मां की मौत के बाद ऋजुता ही अनुष्का का सब से बड़ा सहारा थी. अनुष्का को क्या करना है, यह ऋजुता ही तय करती थी. वही तय करती थी कि अनुष्का को क्या पहनना है, किस के साथ खेलना है, कब सोना है. दोनों की उम्र में 10 साल का अंतर था. मां की मौत के बाद ऋजुता ने मां की तरह अनुष्का को ही नहीं संभाला, बल्कि घर की पूरी जिम्मेदारी वही संभालती थी.
ऋजुआ तो मनु का भी उसी तरह खयाल रखना चाहती थी, पर मनु उम्र में मात्र उस से ढाई साल छोटा था. इसलिए वह ऋजुता को अभिभावक के रूप में स्वीकार करने को तैयार नहीं था. तमाम बातों में उन दोनों में मतभेद रहता था. कई बार तो उन का झगड़ा मौखिक न रह कर हिंसक हो उठता था. तब अंगूठा चूसने की आदत छोड़ चुकी अनुष्का तुरंत अंगूठा मुंह में डाल लेती. कोने में खड़ी हो कर वह देखती कि भाई और बहन में कौन जीतता है.
कुछ भी हो, तीनों भाईबहनों में पटती खूब थी. बड़ों की दुनिया से अलग रह सकें, उन्होंने अपने आसपास इस तरह की एक दीवार खड़ी कर ली थी, जहां निश्चित रूप से ऋजुता का राज चलता था. मनु कभीकभार विरोध करता तो मात्र अपना अस्तित्व भर जाहिर करने के लिए.
अनुष्का की कोई ऐसी इच्छा नहीं होती थी. वह बड़ी बहन के संरक्षण में एक तरह का सुख और सुरक्षा की भावना का अनुभव करती थी. वह सुंदर थी, इसलिए ऋजुता को बहुत प्यारी लगती थी. यह बात वह कह भी देती थी. अनुष्का की अपनी कोई इच्छाअनिच्छा होगी, ऋजुता को कभी इस बात का खयाल नहीं आया.
अगर अविनाश को दूसरी शादी न करनी होती तो घर में सबकुछ इसी तरह चलता रहता. घर में दादी मां यानी अविनाश की मां थीं ही, इसलिए बच्चों को मां की कमी उतनी नहीं खल रही थी. घर के संचालन के लिए या बच्चों की देखभाल के लिए अविनाश का दूसरी शादी करना जरूरी नहीं रह गया था.
इस के बावजूद उस ने घर में बिना किसी को बताए दूसरी शादी कर ली. अचानक एक दिन शाम को एक महिला के साथ घर आ कर उस ने कहा, ‘‘तुम लोगों की नई मम्मी.’’
उस महिला को देख कर बच्चे स्तब्ध रह गए. वे कुछ कहते या इस नई परिस्थिति को समझ पाते, उस के पहले ही अविनाश ने मां की ओर इशारा कर के कहा, ‘‘संविधा, यह मेरी मां है.’’
बूढ़ी मां ने सिर झुका कर पैर छू रही संविधा के सिर पर हाथ तो रखा, पर वह कहे बिना नहीं रह सकीं. उन्होंने कहा, ‘‘बेटा, इस तरह अचानक… कभी सांस तक नहीं ली, चर्चा की होती तो 2-4 सगेसंबंधी बुला लेती.’’
‘‘बेकार का झंझट करने की क्या जरूरत है मां.’’ अविनाश ने लापरवाही से कहा.
‘‘फिर भी कम से कम मुझ से तो बताना चाहिए था.’’
‘‘क्या फर्क पड़ता है,’’ अविनाश ने उसी तरह लापरवाही से कहा, ‘‘नोटिस तो पहले ही दे दी थी. आज दोपहर को दस्तखत कर दिए. संविधा का यहां कोई सगासंबंधी नहीं है. एक भाई है, वह दुबई में रहता है. रात को फोन कर के बता देंगे. बेटा ऋजुता, मम्मी को अपना घर तो दिखाओ.’’
उस समय क्या करना चाहिए, यह ऋजुता तुरंत तय नहीं कर सकी. इसलिए उस समय अविनाश की जीत हुई. घर में जैसे कुछ खास न हुआ हो, अखबार ले कर सोफे पर बैठते हुए उस ने मां से पूछा, ‘‘मां, किसी का फोन या डाकवाक तो नहीं आई, कोई मिलनेजुलने वाला तो नहीं आया?’’
संविधा जरा भी नरवस नहीं थी. अविनाश ने जब उस से कहा कि हमारी शादी हम दोनों का व्यक्तिगत मामला है. इस से किसी का कोई कुछ लेनादेना नहीं है. तब संविधा उस की निडरता पर आश्चर्यचकित हुई थी. उस ने अविनाश से शादी के लिए तुरंत हामी भर दी थी. वैसे भी अविनाश ने उस से कुछ नहीं छिपाया था. उस ने पहले ही अपने बच्चों और मां के बारे में बता दिया था. पर इस तरह बिना किसी तैयारी के नए घर में, नए लोगों के बीच…
‘‘चलो,’’ ऋजुता ने बेरुखी से कहा.
संविधा उस के साथ चल पड़ी. उसे पता था कि विधुर के साथ शादी करने पर रिसैप्शन या हनीमून पर नहीं जाया जाता, पर घर में तो स्वागत होगा ही. जबकि वहां ऐसा कुछ भी नहीं था. अविनाश निश्चिंत हो कर अखबार पढ़ने लगा था. वहीं यह 17-18 साल की लड़की घर की मालकिन की तरह एक अनचाहे मेहमान को घर दिखा रही थी. घर के सब से ठीकठाक कमरे में पहुंच कर ऋजुता ने कहा, ‘‘यह पापा का कमरा है.’’
‘‘यहां थोड़ा बैठ जाऊं?’’ संविधा ने कहा.
‘‘आप जानो, आप का सामान कहां है?’’ ऋजुता ने पूछा.
‘‘बाद में ले आऊंगी. अभी तो ऐसे ही…’’
‘‘खैर, आप जानो.’’ कह कर ऋजुता चली गई.
पूरा घर अंधकार से घिर गया तो ऋजुता ने फुसफुसाते हुए कहा, ‘‘मनु, तू जाग रहा है?’’
‘‘हां,’’ मनु ने कहा, ‘‘दीदी, अब हमें क्या करना चाहिए?’’
‘‘हमें भाग जाना चाहिए.’’ ऋजुता ने कहा.
‘‘कहां, पर अनुष्का तो अभी बहुत छोटी है. यह बेचारी तो कुछ समझी भी नहीं.’’
‘‘सब समझ रही हूं,’’ अनुष्का ने धीरे से कहा.
‘‘अरे तू जाग गई?’’ हैरानी से ऋजुता ने पूछा.
‘‘मैं अभी सोई ही कहां थी,’’ अनुष्का ने कहा और उठ कर ऋजुता के पास आ गई. ऋजुता उस की पीठ पर हाथ फेरने लगी. हाथ फेरते हुए अनजाने में ही उस की आंखों में आंसू आ गए. भर्राई आवाज में उस ने कहा, ‘‘अनुष्का, तू मेरी प्यारी बहन है न?’’
‘‘हां, क्यों?’’
‘‘देख, वह जो आई है न, उसे मम्मी नहीं कहना. उस से बात भी नहीं करनी. यही नहीं, उस की ओर देखना भी नहीं है.’’ ऋजुता ने कहा.
‘‘क्यों?’’ अनुष्का ने पूछा.
‘‘वह अपनी मम्मी थोड़े ही है. वह कोई अच्छी औरत नहीं है. वह हम सभी को धोखा दे कर अपने घर में घुस आई है.’’
‘‘चलो, उसे मार कर घर से भगा देते हैं,’’ मनु ने कहा.
‘‘मनु, तुझे अक्ल है या नहीं? अगर हम उसे मारेंगे तो पापा हम से बात नहीं करेंगे.’’
‘‘भले न करें बात, पर हम उसे मारेंगे.’’
‘‘ऐसा नहीं कहते मनु, पापा उसे ब्याह कर लाए हैं.’’
‘‘तो फिर क्या करें?’’ मनु ने कहा, ‘‘मुझे वह जरा भी अच्छी नहीं लगती.’’
‘‘मुझे भी. अनुष्का तुझे?’’