Writer- Rochika Sharma
‘‘वैसे तो मुझे आप से बात कर के सब ठीक ही लगता है फिर भी राज आप अपने हारमोन लैवल की जांच के लिए टैस्ट करवा लें और टैस्ट रिपोर्ट मुझे दिखाएं.’’ राज की हारमोन रिपोर्ट में कोई कमी नहीं थी. वह शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ था. डाक्टर चकित थी कि आखिर ऐसा क्या है कि राज ईशा को इतना चाहता है फिर भी वह वैवाहिक सुख से वंचित है? डाक्टर ने काफी सोचविचार कर कहा, ‘‘राज व ईशा तुम दोनों सैक्स काउंसलर के पास जाओ. मैं आप को रैफर कर देती हूं.’’ अगले ही दिन राज व ईशा सैक्स काउंसलर के पास पहुंचे. काउंसलर ने उन की समस्या को ध्यान से सुना और समझा. फिर दोनों से उन के रहनसहन और जीवनशैली के बारे में पूछा. राज व ईशा ने उन्हें जवाब में जो बताया उस के हिसाब से तो दोनों के बीच सब ठीक ही चल रहा है. राज को दफ्तर में भी कोई समस्या नहीं थी, बल्कि इन 8 सालों में उसे हाल ही में तीसरी प्रमोशन मिली थी. ‘तो फिर आखिर क्या है, जो चाहते हुए भी राज को सैक्स के समय असफल कर देता है?’ सोच काउंसलर ने राज से अकेले में बात करने की इच्छा जाहिर की. ईशा काउंसलर का इशारा समझ कमरे से बाहर चली गई. अब काउंसलर ने राज से उस की शादी से पहले की जीवनी पूछी. उस से उसे पता चला कि राज गोद लिया बच्चा है. और सब जो राज ने डाक्टर को बताया वह इस तरह था, ‘‘सर मेरे परिवार में मैं, मेरी बड़ी बहन और मेरे मातापिता थे. बहन मुझ से 10 साल बड़ी थी. उस की शादी मात्र 18 वर्ष में पापा के दोस्त के इकलौते बेटे से कर दी गई. मेरे पापा ने अपनी वसीयत का ज्यादा हिस्सा मेरे नाम और कुछ हिस्सा दीदी के नाम किया.
अचानक एक कार ऐक्सिडैंट में मम्मीपापा की मृत्यु हो गई. उस समय मैं 8 वर्ष का था. दीदी के सिवा मेरा कोई न था. अत: दीदी अब मुझे अपने पास रखने लगी थी. जीजाजी को भी कोई ऐतराज न था. जीजाजी के मातापिता को पैसों का लालच आ गया. फिर धीरेधीरे जीजाजी भी उन की बातों में आ गए. वे रोजरोज दीदी से कहने लगे कि वह वसीयत के कागज उन्हें दे दे. लेकिन दीदी ने नहीं दिए. वे दीदी को रोज मारनेपीटने लगे. दीदी समझ गई थी कि मुझे खतरा है. ‘‘दीदी की एक सहेली थी. उन की कोई संतान न थी. वे एक बच्चा गोद लेना चाहते थे. दीदी ने उन से बात की और मुझे गोद लेने को कहा. वे झट से राजी हो गए. दीदी ने मुझे गोद देने के कागज तैयार करवा लिए. जीजाजी का व्यवहार दिनोंदिन बिगड़ता जा रहा था. अब वे रोज शराब पी कर दीदी को मारनेपीटने लगे थे. मैं तब दीदी के पास ही रह रहा था. ‘‘एक रात जीजाजी देर से आए. मैं उस वक्त दीदी के कमरे में था. जीजाजी बहुत ज्यादा शराब पीए थे. जीजाजी ने आते ही अंदर से कमरा बंद कर लिया और मुझे व दीदी को लातघूंसों से बहुत मारा. उस के बाद दीदी को बिस्तर पर पटक दिया और उस के साथ सैक्स किया. मैं उस वक्त 10 वर्ष का था. वह दृश्य बहुत डरावना था. ‘‘मैं ने अपनी आंखें बंद कर लीं और मुझे वहीं नींद आ गई. सुबह दीदी जिंदा नहीं थी. सिर्फ एक लाश थी. मुझे और तो कुछ खास याद नहीं कि उस के बाद क्या हुआ, हां उस के बाद मेरे वर्तमान मातापिता मुझे अपने घर ले आए. अब जब भी मैं ईशा से करीबियां बढ़ाना चाहता हूं, मेरी आंखों के सामने उस रात की डरावनी धुंधली सी वह याद आ जाती है.
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‘‘मुझे लगता है दीदी की तरह कहीं मैं ईशा को भी न खो दूं. मैं ईशा से कुछ कह भी नहीं पाता हूं. हिम्मत नहीं जुटा पाता हूं. बस इसीलिए अपनेआप ही ईशा से दूर हो जाता हूं. यह सब अपनेआप होता है. मेरा अपने शरीर पर कोई नियंत्रण नहीं रहता और दीदी की लाश वहां दिखाई देती है.’’ राज की सारी बात सुन कर काउंसलर सब समझ गए कि क्यों चाह कर भी राज ईशा के साथ संबंध कायम करने में असफल रहता है. काउंसलर ने राज को घर जाने को कहा और अगले दिन आने को कहा. अगले दिन उन्होंने राज को प्यार से समझाया, ‘‘राज, तुम्हारी दीदी सैक्स के कारण नहीं मरीं, तुम्हारे जीजाजी ने उन्हें लातघूंसों से मारा. इस के कारण उन्हें कुछ अंदरूनी चोटें लगीं और वे उस दर्द को सहन नहीं कर पाईं और मौत हो गई. ‘‘तुम ने दीदी को पिटते तो कई बार देखा था, लेकिन उस रात तुम ने जो दृश्य देखा वह पहली बार था और सुबह दीदी की लाश देखी तो तुम्हें ऐसा लगा कि दीदी सैक्स के कारण मर गई… आज इतने वर्षों बाद भी वह धुंधली सी याद तुम्हारे वैवाहिक जीवन को असफल कर रही है.’’ काउंसलर ने ईशा से भी इस बारे में बात की. उन्होंने राज के वर्तमान मातापिता को भी राज की स्थिति बताई. जब उन्हें हकीकत मालूम हुई तो उन्होंने राज की दीदी की मृत्यु की पोस्टमार्टम रिपोर्ट राज को दिखाई, जिस में साफ लिखा था कि राज की दीदी की जान दिमाग व पसलियों में चोट लगने से हुई थी और इसीलिए उस के जीजा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
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अब सारी स्थिति राज के सामने थी. ईशा राज को उस पुरानी याद से दूर ले जाना चाहती थी. अत: उस ने गोवा में होटल बुक किया और राज से वहां चलने का आग्रह किया. राज ने खुशीखुशी हामी भर दी. ईशा वहां राज को उस की खूबियां बताते हुए कहने लगी, ‘‘राज तुम बहुत नेक और होशियार हो… तुम्हें पा कर मैं धन्य हो गई हूं. मैं तुम्हारी हर हार व जीत में तुम्हारे साथ हूं.’’ ऐसी बातें कर वह राज का मनोबल बढ़ाना चाहती थी. फिर रात के समय जैसे ही राज उस के करीब आ कर उस के बालों को सहलाने लगा, तो वह कहने लगी, ‘‘आगे बढ़ो राज. जब तक तुम मेरे साथ हो मुझे कुछ नहीं होगा, हिम्मत करो राज.’’
7 दिन बस इसी तरह गुजर गए. अब राज का आत्मविश्वास लौटने लगा था. उस धुंधली सी याद की हकीकत वह समझ चुका था. ईशा ने राज की मम्मी व काउंसलर को खुशी से फोन कर बताया, ‘‘हम सफल हुए.’’ हालांकि राज एक बार तो डर गया था… सैक्स में सफल होने के बाद वह काफी देर तक ईशा को टकटकी लगाए देखता रहा. फिर कहने लगा, ‘‘दुनिया तो सिर्फ तुम्हारी ऊपरी खूबसूरती देखती है ईशा… तुम्हारा दिल कितना सुंदर है… 8 वर्षों में तुम ने मेरी असफलता को एक राज रखा और हर वक्त मुसकराती रहीं. आज मैं सफल हूं तो सिर्फ तुम्हारे कारण. तुम ने इतनी मेहनत की, इतना सहा, विवाहित हो कर भी 8 वर्षों तक कुंआरी का जीवनयापन करती रहीं और चेहरे पर शिकन भी न आने दी. तुम्हारा दिल कितना सुंदर है ईशा. तुम से सुंदर कोई नहीं.’’
दोनों जब गोवा से लौटे तो उन के चेहरे पर कुछ अलग ही चमक थी. वह चमक थी विश्वास और प्यार की. राज की मां भी बहुत खुश थीं. 3 महीने बाद ईशा ने खुशखबरी दी कि वह मां बनने वाली है. राज की मां उसे ढेरों आशीर्वाद देते हुए बोलीं, ‘‘मैं दुनिया की सब से खुशहाल सास हूं, जिसे तुम जैसी बहू मिली.’’