाद में यह भी पता चला कि आरोपी रामलाल प्रजापति तंत्रमंत्र का काम करता था और गांव के लोगों के बीच झाड़फूंक करता था. वह गले तक धार्मिक प्रपंचों में डूबा हुआ था.

32 साल का रामलाल प्रजापति अकेला ऐसा इनसान नहीं हैजिस पर अपने फायदे के लिए नरबलि की सनक सवार हुई हो. उत्तर प्रदेश के सीतापुर में भी एक नौजवान की बलि देने की कोशिश की गई थी.

गांव डिघरा के नंदराम के मुताबिक22 जून2022 को गांव का ही राहुल जरूरी काम बता कर उसे बुला ले गया था और सुबह 10 बजे से देर रात तक उसे घर में बिठाए रखा. 3 लोग घर में गड्ढा खोद रहे थे. राहुल की मां नंदराम पर चावल छिड़कती रही.

नंदराम का आरोप है कि वे लोग गड्ढे में दबा कर उस की बलि देना चाहते थेपर वह किसी तरह बच कर घर आया और आपबीती परिवार वालों को बताई.

नंदराम के भाई अनिल का आरोप है कि राहुल के घर तांत्रिक आए थेजो मंत्रों का उच्चारण करते हुए बलि दिए जाने की बात कह रहे थे. घर के करीब 12 फुट गहरा गड्ढा खोदा गया था.

इसी तरह साल 2015 की बात है. महाराष्ट्र के नासिक जिले में तंत्र साधना के लिए 2 औरतों की बलि देने का मामला सामने आया था. तब घोटी पुलिस ने तांत्रिक औरत वछीबाई खडगे समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया था. वछीबाई ने पुलिस को बताया था कि उस ने अपने गुरु के कहने पर ये बलि दी थीं.

घोटी पुलिस के मुताबिकइगतपुरी के पास एक आदिवासी गांव की औरत वछीबाई खडगे तंत्र साधना करना चाहती थी. उस के गुरु ने उसे बताया था कि

इस के लिए उसे 7 औरतों की बलि

देनी होगी. इस के बाद वछीबाई ने औरतों की तलाश शुरू कर दी थी.

इसी बीच तांत्रिक वछीबाई की एक शिष्या बुगीबाई ने उसे बताया कि उस की सास उसे काफी तंग करती हैजिस पर वछीबाई ने कहा कि उस की सास पर भूत का साया है. इस के बाद झाड़फूंक के नाम पर वछीबाई ने सास की दर्दनाक हत्या कर दी और उस की लाश को दफना दिया.

इस के बाद वछीबाई ने गांव के ही

2 भाइयों गोविंद और काशीनाथ को भी बरगला कर उन की मां को मौत के घाट उतार दिया. इस के बाद उस ने उन की बहन को भी लपेटे में लेने की कोशिश कीलेकिन बहन को इस की भनक लग गई और वह किसी तरह उन के चंगुल से निकल कर पुलिस थाने पहुंच गई.

साल 2016 में मुंबई के मालाड इलाके में एक रात वंजारी पाडा के लोग उस वक्त हैरान हो गएजब उन्हें इलाके के ही एक झोंपड़े के अंदर जमीन में गड्ढा खोदने की भनक लगी.

हैरान पड़ोसी हकीकत जानने के लिए जब उस झोंपड़े में घुसेतो वहां मौजूद 4 में से 3 लोग भाग गएलेकिन एक शख्स पकड़ में आ गया.

पकड़े गए शख्स ने बताया कि वे जमीन में गड़ा सोना पाने के लिए नरबलि देने की तैयारी में थे. पकड़े गए शख्स के बेटे धर्मेंद्र गौड़ ने आरोप लगाया है कि नरबलि दे कर जमीन में गड़ा सोना पाने की साजिश एक मौलाना की थीजो लोगों के घर में घुसते ही बाकी आरोपियों के साथ भाग गया.

भारत में नरबलि एक जघन्य अपराध है और इस पर कानूनी तौर पर पूरी तरह से रोक हैफिर भी लोग अपने फायदे के लिए किसी दूसरे की जान लेने में भी नहीं झिझकते हैं.

इस तरह की नरबलि की जड़ में अंधविश्वास होता हैजिस में तंत्रमंत्र

का तड़का उसे और ज्यादा भयावह बना देता है.

रामलाल प्रजापति की 3 बेटियां थींपर उस पर बेटा पाने की सनक सवार थी और इस के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता थाजो उस ने साबित भी कर दिया. उस ने जरा भी नहीं सोचा कि दिव्यांश कोल किसी के घर का चिराग है और जब बेटा पैदा ही हो चुका हैतो क्यों किसी मासूम की बलि दी जाए.

पर चूंकि रामलाल प्रजापति देवी से वादा कर चुका थातो फिर यह नाफरमानी कैसे कर सकता था. धर्म का डर उस पर इतना ज्यादा हावी हो गया कि उस ने यह कांड कर दिया.   

सत्यकथा: समलैंगिक डॉ राखी का खौफनाक कदम

वाराणसी में कपसेठी थाना क्षेत्र के ग्रामीण इलाके मटुका (तक्खू की बावली) में तन्हा जिंदगी गुजार रही
डा. राखी वर्मा की वह रात भी करवटें बदलती गुजरी. दिमाग में तरहतरह के विचार आ रहे थे. वह अपने करिअर को ले कर चिंतित थी. उस ने होम्योपैथी में डाक्टरी की पढ़ाई पूर कर ली थी, लेकिन डाक्टरी में मन नहीं लग रहा था. वह कोई ऐसा सामाजिक काम करना चाहती थी, जिस से उस का समाज में रुतबा बने और मन को संतुष्टि भी मिले.
लेकिन उस रात बेचैनी किसी और बात को ले कर थी. मन में बारबार खास सहेली कंचन का खयाल आ रहा था. वह समझ नहीं पा रही थी कि जिसे वह दिलोजान से चाहती है, आखिर वह उस की शादी में रोड़ा क्यों अटका रही है?
कंचन पटेल पास में रहने वाली ब्यूटीशियन थी. अपना ब्यूटीपार्लर चलाती थी. उस की अपनी छोटी सी दुनिया थी, जिस में पति के अलावा 2 छोटेछोटे बच्चे थे. उन के अलावा कोई और था तो वह थी सहेली राखी वर्मा.
दरअसल, 30 के करीब हो चुकी डा. राखी वर्मा को अपने मन के लायक एक जीवनसाथी का इंतजार था. ऐसा हमसफर, जो उस के मन को समझे, उसे तहेदिल से प्यार करे. उस की भावनाओं और विचारों का सम्मान करे. उस के हर इशारे को समझते हुए उस की सभी बातों को मानने के लिए तत्पर रहे. इन सब से बड़ी महत्त्वाकांक्षा थी कि उसे ऐसा पति चाहिए था, जो उस की सैक्स की जरूरतों को भी पूरा कर सके.
यही सब सोचसोच कर उस की रातें अकसर करवटें लेते बीतती थीं. देह की आग में वह सुलगती रहती थी. उसे वह अपनी सहेली कंचन से मिल कर शांत करने की कोशिश तो करती थी, लेकिन उस से पुरुष के देह सुख जैसा आनंद नहीं मिल पाता था, बल्कि उस की आग और भड़क जाती थी.
20 अप्रैल, 2022 की रात राखी कुछ ज्यादा ही बेचैन थी. उस के दिमाग में एक साथ कई बातें चल रही थीं. अपनी सहेली कंचन की कुछ बातों को ले कर वह गुस्से में भी थी.

हालांकि कुछ दिन पहले उस की कंचन के साथ जो बहस हुई थी, उस में गलती उसी की ही थी. इस के लिए उस ने माफी भी मांग ली थी. फिर भी राखी को बारबार यह महसूस हो रहा था कि कंचन उस का भविष्य चौपट करना चाहती है.
यही सब सोचतेसोचते उस ने मोबाइल लिया और एक वीडियो देखने लगी. मोबाइल देखते हुए कब उस की आंख लग गई, उसे पता ही नहीं चला.
अगले रोज 21 अप्रैल, 2022 को राखी की नींद काफी देर से खुली थी. घर में अकेली रहती थी. अपनी मरजी की मालकिन थी. उस के 2 भाई सूरत में रह कर प्राइवेट नौकरी करते थे.
‘अरे बाप रे! साढ़े 8 बज गए!! मोबाइल का अलार्म क्यों नहीं बजा.’ भुनभुनाती हुई रेखा अपने कपड़े दुरुस्त करने लगी, ‘अरे, मेरे कपड़े किस ने खोले? ब्रा कहां चली गई? यहां कौन आया था रात को? कोई तो नहीं, दरवाजे की कुंडी तो भीतर से लगी है.’ खुद से बड़बड़ाती हुई बैड के किनारे झांक कर देखा और
नीचे जमीन पर पड़ी ब्रा को उठा कर
पहनने लगी.
उस की नजर सामने के शीशे पर पड़ गई और अपने बदन को देख कर शरमा कर खुद से ही बोली, ‘इतनी सुंदर तो देह है मेरी… कंचन कैसे कहती है कि वह सैक्सी नहीं दिखती है. आज मैं बताती हूं उसे कि सैक्सी क्या होती है?’
इसी के साथ उस ने कंचन को फोन मिला दिया. कई बार घंटी बजने के बाद भी उस ने फोन नहीं उठाया.
‘‘लगता है पति को काम पर भेजने की तैयारी कर रही होगी,’’ बोलती हुई राखी ने फोन काट दिया और उसे चार्ज करने को लगा दिया.
थोड़ी देर में ही नहाधो कर राखी कमरे में आ गई. चार्जिंग में लगे मोबाइल को देखा. कंचन की 3 मिस काल आ चुकी थीं. उस ने तुरंत कंचन को काल कर दिया.
कंचन ने भी काल रिसीव कर लिया, ‘‘हैलो! हां राखी, बोलो. तुम को तो पता ही है सुबहसुबह बहुत काम होता है. सब के लिए नाश्तापानी बनाना होता है. पति को काम पर ले जाने के लिए अलग से कुछ पकाना होता है. खैर, बोलो किसलिए फोन किया है?’’
‘‘अरे, कोई खास बात नहीं, मन नहीं लग रहा था. बड़ी मुश्किल से रात गुजरी है. काम निपटा कर आ जा न, कुछ देर साथ बैठेंगे, गप्पें लड़ाएंगे. तुम्हें एक जरूरी बात भी बतानी है.’’

दिन के साढ़े 10 बजे के करीब कंचन राखी के पास आ गई थी. उस के आते ही राखी उस के गले लग गई. बोलने लगी. ‘‘चलो, मेरे कमरे में. घर में कोई नहीं है. हफ्तों हो गए तुम्हारे साथ एकांत में समय बिताए. तुम से बहुत बातें करनी हैं. कल तुम ने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया था, वह भी तो जानना है कि आखिर तुम चाहती क्या हो?’’
‘‘लगता है, तुम आज भी मुझ से नाराज हो,’’ कंचन को न जाने क्यों
लगा कि राखी ने उसे किसी बहाने से बुलाया है.
‘‘नहीं कंचन, तुम्हारी जैसी मेरी कोई सहेली न पहले थी और न हो पाएगी. मैं भला तुम से क्यों नाराज रहने लगी. बस, एक ही बात मन में खटकती रहती है…’’
राखी की बात पूरी करने से पहले ही कंचन बोल पड़ी, ‘‘कौन सी बात?’’
‘‘वही जो तुम ने मेरे होने वाले ससुराल वालों से कही है,’’ राखी शिकायती लहजे में बोली.
‘‘तुम ने मेरी बात का गलत मतलब लगा लिया है. मैं ने तो उन्हें सिर्फ इतना कहा कि मेरी सहेली की नाक पर गुस्सा बैठा रहता है, लेकिन तुरंत वह कहां गायब हो जाता है उसे भी नहीं मालूम पड़ता. वह बहुत ही अच्छे दिल की लड़की है,’’ कंचन ने सफाई दी.
‘‘तुम्हारी इसी बात के कारण ही अब वे हम से रिश्ता नहीं करना चाहते,’’ राखी बोली.
‘‘अब देखो राखी, इस में मेरा क्या कसूर है, जो उन्होंने मेरी बात का गलत मतलब निकाल लिया. चलो, आज ही उस लड़के से मिल कर बात करती हूं. तुम भी साथ रहना.’’
‘‘और तुम ने लड़के को जो वीडियो दिखाया था, उस का क्या?’’
‘‘वीडियो? कैसा वीडियो?’’ कंचन चौंकती हुई बोली.
‘‘आयहाय! इतनी भोली मत बनो,’’ राखी बोली.
‘‘देखो, तुम मुझे गलत समझ रही हो. मैं किसी वीडियो के बारे में नहीं जानती,’’ कंचन बोली.
‘‘यह देखो, वह वीडियो तुम ने जिसे भेजा, उसी ने मुझे भेज कर शादी भी तोड़ दी,’’ राखी बोली और अपने मोबाइल में एक वीडियो प्ले कर कंचन की आंखों के सामने कर दिया.

वह वीडियो राखी और कंचन का था. वीडियो में दोनों हमबिस्तर थे. उत्तेजक सीन में उन के समलैंगिक होने के प्रमाण थे. एकदूसरे को चूमने और यौनाचार के सीन वाले करीब 5 मिनट के वीडियो में राखी की भावभंगिमा काफी आक्रामक और कामुकता वाली थी. उसे देख कर कंचन चौंकती हुई बोली, ‘‘यह वीडियो किस ने बनाया?’’
‘‘जिस ने भी बनाया गलत किया. खैर, अब छोड़. जो होना था हो गया, उसे तू ही सुधार सकती है. चल आज ही लड़के से मिल कर सब कुछ बता देते हैं,’’ राखी ने गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए कंचन को बैड पर गिरा दिया. खुद उस पर लेट गई और बेतहाशा चूमने लगी. उस के साथ छेड़छाड़ करने लगी.
‘‘अरे… अरेअरे… क्या करती हो? दिन का समय है. कोई आ जाएगा,’’ बोलती हुई कंचन राखी की पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगी.
‘‘कुछ नहीं, बस थोड़ी देर. वीडियो देखने के बाद मन नहीं मान रहा. मत रोक मुझे,’’ बेचैन हो चुकी राखी ने कंचन के कपड़े खोलने शुरू कर दिए थे.
इसी सिलसिले में उस ने कंचन के दुपट्टे को उस की आंखों पर पट्टी की तरह लपेट दिया था. तब तक कामुकता की चिंगारी कंचन की देह में भी सुलग चुकी थी. उस का प्रतिरोध ढीला पड़ गया था. उसे भी काफी दिनों बाद समलैंगिक सहेली का सैक्सी स्पर्श मिला था. यानी वह राखी के लिए समर्पण के मूड में आ चुकी थी.
अगले पल उस पर लेटी राखी उठ कर जैसे ही कंचन से अलग होने लगी, उस ने टोका, ‘‘अब आग जला कर कहां जा रही हो?’’
‘‘बस अभी आई, तुम आंखें बंद किए रहना,’’ इसी के साथ राखी कमरे से बाहर चली गई.
2 मिनट में ही पीछे हाथ किए हुए वह वापस लौट आई. आंखें मूंदे कंचन बोली, ‘‘आ गई?’’
‘‘हां, मेरी जान. और यह लो तुम्हारे लिए कुछ ले कर आई हूं.’’

उत्तर प्रदेश में वाराणसी जिले के मटुका तक्खू की बावली गांव निवासी संजय पटेल कंचन के पति हैं. वह मिर्जापुर
में भूमि परीक्षण अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं.
उस रोज 21 अप्रैल, 2022 को उन्हें औफिस जाने में देर हो चुकी थी. वह स्कूटर से अभी रास्ते में ही थे कि उन के मोबाइल की घंटी बजने लगी. उन्होंने तुरंत स्कूटर रोक कर मोबाइल देखा.
कंचन की काल थी. उन्होंने तुरंत काल रिसीव की.
‘‘हैलो भैया, मैं राखी बोल रही हूं. आप जल्दी से मेरे घर आ जाइए. कंचन भाभी की तबीयत अचानक बिगड़ गई
है. वैसे मैं ने उसे दवा दे दी है, लेकिन इमरजेंसी है.’’
कंचन के फोन से राखी का काल आने पर संजय को कोई आश्चर्य नहीं हुआ. क्योंकि वही कंचन को औफिस के लिए निकलते समय स्कूटर से राखी के घर तक छोड़ गए थे. आश्चर्य तो उन्हें इस बात का था कि भलीचंगी कंचन को अचानक क्या हो गया.

इस पर ज्यादा दिमाग लगाने के बजाय वह 20 मिनट के भीतर ही राखी के घर जा पहुंचे. बाहर का दरवाजा आम दिनों की तरह भिड़ा हुआ था. कंचन के पति संजय दनदनाते हुए राखी और कंचन को आवाज लगाते हुए घर में चले गए.
कमरे में दाखिल होते ही वहां का दृश्य देख कर वह सन्न रह गए. उन्हें ऐसा लगा मानो पैरों के तले की जमीन खिसक गई हो. वह गिरतेगिरते बचे.
कमरे में डा. राखी बैड पर एक किनारे बैठी अपना खून सना हाथ साफ कर रही थी, जबकि बैड पर कंचन खून से लथपथ पड़ी हुई थी. राखी के पैर के पास ही एक फावड़ा पड़ा था, जिस पर खून लगा था. काफी खून जमीन पर भी गिरा हुआ था.
‘‘राखी, क्या हुआ कंचन को? ये खून कैसा है? किस ने किया ये सब? किस ने मारा कंचन को?’’ संजय चीखे.
‘‘मैं ने मारा,’’ धीमी आवाज में राखी बोली.
‘‘क्यों मारा इसे? इस ने क्या बिगाड़ा था तुम्हारा?’’ संजय गुस्से में बोले.
‘‘मेरी शादी रुकवा दी थी, इसीलिए मैं ने इसे फावड़े से काट डाला.’’
अब तक बैड पर पैर लटकाए बैठी राखी भी तेवर में आ चुकी थी.
‘‘ऐंऽऽ फावड़े से काट दिया? तुम्हारी इतनी हिम्मत, लड़की हो या कसाई?’’
यह कहते हुए संजय ने कंचन की नाक के सामने अपना हाथ ले जा कर देखा. उस की सांसें बंद थीं. तभी संजय ने जेब से मोबाइल निकाला और तुरंत पुलिस को फोन मिलाया. काल रिसीव होते ही संजय ने कहा, ‘‘हैलो पुलिस कंट्रोल रूम! जल्दी यहां आ जाइए, यहां तक्खू की बावली में एक औरत का खून हो गया है. खून करने वाली भी औरत है. वह भी यहीं है.’’ इतना कह कर उस ने काल डिसकनेक्ट कर दी.
इस के थोड़ी देर बाद ही कपसेठी थाने की पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई. कई पुलिस वालों को अचानक गांव में आया देख लोग भी चौंक गए. मौके पर पहुंची पुलिस ने सब से पहले हत्यारोपी सहेली डा. राखी वर्मा को हिरासत में ले लिया.
हत्या में प्रयुक्त फावड़ा पास ही पड़ा था. मृतका कंचन का शव बैड पर खून से सने अस्तव्यस्त कपड़ों में था. उस की आंखों पर दुपट्टे से पट्टी बंधी थी.

थानाप्रभारी ने इस की सूचना एडिशनल एसपी (ग्रामीण) नीरज पांडे, सीओ (बड़ागांव) जगदीश कालीरमन को भी दे दी. थोड़ी देर में वे भी मौके पर पहुंचे गए और घटना के संबंध में जानकारी ली. फोरैंसिक टीम ने सबूत जुटाने शुरू किए. प्रारंभिक काररवाई करने के बाद कंचन की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया.
दिल दहला देने वाली इस घटना को अंजाम देने वाली राखी वर्मा बगैर किसी विरोध के चुपचाप पुलिस के साथ थाने चली गई. वहीं उस से पूछताछ हुई और उस के बयान नोट किए गए. राखी ने बताया कि मरने वाली कंचन पटेल (30) उस की सहेली थी.
कंचन ने अपने मकान के ही एक कमरे में ब्यूटीपार्लर खोल रखा था. उस का घर कुछ दूरी पर ही था. कंचन से उस की जानपहचान पिछले पंचायत चुनाव के दौरान तब हुई थी, जब वह ग्रामप्रधान का चुनाव लड़ी थी.
अपने बारे में राखी ने बताया कि उस के पिता बजरंगी वर्मा हैं. उस ने इलाहाबाद से बीएचएमएस की पढ़ाई की है. वह डा. राखी वर्मा है, लेकिन लोग उसे नेता के रूप में ही जानते हैं.
हालांकि प्रधान का चुनाव वह हार गई थी. चुनाव के दौरान ही कंचन और राखी के बीच नजदीकियां काफी बढ़ गई थीं. उन के बीच दोस्ती इस तरह की
बनी कि दोनों एक साथ काफी समय बिताने लगीं.
कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता था, जब वे न मिलती थीं. राखी के कंचन के परिवार से पारिवारिक संबंध बन गए थे. वह कंचन के पति को भैया कहती थी. इस तरह राखी कंचन की मुंहबोली ननद बन गई थी.
कंचन के देवर राजीव कुमार की तहरीर पर पुलिस ने राखी की मां सीमा देवी, पिता बजरंगी वर्मा, सावित्री, अमित समेत 5 जनों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया था.
राखी के परिजनों से हत्या का कारण पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि उस की कहीं शादी तय हो गई थी, लेकिन कंचन ने उस के ससुराल वालों से यह कह दिया था कि राखी की मानसिक स्थिति अच्छी नहीं है. उस से शादी न करें.
इस की जानकारी राखी को भी हो गई थी, जिस से वह नाराज हो गई थी और घटना को अंजाम दे दिया. इस के साथ ही कुछ लोगों ने दबी जुबान में बताया कि कंचन और राखी के बीच अंतरंग संबंध थे. यानी वे लेस्बियन थीं.

कंचन के परिवार वाले उस पर दबाव डाल रहे थे कि वह राखी से दूरी बना ले, जिस कारण से कंचन ने राखी से दूरी बनानी शुरू कर दी थी. राखी एक विक्षिप्त मानसिकता की लड़की थी. वह हर बात को नकारात्मक तरीके से सोचती थी और बातबात पर उग्र हो जाती थी.
कई बार उस के स्वभाव को ले कर कंचन राखी को डांट भी लगा चुकी थी. पुलिस ने कंचन और राखी के बीच समलैंगिक संबंध के बारे में संजय पटेल से पूछा तो उन्होंने भी इसे दबी जुबान से स्वीकार कर लिया.
इसी के साथ उस ने यह भी बताया कि उस की पत्नी को समलैंगिक बनाने में राखी का ही हाथ है. वह पहले ऐसी नहीं थी. उस की वजह से कंचन से उस के अंतरंग संबंधों पर भी फर्क पड़ गया था.
उस से छुटकारा दिलाने के लिए उस ने दोनों के अंतरंग सीन का चोरीछिपे वीडियो बनाया था और वह वीडियो राखी को भेज कर चेतावनी दी थी कि वह कंचन के साथ संबंध खत्म कर ले वरना उस के होने वाले ससुराल वालों को इस बारे में बता देगा.
हालांकि इस के पीछे उस की मंशा बुरी नहीं थी. वह चाहता था कि राखी सामान्य जीवन गुजारे और नए बनने वाले वैवाहिक जीवन को अच्छी तरह से गुजारे.
लेकिन राखी ने इस का गलत अर्थ लगा लिया. उस ने सोचा कि कंचन ने उस की शादी बिगाड़ने का प्रयास किया. इसी बात से नाराज हो कर उस ने कंचन को मौत के घाट उतार दिया था. हत्या करने के तरीके के बारे में राखी ने पुलिस को जो बताया, वह भी कुछ कम हैरान करने वाला नहीं है.

पुलिस के सामने अपना जुर्म कुबूल करते हुए उस ने बताया कि इस की योजना वह महीने भर से बना रही थी. इस का खुलासा क्राइम ब्रांच की टीम द्वारा राखी के मोबाइल की जांच करने पर हुआ.
मोबाइल खंगालने पर पुलिस ने पाया गया कि एक माह से राखी यूट्यूब पर फावड़े से हत्या करने का वीडियो खोज रही थी. तफ्तीश में यह बात सामने आई कि घटना के दिन कंचन जब उस के घर पहुंची तो उस ने वीडियो से सीखे तरीके का इस्तेमाल बड़ी सफाई से कर लिया.
बैड पर लेटी कंचन की आंखों पर पट्टी बंधी थी. उसे इस का जरा भी अहसास नहीं था कि राखी उस के साथ क्या विश्वासघात करने वाली है. राखी ने फावड़े से कंचन का गला काट डाला था.
उस ने यह भी स्वीकार कर लिया कि कंचन और उस के बीच समलैंगिक संबंध थे और उसी दौरान एक आपत्तिजनक वीडियो कंचन के घर वालों के हाथ लग गया. वीडियो के आधार पर कंचन के परिजन उसे ब्लैकमेल कर रहे थे.
उसी वीडियो के चलते उस की शादी भी टूट गई थी. वह मानसिक तौर पर प्रताडि़त हो रही थी. इसी वजह से उस ने एक महीने पहले ही कंचन की हत्या की योजना बना ली थी.
डा. राखी वर्मा से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. पुलिस को प्रारंभिक जांच में इस हत्याकांड में अन्य नामजद लोगों की संलिप्तता नहीं दिखी.
आगे की तफ्तीश में नामजद लोगों के खिलाफ सबूत मिलने पर पुलिस उन के खिलाफ भी कानूनी काररवाई अमल में लाएगी.

सत्यकथा: जुर्म बन गया नादान प्यार

नाबालिग कविता पर इश्क का जुनून सवार था. परिवार से दूर, मजे की जिंदगी और सैक्सी दिखने की चाहत उसे ले डूबी. किशोरावस्था में ही वह 2 प्रेमियों के बीच में फंस गई थी. उस की नादानी का प्यार ऐसा जुर्म बना कि…कविता 3 बहनों में सब से छोटी मात्र 16 साल की थी. स्वभाव से चंचल और अपनी मनमरजी वाली बातूनी लड़की. चेहरे पर मासूमियत और तीखे नयननक्श उस की सुंदरता को दर्शाते थे. जबकि अच्छा कद और उन्नत उभारों के साथ भरीपूरी देह के कारण वह 19-20 की दिखती थी.

2 बड़ी बहनों में वह सब से बड़ी बहन सरिता के साथ देहरादून में ही रहती, जबकि मंझली बहन कुसुम पौड़ी में रह कर प्राइवेट नौकरी कर रही थी. कविता दोनों बहनों की लाडली थी. उसे सरिता ने अपने पास 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के लिए रखा हुआ था. वह चाहती थी कि उस का एडमिशन देहरादून के मैडिकल कालेज में हो जाए. वह मंसूरी में जौब करती थी और देहरादून से रोज आनाजाना करती थी.
कविता फोन के जरिए दोनों बहनों के संपर्क में रहती थी. तीनों बहनों की रोज एक बार फोन से बात हो जाती थी. उन के मांबाप और परिवार के दूसरे सदस्य पौड़ी में ही रहते थे.

भोलीभाली मासूम दिखने वाली कविता ने ऐसा कारनामा कर दिया था, जिस के चलते वह 27 मार्च को देहरादून के रायपुर थाने में लाई गई थी. उसे एसपी (सिटी) सरिता डोवाल के निर्देश पर थानाप्रभारी आशीष रावत और महिला इंसपेक्टर भावना कर्णवाल ने हिरासत में लिया था.

कविता और उस के दोस्त आकाश पर हत्या जैसे संगीन आरोप लगे हुए थे, जबकि बहनों पर सच्चाई छिपाने की शिकायत थी. पुलिस में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार वह पिछले 10 दिनों से लापता थी और अपनी बहन कुसुम के साथ मिल कर पुलिस की आंखों में धूल झोंक रही थी.मुखबिर की सूचना के आधार पर वह राजपुर क्षेत्र में अपनी बहन के घर में छिपी हुई थी. वहीं उस का दोस्त आकाश भी था. कविता के अलावा दोनों बहनों और आकाश को थाने लाया गया था.

डोवाल ने एसएसआई आशीष रावत को उन से पूछताछ करने के निर्देश दिए थे. पूछताछ की शुरुआत कविता से हुई थी.अपनी बात पर अड़ी कविता पुलिस को इधरउधर की बातों में उलझाने की कोशिश कर रही थी. पुलिस को पूछताछ में मदद नहीं करने पर लेडी इंसपेक्टर भावना कर्णवाल ने एक तमाचा जड़ते हुए पूछा, ‘‘तुम ने अपने प्रेमी को क्यों मारा?’’‘‘मैं ने नहीं मारा उसे…’’ कविता तपाक से बोल पड़ी.
‘‘मैं पूछ रही हूं क्यों मारा? …और तुम आधे घंटे से एक ही रट लगाए हुए हो, मैं ने नहीं मारा… मैं ने नहीं मारा…’’ भावना कर्णवाल तेज आवाज में बोलीं.कविता बुत बनी रही. उस के कुछ नहीं बोलने पर थानाप्रभारी आशीष रावत बोलने लगे, ‘‘लगता है फिर झापड़ खाने का इरादा है. इस बार डंडे भी लगेंगे. देखो मैडम, तुम्हारे लिए ही खास डंडा ले कर आई है. रबड़ की है टूटेगी नहीं. जोरदार चोट लगेगी.’’

रबड़ का डंडा सुनते ही कविता बोल पड़ी, ‘‘बताती हूं…बताती हूं…लेकिन पहले इस से भी तो पूछो…’’ यह कहती हुई कविता ने एक कोने में जमीन पर बैठे आकाश की ओर हाथ उठा कर इशारा किया.‘‘उस से भी पूछताछ होगी, लेकिन तुम्हारे सामने नहीं,’’ रावत ने कहा.‘‘तो मुझ से सब के सामने क्यों पूछताछ हो रही है?’’ कविता ने तर्क दिया.‘‘अच्छा तो यह बात है. चलो जाओ, उस चैंबर में वहां कोई नहीं है. तुम से वही झापड़ लगाने वाली पुलिस अधिकारी तुम्हारे मुंह से सब कुछ उगलवाएंगी. सचसच बताना. तुम्हारा यही बयान नोट कर मजिस्ट्रैट को सौंपा जाएगा.’’ रावत ने यह कहते हुए कविता को भावना कर्णवाल के हवाले कर दिया और आकाश को पूछताछ के लिए अपने सामने बैठा लिया, ‘‘चल तू बता, कविता का पहला प्रेमी तू है या वह, जो मारा गया?’’

‘‘जी, वही था,’’ आकाश बोला.रावत आकाश से पूछताछ करने लगे और दूसरी तरफ उसी वक्त कविता अपने अपराध की दास्तान सुनाने लगी. उस के एकएक शब्द को इंसपेक्टर ने रिकौर्ड करने के लिए मोबाइल औन कर दिया था. साथ ही डायरी में भी लिखती जा रही थीं. उस के अनुसार कविता, आकाश और लापता युवक की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

देहरादून में कविता कहने को तो 12वीं की पढ़ाई करने और मैडिकल की तैयारी के लिए आई थी, लेकिन वह प्रेम का पाठ पढ़ने लगी थी. उसे परिवार और मांबाप से अलग खुला आसमान मिल गया था. खानेपहनने से ले कर घूमनेफिरने की भी वह शौकीन थी. जहां जी में आता था, घूमने निकल जाती थी.
मौल, बाजार, पार्क, फूड कार्नर से ले कर सिनेमा घर तक हो आती थी. इसी दरम्यान उस की मुलाकात एक रोज हमउम्र नरेंद्र उर्फ बंटी से हो गई थी.

नरेंद्र की मिठाई और चाट गोलगप्पे की दुकान थी. उस की दुकान पर चाट खाने के लिए छात्रछात्राओं की भीड़ लगी रहती थी. उस में लड़कियां ही अधिक होती थीं.नरेंद्र वैसे तो मिठाई के काउंटर पर ही बैठता था, लेकिन शाम के वक्त गोलगप्पे के काउंटर पर खुद आ जाता था. लड़कियां उस के गोलगप्पे खिलाने के तरीके और बीचबीच में कमेंट करने के काफी मजे लेती थीं.वह बड़े प्यार से गोलगप्पे का नाम सिनेमा के हीरो और हीरोइनों के नाम पर ग्राहकों के दोने में डालते हुए जब कभी कहता, ‘यह आ गया पुष्पा गोलगप्पा… न फूटेगा, न टूटेगा और न झुकेगा. फायर है फायर, फ्लावर मत समझना.’
संयोग से जब कभी वही गोलगप्पा फूट जाता था, तब सभी ग्राहक लड़कियां खिलखिला कर हंस पड़ती थीं. कविता भी अकसर वहां आती थी.

किसी का गोलगप्पा फूट जाने पर नरेंद्र उस के बदले मुफ्त में दूसरा गोलगप्पा दे देता था. उस की दुकान पर भीड़ जुटने का एक कारण यह भी था. कविता उस की इसी आदत की कायल हो गई थी.
अधिक गोलगप्पे खाने के लिए जानबूझ कर नाखून से फोड़ देती थी और मुफ्त का गोलगप्पा मांगने लगती थी. कई बार इसे ले कर उस की नरेंद्र से बहस भी हो जाती थी.एक दिन तो कविता ने हद ही कर दी. उस ने 3-3 गोलगप्पे फोड़ डाले. इस पर नरेंद्र भड़क उठा. गुस्से में बोला, ‘‘एक टोकन पर सिर्फ एक के फूटने पर ही एक्स्ट्रा मिलेगा…’’

उस दिन बात बहुत बढ़ गई थी और उन के बीच तूतूमैंमैं होने लगी. उसे एक बुजुर्ग महिला ग्राहक ने संभाला. कविता को समझाया, ‘‘बेटा उस का बिजनैस है. हमेशा मुफ्त ही देगा, तब उस का तो धंधा ही चौपट हो जाएगा. तुम भी संभल कर खाया करो न.’’कविता ने भुनभुनाते हुए एक्सट्रा गोलगप्पे के पैसे दिए और पैर पटकती जातेजाते बोल गई, ‘‘तुम्हारी दुकान पर अब नहीं आऊंगी कभी.’’
नरेंद्र उसे मटकती हुई जाते देखता रहा. उस रोज बात आईगई हो गई. एक ग्राहक के मना करने से नरेंद्र के बिजनैस पर कोई असर नहीं पड़ा. दरअसल गलती कविता की थी.

3 दिन बाद शाम को कविता दुकान पर 3-4 लड़कियों के पीछे अपनी बारी के इंतजार में खड़ी थी. हाथ में 30 रुपए का टोकन था. अचानक उस पर नरेंद्र की नजर पड़ी. संयोग से उस ने भी उसी वक्त नरेंद्र को देखा. दोनों की नजरें टकरा गईं.नरेंद्र ग्राहकों को गोलगप्पे देने में व्यस्त हो गया, जबकि कविता झेंप गई. जबकि पहले तो ‘पहले मुझे… पहले मुझे…’ का शोर मचाती रहती थी.
खैर, जल्द ही उस की बारी भी आ गई. उस ने चुपचाप अपना टोकन आगे बढा दिया. टोकन देख कर नरेंद्र ने मजाकिया लहजे में कहा, ‘‘क्या बात है, 30 रुपए का टोकन. लगता है आज 3 दिनों की कसर एक बार में निकाल लोगी.’’

‘‘मुझे गोलगप्पे नहीं खाने हैं. पापड़ी चाट बना दो, दही पूरा डालना.’’ कविता धीमे से बोली.
‘‘कोई बात नहीं आज भी गुस्से में हो, उस दिन का गुस्सा गोलगप्पे पर क्यों उतार रही हो. बेचारा तो ऐसे ही फूटताटूटता रहता है. आज आलिया भट्ट गंगूबाई गोलगप्पा खिलाऊंगा. चाट के साथ 3 फ्री में.’’ नरेंद्र ने एक और चुटकी ली. इस पर कविता की हंसी फूट पड़ी.‘‘हंसी तो… आगे नहीं बोलूंगा, फिर नाराज हो जाओगी. यह लो पहले चाट खाओ, मिर्च कितनी डालूं. तीखी बनाऊं या नारमल…’’ नरेंद्र बोला.
‘‘भैया, तुम ने तो मुझे गंगूबाई गोलगप्पा नहीं खिलाया?’’ एक ग्राहक बोल पड़ी.

‘‘आप ने पापड़ी चाट भी तो नहीं लिया, आलिया पापड़ी जैसी चिपटी है न, इसलिए उस के साथ फ्री है,’’ यह सुन कर दूसरे ग्राहक हंस पड़े. कविता भी खिलखिला कर हंस दी.
उस रोज नरेंद्र ने न केवल बड़े प्यार से कविता को चाट खिलाई, बल्कि वादे के मुताबिक फ्री में 3 गोलगप्पे भी खिला दिए.उस के जाने से पहले कान के पास मुंह ले जा कर धीमी आवाज में बोला, ‘‘मैं दिल का बुरा नहीं हूं, दुकान पर आती रहा करो. तुम बहुत अच्छी लड़की हो.’’कविता पूरे रास्ते नरेंद्र की बातों का मतलब निकालती घर आ गई. रसोई में खाना पकाते समय भी उस की वही बातें दिमाग में चलती रहीं. यहां तक कि उस रोज पढ़ाई में भी मन नहीं लग रहा था. वह सोच में पड़ गई कि नरेंद्र ने क्यों कहा कि दिल का बुरा नहीं हूं. दुकान पर आती रहना. तुम अच्छी लड़की हो.

दरअसल, कविता के दिल को नरेंद्र की बातें छू गई थीं. रात बेचैनी में कटी. अगले रोज दोपहर ढलने के बाद ही नरेंद्र की दुकान पर जा पहुंची. नरेंद्र उस समय चाट और गोलगप्पे की दुकान लगाने की तैयारी में लगा हुआ था. दुकान पर इक्कादुक्का ग्राहक ही थे. वे मिठाई खरीद रहे थे. नरेंद्र की नजर कविता पर पड़ी, चौंकते हुए उस ने पूछा, ‘‘इतना पहले! अभी तो दुकान लगने में समय है. मसाला पानी तैयार किया जा रहा है.’’‘‘कुछ नहीं इधर से गुजर रही थी, सोचा तुम से मिलती जाऊं,’’ कविता बोली.
‘‘मुझ से मिलती जाऊं? मुझ से?’’ नरेंद्र आश्चर्य से बोला.

‘‘हां, क्यों नहीं! और शाम को तो बहुत बिजी रहते हो. दरअसल, मैं कई दिनों से तुम्हारे गोलगप्पे के पानी के मसाले के बारे में पूछना चाह रही थी. और….’’ कविता के बात पूरी करने से पहले ही नरेंद्र चुटकी लेता हुआ बोल पड़ा, ‘‘… और क्या? मेरी दुकान के बगल में दुकान खोलने का इरादा तो नहीं है?’’
यह सुन कर कविता हंस पड़ी.‘‘तुम्हारी यही हंसी तो मुझे अच्छी लगती है. उस रोज न जाने मुझे क्या हो गया था, जो तुम्हें काफी भलाबुरा कह दिया था,’’ नरेंद्र बोला.
‘‘उस रोज गलती मेरी ही थी, मैं उस के लिए भी सौरी बोलती हूं.’’

दुकान के भीतर से ‘बंटी…बंटी…’’ की आवाज आते ही नरेंद्र बोल पड़ा, ‘‘हांजी, अभी आया…’’
‘‘अच्छा तो तुम्हारा नाम बंटी है? तुम्हें कौन पुकार रही है?’’ कविता आश्चर्य से बोली.
‘‘मेरी मम्मी है. भीतर किचन में गोलगप्पे तल रही हैं. मैं और मम्मी ही दुकान चलाते हैं.’’
‘‘और पिताजी?’’ कविता पूछी.‘‘वहां हैं दीवार पर फोटो में माला से आधे ढंक गए हैं.’’ मिठाई के काउंटर के पीछे दीवार पर लगी तसवीर की ओर इशारा कर बोला.नरेंद्र उर्फ बंटी के पिता का नाम अमर सिंह था. उन का कुछ साल पहले बीमारी से निधन हो गया था. वह नालापानी रोड थाना डालनवाला के निवासी थे.

उस के बाद नरेंद्र और कविता ने कब एकदूसरे के दिल में जगह बना ली, उन्हें पता ही नहीं चल पाया. वे समय निकाल कर डेटिंग पर भी जाने लगे. वैसे कविता नियमित उस की दुकान पर आने लगी.
यहां तक कि उस के कामकाज में भी हाथ बंटाने लगी. दोनों के दिल में प्यार फूलनेफलने लगा. वे एक रोज भी मिले बगैर नहीं रह पाते थे.

नरेंद्र कविता के शौक पूरे करने पर भी विशेष ध्यान देने लगा. दोनों साथसाथ घूमने जाने लगे. नरेंद्र उसे गिफ्ट भी देने लगा, उस का गिफ्ट पा कर कविता निढाल हो जाती थी, लेकिन महत्त्वाकांक्षी कविता की नरेंद्र से उम्मीदें बढ़ने लगी थीं.दूसरी तरफ नरेंद्र उस के यौनाकर्षण में बंध गया था. उस के पहनावे की तारीफ करता रहता था. मौका पा कर शरीर को छू लेता था. गाल, गरदन और पीठ सहला लेता था.
जब कभी पीठ सहलाते हुए नरेंद्र के हाथ कमर के नीचे तक चले जाते थे, तब कविता प्यार से उस का हाथ हटा देती थी. यहां तक कि नरेंद्र उसे अकेला पा कर चूमने की भी कोशिश कर चुका था.

इसी साल वैलेंटाइन डे के मौके पर नरेंद्र ने टहनी समेत गुलाब हाथ में देने के बजाय सीधा उस के स्तनों के बीच डाल दिया था और किस करने के लिए उस के चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ लिया. इस तरह की अचानक घटना के लिए कविता जरा भी तैयार नहीं थी. वह नाराज हो गई, ‘‘ये क्या बदतमीजी है?’’
‘‘अरे आज वैलेंटाइन डे है, प्रेमियों का दिन.’’ नरेंद्र बोला.

‘‘वैलेंटाइन का मतलब तुम कुछ भी करोगे? मुझे यह सब हरकत पसंद नहीं. मैं देख रही हूं कि पिछले कई दिनों से तुम्हारी नजर बदल गई है.’’ कविता नाराजगी दिखाते हुई बोली.
‘‘अरे, मैं तुम्हें दिल से प्यार करता हूं, तुम्हें चाहता हूं, तुम आज बहुत सैक्सी दिख रही थी, मन मचल गया तो मैं क्या करूं?’’ नरेंद्र बोला.‘‘तो… जो तुम्हारे जी में आएगा, वह करोगे? मुझे बुरी नजरों से घूरोगे, मेरे कपड़े के भीतर हाथ डालोगे, कमर पकड़ोगे? कल को तो तुम मेरे जींस में भी हाथ डाल दोगे और मैं बरदाश्त कर लूंगी, इस गलतफहमी में मत रहना…’’ कविता बोलती चली जा रही थी, ‘‘माना कि मुझे सैक्सी दिखने का शौक है, लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि तुम मेरे शरीर को छेड़ो, रेप करने की कोशिश करो…’’

‘‘तुम तो बात का बतंगड़ बना रही हो, रेप तक की बात कहां से आ गई. किस करना रेप है क्या?’’ नरेंद्र सहमता हुआ बोला.‘‘और नहीं तो क्या है? हम अभी प्रेमी हैं और कुछ नहीं. समझे मिस्टर नरेंद्र,’’ कविता डपटते हुए बोली.‘‘कल को पतिपत्नी बन जाएंगे,’’ नरेंद्र बोला.‘‘कल किस ने देखा है. मेरी इज्जत तो आज चली जाएगी,’’ कविता की आवाज और तेज हो गई थी.उस ने वहीं गुलाब के फूल को पैरों तले कुचल डाला. उस के गिफ्ट का पैकेट फेंक दिया और तेजी से सड़क पार कर गई. घर आ कर ही उस ने सांस ली.एक गिलास पानी पी कर मोबाइल फोन पर फेसबुक स्क्राल करने लगी. अपना अकाउंट खोल कर लिखने लगी, ‘‘आज मूड औफ हो गया, कोई बताएगा क्या करूं?’’

इस पोस्ट के आधे घंटे के भीतर कविता के फोन पर काल आया. फोन करने वाले का नाम आकाश था. कविता ने तुरंत काल रिसीव करते हुए कहा, ‘‘हां आकाश, तुम कहां हो, तुम से अभी मिलना चाहती हूं.’’
‘‘क्यों, क्या हुआ? तुम बहुत परेशान दिख रही हो. तुम ने फेसबुक पर निराशा वाला पोस्ट क्यों डाला है, वह भी आज वैलेंटाइन डे के दिन. सब कुछ ठीक तो है न?’’ आकाश चिंता जताते हुए बोला.
‘‘मिलोगे तब बताऊंगी,’’ कविता उदासी से बोली.

आकाश ने ही मिलने की जगह बताई. शाम के समय पहले दोनों एक फूड कौर्नर पर मिले. उस के बाद बसस्टैंड के कोने में चले गए. वे जानते थे कि पार्क में प्रेमी युगलों की भीड़ होगी. बैठने की जगह नहीं मिलेगी.कविता ने आकाश को नरेंद्र के बारे में पूरी बात विस्तार से बताई. उस की हरकतों से अपनी परेशानी बताई. साथ ही उस ने बताया कि उस से पीछा छुड़ाना चाहती है, कोई उपाय बताए.
आकाश चुपचाप उस की बात सुनता रहा. उस समय तो उस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन कविता को भरोसा दिया कि वह उस की भलाई के लिए कोई न कोई रास्ता अवश्य निकाल लेगा. आकाश की बातों ने कविता के दुखे दिल पर मरहम का काम किया, लेकिन नरेंद्र से छुटकारा पाने का वह भी कोई रास्ता निकालने के बारे में सोचने लगी.

22 साल का आकाश देहरादून में ही चावला चौक करनपुर थाना डालनवाला का निवासी था. उस के पिता सुरेंद्र पिछले 6 महीने से लापता थे. उस की महाराणा प्रताप चौक पर अंबे टायर सर्विस नाम की दुकान है. उस के घर में मां के अलावा 4 भाई व 2 बहनों का भरापूरा परिवार है.
आकाश की कविता से जानपहचान फेसबुक के जरिए हुई थी. जल्द ही उन के बीच फोन पर बात होने लगी और वे मिलनेजुलने भी लगे.

कविता को आकाश नरेंद्र की तुलना में ज्यादा सभ्य और समझदार लगता था. धीरेधीरे वह आकाश से प्रेम करने लगी. इस की जानकारी उस ने अपनी बहन कुसुम को भी दी थी.
कुसुम भी आकाश से मिल चुकी थी. उसे भी आकाश अच्छा लड़का लगा था. कविता को उस से मिलनेजुलने का विरोध नहीं किया. संयोग से वह सजातीय भी था. कुसुम चाहती थी कि कविता अपना करिअर तय होने के बाद ही उस से शादी करे, लेकिन नरेंद्र से छुटकारा पाने के लिए कविता जल्द शादी करना चाहती थी.

जब नरेंद्र को आकाश के बारे में जानकारी हुई, तब वह कविता को बदनाम करने की कोशिश में लग गया. वह कविता को मोहल्ले में बदनाम करने की ताक में रहता था. इसी आड़ में उस के साथ सैक्स संबंध बनाने की कोशिश करने लगा था. नरेंद्र नहीं चाहता था कि कविता की शादी आकाश से हो.
आकाश को जब नरेंद्र की हरकत के बारे में पता चला, तब उस से मिल कर उसे काफी समझाया. उस के रास्ते से हट जाने के लिए कहा. फिर भी नरेंद्र अपनी हरकतों से बाज नहीं आया. उलटे उस ने फेसबुक पोस्ट के जरिए उसे ही बदनाम करने की धमकी दे डाली.

नरेंद्र की दी गई धमकी कविता और आकाश के दिल में चुभ गई. दोनों ने मिल कर एक योजना बनाई. उस के मुताबिक कविता ने 16 मार्च, 2022 को नरेंद्र से बात करने के लिए अपने घर बुलाया.
उस ने बहाना बनाया कि बड़ी बहन की शादी की बात करना चाहती है. कविता ने नरेंद्र के आने से पहले ही आकाश को अपने कमरे में छिपा लिया था.

नरेंद्र शाम को करीब साढ़े 7 बजे आ गया था. उस ने शराब पी रखी थी. कमरे में आते ही बैड पर लेट गया. तभी कविता भी उस की बगल में आ कर बैठ गई. नरेंद्र से बातें करने लगी. वह नरेंद्र का हाथ पकड़ कर उठाने लगी. अधलेटा नरेंद्र बैड पर ही बैठ गया.

मौका देख कर आकाश पीछे से दबेपांव आया और नरेंद्र के गले में बेल्ट कस दी. नरेंद्र झटके के साथ बैड पर गिर गया. उस ने अपने हाथों से बेल्ट निकालने की कोशिश की. तब तक कविता ने उस के हाथ पकड़ लिए थे.जल्द ही नरेंद्र बेजान हो गया था. उस की नाक से खून निकल आया. बेहोश नरेंद्र के मुंह पर आकाश ने जोर का घूंसा मारा. जब नरेंद्र की सांसें चलनी बंद हो गईं, तब दोनों ने मिल कर उस की लाश बोरे में भर दी.

लाश को जंगल में ठिकाने लगाने की उन की योजना थी, लेकिन उसे वहां तक ले जाने की समस्या आ गई थी. कारण आकाश के पास बुलेट मोटरसाइकिल थी. अगर उस पर रात में लाश ले जाता तो बुलेट की आवाज से पहचान हो सकती थी. इसलिए रात भर लाश कमरे में ही रखी रही. अगले रोज 17 मार्च, 2022 की सुबहसुबह आकाश अपनी बहन के घर जा कर उन की स्कूटी ले आया.स्कूटी पर नरेंद्र की लाश के बोरे को सामान की तरह लाद लिया और आमवाला ननूरखेड़ा होता हुआ तपोवन रोड पर लगभग 300 मीटर जंगल में अंदर चला गया. साथ में कविता भी थी. वहीं आकाश ने पहले से ही एक गड्ढा खोद रखा था. उन्होंने नरेंद्र की लाश गड्ढे में दबा दी. उस के बाद वे दोनों देहरादून से फरार हो गए.

उधर कविता कमरे पर नहीं दिखी तो बड़ी बहन कुसुम ने देहरादून आ कर कविता की गुमशुदगी की सूचना लिखवा दी. थाने में उस ने लिखवाया कि कविता 17 मार्च से लापता है और उस का मोबाइल फोन भी स्विच्ड औफ है.कविता की गुमशुदगी की सूचना के आधार पर देहरादून पुलिस ने कविता की तलाश शुरू कर दी. कविता की बहनों को यह नहीं मालूम था कि नरेंद्र की गुमशुदगी की रिपोर्ट भी 17 मार्च को ही लिखवाई जा चुकी थी. पुलिस दोनों लापता को मिला कर जांच में जुट गई थी. दोनों की तसवीरें थाने में जमा की जा चुकी थीं.

पुलिस ने दोनों लापता कविता और नरेंद्र को सोशल मीडिया पर खंगालना शुरू किया. उन के फोन नंबरों से एक ही प्रोफाइल में दोनों के एक साथ की तसवीरें मिल गईं. इस से दोनों के बीच जानपहचान होने का पता चल गया. पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि मामला प्रेम संबंध में फरार प्रेमी युगल का है.
पुलिस को यह मामला बहुत अधिक संदिग्ध नहीं लगा, क्योंकि अकसर ऐसे प्रेमी कुछ रोज में खुद ही वापस आ जाते हैं. फिर भी उन के साथ कुछ भी अप्रत्याशित घटना हो सकती है, इसे ध्यान में रख कर उन के घरों के आसपास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकाले गए और मुखबिर भी लगा दिए गए. साथ ही कविता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स भी निकाली गई.

कविता की गुमशुदगी भादंवि की धारा 365 में तरमीम कर दी गई थी. इस की जांच पुलिस चौकी मयूर विहार के इंचार्ज अर्जुन सिंह गुसाईं कर रहे थे. उन्होंने अब तक की जांच प्रगति से सीओ अनिल जोशी समेत एसपी (सिटी) सरिता डोवाल को भी अवगत करा दिया था. जांच के सिलसिले में 4 दिनों के बाद थानेदार अर्जुन सिंह गुसाईं द्वारा कविता के घर के आसपास लगे 37 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चैक किए गए थे.

जब एसएसआई आशीष रावत द्वारा कविता के मोबाइल की काल डिटेल्स चैक की गई, तब एक चौंकाने वाली जानकारी मिली कि मोबाइल भले ही स्विच्ड औफ था, मगर उस के मोबाइल से रोज मैसेज उस की बहन के मोबाइल पर भेजे जा रहे थे.

मुखबिर ने भी कविता के बारे में एक महत्त्वपूर्ण सूचना दी कि पिछले कुछ दिनों तक कविता एक युवक आकाश के साथ कई बार देखी जा चुकी थी. पुलिस के सामने अब मामला गंभीर लगा. क्योंकि अब तक पुलिस लापता नरेंद्र के साथ लापता कविता को जोड़ कर देख रही थी, उस में एक ट्विस्ट भी था. आकाश भी 17 मार्च से शहर में नहीं देखा गया था. उस के परिवार वाले भी उस के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं दे पाए थे. इस तरह नरेंद्र, आकाश और कविता तीनों ही देहरादून से लापता चल रहे थे.
यह सूचना पा कर सरिता डोवाल का माथा ठनका. उन्हें लगा कि इस मामले में दाल में काला जरूर है. जांच से मिले सभी तरह की जानकारियों की कडि़यां नए सिरे से जोड़ी जाने लगीं.

इसी बीच 5वें दिन मुखबिर से कविता के आकाश के घर पर होने की सूचना मिली. और फिर उन्हें बगैर देरी किए हिरासत में ले लिया गया.
पूछताछ में कविता और आकाश ने बताया कि नरेंद्र की लाश को ठिकाने लगा कर कुछ सामान और रुपए ले कर दोनों बस से हरिद्वार चले गए थे. वहां एक दिन रह कर दोनों ट्रेन से दिल्ली चले गए. दिल्ली में 2 दिन ठहरने के बाद वे ट्रेन से असम निकल भागे. वहां 3 दिन रहने के बाद वे वापस देहरादून लौट आए. उन्हें लगा कि अब मामला निपट गया होगा, लेकिन यह उन की भूल थी.
कविता और आकाश ने नरेंद्र की लाश बरामद करवाने में पुलिस की मदद की और झाडि़यों में फेंकी बेल्ट के बारे में बता दिया. आकाश और कविता द्वारा नरेंद्र की लाश, उस की हत्या में इस्तेमाल की गई बेल्ट, आकाश का सैमसंग मोबाइल फोन तथा लाश को ले जाने वाला बोरा भी बरामद कर लिया गया.
पुलिस ने लाश का पंचनामा भर कर वह पोस्टमार्टम के लिए कोरोनेशन अस्पताल देहरादून भेज दी. नरेंद्र की गुमशुदगी थाना डालनवाला में दर्ज थी. वहां उस की हत्या की सूचना भेज दी गई.

थाना डालनवाला के एसएसआई महादेव उनियाल ने इस मामले में आईपीसी की धाराएं 302, 201 व 34 और बढ़ा दीं तथा उन्होंने आरोपियों आकाश व कविता को न्यायालय के समक्ष पेश कर दिया. वहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नरेंद्र उर्फ बंटी की मौत का कारण गला घोटना बताया गया. कथा लिखे जाने तक आकाश जेल में और कविता बाल सुधार गृह में थी.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कविता परिवर्तित नाम है.

सत्यकथा: अमिता और उसके प्रेमी का गुनाह

वह 10 मई 2022 की आधी रात थी. उस समय रात के 2 बज रहे थे. उस समय सोनी नेगी गहरी नींद में सो रही थी. अचानक उसे लगा कि कोई जोरजोर से उस के बैडरूम का दरवाजा खटखटा रहा है. तभी वह बैड पर उठ कर बैठ गई थी तथा उस ने पास में ही सो रहे अपने पति जितेंद्र को भी जगा दिया था.
इस के बाद सोनी बाहर दरवाजे से आ रही आवाज को सुनने लगी. सोनी ने आवाज को पहचान लिया था. वह आवाज उस की जेठानी अमिता की थी. पहले तो सोनी ने सोचा कि अमिता बेवक्त उस के बैडरूम का दरवाजा क्यों खटखटा रही है? मगर उस ने फिर भी किसी अनहोनी की आशंका के चलते दरवाजा खोल दिया था.

जैसे ही सोनी ने दरवाजा खोला तो अचानक अमिता उस के कमरे में बदहवास सी घुस आई और जल्दी में उस ने बताया, ‘‘सोनी तुम्हारे जेठजी रात को अच्छेभले खाना खा कर और शराब पी कर सोए थे, मगर अब न जाने उन्हें क्या हो गया है कि उन का शरीर सुन्न हो गया है. लगता है कि उन्हें हार्टअटैक आ गया है.’’अमिता के मुंह से यह बात सुन कर सोनी व उस का पति जितेंद्र अमिता के बैडरूम में पहुंचे, जहां पर अमिता का पति दीपक बेसुध सा लेटा था. सोनी ने देखा कि दीपक के शरीर में कोई हलचल नहीं थी तथा उस के चेहरे व शरीर के कुछ हिस्सों पर मामूली चोटों के निशान भी थे. चोट के निशान देख कर सोनी को कुछ शक भी हुआ था.

दीपक के शरीर पर लगी चोटों के बारे में जब जितेंद्र व सोनी ने अपनी भाभी अमिता से पूछा तो अमिता उन्हें कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाई थी, बल्कि वह जल्दी से जल्दी बेसुध पड़े दीपक को पास के अस्पताल में ले जाने की जिद करने लगी.दीपक की हालत देख कर जितेंद्र व सोनी को शक हो रहा था, मगर वे जल्दी ही दीपक को ले कर अस्पताल जाने की तैयारी करने लगे.

यह घटना देहरादून के थाना रायवाला अंतर्गत खांडगांव की है. खांडगांव से ऋषिकेश का एम्स अस्पताल मात्र 18 किलोमीटर दूर है. तभी आननफानन में जितेंद्र, अमिता व सोनी, दीपक को उपचार हेतु एम्स ले कर पहुंचे थे. एम्स के चिकित्सकों ने 34 वर्षीय दीपक को देख कर मृत घोषित कर दिया.
दीपक के शरीर पर लगी कुछ चोटों व गले में लगे कुछ निशानों को देख कर डाक्टरों को संदेह हो गया था तथा उन्होंने इस की सूचना रायवाला थाने को दे दी थी. उस वक्त रायवाला के थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी छुट्टी पर थे, अत: थानेदार धनंजय सिंह को एम्स में भेजा गया.

एम्स पहुंच कर जब थानेदार धनंजय ने दीपक के शव का निरीक्षण किया और दीपक की मौत के बारे में उस के घर वालों से जानकारी ली तो धनंजय को भी शक हो गया. इस के बाद थानेदार धनंजय ने दीपक के शव का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया था.

इसी प्रकार 4 दिन बीत गए थे. 15 मई, 2022 को रायवाला के थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी छुट्टी से लौट आए थे. जब उन्हें खांडगाव निवासी दीपक की संदिग्ध मौत के बारे में जानकारी हुई तो उन्होंने इस घटना का हर पहलू से अवलोकन किया. उन्हें यह मामला कुछ अटपटा सा लगा था.अटपटा इसलिए लगा था कि पत्नी हार्ट अटैक के कारण पति की मौत होना बता रही थी, जबकि पति के शरीर पर कई जगह चोटों के निशान भी थे. इस के अलावा दीपक की मौत से पहले उस की नाक से खून निकल रहा था. पुजारी को यह मामला हत्या का लग रहा था. पुजारी यह जानना चाहते थे कि यदि दीपक की हत्या हुई है तो किस ने और क्यों की?

अभी पुजारी इसी कशमकश में ही उलझे थे कि उन्होंने सोचा कि दीपक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट तो बाद में ही आएगी, इस से पहले क्यों न इस मामले की सच्चाई का पता लगाया जाए. इस के लिए सब से पहले पुजारी ने देहरादून की एसओजी (ग्रामीण) के कांस्टेबल नवनीत राणा से संपर्क किया था तथा उसे जल्दी ही अमिता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स उपलब्ध कराने को कहा.इस के अलावा थानाप्रभारी ने दूसरा काम यह किया था कि उन्होंने रायवाला थाने के थानेदार नीरज त्यागी व सिपाहियों दिनेश महर व प्रदीप गिरी को सादे कपड़ों में खांडगांव भेजा और उन्होंने उन्हें गांव में घूम कर गांव वालों से दीपक व अमिता की आम शोहरत की जानकारी करने को कहा था.

थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी की यह योजना काफी सफल रही. 2 दिन के बाद पुजारी को अमिता के मोबाइल की काल डिटेल्स प्राप्त हो गई थी. काल डिटेल्स की जानकारी के अनुसार अमिता अकसर सतेंद्र नेगी नामक व्यक्ति से काफी काफी देर तक बातें करती रहती थी.इस के अलावा उन्हें अमिता और सतेंद्र की मोबाइल बातचीत की रिकौर्डिंग भी मिल गई. उन्होंने जब रिकौर्डिंग को सुना तो अमिता खुद ही संदेह के दायरे में आ गई.

उधर खांडगांव से लौट कर थानेदार नीरज त्यागी ने जो जानकारी थानाप्रभारी पुजारी को दी थी, उसे जान कर पुजारी को संदेह ही नहीं, बल्कि पूरा विश्वास हो गया कि दीपक नेगी की हत्या में उस की पत्नी अमिता का हाथ जरूर है. नीरज त्यागी ने उन्हें बताया कि खांडगांव में रहने वाले दीपक नेगी व अमिता के 2 बच्चे हैं. दीपक द्वारा गांव में छोटामोटा ठेका ले कर घर का खर्च चलाया जाता है. दिसंबर 2021 से दीपक के मकान का का काम चल रहा है. यह निर्माण कार्य पूर्व सैनिक ठेकेदार सतेंद्र नेगी निवासी मोहल्ला श्यामपुर ऋषिकेश की देखरेख में चलाया जा रहा है.

दीपक नेगी शराबी प्रवृत्ति का था. दीपक ने अपने मकान का ठेका सतेंद्र नेगी को 31 लाख रुपए में दिया था. निर्माण का कार्य अभी तक चल रहा है. गत कई महीनों से ठेकेदार सतेंद्र नेगी व अमिता की अतरंगता काफी बढ़ गई थी. ठेकेदार सतेंद्र नेगी वक्तबेवक्त दीपक के घर में अकसर आताजाता रहता है.

सतेंद्र द्वारा दीपक की गैरमौजूदगी में अकसर उस के घर जाने से तथा दीपक की पत्नी अमिता से अकेले में बातचीत करने के कारण, दीपक के छोटे भाई जितेंद्र व उस की पत्नी सोनी सहित मोहल्ले वालों को भी अमिता के चरित्र पर संदेह था. अमिता का पति दीपक भी अमिता को ठेकेदार सतेंद्र से अकसर दूरी बनाने के लिए कहता रहता था.थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी ने थानेदार नीरज त्यागी के इस कथन को गंभीरता से लिया. ये सब जानकारियां होने के बाद पुजारी ने दीपक की मौत के मामले में एसएसपी जन्मेजय खंडूरी से इस बाबत विचारविमर्श किया था तथा इस प्रकरण में उन का निर्देशन मांगा था.

श्री खंडूरी ने दीपक की मौत के प्रकरण में उस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद सतेंद्र व अमिता से पूछताछ करने के निर्देश दिए थे. वह 23 मई, 2022 का दिन था. उस वक्त रायवाला के थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी अपने औफिस में ही बैठे थे, तभी उन्हें दीपक नेगी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई. जब पुजारी ने दीपक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को पढ़ा तो वे चौंक पड़े. इस में दीपक की मौत का कारण गला दबा कर दम घुटना बताया गया था.

इस के बाद पुजारी ने इस प्रकरण में पूछताछ के लिए अमिता व ठेकेदार सतेंद्र को बुलाया. थाने में अमिता व सतेंद्र से दीपक की मौत के मामले में पुजारी द्वारा गहन पूछताछ की गई थी. मगर जब पुजारी ने दोनों को अलगअलग ले जा कर पूछताछ की तो दीपक की मौत पर पड़ा परदा
हट गया.घटना की जानकारी देते हुए अमिता ने पुलिस को बताया कि बीते कई महीनों से ठेकेदार सतेंद्र के साथ मेरे अवैध संबंध थे, जिस की कुछकुछ जानकारी मेरे पति दीपक को हो गई थी. 10 मई, 2022 की घटना वाली रात को 12 बजे दीपक ने हम दोनों को आपत्तिजनक अवस्था में देख लिया था. इस कारण हम दोनों अपनी पोल खुलने के डर से घबरा गए थे.

तभी हम दोनों ने एकराय हो कर चुनरी से दीपक का गला घोट कर उसे मार डाला था. इस के बाद हम दोनों ने दीपक को बैड पर लिटा दिया था. फिर सतेंद्र ठेकेदार वहां से चला गया था.
थोड़ी देर बाद मैं ने साक्ष्य छिपाने के लिए अपने देवर जितेंद्र व देवरानी सोनी को अपने कमरे में बुलाया था और उन्हें दीपक को हार्ट अटैक होने की बात बताई थी.इस के बाद पुजारी ने अमिता के ये बयान दर्ज कर लिए थे. पूछताछ के दौरान ठेकेदार सतेंद्र ने भी प्रेमिका अमिता के बयान में सहमति जताते हुए दीपक की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली.

दीपक की मौत का परदाफाश होने के बाद पुजारी ने इस हत्या का मुकदमा दीपक के छोटे भाई जितेंद्र नेगी की तहरीर पर भादंवि की धारा 302, 201 व 34 के तहत दर्ज कर लिया था. इस के बाद पुजारी ने दीपक की हत्या के खुलासे की जानकारी एसएसपी जन्मेजय खंडूरी को दी. सतेंद्र व अमिता को पुलिस ने कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया.आरोपी सतेंद्र पहले सेना में नौकरी करता था तथा वर्ष 2013 में सेना से वह रिटायर हुआ था. सतेंद्र का अपनी पहली पत्नी से तलाक हो गया था. इस के बाद उस ने वर्ष 2015 में दूसरी शादी कर ली थी. रिटायरमेंट के बाद सतेंद्र भवन निर्माण के ठेके लेता था. उस के 2 बच्चे हैं.

अमिता का परिवार मूलरूप से उत्तराखंड के जिला टिहरी गड़वाल का रहने वाला है तथा 8 साल पहले दीपक से उस की शादी हुई थी. 2 बच्चों की मां अमिता भी सतेंद्र के साथ वासना के दलदल में ऐसी डूबी थी कि उस ने अपना परिवार खुद ही उजाड़ लिया था.कथा लिखे जाने तक सतेंद्र व अमिता देहरादून जेल में बंद थे. दीपक की हत्या की जांच थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी कर रहे थे. पुजारी विवेचना पूरी करने के बाद इस प्रकरण में सतेंद्र व अमिता के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में भेजने की तैयारी कर रहे थे.

बढ़ाने के चक्कर में कहीं कम न हो जाए सैक्स पावर

उत्तर प्रदेश के 28 साला राहुल को शादी के बाद हुआ. अपनी नईनवेली पत्नी के साथ जोरदार और पलंगतोड़ हमबिस्तरी करने की ख्वाहिश में उस ने वियाग्रा नाम की दवा की जरूरत से ज्यादा खुराक यानी ओवर डोज ले ली. वियाग्रा या कोई भी दवा आमतौर पर ज्यादा नुकसानदेह नहीं होती, थोड़ेबहुत साइड इफैक्ट हो सकते हैं, लेकिन वे समय रहते ठीक भी हो जाते हैं. अगर न हों तो तुरंत डाक्टर से मशवरा लेने की हर कोई कह देता है. यही बात वियाग्रा पर लागू होती है. रोहित ने गलती यह की कि एकसाथ 6-8 गोलियां वियाग्रा की खा लीं और कुछ दिन उन के असर को यह सोचते हुए छिपाता रहा कि इस बार भी सब अपनेआप ठीक हो जाएगा. सैक्स पावर और हमबिस्तरी की मीआद बढ़ाने के लिए 25 मिलीग्राम की एक गोली और ज्यादा ढीलापन रहता हो, तो 50 मिलीग्राम की एक गोली काफी होती है.

वैसे, प्राइवेट पार्ट में इरैक्शन यानी तनाव के लिए वियाग्रा की गोली का सेवन पिछले 20 सालों में तेजी से बढ़ा है. इस ने तो हद कर दी 5 जून, 2022 को राहुल को प्रयागराज के सब से बड़े सरकारी अस्पताल मोतीलाल नेहरू मैडिकल कालेज में भरती कराया गया, तो वहां मौजूद डाक्टर भी हैरान रह गए, क्योंकि उन की जिंदगी में आया यह पहला मामला था, जिस में प्राइवेट पार्ट में तनाव कम या खत्म नहीं हो रहा था वरना अब तक तो ऐसे ही नौजवान ज्यादा आते थे, जिन के अंग में या तो तनाव नहीं आता था या वे पूरी तरह तैयार नहीं होते थे या फिर वे जल्दी डिस्चार्ज हो जाते थे. लेकिन हो गया इलाज यूरोलौजी डिपार्टमैंट के मुखिया डाक्टर दिलीप चौरसिया ने केस अपने हाथ में लिया और इलाज शुरू किया. यह मामला प्राइवेट पार्ट की नसों में खामी आ जाने का था,

जो कभीकभार लाखों में से किसी एक को होता है. उन की टीम ने मुंबई के एक नामी डाक्टर रुपिन शाह के फार्मूले को अपनाया और पेनाइथल प्रोस्थैसिस के एक महीने के अंतर से 2 आपरेशन कर रोहित को ठीक कर दिया. रोहित तो डाक्टरों की कोशिशों के चलते ठीक हो गया, लेकिन देश में लाखोंकरोड़ों नौजवान ऐसे हैं, जो नीमहकीमों के चक्कर में पड़ कर अपनी जिंदगी तबाह कर लेते हैं और मारे शर्म और डर के किसी को बताते भी नहीं कि सैक्स पावर बढ़ाने के लालच में उन की सैक्स पावर या तो कम हो गई है या बिलकुल ही खत्म हो गई है. रोहित भी शायद यही करता, अगर उसे अंग उठे रहने की परेशानी पेश न आ रही होती. अब वह ठीक हो गया है, तो उम्मीद है कि उस की पत्नी भी इस बात को बुरा सपना मान कर वापस आ जाएगी.

जानलेवा टोटके रोहित का मामला तो जैसेतैसे सुलट और सुलझ गया, लेकिन भोपाल के 24 साला प्रतीक का मर्ज अभी तक ज्यों का त्यों है, जिस ने तकरीबन 2 साल पहले अपनी गर्लफ्रैंड पर रौब गांठने और सैक्स के पहले एमपी नगर के एक फुटपाथी नीमहकीम से सैक्स पावर बढ़ाने वाली दवाएं 500 रुपए में ली थीं. नीमहकीम की हिदायत के मुताबिक प्रतीक ने पुडिया में बंधी खुराक गरम दूध से हलक में उड़ेल ली और तयशुदा जगह पर माशूका का इंतजार करने लगा. इस बाबत ह्वाट्सएप पर बात हो चुकी थी कि वह शाम के 5 बजे तक पहुंच जाएगी, फिर दोनों खूब मस्ती करेंगे. पर थोड़ी देर बाद माशूका का मैसेज आया कि घर पर मेहमान आ गए हैं,

इसलिए अब वह शाम के 7 बजे तक पहुंच पाएगी. प्रतीक मन और तन मसोस कर रह गया, क्योंकि उस नीमहकीम की दवा असर दिखाने लगी थी, लेकिन पेट के नीचे नहीं, बल्कि ऊपर जहां गैस बन रही थी और जोरदार गुड़गुड़ हो रही थी. देखते ही देखते प्रतीक को दस्त होने का सिगनल मिला, तो वह सार्वजनिक शौचालय की तरफ भागा. थोड़ी देर बाद फारिग हो कर आया, तो पेट में तेज दर्द उठा, इतना तेज कि बरदाश्त नहीं हो रहा था. लिहाजा, उस ने अपने एक दोस्त को फोन किया और कहा कि भाई, जल्दी एमपी नगर आ कर मुझे डाक्टर के यहां ले चल.

अब तक उस पर से माशूका और सैक्स का नशा उतर चुका था. डाक्टर ने प्रतीक की जांच की और पूछा कि क्याक्या खायापीया था, तो वह हकीमजी की पुडि़या वाली बात छिपा गया. डाक्टर की दवा लेने से उस दिन तो आराम रहा, लेकिन दूसरे दिन फिर दस्त लगने लगे. अब उस का माथा ठनका कि हकीमजी तो उसे चूना लगा गए हैं. इस बार दूसरे डाक्टर को दिखाया, तो प्रतीक को यह सच बताने में ही अपनी भलाई लगी कि उस ने सैक्स पावर बढ़ाने की दवा ली थी. डाक्टर ने पहले तो तबीयत से प्रतीक को डांटा कि पढ़ेलिखे समझदार हो कर भी इन लुटेरों के चक्कर में पड़ते हो.

खैर, अब जाओ और इतनी जांचें करवा कर लाओ. अब तक इलाज में उस के 3,000 रुपए फुंक चुके थे, लेकिन परेशानी जबरदस्त थी, इसलिए वह इलाज करवाता रहा. इस के 2 साल बाद भी कभीकभी एकदम से दस्त लगने लगते हैं, तो उसे शौचालय की तरफ भागना ही पड़ता है. अब प्रतीक ने नीमहकीमों से तोबा कर ली है कि ये लोग जानतेसमझते कुछ नहीं हैं, बस पैसा कमाने की गरज से नौजवानों को खानदानी इलाज का झांसा दे कर अपना पेट भर रहे हैं, इसलिए इन से बचना चाहिए. पूरे देश में ऐसे तथाकथित नीमहकीमों का जाल बिछा है, जो नामर्द को मर्द बनाने का ठेका लिए बैठे हैं. शर्तिया औलाद पैदा करवाने के अलावा ये लोग वीर्य को इतना गाढ़ा करने के नुसखे बताते हैं कि गाढ़े और काढ़े में फर्क खत्म हो जाता है.

सैक्स ड्राइव बढ़ाने की जड़ीबूटियां भी इन के झोलों में रहती हैं. औरत को पूरी तरह से संतुष्ट करने की रामबाण औषधि भी इन के पास मिल जाती है. सैक्स पावर बढ़ाने की गारंटी देने वाले इन नीमहकीमों के नुकसानदेह इलाज के बारे में कई बार पोल खुल चुकी है. ‘सरस सलिल’ में भी न जाने कितनी बार ऐसे लेख छपे हैं, जो पाठकों को इन ठगों से बचने के लिए आगाह करते रहे हैं और सैक्स के बारे में उपयोगी जानकारियां देते रहे हैं कि इन बातों को समझें और करें, जो शादीशुदा जिंदगी में रंग घोल देती हैं. यह बहुत बड़ी गलतफहमी है कि मैं अपनी पत्नी या माशूका को बिस्तर में संतुष्ट नहीं कर पाऊंगा या ज्यादा देर तक टिक नहीं पाऊंगा. इस गलतफहमी से बचें,

क्योंकि पत्नी या माशूका आप से प्यार और इज्जत चाहती है और जब ये दोनों उसे मिलेंगे, तो वह सैक्स में भरपूर साथ और मजा देगी. बहुत सी आहें और चीखें संतुष्टि का पैमाना नहीं हैं. पैमाना है सैक्स करने का तरीका और ताकत, जो कुदरत जवान होते ही सभी को देती है. इस के बाद भी अगर कोई परेशानी या कमजोरी लगे, तो तुरंत बिना शरमाए डाक्टर से मिलें. वह आप की समस्या, जो आमतौर पर वहम होती है, को मिनटों में दूर कर देगा.

प्यार की वो आखिरी रात

25मई, 2022 की रात करीब 3-साढ़े 3 बजे प्रयागराज में यमुनापार इलाके के चकहीरानंद
मोहल्ले में पुलिस की कई गाडि़यां हूटर बजाते हुए एक के बाद एक देखते ही देखते प्रवेश करती गईं. गरमी की उमस से बेहाल मोहल्ले वालों को सुबह में गरमी से थोड़ी राहत मिली थी. सभी सोने का प्रयास कर रहे थे कि हूटर बजाती गाडि़यों से लोगों की नींद टूट गई. सभी गाडि़यां सुनील मिश्रा के घर के पास आ कर रुक गईं.

लोगों की नींद में खलल पड़ चुकी थी. सभी आश्चर्यचकित थे. अचरज से अपनेअपने मकानों की छतों पर खड़े हो कर एकदूसरे से आंखों ही आंखों में इशारे से मानो पूछ रहे हों, ‘‘आखिर इतनी सुबह भारी पुलिस फोर्स हमारे मोहल्ले में क्यों आई है? क्या कोई आतंकी सुनील मिश्रा के मकान में घुसा है? आखिर माजरा क्या है? अभी तो रात के 3-साढ़े 3 बजे हैं. लेकिन इतनी रात पुलिस की दस्तक क्यों?’’
इस तरह के तमाम विचार चकहीरानंद मोहल्ले में रहने वालों के मन में उमड़घुमड़ रहे थे. चूंकि इस समय गंगापार के हालात सही नहीं चल रहे थे. सामूहिक हत्याओं, नरसंहार से पूरा प्रयागराज जिला थर्रा उठा था, सो मोहल्ले वालों का यह सोचना लाजिमी था.

बहरहाल, कुछ देर में ही इस सवाल का जवाब भी मिल गया. खुद सुनील मिश्रा ने पहले पुलिस की हेल्पलाइन नंबर 112 पर डायल कर के सूचना दी थी कि उस के घर में चोर घुस आया है, जिसे उस की बेटी अमायरा ने गोली मार दी है और मौके पर ही उस की मौत हो गई है. बेटी अमायरा भी बुरी तरह से घायल फर्श पर पड़ी तड़प रही है.

यह सूचना मिलते ही आननफानन में पुलिस नैनी थानाक्षेत्र में स्थित घटनास्थल पर पहुंची थी. जब पुलिस के जवानों ने सुनील मिश्रा के मकान में प्रवेश किया तो घटनास्थल का सीन देख कर सब सन्न रह गए.
छत की सीढि़यों के नीचे स्लैब पर सुनील मिश्रा की बेटी अमायरा घायल अवस्था में पड़ी तड़प रही थी. उस के हाथ और पेट में गोली लगी थी. रिवौल्वर भी उस की हथेली में था. छत पर 22-23 साल के एक नौजवान की लाश पड़ी थी.
पुलिस अफसरों को देखते ही मकान मालिक सुनील मिश्रा और उस के घर के सदस्य गला फाड़फाड़ कर रोने लगे.
एसएसपी अजय कुमार व एसपी सौरभ दीक्षित ने भी घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. बहरहाल, घटनास्थल का क्राइम सीन कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहा था और सुनील मिश्रा का कथन कुछ और.

फिलहाल प्रारंभिक काररवाई करते हुए सुनील मिश्रा की घायल बेटी व मृत युवक, जिस का नाम अरनव था, की डैडबौडी को फौरन जिला अस्पताल एसआरएन पहुंचाया गया.
क्योंकि अमायरा की जान खतरे में थी और वह बुरी तरह से पेट पकड़ कर फर्श पर तड़प रही थी. एक गोली उस की हथेली में लगी थी तो दूसरी उस के पेट में फंसी हुई थी. अरनव की डैडबौडी का पोस्टमार्टम होना जरूरी था और अमायरा का प्राथमिक उपचार.
अब तक घटना की सूचना पा कर अरनव के परिजन भी आ चुके थे. जवान बेटे की लाश को जब पुलिस वाले पोस्टमार्टम के लिए भेज रहे थे तो उस के मातापिता, भाईबहन का रोरो कर बुरा हाल था. अरनव का घर सुनील मिश्रा के मकान से महज एक किलोमीटर की दूरी पर था.
उपरोक्त घटना की सूचना जंगल की आग की तरह पूरे नैनी क्षेत्र और सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे शहर में फैल चुकी थी. खैर, आगे की काररवाई करते हुए सब से पहले पुलिस को सूचना देने वाले अमायरा के पिता सुनील मिश्रा को ही थाने ला कर पूछताछ शुरू की गई.

सुनील मिश्रा के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. वह फूटफूट कर अधिकारियों के सामने बस रोए जा रहा था.
उसे ढांढस बंधाते हुए एसएसपी अजय कुमार ने कहा, ‘‘देखिए मिश्राजी, इस तरह रोनेधोने से काम नहीं चलेगा. आप की बेटी को गोली लगी है और वह जीवनमौत के बीच संघर्ष कर रही है. ईश्वर ने चाहा तो उस की जिंदगी बच जाएगी और सच्चाई भी सामने आ जाएगी.
‘‘पहले हमें आप यह बताइए कि आप ने क्या देखा था मृतक युवक कौन है? क्योंकि आप ही ने सब से पहले इस वारदात की सूचना पुलिस को मोबाइल से दी थी, इसलिए आप ने जो कुछ भी देखा हो उसे बता दीजिए ताकि हम अपराधियों तक पहुंच सकें.’’
अधिकारियों की बात सुन कर सुनील मिश्रा थोड़ा शांत हुआ और बोला, ‘‘साहब, मुझे नहीं मालूम कि मृत कौन है? यह किस का बेटा है और कहां का रहने वाला है. मेरे खयाल से यह लड़का चोरीचकारी की नीयत से मेरे घर में घुसा होगा, जिसे मेरी बेटी ने देख लिया होगा. वह किसी घटना को अंजाम देने में कामयाब हो पाता उस से पहले बेटी अमायरा ने मेरी रिवौल्वर से उस पर फायर कर दिया होगा. अपने बचाव के लिए मरने से पहले उस ने अमायरा से रिवौल्वर छीन कर उसे भी गोली मार दी.
‘‘उमस बहुत ज्यादा हो रही थी. मैं पानी पीने के लिए उठा था और गरमी से राहत के लिए ऊपर एसी वाले कमरे में जा रहा था, जहां घर के बाकी सदस्य सो रहे थे. तभी मैं ने देखा कि मेरी बेटी खून से लथपथ पड़ी फर्श पर तड़प रही थी. मैं भागते हुए छत पर गया तो देखा उस लड़के की लाश पड़ी थी. उस लड़के को मैं नहीं जानता. उसे मोहल्ले में भी कभी नहीं देखा.’’

पुलिस के लिए बड़ा ही दिलचस्प और संगीन मामला था. एसएसपी की दूरदृष्टि और पुलिसिया नजरिया कुछ और ही कह रही थी तथा सुनील मिश्रा का बयान कुछ और. कारण, अगर सुनील की बातों पर यकीन कर भी लिया जाए तो उस की बेटी अमायरा ने पहले ही किसी भी नीयत से उस के मकान में दाखिल युवक को अपने पिता की रिवौल्वर से जान से मार डाला था तो फिर उस के बाद अपने पेट और हथेली पर गोली मारने की क्या जरूरत थी.
अब कातिल उन की निगाहों के सामने था, जो पूरे घटनाक्रम को छिपाने की साजिश बड़ी ही होशियारी से कर रहा था.
उस के परिवार के अन्य सदस्यों से भी पूछताछ की गई. सभी का कहना था कि उस समय सब लोग गहरी नींद में थे. फायरिंग व सुनील मिश्रा की चीखपुकार सुन कर जागे थे.
सुनील मिश्रा से अधिकारियों ने दोबारा घुमाफिरा कर सवालों की झड़ी लगा दी तो वह पुलिस के सामने टूट गया और फूटफूट कर रोने लगा. भर्राए गले से बताया कि वह युवक उस की बेटी का प्रेमी अरनव है. उस की हत्या का जुर्म और बेटी पर गोली चलाने की बात सुनील मिश्रा ने स्वीकार कर ली.
शर्म और ग्लानि से भरे सुनील मिश्रा ने औनर किलिंग की जो कहानी पुलिस अधिकारियों को सुनाई, वह इस प्रकार निकली.

पेशे से ढाबा चलाने वाला सुनील मिश्रा अधिकतर घर से बाहर ही रहता था. उस का घूरपुर रोड पर ‘मिश्रा फैमिली रेस्टोरेंट व ढाबा’ है. परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे और एक बेटी अमायरा. सुनील का अपने घर चकहीरानंद में महीने में एक बार ही आना होता था.
कथा में आगे बढ़ने से पहले अरनव के परिवार के बारे में संक्षिप्त जानकारी जरूरी है.
असमय ही प्रेम में फना हुए अरनव के पिता सत्यप्रकाश एलआईसी एजेंट हैं. पत्नी संध्या के अलावा 2 बेटे अरनव और विकास (बदला हुआ नाम) थे, जिन में अरनव की मौत हो चुकी है.
अरनव सिंह इस साल 12वीं कक्षा में नैनी के महर्षि विद्या मंदिर इंटर कालेज रामनगर में पढ़ता था. उस का घर पीएसी कालोनी स्थित नैनी क्षेत्र में है.
अरनव के पिता मूलरूप से सुलतानपुर जिले के रहने वाले हैं. वह काफी सालों से इलाहाबाद यमुनापार इलाके में पूरे परिवार के साथ रह रहे थे.
दोनों के परिवार वाले अमायरा और अरनव की प्रेम कहानी से अनभिज्ञ थे. अरनव और अमायरा दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते थे. किताबों के लेनदेन से उन का प्रेम परवान चढ़ा था. जिस के चलते अरनव को अपने प्राण गंवाने पड़े.
सुनील मिश्रा का समय अकसर परिवार से दूर बाहर ही बीतता था. परिवार के भरणपोषण के लिए ढाबा चलाता था. काफी दिनों के बाद वह एक दिन पहले ही अपने घर आया था.
रात को मंगलवार का व्रत खोलने के बाद वह पत्नी के साथ बिना एसी वाले कमरे में सो रहा था. बच्चे एसी वाले कमरे में थे. उस रात गरमी बहुत ज्यादा थी.

गरमी से बेहाल पतिपत्नी एसी वाले कमरे में सोने के लिए गए तो देखा सभी बच्चे तो कमरे में सो रहे थे लेकिन अमायरा वहां नहीं थी. आखिर कहां गई होगी वह? सुनील बस यही सोच रहा था कि उसी समय कुछ खटपट की आवाज सुनाई दी.
बदहवास हालत में अमायरा कमरे में आई. उस की मां ने पूछा तो उस ने जवाब दिया कि पेट में हलका दर्द हो रहा है. इतना कहने के बाद वह फिर से पानी पीने जाने की बात कह कर कमरे से बाहर निकली.
अब तक सुनील मिश्रा को अमायरा पर शक हो चला था. आखिर वह उस का बाप था. जमाने के रंगढंग देख रहा था. उस ने एक बात गौर की थी, जब पतिपत्नी बच्चों के कमरे में सोने गए थे तो उस समय बेटी सीढि़यों से उतर कर कमरे में आई थी. आखिर इतनी रात गए वह छत पर क्या कर रही थी?

यह सवाल उस के जहन में बारबार घूम रही थी. जब वह पानी पीने का बहाना कर के कमरे से दोबारा निकली तो उस का रुख फिर से छत की ओर था. सुनील मिश्रा भी उस के पीछेपीछे छत की तरफ बढ़ा.
अमायरा को पिता के पीछेपीछे आने का अहसास हुआ तो उस ने पैर पकड़ लिए, ‘‘पापा, कहां जा रहे हैं?’’
उस समय वह बेहद घबराई हुई थी.
‘‘ऊ…ऊ…पर कोई नहीं है. चलिए, चल कर सोते हैं. आप थकेमांदे इतने दिनों बाद आए हैं चलिए कमरे में.’’
सुनील मिश्रा ने रोते हुए बताया, ‘‘साहब, मैं ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि बेटी जिसे मैं बहुत प्यार करता था, वह मेरी इज्जत खाक में मिला देगी. हकीकत तो यह है कि जब वह छत पर गई तो कुछ देर बाद मैं भी दबेपांव वहां गया. वह अपने प्रेमी के साथ आलिंगनबद्ध थी.
‘‘मुझे सारा माजरा समझ आ गया. क्योंकि मैं ने उसे रंगेहाथों आपत्तिजनक हालत में देख लिया था. मैं वह सीन देख कर…अब क्या बताऊं एक जवान बेटी का पिता क्या कर सकता है. अपनी बेटी को आपत्तिजनक अवस्था में देख कर आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं.
‘‘मेरा शरीर गुस्से से थरथर कांपने लगा. खून खौल उठा था मेरा. मैं नीचे कमरे में आया और अपनी रिवौल्वर उठा ली. अमायरा ने मुझे रोकने की बहुत कोशिश की. लेकिन मैं उसे धकियाते हुए छत पर पहुंचा तो देखा वह लड़का छत पर उकड़ूं बैठा हुआ था.
‘‘मैं ने क्रोध में आ कर उस पर रिवौल्वर तानी तो बेटी ने फिर मेरे पैर पकड़ लिए. उस ने अरनव के जान की भीख मांगी तो मुझे और भी ज्यादा गुस्सा आ गया. गुस्से में मैं ने पहली गोली अमायरा पर ही चला दी. गोली उस के हाथों को छूते हुए निकल गई. वह गिर पड़ी. उस के बाद उस के प्रेमी अरनव को 2 गोलियां मारीं. फिर घूमा और एक गोली अमायरा पर दोबारा चलाई जो सीधे उस के पेट में जा कर लगी.
‘‘गोली चलने की आवाज से घर वाले भी जाग गए थे. वे बदहवास भागे आए. अब तक मैं ने खुद को भी खत्म करने का निर्णय ले लिया था. मैं ने रिवौल्वर अपनी कनपटी पर सटाई और ट्रिगर दबा दिया लेकिन बुलेट फंस गई. दोबारा ट्रिगर दबाना चाहा तब तक घर वालों ने मुझे पकड़ लिया.’’
बयान देते हुए वह फिर से फूटफूट कर रोने लगा क्योंकि वह अपनी बेटी अमायरा को बेटों से ज्यादा चाहता था. बड़ी मन्नतों से वह पैदा हुई थी. अमायरा सीए बनना चाहती थी, जिस के लिए उस ने कौमर्स विषय चुना था.
वह उसे हर खुशी देना चाहता था. उस के सीए बनने के सपने को भी पूरा करना चाहता था. एक ओर जहां सुनील मिश्रा बेटी को बहुत प्यार करता था तो वहीं दूसरी ओर बेटी के पैर बहक गए. वह पिता की गैरमौजूदगी में अपने प्रेमी अरनव से रोज मिलती थी और उस के मिलन में सहायक थी उस की बुआ की बेटी. वही घर वालों की आंखों में धूल झोंक कर कर दोनों का मिलन करवाती थी.
बहरहाल, बेटी के विश्वासघात ने जहां उस के प्रेमी अरनव की जिंदगी छीन ली तो दूसरी ओर पिता का साया और विश्वास भी. अमायरा के नसीब में अब न प्रेमी का प्यार है और न ही पिता की सरपरस्ती. पुलिस ने कानूनी काररवाई करते हुए रिपोर्ट दर्ज कर सुनील मिश्रा को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया है.

लड़की फंसाने के चक्कर में खुद फंसे

भोपाल के बागसेवनिया इलाके के कान्हासैया बिलखिरिया इलाके के रहने वाले गुड्डू चौहान ने अब लड़कियों और उन की दोस्ती से तोबा कर ली है. दरअसल, गुड्डू चौहान के खिलाफ एक लड़की पुष्पा (बदला नाम) ने 24 मई, 2018 को पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि गुड्डू ने शादी का झांसा देते हुए एक साल तक उस के साथ बलात्कार किया और फिर शादी के अपने वादे से मुकर गया.

हुआ यों था कि 25 साला गुड्डू चौहान और 20 साला पुष्पा की दोस्ती कुछ ज्यादा ही गहरा गई थी. उन के बीच रजामंदी से जिस्मानी ताल्लुकात बने थे. भोपाल में तो इन दोनों के बीच संबंध बनते ही थे पर एक दफा गुड्डू पुष्पा को घुमाने अहमदाबाद भी ले गया था. वहां भी उन दोनों के बीच हमबिस्तरी हुई थी. भोपाल आ कर पुष्पा ने गुड्डू चौहान पर शादी के लिए दबाव डाला तो वह साफ मुकर गया. इस पर तिलमिलाई पुष्पा को अहसास हुआ कि अब तक जो हो रहा था वह रजामंदी नहीं बल्कि जबरदस्ती थी इसलिए उस ने पुलिस का सहारा लिया.

बागसेवनिया थाने में रिपोर्ट दर्ज होते ही पुलिस वाले गुड्डू चौहान को जबरदस्ती उठा लाए और उस पर मुकदमा दर्ज कर दिया.

फंसे या फंसाया

गुड्डू चौहान और पुष्पा जैसे मामले रोशनी में आना अब रोजमर्रा की बात हो चली है, जो पहले दोस्ती, फिर प्यार और फिर जिस्मानी ताल्लुकात में बदल जाते हैं. हालांकि इस में लड़का लड़की को बिस्तर तक जबरदस्ती नहीं ले जाता, बल्कि बाकायदा पटाता है. जमाना जिस तेजी से बदल रहा है उस से ज्यादा तेजी से प्यारमुहब्बत के माने बदल रहे हैं. अब वह जमाना लदे ही एक जमाना गुजर गया जब लड़का सालों तक गली में लड़की की एक झलक पाने के लिए एक पैर पर खड़ा रहता था. लड़की प्यार की उस की पेशकश कबूल कर लेती थी तो वह तो दीवानों की तरह नाचने लगता था. प्यार और दोस्ती करने लायक लड़कियां अब राह चलते मिल जाती हैं.

अब प्यार के माने बेहद साफ हैं कि पहले दोस्ती और फिर सीधे हमबिस्तरी. इस दौरान अगर दोनों एकदूसरे को जम जाएं तो शादी भी हो जाती है, नहीं तो कुछ महीनों या सालों बाद दोनों एकदूसरे को बायबाय कर के नए पार्टनर की तलाश में निकल पड़ते हैं. यह सौदा या चलन कतई हर्ज की बात नहीं पर मुसीबत उस वक्त खड़ी हो जाती है जब लड़की यह इलजाम लगाने लगती है कि वह तो भोलीभाली और दूध की धुली है जिसे उस के दोस्त या आशिक ने जबरदस्ती मैला कर दिया है, लिहाजा उसे सजा मिलनी चाहिए.

चूंकि जबरदस्ती की बात अकसर अदालत में साबित नहीं हो पाती है इसलिए आशिक रिहा तो हो जाता है लेकिन पुलिस और कोर्टकचहरी के दौरान जो परेशानियां वह झेलता है उन्हें जिंदगीभर नहीं भूलता. इस बात पर कई दफा अदालतें भी हैरानी जता चुकी हैं कि कैसे कोई लड़का लंबे वक्त तक लड़की से जिस्मानी संबंध बनाता रहा, भले ही उस ने वादा शादी का किया हो या फिर दूसरा कोई लालच दिया हो? लड़की ने तब कोई एतराज क्यों नहीं जताया था? एतराज उसी वक्त क्यों जताया गया जब लड़का पल्ला झाड़ने लगा?

इस बात के कानूनी माने अलग हैं लेकिन ऐसे मामले गुड्डू चौहान जैसे लड़कों के लिए सबक हैं कि अकसर लड़की को फंसाना या पटाना बहुत महंगा पड़ जाता है जिस में पैसों की बरबादी के साथसाथ इज्जत की भी फजीहत होती है. इस बाबत लड़की को पुलिस थाने जा कर एक रिपोर्ट दर्ज करानी होती है. लड़कियां जब फंस जाती हैं तो लड़कों का दिल बल्लियों उछलने लगता है. इस दौरान वे माशूका का दिल जीतने के लिए उन पर तबीयत से पैसा लुटाते हैं और कभीकभी शादी करने का झूठा वादा भी कर लेते हैं, जबकि वे बेहतर जानते हैं कि शादी करना उन का मकसद नहीं, बल्कि मंशा वक्त काटना और मौजमस्ती करना है, वह भी ऐसे कि मामला जोरजबरदस्ती का न लगे.

लड़की जब हायहाय करते हुए थाने जा पहुंचती है तो ऐसे मजनुओं को समझ आता है कि असल में उन्होंने लड़की को नहीं फंसाया था बल्कि लड़की उन्हें फंसा रही थी. इस बात का अहसास भी उन्हें हो जाता है कि एक ऐसा जुर्म उन के सिर मढ़ दिया गया है जो उन्होंने किया ही नहीं है.

क्या है दिक्कत

प्यार या हमबिस्तरी करना जुर्म नहीं है और इस बात को कानून भी मानता है कि अगर 2 बालिग अपनी मरजी से हमबिस्तरी करें तो वह कोई गुनाह नहीं होता. इस के बाद भी कानून अकसर लड़कियों के साथ है तो इस बात की भी अपनी अलग अहमियत है कि कहीं सचमुच लड़कियों को प्रेमजाल में फंसा कर उन्हें लड़के धोखा देते हुए उन की जिंदगी बरबाद न करें. यह बात जाने क्यों कोई नहीं सोचता कि इज्जत लुटने, प्यार में बरबाद होने और धोखा खाने की फरियाद ले कर लड़कियां ही थाने और अदालत क्यों जाती हैं, लड़के क्यों नहीं जाते हैं?

इस बहस से परे अहम बात लड़कों की लड़की फंसाने की वह सोच है जिसे वे शान और मर्दानगी समझते हैं और यारदोस्तों के बीच इस के किस्से भी सुनाते हैं. प्यार हो या रजामंदी हो, जब जिस्मानी ताल्लुकात बनते हैं तो इस मर्दानगी में और चार चांद लग जाते हैं. आफत कब और कैसे खड़ी होती है, यह लड़की की रिपोर्ट के बाद लड़कों को समझ आता है, जिस में कई दफा उन का कैरियर भी दांव पर लग जाता है.

एहतियात बरतें

लड़के अकसर जिस्मानी ताल्लुकात बनाने के चक्कर में लड़कियों के हाथों नाचने लगते हैं और उन्हें पूरा हासिल करने के चक्कर में उन की शादी की जिद भी मान लेते है. कानून जिरह के दौरान यह तय करता है कि सुबूतों की बिना पर आरोप सही था या गलत था.

लिहाजा, कभी लड़की, चाहे वह दोस्त हो या माशूका, से भूल कर भी शादी का झूठा वादा नहीं करना चाहिए. उसे साफसाफ बता देना ही बेहतर होता है कि आप उस से संबंध तो बना सकते हैं पर शादी नहीं कर सकते. इस के बाद वह राजी हो तो कोई अड़ंगा पेश नहीं आता.

लड़की के दबाव में अकसर लड़के फेसबुक, ह्वाट्सऐप या लव लैटर्स में शादी का वादा कर लेते हैं जो बाद में उन्हें फंसा देते हैं और न केवल अदालत में बल्कि जाति, समाज और रिश्तेदारी में भी ऐसे अहम सुबूत लड़के के गले का फंदा बन जाते हैं, इसलिए इस तरह के वादे सोचसमझ कर करने चाहिए. भोपाल के गुड्डू चौहान की तरह कई लड़के गर्लफ्रैंड या माशूका को मौजमस्ती की गरज से घुमानेफिराने शहर से बाहर ले जाते हैं और जहां भी होटल में ठहरते हैं वहां आईडी प्रूफ देते हैं. यह बात अकसर लड़की के हक में जाती है. कोशिश यह होनी चाहिए कि लड़की अगर जिस्म सौंपने के एवज में शादी का वादा करे तो उस से बचना चाहिए, खासतौर से सोशल मीडिया और लव लैटर्स में झूठी हां नहीं करनी चाहिए.

यह ठीक है कि लड़की भी सबकुछ अपनी मरजी से कर रही होती है लेकिन पुष्पा की तरह वह कब पुलिस थाने जा पहुंचे इस की कोई गारंटी नहीं, इसलिए एहतियात बरतना जरूरी है. कई दफा कंडोम इस्तेमाल न करने से लड़कियां पेट से हो आती हैं. ऐसी हालत में वे पुलिस और अदालत में जाएं तो लड़कों का बचना मुश्किल हो जाता है. वजह, आजकल इस बाबत डीएनए टैस्ट होने लगा है और लड़के चाह कर भी झूठ बोल कर खुद को बचा नहीं सकते.

ऐसे भी फंसाती हैं आजकल की लड़कियों की सोच काफी बोल्ड होती जा रही है जो रजामंदी को जबरदस्ती बता कर ब्लैकमेल करने से भी नहीं चूकतीं.

कई मामलों में तो लड़कियां जानबूझ कर अपना सबकुछ लड़कों को सौंप देती हैं और इस के सुबूत भी इकट्ठा करती रहती हैं जिस से उन्हें फंसाया जा सके. ऐसा ही एक दिलचस्प और सबक सिखाने वाला मामला जून, 2018 के आखिरी हफ्ते में उजागर हुआ था. दिल्ली के एक कारोबारी पीएन विजय को पटना की एक लड़की प्रियंका ने फेसबुक पर अपने प्रेमजाल में फंसा कर 10 करोड़ रुपए ऐंठ लिए थे.

प्रियंका पटना के साकेतपुरी इलाके के रघुवरी कौंप्लैक्स के फ्लैट नंबर 404 में रहती थी. फेसबुकिया प्यार में ही इतनी भारीभरकम रकम लुटाने के बाद पीएन विजय को अपने ठगे जाने का अहसास हुआ तो उस ने दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच में इस की रिपोर्ट लिखाई.

पुलिस प्रियंका को दिल्ली ले कर आई तो पता चला कि वह तो पहले से ही शादीशुदा है और प्यारमुहब्बत की जज्बाती बातें करते हुए विजय से पैसे ऐंठ रही थी. इस काम में उस का पति सुमन भी साथ दे रहा था. यह रकम पीएन विजय ने प्रियंका द्वारा बताए गए दर्जनभर अलगअलग बैंक खातों में जमा की थी. जब पीएन विजय ने पैसे देने बंद कर दिए तो प्रियंका उसे सोशल मीडिया की बातचीत की बिना पर पुलिस में जाने की धमकी देने लगी थी.

अब इस मामले की जांच चल रही है लेकिन विजय मालीतौर पर अच्छाखासा लुटपिट चुका है. उसे भी यह अंदाजा नहीं था कि वह जिसे फंसाना समझ रहा है वह असल में खुद फंसना है.

बेहतरी तो इसी में है कि लड़की से दोस्ती या इश्क की राह में कदम फूंकफूंक कर रखे जाएं, नहीं तो लेने के देने पड़ जाते हैं.

सत्यकथा: सेक्सगेम के मकड़जाल में फंस रहे मासूम

लखनऊ में वजीरगंज थाने की पुलिस ने 29 मई, 2022 को एक व्यक्ति के साथ 14 साल के एक लड़के
को भी गिरफ्तार किया. नाबालिग लड़के ने उस के कहने पर साढ़े 4 लाख रुपए की चोरी की थी. इस में हैरानी की बात पुलिस के सामने यह आई कि लड़के को चोरी के लिए प्रतिबंधित औनलाइन गेम की लत लगाई गई थी. फिर कई चरणों में खेले जाने वाले गेम के एडवांस स्टेज के लिए पैसे की जरूरत होने पर उस ने अपने घर से रुपए चुराए.

नाबालिग लड़के पर एक महीने के भीतर अपने घर के कीमती सामान बेचने और घर के लौकर से साढ़े 4 लाख रुपए की चोरी करने के लिए भी कहा गया था. इस पर जब लड़के के पिता को शक हुआ, तब उन्होंने थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई.इस पूरे मामले की तहकीकात करने वाले वजीरगंज थाने के थानाप्रभारी राजेश मिश्रा के अनुसार लड़के के पिता ने दावा किया कि आरोपी ने पहले उन के बेटे को औनलाइन गेम खेलने का लालच दिया, और फिर अपने ही घर से रुपए चोरी करने के लिए उकसाया.
आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाने के तुरंत बाद अगले रोज ही अहमद उर्फ आफताब अहमद को उस के 17 वर्षीय सहयोगी के साथ गिरफ्तार कर लिया गया. जबकि 2 और नाबालिग लड़के फरार हो गए, जो रेस्टोरेंट में काम करते थे. उन्हीं में एक उस का भतीजा भी था.

अहमद मोबाइल फोन की एक दुकान पर काम करता था. अहमद से हुई पूछताछ से एक अलग बात का भी खुलासा हुआ. उस ने बताया कि उस ने अपने भतीजे और उस के दोस्त को पैसे खर्च कर एक औनलाइन गेम खेलते हुए पाया. वे इस के काफी दीवाने बने हुए थे.उन में नशे की तरह इस की लत लग चुकी थी. फिर हम ने अहमद नाम की एक आईडी का इस्तेमाल कर मासूम नाबालिगों को खेल का आदी बना कर उन्हें ठगने की योजना बनाई. उन के जाल में फंसने वाले ग्राहकों में 14 साल का एक बच्चा भी शामिल था.

आरोपी अहमद का भतीजा पीडि़त लड़के से परिचित था, क्योंकि वे साथ क्रिकेट खेलते थे और उसे औनलाइन गेम दिखाते थे. अंतत: उसे भी इस की लत लग गई थी.धीरेधीरे अहमद ने उसे यह कहते हुए खेल खेलने की अनुमति देनी बंद कर दी कि अन्य स्टेज में आगे बढ़ने के लिए पैसे की जरूरत होगी. आरोपी ने यह भी कहा कि अगर वह अन्य चरणों के लिए क्वालीफाई कर लेता है, तब उसे न केवल पुरस्कार के रूप में गोल्ड मेडल मिलेगा, बल्कि नकद पुरस्कार भी मिलेगा.

बच्चों में औनलाइन गेम के जरिए पैसे कमाने के अलावा सैक्स गेम की लत लगने का भी खतरा कम नहीं है. इसे ले कर पूरी दुनिया के मातापिता चिंतित हैं. औनलाइन सैक्स गेम्स की भरमार है, जो ऐप्स के जरिए मोबाइल में बहुत आसानी से घुस आते हैं.इस तरह के एक गेम में हस्तमैथुन, चुंबन, संभोग, स्खलन जैसे शब्दों के अलावा भद्दी गालियां और उत्तेजना जगाने वाले म्यूजिक एवं दूसरे किस्म की आवाजें भी होती हैं, जो 2-3 मिनट से भी कम समय में उत्तेजित कर देता है. यह सब स्मार्टफोन पर आसानी से उपलब्ध है.

इस की तह में जाने के लिए मोबाइल पोर्न गेम पर नजर डालनी होगी, जिस के कारोबार के साल 2021 तक भारत में करीब 7800 करोड़ रुपए हो जाने की संभावना जताई गई थी. यानी कि औनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री से जुड़े लोग मालामाल हो रहे हैं, जबकि बच्चे इस के जाल में फंसते जा रहे हैं.इस गेम के एक छोटे से अंश से समझा जा सकता है. एक कपल खुले में सैक्स कर रहा है और उस के आसपास खड़े लोग ऐसा करते हुए देख रहे हैं. साथ ही साथ अश्लील कमेंट्स भी कर रहे हैं. गेमिंग की दुनिया की यह एक हकीकत बन चुकी है. यह गेम रोबलाक्स का है, जिस की चर्चा पिछले दिनों मीडिया में हुई थी. इस में इस्तेमाल किए गए गंदे शब्दों के चलते जौर्डन में यह बैन कर दिया गया है.

रोबलाक्स एक औनलाइन गेम प्लेटफौर्म है. यह यूजर्स को गेम्स प्रोग्राम करने और दूसरे के बनाए गेम्स को खेलने का मौका देता है. कोविड महामारी के बाद इस में काफी तेजी आई.इस के कुछ गेम्स भले ही एजूकेशन से जुड़े हैं, लेकिन कुछ गेम्स बेहद आपत्तिजनक हैं. पिछले दिनों इस के कुछ गेम्स को ले कर बेहद आपत्ति जताई गई थी. जैसे एक गेम का स्वरूप इस तरह है—

एक सैक्स समस्या के साथ बच्चों का खेल रोबलाक्स कांडो है. इस गेम में एक नग्न पुरुष केवल एक कुत्ते का कौलर पहने हुए है और एक महिला उसे गुलाम की तरह घुमा रही है. 2 स्ट्रिपर्स उन के बगल में नाच रहे हैं. उन के द्वारा खुलेआम सैक्स करने, एकदूसरे को देखने और कभीकभार टिप्पणी करने वाले इस जोड़े के आसपास कई लोग जमा हो गए हैं. उन्हीं में एक आदमी नाजी वरदी पहने हुए है. यह सब बच्चों के गेमिंग प्लेटफौर्म का दृश्य है, जो बच्चों में सैक्स के प्रति ललक जगाने के लिए काफी है.
यह दुनिया के सब से लोकप्रिय बच्चों के खेल में से एक है. एक अनुमानित आंकड़े के अनुसार 2020 में रोबलाक्स 9 से 16 वर्ष की आयु के सभी अमेरिकी बच्चों में से दोतिहाई बच्चे इस खेल का उपयोग करते हैं.
यह अपने उपयोगकर्ताओं को एक साथ गेम बनाने और खेलने की अनुमति देता है. गेम खेलने वाले इस के जरिए एक निर्धारित समय में डिजिटल दुनिया में कई लोगों के साथ जुड़ जाते हैं. वैसे इस पर कई देशों जैसे जौर्डन, यूएई और उत्तर कोरिया में प्रतिबंध लगा दिया गया है.

यूएई का कहना है कि यह बच्चों के हेल्थ पर बुरा असर डाल रहा है, जबकि जौर्डन ने इस में भद्दे शब्दों की भरमार का आरोप लगाया. हैरानी की बात यह है कि अभी तक भारत में इसे बैन नहीं किया गया है, जबकि यहां कुछ गेम जैसे पबजी समेत कुछ ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है.

औनलाइन गेमिंग का बच्चों के ऊपर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करते समय बैंगलुरु की एक संस्था निमहांस (नैशनल इंस्टीट्यूट औफ मेंटल हेल्थ ऐंड न्यूरो साइसेंज) ने पाया कि 14 साल से ले कर 16 साल तक के बच्चों में इस के प्रति लत अधिक होती है.इसे देखते हुए यह सलाह दी गई है कि मोबाइल के साथ लगे रहने और उन के गेमिंग आदतों पर कंट्रोल मातापिता को करनी होगी. बच्चे अपने स्मार्टफोन पर वीडियो गेम खेलना पसंद करते हैं और धीरेधीरे सैक्स गेम्स के संपर्क में आ सकते हैं.
कारण गूगल प्ले पर मस्ती वाले गेम के अनगिनत ऐप्स हैं. स्मार्टफोन की लोकप्रियता लगातार बढ़ती ही जा रही है. लाखों ऐप्स जो रोजमर्रे के कामकाज और दूसरी जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाए गए हैं.

लेकिन कई ऐप्स ऐसे हैं, जो सिर्फ मनोरंजन और मजे के लिए बनाए गए हैं. इन्हीं में एक है सैक्स गेम. कहने को तो इसे मानसिक थकान मिटाने वाला कहा जाता है, लेकिन इस में मौजमस्ती के मूड वाले मसाले डाले जाते हैं.मजे की बात तो यह भी है कि ये ऐप्स बिलकुल फ्री में गूगल प्लेस्टोर से डाउनलोड किए जा सकते हैं. इन में उत्तेजना के साथसाथ सैक्स को तरहतरह से परोसा जाता है. मोबाइल पोर्न गेम्स विभिन्न सैक्स श्रेणियों के होते हैं, जो खेलने वाले को एक आभासी दुनिया में ले जाता है. रसदार आनंद के लिए प्रेरित करता है और एक चाहत की उम्मीद जगाता है.

इसे आसानी से मोबाइल पर किसी भी उम्र के व्यक्ति द्वारा खेला जा सकता है. कोई भी इसे खेल सकता है. वे सिर्फ सैक्स की दुनिया में रहते हुए अद्भुत मायालोक में विचरण करते हैं. इस तरह के खेलों में अच्छी तरह से लिखित कहानी होती है, जो खिलाडि़यों को कहानी में डूबने में मदद करती है, इसलिए यह और भी वास्तविक लगता है. इस के संवाद और म्यूजिक, ड्रेस, माहौल और नशे की दूसरी चीजें लुभाती हैं.

अच्छी तरह से लिखे गए प्लौट वाले गेम में खिलाड़ी पूरी तरह सुधबुध खो कर डूब जाता है. खिलाड़ी सैक्स गेम को एक वास्तविक कहानी के रूप में सोचने और उस के पात्रों के बीच भावनात्मक संबंध बनाने जैसा अनुभव करता है.किसी भी रूप में नग्नता या अश्लीलता वाले सभी खेलों को सैक्स गेम कह सकते हैं. आमतौर पर काल्पनिक कहानियों पर आधारित खेलों में खिलाड़ी अलगअलग भूमिकाएं निभाते हैं. इस तरह से पोर्न गेम बच्चों की रुचि का सैक्स खेल बन जाता है. शुरू में जब बच्चों को इन खेलों के बारे में अपने दोस्तों से पता चलता है तब वे छिपछिप कर खेलने लगते हैं.

कोई भी बच्चा खेल के ऐसे पात्रों को देख कर खुद को उसी रूप में देखता है और फिर अपनी यौन इच्छाओं को पूरा करने के लिए खेल खेलने की चाहत रखता है.पोर्न गेम से उस की भावना को संतुष्टि मिलती है. इस का असर बिगड़ी हुई आदतों के रूप होता है तो खेलों में यौन हिंसा से भी दिमाग प्रभावित हो जाता है, जो लंबे समय तक बना रहता है.यह कहा जा सकता है कि बच्चों पर सैक्स गेम्स का बेहद ही क्रूर प्रभाव पड़ता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि सैक्स गेम के आदी बच्चों में डिसेंसिटाइजेशन और टौलरेंस की समस्या भी होती है.

सत्यकथा: मैट्रिमोनी साइट का शातिर ठग

जवानी की दहलीज पर पांव रखते ही जवां दिल एक साथी की तलाश में बेचैन रहने लगता है. हरेक को एक ऐसे साथी की चाह होती है, जिस के साथ सुखदुख से भरा लंबा जीवन आराम से कट जाए. तनमन में प्रेम का ज्वारभाटा चलने लगता है. प्यार और सुरक्षा की अनुभूतियों से भरे विवाह बंधन में बंध जाने के लिए मन छटपटाने लगता है.

पहले जवां धड़कनों की यह ख्वाहिशें पूरी करने के लिए यानी उन के लिए उपयुक्त जीवनसाथी ढूंढने और उन का विवाह कराने के लिए पंडित, मुल्ला होते थे या घरों में काम करने वाली धोबिनें, नाइनें, मालिनें होती थीं, जो ढूंढढूंढ कर रिश्ते लाती थीं, पर अब इस का जिम्मा उठा लिया है इंटरनेट पर मौजूद अनेक शादी साइट्स ने.

हाईटेक युग में हाईटेक युवाओं के मन की इच्छाएं इंटरनेट के माध्यम से पूरी हो रही हैं. लेकिन इंटरनेट पर बनने वाले रिश्ते कितने सुरक्षित हैं, इस की पोल रोज ही किसी न किसी तरह सामने आ रही है.
आज पढ़ीलिखी और अपने घरों से दूर नौकरी करने वाली युवा पीढ़ी अपने जीवनसाथी में अपने जैसा या अपने से ज्यादा अच्छा व्यक्तित्व, पैसा, स्टेटस, शैक्षिक योग्यताएं और संपन्नता ढूंढती है.
इस खोज में उस का सब से बड़ा मददगार है शादी डौटकौम, जीवनसाथी डौटकौम, विवाह डौटकौम, भारत मैट्रीमोनी या इन की तरह की अन्य तमाम शादी और दोस्ती की साइट्स, जहां कोई भी अपनी पसंद के व्यक्ति को दोस्ती या शादी का औफर दे सकता है.

प्रतिदिन लाखों की संख्या में युवा लड़केलड़कियां एक तय रकम दे कर इन साइट्स पर खुद को रजिस्टर करा रहे हैं. इस से इन मैरिज साइट्स का धंधा भी खूब चमक रहा है. एक बार रजिस्ट्रैशन हो जाने के बाद आप के इनबौक्स में आप की इच्छाओं के अनुरूप सैकड़ों लोगों के प्रोफाइल आने शुरू हो जाते हैं. वहां उन के फोन नंबर, फोटो, एड्रेस और अन्य जानकारी सभी कुछ होता है. फोन नंबर पर लोग संपर्क साधते हैं, मीठीमीठी प्यार भरी बातें करते हैं, एकदूसरे के बारे में जानते हैं, एकदूसरे के मन में अपने प्रति विश्वास पैदा करते हैं.

फिर मुलाकातों का सिलसिला शुरू होता है और कई बार तो मामला शादी से पहले ही काफी आगे बढ़ जाता है. कभी शादी तक पहुंच जाता है और अगर नहीं पहुंच पाता तो नुकसान बहुतेरा हो जाता है.
ऐसे ही एक बड़े नुकसान से दिल्ली की एक डाक्टर गुजरी हैं, जो एक मैरिज साइट पर आ कर न सिर्फ मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक शोषण का शिकार हुईं, बल्कि अपने 15 लाख रुपए भी गंवा बैठीं.

दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कार्यरत युवा महिला डा. कामिनी (बदला हुआ नाम) ने जब अपना मैरिज प्रोफाइल बना कर एक मैरिज साइट पर डाला था, तब उन की कल्पनाओं में एक हैंडसम, अमीर, शिक्षित और मधुर व्यवहार वाले व्यक्ति का चित्र था. एक ऐसा जीवनसाथी जो उन को समझे, उन की कद्र करे और बेइंतहा प्यार करे.

डा. कामिनी के इनबौक्स में सैकड़ों युवकों के प्रोफाइल आए, जो उन से शादी के इच्छुक थे. कामिनी रोज ही अपने लिए उपयुक्त प्रोफाइल्स का चयन करती थीं. कुछ प्रोफाइल डिलीट कर देतीं तो कुछ सेव कर के रख लेती थीं. नौकरी और मरीजों से फुरसत पा कर वह उन सेव्ड प्रोफाइल वाले युवकों से बात करती थीं ताकि वह उन्हें समझ सकें कि वे उन के लायक हैं या नहीं. इन में से कुछ तो 2-4 बातों के बाद ही रिजेक्ट हो जाते थे, कुछ से कुछ लंबी बातचीत भी चलती थी.

मगर जिस दिन फरहान तासीर खान का प्रोफाइल उन के सामने आया और पसंद आने पर जब कामिनी की उस से बात हुई तो लगा कि उन की तलाश पूरी हो गई. उन के मन ने कहा कि बस यही वो व्यक्ति है, जिस का सपना उन्होंने अपने पति के रूप में देखा था.

बातचीत में फरहान शिष्टता और सौम्यता की प्रतिमूर्ति लगा. वह काफी हैंडसम दिखता था. अपने प्रोफाइल में उस ने लिखा था कि वह बहुत पैसे वाला है. उस के पास वीआईपी नंबर वाली बीएमडब्ल्यू कार है. उस का करोड़ों रुपए का कारोबार है और उस के आगेपीछे कोई नहीं है. सब से बड़ी बात यह कि उस की मीठी बोली और लच्छेदार बातें कामिनी के कानों में रस घोलती थीं.
चंद रोज की बातचीत में ही कामिनी पूरी तरह फरहान के मोहपाश में बंध गईं. वह सोतेजागते बस उस के ही सपने देखती थीं. सारीसारी रात उस के साथ मोबाइल फोन पर चैट करते बीत जाती थी.

फरहान कामिनी को अपनी रसभरी बातों में एक ऐसी दुनिया की सैर करवाता था, जिस की उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी. लंबेलंबे मीठेमीठे चुंबनों और प्यार भरी बातों के साथ विदेशों में सैरसपाटे के वादे पर कामिनी झूम जाती थी.
कामिनी को इस बात से बड़ी खुशी थी कि वह बिलकुल अकेला है. दुनिया में उस का कोई नहीं है. उस के पास अपार दौलत है और उसे एक प्यार करने वाली बीवी की तलाश है.
फरहान ने कामिनी को बताया कि उस के मातापिता का एक ऐक्सीडेंट में देहांत हो चुका है. उस के कोई भाईबहन नहीं है और पूरे कारोबार और घरसंपत्ति का वह इकलौता वारिस है. ऐसी प्रोफाइल वाले युवक के बारे में जान कर तो कोई भी लड़की खुश हो जाए.

कामिनी भी यह सुन कर बेहद खुश हुई. न सासससुर का झंझट न ननद, देवर या जेठ की किचकिच. फरहान से शादी करने के बाद तो वह किसी रानी की तरह रहेगी. डा. कामिनी ने अपनी तरफ से फरहान के प्रति प्यार जताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.
ऐसे उम्दा रिश्ते को वह किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहती थीं. वह तो फरहान पर ऐसी मर मिटी थीं कि उस के हर आदेश का सिर झुका कर पालन करने लगी थीं.
दोनों के बीच फोन पर बातचीत का सिलसिला कुछ दिन चला, मगर अब एकदूसरे से मिलने की इच्छाएं जोर पकड़ रही थीं. दोनों ने बाहर मिलना तय किया.
कामिनी पहली बार अपने सपनों के राजकुमार से मिलने के लिए सजधज कर घर से निकलीं. दोनों तय समय पर तय जगह पर मिले. थोड़ी झिझक थोड़ी शर्म के बाद दोनों बेतकल्लुफ भी हो गए.
फिर तो मिलनेमिलाने का सिलसिला भी चल पड़ा. वह कामिनी को अपनी वीआईपी नंबर वाली बीएमडब्लू कार में ले कर उड़ता फिरता और कामिनी अपने सपनों के शहजादे की बाहों में झूमती सातों आसमानों को पार कर उड़ती जाती, उड़ती जाती, उड़ती जाती.
फरहान ने कामिनी को अपने प्यार में पूरी तरह जकड़ लिया था. उस ने उन को इस बात का पूरा भरोसा दिला दिया था कि वही उस के जिस्म, जान, जमीन और जायदाद की मालकिन है.

कामिनी तो जैसे धन्य हो गई थी. उस की एकएक बात पर उन्हें पूरा भरोसा था. यहां तक कि जब फरहान ने अपने कारोबार में कुछ पैसा लगाने की बात कही तो बिना आगेपीछे सोचे उन्होंने उस को पैसे दे दिए.उस के बाद तो कारोबार के नाम पर धीरेधीरे फरहान ने कामिनी से 15 लाख रुपए झटक लिए. उन्होंने भी यह सोच कर पैसे दे दिए कि अंतत: तो वह उन का ही है.

लेकिन फरहान 15 लाख ले कर चंपत हो गया. कामिनी ने उसे कई फोन किए, उस के दिखाए ठिकानों पर तलाशा, मगर वह तो ऐसा गायब हुआ जैसे गधे के सिर से सींग. डा. कामिनी सातवें आसमान से सीधे औंधे मुंह जमीन पर गिरीं.आखें खुलीं, प्रेम की मृगमरीचिका से निकल कर बाहर देखा तो पता चला सब धोखा था. बहुत बड़ा छल. उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि इतनी क्वालीफाइड होने के बाद एक डाक्टर होने के बावजूद वह इतने लंबे समय तक उस के धोखे में कैसे फंसी रहीं. उस पर कभी भी उन्हें संदेह नहीं हुआ. ऐसा बेहतरीन ऐक्टर था फरहान तासीर खान.

कामिनी गुस्से की आग में जल रही थीं. उन्होंने फरहान को जेल भेजने की ठान ली और दक्षिण दिल्ली पुलिस के साइबर क्राइम सेल में 26 मार्च, 2022 को उस के खिलाफ मामला दर्ज कराया.डा. कामिनी की शिकायत सुन कर साइबर क्राइम सेल के इंचार्ज अरुण कुमार वर्मा भी हैरत में पड़ गए. मगर उन्होंने कामिनी को यकीन दिलाया कि पुलिस जल्द ही फरहान तक पहुंच जाएगी. उन्होंने डा. कामिनी से वह सारी डिटेल्स ले लीं, जो फरहान से जुड़ी हुई थी या फरहान ने कभी उन को बताई थी.

दक्षिणी दिल्ली की डीसीपी बनिता मैरी जैकर ने इस केस के खुलासे के लिए एडिशनल डीसीपी हर्षवर्धन की देखरेख में एक पुलिस टीम बनाई.टीम में एसीपी (औपरेशन) राजेश कुमार, साइबर सेल इंचार्ज अरुण कुमार वर्मा, एसआई संजय सिंह, हैडकांस्टेबल धर्मेंद्र, लेडी कांस्टेबल राजू आदि को शामिल किया गया.पुलिस टीम आरोपी फरहान को तलाशने लगी. फरहान तक पहुंचने के लिए टीम को खासी मशक्कत करनी पड़ी. जांच के दौरान पुलिस ने मैट्रिमोनियल साइट्स, टीएसयू, बैंकों और अन्य पोर्टलों से आरोपी की डिटेल्स भी एकत्रित कर ली.

जांच शुरू हुई तो पता चला कि आरोपी फरहान तासीर खान ने जीवनसाथी डौटकौम पर एक नहीं, बल्कि अपनी कई प्रोफाइल अलगअलग फोटो से बनाई थीं. इस के अलावा उस ने कई शादी साइट्स पर भी प्रोफाइल बना रखी थीं.वह इन प्रोफाइल्स के जरिए यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, दिल्ली, पंजाब, मुंबई, ओडिशा, कर्नाटक और देश के अन्य शहरों में तमाम लड़कियों के साथ बातचीत करता था.जांच में पाया गया कि वह भारत के विभिन्न शहरों की 100 से ज्यादा लड़कियों के साथ संपर्क में रहा, उन से शादी के झूठे वादे किए, संबंध बनाए और पैसे ऐंठे.

आरोपी के तमाम दस्तावेजों और डिटेल्स को एकत्र कर के और डा. कामिनी से मिले फोन नंबरों को ट्रैकिंग पर डालने के बाद पुलिस टीम ने कोलकाता से फरहान तासीर खान को ट्रेस करना शुरू किया. उस तक पहुंचने में पुलिस को ज्यादा वक्त नहीं लगा.18 दिन के सर्च अभियान के बाद पुलिस ने फरहान को पहाड़गंज के एक होटल से पकड़ लिया, जहां वह किसी नई चिडि़या की तलाश में बैठा था. पुलिस ने उस के पास से एक मोबाइल फोन, 4 सिमकार्ड, बीएमडब्ल्यू कार, 9 एटीएम कार्ड और एक कलाई घड़ी भी बरामद की.

डीसीपी (दक्षिण) बनिता मैरी जैकर ने ‘मनोहर कहानियां’ को बताया कि पुलिस और साइबर सेल की छानबीन में पता चला कि फरहान तासीर खान ने कई वैवाहिक पोर्टल पर अपनी अलगअलग आईडी बना रखी थीं, जिन के माध्यम से उस ने उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, दिल्ली, पंजाब, मुंबई, ओडिशा और कर्नाटक सहित अन्य राज्यों की कई महिलाओं से दोस्ती की थी.
अपनी मैरिज प्रोफाइल में फरहान ने खुद को अविवाहित बताया था और यह भी लिखा था कि उस के परिवार में उस के सिवा और कोई नहीं है. उस ने लिखा था कि उस के मातापिता की एक ऐक्सीडेंट में मृत्यु हो चुकी है और उस का कोई भाई या बहन नहीं है.

अकेला और अमीर होने का उस का लालच लड़कियों को उस की तरफ आकर्षित करता था. उस के झांसे में आ कर कई लड़कियां उस की शिकार हो गई.डीसीपी बनिता मैरी जैकर ने बताया कि फरहान वीवीआईपी पंजीकरण नंबर वाली कार से चलता था और महिलाओं को प्रभावित करने के लिए कहता था कि यह कार उस की अपनी है. जबकि वह कार उस के एक रिश्तेदार की निकली.

इस के अलावा वह एक शहर से दूसरे शहर की यात्राएं करते वक्त लड़कियों के साथ वीडियो काल करता था, ताकि वह यह दिखा सके कि वह कितना अमीर है.उस ने जिन युवतियों को अपने जाल में फंसाया था, उन को उस ने बताया कि उस की सालाना आमदनी 30 से 40 लाख रुपए है और कई बड़े शहरों में उस के मकान हैं. जबकि वह अपने पिता के साथ एक किराए के घर में रहता था.अपना रौब गालिब करने के लिए फरहान तासीर खान वीआईपी नंबर 0005 वाली बीएमडब्ल्यू कार में लड़कियों से मुलाकात करता था और फिर बातों में फंसाने के बाद अपने बिजनैस सेटअप और आगे की जरूरतों के लिए उन से पैसे ऐंठ लेता था.

वह हवाई और एसी ट्रेनों से एक शहर से दूसरे शहर की यात्रा करता था. वह विभिन्न शहरों के आलीशान होटलों में रुकता था. इस दौरान खुद को अमीर और अपनी आलीशान लाइफस्टाइल वाला दिखाने के लिए वह लड़कियों के साथ खूब वीडियो कालिंग करता था.
पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ कि फरहान ने महज 12वीं तक ही पढ़ाई की थी. जबकि मैट्रिमोनियल साइट पर उस ने अपने प्रोफाइल में लिखा है कि उस ने बैचलर औफ इंजीनियरिंग और एमबीए की पढ़ाई की है.
मैट्रिमोनियल साइट्स पर खुद के अविवाहित होने की बात कह कर लड़कियों को अपने जाल में फंसाने वाला फरहान शादीशुदा निकला. उस की शादी साल 2015 में हुई थी और उस की 3 साल की एक बेटी भी है. उस की एक बहन है, जो शादीशुदा है. उस का परिवार मूलरूप से स्टेशन रोड, फरिश्ता कौंप्लेक्स, तकियांपारा, ओडिशा का रहने वाला है.

पुलिस ने फरहान तासीर खान से पूछताछ करने के बाद उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

प्रेमी की खातिर पति को मौत का संदेश: भाग 1

घटना मध्य प्रदेश के जिला झाबुआ के एक गांव कोडि़याछीतू की है. थानाप्रभारी क्षेत्र में गश्त पर निकले थे, तभी थाने से सूचना मिली कि रंभापुर के पास पिपलौदा बड़ा में एक शव मिला है. यह सूचना मिलते ही थानाप्रभारी अपनी टीम के साथ मौके के लिए रवाना हो गए.

3 और 4 जून की रात आधी से अधिक बीत चुकी थी, बिस्तर पर करवट बदलते हुए सोने की कोशिश कर रहा लकी पांचाल बारबार तकिए के नीचे रखे मोबाइल फोन की तरफ देख रहा था. उस रात वह अपनी पत्नी नीलम द्वारा दिए जाने वाले सरप्राइज का इंतजार कर रहा था.

झाबुआ में मेघनगर नाका निवासी संपन्न किसान के बेटे लकी पांचाल की शादी 5 महीने पहले गुजरात के दाहोद इलाके के कस्बे कटला में रहने वाली नीलम के साथ हुई थी. नीलम जैसी खूबसूरत पत्नी पा कर लकी एक तरफ जहां बेहद खुश था, वहीं इस बात को ले कर परेशान भी कम नहीं था कि शादी के बाद भी नीलम का मन मायके में ही ज्यादा लगता है. इसलिए वह लकी के पास कम और अपने मायके में ज्यादा रहती थी.

उस ने लकी को भी बारबार फोन करने से भी मना कर रखा था. और खुद लकी को यदाकदा ही 2-4 मिनट के लिए फोन लगाती थी. लकी के पिता जितेंद्र की मृत्यु हो जाने से घर की जिम्मेदारी उसी के सिर पर थी, इसलिए वह पत्नी के इस व्यवहार से दुखी जरूर था. लेकिन इस तरफ ध्यान देने का उस के पास ज्यादा वक्त नहीं था.

एक बार तो पत्नी की दूरी से परेशान लकी ने नीलम की बात को दरकिनार कर कटला जा कर उस से मिलने की कोशिश की. नीलम को जब पता चला कि लकी कटला आ रहा है तो वह खुद अकेली अपने मायके से चल कर आधे रास्ते में आ कर लकी से मिली और उसे साथ ले कर वापस ससुराल झाबुआ आ गई.

लकी को मतलब नीलम से था न कि ससुराल के शहर कटला से. सो वह नीलम की इस हरकत पर ध्यान दिए बिना खुशीखुशी उसे आधे रास्ते से ले कर झाबुआ वापस आ गया. लेकिन उस की यह खुशी 4 दिन ही साथ रही. पांचवें दिन मायके की याद आ रही है, कह कर वह लकी के लाख रोकने के बावजूद वापस मायके चली गई.

तभी से नीलम मायके में ही थी. 1-2 बार लकी ने उसे लिवाने के लिए कटला आने को कहा, लेकिन नीलम ने मना कर दिया. मगर 3 जुलाई, 2022 की शाम नीलम ने लकी को फोन कर के न केवल 15-20 मिनट लंबी बात की बल्कि उस ने कहा कि आज रात मेरे फोन का इंतजार करना, मैं तुम्हें सरप्राइज देने वाली हूं. इसलिए 3-4 जून की उस रात में लकी पांचाल करवटें बदलते हुए पत्नी के फोन का इंतजार कर रहा था.

आधी रात गुजर जाने पर भी जब नीलम का फोन नहीं आया तो वह निराशा के भंवर में डूब गया. तभी अचानक एक अंजान नंबर से उस के मोबाइल की घंटी बज उठी. लकी ने फोन उठाया तो उधर से नीलम की आवाज सुन कर चौंकते हुए बोला, ‘‘यह किस नंबर से फोन किया तुम ने?’’

‘‘तुम्हें फोन नंबर से मतलब है या अपनी नीलम से?’’ नीलम बोली.

‘‘अरे, मतलब तो तुम्हीं से है यार. बस ऐसे ही पूछ लिया. अब जल्दी से सरप्राइज बता दो.’’ लकी ने कहा.

‘‘तुम बताओ, मैं तुम्हें क्या सरप्राइज दे सकती हूं?’’

‘‘मुझे क्या पता, तुम्हीं बताओ.’’

‘‘तो सुनो, कल मुझे लेने कटला आ जाओ.’’

‘‘क्या?’’ नीलम की बात सुन कर लकी चौंक उठा.

‘‘हां, सच में. तुम बहुत याद आ रहे हो. कल पूरी रात तुम्हें ही याद करती रही, इसलिए सोच लिया था कि अब तुम से दूर नहीं रहना. यह बात तुम्हें शाम को भी बता सकती थी. फिर सरप्राइज का मजा खराब हो जाता. तुम्हें सरप्राइज देने के लिए ही तो दूसरे नंबर से काल किया है. बोलो, कल कितने बजे निकलोगे घर से?’’

‘‘यार कल तो खेत पर जरूरी काम है, इसलिए समय नहीं बता सकता. लेकिन आऊंगा जरूर.’’

‘‘आ ही जाना, नहीं तो सोच लो. अगर नहीं आए तो सुहागरात में तो मैं मान भी गई थी कल नहीं आए तो फिर मनाते रहना जिंदगी भर, तुम्हारी नीलम नहीं मानने वाली.’’ वह बोली.

‘‘अरे नहीं यार, ऐसा मत करना. मैं जरूर आऊंगा, तुम अपनी तैयारी रखना.’’

‘‘किस बात की तैयारी..?’’ कह कर नीलम शरारत से हंसी तो उस की बात का मतलब समझते हुए लकी बोला, ‘‘हर बात की.’’

‘‘ठीक है यार, मैं भी हर बात के लिए तैयार हूं, बस तुम आ जाओ और मुझे अपने पास ले चलो.’’

इस के बाद नीलम काफी देर तक लकी से बात करती रही. इस दौरान वह बारबार उस पर अगले दिन कटला आने का दबाव बनाती रही. लकी तो खुद चाहता था कि नीलम उस के साथ रहे. इसलिए सुबह होते ही उस ने यह खुशखबरी अपनी मां को सुना दी कि वह आज नीलम को लेने कटला जाएगा. खुद नीलम ने फोन कर के ससुराल आने की इच्छा जाहिर की है. यह सुन कर मां खुश हो गई.

4 जून, 2022 को लकी शाम लगभग 5 बजे बाइक ले कर कटला के लिए निकल पड़ा. घर से निकलते ही पत्नी के कहे अनुसार उसे फोन कर अपने झाबुआ से निकल जाने की जानकारी दी.

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