(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)
लेखक- निखिल अग्रवाल
पुलिस ने सतपाल सिंह से उन के पिता की हत्या में किसी पर शक के बारे में पूछा. चूंकि सतपाल सिंह को यह पता ही नहीं था कि उन के पिता किस के बुलावे पर फोटो खिंचवाने गए थे, इसलिए उन्होंने किसी पर सीधा शक नहीं जताया, लेकिन यह जरूर बताया कि उन के पिता ने एक व्यक्ति के खिलाफ जोधपुर के बिलाड़ा थाने में जमीन को ले कर धोखाधड़ी के 2 मामले दर्ज कराए थे.
सोजत पुलिस ने सतपाल सिंह से वकील साहब के बारे में और जरूरी बातें पूछीं. इस के बाद अस्पताल में शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद उन को सौंप दिया.
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दोनों जगह मौके के हालात और सतपाल सिंह की ओर से सोजत थाने में दर्ज कराई गई रिपोर्ट के आधार पर यह बात साफ हो गई कि वकील साहब की हत्या उन के कीमती आभूषण लूटने के लिए की गई है.
परिचित ने ही फंसाया जाल में
लूटपाट के लिए वकील की हत्या का मामला गंभीर था. इसलिए पाली के एसपी राहुल कोटोकी ने एडिशनल एसपी तेजपाल, सोजत सिटी डीएसपी डा. हेमंत जाखड़ और जैतारण डीएसपी सुरेश कुमार के नेतृत्व में एक टीम बनाई, जिस में सोजत सिटी थानाप्रभारी रामेश्वर लाल भाटी, जैतारण थानाप्रभारी सुरेश चौधरी, सायबर तथा स्पैशल टीम के साथसाथ 25 पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया.
पाली पुलिस को वकील साहब का मोबाइल न तो लाश के साथ मिला और न ही जली हुई कार में. उन के मोबाइल से हत्या का खुलासा हो सकता था. पुलिस ने सब से पहले वकील नारायण सिंह के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स के आधार पर पता लगाया गया कि 27 मई को वकील साहब की किनकिन लोगों से बात हुई थी.
पुलिस ने उन लोगों से पूछताछ की. इस के अलावा जोधपुर के बिलाड़ा में वकील साहब के परिचितों से भी कई महत्त्वपूर्ण जानकारियां जुटाई गईं.
लोगों से की गई पूछताछ और तकनीकी सहायता से पुलिस ने दूसरे ही दिन यानी 29 मई को 3 लोगों उमेश सोनी, प्रभु पटेल और अर्जुन देवासी को गिरफ्तार कर लिया. इन में उमेश सोनी बिलाड़ा का ही रहने वाला था, जबकि प्रभु पटेल बिलाड़ा के पास हांगरों की ढीमड़ी का और अर्जुन देवासी बिलाड़ा के पास हर्ष गांव का रहने वाला था. ये तीनों दोस्त थे.
इन तीनों से पुलिस की पूछताछ के बाद गोल्डनमैन वकील की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इन के लालच के साथ विश्वासघात की भी कहानी थी.
बिलाड़ा का रहने वाला उमेश सोनी वकील नारायण सिंह का अच्छा परिचित था. अदालतों में उमेश के कुछ मुकदमे चल रहे थे, नारायण सिंह ही उस के मुकदमों की पैरवी करते थे. उमेश को वकील साहब के सोने के आभूषण पहनने के शौक से ले कर घरपरिवार की तमाम बातों की जानकारी थी.
उसे यह भी पता था कि वकील साहब 4-5 हजार रुपए ले कर सोने के आभूषण पहन कर फोटो खिंचवाते हैं. ऐसे फोटो सेशन करवाने के लिए एकदो बार वह भी वकील साहब के साथ गया था.
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वकील साहब को सवा-डेढ़ किलो सोने के आभूषण पहने देख कर उस के मन में लालच आ गया था. सोने के उन आभूषणों की कीमत करीब 60 लाख रुपए थी. वकील साहब को सोने के आभूषण पहने देख कर उमेश भी सपने में खुद आभूषण पहने हुए देखने लगा.
अपने सपनों को पूरा करने के लिए उमेश ने अपने दोस्त प्रभु पटेल को वकील साहब के सोने के आभूषण के शौक के बारे में बताया. बिलाड़ा के पास के ही रहने वाले प्रभु पटेल को पहले से ही वकील साहब के इस शौक का पता था.
टैक्सी चलाने वाला प्रभु भी वकील साहब के सोने के आभूषणों के सपने में खोया रहता था. अर्जुन इन दोनों का दोस्त था और इन के साथ ही रहता था.
तीनों दोस्तों ने मिल कर वकील साहब के सोने के आभूषण हथियाने की योजना बनाई. लेकिन आभूषण हथियाना आसान काम नहीं था. कई दिन विचार करने के बाद तीनों दोस्तों ने वकील साहब को फोटो खिंचवाने के बहाने बुलाने और उन की हत्या कर सोने के आभूषण हथियाने का फैसला किया.
योजना के अनुसार, 27 मई को दोपहर में उमेश सोनी ने नारायण सिंह को फोन किया. उस ने वकील साहब से कहा कि एक आदमी उन के साथ सोना पहन कर सेल्फी लेना चाहता है. इस के बदले में वह ढाई हजार रुपए देगा.
पहले से अच्छी तरह परिचित उमेश की बात पर भरोसा कर वकील नारायण सिंह ने घर से निकलवा कर 940 ग्राम सोने का बड़ा हार, 250 ग्राम वजनी सोने का दूसरा हार और 140 ग्राम वजनी सोने का पट्टा पहना. सोने के ये आभूषण पहन कर वे दोपहर करीब पौने 3 बजे घर से अपनी नैनो कार में निकले. उमेश ने फोन पर कहा था कि वह उन के घर से कुछ दूर रास्ते में मिल जाएगा. फिर साथ चलेंगे.
वकील साहब के घर से निकलने के बाद कुछ ही दूरी पर उमेश सोनी मिल गया. उस के साथ प्रभु पटेल के अलावा एक युवक और था. प्रभु पटेल को भी वकील साहब पहले से जानते थे. उमेश ने तीसरे युवक का परिचय कराते हुए वकील साहब को बताया कि यह अर्जुन देवासी है.
अर्जुन का एक जानकार आदमी आप के साथ सेल्फी लेना चाहता है. परिचय कराने के बाद उमेश, प्रभु और अर्जुन वकील साहब की ही कार में बैठ गए.
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उमेश ने बिलाड़ा से अटबड़ा सड़क मार्ग पर रास्ते में बीयर की बोतलें खरीद ली. वकील साहब सहित चारों ने कार में बैठ कर बीयर पी. इस के बाद उमेश ने नशा होने की बात कह कर वकील साहब को कार की ड्राइविंग सीट से उठाया और खुद कार चलाने लगा. उस ने वकील साहब को आगे की सीट पर अपने पास बैठा लिया. पीछे की सीट पर प्रभु पटेल और अर्जुन देवासी बैठे थे.