Best of Manohar Kahaniya- पति की गरदन पर प्रेमी का वार: भाग 1

सौजन्य-मनोहर कहानियां

रविवार 14 जुलाई, 2019 का दिन था. दोपहर का समय था. जालौर के एसपी हिम्मत अभिलाष टाक को फोन पर सूचना मिली कि बोरटा-लेदरमेर ग्रेवल सड़क के पास वन विभाग की जमीन पर एक व्यक्ति का नग्न अवस्था में शव पड़ा है.

एसपी टाक ने तत्काल भीनमाल के डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई को घटना से अवगत कराया और घटनास्थल पर जा कर काररवाई करने के निर्देश दिए. एसपी के निर्देश पर डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई तत्काल घटनास्थल की ओर रवाना हो गए, साथ ही उन्होंने थाना रामसीन में भी सूचना दे दी. उस दिन थाना रामसीन के थानाप्रभारी छतरसिंह देवड़ा अवकाश पर थे. इसलिए सूचना मिलते ही मौजूदा थाना इंचार्ज साबिर मोहम्मद पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

घटनास्थल पर आसपास के गांव वालों की भीड़ जमा थी. वहां वन विभाग की खाई में एक आदमी का नग्न शव पड़ा था. आधा शव रेत में दफन था. उस का चेहरा कुचला हुआ था. शव से बदबू आ रही थी, जिस से लग रहा था कि उस की हत्या शायद कई दिन पहले की गई है.

वहां पड़ा शव सब से पहले एक चरवाहे ने देखा था. वह वहां सड़क किनारे बकरियां चरा रहा था. उसी चरवाहे ने यह खबर आसपास के लोगों को दी थी. कुछ लोग घटनास्थल पर पहुंचे और पुलिस को खबर कर दी.

मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को खाई से बाहर निकाल कर शिनाख्त कराने की कोशिश की, मगर जमा भीड़ में से कोई भी मृतक की शिनाख्त नहीं कर सका. शव से करीब 20 मीटर की दूरी पर किसी चारपहिया वाहन के टायरों के निशान मिले. इस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि हत्यारे शव को किसी गाड़ी में ले कर आए और यहां डाल कर चले गए.

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पुलिस ने घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र किए. शव के पास ही खून से सनी सीमेंट की टूटी हुई ईंट भी मिली. लग रहा था कि उसी ईंट से उस के चेहरे को कुचला गया था. कुचलते समय वह ईंट भी टूट गई थी.

मौके की सारी काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए राजकीय चिकित्सालय की मोर्चरी भिजवा दिया. डाक्टरों की टीम ने उस का पोस्टमार्टम किया.

जब तक शव की शिनाख्त नहीं हो जाती, तब तक जांच आगे नहीं बढ़ सकती थी. शव की शिनाख्त के लिए पुलिस ने मृतक के फोटो वाट्सऐप पर शेयर कर दिए. साथ ही लाश के फोटो भीनमाल, जालौर और बोरटा में तमाम लोगों को दिखाए. लेकिन कोई भी उसे नहीं पहचान सका.

सोशल मीडिया पर मृतक का फोटो वायरल हो चुका था. जालौर के थाना सिटी कोतवाली में 2 दिन पहले कालेटी गांव के शैतानदान चारण नाम के एक शख्स ने अपने रिश्तेदार डूंगरदान चारण की गुमशुदगी दर्ज कराई थी.

कोतवाली प्रभारी को जब थाना रामसीन क्षेत्र में एक अज्ञात लाश मिलने की जानकारी मिली तो उन्होंने लाश से संबंधित बातों पर गौर किया. उस लाश का हुलिया लापता डूंगरदान चारण के हुलिए से मिलताजुलता था. कोतवाली प्रभारी बाघ सिंह ने डीएसपी भीनमाल हुकमाराम को सारी बातें बताईं.

मारा गया व्यक्ति डूंगरदान चारण था

इस के बाद एसपी जालौर ने 2 पुलिस टीमों का गठन किया, इन में एक टीम भीनमाल थाना इंचार्ज साबिर मोहम्मद के नेतृत्व में गठित की गई, जिस में एएसआई रघुनाथ राम, हैडकांस्टेबल शहजाद खान, तेजाराम, संग्राम सिंह, कांस्टेबल विक्रम नैण, मदनलाल, ओमप्रकाश, रामलाल, भागीरथ राम, महिला कांस्टेबल ब्रह्मा शामिल थी.

दूसरी पुलिस टीम में रामसीन थाने के एएसआई विरधाराम, हैडकांस्टेबल प्रेम सिंह, नरेंद्र, कांस्टेबल पारसाराम, राकेश कुमार, गिरधारी लाल, कुंपाराम, मायंगाराम, गोविंद राम और महिला कांस्टेबल धोली, ममता आदि को शामिल किया गया.

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डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई दोनों पुलिस टीमों का निर्देशन कर रहे थे. जालौर के कोतवाली निरीक्षक बाघ सिंह ने उच्चाधिकारियों के आदेश पर डूंगरदान चारण की गुमशुदगी दर्ज कराने वाले उस के रिश्तेदार शैतानदान को राजदीप चिकित्सालय की मोर्चरी में रखी लाश दिखाई तो उस ने उस की शिनाख्त अपने रिश्तेदार डूंगरदान चारण के रूप में कर दी.

मृतक की शिनाख्त होने के बाद पुलिस ने उस के परिजनों से संपर्क किया तो इस मामले में अहम जानकारी मिली. मृतक की पत्नी रसाल कंवर ने पुलिस को बताया कि उस के पति डूंगरदान 12 जुलाई, 2019 को जालौर के सरकारी अस्पताल में दवा लेने गए थे.

वहां से घर लौटने के बाद पता नहीं वे कहां लापता हो गए, जिस की थाने में सूचना भी दर्ज करा दी थी. रसाल कंवर ने पुलिस को अस्पताल की परची भी दिखाई. पुलिस टीम ने अस्पताल की परची के आधार पर जांच की.

पुलिस ने राजकीय चिकित्सालय जालौर के 12 जुलाई, 2019 के सीसीटीवी फुटेज की जांच की तो पता चला कि डूंगरदान को काले रंग की बोलेरो आरजे14यू बी7612 में अस्पताल तक लाया गया था.

उस समय डूंगरदान के साथ उस की पत्नी रसाल कंवर के अलावा 2 व्यक्ति भी फुटेज में दिखे. उन दोनों की पहचान मोहन सिंह और मांगीलाल निवासी भीनमाल के रूप में हुई. पुलिस जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही थी.

पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज जांच के बाद गांव के विभिन्न लोगों से पूछताछ की तो सामने आया कि मृतक डूंगरदान चारण की पत्नी रसाल कंवर से मोहन सिंह राव के अवैध संबंध थे. इस जानकारी के बाद पुलिस ने रसाल कंवर और मोहन सिंह को थाने बुला कर सख्ती से पूछताछ की.

मांगीलाल फरार हो गया था. रसाल कंवर और मोहन सिंह राव ने आसानी से डूंगरदान की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया.

केस का खुलासा होने की जानकारी मिलने पर पुलिस के उच्चाधिकारी भी थाने पहुंच गए. उच्चाधिकारियों के सामने आरोपियों से पूछताछ कर डूंगरदान हत्याकांड से परदा उठ गया.

पुलिस ने 16 जुलाई, 2019 को दोनों आरोपियों मृतक की पत्नी रसाल कंवर एवं उस के प्रेमी मोहन सिंह राव को कोर्ट में पेश कर 2 दिन के रिमांड पर ले लिया. रिमांड के दौरान उन से विस्तार से पूछताछ की गई तो डूंगरदान चारण की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस तरह थी—

मृतक डूंगरदान चारण मूलरूप से राजस्थान के जालौर जिले के बागौड़ा थानान्तर्गत गांव कालेटी का निवासी था. उस के पास खेती की थोड़ी सी जमीन थी. वह उस जमीन पर खेती के अलावा दूसरी जगह मेहनतमजदूरी करता था. उस की शादी करीब एक दशक पहले जालौर की ही रसाल कंवर से हुई थी.

करीब एक साल बाद रसाल कंवर एक बेटे की मां बनी तो परिवार में खुशियां बढ़ गईं. बाद में वह एक और बेटी की मां बन गई. जब डूंगरदान के बच्चे बड़े होने लगे तो वह उन के भविष्य को ले कर चिंतित रहने लगा.

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गांव में अच्छी पढ़ाई की व्यवस्था नहीं थी, लिहाजा डूंगरदान अपने बीवीबच्चों के साथ गांव कालेटी छोड़ कर भीनमाल चला गया और वहां लक्ष्मीमाता मंदिर के पास किराए का कमरा ले कर रहने लगा. भीनमाल कस्बा है. वहां डूंगरदान को मजदूरी भी मिल जाती थी. जबकि गांव में हफ्तेहफ्ते तक उसे मजदूरी नहीं मिलती थी.

आशिकी के लिए दोस्ती

डूंगरदान के पड़ोस में ही मोहन सिंह राव का आनाजाना था. मोहन सिंह राव पुराना भीनमाल के नरता रोड पर रहता था. वह अपराधी प्रवृत्ति का रसिकमिजाज व्यक्ति था. उस की नजर रसाल कंवर पर पड़ी तो वह उस का दीवाना हो गया. मोहन सिंह ने इस के लिए ही डूंगरदान से दोस्ती की थी. इस के बाद वह उस के घर आनेजाने लगा.

अगले भाग में पढ़ें- रसाल कंवर पति के खून से अपने हाथ रंगने को  हुई तैयार 

Manohar Kahaniya: बबिता का खूनी रोहन- भाग 2

इस दौरान इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक की टीम ने भीमराज की पत्नी बबीता से जब पूछताछ शुरू की तो पता चला की भीमराज ने चिराग दिल्ली गांव में अपना मकान बना रखा था, जहां वह अपनी पत्नी बबीता व 3 बच्चों के साथ रहता था.

भीमराज और बबीता के 3 बच्चों में 2 बेटी और एक बेटा था. बड़ी बेटी की उम्र करीब 19 साल थी, जबकि छोटी बेटी 15 साल की थी. उन के बीच 17 साल का एक बेटा था.

बबीता आई शक के दायरे में

42 साल की बबीता आकर्षक व तीखे नाकनक्श वाली महिला थी. इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक को पूछताछ की शुरुआत में ही लगा कि बबीता को अपने पति के साथ हुई इस गंभीर वारदात का मानो कोई रंज नहीं है.

इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक के हर सवाल का बबीता इतने सहज भाव से जवाब दे रही थी, मानो कुछ हुआ ही नहीं था.

पुलिस की नौकरी करते करते हुए अनुभव में जितेंद्र मलिक ने इस तरह के कई हादसे देखे थे, जिस में मृत्यु की शैय्या पर पड़े पति के गम और आशंका में पत्नी का रोरो कर बुरा हाल हो जाता है और उसे कोई सुधबुध नहीं रहती. लेकिन बबीता न सिर्फ इंसपेक्टर मलिक के हर सवाल का सहजता से जवाब दे रही थी अपितु जब उन्होंने उस के लिए चाय मंगाई तो वह पूरी सहजता के साथ चाय भी पी गई.

किसी पीडि़त की पत्नी का ऐसा व्यवहार इंसपेक्टर मलिक को थोड़ा अटपटा लगा. हालांकि बबीता ने पूछताछ में यह बात साफ कर दी थी कि उस के पति की किसी से उस की दुश्मनी या रंजिश के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है.

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बबीता ने यह भी बताया कि उस के पति भीमराज की संगत ठीक नहीं थी. वह खानेपीने का शौकीन था और अकसर शराब पी कर घर आता था. उस ने बताया कि पति की कमाई से घर ठीक से नहीं चल पाता था, इसलिए वह खुद भी घरगृहस्थी चलाने में पति का हाथ बंटाती थी. बबीता ने साउथ एक्सटेंशन में किराए की दुकान ले कर उस में अपना ब्यूटीपार्लर खोल रखा था, जो ठीकठाक चलता था और उस से अच्छीखासी कमाई भी हो जाती थी.

एक तो बबीता का अटपटा व्यवहार और दूसरा उस का ब्यूटीपार्लर के पेशे से जुड़ा होना दोनों ऐसी बातें थीं, जिस के कारण इंसपेक्टर मलिक के लिए बबीता जिज्ञासा और जांचपड़ताल का केंद्रबिंदु बन गई. उन्होंने बातों ही बातों में भीमराज के अलावा बबीता और उस के तीनों बच्चों के मोबाइल नंबर नोट कर लिए.

सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग

बबीता से पूछताछ के बाद इंसपेक्टर मलिक ने तत्काल एसआई प्रमोद को  भीमराज और बबीता के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाने के लिए भेज दिया. इधर कई घंटे की मशक्कत और जांचपड़ताल के बाद पुलिस की अलगअलग टीमों ने 5 किलोमीटर के दायरे में जो सीसीटीवी फुटेज खंगाले थे, उन में से एक फुटेज में हुडको कालोनी के पास वही बाइक सवार पुलिस को एक बार उसी बाइक पर सवार नजर आया.

लेकिन यह फुटेज वारदात से करीब एक घंटा पहले की थी. उस वक्त बाइक सवार ने हेलमेट को हाथ में पकड़ा हुआ था और वह बाइक पर बैठा हुआ शायद किसी का इंतजार कर रहा था. इतना ही नहीं इस फुटेज में बाइक की नंबर प्लेट भी मुड़ी हुई नहीं थी, जिस से बाइक के नंबर भी स्पष्ट नजर आ रहे थे.

भीमराज के हमलावर तक पहुंचने के लिए पुलिस के हाथ यह बड़ी सफलता लगी थी. बाइक के उस नंबर को उसी शाम पुलिस ने ट्रेस कर के यह पता लगा लिया कि यह बाइक किस की है. भीमराज का हमलावर जिस बाइक पर सवार था वह महिंद्रा सेंटुरो बाइक थी. घटनास्थल से ले कर हुडको प्लेस में कालोनी के बाहर सीसीटीवी में दिख रही दोनों बाइक व उन पर वही लिबास पहने व्यक्ति एक ही था.

पुलिस ने परिवहन विभाग के पोर्टल से जब उस बाइक का इतिहास खंगाला तो पता चला कि कबीरनगर में रहने वाले प्रवीण के नाम पर यह बाइक पंजीकृत थी. पुलिस की एक टीम उसी रात प्रवीण के घर पहुंच गई और उसे हिरासत में ले लिया. फिर उस से पूछताछ शुरू हो गई.

प्रवीण को जब पता चला कि उस पर एक व्यक्ति पर गोली चलाने का आरोप है और जिस के गोली लगी है, वह जिंदगी और मौत से जूझ रहा है तो उस के होश उड़ गए.

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जांच में आए नए तथ्य

उस ने बताया कि यह बाइक उस के नाम पंजीकृत जरूर है, लेकिन एक साल पहले उस ने यह बाइक लखन नाम के व्यक्ति को बेच दी थी, जिस ने शायद लौकडाउन के कारण इसे अपने नाम पर अभी ट्रांसफर नहीं कराया है.

पुलिस ने उस की बात पर विश्वास करने से पहले प्रवीण की वारदात वाले दिन की गतिविधियों का पता लगाया और उस के मोबाइल की लोकेशन चैक की तो पता कि वारदात के वक्त वह अपने घर में मौजूद था. लिहाजा पुलिस ने उस से लखन नाम के उस व्यक्ति का फोन नंबर व पता हासिल किया, जिसे उस ने अपनी बाइक बेची थी.

लखन गोविंदपुरी, दिल्ली का रहने वाला था. पुलिस ने उसे भी रात में ही दबोच लिया और थाने ले आई. जब लखन को पता चला कि जो बाइक उस ने प्रवीण से खरीदी थी, उस का इस्तेमाल किसी पर जानलेवा हमला करने में हुआ है तो लखन ने भी माथा पीट लिया.

जितेंद्र मलिक समझ गए कि कोई खास बात है, जो लखन ने ऐसी प्रतिक्रिया दी है. लिहाजा उन्होंने थोड़ा सख्ती के साथ लखन से पूछा, ‘‘लगता है तुम्हें पता है कि भीमराज को गोली किस ने मारी है.’’

‘‘नहीं सर, मुझे कुछ नहीं पता. मैं तो यह भी नहीं जानता कि आप किस भीमराज की बात कर रहे हो… सर मैं तो अपने भतीजे की बात कर रहा हूं, जिस को मैं ने पिछले कुछ महीनों से ये गाड़ी चलाने के लिए दी हुई थी. अब पता नहीं उस ने किस को ये गाड़ी दी थी कि जिस ने यह कांड किया है.’’

अगले भाग में पढ़ें- आखिर रोहन ने बता दी सच्चाई

Manohar Kahaniya: चाची का आशिक- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

तब जमना ने कसम खा कर पति से कहा कि वह भविष्य में कभी भी मदनमोहन से बात नहीं करेगी. जमना ने पति से यह वादा कर तो लिया लेकिन मदन से बात किए बिना उस का मन नहीं लग रहा था. तब उस ने एक नई सिम ले ली. फिर वह उस नए नंबर से चोरीछिपे मदन से बतिया लेती. कमल ने सोचा कि बीवी ने मदनमोहन से बात करनी छोड़ दी है.

2 महीने बाद जमना को पुन: मदनमोहन से फोन पर बातें करते समय कमल ने पकड़ लिया. तब कमल ने जमना को जम कर पीटा और मदनमोहन को भी फोन कर के धमकाया, ‘‘हरामजादे, तेरे खिलाफ अपनी बीवी से बलात्कार करने का मुकदमा दर्ज कराऊंगा. तब तू सुधरेगा.’’

इतनी पिटाई के बाद भी जमना नहीं सुधरी. उसे अपने प्रेमी से बात करनी नहीं छोड़ी.

इस के बाद कमल सिंह ने एक बार फिर बीवी को मदनमोहन से बात करते पकड़ा. तब बीवी को पीटा और मदनमोहन को धमकी दी कि उस ने अगर 2 लाख रुपए नहीं दिए तो वह बलात्कार का मामला दर्ज करा कर सारे परिवार व रिश्तेदारों से तुम दोनों के अवैध संबंधों की पोल खोल देगा.

मदनमोहन डर गया. उस ने कहा कि उस के पास इतने रुपए नहीं हैं. वह रुपए किस्तों में दे देगा. वह बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज न कराएं. इस के बाद कमल ने 14 फरवरी, 2021 को फोन कर मदनमोहन को भिवाड़ी बुलाया. शाम 5 बजे मदनमोहन भिवाड़ी स्थित कमल के घर आया. इस के बाद कमल और मदनमोहन ने साथ बैठ कर शराब पी.

जब शराब का नशा चढ़ा तो कमल ने मदनमोहन से पूछा कि 2 लाख रुपए देगा तो बलात्कार का मामला दर्ज नहीं कराऊंगा. तब मदनमोहन ने कहा कि वह किस्तों में रुपए जरूर दे देगा.

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इस के बाद कमल, जमना व मदनमोहन कमरे में एक ही बैड पर सो गए. कमल के दिमाग में तो उस समय कुछ और ही चल रहा था. वह चुपके से उठा और पास में सो रही अपनी बीवी और मदनमोहन के इस तरह फोटो खींचने लगा जैसे वे दोनों एक साथ सो रहे हैं.

फोटो खींच कर कमल ने मदनमोहन और जमना को जगा कर कहा, ‘‘अब मैं रिश्तेदारों को फोन कर के बुलाता हूं और पूरी कालोनी के लोगों को बुला कर बताता हूं कि मैं ने तुम दोनों को शारीरिक संबंध बनाते रंगेहाथों पकड़ा है.’’

तब कमल की पत्नी जमना बोली कि ऐसा मत करो. लेकिन कमल नहीं माना और जिद करने लगा कि वह लोगों को तुम्हारे अवैध संबंधों के बारे में बता कर ही रहेगा.

अपनी पोल खुलने के डर से मदनमोहन ने कमल सिंह को पकड़ लिया और जमना ने अपनी चुन्नी पति के गले में डाल कर जोर से कस दी, जिस से कमल की मृत्यु हो गई. तब मदन और जमना के हाथपांव फूल गए. मगर कमल तो मर चुका था.

तब दोनों ने कमल की लाश ठिकाने लगाने की योजना बनाई, जिस के तहत जमना उसी समय अपने जेठ भीम सिंह के घर गई और उन की बाइक की चाबी यह कह कर ले आई कि कमल को अभी एटीएम से पैसे निकालने बल्लभगढ़ जाना है.

जमना और मदन ने कमल की बाइक पर रात करीब एक बजे कमल के शव को इस तरह दोनों के बीच बिठा कर रखा जैसे किसी बीमार को अस्पताल ले जा रहे हैं. दोनों बाइक पर शव को बाबा मोहनराम के जंगलों में डालने के लिए रवाना हुए लेकिन सड़क पर आने पर बाइक के पीछे पुलिस गश्त की मोटरसाइकिल देख कर मदनमोहन ने बाइक हेतराम चौक से सेक्टर-5 की तरफ मोड़ दी.

सेक्टर-5 व 6 वाली रोड पर बस की लाइट दिखाई देने पर दोनों ने शव को सेक्टर-5 में खाली प्लौट के सामने सड़क किनारे पटक दिया और वापस घर आ गए. मोटरसाइकिल पर मृतक कमल के पैर जमीन पर लटक रहे थे, जिस के कारण दोनों पैरों के अंगूठे आगे से रगड़ कर छिल गए थे. लाश ठिकाने लगाने के बाद आरोपी मदनमोहन फरीदाबाद चला गया.

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अगली सुबह यानी 15 फरवरी, 2021 सड़क पर शव देख कर साढ़े 7 बजे थाना यूआईटी भिवाड़ी फेज-3 के थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार को किसी राहगीर ने शव पड़े होने की सूचना दी. इस के बाद थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे.

पुलिस ने मृतक की बाइक और जमना देवी व मदनमोहन के मोबाइल जब्त कर के पूछताछ के बाद दोनों को भिवाड़ी कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

Best of Manohar Kahaniya- पति की गरदन पर प्रेमी का वार: भाग 2

सौजन्य-मनोहर कहानियां

मोहन सिंह रसाल कंवर से भी बड़ी चिकनीचुपड़ी बातें करता था. जब डूंगरदान मजदूरी करने चला जाता और उस के बच्चे स्कूल तो घर में रसाल कंवर अकेली रह जाती. ऐसे मौके पर मोहन सिंह उस के यहां आने लगा. मीठीमीठी बातों में रसाल को भी रस आने लगा. मोहन सिंह अच्छीखासी कदकाठी का युवक था.रसाल और मोहन के बीच धीरेधीरे नजदीकियां बढ़ने लगीं.

थोड़े दिनों के बाद दोनों के बीच अवैध संबंध कायम हो गए. इस के बाद रसाल कंवर उस की दीवानी हो गई. डूंगरदान हर रोज सुबह मजदूरी पर निकल जाता तो फिर शाम होने पर ही घर लौटता था.

रसाल और मोहन पूरे दिन रासलीला में लगे रहते. डूंगरदान की पीठ पीछे उस की ब्याहता कुलटा बन गई थी. दिन भर का साथ उन्हें कम लगने लगा था. मोहन चाहता था कि रसाल कंवर रात में भी उसी के साथ रहे, मगर यह संभव नहीं था. क्योंकि रात में पति घर पर होता था.

ऐसे में एक दिन मोहन सिंह ने रसाल कंवर से कहा, ‘‘रसाल, जीवन भर तुम्हारा साथ तो निभाऊंगा ही, साथ ही एक प्लौट भी तुम्हें ले कर दूंगा. लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम्हारे बदन को अब मेरे सिवा और कोई न छुए. तुम्हारे तनमन पर अब सिर्फ मेरा अधिकार है.’’

‘‘मैं हर पल तुम्हारा साथ निभाऊंगी.’’ रसाल कंवर ने प्रेमी की हां में हां मिलाते हुए कहा.

रसाल के दिलोदिमाग में यह बात गहराई तक उतर गई थी कि मोहन उसे बहुत चाहता है. वह उस पर जान छिड़कता है. रसाल भी पति को दरकिनार कर पूरी तरह से मोहन के रंग में रंग गई. इसलिए दोनों ने डूंगरदान को रास्ते से हटाने का मन बना लिया. लेकिन इस से पहले ही डूंगरदान को पता चल गया कि उस की गैरमौजूदगी में मोहन सिंह दिन भर उस के घर में पत्नी के पास बैठा रहता है.

यह सुनते ही उस का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. गुस्से से भरा डूंगरदान घर आ कर चिल्ला कर पत्नी से बोला, ‘‘मेरी गैरमौजूदगी में मोहन यहां क्यों आता है, घंटों तक यहां क्या करता है? बताओ, तुम से उस का क्या संबंध है?’’ कहते हुए उस ने पत्नी का गला पकड़ लिया.

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रसाल मिमियाते हुए बोली, ‘‘वह तुम्हारा दोस्त है और तुम्हें ही पूछने आता है. मेरा उस से कोई रिश्ता नहीं है. जरूर किसी ने तुम्हारे कान भरे हैं. हमारी गृहस्थी में कोई आग लगाना चाहता है. तुम्हारी कसम खा कर कहती हूं कि मोहन सिंह से मैं कह दूंगी कि वह अब घर कभी न आए.’’

पत्नी की यह बात सुन कर डूंगरदान को लगा कि शायद रसाल सच कह रही है. कोई जानबूझ कर उन की गृहस्थी तोड़ना चाहता है. डूंगरदान शरीफ व्यक्ति था. वह बीवी पर विश्वास कर बैठा. रसाल कंवर ने अपने प्रेमी मोहन को भी सचेत कर दिया कि किसी ने उस के पति को उस के बारे में बता दिया है. इसलिए अब सावधान रहना जरूरी है.

उधर डूंगरदान के मन में पत्नी को ले कर शक उत्पन्न तो हो ही गया था. इसलिए वह वक्तबेवक्त घर आने लगा. एक रोज डूंगरदान मजदूरी पर गया और 2 घंटे बाद घर लौट आया. घर का दरवाजा बंद था. खटखटाने पर थोड़ी देर बाद उस की पत्नी रसाल कंवर ने दरवाजा खोला. पति को अचानक सामने देख कर उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं.

डूंगरदान की नजर कमरे में अंदर बैठे मोहन सिंह पर पड़ी तो वह आगबबूला हो गया. उस ने मोहन सिंह पर गालियों की बौछार कर दी. मोहन सिंह गालियां सुन कर वहां से चला गया. इस के बाद डूंगरदान ने पत्नी की लातघूंसों से खूब पिटाई की. रसाल लाख कहती रही कि मोहन सिंह 5 मिनट पहले ही आया था. मगर पति ने उस की एक न सुनी.

पत्नी के पैर बहक चुके थे. डूंगरदान सोचता था कि गलत रास्ते से पत्नी को वापस कैसे लौटाया जाए. वह इसी चिंता में रहने लगा. उस का किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था. वह चिड़चिड़ा भी हो गया था. बातबात पर उस का पत्नी से झगड़ा हो जाता था.

आखिर, रसाल कंवर पति से तंग आ गई. यह दुख उस ने अपने प्रेमी के सामने जाहिर कर दिया. तब दोनों ने तय कर लिया कि डूंगरदान को जितनी जल्दी हो सके, निपटा दिया जाए.

रसाल कंवर पति के खून से अपने हाथ रंगने को तैयार हो गई. मोहन सिंह ने योजना में अपने दोस्त मांगीलाल को भी शामिल कर लिया. मांगीलाल भीनमाल में ही रहता था.

साजिश के तहत रसाल और मोहन सिंह 12 जुलाई, 2019 को डूंगरदान को उपचार के बहाने बोलेरो गाड़ी में जालौर के राजकीय चिकित्सालय ले गए. मांगीलाल भी साथ था. वहां उस के नाम की परची कटाई. डाक्टर से चैकअप करवाया और वापस भीनमाल रवाना हो गए. रास्ते में मौका देख कर रसाल कंवर और मोहन सिंह ने डूंगरदान को मारपीट कर अधमरा कर दिया. फिर उस का गला दबा कर उसे मार डाला.

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इस के बाद डूंगरदान की लाश को ठिकाने लगाने के लिए बोलेरो में डाल कर बोरटा से लेदरमेर जाने वाले सुनसान कच्चे रास्ते पर ले गए, जिस के बाद डूंगरदान के शरीर पर पहने हुए कपड़े पैंटशर्ट उतार कर नग्न लाश वन विभाग की खाली पड़ी जमीन पर डाल कर रेत से दबा दी. उस के बाद वे भीनमाल लौट गए.

भीनमाल में रसाल कंवर ने आसपास के लोगों से कह दिया कि उस का पति जालौर अस्पताल चैकअप कराने गया था. मगर अब उस का कोई पता नहीं चल रहा. तब डूंगरदान की गुमशुदगी उस के रिश्तेदार शैतानदान चारण ने जालौर सिटी कोतवाली में दर्ज करा दी.

पुलिस पूछताछ में पता चला कि आरोपी मोहन सिंह आपराधिक प्रवृत्ति का है. उस ने अपने साले की बीवी की हत्या की थी. इन दिनों वह जमानत पर था. मोहन सिंह शादीशुदा था, मगर बीवी मायके में ही रहती थी. भीनमाल निवासी मांगीलाल उस का मित्र था. वारदात के बाद मांगीलाल फरार हो गया था.

थाना रामसीन के इंचार्ज छतरसिंह देवड़ा अवकाश से ड्यूटी लौट आए थे. उन्होंने भी रिमांड पर चल रहे रसाल कंवर और मोहन सिंह राव से पूछताछ की.

रिमांड अवधि समाप्त होने पर पुलिस ने 19 जुलाई, 2019 को दोनों आरोपियों रसाल कंवर और मोहन सिंह को फिर से कोर्ट में पेश कर दोबारा 2 दिन के रिमांड पर लिया और उन से पूछताछ कर कई सबूत जुटाए. उन की निशानदेही पर मृतक के कपड़े, वारदात में प्रयुक्त बोलेरो गाड़ी नंबर आरजे14यू बी7612 बरामद की गई. मृतक डूंगरदान के कपडे़ व चप्पलें रामसीन रोड बीएड कालेज के पास रेल पटरी के पास से बरामद कर ली गईं.

पूछताछ पूरी होने पर दोनों आरोपियों को 21 जुलाई, 2019 को कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. पुलिस तीसरे आरोपी मांगीलाल माली को तलाश कर रही है.

Manohar Kahaniya: बबिता का खूनी रोहन- भाग 3

इंसपेक्टर मलिक की सख्ती पर सहमे हुए लखन ने बताया तो मलिक ने उसे पूरी बात साफसाफ बताने के लिए कहा.

तब लखन ने बताया कि उस ने करीब एक साल पहले यह बाइक प्रवीण से खरीदी थी. उस समय वह एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था, लेकिन बाइक खरीदने के कुछ दिन बाद ही कोरोना महामारी के कारण हुए लौकडाउन में उस की नौकरी चली गई और वह बेरोजगार हो गया.

बाइक अकसर घर पर ही खड़ी रहती थी. इसी दौरान कुछ महीने पहले उस के बड़े भाई के बेटे रोहन उर्फ मनीष की एयरटेल कंपनी में नौकरी लग गई, लेकिन उस के पास भागदौड़ करने के लिए कोई साधन नहीं था.

लिहाजा उस ने अपनी बाइक रोहन को दे दी और कहा जब वह अपने लिए दूसरी बाइक खरीद ले तब उस की बाइक वापस कर देना. इस के बाद से रोहन ही उस की बाइक का इस्तेमाल करता है. उसे नहीं पता कि भीमराज पर गोली किस ने चलाई. रोहन ने खुद इस का इस्तेमाल किया था या किसी अन्य व्यक्ति को उस ने बाइक इस्तेमाल के लिए दी थी.

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जांच ले गई आरोपी रोहन तक

यह बात तो साफ हो गई कि लखन की बाइक का इस्तेमाल भीमराज पर हुए हमले में किया गया था. लेकिन वारदात वाले दिन बाइक कौन ले कर गया था, इस का खुलासा होना मुश्किल काम नहीं था. इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक ने तत्काल सीसीटीवी की फुटेज लखन को दिखाई तो उस ने साफ कर दिया कि बाइक पर सवार युवक उस का भतीजा रोहन ही है. बस इस के बाद पुलिस के लिए रोहन को पकड़ना कोई मुश्किल काम नहीं था. पुलिस टीम ने अगली सुबह ही रोहन को उस के घर से सोते हुए दबोच लिया.

थाने ला कर जब रोहन से पूछताछ शुरू हुई तो पहले वह इधरउधर की बातें करता रहा. लेकिन जब पुलिस ने उसे सीसीटीवी में कैद हुई उस की तसवीरें दिखाईं तो उस ने कबूल कर लिया कि उसी ने भीमराज को गोली मारी थी.

आखिर ऐसी क्या बात थी कि रोहन ने भीमराज को गोली मार दी. इस सवाल के जवाब में रोहन ने कहा कि भीमराज ने उस दिन गाड़ी चलाते समय उस की बाइक को टक्कर मार दी थी और जब उस ने विरोध जताया तो वह भद्दी गालियां देने लगा. इसी बात से गुस्से में आ कर उस ने पीछा करते हुए एंड्रयूजगंज में जा कर उसे गोली मार दी.

हालांकि रोडरेज के दौरान गुस्से में गोली मार देना, दिल्ली शहर में कोई नई बात नहीं है. क्योंकि इस तरह की घटनाएं यहां अकसर होती रहती हैं. लेकिन थानाप्रभारी मलिक को रोहन की बात पर इसलिए भरोसा नहीं हुआ क्योंकि वे रोहन द्वारा भीमराज को गोली मारने की साजिश तक पहुंच चुके थे.

दरअसल, थानाप्रभारी जितेंद्र मलिक ने भीमराज और बबीता के मोबाइल फोन की जो काल डिटेल्स निकलवाई थी, उस ने रोहन के झूठ की कलई खुल गई.

दरअसल, काल डिटेल्स की जांच के बाद पुलिस ने सब से पहले भीमराज के फोन पर आने वाले नंबरों में इस बात की पड़ताल की थी कि घटना वाले दिन या उस से पहले या कुछ महीनों के दौरान उस ने सब से ज्यादा किन लोगों से बात की थी.

बबीता के मोबाइल की काल डिटेल्स की जांच की गई तो पता चला कि पिछले 3 महीनों से बबीता एक नंबर पर सब से ज्यादा और लंबीलंबी बातें किया करती थी. उस नंबर पर देर रात में भी बात करने की डिटेल थी. इसी नंबर पर वाट्सऐप मैसेजों का भी आदानप्रदान था. जिस दिन भीमराज को गोली मारी गई थी, उस दिन सुबह 7 बजे से ही इस नंबर पर बातें हुईं.

इतना ही नहीं, जिस वक्त एंड्रयूजगंज में भीमराज को गोली लगी, उस के 10 मिनट बाद भी इसी नंबर से बबीता के फोन पर काल की गई. बाद में भी कुछ काल्स के रिकौर्ड मिले. हालांकि जब बबीता से इस बात की जानकारी ली गई तो उस ने बताया कि उस ने अपने पार्लर पर जो पेमेंट स्वाइप मशीन लगवाई हुई है, उस में नेटवर्किंग की दिक्कत रहती है, इसी संबध में वह एयरटेल कंपनी के नेटवर्किंग एग्जीक्यूटिव से बात करती है. पूछने पर उस ने एग्जीक्यूटिव का नाम रोहन बताया.

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इधर जब पुलिस ने उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि रोहन गोविंदपुरी की गली नंबर 13 में रहता है.

रोहन जब कभी रोडरेज, तो कभी लेनदेन के विवाद की कहानी बता कर पुलिस को काफी देर तक उलझाता रहा तो इंसपेक्टर मलिक ने उस के सामने वो काल डिटेल्स रख दी, जिस में उस के फोन व बबीता के नंबर पर दिन व रात में अनगिनत बार लंबीलंबी बातें करने का रिकौर्ड था.

आखिर रोहन ने बता दी सच्चाई

रोहन पुलिस को पूछताछ में बबीता से बात करने और रातों में बातचीत का कोई स्पष्ट कारण नहीं बता सका. इसीलिए पुलिस ने जब उस के साथ सख्ती की तो वह टूट गया और उस ने सच उगल दिया.

रोहन से पूछताछ के बाद इस वारदात के पीछे नाजायज रिश्ते की एक ऐसी कहानी सामने आई, जिस में एक अधेड़ उम्र की महिला ने कमउम्र के नौजवान को अपने प्यार के जाल में फांस कर उस की ऐसी मतिभ्रष्ट कर दी कि महिला के कहने पर उस ने अधेड़ प्रेमिका के पति को गोली मार दी.

दरअसल, बबीता की उम्र भले ही 42 की हो गई थी, लेकिन ब्यूटीपार्लर चलाने के कारण आज भी वह अपने 45 साल के पति से ज्यादा आकर्षक व सुंदर थी. भीमराज के तीनों बच्चे किशोरावस्था की दहलीज से निकल कर जवानी की तरफ कदम बढ़ा रहे थे. इस कारण उस में अब पत्नी के प्रति आकर्षण कम हो गया था और बच्चों  व घरगृहस्थी चलाने की जद्दोजहद उस पर ज्यादा सवार रहती थी.

ढलती जवानी में जब पति अपनी पत्नी की देह से ऐसा उदासीन व्यवहार करे तो कुछ महिलाएं रास्ता भटक ही जाती हैं. हां, भीमराज जब कभी शराब के नशे में होता तो वह जरूर बबीता की देह को जम कर रौंदता था. लेकिन बबीता चाहती थी कि उस का पति उसे न सिर्फ प्यार करे बल्कि उसे अपने व्यवहार से भी इस बात का अहसास कराए.

बस अपने प्रति इसी उदासीन व्यवहार के कारण बबीता पति से इतर किसी दूसरे शख्स  में इस अहसास को तलाशने लगी. यह सितंबर 2020 महीने की बात है. बबीता ने अपने पार्लर पर डिजिटल पेमेंट के लिए एयरटेल का ब्राडबैंड कनेक्शन तथा एक स्वाइप मशीन लगवाई थी. इसी संबध में एयरटेल की तरफ से रोहन उस के यहां एग्जीक्यूटिव बन कर आया था. 23 साल का गबरू जवान और गठीला शरीर. न जाने क्या था, रोहन के व्यक्तित्व में कि बबीता पहली ही नजर में उस पर फिदा हो गई.

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रोहन ने भी पहली मुलाकात में ही बबीता की आखों में भरी मस्ती और देह में बसी तड़प को पढ़ लिया था. पहली ही मुलाकात के बाद दोनों के बीच नंबरों का आदानप्रदान हो गया. बबीता छोटीछोटी बात पर किसी बहाने से रोहन को अपने पार्लर पर बुलाने लगी.

2-4 मुलाकातों के बाद शिष्टाचार की भेंट अपनत्व में बदल गई और निजी व परिवार की बातें भी होने लगीं.

ब्यूटीपार्लर में रखी प्यार की नींव

बबीता जहां अपने अतृप्त प्यार को पाने के लिए रोहन की तरफ झुकी जा रही थी तो जवान जिस्म की देह सुगंध से महरूम रोहन भी जल्द से जल्द बबीता के मादक जिस्म  की देह को पाने के लिए मचल रहा था.

जल्द ही दोनों के बीच ऐसे रिश्ते बन गए, जिन्हें समाज नाजायज रिश्तों का नाम देता है. रोहन के जवान जिस्म  के स्पर्श ने बबीता में एक अजीब सा रोमांच भर दिया था. वे दोनों अकसर मिलने लगे.

बबीता कभी रोहन को अपने पार्लर पर बुला कर अपनी अतृप्त देह को तृप्त कर लेती तो कभी उसे पति व बच्चों की अनुपस्थिति में अपने घर बुला लेती. कभीकभी वे किसी होटल का कमरा बुक कर के अपने अरमानों को पूरा करने लगे.

अपनी उम्र से 20 साल छोटे रोहन के प्यार में बबीता इस कदर पागल हो चुकी थी कि इस बात को भी भूल गई थी कि वह एक शादीशुदा औरत है और रोहन की उम्र से कुछ ही छोटे 3 बच्चों की मां भी है.

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Manohar Kahaniya: बबिता का खूनी रोहन- भाग 4

रोहन के प्यार में डूबी बबीता अकसर उस से फोन पर लंबीलंबी बातें करती. रात में भी दोनों चोरीछिपे प्यार भरी बातें करते और दोनों वाट्सऐप पर भी एकदूसरे को मैसेज करते रहते थे. रोहन तो बबीता को काम कलाओं की अश्लील तस्वीरें तथा वीडियो तक वाट्सऐप पर भेजने लगा.

पहली जनवरी की रात की बात है. बबीता उस वक्त बाथरूम में थी. फोन बैड पर रखा था. उसी वक्त वाट्सऐप पर एक मैसेज का नोटिफिकेशन देख पति भीमराज ने फोन उठा कर देख लिया. संयोग से फोन में लौक नहीं लगा था.

मैसेज देखते ही भीमराज के पांव तले की जमीन जैसे खिसक गई, फोन में पड़े दरजनों अश्लील फोटो और वीडियो तथा चैट देख कर भीमराज का शरीर गुस्से से कांपने लगा. उस दिन भीमराज के सामने साफ हो गया कि उस की पत्नी के किसी युवक से नाजायज संबध हैं और उस ने युवक का नंबर लाइफ के नाम से अपने फोन में सेव किया हुआ है. उस रात भीमराज और बबीता के बीच इस बात को ले कर जम कर झगड़ा हुआ और भीमराज ने अपनी पत्नी की जम कर पिटाई कर दी.

बस इस के बाद तो यह आए दिन की बात हो गई. जब एक बार शक का कीड़ा दांपत्य जीवन में आ जाता है तो बसीबसाई गृहस्थी बिखर जाती है. लेकिन यहां तो शक नहीं एक सच्चाई थी, जो उजागर हो गई थी.

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रोहन को घर बुलवा कर की पिटाई

कुछ रोज बाद भीमराज ने बबीता के साथ मारपीट कर उस से रोहन को फोन करवाया और उसे घर आने के लिए कहा. रोहन जब घर पहुंचा और वहां भीमराज को देखा तो समझ गया कि उस की पोल खुल चुकी है. भीमराज ने उस दिन रोहन की भी पिटाई कर दी और धमकी दी कि अगर उस ने बबीता का पीछा नहीं छोड़ा तो वह उसे जेल भिजवा देगा. जेल जाने के डर से उस समय रोहन अपमान का घूंट पी कर रह गया.

लेकिन इस के बाद भीमराज व बबीता में आए दिन झगड़े होने लगे. एक दिन इसी से आजिज आ कर बबीता ने रोहन से मुलाकात की और उस से कहा कि अगर वह उस से सच्चा प्यार करता है तो किसी भी तरह उसे भीमराज से छुटकारा दिला दे. उस ने रोहन से अपने पति की हत्या करने के लिए कहा. साथ ही वादा किया कि अगर वह ऐसा कर देगा तो वह उसे अपने साथ रख लेगी. उस का अपना मकान है. वह खुद भी कमाती है दोनों साथ मिल कर आगे की जिंदगी खुशी से बिताएंगे.

रोहन तो पहले से ही अपमान की आग में जल रहा था. बबीता के कहने पर रोहन आवेश में आ गया और उस ने बिना सोचेसमझे व अंजाम की परवाह किए भीमराज की हत्या की साजिश रच डाली. उस ने सब से पहले  एक पिस्तौल और कारतूस की व्यवस्था की. इस के बाद उस ने कई दिन तक बबीता से फोन पर जानकारी ले कर भीमराज की दिनचर्या का पता लगाना शुरू कर दिया और उस की रेकी करने लगा. बबीता उसे सब कुछ बताती रही कि वह कब घर से निकला है, कब और कहां जा रहा है.

रोहन ने 10 मार्च, 2021 का दिन चुना. उस दिन वह अपनी बाइक ले कर सुबह ही घर से निकल पड़ा. वह भीमराज के घर से करीब 3 किलोमीटर दूर हुडको प्लेस के पास भीमराज का इंतजार करने लगा.

दरअसल, भीमराज औफिस जाने से पहले यहां बने पार्क में घूमने जाता था. काफी देर तक वह भीमराज को मारने का मौका देखता रहा, लेकिन भीड़ ज्यादा होने के कारण उसे मौका नहीं मिला.

सुबह करीब साढ़े 8 बजे भीमराज पार्क से निकला और अपनी वैगनआर पार्किंग से निकाल कर घर की तरफ रवाना हो गया. रोहन भी बाइक से उस का पीछा करने लगा. कोई पहचान न ले, इसलिए उस ने हाथ में पकड़ा हेलमेट सिर पर लगा लिया और अपनी बाइक की दोनों नंबर प्लेटें थोड़ी मोड़ लीं ताकि कोई उस का नंबर न पढ़ सके.

रोहन को एंड्रयूजगंज में बिजलीघर के पास मौका मिला, जहां भीमराज की गाड़ी की स्पीड कम थी और उस ने वहां पिस्तौल निकाल कर उस की गरदन पर गोली मार दी.

रोहन से पूछताछ के बाद पूरी वारदात का खुलासा हो चुका था, इसलिए पुलिस ने हत्या की साजिश में शामिल भीमराज की पत्नी बबीता को भी गिरफ्तार कर लिया. बबीता ने भी पूछताछ में अपने जुर्म का इकबाल कर लिया और बताया कि अपनी उपेक्षा से तंग आ कर उस ने रोहन के साथ संबध बनाए थे और खुलासा होने पर जब भीमराज अकसर उस से मारपीट करने लगा तो तंग आ कर उस ने उसे रास्ते से हटाने की साजिश रची.

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पुलिस ने आरोपी रोहन की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त पिस्तौल, 2 जिंदा कारतूस तथा महिंद्रा सेंटुरो बाइक भी बरामद कर ली. पुलिस ने जिस दिन रोहन व बबीता को गिरफ्तार किया, उसी दिन यानी 11 मार्च की शाम को इलाज के दौरान भीमराज की मौत हो गई.

डिफेंस कालोनी पुलिस ने मुकदमे में हत्या की धारा 302, 34 आईपीसी व आर्म्स एक्ट की धारा जोड़ कर दोनों अभियुक्तों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. अधेड़ उम्र की बबीता ने अपनी से आधी उम्र के आशिक के साथ ऐश करने के सपने संजोए थे, अब वह उसी के साथ तिहाड़ जेल की सलाखों के पीछे पहुंच चुकी है.

Manohar Kahaniya: रास्ते का कांटा

सौजन्य- मनोहर कहानियां

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे जनपद बाराबंकी के थाना सुबेहा क्षेत्र में एक गांव है ताला रुकनुद्दीनपुर. पवन सिंह इसी गांव में रहता था. 14 सितंबर, 2020 की शाम पवन सिंह अचानक गायब हो
गया. उस के घर वाले परेशान होने लगे कि बिना बताए अचानक कहां चला गया. किसी अनहोनी की आशंका से उन के दिल धड़कने लगे. समय के साथ धड़कनें और बढ़ने लगीं. पवन का कोई पता नहीं चल पा रहा था. पवन की तलाश अगले दिन 15 सितंबर को भी की गई. लेकिन पूरा दिन निकल गया, पवन का कोई पता नहीं लगा.

16 सितंबर को पवन के भाई लवलेश बहादुर को उस के मोबाइल पर सोशल मीडिया के माध्यम से एक लाश की फोटो मिली. फोटो लवलेश के एक परिचित युवक ने भेजी थी. लाश की फोटो देखी तो लवलेश फफक कर रो पड़ा. फोटो पवन की लाश की थी. दरअसल, पवन की लाश पीपा पुल के पास बेहटा घाट पर मिली थी. लवलेश के उस परिचित ने लाश देखी तो उस की फोटो खींच कर लवलेश को भेज दी. जानकारी होते ही लवलेश घर वालों और गांव के कुछ लोगों के साथ बेहटा घाट पहुंच गया.

लाश पवन की ही थी. पीपा पुल गोमती नदी पर बना था. गोमती के एक किनारे पर गांव ताला रुकनुद्दीनपुर था तो दूसरे किनारे पर बेहटा घाट. लेकिन बेहटा घाट थाना सुबेहा में नहीं थाना असंद्रा में आता था. लवलेश ने 112 नंबर पर काल कर के घटना की सूचना पुलिस को दे दी. कुछ ही देर में एसपी यमुना प्रसाद और 3 थानों असंद्रा, हैदरगढ़ और सुबेहा की पुलिस टीमें मौके पर पहुंच गईं. पवन के शरीर पर किसी प्रकार के निशान नहीं थे और लाश फूली हुई थी. एसपी यमुना प्रसाद ने लवलेश से आवश्यक पूछताछ की तो पता चला कि वह अपनी हीरो पैशन बाइक से घर से निकला था. बाइक पुल व आसपास कहीं नहीं मिली. पवन वहां खुद आता तो बाइक भी वहीं होती, इस का मतलब था कि वह खुद अपनी मरजी से नहीं आया था. जाहिर था कि उस की हत्या कर के लाश वहां फेंकी गई थी.

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पवन की बाइक की तलाश की गई तो बाइक कुछ दूरी पर टीकाराम बाबा घाट पर खड़ी मिली. यह क्षेत्र हैदरगढ़ थाना क्षेत्र में आता था. वारदात की पहल वहीं से हुई थी, इसलिए एसपी यमुना प्रसाद ने घटना की जांच का जिम्मा हैदरगढ़ पुलिस को दे दिया. हैदरगढ़ थाने के इंसपेक्टर धर्मेंद्र सिंह रघुवंशी ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. फिर लवलेश को साथ ले कर थाने आ गए. इंसपेक्टर रघुवंशी ने लवलेश की लिखित तहरीर पर अज्ञात के विरुद्ध भादंवि की धारा 302/201 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु की सही वजह पता नहीं चल पाई. इंसपेक्टर रघुवंशी के सामने एक बड़ी चुनौती थी. क्योंकि कोई भी सुराग हाथ नहीं लगा था. उन्होंने पवन की पत्नी शिम्मी उर्फ निशा और भाई लवलेश से कई बार पूछताछ की, लेकिन कोई भी अहम जानकारी नहीं मिल पाई. पवन के विवाह के बाद ही उस की मां ने घर का बंटवारा कर दिया था. पवन अपनी पत्नी निशा के साथ अलग रहता था. इसलिए घर के अन्य लोगों को ज्यादा कुछ जानकारी नहीं थी.

स्वार्थ की शादी

समय गुजरता जा रहा था, लेकिन केस का खुलासा नहीं हो पा रहा था. जब कहीं से कुछ हाथ नहीं लगा तो इंसपेक्टर रघुवंशी ने अपनी जांच पवन की पत्नी पर टिका दी. वह उस की गतिविधियों की निगरानी कराने लगे. घर आनेजाने वालों पर नजर रखी जाने लगी तो एक युवक उन की नजरों में चढ़ गया. वह पवन के गांव का ही अजय सिंह उर्फ बबलू था. अजय का पवन के घर काफी आनाजाना था. वह घर में काफी देर तक रुकता था.

अजय के बारे में और पता किया गया तो पता चला कि अजय ने ही पवन से निशा की शादी कराई थी. निशा अजय की बहन की जेठानी की लड़की थी. यानी रिश्ते में वह अजय की भांजी लगती थी. पहले तो उन को यही लगा कि अजय अपना फर्ज निभा रहा है लेकिन जैसेजैसे जांच आगे बढ़ी तो उन्हें दोनों के संबंधों पर संदेह होने लगा. इंसपेक्टर रघुवंशी ने उन दोनों के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. पता चला, दोनों के बीच हर रोज काफी देर तक बातें होती थीं. दोनों के बीच जो रिश्ता था, उस में इतनी ज्यादा बात होना दाल में काला होना नहीं, पूरी दाल ही काली होना साबित हो रही थी.

7 फरवरी, 2021 को इंसपेक्टर धर्मेंद्र रघुवंशी ने अजय को टीकाराम मंदिर के पास से और निशा को गांव अलमापुर में उस की मौसी के घर से गिरफ्तार कर लिया. जिला बाराबंकी के सुबेहा थाना क्षेत्र के गांव ताला रुकनुद्दीनपुर में अजय सिंह उर्फ बबलू रहता था. अजय के पिता का नाम मान सिंह था और वह पेशे से किसान थे. अजय 3 बहनों में सब से छोटा था. इंटर तक पढ़ाई करने के बाद अजय अपनी पुश्तैनी जमीन पर खेती करने लगा था.

निशा उर्फ शिम्मी अजय की बड़ी बहन अनीता (परिवर्तित नाम) की जेठानी की लड़की थी. शिम्मी के पिता चंद्रशेखर सिंह कोतवाली नगर क्षेत्र के भिखरा गांव में रहते थे, वह दिव्यांग थे, किसी तरह खेती कर के अपने परिवार का भरणपोषण करते थे. निशा की एक बड़ी बहन और 2 बड़े भाई बबलू और मोनू थे. बबलू पंजाब में फल की दुकान लगाता था. मोनू सऊदी अरब काम करने चला गया था. निशा अलमापुर में रहने वाली अपनी मौसी के यहां रहती थी. हमउम्र अजय और निशा रिश्ते में मामाभांजी लगते थे. जहां निशा हसीन थी, वहीं अजय भी खूबसूरत नौजवान था. निशा ने 11वीं तक तो अजय ने इंटर तक पढ़ाई की थी.
दोनों जब भी मिलते, एकदूसरे के मोहपाश में बंध जाते. दोनों मन ही मन एकदूसरे को चाहने लगे थे. लेकिन रिश्ता ऐसा था कि वे अपनी चाहत को जता भी नहीं सकते थे. लेकिन चाहत किसी भी उम्र और रिश्ते को कहां मानती है, वह तो सिर्फ अपना ही एक नया रिश्ता बनाती है, जिस में सिर्फ प्यार होता है. ऐसा प्यार जिस में वह कोई भी बंधन तोड़ सकती है.

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दोनों बैठ कर खूब बातें करते. बातें जुबां पर कुछ और होतीं लेकिन दिल में कुछ और. आंखों के जरिए दिल का हाल दोनों ही जान रहे थे लेकिन पहल दोनों में से कोई नहीं कर रहा था. दोनों की चाहत उन्हें बेचैन किए रहती थीं. दोनों एकदूसरे के इतना करीब आ गए थे कि एकदूसरे के बिना नहीं रह सकते थे. लेकिन प्यार के इजहार की नौबत अभी तक नहीं आई थी.

आखिरकार अजय ने सोच लिया कि वह अपने दिल की बात निशा से कर के रहेगा. संभव है, निशा किसी वजह से कह न पा रही हो. अगली मुलाकात में जब दोनों बैठे तो अजय निशा के काफी नजदीक बैठा. निशा के दाहिने हाथ को वह अपने दोनों हाथों के बीच रख कर बोला, ‘‘निशा, काफी दिनों की तड़प और बेचैनी का दर्द सहने के बाद आज मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं.’’ कह कर अजय चुप हो गया. निशा अजय के अंदाज से ही जान गई कि वह आज तय कर के आया है कि अपने दिल की बात जुबां पर ला कर रहेगा. इसलिए निशा ने उस के सामने अंजान बनते हुए पूछ लिया, ‘‘ऐसी कौन सी बात है जो तुम बेचैन रहे और तड़पते रहे, मुझ से कहने में हिचकते रहे.’’

अजय ने एक गहरी सांस ली और हिम्मत कर के बोला, ‘‘मेरा दिल तुम्हारे प्यार का मारा है. तुम्हें बेहद चाहता है, दिनरात मुझे चैन नहीं लेने देता. इस के चक्कर में मेरी आंखें भी पथरा गई हैं, आंखों में नींद कभी अपना बसेरा नहीं बना पाती. अजीब सा हाल हो गया है मेरा. मेरी इस हालत को तुम ही ठीक कर सकती हो मेरा प्यार स्वीकार कर के… बोलो, करोगी मेरा प्यार स्वीकार?’’ ‘‘मेरे दिल की जमीन पर तुम्हारे प्यार के फूल तो कब के खिल चुके थे, लेकिन रिश्ते की वजह से और नारी सुलभ लज्जा के कारण मैं तुम से कह नहीं पा रही थी. इसलिए सोच रही थी कि तुम ही प्यार का इजहार कर दो तो बात बन जाए. तुम भी शायद रिश्ते की वजह से हिचक रहे थे, तभी इजहार करने में इतना समय लगा दिया.’’

‘‘निशा, यह जान कर मुझे बेहद खुशी हुई कि तुम भी मुझे चाहती हो और तुम ने मेरा प्यार स्वीकार कर लिया. नाम का यह रिश्ता तो दुनिया का बनाया हुआ है, उसे हम ने तो नहीं बनाया. हमारी जिंदगी है और हम अपनी जिंदगी का फैसला खुद करेंगे न कि दूसरे लोग. रिश्ता हम दोनों के बीच वही रहेगा जो हम दोनों बना रहे हैं, प्यार का रिश्ता.’’ निशा अजय के सीने से लग गई, अजय ने भी उसे अपनी बांहों के घेरे में ले लिया. दोनों ने एकदूसरे का साथ पा लिया था, इसलिए उन के चेहरे खिले हुए थे. कुछ ही दिनों में दोनों के बीच शारीरिक रिश्ता भी कायम हो गया.

समय के साथ दोनों का रिश्ता और प्रगाढ़ होता चला गया. दोनों जानते थे कि वे विवाह के बंधन में नहीं बंध पाएंगे, फिर भी अपने रिश्ते को बनाए रखे थे. निशा का विवाह उस के घर वाले कहीं और करें और निशा उस से दूर हो जाए, उस से पहले अजय ने निशा का विवाह अपने ही गांव में किसी युवक से कराने की ठान ली. जिस से निशा हमेशा उस के पास रह सके. पवन सिंह अजय के गांव ताला रुकनुद्दीनपुर में ही रहता था. पवन के पिता दानवीर सिंह चौहान की 2008 में मत्यु हो चुकी थी. परिवार में मां शांति देवी उर्फ कमला और 3 बड़ी बहनें और 3 बड़े भाई थे.

मनमर्जी की शादी

अजय ने निशा का विवाह पवन से कराने का निश्चय कर लिया. अजय ने इस के लिए अपनी ओर से कोशिशें करनी शुरू कर दीं. इस में उसे सफलता भी मिल गई. 2012 में दोनों परिवारों की आपसी सहमति के बाद निशा का विवाह पवन से हो गया. निशा मौसी के घर से अपने पति पवन के घर आ गई. विवाह के बाद पवन की मां ने बंटवारा कर दिया. पवन निशा के साथ अलग रहने लगा. इस के बाद पवन की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई. पवन पिकअप चलाने लगा. लेकिन अधिक आमदनी हो नहीं पाती थी. जो होती थी, वह उसे दारू की भेंट चढ़ा देता था. कालांतर में निशा ने एक बेटी शिवांशी (7 वर्ष) और एक बेटे अंश (5 वर्ष) को जन्म दिया.

अजय ने भी निशा के विवाह के एक साल बाद फैजाबाद की एक युवती जया से विवाह कर लिया था. जया से उसे एक बेटा था. लेकिन निशा और अजय के संबंध बदस्तूर जारी थे. पवन शराब का इतना लती था कि उस के लिए कुछ भी कर सकता था. एक बार शराब पीने के लिए पैसे नहीं थे तो पवन निशा के जेवरात गिरवी रख आया. मिले पैसों से वह शराब पी गया. वह जेवरात निशा को अजय ने दिए थे. पवन की हरकतों से निशा और अजय बहुत परेशान थे. अपनी परेशानी दूर करने का तरीका भी उन्होंने खोज लिया. दोनों ने पवन को दुबई भेजने की योजना बना ली. इस से पवन से आसानी से छुटकारा मिल जाता. उस के चले जाने से उस की हरकतों से तो छुटकारा मिलता ही, साथ ही दोनों बेरोकटोक आसानी से मिलते भी रहते.

निशा और अजय ने मिल कर अयोध्या जिले के भेलसर निवासी कलीम को 70 हजार रुपए दे कर पवन को दुबई भेजने की तैयारी की. लेकिन दोनों की किस्मत दगा दे गई. लौकडाउन लगने के कारण पवन का पासपोर्ट और वीजा नहीं बन पाया. पवन को दुबई भेजने में असफल रहने पर उस से छुटकारा पाने का दोनों ने दूसरा तरीका जो निकाला, वह था पवन की मौत. अजय ने निशा के साथ मिल कर पवन की हत्या की योजना बनाई. 13 सितंबर को अजय ने पवन से कहा कि वह बहुत अच्छी शराब लाया है, उसे कल पिलाएगा. अच्छी शराब मिलने के नाम से पवन की लार टपकने लगी.

अगले दिन 14 सितंबर की रात 9 बजे पवन अपनी बाइक से अजय के घर पहुंच गया. वहां से अजय उसे टीकाराम बाबा के पास वाले तिराहे पर ले गया. अजय ने वहां उसे 2 बोतल देशी शराब पिलाई. पिलाने के बाद वह उसे पीपा पुल पर ले गया. वहां पहुंचतेपहुंचते पवन बिलकुल अचेत हो गया. अजय ने उसे उठा कर गोमती नदी में फेंक दिया. उस के बाद वह घर लौट गया.

लेकिन अजय और निशा की होशियारी धरी की धरी रह गई और दोनों पकड़े गए. आवश्यक कागजी खानापूर्ति करने के बाद इंसपेक्टर धर्मेंद्र रघुवंशी ने दोनों को न्यायालय में पेश कर दिया, वहां से दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया.

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