बाबूलाल ने मुसकरा कर कहा, ‘‘हर बात हर आदमी को नहीं बताई जाती, मैं जैसा भी हूं खुश हूं. मुझे और ज्यादा क्या चाहिए, मैं तो सेवक आदमी हूं.