जागरूकता लाते फिल्मों के कंडोम सीन

इस फिल्म का हीरो एक दफ्तर में क्लर्क था जिस की शादी तय हो जाती है तो वह सेक्स की जानकारियों के लिए कामसूत्र जैसी किताबें पढ़ने लगता है.

फिल्म ‘अनुभव’ का वह सीन बड़े दिलचस्प तरीके से दिखाया गया है जिस में हीरो निरोध खरीदने दुकान पर जाता है, तो बेहद घबराया हुआ रहता है और रास्तेभर इस बात की प्रैक्टिस करता हुआ जाता है कि दुकानदार से निरोध मांगना कैसे है.

इस फिल्म की हीरोइन पद्मिनी कोल्हापुरे सयानी हो जाने के बाद भी बच्चों की तरह शरारत करती खेलती रहती है. वह शादी और सैक्स का मतलब ही नहीं समझती है.

फिल्म का एक और सीन दर्शकों को खूब हंसा गया जिस में पद्मिनी कोल्हापुरे अपने छोटे भाई के साथ मिल कर शेखर सुमन के सूटकेस से निरोध निकाल कर उन्हें गुब्बारों की तरह फुला कर आंगन में टांग देती है.

ऐसे आती है जागरूकता

इस एक फिल्म के कुछ सीन देख कर नौजवानों में कंडोम को ले कर न केवल जागरूकता आई थी, बल्कि वे छोटे परिवार की अहमियत भी समझने लगे थे. उस दौर में सरकार ने छोटे परिवार, परिवार नियोजन और निरोध का जम कर प्रचार किया था लेकिन उसे उम्मीद के मुताबिक कामयाबी नहीं मिली थी.

कंडोम बनाने वाली प्राइवेट कंपनियां जब मैदान में आईं तो उन्होंने सब से पहले प्रचार करने का तरीका बदला और तरह-तरह के लुभावने कंडोल बनाना शुरू किए, तो देखते ही देखते कंडोम के बाजार और कारोबार ने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि अब लोगों को यह बताने की जरूरत नहीं रह गई है कि कंडोम से आप न केवल परिवार छोटा रख सकते हैं, बल्कि कई सैक्स रोगों से भी खुद को बचा कर रख सकते हैं.

लेकिन अभी भी गांवदेहात में रूढि़यों और लापरवाही के चलते कंडोम के प्रचार प्रसार की जरूरत है.

जरूरत तो इस बात की भी है कि कंडोम छोटी से छोटी जगह पर आसानी से मिले और  सरकार व कंपनियां मिल कर इसे एक चैलेंज और मुहिम की शक्ल में लें.

कंडोम बनाने वाली कंपनियों ने लोगों को लुभाने के लिए तरहतरह के इश्तिहार बनाए और जब फिल्मी सितारों को भी अपना ब्रांड एंबैसेडर बनाना शुरू किया तो लोगों की झिझक भी कम होना शुरू हुई.

‘बिग बी’ को दिया कंडोम

हिंदी फिल्मों के ‘बिग बी’ अमिताभ बच्चन ने कभी कंडोम का इश्तिहार नहीं किया, लेकिन एक हिट फिल्म ऐसी भी थी जिस में उन्हें कंडोम थमाया गया था. यह फिल्म थी ‘सत्ते पे सत्ता’, जिस में अमिताभ नर्स बनी हेमामालिनी से इश्क कर बैठते हैं और उन से कोर्टमैरिज कर लेते हैं.

जब वे शादी के बाद रजिस्टर पर दस्तखत कर कुरसी से उठते हैं तो रजिस्ट्रार उन्हें बधाई देते हुए उन की हथेली पर कंडोम का पैकेट रख देता है.

इस छोटे से सीन में दर्शकों के लिए कई मैसेज छिपे थे, मसलन यह कि कंडोम का इस्तेमाल पहली रात यानी सुहागरात से ही कर देना चाहिए जिस से मियांबीवी दोनों सैक्स का लुत्फ बिना किसी डर और रुकावट के उठा सकें और पहले बच्चे के लिए जल्दबाजी न करें.

बिना कंडोम सैक्स नहीं

अमिताभ बच्चन के बेटे अभिषेक बच्चन की फिल्म ‘पा’ एक अलग तरह की फिल्म थी जिस में उन का बेटा एक खतरनाक बीमारी प्रोगेरिया का शिकार रहता है और आम बच्चों की तरह नहीं रह पाता है और न ही जी पाता है. 13 साल के छोटे बच्चे का रोल अमिताभ बच्चन ने ही निभाया था.

इस फिल्म में विद्या बालन हीरोइन थी. प्रेमीप्रेमिका कभी भी बिना कंडोम के हमबिस्तरी नहीं करते थे, पर एक बार चूक हो गई. यह पहली फिल्म थी जिस में कंडोम न इस्तेमाल करने की वजह

से प्रेमीप्रेमिका अलग हुए क्योंकि प्रेमी विवाह को तब भी तैयार न हुआ, जब प्रेमिका पेट से हो गई.

देश की आबादी जिस रफ्तार से बढ़ रही है, कुछ अनुमान तो यह है कि शायद इस मामले में 2022-23 में चीन से भी फतेह मिल जाएगी, जबकि जरूरत इस बात की है कि हम आबादी के नहीं बल्कि टैक्नोलौजी और कारोबार के मामले में चीन को पछाड़ें. शायद इसीलिए प्रधानमंत्री भी देशवासियों को कम से कम बच्चे पैदा करने का मशवरा देने लगे हैं.

और भी हैं मिसालें

फिल्म ‘अनुभव’ के बाद ‘पीके’ ऐसी फिल्म थी जिस में कंडोम सीन को लंबा दिखाया गया था. इस फिल्म में आमिर खान हीरो थे और दूसरे गोला यानी ग्रह से आए थे जो आम लोगों की दुनिया के तौरतरीकों से वाकिफ नहीं था. फिल्म में धार्मिक अंधविश्वासों को ले कर जम कर हमला किया गया था.

एक सीन में दिखाया गया था कि आमिर खान एक न्यूज चैनल के दफ्तर में बैठे हुए कुछ सोच रहे हैं तभी उन्हें कंडोम का पैकेट गिरा हुआ दिखता है, तो वे हर किसी से पूछते फिरते हैं कि यह आप का है क्या?

इस कौमेडी पर दर्शकों को भले ही खूब हंसी आई हो, लेकिन उन्होंने पहली दफा किसी हिट फिल्म में कंडोम का इतना खुला प्रचार देखा था.

इसी तरह गोविंद मेनन के डायरैक्शन में बनी हिंदी फिल्म ‘ख्वाहिश’ में हीरोइन मल्लिका शेरावत को कंडोम खरीदते हुए दिखाया गया था. इस सीन की अपनी अलग अहमियत थी कि अब लड़कियां भी बिना किसी लिहाज के कंडोम खरीदने लगी हैं.

विशाल मिश्रा के डायरैक्शन में बनी फिल्म ‘मरुधर ऐक्सप्रैस’ में भी एक अच्छा कंडोम सीन है, लेकिन यह सब काफी नहीं है. अभी कंडोम को ले कर और अच्छी फिल्मों की जरूरत है जिस से ज्यादा से ज्यादा जागरूकता आए.

अगर सैनेटरी नैपकिन को ले कर जागरूकता फैलाती फिल्म ‘पैडमैन’ बन सकती है, तो कंडोम पर क्यों नहीं?

आखिर क्यों इस लड़के ने किया खुद का सौदा

तब पत्थरों के बीच बैठे प्रेमी जोड़ों को देखता तो सोचता कितना प्रेम है इन में. आज सोच रहा हूं क्या वाकई प्रेम है इस दुनिया में? यूपी के एक छोटे से कसबे से मुंबई आया तो सोचा था अच्छी नौकरी मिल जाए तो फिर शादी करूंगा और घर बसा लूंगा.
यहां आया तो एक परिचित ने एक चाल की खोली में मेरे लिए रहने की व्यवस्था कर दी. मैं अखबार में विज्ञापन देखता और फिर इंटरव्यू देने जाता. काफी दिन हो गए थे नौकरी ढूंढ़तेढूंढ़ते. पैसे खत्म हो गए थे और उधार से काम चला रहा था.

एक दिन मेरी मुलाकात टोनी नाम के एक शख्स से हुई. उस ने मुझे बताया, ‘‘छोड़ो, बेकार है चप्पलें घिसना. शाम को चलो एक बंदे से मिलवाता हूं.’’
मैं ने पूछा, ‘‘किसी कंपनी के मालिक हैं? या फिर कोई औफिसर?’’
वह तेज हंसा फिर बोला, ‘‘शाम को पता चल जाएगा.’’

मैं मजबूर था

शाम को हम चल दिए तय समय पर. वह एक दबड़ेनुमा जगह थी. उस में एक छोटे से कमरे में औफिस जैसा बना था.
उस में बैठा शख्स मुझ से कहने लगा, ‘‘खूब पैसा है पर तुम्हें टापचिक यानी फैशन में रहना पड़ेगा. कस्टमर जो कहे उसे करना होगा. किसी भी हालत में उसे नाराज नहीं करना है. जो पैसा मिलेगा 60% तुम्हारा 40% हमारा. स्मार्ट हो तुम, बस खुद को टापचिक रखो.’’
मेरे पास पैसे नहीं थे. मैं कर भी क्या सकता था? दूसरी तरफ मुझे लगा कि इस में मेरा क्या जाएगा. मैं तैयार हो गया.
अब कल से मुझे एक ऐस्कौर्ट पुरुष बनना था, जिसे जिगोलो भी कहते हैं.

बेचैनी में काटी रात

पूरी रात मैं ने बेचैनी में काटी. दूसरे दिन शाम 6 बजे मुझे तैयार हो कर एक कैफे के बाहर खड़ा होना था. बांए पर हरी पट्टी बांधनी थी, जिस से मेरी पहचान करने में कस्टमर को परेशानी न हो. मुझे सिर्फ कार का एक नंबर दिया गया था. कोड था ‘हैप्पी डे’.

शाम के 6:12 बजे एक कार आ कर रुकी. मैं ने कार का नंबर प्लेट देखा. यह वही नंबर था जो मुझे दिया गया था. मैं कार की ओर बढ़ा तो ड्राइवर की सीट पर एक 35-36 साल की महिला थी. उस ने खिडक़ी के शीशे को नीचे कर मुझे देखा तो मैं ने उसे ‘हैप्पी डे मैम’ बोला. वह मुसकराई फिर पिछली सीट पर बैठने को इशारा किया. थोड़ी ही देर बाद हम एक शानदार होटल के बाहर खड़े थे.

उस ने साथ नहाने को औफर किया

होटल के कमरे में जाते ही उस महिला ने बीयर पी और मुझे भी पीने को कहा. मैं ने कहा मैं नहीं पीता, यह बुरी लत है तो वह हंसी फिर बोली, ‘‘नए लगते हो. कहां के रहने वाले हो?’’
मैं ने कहा, ‘‘सौरी मैम, जगह और पता नहीं बता सकता आप को.’’
उस ने “ओके” कहा और मुझे साथ नहाने को औफर किया. वह नहाते समय मुझ से लिपट गई और अपनी नाभी को मुझे चूमने के लिए कहा. बाद में हम कमरे में आ गए. बातों ही बातों में उस ने मुझे बताया कि उस के पति को सैक्स में ज्यादा फंकी करना पसंद नहीं. नितंबों तक को चूमना किसे कहते हैं यह नहीं जाना आज तक.
थोड़ी देर बाद वह मेरे ऊपर थी और सैक्स के समय वह तेजतेज सिसकारियां ले रही थी. हद तो तब हो गई जब उस ने मोबाइल में एक पोर्न क्लिक दिखा कर मुझ से ऐसा ही करने को कहा.
खैर, लगभग 3 घंटे हम साथ रहे. फिर बाद में मैं अपनी खोली पर आ गया था. पैसे एडवांस में ही मुझे मिल गए थे. 1 दिन में 5 हजार रूपए मेरे जेब में थे.

1-2 दिन तक मुझे कोई फोन नहीं आया. तीसरे दिन मुझे दोपहर 3 बजे एक जगह जाने को बोला गया. वह एक फ्लैट था. डोरबेल बजाने पर एक 26-27 साल की युवती ने दरवाजा खोला. मैं ने कोडवर्ड बताया तो वह दरवाजे से हट गई. मैं अंदर आ गया. उस ने मेरे हाथ से मोबाइल ले लिया और उसे स्विच्ड औफ कर दिया. फिर मुझे ड्राइंगरूम में ले गई और पूछा, ‘‘कोई कैमरा या रिकौर्डर वगैरह हो तो बता दो, वरना अच्छा नहीं होगा.’’
मेरे मना करने पर उस ने मुझे कौफी बना कर पिलाई फिर पूरी तरह नंगा होने को बोली.

हैरान था मैं 

मैं उस के सामने पूरी तरह निर्वस्त्र था. उस ने मेरी अंग की तारीफ की और पूछ बैठी, ‘‘क्या सभी पुरुषों का ‘ऐसा’ ही होता है?’’ मैं हैरान था.
उस ने मुझे बताया कि अगले 3 महीने बाद उस की शादी होने वाली है और वह शादी से पहले पुरुष शरीर को करीब से देखना चाहती थी.
मैं अवाक था. वह सुंदर थी और तब तक मेरी भी इच्छा सैक्स करने को हो रही थी. मैं ने पूछा, ‘‘मैम, क्या कंडोम लगाऊं?’’ उस ने मना कर दिया और बोली, ‘‘नहींनहीं, बस कुछ देर इसी तरह खड़े रहो. मेरी शादी होने वाली है.’’
खैर, कुछ देर बाद मैं वहां से निकल कर अपने खोली पर आ गया. मूड औफ था पर आज फिर बतौर फीस पैसे मिले थे इसलिए बाजार घूमने निकल पङा.

एक बार तो मैं बुरी तरह घिर गया था

मुझे एकसाथ 2 युवतियों को खुश करना था. वे दोनों ही काफी तेजतर्रार लग रही थीं. उन्होंने एकएक कर मेरे कपड़े उतारे और मुझे निर्वस्त्र ही डांस को बोलने लगीं. मेरे लिए यह सब आश्चर्यजनक था. पर उन्हें न तो नाराज कर सकता था और न ही मैं भाग सकता था. उस दिन मैं थक कर चूर हो गया था. 4-5 घंटे बाद खोली पर आया तो आते ही बिना खाएपीए सो गया.

एक दिन तो अजीब वाकेआ हुआ मेरे साथ

उस दिन मुझे जहां जाना था, उस के लिए मैं ने नए कपड़े खरीदे थे. हेयरस्टाइल सही कराए थे और अच्छे से तैयार हो कर निकला था.
होटल के जिस कमरे में मैं पहुंचा था वहां लगभग 42 साल की एक महिला थी. वह मुझे बताते हुए रो पड़ी. उस ने बताया कि वह अकेलेपन का शिकार है और पति उसे प्यार नहीं करता. उस ने बताया कि उस के पति ने घुटनों के ऊपर कभी किस नहीं किया. फोरप्ले के लिए तरस जाती है वह.
मेरे साथ सैक्स के दौरान वह इतनी उत्तेजित हो गई थी कि उस ने जोश में मेरे दाएं कान पर कस कर दांत गड़ा दिए थे. मैं तो बिलबिला गया था.

लगभग 3 साल तक मैं पुरुष ऐस्कौर्ट का काम करता रहा. इस दौरान मैं ने बहुत पैसे कमाए. यह तो अच्छा रहा कि इस दौरान मैं कंप्यूटर कोर्स पूरा कर खुद एक कोचिंग सैंटर खोल कर बच्चों को पढ़ाने लगा.

मन में कई सवाल अधूरे रह गए

बीते दिनों को मैं याद करना नहीं चाहता. बस इतना ही कहना चाहूंगा कि पतियों को अपनी पत्नी को भरपूर प्यार करना चाहिए. उन्हें मानसिक सुख के साथ दैहिक सुख का भी खयाल रखना चाहिए. इतने दिनों में मैं ने जाना कि महिलाएं अकेलेपन और प्रेम के अभाव में ही गलत रास्ता चुनती हैं. यह अलग बात है कि कुछ महिलाएं इसे अपनी आजादी से जोड़ कर देखती हैं.

सही है, पुरुषों की तरह महिलाओं को भी अपनी जिंदगी अपने ढंग से जीने की आजादी मिलनी चाहिए. मगर मन में कई सवाल हैं जिन्हें अब जानने की कोई इच्छा नहीं है. पिछली गलतियों को भूल कर मुझे अब अपना और अपने परिवार का भविष्य संवारना है. अब से मैं बराबर समुद्र किनारे बैठने आऊंगा. मुझे यह देख कर अच्छा लगता है कि छोटीछोटी मछलियां लहरों के बहाव में किनारे जमीन पर आ जाती हैं. पर संघर्ष करतेकरते वे फिर से पानी में जा कर जिंदा बच जाती हैं.
काश, मैं भी कुछ साल पहले इन मछलियों से प्रेरणा ले पाता.

(नाम व पहचान गुप्त रखने के लिए पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं)

पिछले 2 साल से मैं अपने अंग में खुजली महसूस करता हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 21 साल है और पिछले 2 साल से मैं अपने अंग में खुजली महसूस करता हूं. खुजली इतनी ज्यादा होती है कि मैं वहां खूब खुजला लेता हूं. इस से मेरे अंग पर लाल निशान हो जाते हैं और बड़ी जलन मचती है. मैं ने कई जगह इलाज कराया, पर कोई फायदा नहीं हुआ. मैं क्या करूं?

जवाब

इस तरह की समस्या सैक्स इंफैक्शन या फंगल इंफैक्शन या दाद की वजह से हो सकती है. इस के अलावा मर्दाना अंग में हर्पीज, मस्से (वार्ट), सोराइसिस या कौंटैक्ट डर्मेटाइटिस जैसी साधारण समस्या के चलते भी ऐसा हो सकता है. यह डायबिटीज का शुरुआती लक्षण भी हो सकता है.

आप को चमड़ी बीमारी के माहिर डाक्टर से मिलना चाहिए, जो आप को इस के सही इलाज के बारे में सलाह दे सकता है.

 जब सताए दाद, खाज-खुजली तो अपनाएं ये टिप्स –

स्किन मानव शरीर का एक ऐसा हिस्सा है जिस में आएदिन कोई न कोई परेशानी हो ही जाती है. स्किन की बीमारियों की बात की जाए तो सबसे पहले खयाल दादखाजखुजली का आता है, जो गरमी के मौसम में ज्यादा परेशान करती है. हम अकसर इसे मामूली परेशानी समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह मामूली सी परेशानी कब भयानक रूप ले लेती है, इस का पता ही नहीं चलता. यह एक ऐसी बीमारी है, जो देश में 1 से 3% व्यक्तियों को इस प्रकार प्र्रभावित करती है कि वे कुछ ही समय में बहुत ज्यादा परेशान हो जाते हैं.

क्या है लक्षण

– यदि आप को हर दिन खुजली की प्रौब्लम रहती है तो यह खाज का लक्षण है.

– स्किन पर लाल चकत्ते उभर रहे हों जिन्हें आप का बारबार खुजलाने का मन करे तो वह दाद का लक्षण है.

– स्किन पर खिंचाव के साथ खुजली महसूस हो तो यह खाज का ही लक्षण है.

– स्किन पर दाने होना.

क्या है कारण

– दवाओं का ज्यादा सेवन करने से शरीर में साइड इफैक्ट हो सकता है, जिस से खुजली की परेशानी हो सकती है.

– मच्छरों और कीटों के काटने से खुजली की प्रौब्लम होती है.

– साफसफाई न रखने से स्किन में इन्फैक्शन हो सकता है, जो दादखाजखुजली का रूप ले सकता है.

– दाद, सोरायसिस, ऐक्जिमा जैसे चर्मरोग होने से भी खुजली होती है.

– गीले कपड़े पहनने से खुजली होती है.

– यदि किसी व्यक्ति को किसी चीज से ऐलर्जी है तो उस से खुजली हो सकती है.

– रूखी स्किन.

– चिलचिलाती धूप.

– इफैक्टेड व्यक्ति के संपर्क में आना.

 इन्फैक्शन से बचना जरूरी

जब दादखाज शरीर के अलग-अलग हिस्सों में एकसाथ हो जाए तो उसे ठीक कर पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है. यह प्रौब्लम देखने में तो बहुत ही साधारण लगती है, लेकिन असल में किसी भी व्यक्ति को अत्यधिक परेशान करने के लिए काफी है. ऐसे वक्त व्यक्ति को खुजलाने के अलावा कुछ नजर नहीं आता है. खुजलाने से उस क्षण तो राहत मिल जाती है लेकिन यही राहत बाद में परेशानी को गंभीर करने का कारण बन जाती है, जिस से दाद या खाज की जगह इन्फैक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है. खुजली करने की जगह यदि इस का समय पर इलाज करा लिया जाए तो इसे बढ़ने से रोका जा सकता है.

दाद और खाज के बीच अंतर

आमतौर पर लोग दाद और खाज को एक ही बीमारी समझ बैठते हैं, लेकिन दोनों में काफी अंतर है. दाद एक चर्मरोग है, जिस में स्किन पर लाल चकत्ते उभर आते हैं, जिन का सही समय पर इलाज न करने पर वे शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैलने लगते हैं. दाद में अत्यधिक खुजली महसूस होती है, जिस के कारण व्यक्ति मजबूर हो कर जब दाद को खुजलाता है, तो उसे आनंद महसूस होता है, लेकिन यही आनंद कुछ ही वक्त में दाद को और फैलने में मदद करता है. वहीं अगर बात खाज की करें, तो खाजएक तरह का इन्फैक्शन है, जो अकसर उंगलियों के बीच, घुटनों के पीछे, कलाइयों और कूल्हों और प्राइवेट पार्ट के किनारों पर देखने को मिलता है. आमतौर पर यह अंगों के गीले रहने पर जन्म लेता है जैसेकि गीले मोजे पहनना, लगातार पसीना आना, बारबार पानी में जाना, गीले कपड़े पहनना, जरूरत से ज्यादा कसे कपड़े पहनना आदि.

क्या है इलाज

आजकल बाजार में हर बीमारी की दवा उपलब्ध है. यदि आप दादखाज से परेशान हैं, तो डाक्टर की सलाह से दवा का सेवन कर सकते हैं या जैल के उपयोग से इस प्रौब्लम से छुटकारा पा सकते हैं. दाद खाज की प्रौब्लम का शुरुआत में ही इलाज कराने से यह आसानी से ठीक हो जाती है, लेकिन इलाज में देरी करने से इसे ठीक कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है. इस तरह की परेशानी होने पर चर्मरोग विशेषज्ञ से परमर्श लें.

पोर्न और सेक्स का खुला बाजार

सनी लियोनी को जिस तरह से भारतीय फिल्मों में करियर बनाने में कामयाबी मिली है, उस के बाद से कई पोर्न स्टार लड़कियां भारतीय इंडस्ट्री में आ कर करियर बनाना चाहती हैं.

रशियन पोर्न स्टार मिया मालकोवा हिंदी फिल्मों के जानेमाने फिल्मकार व डायरैक्टर रामगोपाल वर्मा की वैब सीरीज ‘गौड, सेक्स ऐंड ट्रुथ’ में काम कर चुकी हैं.

सोशल मीडिया पर इस के फोटो वायरल होने के बाद लोगों की बढ़ी दिलचस्पी से साफ है कि मिया मालकोवा को भी सनी लियोनी जैसी लोकप्रियता हासिल हो सकती है.

इस की सब से बड़ी वजह यह है कि भारतीय समाज अब पोर्न स्टार को ले कर अपनी पुरानी दकियानूसी सोच से बाहर निकल रहा है. सनी लियोनी को कलाकार के रूप में पैसा और शोहरत दोनों मिल रहे हैं.

सनी लियोनी को जब टैलीविजन के एक शो ‘बिग बौस’ में लाया गया था तो शो बनाने वालों पर आरोप लगा था कि वे अपने कार्यक्रम की टीआरपी बढ़ाने के लिए सनी लियोनी का सहारा ले रहे हैं. उस समय पहली बार हिंदुस्तानी दर्शकों को पता चला था कि सनी लियोनी पोर्न फिल्मों की बहुत बड़ी कलाकार हैं.

पोर्न फिल्मों और उस के कलाकारों को हिंदुस्तानी दर्शक पसंद करेंगे, इस बात को ले कर एक शक सा सभी के मन में था. फिल्मी दुनिया के जानकार मान रहे थे कि पोर्न फिल्मों का विरोधी देश सनी लियोनी को कभी पसंद नहीं करेगा. खुद सनी लियोनी को भी यही लगता था.

कनाडा में पैदा हुई सनी लियोनी भारतीय मूल की पंजाबी लड़की हैं.

5 फुट, 4 इंच लंबी सनी लियोनी गोरे रंग की 50 किलो वजन की हैं. पोर्न फिल्मों में आने से पहले वे जरमन बेकरी में काम करती थीं. इस के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए एक टैक्स फर्म में काम किया था. फिर उन की मुलाकात एक फोटोग्राफर से हुई जो पोर्न फोटो खींचता था.

उस फोटोग्राफर के कहने पर सनी लियोनी ने पोर्न फोटो शूट कराए, फिर यहीं से उन की पोर्न फिल्मों का सफर शुरू हो गया.

साल 2011 में सनी लियोनी ने डेनियल वेबर से शादी की. भारतीय फिल्म उद्योग में आने के बाद उन्हें भारी कामयाबी मिली.

पोर्न का देशी बाजार

सनी लियोनी के बाद भारतीय दर्शकों में पोर्न फिल्मों का क्रेज तेजी से बढ़ा है. विदेशों में पोर्न फिल्मों का उद्योग हिंदी फिल्मों जैसा ही है. इन फिल्मों के भी कलाकार होते हैं, जो दूसरे कलाकारों  जैसे होते हैं. उन का अपना घरपरिवार होता है.

अमेरिका के लौस एंजिल्स में पोर्न फिल्मों की शूटिंग के लिए पूरी तरह से कानूनी इजाजत दी जाती है. वहां साल में जितनी फिल्मों की शूटिंग के लिए इजाजत ली जाती है उन में से 5 फीसदी पोर्न फिल्में होती हैं.

भारत में भले ही पोर्न फिल्में बनाने के लिए कानूनी इजाजत न हो, पर चोरीछिपे पिछले 20 सालों से ऐसी फिल्मेंबनती रही हैं.

टैक्नोलौजी में बदलाव के साथसाथ पोर्न फिल्मों के कारोबार में भी बदलाव आया है. आज इंटरनैट, सीडी और मोबाइल फोन के जरीए पोर्न फिल्मों का मजा देश के हर तबके के लोग ले रहे हैं.

एक सर्वे के मुताबिक, इंटरनैट का इस्तेमाल करने वाले 80 फीसदी लोग कभी न कभी पोर्न फिल्में जरूर देखते हैं. 60 फीसदी लोग इस के पक्के दर्शक हैं. 20 फीसदीलोग इंटरनैट से पोर्न फिल्मों की खरीदारी करते हैं.

ज्यादातर लोग इंटरनैट पर ऐसी फिल्में देखते हैं, जिन के लिए उन को अलग से पैसा देने की जरूरत नहीं पड़ती है.

ज्यादातर हिंदुस्तानी दर्शक विदेशी पोर्न फिल्मों को पसंद करते हैं. कुछ ऐसे लोग भी हैं जो देशी पोर्न फिल्में देखने के आदी हैं. यही वजह है कि इंटरनैट पर देशी पोर्न फिल्मों की अलग साइटें तैयार होने लगी हैं.

विदेशों में बनती देशी पोर्न

अभी तक ज्यादातर देशी पोर्न फिल्में चोरीछिपे बनती थीं, जिन की फोटोग्राफी अच्छी नहीं होती थी. अब हिंदुस्तानी लड़केलड़कियों को ले कर विदेशों में फिल्में बनने लगी हैं. इन को सीडी और इंटरनैट के जरीए बेचा जा रहा है.

मुंबई में चोरीछिपे पोर्न फिल्में बनाने वाले भारतीय फिल्मकारों के लिए अब विदेशों में यह काम करना आसान हो गया है.

एक ऐसे ही फिल्मकार का कहना है, ‘‘अब पोर्न फिल्मों में काम करनेसे देशी लड़कियों को कोई परहेज नहीं है. कुछ शादीशुदा लड़कियां भी इस के लिए तैयार होती हैं.

‘‘देश के तमाम हिस्सों से मुंबई में काम की तलाश में आने वाली कुछ लड़कियां ऐसी फिल्मों में काम कर के पैसे कमाना चाहती हैं. सनी लियोनी के बाद इन को लगता है कि देश के लोग इन्हें भी इज्जत की नजर से देख सकते हैं. ये लड़कियां विदेशों में पोर्न फिल्मों की शूटिंग को तवज्जुह देती हैं.’’

देशी पोर्न फिल्मों में कालगर्ल भी काम करने को तैयार हो जाती हैं. इन में से ज्यादातर को अपना चेहरा दिखाने से कोई गुरेज भी नहीं होता है. ये विदेशी पोर्न फिल्में देख कर देशी पोर्न फिल्में तैयार कर लेती हैं.

देशी पोर्न फिल्मों का एक बड़ा क्षेत्र बैंकौक बन गया है. वहां पर देशी लड़कियों को ले कर पोर्न फिल्में तैयार हो रही हैं. इन लड़कियों को केवल शूटिंग करने के लिए ही बैंकौक भेजा जाता है. ऐसी पोर्न फिल्मों की बड़ी मांग अपने देश के अलावा पाकिस्तान, अरब देशों और नेपाल में होती है.

अरब देशों में पोर्न फिल्मों की शूटिंग भले ही न होती हो, पर वहां पर भी पोर्न फिल्मों की मांग सब से ज्यादा है. वे लोग पोर्न फिल्में खरीदने के लिए पैसा भी खर्च करते हैं.

कौमार्य भंग होती पोर्न फिल्मों की ज्यादा मांग अरब देशों में होती है. इस के साथ ही वहां सेक्स के दूसरे क्रूर तरीके दिखाने वाली फिल्में भी देखी जाती हैं.

ऐसे में अरब देश की औरतों के किरदार निभाने के लिए भी भारतीय लड़कियों का सहारा लिया जाता है. इन को मेकअप और कपड़ों से अरब देश की औरतों का लुक भी देने की कोशिश की जाती है.

भारतीय लड़कियां टूरिस्ट वीजा ले कर विदेशों में जाती हैं. वहां पोर्न फिल्मों की शूटिंग कर के वापस चली आती हैं.

इंटरनैट पर पोर्न फिल्मों के सहारे तमाम तरह के दूसरे सेक्स के सामान बेचने का सहारा भी लिया जाता है. इन के लिए पोर्न फिल्मों की साइटें सब से बड़ा सहारा बन गई हैं. इन सैक्सी इतिश्हारों में मर्द के अंग को लंबा और मोटा करने के लिए दवा, सैक्सी बातचीत करने वाली लड़कियों का प्रचार, पोर्न फिल्मों के कुछ सीन दिखा कर पूरी फिल्में और सैक्सी खिलौने बेचने का काम खूब होता है.

हर उम्र को लुभाती हैं

नैट बैंकिंग के शुरू होने के बाद इस क्षेत्र में भुगतान करना आसान हो गया है. इन फिल्मों का सब से बड़ा दीवाना आज का नौजवान तबका है.

इस के अलावा 40 साल के बाद की उम्र के लोग भी पोर्न फिल्मों का पूरा मजा लेते हैं. अब लड़के ही नहीं लड़कियां भी इन को खूब देखती हैं.

वैसे तो भारत में सेक्स को ले कर ज्यादा भरोसे लायक सर्वे नहीं होते हैं, फिर भी जो होते हैं उन में से एक सर्वे से पता चलता है कि 30 फीसदी लड़कियां पोर्न फिल्में देखने का शौक रखती हैं. 38 फीसदी शादीशुदा लड़के और 20 फीसदी लड़कियां पोर्न फिल्मों को देखते हैं.

गांव और शहर के आधार पर जब इस का सर्वे किया गया तो पता चला कि शहरों के 35 फीसदी और गांव के 26 फीसदी लड़के पोर्न फिल्में देखते हैं.

लड़के जहां शादी से पहले अपने साथियों के साथ पोर्न फिल्में देखने की शुरुआत करते हैं, वहीं लड़कियां शादी के बाद पतियों की पहल पर पोर्न फिल्में देखती हैं.

शादीशुदा लड़कियों ने सर्वे में बताया कि उन के  पतिउन्हें पोर्न फिल्में सेक्स में बढ़ावा देने के लिए दिखाते हैं.

सर्वे से यह भी पता चलता है कि गांव के 17 फीसदी और शहरों में रहने वाले 10 फीसदी लड़के शादी से पहले सेक्स का अनुभव ले चुके थे.

गांव में रहने वाली 4 फीसदी लड़कियां और शहरों में रहने वाली 2 फीसदी लड़कियां शादी से पहले ही सेक्स का अनुभव कर चुकी होती हैं.

गांव हो या शहर, पोर्न फिल्मों का चलन बढ़ाने में मोबाइल फोन का सब से अहम रोल रहा है. मोबाइल फोन पर ऐसी फिल्में लोड करने का अलग कारोबार चल पड़ा है. 1,500 से 2,000 रुपए की कीमत में ऐसे मोबाइल फोन बाजार में आ गए हैं जिन में 2 जीबी से ले कर 10 जीबी तक के मैमोरी कार्ड लगते हैं. ये कार्ड 200 रुपए की कीमत में मिल जाते हैं. इस कार्ड में ऐसी पोर्न फिल्में आसानी से लोड कराई जा सकती हैं.

जिन लोगों के पास कंप्यूटर या लैपटौप जैसे महंगे साधन नहीं हैं उन के लिए मोबाइल फोन सब से अच्छा साधन बन गया है. पहले कुछ लोग साइबर शौप पर जाते थे, पर वहां परेशानी होती थी. अब जिन लोगों के मोबाइल फोन में इंटरनैट चलाने की सुविधा है वे सीधे पोर्न फिल्में देख सकते हैं.

जागरूक करतीं पोर्न फिल्में    

पोर्नोग्राफी और सेक्स ऐजूकेशन की किताबों के बीच एक बहुत ही महीन सी दीवार होती है. इस तरह की जानकारी काफी हद तक पतिपत्नी के बीच जिस्मानी संबंधों को ले कर फैली हुई भ्रांतियों को दूर करती है. इस को गलत तब कहा जा सकता है जब इस को गलत लोग देखें या फिर जबरदस्ती किसी लड़की या लड़के को दिखाएं.

पहले बड़ा परिवार होता था. इन में भाभी, बड़ी ननद, बूआ और बड़ी बहन जैसे तमाम रिश्ते होते थे जो लड़की को शादी के बाद जिस्मानी संबंधों के बारे में बताती थीं.

अब इस तरह के रिश्ते कम हो गए हैं. लड़कियां अपने करियर और दूसरे मसलों में इतना उलझी हुई होती हैं कि वे अपने परिवार के लोगों से इतना नहीं घुलमिल पाती हैं कि उन से जिस्मानी संबंधों पर बात कर सके. इस के चलते शादी के बाद जिस्मानी संबंधों को ले कर वे अनजान ही बनी रहती हैं.

जिन दोस्तों या सहेलियों के जरीए उन को पता चलता है, वह भी सही जानकारी नहीं दे पाते हैं. कभीकभी इन जानकारियों की कमी में लड़कियों को कुंआरी मां बनने तक की नौबत आ जाती है.

आमतौर पर अपने देश में इस तरह की सेक्स ऐजूकेशन को गलत माना जाता है. इस की कमी में लड़कियां सेक्स से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो जाती हैं.

अपने देश में भले ही सेक्स सिखाने वाली किताबों को पोर्नोग्राफी माना जाता हो लेकिन दूसरे देशों में इस को इलाज के रूप में लिया जाता है.

एक डाक्टर बताते हैं, ‘‘जब मेरे पास कोई लड़का इस बात की शिकायत ले कर आता है कि वह नामर्दी का शिकार है, उस के अंग में तनाव नहीं आता है तो यह देखना पड़ता है कि यह तनाव हमेशा नहीं आता या फिर कभीकभी आता भी है.

‘‘जब लड़का कहता है कि सेक्स की किताबें पढ़ कर या फिर ब्लू फिल्में देख कर तनाव आता है, तब यह पता चलता है कि उस लड़के की नामर्दी केवल मन का वहम है. अगर इस हालत में भी तनाव नहीं आता है तो उस का इलाज थोड़ा मुश्किल हो जाता है.’’

विदेशों में पोर्नोग्राफी को ले कर कई तरह की रिसर्च होती रहती हैं. इसी तरह की एक रिसर्च बताती है कि ब्लू फिल्में देखने से आदमी के शुक्राणुओं की गति तेज हो जाती हैं.पोर्नोग्राफी को विदेशों में  एक कला की तरह देखा जाता है. कुछ कलाकार तो दूसरी फिल्मों में भी काम कर के अपना नाम कमाते हैं.

सेक्स संबंधों की काउंसलिंग करने वाले कुछ डाक्टरों का कहना है कि अपने देश में भी पोर्न फिल्मों को दिखा कर नामर्दी का इलाज करना कानूनी रूप से सही माना जाना चाहिए. कानून को इस बात की इजाजत देने के बारे में सोचना चाहिए. जब नामर्दी दूर करने के लिए दवाएं बनाई जाती हैं तो उन का असर देखने के लिए भी ब्लू फिल्मों का इस्तेमाल किया जाता है.

पोर्नोग्राफी का इस्तेमाल जब पतिपत्नी आपसी समझदारी के साथ करते हैं तो उन के रिश्ते रोचक हो जाते हैं. सेक्स संबंध शादीशुदा जोड़ों की बड़ी जरूरत होते हैं. कभीकभी जब ये संबंध टूटते हैं तो इन का असर शादीशुदा जिंदगी पर भी पड़ता है.

हमारे समाज में औरतों को सेक्स के बारे में अपनी बात कहने से रोका जाता है. इस के उलट आदमी सेक्स को ले कर हर तरह का प्रयोग करना चाहता है.

जब पतिपत्नी के बीच इस तरह की परेशानी आती है तो पति दूसरी औरत की तरफ भागने लगता है. अगर दूसरी औरत वाले मामले को देखें तो उस की सब से बड़ी वजह सेक्स ही है.

हमारे समाज में औरतों को कभी बराबरी का दर्जा नहीं दिया गया. कभी उस को देवी बना दिया गया तो कभी कोठे पर बिठा दिया गया. उस को अपनी जिंदगी जीने के बारे में सिखाया ही नहीं गया.

आज भी सेक्स को ले कर पत्नी में एक झिझक रहती है. उस को लगता है कि अगर सेक्स को ले कर उस ने पहल की तो उसे ही बदचलन मान लिया जाएगा. इसलिए वह चुप ही रहती है.

इस तरह के जोड़ों में तनाव और लड़ाईझगड़ा ज्यादा होता है. जिन लोगों की सेक्स जिंदगी ठीक होती है, वे हंसीखुशी व तालमेल के साथ रहते हैं.

मेरी शादी को 3 साल हो गए हैं पर अभी तक मैं प्रेग्नेंसी कंसीव नहीं कर पाई हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 26 वर्षीय विवाहिता हूं. शादी को 3 साल हो गए हैं पर अभी तक कंसीव नहीं कर पाई हूं. इस के लिए अब मैं सेक्स के दौरान नीचे तकिया भी रखती हूं और पति से कहती हूं कि स्खलित होने के बाद वे देर तक उसी अवस्था में रहें. फिर भी कंसीव नहीं कर पा रही जबकि मेरे पीरियड्स रैग्युलर हैं और हम नियमित रूप से सेक्स भी करते हैं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

सेक्स के दौरान इजैक्युलेशन के समय पुरुष के अंग से काफी तीव्र वेग से स्पर्म निकलते हैं और गहराई तक पहुंचते हैं. जो स्पर्म स्ट्रौंग नहीं होते वे वैजाइना से बाहर भी निकल जाते हैं, मगर इस से गर्भधारण प्रक्रिया में कोई फर्क नहीं पड़ता. यह एक आम प्रक्रिया है और इस से घबराने की भी जरूरत नहीं है.

अगर पति का स्पर्म काउंट सही है, आप का पीरियड्स रैग्युलर है तो संभव है कि आप के कंसीव न कर पाने के पीछे कोई और मैडिकल वजह हो. यह वजह आप में या फिर आप के पति दोनों में से किसी में भी हो सकती है.

अच्छा यही होगा कि आप किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से सलाह लें और फर्टिलिटी के बारे में बात करें. तभी आप जल्दी कंसीव कर पाएंगी.

मां बनने में न हो देरी इसलिए कराएं समय पर इलाज –

शादी के बाद मां बनने की ख्वाहिश हर महिला की होती है. लेकिन कैरियर के चक्कर में एक तो देरी से शादी करने का फैसला और उस के बाद भी मां बनने का फैसला लेने में देरी करना उन की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है, जिस से उन्हें कंसीव करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में जरूरी है समय पर सही फैसला लेने की व कंसीव करने में सफलता नहीं मिलने पर डाक्टरी परामर्श ले कर इलाज करवाने की.

जानते हैं इस संबंध में गाइनोकोलौजिस्ट ऐंड ओब्स्टेट्रिशिन (नर्चर आईवीएफ सैंटर) की डा. अर्चना धवन बजाज से:

कब आती है समस्या

पीसीओडी, ऐंडोमिट्रिओसिस, अंडे कम बनना या बनने पर उन की क्वालिटी का सही नहीं होना, फैलोपियन ट्यूब में ब्लौकेज, हारमोंस का इंबैलेंस, पुरुष में शुक्राणुओं की कमी की वजह से दंपती संतान सुख से वंचित रह जाते हैं.

आज संतान सुख से वंचित दंपतियों की संख्या दिनप्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जो तनाव का भी कारण बनती जा रही है. ऐसे में जरूरी है कि अगर आप दोनों साथ रहते हैं और 1 साल से भी ज्यादा समय से बच्चे के लिए ट्राई कर रहे हैं और आप को सफलता नहीं मिल रही है तो आप तुरंत डाक्टर से संपर्क करें ताकि समय पर इलाज शुरू हो सके. सक्सैस नहीं मिलने पर आईयूआई, आईवीएफ व आईसीएसआई का विकल्प आइए, जानते हैं विस्तार से आईयूआई, आईवीएफ व आईसीएसआई प्रक्रिया के बारे में:

आईयूआई

आईयूआई को इंट्रायूटरिन इंसेमिनिशेन कहते हैं. इस प्रक्रिया में पहले सोनोग्राफी के द्वारा महिला के एग के रिलीज होने के समय का पता लगाया जाता है. इस दौरान अंडे की क्वालिटी को अच्छा बनाने व रिलीज करने के लिए दवाइयां भी दी जाती हैं. जब अंडा रप्चर होने के करीब होता है तब पुरुष के अच्छे शुक्राणुओं को अलग कर लिया जाता है फिर उसे गर्भाशय में पहुंचाया जाता है ताकि अंडा आसानी से शुक्राणु से मिल सके और कंसीव करने में आसानी हो.

इस प्रक्रिया में महिला के पीरियड को ध्यान में रखा जाता है. इस में पीरियड के 10वें दिन से सोनोग्राफी करवाई जाती है, जो 14वें, 15वें दिन तक रोजाना या एक दिन छोड़ कर होती है. इस में नियमित रूप से सैक्स भी करने को कहा जाता है, क्योंकि अंडा 1 दिन तक जीवित रहता है जबकि स्पर्म 2 दिन तक.

आईयूआई के कम से कम 5-6 सर्किल ट्राई किए जाते हैं. फिर भी सफलता नहीं मिलने पर आईवीएफ का सु झाव दिया जाता है. इस के लिए पहले लैप्रोस्कोपी द्वारा स्थिति का पता लगाया जाता है.

आईवीएफ

आईवीएफ को इनविट्रो फर्टिलाइजेशन कहा जाता है, जिस में महिला के शरीर से विकसित हुए अंडे को बाहर निकाल कर पुरुष के अच्छे शुक्राणुओं से मिलाया जाता है. फिर इन्हें कल्चर डिश में डाल दिया जाता है. इस प्रक्रिया से बने भ्रूण को प्रयोगशाला में रखा जाता है और फिर 2 दिन बाद महिला के यूटरस में डाल दिया जाता है. इस से कंसीव करने में आसानी होती है.

आईसीएसआई

इसे इंट्रासाइटोप्लास्मिक मोफोलौजिकल सिलैक्टेड स्पर्म इंजैक्शन तकनीक कहा जाता है. इस तकनीक का सहारा तब लिया जाता है जब पुरुष शुक्राणुओं की संख्या काफी कम होती है. इस में टैस्ट द्वारा उच्च गुणवत्ता यानी अच्छे शुक्राणुओं को अलग कर के फिर प्रोसैस में लाया जाता है.

आईवीएफ से सक्सैस रेट

इस में सक्सैस इस बात पर निर्भर करती है कि दंपती की उम्र क्या है और उन की शादी को कितने साल हुए हैं. जैसे अगर उम्र 30 साल से कम है तो 50-55% सक्सैस के चांसेज होते हैं, वहीं 35-40 वर्ष की उम्र में सक्सैस रेट 30-35% रह जाता है. 40 में या उस के बाद सिर्फ 20-25%. कई बार पहली बार आईवीएफ करवाने पर सक्सैस नहीं मिलती है. लेकिन दूसरी, तीसरी, चौथी बार इस के सक्सैस के चांसेज काफी बढ़ जाते हैं.

फायदा

ट्यूब बंद होने, स्पर्म काउंट कम होने या फिर अंडे की क्वालिटी सही नहीं होने पर  भी आईवीएफ से आसानी से कंसीव कर के संतान सुख प्राप्त किया जा सकता है.

खास केयर की जरूरत

वैसे तो हर महिला यही चाहती है कि उसे नैचुरल तरीके से गर्भधारण हो, लेकिन जब इस में सफलता नहीं मिलती तो अन्य विकल्पों का सहारा लेना ही पड़ता है. अन्य विकल्पों को अपनाने के साथ ही प्रैगनैंसी में कौंप्लिकेशन न आए, इस के लिए ज्यादा सावधानियां बरतने की जरूरत होती है जैसे कई बार प्रैगनैंसी के दौरान डायबिटीज, हाइपरटैंशन, ओवेरियन हाइपर स्टिम्युलेशन हो जाता है. इसलिए जरूरत है कि इस दौरान डाक्टर की हर सलाह पर अमल करने की और किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत डाक्टर को दिखाने की ताकि स्थिति बिगड़े नहीं.

हारमोंस को बैलेंस में रखना जरूरी

हारमोंस के असंतुलित होने से हमारी शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक व इमोशनल हैल्थ पर भी प्रभाव पड़ता है. इस के लिए काफी हद तक हमारा मौडर्न लाइफस्टाइल जिम्मेदार होता है, जिसे अगर आप चाहें तो बड़ी आसानी से बैलेंस कर सकते हैं. जैसे-

– रोजाना पर्याप्त मात्रा में अपनी डाइट में प्रोटीन लें.

– बिजी शैड्यूल के बावजूद ऐक्सरसाइज के शैड्यूल को न छोड़ें.

– मोटापे को कंट्रोल करने व खुद को फिट रखने के लिए कार्बोहाइड्रेट व चीनी का इनटेक कम करें.

– खुश रहें ताकि तनाव से दूर रहें.

– ओवरईटिंग की आदत से बचें.

– पूरी नींद लेने के साथसाथ हाइफाइबर डाइट लें.

इस बात का ध्यान रखें कि अपने इलाज को ले कर स्ट्रैस में न रहें, क्योंकि स्ट्रैस में रहने से हारमोंस का संतुलन बिगड़ता है, जिस से आप को कंसीव करने में दिक्कत होगी.

डा. अर्चना धवन बजाज

कंसलटैंट ओब्स्टेट्रिशन, गाइनोकोलौजिस्ट इनफर्टिलिटी ऐंड आईवीएफ ऐक्सपर्ट, द नर्चर क्लीनिक

जब ओल्डर कलीग के साथ हो सेक्सुअल टैंशन

अकसर ओल्डर कलीग का ज्यादा एक्सपीरियंस्ड होना, सपोर्टिव होने, फाइनैंशियल स्टेबल होने आदि के कारण लड़कियां उन की तरफ अट्रैक्ट हो जाती हैं. उन के साथ औफिस में 7-8 घंटे का साथ, काम के दौरान डिस्कशन, शेयरिंग, केयरिंग बढ़ावा देता है सेक्सुअल टैंशन को. लेकिन यह किसी भी तरह से सही नहीं है.

सैक्सुअल टैंशन का मतलब है जब आप किसी के साथ सेक्स करने की इच्छा रखते हों, लेकिन सेक्स न कर पा रहे हों. इसे इस तरह भी सम झा जा सकता है कि आप को किसी को देख कर उस के करीब आने का मन करता हो लेकिन आप की यह चाह मन में ही दबी रहने से आप के लिए अपनी तलब को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है. इस का मतलब है कि आप सैक्सुअल टैंशन महसूस कर रहे हैं.

वर्कप्लेस पर अकसर ही लड़कियां सैक्सुअल टैंशन महसूस करती हैं और जब यह सैक्सुअल टैंशन सीनियर कोवर्कर या कहें ओल्डर कलीग के साथ हो तो सैक्सुअल टैंशन लगातार बढ़ती जाती है, क्योंकि सेक्स तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है. इस सिचुएशन में सेक्स इसलिए मुश्किल है क्योंकि आप चाहे अविवाहित हों लेकिन उम्र में बड़ा सीनियर शादीशुदा हो सकता है.

कलीग का शादीशुदा होना यानी कि उस के साथ सेक्स करना या रिलेशनशिप में आना मुश्किल होता है. ऐसे में सैक्सुअल टैंशन वक्त के साथ बढ़ती जाती है. आप अगर अपनी उम्र से बड़े कलीग से सेक्स करने की इच्छा रखती हैं यह जानते हुए कि उस के साथ सेक्स करना मुश्किल है तो आप यकीनन सैक्सुअल टैंशन महसूस कर रही हैं.

सैक्सुअल टैंशन की निशानी

  • जब भी वह व्यक्ति आसपास से गुजरता है तो आप दोनों की नजरें एकदूसरे से टकरा जाती हैं. नजरें टकरा कर एकदूसरे पर कुछ सैकंड के लिए ठहर जाने का मतलब है कि आप दोनों एकदूसरे में इंट्रैस्टेड हैं.
  • आप के कलीग को जितना मौका मिलेगा आप की सीट की तरफ आने का या आप से बात करने का, वह नहीं छोड़ेगा. कुछ ऐसा ही आप भी करती हैं जब आप को मौका मिलता है.
  • दोनों एकदूसरे से फ्लर्ट करते हो यह जानते हुए भी कि आप दोनों रिलेशनशिप में नहीं आ सकते.
  • आप दोनों एकदूसरे से हाथ मिलाते हो तो आप को सामान्य से कुछ अलग महसूस होता है. लगता है जैसे हाथ पकड़े ही खड़े रहें देर तक.
  • आप को अपने कलीग को देख कर उसे किस करने का या गले लगाने का मन करने लगता है.
  • दोनों जानबू झ कर एकदूसरे से टकराने की कोशिश करने लगते हो.
  • आप अपने कलीग को ले कर डेड्रीम यानी दिवास्वप्न देखने लगते हो. आप अपनी कल्पना में उस कलीग के साथ सेक्स करने लगते हो.
  • एकदूसरे को देखने पर या बात करने पर हमेशा लगता है कि कुछ है जो दोनों कह नहीं पा रहे हैं, जिस से सैक्सुअल टैंशन इंगित होती है.
  • एकदूसरे के करीब आने पर हार्ट रेट बढ़ जाता है और शरीर में सैंसेशन सी महसूस होने लगती है.
  • सैक्सुअल टैंशन महसूस होने का मतलब यह नहीं है कि आप को अपने ओल्डर कलीग से प्यार है. यह नौर्मल है और बिना स्ट्रौंग फीलिंग्स के भी हो सकती है.

क्यों होती है सैक्सुअल टैंशन

ओल्डर कलीग के साथ सैक्सुअल टैंशन होने के बहुत से कारण है जिन में पहला तो यही है कि आप उन की तरफ आकर्षित हैं. आकर्षण या अट्रैक्शन होना लाजिमी है क्योंकि कलीग चाहे उम्र में बड़ा हो लेकिन कहते हैं न ‘मेन एज लाइक फाइन वाइन.’ लुक्स के अलावा भी बहुत से कारण हैं जिन से लड़कियों को खुद से सीनियर और ओल्डर कलीग के लिए सैक्शुअल टैंशन महसूस होती है.

वे हर चीज के लिए क्लियर होते हैं : ओल्डर मेन अपने कैरियर, लाइफ और थिंकिंग को ले कर बहुत क्लियर होते हैं. उन्हें पता है कि वे क्या चाहते हैं और क्या नहीं. वे वर्कप्लेस में सीनियर होते हैं और इसलिए उन की वहां धाक जमती है.

उन के पास ऐक्सपीरियंस होता है : चाहे औफिस के अंदर के काम हों या बाहर के, चाहे प्रोफैशनल चीजें हों या पर्सनल, उन के पास ऐक्सपीरियंस होता है. वे नौसिखिए नहीं होते. लड़कियां यह जानती हैं कि ओल्डर कलीग न तो उन के एक्सबौयफ्रैंड की तरह कनफ्यूज्ड घूमेगा और न ही बैड पर बुरा परफौर्म करेगा, क्योंकि ऐक्सपीरियंस होता है. जाहिर तौर पर उन्होंने ज्यादा दुनिया देखी है, उन्हें पता है किस काम को कैसे करना है या किस जगह जाना है, क्या खाना है, क्या खरीदना है और सेविंग्स कैसे करनी है आदि.

फाइनैंशियल स्टेबिलिटी होती है : लड़कियां उन लड़कों की तरफ या कहें आदमियों की तरफ ज्यादा आकर्षित होती हैं जो फाइनैंशियली स्टेबल होते हैं. औफिस में काम करने वाली लड़कियां स्कूलकालेज की तरह खाली जेब वाले बौयफ्रैंड में इंट्रैस्ट नहीं रखतीं क्योंकि वे खुद अच्छाखासा कमा रही होती हैं. ऐसे में जब कोई उन से ज्यादा कमाने वाला उन के तरफ रुचि दिखाता है तो उन्हें भी उस में रुचि आने लगती है.

वे सपोर्टिव होते हैं : 22-23 साल की लड़कियों के अपनी उम्र के बौयफ्रैंड्स अपनी लाइफ को ले कर ही इतने उल झे हुए होते हैं कि सपोर्ट देने के बजाय वे, बस, लेना जानते हैं. उन से बिलकुल उलट ओल्डर कलीग होता है जिस की अपनी लाइफ बहुत शौर्टआउट है और इसीलिए वे सपोर्ट देना जानते हैं. औफिस में बौस से किस प्रेजैंटेशन के बारे में किस तरह बात करनी है से ले कर काम को और बेहतर कैसे बनाना है तक वे सब सम झाते हैं, बताते हैं.

सैक्सुअल टैंशन को खत्म करना जरूरी

ओल्डर कलीग के साथ सेक्स करने में बुराई नहीं है लेकिन जब आप को पता हो कि वह व्यक्ति शादीशुदा है और आप का उस के साथ सेक्स करना आप के कैरियर, रैपुटेशन और नौकरी के लिए खतरा बन सकता है तो इस सैक्सुअल टैंशन को खत्म करना बहुत जरूरी हो जाता है.

  • मन में सोच लें कि आप को अपने ओल्डर कलीग के साथ सेक्स नहीं करना है, तो नहीं करना है. अगर कभी मौका मिलता भी है एकदूसरे के करीब आने का या एकदूसरे को छूने का, किस करना का, तो पीछे हट जाएं.
  • खाली जगह पर उस कलीग के साथ जाने से बचें. खाली लिफ्ट, औफिस का खाली कोना, उस की कार में बैठ कर जाना या भरी मैट्रो में एकदूसरे के बहुत करीब खड़े होने जैसी सिचुएशन से जितना खुद को दूर रख सकते हैं, रखें.
  • एकदूसरे का हाथ पकड़ना, देर तक नजरें मिलाना, घूरना और किसी भी तरह से छूना बंद कर दें.
  • किसी और को डेट करने की कोशिश करें. कोई और जिस के साथ आप सेक्स करना चाहें तो कर सकें. इस से आप की अपने ओल्डर कलीग के साथ सैक्सुअल टैंशन खत्म हो जाएगी और शायद इंट्रैस्ट भी.
  • जितना हो सके उतना कम समय एकदूसरे के साथ बिताएं.
  • फ्लर्ट पर और फ्लर्टी टैक्सटिंग पर रोक लगाएं. फ्लर्ट सैक्सुअल टैंशन का बड़ा कारण है.
  • सेक्सुअल टैंशन को रिलीज करने के लिए सेक्सुअलएनर्जी को डाइवर्ट करने की कोशिश करें. कोई ऐसा काम या ऐक्टिविटी करना शुरू कर दीजिए जिस से मन में सेक्स को ले कर खयाल ही कम आने लगें या न आएं. खुद को औफिस में ही इतना बिजी कर लीजिए कि अपने ओल्डर कलीग पर ध्यान देने का आप को समय ही न मिले.

जब भी मैं पति के साथ सेक्स करती हूं तो मुझे काफी दर्द होता है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं विवाहित महिला हूं. विवाह को अभी 1 वर्ष ही हुआ है. समस्या यह है कि मैं जब भी पति के साथ सेक्स करती हूं, मुझे दर्द व तकलीफ से गुजरना पड़ता है. जिस की वजह से मैं सेक्स को एंजौय नहीं कर पाती. मैं अपनी इस समस्या को ले कर बहुत स्ट्रैस में रहती हूं. लेकिन समझ नहीं आता कि किस से अपनी समस्या शेयर करूं. मैं अपनी सेक्स लाइफ एंजौय कर सकूं, इस के लिए मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

हाल ही में ब्रिटेन में हुए एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि 10 में से 1 महिला को सेक्स के दौरान दर्द और तकलीफ से गुजरना पड़ता है. आप को सेक्स के दौरान दर्द और तकलीफ से गुजरना पड़ता है तो इस को ले कर हिचकिचाएं नहीं और अपने पति से खुल कर यह बात शेयर करें. क्योंकि यह सामान्य बात है.

अगर आप किसी बात को ले कर स्ट्रैस में हैं या चिंतित हैं तो आप अपनी गाइनीकोलौजिस्ट से भी इस बारे में सलाह लें. क्योंकि सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि चिंता व भावनात्मक कारणों से सेक्स संबंध के दौरान दर्द व तकलीफ की समस्या और बढ़ती है.

यह समस्या 20-30 वर्ष की आयु की महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है. आप अपने पार्टनर और गाइनीकोलौजिस्ट से इस बारे में खुल कर बात करें. पति से अपनी पसंद और नापसंद को शेयर करें. ऐसा करने से काफी हद तक आप की समस्या का समाधान हो जाएगा.

कौमार्य का ये उपहार बढ़ा देगा सेक्स का मजा

कामिनी की शादी को 10 साल हो गए हैं. वह 2 बच्चों की मां है. पति बहुत अमीर हैं. कारोबार के सिलसिले में उन्हें अकसर विदेश जाना पड़ता है. कामिनी बेहद शौकीन तबीयत की है. उस पर जो धुन सवार हो जाए उसे पूरा कर के ही मानती है. कुछ अरसा पहले कामिनी को हाइमनोप्लास्टी (कौमार्य पुनर्प्राप्ति) के बारे में पता चला. पति 1 माह के लिए यूरोप दौरे पर थे. इसी दौरान उचित अवसर जान उस ने हाइमनोप्लास्टी करवा ली. इस संबंध में उस ने पूरी गोपनीयता बरती. सब कुछ सामान्य होने पर एक दिन उस ने पति से फोन पर कहा, ‘‘आप जैसे ही भारत लौटेंगे हम हनीमून ट्रिप पर स्विट्जरलैंड जाएंगे.’’

‘‘यह क्या मजाक है,’’ पति ने हंसते हुए कहा, ‘‘हमारी शादी को 10 साल हो गए हैं. इस उम्र में अब तुम मुझे किस के साथ हनीमून पर भेजना चाह रही हो?’’

कामिनी को ऐसे उत्तर की उम्मीद न थी, इसलिए तुनक कर बोली, ‘‘कैसी बातें करते हैं, आप? किसी और के साथ क्यों? हनीमून ट्रिप मेरे साथ होगा.’’

पति ठहाका लगाते हुए बोले, ‘‘क्यों बचकानी बातें कर रही हो?’’

‘‘मैं बचकानी बातें नहीं कर रही हूं. और हनीमून पर तो चलिए. एकदम प्योर वर्जिनिटी का आनंद उठाएंगे.’’

अंजलि कालेज के साथियों के साथ पिकनिक पर गोवा गई. दोस्त एकदूसरे से बेहद खुले हुए थे, अत: खूब मस्ती कर रहे थे. मगर इसी बीच अंजलि के साथ एक हादसा घट गया. पार्टी के दौरान उस के दोस्तों ने उस के ड्रिंक में नशीली दवा मिला दी. फिर क्या था, उसे नशे में कुछ पता नहीं चल रहा था कि उस के दोस्त उस के साथ क्या कर रहे हैं. उलटे नशे में होने पर वह उन का साथ दे रही थी. मगर जब नशा उतरा तो अपनी हालत देख कर उस के होश उड़ गए. पिकनिक से लौटने पर अंजलि ने सारी बात अपनी डाक्टर मम्मी को बताई. सुन कर वे बहुत दुखी हुईं. फिर उन्होंने बेटी को धैर्य बंधाया. पर अंजलि अंदर ही अंदर टूट चुकी थी. शीघ्र ही उस का विवाह होने वाला था. उसे वर्जिन न होने की टीस साल रही थी. मां उस की भावनाओं को समझती थीं. आखिर उन्होंने एक दिन बेटी की हाइमनोप्लास्टी करवा दी. इस से वह दोबारा वर्जिन हो गई और फिर उस का खोया आत्मविश्वास भी लौट आया.

करीब 30% से अधिक लड़कियों को प्रथम मिलन पर रक्तस्राव नहीं होता, जिस का अर्थ आमतौर पर यह लगाया जाता है कि लड़की का विवाहपूर्व कौमार्य भंग हो चुका है अथवा यों कहिए कि उस के विवाहपूर्व यौन संबंध रहे हैं. परिणामस्वरूप रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंच जाता है. जहां तक पारंपरिक भारतीय समाज की सोच का सवाल है, तो यहां सब कुछ एकपक्षीय यानी पुरुष के पक्ष में है. पति चाहे खुद कितना भी दुराचारी क्यों न हो, वह अपेक्षा रखता है कि उस की होने वाली पत्नी शतप्रतिशत वर्जिन हो.

अपराधबोध से ग्रस्त

इस पुरुषप्रधान समाज की यह दकियानूसी सोच स्त्री पर इस कद्र हावी हो गई है कि वह भी अपनी कौमार्य को अपनी आबरू कह कर संबोधित करती है. जिस का मतलब औरत की इज्जत से है. यदि विवाह के समय उस के पास कौमार्य की पूंजी नहीं है तो वह अपराधबोध से ग्रस्त हो जाती है, भले ऐसा किसी हादसे के कारण हुआ हो. कौमार्य भंग होने का मतलब यह नहीं कि लड़की चरित्रहीन है. अब वह जमाना नहीं रहा जब लड़कियां घर की चारदीवारी में बंद रहती थीं और शादी हो कर गुडि़या की भांति ससुराल विदा हो जाती थीं. आज की लड़कियां स्कूलकालेज जाती हैं और लड़कों की तरह हर गतिविधि में हिस्सा लेती हैं. जिमनास्टिक, तैराकी, घुड़सवारी, स्कूटर, बाइक चलाते या फिर अन्य कोई शारीरिक श्रम के दौरान कब कौमार्य की झिल्ली अपना वजूद खो देती है, इस का लड़कियों को एहसास तक नहीं होता.

कई बार विवाह का वादा कर यौन संबंध बन जाते हैं, मगर बाद में दहेज या अन्य किसी कारण के चलते रिश्ता टूट जाता है. कई बार लड़कियां अंजलि जैसी स्थिति का भी शिकार बन जाती हैं और कौमार्य खो बैठती हैं. ऐसे में लड़की व उस के मांबाप के लिए यह हादसा गहरी चिंता का विषय बन जाता है. और जगह रिश्ता तय करने में वे कौमार्य भंग को मुख्य बाधा मानते हैं. लेकिन अब ऐसे मामलों में हाइमनोप्लास्टी के माध्यम से आशा की नई किरण नजर आने लगी है.

क्या है हाइमनोप्लास्टी

कामिनी जैसे शौकिया वर्जिनिटी हासिल करने के मामले बहुत कम होते हैं, क्योंकि इस प्रकार की महिलाएं ऐसी शल्य चिकित्सा महज इसलिए करवाती हैं ताकि एक बार फिर कौमार्य होने का लुत्फ उठाया जा सके. मगर हाइमनोप्लास्टी क्या है, यह जानना भी जरूरी है. यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिस में चिकित्सक कौमार्य झिल्ली जिसे हाइमन कहते हैं, का वैजाइना से टिशू ले कर पुनर्निर्माण कर देते हैं. इस में करीब क्व 60-70 हजार का खर्च आता है और उसी दिन मरीज को छुट्टी दे दी जाती है. कुछ दिनों तक मरीज को ऐंटीबायोटिक्स व अन्य दवाएं खानी पड़ती हैं.

बढ़ रहा है प्रचलन

शौकिया किस्म की शादीशुदा महिलाएं वैलेंटाइन डे और शादी की वर्षगांठ से कुछ समय पूर्व हाइमनोप्लास्टी करवाती हैं. लेकिन बारबार यह सर्जरी करवाने को डाक्टर बेहद नुकसानदेह बताते हैं. कौस्मैटिक सर्जन विक्रमजीत सिंह के अनुसार करीब 60 फीसदी मामलों में लड़कियां मांबाप के साथ सर्जरी के लिए आती हैं. उन में से ज्यादातर तो शादी की तारीख के हिसाब से समय तय कर सर्जरी करवाती हैं ताकि विवाह के समय वे बिलकुल फिट ऐंड फाइन हों. जिस तरह शादियों के सीजन में लोग शौपिंग से ले कर बैंडबाजे जैसी तैयारी की प्लानिंग करते हैं, उसी तरह शादी के लिए वर्जिनी फिट होने के उद्देश्य से डाक्टर से हाइमनोप्लास्टी का समय तय करते हैं. अकेले चंडीगढ़ में हर महीने करीब आधा दर्जन शल्य चिकित्सा होती है, जिस से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि पूरे देश में कितने पैमाने पर इस का प्रचलन हो गया है. चूंकि यह प्रक्रिया प्राय: गुपचुप होती है, इस के सही आंकड़े तो कुछ और ही होंगे.

क्या प्रतिबंध लगाना चाहिए

महिला कल्याण समिति की डाक्टर सरस्वती मनोहर हाइमनोप्लास्टी करवाए जाने को बहुत बुरा मानती हैं. उन का कहना है कि बेशक चिकित्सकों के अनुसार इस शल्य चिकित्सा का शरीर पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़ता हो, मगर वे महिलाओं द्वारा अपनाए जाने वाले इस विकल्प को केवल पुरुष के अहम का तुष्टीकरण ही मानती हैं. वे रोषपूर्वक पूछती हैं कि क्या पुरुष ऐसा कोई प्रमाण दे सकता है जिस से यह साबित हो कि वह विवाहपूर्व उस के किसी स्त्री से संबंध नहीं रहे हैं? डाक्टर सरस्वती की सलाह है कि सरकार को इसे रैग्युलेट करना चाहिए और ऐसी शल्य चिकित्सा से पहले संबंधित महिला व अभिभावकों की काउंसलिंग की जानी चाहिए. हालांकि वे यह भी मानती हैं कि सामाजिक बदनामी के दबाव में पीडि़त महिला व उस के मांबाप काउंसलिंग सहज ही स्वीकार नहीं करेंगे. मगर परिवार न्यायालय की भांति निजता व अपनत्व का भरोसा दिलवाए जाने पर ऐसा संभव हो सकता है. साथ ही, शौकिया तौर पर करवाई जाने वाली हाइमनोप्लास्टी को भी पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए.

मुझे मेरी बेस्टफ्रैंड के बौयफ्रैंड से अट्रैक्शन होता है, मैं क्या करूं?

सवाल

मुझे मेरी बेस्टफ्रैंड के बौयफ्रैंड से अट्रैक्शन होता है. वह लंबा, सुंदर और समझदार लड़का है. कभीकभी लगता है जैसे वह मुझे एक अलग नजर से देख रहा है. मेरी बेस्टफ्रैंड मुझे अपने और अपने बौयफ्रैंड के इंटीमेट मोमैंट्स के बारे में भी बताती है जिन्हें सुन कर मुझे उस लड़के के लिए और ज्यादा फैसिनेशन होने लगी है.

मैं अपनी बेस्टफ्रैंड को धोखा नहीं देना चाहती, उस का दिल दुखाना नहीं चाहती पर अपने इस दिल का क्या करूं. मैं बहुत परेशान हो रही हूं. वह लड़का उस से शायद प्यार भी नहीं करता. लेकिन, मेरा उसे पाने का मतलब होगा अपनी दोस्ती खराब करना. कुछ हैल्प कीजिए.

जवाब

आप की बातें सुन कर यह लव का कम और लस्ट का मामला ज्यादा लग रहा है. आप को अपनी बेस्टफ्रैंड के बौयफ्रैंड से सिर्फ अट्रैक्शन है जिस के चलते आप को अपना दिल टूटता हुआ सा लग रहा है जबकि यह ज्यादा से ज्यादा इन्फैचुएशन है और कुछ नहीं. आप को उस लड़के के बारे में सोचना बंद कर देना चाहिए. वह आप की दोस्त से प्यार करता है या नहीं करता इसे ले कर आप अपनी फ्रैंड को सचेत कर सकती हैं, लेकिन खुद उस लड़के के करीब जाने की कोशिश करेंगी तो बेस्टफ्रैंड खो देंगी.

बेहतर यही होगा कि आप अपनी दोस्त के बौयफ्रैंड से दूरी बना कर रखें वरना क्या पता आप की दोस्त ही शक करने लगे, और ऐसे नहीं तो वैसे आप की दोस्ती दांव पर लगे. अट्रैक्शन कम करने के लिए किसी और लड़के पर फोकस करने की कोशिश कीजिए, किसी और ऐक्टिविटी पर ध्यान दीजिए और इस बारे में सोचना बंद कर दीजिए. प्यार को कंट्रोल करना मुश्किल है, अट्रैक्शन को नहीं.

मेरी सास मुझे पति के साथ संबंध नहीं बनाने देती, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 25 वर्षीय विवाहित महिला हूं. मेरी परेशानी का कारण मेरी सास हैं. वे मुझे पति के साथ सैक्स संबंध बनाने से रोकती हैं. उन का कहना है कि मेरे साथ सैक्स संबंध बनाने से उन के बेटे का औफिस में काम में मन नहीं लगेगा. अभी हमारी शादी को अधिक समय नहीं हुआ है और मैं अपने पति के साथ सैक्स संबंध बनाना चाहती हूं लेकिन मेरी सास मुझे पति के साथ सोने से भी रोकती हैं. मैं ने उन्हें समझाने की कोशिश भी की है लेकिन वे कुछ सुनना नहीं चाहतीं. मैं क्या करूं?

जवाब

आप अपने पति से इस बारे में खुल कर बात करें और आप की सास की कही सारी बातें उन्हें बताएं. साथ ही, सास को साफ शब्दों में समझा दें कि पति के साथ सोना और उन के साथ सैक्स संबंध बनाना आप का वैवाहिक हक है और वे इस के लिए आप को रोक नहीं सकतीं.

साथ ही, उन्हें यह भी समझा दें कि उन का यह सोचना कि सैक्स करने से उन के बेटे का नौकरी में मन नहीं लगेगा सर्वथा अतार्किक व बेकार की बात है. उन्हें बताएं कि अगर उन के बेटे को आप से यानी अपनी पत्नी से घर में शारीरिक सुख नहीं मिलेगा तो उन का मन औफिस में इधरउधर भटकेगा और तब उन का मन काम में नहीं लगेगा.

दरअसल, आप की बातों से लगता है कि आप की सास आप के पति को अपने पल्लू से बांधे रखना चाहती हैं. वे नहीं चाहतीं कि आप पतिपत्नी के बीच प्यार का रिश्ता बने. इसलिए वे ऐसी अतार्किक बातें व हरकतें कर रही हैं. आप उन की बातों पर हरगिज ध्यान न दें और पति के साथ शारीरिक संबंध अवश्य बनाएं.

मेरा बौयफ्रेंड अकेले में मुझसे शारीरिक छेड़छाड़ करता है जबकि मैं उस से प्यार की बातें करना चाहती हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 20 वर्षीय युवती अपनी ही कक्षा के एक छात्र से प्रेम करती हूं, लेकिन वह मुझ से सेक्सुअल चाहत ही रखता है. मौडर्न होने के कारण मैं हर तरह की ड्रैसेज पहनती हूं. जब भी मैं शौर्ट स्कर्ट, निकर या खुली पोशाक पहनती हूं तो एकांत मिलते ही वह मेरी जांघ, पीठ आदि पर हाथ फेरने लगता है जबकि मैं उस से प्रेमभरी बातें करना चाहती हूं. मना करने पर वह कहता है कि तुम मुझ से प्यार नहीं करती. क्या करूं?

जवाब

आप दोनों एकदूसरे से प्यार करते हैं तो जाहिर है सिर्फ प्रेममयी बातों तक ही प्यार सीमित नहीं रहेगा. हां, कुछ वक्त व जरूरत का खयाल रखना होगा. लेकिन उस के द्वारा आप के शरीर को छेड़ने की कोशिश व न मानने पर प्रेम का वास्ता देने की बात से जाहिर है कि वह आप से शारीरिक संबंध बनाने को उतावला है. साथ ही उस का ध्यान आप की यौन सुंदरता पर है, दिल पर नहीं.

सब से पहले तो यह जान लें कि भूल कर भी उस से संबंध बनाने की गलती न करें, ‘आप प्यार नहीं करती’ जैसी बातों में आ कर भी उसे शरीर न सौंपें वरना पछतावा ही हाथ लगेगा.

उसे समझाएं कि सैक्स शादी के बाद ही ठीक रहता है. अभी तो प्यार चाहिए. अगर न माने तो उस से थोड़ी दूरी बनाएं. जब उसे अपनी गलती का एहसास होगा, अपनेआप ही चला आएगा.

शादी से पहले मंगेतर के साथ सोना मना है क्योंकि…

-शादी एक ऐसा समय है जब लड़का-लड़की एक साथ एक बंधन में बंधकर पूरा जीवन साथ में बिताने का वादा करते हैं. शादी को पुरूष आमतौर पर शारीरिक तौर पर अधिक देखते हैं. शादी का मतलब अधिकतर पुरूषों के लिए सेक्स संबध बनाना ही होता है लेकिन वे ये बात भूल जाते हैं कि शारीरिक संबंध से अधिक महत्वपूर्ण आत्मिक संबंध होता है.

-यदि महिला और पुरूष आत्मिक रूप से एक-दूसरे से संतुष्ट‍ है तो फिर शारीरिक संबंधों में भी कोई दिक्कत नहीं होती. शादी से पहले यानी सगाई के बाद लड़के और लड़की को एकसाथ खूब समय बिताने को मिलता है लेकिन इसका ये अर्थ नहीं कि वे शादी से पहले फिजीकल रिलेशन बना ले या फिर प्री मैरिटल सेक्सू करें. शादी से पहले संयम बरतना जरूरी है. आइए जानें शादी और संयम के बारे में कुछ और दिलचस्प बातों को.

सगाई और शादी के बीच में संयम के बारे में कुछ और दिलचस्प बातें 

– सगाई के बाद लड़के और लड़की को आपस में एक-दूसरे से मिलना चाहिए और एक-दूसरे को जानना चाहिए, लेकिन इसके साथ ही उन्हें संयम बरतना भी जरूरी है.

– यदि शादी से पहले फिजीकल रिलेशन बनाने के लिए लड़का-लड़की में से कोई भी पहल करता है तो दूसरे को मना करना चाहिए नहीं तो इससे इंप्रेशन अच्छा नहीं पड़ता.

– दोनों को समझना चाहिए कि प्री मैरिटल सेक्स से पहले उन्हें आपस में एक-दूसरे को जानने-सूझने का मौका मिला है जिससे वे पहले एक-दूसरे की पसंद-नापसंद इत्यादि के बारे में जान पाएं.

– ये जरूरी है कि मिलने वाले समय को लड़के व लड़की को समझदारी से बिताना चाहिए न कि फिजूल की चीजों में खर्च करना चाहिए.

– शादी से पहले संयम बरतने से न सिर्फ दोनों के रिश्तों में मजबूती आती है बल्कि दोनों का एक-दूसरे पर विश्वास भी बना रहता है. इसके साथ ही संबंधों में अंतरंगता का महत्व भी बरकरार रहता है.

– प्रीमैरिटल सेक्स में हालांकि कोई बुराई नहीं लेकिन दोनों के रिश्ते पर शादी के बाद मनमुटाव का ये कारण बन सकता है.

– रिश्तों में खुलापन जरूरी है. चाहे तो शादी से पहले आप चीजों को डिस्कस कर सकते हैं. एक-दूसरे के साथ समय व्यतीत कर सकते हैं. एक-दूसरे के साथ घूम-फिर सकते हैं लेकिन इसके लिए जरूरी नहीं कि फिजीकल रिलेशन ही बनाया जाए.

– शादी से पहले फिजीकल रिलेशन से रिश्तों में अवसाद पैदा होने की संभावना बनी रहती है क्योंकि इसके बाद हर समय मन में एक डर और बैचेनी रहने लगती है. इसीलिए इन सबसे बचना जरूरी है.

– सेक्ससुअल रिलेशंस आपके रिश्ते में करीबी ला भी सकते हैं और दूरी बढ़ा भी सकते हैं इसीलिए कोई भी कदम उठाने से पहले सोच-समझ कर विचार करना आवश्यक है.

शादी से पहले संयम बरतने में कोई नुकसान नहीं है बल्कि रिश्तों की मजबूती के लिए यह अच्छा है.

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