सौजन्य- मनोहर कहानियां
लेखक- सुनील वर्मा
आमिर ने पुलिस को बताया कि उस ने सिमरन से कोर्ट मैरिज की है लेकिन उस के ससुराल वाले इस शादी को नहीं मान रहे हैं. उन्होंने उस की बीवी को अपने घर में बंधक बना कर रखा हुआ है और उस के साथ नहीं भेज रहे. आमिर ने कोर्ट मैरिज का जो प्रमाण पत्र दिया था, उस की जांच की गई तो उस से आमिर का आरोप सच पाया गया.
लिहाजा आमिर की शिकायत पर पुलिस मोहम्मद शरीफ, उन की बेगम व बेटी को थाने ले आई. थाने ला कर दोनों पक्षों में बहस हुई. मातापिता के बेटी के पक्ष में अपने तर्क थे, तो आमिर व सिमरन के अपनी मोहब्बत के तर्क. लेकिन पुलिस को तो कानून देखना था.
पुलिस की नजर में आमिर व सिमरन दोनों बालिग थे, दोनों का धर्म भी एक था और कानूनन उन की शादी हुई थी. लिहाजा पुलिस ने मोहम्मद शरीफ को चेतावनी दी कि वे आमिर व सिमरन के बीच में बाधा न डालें और उसे अपने पति के पास जाने दें.
ऐसा ही हुआ भी शरीफ ने टूटे मन से बेटी को आमिर के हाथों में सौंप दिया. लेकिन उन का दिल बुरी तरह टूट गया था. उन्होंने बेटी को न जाने क्यों बद्दुआ दे दी कि मातापिता का दिल दुखा कर वो कभी खुश नहीं रह सकती.
उन्होंने थाने से ही सिमरन को आमिर के साथ भेज दिया. लेकिन साथ ही कहा भी कि आमिर के साथ उन की बिना मरजी के उस ने जो शादी की है, उस के बाद उस का उन के साथ कोई रिश्ता नहीं रहा.
मांबाप का दिल तोड़ कर खुश थी सिमरन
माता पिता का दिल टूटने के दुख से ज्यादा सिमरन को इस बात की ज्यादा खुशी थी कि जिस के साथ उस ने जीवन जीने के सपने देखे थे, वह उस का हो गया. सिमरन की शादी भले ही कोर्ट मैरिज के रूप में हुई थी लेकिन ससुराल में आने के बाद आमिर ने घर में एक बड़ी दावत रखी.
शुरुआत के कुछ दिन आमिर के प्यार में कैसे गुजर गए पता ही नहीं चला. लेकिन एक दो महीने बाद ही सिमरन का सामना जिंदगी की हकीकत से शुरू होने लगा. पिता के घर में लाड़प्यार से पली सिमरन को कभी किसी जरूरत के लिए किसी का मोहताज नहीं होना पड़ा था. उस ने हमेशा खुले मन से पैसा खर्च किया था.
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चूंकि आमिर ने तब तक नौकरी शुरू नहीं की थी, सो वह खुद ही मांबाप व भाइयों के खर्चे पर पल रहा था. इसलिए शादी के 2 महीने बीतने के बाद सिमरन को छोटेछोटे खर्चो के लिए दूसरों का मोहताज होना पड़ा.
वह जब भी आमिर से खर्चे के लिए पैसे मांगती तो वह टका सा जवाब दे देता कि जब तक वह कमाएगा नहीं, तब तक वह उसे कुछ नहीं दे सकता. अगर वह चाहती है कि उस के पास पैसा हो और उस की जिंदगी किसी पर निर्भर ना रहे तो उस के साथ मेरठ चले. जहां वह नौकरी कर के उस की हर खुशी पूरी करेगा.
सिमरन के लिए गुरबत में जीने से अच्छा यही था कि वह उस के साथ मेरठ चली जाए. लिहाजा शादी के 2 महीने बाद ही सिमरन आमिर के साथ सरूरपुर चली गई. वहां आमिर ने हर्रा कस्बे में एक सस्ता सा किराए का मकान ले लिया. पास के जैनपुर गांव में अपने भाइयों की तरह उस ने भी एक पनीर बनाने वाले प्लांट में 10 हजार रुपए की पगार पर नौकरी शुरू कर दी.
आमिर चूंकि गाड़ी चलाने से ले कर पनीर की मार्केटिंग और प्लांट के दूसरे काम भी देखता था. लिहाजा इन कामों से भी उसे 4-5 हजार रुपए की अतिरिक्त कमाई हो जाती थी. किसी तरह सिमरन के साथ धीरेधीरे घरगृहस्थी चलने लगी.
जिस तेजी के साथ समय गुजरने लगा, उसी तेजी के साथ सिमरन के उपर चढ़ा आमिर के प्यार का नशा भी उतरने लगा. क्योंकि शुरुआत में तो सिमरन ने सोचा था कि चलो जिदंगी का सफर शुरू करने के लिए तंगी में भी गुजर बसर की जा सकती है.
लेकिन एक सवा साल बीतने के बाद उसे लगा कि गुरबत में जिंदगी गुजारना मानों उस की नियति बन गई है. क्योंकि ना तो आमिर उसे अच्छे कपडे़ दिलाता था और ना ही उस की कोई ऐसी फरमाइश पूरी करता था जिस से उसे खुशी मिलती.
आमिर अब ये और ताने देने लगा था कि उस की जिंदगी ऐसी ही थी और आगे भी ऐसी ही रहेगी. मैं ने तेरे बाप से कोई दहेज नहीं लिया कि तेरी फरमाइशें पूरी करने के लिए चोरीडकैती करूं. जब कभी आमिर इस तरह के ताने देता तो सिमरन का मातापिता की लड़के की हैसियत को ले कर कही जाने वाली बातें याद आने लगती थीं.
अब उसे समझ आने लगा था कि मातापिता बेटी के सुखद भविष्य के लिए लड़के की हैसियत और उस के काम को तवज्जो क्यों देते हैं.
लेकिन सिमरन प्यार में अंधी हो कर आमिर से शादी का जो कदम उठा चुकी थी उस का पश्चाताप तो यही था कि हर हाल में भी उसे आमिर के साथ खुश रहना था. लेकिन इस दौरान एक अच्छी बात ये हुई कि कोर्ट मैरिज के कारण शुरू हुई मातापिता की नाराजगी खत्म हो गई. मातापिता और भाई व बहनें अब उस से अक्सर मोबाइल फोन पर बातें करने लगे थे.
कुछ दिन सिमरन को लगा कि परिवार ने संबधों को सुधारने के लिए जो पहल की है उसे उस पहल को आगे बढ़ाना चाहिए. लिहाजा वह भी एक दिन आमिर को साथ ले कर अपने मायके चली गई. लंबे समय बाद मांबाप से मिलन हुआ. कुछ शिकवेशिकायतें हुईं और फिर मांबाप भी बेटी को अपने शौहर के साथ खुश देख कर सारे गिलेशिकवे भूल गए.
इस तरह सिमरन का अपने मातापिता के घर आनाजाना शुरू हो गया. इधर, आमिर इस बात से खुश था कि चलो अब सिमरन के अपने मायके वालों के साथ संबध सुधर गए है तो उसे भी उन की बड़ी हैसियत का फायदा मिलेगा. बेटी को खुश रखने के लिए आखिर वे कुछ ना कुछ आर्थिक मदद तो करेंगे ही.
लेकिन एकदो बार मायके जाने के बाद भी जब सिमरन खाली हाथ लौटी तो आमिर के ससुराल वालों से मदद मिलने के सपने चकनाचूर हो गए.
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इधर मायके से संबध जरूर सुधर गए थे, लेकिन सिमरन कभी उन से अपनी गुरबत भरी जिंदगी का जिक्र नहीं करती थी. क्योंकि उस का मानना था कि उस ने अपनी इच्छा से आमिर से शादी की थी. इसीलिए वो जिस हाल में भी उसे रखेगा वह रहेगी लेकिन परिवार को अपने दुखों के बारे में नहीं बताएगी.
आमिर की भी उम्मीदें अधूरी, सिमरन की भी
इधर जब सिमरन अपनी जरूरतों के लिए आमिर से पैसा मांगती तो वह उसे टका सा जवाब दे देता कि मेरे साथ तो तुम को रूखी रोटी ही नसीब होगी. अगर ऐशोआराम के लिए पैसा चाहिए तो अपने बाप से मंगा लो.
जब भी आमिर इस तरह का ताना देता तो सिमरन का उस से झगड़ा हो जाता और वह उसे सुना देती कि उस ने अपने मातापिता की इच्छा के खिलाफ लड़झगड़ कर उस से शादी की है इसलिए उस की हर इच्छा और जरूरतों को पूरा करना भी उसी का फर्ज है.
ऐसे ही रोजमर्रा के झगड़ों में समय तेजी से बीतने लगा. लेकिन कोरोना और बीच में कुछ समय तक रहे लौकडाउन के कारण आमिर की कमाई में कमी आ गई थी.
घर की आम जरूरतें भी ठीक से पूरी नहीं हो पाती थीं. उस पर जब सिमरन उस से कोई फरमाइश कर देती तो इसी बात पर दोनों के बीच झगड़ा हो जाता था.
आमिर को भी अब लगने लगा था कि एक बड़े घर की लड़की से शादी कर के उस ने बड़ी गलती कर दी है. उस ने तो सोचा था कि बडे़ घर में शादी कर के उसे ससुराल वालों का सहारा मिलेगा, लेकिन जब ऐसा कुछ नहीं हुआ तो उस की खींझ बढ़ने लगी. इस दौरान आमिर व सिमरन के बीच आर्थिंक तंगियों के कारण झगड़े ज्यादा होने लगे थे.
जब भी ऐसा होता तो आमिर नाराज हो कर जैनपुर में अपने सब से बडे़ भाई के पास चला जाता. पूरे परिवार को इस दौरान आर्थिक तंगी के कारण पतिपत्नी के बीच होने वाले झगड़ों की बात पता चल चुकी थी.
आमिर अपने परिवार वालों के सामने सिमरन की गलत आदतों और ऊंची फरमाइशों की बात बता कर हमेशा उसे ही गलत ठहराता था. सब को यही लगता कि सिमरन बड़े घर की लड़की है, अपनी ऐश भरी फरमाइशें पूरी न होने के कारण आमिर से झगड़ा करती होगी.
29 नवंबर, 2020 को शाबरी बेगम अपने पति मोहम्मनद शरीफ व बेटे फिरोज को ले कर अचानक सरूरपुर थाने पहुंची. थानाप्रभारी अरविंद कुमार उस समय थाने पर ही अपने स्टाफ के साथ मीटिंग कर रहे थे.
शाबरी बेगम ने बताया कि उस की बेटी हर्रा कस्बे में अपने पति आमिर के साथ रहती है. लेकिन 26 नवंबर की सुबह से बेटी का फोन लगातार स्विच्ड औफ आ रहा है. वे लोग उस की खैरियत को ले कर परेशान हैं.
इसलिए हकीकत जानने के लिए जब पति व बेटे के साथ उस के घर पहुंची तो वहां ताला लगा मिला. ना ही बेटी का फोन मिल रहा है, ना ही उस की कोई खबर मिल रही है. ‘हो सकता है अपने हसबैंड के साथ ही गई हो या फोन में कोई परेशानी आ गई हो.’
इंसपेक्टर अरविंद कुमार ने सारी बात जानने के लिए दूसरे पहलू को सोचते हुए अपनी राय दी तो शाबरी बेगम ने कहा सर मेरी चिंता इस बात को ले कर है कि मेरी बेटी को उस का पति पिछले कुछ महीनों से लगातार परेशान कर रहा था. दोनों ने कोर्ट मैरिज की थी. वो बेटी को इस बात के लिए परेशान कर रहा था कि उसे कोई दहेज नहीं मिला था.
इस के अलावा पिछले कुछ दिनों से वो हमारी बेटी से छुटकारा पा कर दूसरी शादी करने की बात भी करता था. जब मेरी बेटी से आखिरी बात हुई थी, उस दिन भी दोनों में झगड़ा हुआ था और आमिर ने सिमरन की पिटाई कर दी थी.
चूंकि शाबरी बेगम ने आमिर के खिलाफ अपनी बेटी को दहेज के लिए प्रताडि़त करने व हत्या की नियत से उस के अपहरण की आशंका जाहिर की थी, लिहाजा एसएचओ अरविंद कुमार ने सारी बात एसएसपी मेरठ अजय साहनी को बताई. उन्होंने एसपी देहात अवीनाश पांडे व सीओ सरधना आरपी शाही को थाने पहुंचने के लिए कहा.
अगले भाग में पढ़ें- प्रेमी पति ने सिमरन को लगाया ठिकाने