Crime Story: प्यार के भंवर में भाग 1

सौजन्य: सत्यकथा

उत्तर प्रदेश के जिला बांदा का एक गांव है-बदौली. रसपाल इसी गांव में रहता था. उस के परिवार में पत्नी
चंद्रकली के अलावा एक बेटा भानुप्रताप तथा बेटी सुनीता थी. रसपाल खेतीकिसानी के साथसाथ ट्यूबवैल मरम्मत का काम करता था. इस से उसे अतिरिक्त आमदनी हो जाती थी.

कुल मिला कर उस का परिवार खुशहाल था. रसपाल ने अपनी बेटी सुनीता का विवाह सन 2016 में हरिओम के साथ कर दिया था. हरिओम के पिता शिवबरन, फतेहपुर जिले के गांव लमेहटा के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी गेंदावती के अलावा 2 बेटे हरिओम व राममिलन थे. हरिओम जेसीबी चालक था, जबकि राममिलन पिता के कृषि कार्य में हाथ बंटाता था.

एक तरह से सुनीता और हरिओम की शादी बेमेल थी. हरिओम उम्र में तो बड़ा था, साथ ही वह सांवले रंग का भी था. जबकि सुनीता सुंदर थी और चंचल भी. इस के बावजूद उस के घरवालों ने हरिओम को पसंद कर लिया था. इस की वजह यह थी कि हरिओम जेसीबी चला कर अच्छा पैसा कमाता था.

हरिओम जहां सुनीता को पा कर खुश था, वहीं सुनीता उम्रदराज और सांवले रंग के पति को पा कर जरा भी खुश नहीं थी. शादी से पहले उस के मन में पति को ले कर जो सपने थे, वे चकनाचूर हो गए थे.
शादी के एक साल बाद सुनीता ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम हर्ष रखा. इस के बाद एक बेटी का जन्म हुआ. 2 बच्चों की किलकारियों से सुनीता का घरआंगन गूंजने लगा.

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सुनीता की अपने देवर राममिलन से खूब पटती थी. इस की वजह यह थी कि एक तो वह हमउम्र था, दूसरे सुनीता, राममिलन के बात व्यववहार से काफी प्रभावित थी. वह अपने देवर का हर तरह से खयाल रखती थी.

इसी वजह से राममिलन सुनीता के आकर्षण में बंध कर उस के नजदीक आने की कोशिश करने लगा. यही नहीं, वह उस की खूब तारीफ करता और उसे प्रभावित करने के लिए कभीकभार वह उस के लिए कोई उपहार भी ले आता.

हरिओम ड्राइवर था, सो पक्का शराबी था. अकसर वह झूमता हुआ घर वापस आता. वह कभी थोड़ाबहुत खाना खा कर तो कभी बिना खाए ही सो जाता था. सुनीता 2 बच्चों की मां जरूर थी, लेकिन अभी उस में पति का साथ पाने की प्रबल इच्छा थी. लेकिन हरिओम तो बिस्तर पर लेटते ही खर्राटे भरने लगता था. तब सुनीता मन मसोस कर रह जाती थी.

आखिर पति से जब उसे शारीरिक सुख मिलना बंद हुआ तो उस ने विकल्प की खोज शुरू कर दी.
सुनीता स्वभाव से मिलनसार थी. राममिलन भाभी के प्रति सम्मोहित था. जब दोनों साथ चाय पीने बैठते, तब सुनीता उस से खुल कर हंसीमजाक करती. सुनीता का यह व्यवहार धीरेधीरे राममिलन को ऐसा बांधने लगा कि उस के मन में भाभी सुनीता का सौंदर्य रस पीने की कामना जागने लगी.

एक दिन राममिलन खाना खाने बैठा, तो सुनीता थाली ले कर आई और जानबूझ कर गिराए गए आंचल को ढंकते हुए बोली, ‘‘लो देवरजी, खाना खा लो, आज मैं ने तुम्हारी पसंद का खाना बनाया है.’’
राममिलन को भाभी की यह अदा बहुत अच्छी लगी. वह उस का हाथ पकड़ कर बोला, ‘‘भाभी, तुम भी अपनी थाली परोस लो, साथ खाने में मजा आएगा.’’

सुनीता अपने लिए भी खाना ले आई. खाना खाते समय दोनों के बीच बातों का सिलसिला जुड़ा तो राममिलन बोला, ‘‘भाभी, तुम सुंदर व सरल स्वभाव की हो, लेकिन भैया ने तुम्हारी कद्र नहीं की. मुझे पता है, वह अपनी कमजोरी की खीझ तुम पर उतारते हैं. लेकिन मैं तुम्हें प्यार करता हूं.’’

यह कह कर राममिलन ने सुनीता की दुखती रग पर हाथ रख दिया था. सच में सुनीता पति से संतुष्ट नहीं थी. उसे न तो पति से प्यार मिल रहा था और न ही शारीरिक सुख, जिस से उस का मन विद्रोह कर उठा. उस का मन बेईमान हो चुका था. आखिर उस ने फैसला कर लिया कि अब वह असंतुष्ट नहीं रहेगी. चाहे इस के लिए उसे रिश्तों को तारतार क्यों न करना पड़े.

औरत जब जानबूझ कर बरबादी की राह पर कदम रखती है, तो उसे रोक पाना मुश्किल होता है. यही सुनीता के साथ हुआ. सुनीता जवान भी थी और पति से असंतुष्ट भी, अत: उस ने देवर राममिलन के साथ नाजायज रिश्ता बनाने का निश्चय कर लिया.

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राममिलन वैसे भी सुनीता का दीवाना था. देवर राममिलन गबरू जवान था, दूसरे कुंवारा था. उस पर दिल आते ही सुनीता उसे अपने प्यार के भंवर में फंसाने की कोशिश करने लगी. भाभीदेवर के रिश्ते की आड़ में सुनीता राममिलन से ऐसेऐसे मजाक करने लगी कि राममिलन के शरीर में सिहरन सी होने लगी. जल्दी ही उस का मन स्त्री सुख के लिए बेचैन होने लगा.

अगले भाग में पढ़ें- सुनीता और राममिलन के नाजायज रिश्तों का क्या हुआ अंजाम

Crime Story: प्यार के भंवर में भाग 2

सौजन्य: सत्यकथा

एक शाम सुनीता बनसंवर कर बिस्तर पर लेटी थी, तभी राममिलन आ गया. वह उस की खूबसूरती को निहारने लगा. सुनीता को राममिलन की आंखों की भाषा पढ़ने में देर नहीं लगी. सुनीता ने उसे करीब बैठा लिया और उस का हाथ सहलाने लगी. राममिलन के शरीर में हलचल मचने लगी.

थोड़ी देर की चुप्पी के बाद होश दुरुस्त हुए, तो सुनीता ने राममिलन की ओर देख कर कहा, ‘‘देवरजी, तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो. लेकिन हमारे बीच रिश्तों की दीवार है. अब मैं इस दीवार को तोड़ना चाहती हूं. तुम मुझे बस यह बताओ कि हमारे इस रिश्ते का अंजाम क्या होगा?’’

‘‘भाभी मैं तुम्हें कभी धोखा नहीं दूंगा. तुम अपना बनाओगी तो तुम्हारा ही बन कर रहूंगा. मैं वादा करता हूं कि आज के बाद हम साथ ही जिएंगे और साथ ही मरेंगे.’’ कह कर राममिलन ने सुनीता को बांहों में भर लिया.

ऐसे ही कसमोंवादों के बीच कब संकोच की सारी दीवारें टूट गईं, दोनों को पता ही न चला. उस दिन के बाद राममिलन और सुनीता बिस्तर पर जम कर सामाजिक रिश्तों और मानमर्यादाओं की धज्जियां उड़ाने लगे. वासना की आग ने उन के इन रिश्तों को जला कर खाक कर दिया था.

सुनीता से शारीरिक सुख पा कर राममिलन निहाल हो उठा. सुनीता को भी उस से ऐसा सुख मिला था, जो उसे पति से कभी नहीं मिला था. राममिलन अपनी भाभी के प्यार में इतना अंधा हो गया था कि उसे दिन या रात में जब भी मौका मिलता, वह सुनीता से मिलन कर लेता. सुनीता भी देवर के पौरुष की दीवानी थी. उन के मिलन की किसी को कानोंकान खबर नहीं थी.

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कहते हैं वासना का खेल कितनी भी सावधानी से खेला जाए, एक न एक दिन भांडा फूट ही जाता है. ऐसा ही सुनीता और राममिलन के साथ भी हुआ. एक रात पड़ोस में रहने वाली चचेरी जेठानी रूपाली ने चांदनी रात में आंगन में रंगरलियां मना रहे राममिलन और सुनीता को देख लिया. इस के बाद तो देवरभाभी के अवैध रिश्तों की चर्चा पूरे गांव में होने लगी.

हरिओम को जब देवरभाभी के नाजायज रिश्तोें की जानकारी हुई तो उस का माथा ठनका. उस ने इस बाबत सुनीता से बात की तो उस ने नाजायज रिश्तों की बात सिरे से खारिज कर दी. उस ने कहा राममिलन सगा देवर है. उस से हंसबोल लेती हूं. पड़ोसी इस का मतलब गलत निकालते हैं. उन्होंने ही तुम्हारे कान भरे हैं.

हरिओम ने उस समय तो पत्नी की बात मान ली, लेकिन मन में शक पैदा हो गया. इसलिए वह चुपकेचुपके पत्नी पर नजर रखने लगा. परिणामस्वरूप एक रात हरिओम ने सुनीता और राममिलन को रंगरलियां मनाते रंगेहाथों पकड़ लिया. हरिओम ने दोनों की पिटाई की और संबंध तोड़ने की चेतावनी दी.

लेकिन इस चेतावनी का असर न तो सुनीता पर पड़ा और न ही राममिलन पर. हां, इतना जरूर हुआ कि अब वे सतर्कता बरतने लगे. जिस दिन हरिओम, सुनीता को राममिलन से हंसतेबतियाते देख लेता, उस दिन शराब पी कर सुनीता को पीटता और राममिलन को भी गालियां देता. उस ने गांव के मुखिया से भी भाई की शिकायत की. साथ ही राममिलन को भी कहा कि वह घर न तोड़े.

उन्हीं दिनों हरिओम को बांदा जाना पड़ा. क्योंकि उस के ठेकेदार को सड़क निर्माण का ठेका मिला था. चूंकि हरिओम जेसीबी चालक था, सो उसे भी वहीं काम करना था. जाने से पहले वह अपनी मां व पिता को सतर्क कर गया था कि वह सुनीता व राममिलन पर नजर रखें.

सास गेंदावती सुनीता पर नजर तो रखती थी, लेकिन देवर की दीवानी सुनीता सास की आंखों में धूल झोंक कर देवर से मिल कर लेती थी. हरिओम मोबाइल फोन पर मां से बात कर घर का हालचाल लेता रहता था.
वह सुनीता से भी बात करता था और उसे मर्यादा में रहने की हिदायत देता रहता था. लेकिन सुनीता पति की बातों को कोई तवज्जो नहीं देती थी. वह तो देवर के रंग मे पूरी तरह रंगी थी.

एक रात आधी रात को गेंदावती की नींद खुली तो उसे सुनीता की बेटी मासूम क्रांति के रोने की आवाज सुनाई दी. वह उठ कर कमरे में पहुंची तो सुनीता अपने बिस्तर पर नहीं थी.

सास गेंदावती को समझते देर नहीं लगी कि बहू राममिलन के कमरे में होगी. वह दबे पांव राममिलन के कमरे में पहुंची, वहां सुनीता उस के बिस्तर पर थी. उस रात गेंदावती के सब्र का बांध टूट गया. उस ने दोनों की चप्पल से पिटाई की और खूब फटकार लगाई. रंगेहाथ पकड़े जाने से दोनों ने माफी मांग ली.

लगभग एक सप्ताह बाद हरिओम बांदा से घर आया तो गेंदावती ने बहू को रंगेहाथ पकड़ने की बात बेटे को बताई. तब हरिओम ने सुनीता की खूब पिटाई की, राममिलन को भी खूब डांटा फटकारा और समझाया भी. उस ने दोनों को धमकाया भी कि यदि वे न सुधरे तो अंजाम अच्छा न होगा.

लेकिन सुनीता और राममिलन प्यार के भंवर में इतनी गहराई तक समा चुके थे, जहां से बाहर निकलना उन के लिए नामुमकिन था. अत: दोनों ने हरिओम की धमकी को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया. उन्हें जब भी मौका मिलता था, शारीरिक मिलन कर लेते थे.

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सुनीता और राममिलन के नाजायज रिश्तों ने पूरे घर को चिंता में डाल दिया था. वे इस समस्या से निजात पाने के लिए उपाय खोजने लगे थे. एक रोज गेंदावती ने अपने पति शिवबरन व बेटे हरिओम के साथ बैठ कर मंत्रणा की. फिर तय हुआ कि समस्या से निजात पाने के लिए राममिलन की शादी कर दी जाए. शादी हो जाएगी तो समस्या भी हल हो जाएगी.

शिवबरन निषाद अब राममिलन के लिए गुपचुप तरीके से लड़की की खोज करने लगा. कई माह की दौड़धूप के बाद शिवबरन को असोधर कस्बे में राम सुमेर निषाद की बेटी कमला पसंद आ गई. कमला सांवले रंग की थी. लेकिन शिवबरन व उस की पत्नी गेंदावती ने उसे पसंद कर लिया था.
फिर आननफानन में उन्होंने रिश्ता तय कर दिया. इस रिश्ते के लिए राममिलन ने न ‘हां’ की और न ही इनकार किया. बारात जाने की तारीख तय हुई मई 2021 की 7 तारीख.

राममिलन की जब शादी तय हुई थी, तब सुनीता मायके गई हुई थी. वह वहां से वापस आई तब उसे मालूम पड़ा कि देवर की शादी तय हो गई है. उस ने इस बाबत राममिलन से पूछा तो उस ने जवाब दिया कि उस से पूछ कर शादी तय नहीं की गई है. शादी के संबंध में वह कुछ भी नहीं बता सकता. लेकिन सुनीता को शक हुआ कि शादी के लिए राममिलन की रजामंदी है

सुनीता अब अपने भविष्य को ले कर चिंतित रहने लगी. वह सोचती, ‘‘कल को राममिलन की शादी हो जाएगी, तो वह उसे दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंकेगा. वह अपनी रातें तो नईनवेली दुलहन के साथ रंगीन करेगा और वह पूरी रात करवट बदलते बिताएगी.’’

अगले भाग में पढ़ें- सुनीता में आए आकस्मिक परिवर्तन से राममिलन परेशान हो उठा

Crime Story: प्यार के भंवर में भाग 3

सौजन्य: सत्यकथा

सुनीता जितना सोचती, उतना ही उसे अपना जीवन अंधकारमय लगता. इसी उलझन में सुनीता ने राममिलन से हंसनाबोलना बंद कर दिया. वह उस के प्रणय निवेदन को भी ठुकराने लगी. राममिलन उसे मनाने की कोशिश करता, लेकिन वह उस की कोई बात नहीं सुनती.

सुनीता में आए आकस्मिक परिवर्तन से राममिलन परेशान हो उठा. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह भाभी को कैसे मनाए. एक रोज जब उस से नहीं रहा गया तो उस ने पूछा, ‘‘भाभी, मुझ से ऐसी क्या खता हो गई, जो मुझ से नाराज हो. पहले तो तुम खूब हंसती थी, खूब बोलती थी. समर्पण को सदैव तैयार रहती थी. लेकिन अब दूर भागती हो. हंसनाबोलना भी गायब हो गया है. हमेशा चेहरे पर उदासी छाई रहती है. आखिर बात क्या है?’’

‘‘यह तुम अपने आप से पूछो देवरजी, तुम ने मेरे साथ जीनेमरने का वादा किया था. क्या वह वादा तुम शादी करने के बाद निभा सकोगे. शादी के बाद तुम दुलहन के पल्लू में बंध जाओगे और मुझे भूल जाओगे. यही सोच कर मैं उदास रहती हूं. तुम से दूर भागने का भी यही कारण है.’’ सुनीता बोली.

‘‘भाभी, मैं आज भी तुम्हारा हूं और कल भी रहूंगा. साथ जीनेमरने का वादा भी मैं नहीं भूला हूं. रही बात शादी की, तो वह मैं अपनी मरजी से नहीं कर रहा हूं. शादी तो मांबाप ने अपनी मरजी से तय कर दी है.’’
‘‘जो भी हो देवरजी, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती और घर वाले हमें साथ रहने नहीं देंगे. इसलिए हमेंतुम्हें एकदूसरे से किया गया वादा निभाना होगा.’’

‘‘हम वादा निभाने को तैयार हैं.’’ कहते हुए राममिलन ने सुनीता को अपनी बांहों में समेट लिया. उस के बाद उन दोनों ने एक साथ आत्महत्या करने का निश्चय किया. फिर वह समय का इंतजार करने लगे.
30 नवंबर, 2020 को शिवबरन की रिश्तेदारी में असोथर कस्बा में शादी थी. इसी शादी में सम्मिलित होेने के लिए शिवबरन अपने बड़े बेटे हरिओम के साथ शाम 6 बजे घर से निकल गया.

खाना खाने के बाद गेंदावती पोते हर्ष (3 वर्ष) के साथ कमरे में जा कर लेट गई. घर पर काम निपटाने के बाद सुनीता भी अपनी मासूम बेटी क्रांति के साथ कमरे में जा कर लेट गई. लेकिन उस की आंखों से नींद ओेझल थी.

रात लगभग 11 बजे राममिलन, सुनीता के कमरे में आ गया. उन दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई. बातचीत के दौरान सुनीता ने कहा, ‘‘देवरजी, अपनी जीवनलीला समाप्त करने का आज सही समय है. तुम मेरा साथ दोगे या नहीं?’’

‘‘तुम्हारे बिना मेरे जीवित रहने का मकसद ही क्या है. अत: मैं भी तुम्हारे साथ ही अपना जीवन समाप्त करूंगा.’’ इस के बाद सुनीता और राममिलन ने छत के कुंडे में साड़ी को बांधा और साड़ी के दोनों सिरों को फांसी का फंदा बनाया. फिर एकएक सिरा गले में डाल कर फांसी के फंदे पर झूल गए. कुछ देर बाद ही दोनों की गरदन लटक गई.

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पहली दिसंबर, 2020 की सुबह करीब 7 बजे गेंदावती जागीं तो उन्हें मासूम बच्ची क्रांति के रोने की आवाज सुनाई दी. वह सुनीता के कमरे पर पहुंचीं, तो कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था. तब उन्होंने दरवाजे की कुंडी खटखटाई और आवाज दी, ‘‘बहू, दरवाजा खोलो, बच्ची रो रही है. क्या घोड़े बेच कर सो रही हो?’’ पर अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. वह राममिलन के कमरे में पहुंची तो वह कमरे में नहीं था.
अब गेंदावती का माथा ठनका. उन के मन में तरहतरह के कुविचार आने लगे. इसी घबराहट में वह सुनीता की चचेरी जेठानी रूपाली को बुला लाई. उस ने भी दरवाजा थपथपाया और आवाज लगाई पर अंदर से कोई हलचल नहीं हुई. शोरशराबा सुन कर पासपड़ोस के लोग भी आ गए.

उसी समय शिवबरन व उस का बेटा हरिओम भी असोथर से आ गए. उन दोनों ने अपने दरवाजे पर भीड़ देखी तो घबरा गए. गेंदावती ने पति व बेटे को बताया कि सुनीता दरवाजा नहीं खोल रही है. राममिलन भी कमरे में नहीं है.

शिवबरन व हरिओम ने भी दरवाजा खुलवाने का प्रयास किया, लेकिन जब दरवाजा नहीं खुला तो दोनों ने कमरे का दरवाजा तोड़ दिया और कमरे के अंदर प्रवेश किया.

कमरे के अंदर का दृश्य बड़ा ही वीभत्स था. पंखे के हुक से साड़ी का फंदा बंधा था. साड़ी के एक छोर पर सुनीता तथा दूसरे छोर पर राममिलन का शव लटक रहा था. सुनीता का चेहरा राममिलन की छाती पर था. सुनीता का एक पैर चारपाई के नीचे लटक रहा था तथा दूसरा पैर चारपाई को छू रहा था.

देवरभाभी द्वारा आत्महत्या करने की खबर लमेहटा गांव में फैल गई. सैकड़ों लोग घटनास्थल पर आ पहुंचे. इसी बीच किसी ने थाना गाजीपुर पुलिस को सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी कमलेश पाल पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर आ गए. उन्होंने पुलिस अधिकारियों को सूचित किया तो एसपी सतपाल, एएसपी राजेश कुमार तथा सीओ संजय कुमार शर्मा आ गए.

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पुलिस अधिकारियों ने फोरैंसिक टीम को भी मौके पर बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा मृतक व मृतका के घर वालों से पूछताछ की. फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए. निरीक्षण व पूछताछ के बाद पुलिस ने दोनों शवों को फांसी के फंदे से नीचे उतरवाया. फिर दोनों शवों को पोस्टमार्टम हेतु जिला अस्पताल फतेहपुर भिजवा दिया.

मृतक के पिता शिवबरन निषाद की तहरीर पर गाजीपुर पुलिस ने भादंवि की धारा 309 के तहत सुनीता और राममिलन के खिलाफ मुकदमा तो दर्ज किया, लेकिन दोनों की मौत हो जाने से पुलिस ने इस मामले की फाइल बंद कर दी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime Story: प्यार में मिट गई सिमरन- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

लेखक- सुनील वर्मा

आमिर ने पुलिस को बताया कि उस ने सिमरन से कोर्ट मैरिज की है लेकिन उस के ससुराल वाले इस शादी को नहीं मान रहे हैं. उन्होंने उस की बीवी को अपने घर में बंधक बना कर रखा हुआ है और उस के साथ नहीं भेज रहे. आमिर ने कोर्ट मैरिज का जो प्रमाण पत्र दिया था, उस की जांच की गई तो उस से आमिर का आरोप सच पाया गया.

लिहाजा आमिर की शिकायत पर पुलिस मोहम्मद शरीफ, उन की बेगम व बेटी को थाने ले आई. थाने ला कर दोनों पक्षों में बहस हुई. मातापिता के बेटी के पक्ष में अपने तर्क थे, तो आमिर व सिमरन के अपनी मोहब्बत के तर्क. लेकिन पुलिस को तो कानून देखना था.

पुलिस की नजर में आमिर व सिमरन दोनों बालिग थे, दोनों का धर्म भी एक था और कानूनन उन की शादी हुई थी. लिहाजा पुलिस ने मोहम्मद शरीफ को चेतावनी दी कि वे आमिर व सिमरन के बीच में बाधा न डालें और उसे अपने पति के पास जाने दें.

ऐसा ही हुआ भी शरीफ ने टूटे मन से बेटी को आमिर के हाथों में सौंप दिया. लेकिन उन का दिल बुरी तरह टूट गया था. उन्होंने बेटी को न जाने क्यों बद्दुआ दे दी कि मातापिता का दिल दुखा कर वो कभी खुश नहीं रह सकती.

उन्होंने थाने से ही सिमरन को आमिर के साथ भेज दिया. लेकिन साथ ही कहा भी कि आमिर के साथ उन की बिना मरजी के उस ने जो शादी की है, उस के बाद उस का उन के साथ कोई रिश्ता नहीं रहा.

मांबाप का दिल तोड़ कर खुश थी सिमरन

माता पिता का दिल टूटने के दुख से ज्यादा सिमरन को इस बात की ज्यादा खुशी थी कि जिस के साथ उस ने जीवन जीने के सपने देखे थे, वह उस का हो गया. सिमरन की शादी भले ही कोर्ट मैरिज के रूप में हुई थी लेकिन ससुराल में आने के बाद आमिर ने घर में एक बड़ी दावत रखी.

शुरुआत के कुछ दिन आमिर के प्यार में कैसे गुजर गए पता ही नहीं चला. लेकिन एक दो महीने बाद ही सिमरन का सामना जिंदगी की हकीकत से शुरू होने लगा. पिता के घर में लाड़प्यार से पली सिमरन को कभी किसी जरूरत के लिए किसी का मोहताज नहीं होना पड़ा था. उस ने हमेशा खुले मन से पैसा खर्च किया था.

Crime Story: भयंकर साजिश- पार्ट 4

चूंकि आमिर ने तब तक नौकरी शुरू नहीं की थी, सो वह खुद ही मांबाप व भाइयों के खर्चे पर पल रहा था. इसलिए शादी के 2 महीने बीतने के बाद सिमरन को छोटेछोटे खर्चो के लिए दूसरों का मोहताज होना पड़ा.

वह जब भी आमिर से खर्चे के लिए पैसे मांगती तो वह टका सा जवाब दे देता कि जब तक वह कमाएगा नहीं, तब तक वह उसे कुछ नहीं दे सकता. अगर वह चाहती है कि उस के पास पैसा हो और उस की जिंदगी किसी पर निर्भर ना रहे तो उस के साथ मेरठ चले. जहां वह नौकरी कर के उस की हर खुशी पूरी करेगा.

सिमरन के लिए गुरबत में जीने से अच्छा यही था कि वह उस के साथ मेरठ चली जाए. लिहाजा शादी के 2 महीने बाद ही सिमरन आमिर के साथ सरूरपुर चली गई. वहां आमिर ने हर्रा कस्बे में एक सस्ता सा किराए का मकान ले लिया. पास के जैनपुर गांव में अपने भाइयों की तरह उस ने भी एक पनीर बनाने वाले प्लांट में 10 हजार रुपए की पगार पर नौकरी शुरू कर दी.

आमिर चूंकि गाड़ी चलाने से ले कर पनीर की मार्केटिंग और प्लांट के दूसरे काम भी देखता था. लिहाजा इन कामों से भी उसे 4-5 हजार रुपए की अतिरिक्त कमाई हो जाती थी. किसी तरह सिमरन के साथ धीरेधीरे घरगृहस्थी  चलने लगी.

जिस तेजी के साथ समय गुजरने लगा, उसी तेजी के साथ सिमरन के उपर चढ़ा आमिर के प्यार का नशा भी उतरने लगा. क्योंकि शुरुआत में तो सिमरन ने सोचा था कि चलो जिदंगी का सफर शुरू करने के लिए तंगी में भी गुजर बसर की जा सकती है.

लेकिन एक सवा साल बीतने के बाद उसे लगा कि गुरबत में जिंदगी गुजारना मानों उस की नियति बन गई है. क्योंकि ना तो आमिर उसे अच्छे कपडे़ दिलाता था और ना ही उस की कोई ऐसी फरमाइश पूरी करता था जिस से उसे खुशी मिलती.

आमिर अब ये और ताने देने लगा था कि उस की जिंदगी ऐसी ही थी और आगे भी ऐसी ही रहेगी. मैं ने तेरे बाप से कोई दहेज नहीं लिया कि तेरी फरमाइशें पूरी करने के लिए चोरीडकैती करूं. जब कभी आमिर इस तरह के ताने देता तो सिमरन का मातापिता की लड़के की हैसियत को ले कर कही जाने वाली बातें याद आने लगती थीं.

अब उसे समझ आने लगा था कि मातापिता बेटी के सुखद भविष्य के लिए लड़के की हैसियत और उस के काम को तवज्जो क्यों देते हैं.

लेकिन सिमरन प्यार में अंधी हो कर आमिर से शादी का जो कदम उठा चुकी थी उस का पश्चाताप तो यही था कि हर हाल में भी उसे आमिर के साथ खुश रहना था. लेकिन इस दौरान एक अच्छी बात ये हुई कि कोर्ट मैरिज के कारण शुरू हुई मातापिता की नाराजगी खत्म हो गई. मातापिता और भाई व बहनें अब उस से अक्सर मोबाइल फोन पर बातें करने लगे थे.

कुछ दिन सिमरन को लगा कि परिवार ने संबधों को सुधारने के लिए जो पहल की है उसे उस पहल को आगे बढ़ाना चाहिए. लिहाजा वह भी एक दिन आमिर को साथ ले कर अपने मायके चली गई. लंबे समय बाद मांबाप से मिलन हुआ. कुछ शिकवेशिकायतें हुईं और फिर मांबाप भी बेटी को अपने शौहर के साथ खुश देख कर सारे गिलेशिकवे भूल गए.

इस तरह सिमरन का अपने मातापिता के घर आनाजाना शुरू हो गया. इधर, आमिर इस बात से खुश था कि चलो अब सिमरन के अपने मायके वालों के साथ संबध सुधर गए है तो उसे भी उन की बड़ी हैसियत का फायदा मिलेगा. बेटी को खुश रखने के लिए आखिर वे कुछ ना कुछ आर्थिक मदद तो करेंगे ही.

लेकिन एकदो बार मायके जाने के बाद भी जब सिमरन खाली हाथ लौटी तो आमिर के ससुराल वालों से मदद मिलने के सपने चकनाचूर हो गए.

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इधर मायके से संबध जरूर सुधर गए थे, लेकिन सिमरन कभी उन से अपनी गुरबत भरी जिंदगी का जिक्र नहीं करती थी. क्योंकि उस का मानना था कि उस ने अपनी इच्छा से आमिर से शादी की थी. इसीलिए वो जिस हाल में भी उसे रखेगा वह रहेगी लेकिन परिवार को अपने दुखों के बारे में नहीं बताएगी.

आमिर की भी उम्मीदें अधूरी, सिमरन की भी

इधर जब सिमरन अपनी जरूरतों के लिए आमिर से पैसा मांगती तो वह उसे टका सा जवाब दे देता कि मेरे साथ तो तुम को रूखी रोटी ही नसीब होगी. अगर ऐशोआराम के लिए पैसा चाहिए तो अपने बाप से मंगा लो.

जब भी आमिर इस तरह का ताना देता तो सिमरन का उस से झगड़ा हो जाता और वह उसे सुना देती कि उस ने अपने मातापिता की इच्छा के खिलाफ लड़झगड़ कर उस से शादी की है इसलिए उस की हर इच्छा और जरूरतों को पूरा करना भी उसी का फर्ज है.

ऐसे ही रोजमर्रा के झगड़ों में समय तेजी से बीतने लगा. लेकिन कोरोना और बीच में कुछ समय तक रहे लौकडाउन के कारण आमिर की कमाई में कमी आ गई थी.

घर की आम जरूरतें भी ठीक से पूरी नहीं हो पाती थीं. उस पर जब सिमरन उस से कोई फरमाइश कर देती तो इसी बात पर दोनों के बीच झगड़ा हो जाता था.

आमिर को भी अब लगने लगा था कि एक बड़े घर की लड़की से शादी कर के उस ने बड़ी गलती कर दी है. उस ने तो सोचा था कि बडे़ घर में शादी कर के उसे ससुराल वालों का सहारा मिलेगा, लेकिन जब ऐसा कुछ नहीं हुआ तो उस की खींझ बढ़ने लगी. इस दौरान आमिर व सिमरन के बीच आर्थिंक तंगियों के कारण झगड़े ज्यादा होने लगे थे.

जब भी ऐसा होता तो आमिर नाराज हो कर जैनपुर में अपने सब से बडे़ भाई के पास चला जाता. पूरे परिवार को इस दौरान आर्थिक तंगी के कारण पतिपत्नी के बीच होने वाले झगड़ों की बात पता चल चुकी थी.

आमिर अपने परिवार वालों के सामने सिमरन की गलत आदतों और ऊंची फरमाइशों की बात बता कर हमेशा उसे ही गलत ठहराता था. सब को यही लगता कि सिमरन बड़े घर की लड़की है, अपनी ऐश भरी फरमाइशें पूरी न होने के कारण आमिर से झगड़ा करती होगी.

29 नवंबर, 2020 को शाबरी बेगम अपने पति मोहम्मनद शरीफ व बेटे फिरोज को ले कर अचानक सरूरपुर थाने पहुंची. थानाप्रभारी अरविंद कुमार उस समय थाने पर ही अपने स्टाफ के साथ मीटिंग कर रहे थे.

शाबरी बेगम ने बताया कि उस की बेटी हर्रा कस्बे में अपने पति आमिर के साथ रहती है. लेकिन 26 नवंबर की सुबह से बेटी का फोन लगातार स्विच्ड औफ आ रहा है. वे लोग उस की खैरियत को ले कर परेशान हैं.

इसलिए हकीकत जानने के लिए जब पति व बेटे के साथ उस के घर पहुंची तो वहां ताला लगा मिला. ना ही बेटी का फोन मिल रहा है, ना ही उस की कोई खबर मिल रही है. ‘हो सकता है अपने हसबैंड के साथ ही गई हो या फोन में कोई परेशानी आ गई हो.’

इंसपेक्टर अरविंद कुमार ने सारी बात जानने के लिए दूसरे पहलू को सोचते हुए अपनी राय दी तो शाबरी बेगम ने कहा सर मेरी चिंता इस बात को ले कर है कि मेरी बेटी को उस का पति पिछले कुछ महीनों से लगातार परेशान कर रहा था. दोनों ने कोर्ट मैरिज की थी. वो बेटी को इस बात के लिए परेशान कर रहा था कि उसे कोई दहेज नहीं मिला था.

इस के अलावा पिछले कुछ दिनों से वो हमारी बेटी से छुटकारा पा कर दूसरी शादी करने की बात भी करता था. जब मेरी बेटी से आखिरी बात हुई थी, उस दिन भी दोनों में झगड़ा हुआ था और आमिर ने सिमरन की पिटाई कर दी थी.

चूंकि शाबरी बेगम ने आमिर के खिलाफ अपनी बेटी को दहेज के लिए प्रताडि़त करने व हत्या की नियत से उस के अपहरण की आशंका जाहिर की थी, लिहाजा एसएचओ अरविंद कुमार ने सारी बात एसएसपी मेरठ अजय साहनी को बताई. उन्होंने एसपी देहात अवीनाश पांडे व सीओ सरधना आरपी शाही को थाने पहुंचने के लिए कहा.

अगले भाग में पढ़ें- प्रेमी पति ने सिमरन को लगाया ठिकाने

Crime Story: प्यार में मिट गई सिमरन- भाग 4

सौजन्य- मनोहर कहानियां

लेखक- सुनील वर्मा

दरअसल दहेज उत्पीड़न के साथ अपहरण जैसे गंभीर मामलों में उच्चाधिकारियों को विश्वास में लिए बिना कोई कार्रवाई करने से मामला बिगड़ सकता था. एसपी देहात व सीओ सरधना थाने पहुंचे तो उन से भी शाबरी बेगम ने बेटी सिमरन के प्रेम विवाह से ले कर पति की प्रताड़ना तक की पूरी कहानी सुना दी.

बात पहुंची पुलिस तक

जिस तरह की शिकायत थी उस पर तत्काल काररवाई जरूरी थी. इसलिए  एसपी देहात के आदेश पर  इंसपेक्टपर अरविंद कुमार ने उसी दिन थाने पर धारा 498ए 364 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. चूंकि मामला दहेज उत्पीड़न का था लिहाजा जांच की जिम्मेदारी सीओ आरपी शाही को सौंपी गई.

उन्होंने आगे की काररवाई के लिए इंसपेक्टर अरविंद कुमार के नेतृत्व में एसएसआई योगेंद्र सिंह, हेडकांस्टेबल सुरेश कुमार, कांस्टेबल आशु मलिक, सचिन सिरोही, महिला कांस्टेबल अनु और बबली की एक टीम गठित कर दी.

पुलिस टीम ने जांच का काम हाथ में लेते ही सब से पहले आमिर के परिवार और मिलनेजुलने वाले लोगों की सूची तैयार कर उन से आमिर के बारे में पूछा. लेकिन किसी को उस के बारे में कुछ पता नहीं था. वह 26 नवंबर से काम पर भी नहीं गया था.

पुलिस ने आमिर के घर के पास लगे एक सीसीटीवी को चैक किया तो पता चला कि 25 व 26 नवंबर की रात में आमिर व 3 अन्य लोग काले रंग की एक बोलेरो गाड़ी में सिमरन को लाद कर कहीं ले गए थे.

साफ था कि सिमरन के साथ कुछ गलत हो चुका था. सिमरन को क्या हुआ था इस की जानकारी आमिर के पकड़े जाने पर ही मिल सकती थी. लिहाजा पुलिस ने आमिर के फोन की सीडीआर निकलवाई, जिस से पता चला  कि वारदात के अगले दिन 27 नंवबर को उस की लोकेशन दिल्ली में थी.

उस के बाद से उस की लोकेशन लगातार लखनऊ की आ रही थी. एसएसपी के आदेश पर उसी समय एक टीम को लखनऊ रवाना किया गया. जहां से सर्विलांस टीम तथा स्थानीय पुलिस की मदद से पुलिस ने आमिर को 1 दिसंबर को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस टीम उसे सरूरपुर ले आई और पूछताछ का सिलसिला शुरू हुआ. पता चला कि उस ने सिमरन की हत्या कर दी थी.

आमिर ने बताया कि उस की आय उतनी नहीं थी लेकिन सिमरन एक अच्छी जिंदगी जीने वाली लडकी थी और अपनी जरूरतों के लिए उस से कोई फरमाइश करती थी तो उसे गुस्सा आ जाता था. आमिर ने कई बार सिमरन से कहा था कि वह अपने परिवार से 2-4 लाख रुपए ले ले, जिस से कोई काम कर के उन की जिंदगी बदल सकती है.

Crime Story: प्रेमिका की बली- भाग 3

लेकिन सिमरन ने साफ कह दिया था कि उस ने अपने परिवार से बागी हो कर शादी की थी. ऐसे में उसे कोई हक नहीं बनता कि वह अपने परिवार से पैसा मांग कर उन की नजर में अपने फैसले को गलत साबित करे.

सिमरन खुद्दार लड़की थी लेकिन आमिर को इस से कोई मतलब नहीं था. जब सिमरन ने उस की बात नहीं मानी और उसकी फरमाइशें पूरी करने के चक्कर में आए दिन झगड़ा होने लगा तो आमिर का अपने बड़े भाई आदिल के घर आना जाना बढ़ गया. वहां भाई की जवान साली से उसका दिल लग गया.

आदिल की साली सिमरन जैसी बहुत खूबसूरत तो नहीं थी लेकिन गरीब परिवार की होने के कारण खुद को हर तरह के हालात में ढाल सकती थी. जैसेजैसे आमिर का आकर्षण भाई की साली की तरफ बढ़ता गया वैसेवैसे सिमरन से उस के झगडे़ बढ़ते चले गए.

वैसे भी अब उसे अपनी ससुराल से किसी तरह की मदद की उम्मीद नहीं रह गई थी. इसलिए आमिर ने सोचा कि क्यों न जिंदगी भर होने वाली सिमरन की चिकचिक से छुटकारा पा कर भाई की साली से निकाह कर लिया जाए.

इसीलिए जब भी लड़ाई होती तो आमिर सिमरन से कहता कि अगर उस के साथ नहीं रहना चाहती तो उस का पीछा छोड़ दे और अपने घर चली जाए, कम से कम वह दूसरा निकाह तो कर लेगा. 25 नंवबर को भी ऐसी ही बात पर झगड़ा हुआ था. दोनों के बीच मारपीट भी हुई थी. यह बात सिमरन ने फोन पर अपनी मां को भी बता दी थी.

उसी दिन आमिर ने मन बना लिया कि बस अब बहुत हुआ रोजरोज के झगड़ों से अच्छा है कि आज सिमरन को खत्म कर दिया जाए. उस रात जब वो शाम को घर पहुंचा तो पहले उस ने सुबह के झगड़े के लिए सिमरन से माफी मांगी, फिर दोनों ने साथ खाना खाया. बिस्तर पर पहुंचते ही आमिर ने सिमरन को इस तरह प्यार किया मानों आज के बाद वे फिर कभी दोबारा नहीं मिलेंगे.

ऐसा ही हुआ भी. आधी रात को जब सिमरन गहरी नींद सो गई तो उस ने सोते समय सिमरन का गला दबा दिया. सिमरन एक क्षण को छटपटाई लेकिन आमिर की मजबूत पकड़ से निकल नहीं सकी और उस ने दम तोड़ दिया.

प्रेमी पति ने सिमरन को लगाया ठिकाने

हत्या करने के बाद आमिर अपने पनीर के जैनपुर स्थित प्लांट पर पहुंचा. वहां से वह फैक्टरी की बोलेरो गाड़ी में प्लांट पर काम करने वाले तीन मजदूरों को यह कहकर अपने हर्रा स्थित घर बुला लाया कि उस की पत्नी की तबीयत खराब है उसे अस्पताल ले जाना है. वह उसे गाड़ी में डालने में मदद कर दें.

जब मजदूर घर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि आमिर की पत्नी तो मृत पड़ी है. मजदूरों ने ऐतराज किया तो आमिर ने उन्हें  नौकरी से निकलवाने की धमकी दी जिस से वे चुप हो गए, उन्होंने सोचा कि चलो बौडी को गाड़ी में ही तो रखवाना है. इस के बाद उस ने उन की मदद से सिमरन के शव को गाड़ी में डाला और वापस जैनपुर स्थित प्लांट के पास पीछे ले जा कर तिरपाल डाल कर गाडी खड़ी कर दी.

रात में करीब ढाई बजे आमिर ने प्लांट के पास एक खेत में गड्ढा खोदा और एक मजदूर की मदद से सिमरन के शव को गड्ढे में दबा दिया. राज खुलने के डर से आमिर ने अगली सुबह अपना मोबाइल स्विच औफ कर दिया और दिल्ली पहुंच गया. लेकिन वहां उसे पकड़े जाने का डर सताने लगा तो सीधा लखनऊ निकल गया. इस दौरान आमिर ने परिवार में या किसी को सिमरन की हत्या की भनक नहीं लगने दी.

पुलिस ने पूछताछ के बाद आमिर की निशानदेही पर जैनपुर के एक खेत में दबे सिमरन के शव को बरामद कर लिया. साथ में मौजूद सिमरन के परिजनों ने उस की शिनाख्त भी कर दी. जिस के बाद पुलिस ने सिमरन का शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

आमिर से पूछताछ के बाद पुलिस ने सिमरन का शव ठिकाने लगाने में उस की मदद करने वाले उस की फैक्टरी के मजूदरों के नाम पते भी मिल गए, जिन की पहचान आरिफ निवासी नूरपुर, जिला अलीगढ़, नसीम निवासी शिकरावा जिला नूह मेवात हरियाणा तथा बबलू निवासी विनोली जिला बागपत के रूप में हुई.

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पुलिस ने उन्हें भी मुकदमे में आरोपी बना कर मामलें में हत्या की धारा 302 व सबूत खत्म करने की धारा 201 जोड़ दी. आमिर को सक्षम न्याधयालय में पेश कर के जेल भेज दिया गया. पुलिस बाकी आरोपियों को गिरफ्तारी की कोशिश में लग गई.

कितनी हैरानी की बात है कि जिस युवक के लिए सिमरन ने अपने परिवार से बगावत की थी, उस का वहीं हम सफर जिंदगी भर साथ निभाना तो दूर उस की जिम्मेदारियां तक नहीं उठा सका और एक दूसरी औरत के आगोश में जाने के लिए उसे ही अपने रास्ते से हटा दिया.

यह कहानी सिर्फ एक सिमरन की नहीं है. आज की पीढ़ी के नौजवान लड़केलड़कियां प्यार में अंधे हो कर साथ जीने मरने की कसमें खा कर परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी तो कर लेते हैं. लेकिन तजुर्बे की कमी के कारण ये भूल जाते है कि जिंदगी की कठिन राह में जिम्मेदारियों के बहुत से कांटे भी होते हैं, जो कदमकदम पर चुभते हैं.

इसीलिए मातापिता बेटियों की शादी से पहले दामाद का परिवार, उस की हैसियत और उस के नौकरी या कारोबार को परखते हैं. क्योंकि इन्हीं छोटी बातों को अनदेखा करने से एक दिन जिंदगी का बड़ा फसाना बन जाने की संभावना बनी रहती है.

Crime Story: प्यार में मिट गई सिमरन- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

लेखक- सुनील वर्मा

प्यार शब्द में भले ही दुनिया जहान की खुशियां सिमटी हों, लेकिन जब प्रेमीप्रेमिका का प्यार हकीकत के धरातल से टकराता है तो उस का अस्तित्व डगमगाने लगता है. कभीकभी तो शहद सा मीठा यही प्यार जहर बन जाता है. यही सिमरन और आमिर के साथ भी हुआ. सिमरन ने जिस आमिर को अपना…

सिमरन की प्रेम कहानी की शुरुआत ढाई साल पहले हुई थी. दिल्ली के शाहदरा जिले में मंडोली रोड पर हर्ष विहार थाना क्षेत्र में एक कालोनी है बुध विहार. इसी कालोनी की गली नंबर 12 के मकान नंबर 438 में रहता है मोहम्मद शरीफ और शाबरी बेगम का परिवार. शरीफ का कबाड़ खरीदनेबेचने का काम है. काम कबाड़ी का जरूर था, लेकिन आमदनी अच्छी थी. घर में कोई कमी नहीं थी, परिवार दिल खोल करपैसा खर्च करता था.

शरीफ व शाबरी की 5 औलादें थीं, 2 बेटे व 3 बेटियां. तीनों बेटियां बड़ी थीं उन से छोटे 2 बेटे थे. 2 बड़ी बेटियों की दिल्ली में ही अच्छे  परिवारों में शादी हो चुकी थी. सिमरन बेटियों में सब से छोटी थी. उस से छोटे 2 भाई थे बड़ा फिरोज, उस से छोटा अजहर.

12वीं तक पढ़ी सिमरन की ढाई साल पहले कालोनी में हो रहे एक निकाह के वलीमा में जब आमिर से पहली बार आंख लड़ी थी तो वह उम्र का 20वां बसंत पार कर चुकी थी.

वैसे तो उम्र की ये ऐसी दहलीज होती है जिसे लांघ कर लड़की यौवनांगी बनती है,  इस पड़ाव पर पहुंचते ही उसे दुनिया की हर चीज खूबसूरत नजर आने लगती है. देखने का नजरिया बदल जाता है.

निहायत खूबसूरती का खजाना लिए सिमरन की जवानी एक नई अंगडाई ले रही थी. वैसे तो कुदरत ने उसे खूबसूरती की नियामत दिल खोल कर बख्शी थी लेकिन जब वह सजसंवर कर निकलती थी तो उस के तीखे नाकनक्श उस की बेइंतहा खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ा देते थे.

उस दिन भी सिमरन की खूबसूरती कुछ ऐसी ही बिजलियां गिरा रही थी. वलीमा की उस पार्टी में सिमरन की निगाहें डीजे के फ्लोर पर बेहद आकर्षक ढंग से डांस कर रहे उस युवक पर अटकी थी जो मानों उसी के लिए डांस कर रहा हो.

पहले प्यार की पहली खुशबू

हालांकि सिमरन ने इस से पहले किस्से कहानियों में ही देखा सुना था कि मोहब्बत नाम की कोई चीज होती है. आखिर मोहब्बत है ही ऐसी चीज, जिसे सभी करना चाहते हैं. सिमरन को उस दिन पहली बार मुहब्बत का अहसास आमिर से बात कर के हुआ था. उस वलीमा फंक्शन में मौका मिलते ही आमिर ने उसे एक कोने में रोक कर पूछा, ‘हैलो जी, कैसा लगा हमारा डांस?’

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एक अंजान युवक से इस तरह बात करते हुए सिमरन का दिल पहली बार इतनी तेजी से धड़का. उस की अटकी हुई सांसों को आमिर ने एक ही नजर में पढ़ लिया.

‘‘आप ने बताया नहीं.’’ आमिर ने फिर से वही सवाल किया ‘‘जी बहुत अच्छा… एकदम रितिक रोशन की तरह डांस करते हो आप.’’

सिमरन ने किसी तरह जवाब दिया.

‘‘आप का नाम जान सकता हूं.’’ आमिर ने पूछा.

‘‘सिमरन…’’ ना जाने कैसे और क्यूं  सिमरन के मुंह से अपने आप निकल गया. अगले ही पल उसे अपनी भूल का अहसास हुआ.

‘‘मुझे आमिर कहते हैं, यहीं गली नंबर 9 में रहता हूं मदीना मस्जिद के पास.’’ आमिर जो सिमरन से बातचीत करने के लिए बेताब था ने सिमरन की घबराहट व हिचकिचाहट को देख कर खुद ही बातचीत का सिलसिला शुरू कर दिया. ‘‘आप को पहले इस इलाके में नहीं देखा, आप शायद अपनी रिश्तेदारी में आई हैं.’’

‘‘नहीं…नहीं मैं भी यहीं की रहने वाली हूं 12 नंबर गली में घर है हमारा, जिन के यहां ये वलीमा है, अब्बू के दोस्त हैं.’’

सिमरन को मानों अपने उपर नियंत्रण ही नहीं था. आमिर जो भी सवाल कर रहा था, उस के मुंह से जवाब खुद निकल रहे थे.

थोड़ीबहुत बातचीत और हुई. अचानक आमिर नाम के उस युवक ने सिमरन के हाथ से उस का मोबाइल ले लिया और उस पर अपना नंबर लगा कर घंटी मार दी. आमिर के मोबाइल पर सिमरन के नंबर की काल आ चुकी थी. ‘‘थैंक यू सिमरन… तुम से मिल कर बहुत अच्छा लगा… पहली बार कोई इतनी प्यारी लड़की मिली है जिस से दोस्ती करने का मन हो रहा है हम लोग फोन पर बात करते रहेंगे.’’

आमिर हवा के तेज झोंके की तरह आया और अपनी बात कह कर सिमरन को हक्काबक्का छोड़ कर चला गया तो सिमरन मानो सोते से जागी.

सिमरन को उस दिन पहली बार लगा कि कहीं ये मुहब्बत तो नहीं है. क्योंकि उस ने सुना था कि मुहब्बत एक भावना है, जिस का एहसास धीरेधीरे होता है, कभी कभी यह मोहब्बत किसी से पहली नजर में भी हो जाती है.

सिमरन को उस दिन लगा कि ये शायद मुहब्बत का तीर था, जो उस के जिगर के पार हो गया था, इसीलिए वह आमिर की किसी बात का विरोध नहीं कर सकी थी.

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उस दिन रात को सिमरन ठीक से सो नहीं सकी. आंखे बंद करती तो बार बार आमिर का चेहरा उस की आंखों के आगे तैरने लगता. उस के डांस का अंदाजे बयां याद कर के वह खुद ही मुसकराने लगती. उसे लगा कि वह प्यार की अंजानी सी डगर पर चल पड़ी है.

लेकिन अभी तक वो ये नहीं जानती थी कि आमिर है कौन, क्या करता है, उस की हैसियत क्या है?

अगले दिन ही आमिर ने वाटसएप पर सिमरन से बातचीत शुरू कर दी.

प्रेम दीवानी सिमरन, प्यासा आमिर

युवाओं के बीच प्यार की शुरूआत में जिस तरह की बातें होती हैं. उस दिन से दोनों के बीच वैसी बातचीत भी शुरू हो गई. दोनों ने एक दूसरे को अपने फोटो भेजने शुरू कर दिए. चंद रोज बाद दोनों के बीच घर से बाहर कहीं मिलने की बात भी तय हो गई.

एक बार मिलना हुआ तो फिर दोनों को मिलनाजुलना आम बात हो गई. कभी इलाके में गली के किसी नुक्कड़ पर तो कभी नजदीक के किसी पार्क में, कभी किसी चाईनीज फूड सेंटर पर तो कभी पिक्चर देखने के लिए दोनों साथ आने जाने लगे.

जैसेजैसे समय बीत रहा था दोनों की मुहब्बत परवान चढ़ती जा रही थी. कभीकभी मौका मिलता तो आमिर सिमरन के अधरों पर अपने प्यार की मुहर भी लगा देता, जिस से सिमरन की तड़प ओर बढ़ जाती थी.

अगले भाग में पढ़ें- सिमरन मिली भावी ससुराल वालों से

Crime Story: प्यार में मिट गई सिमरन- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

लेखक- सुनील वर्मा

एक तरह से सिमरन आमिर के प्यार में पूरी तरह दीवानी हो चुकी थी. करीब 6 महीने तक दोनों का प्यार इसी तरह चोरीछिपे परवान चढ़ता रहा. प्यार की हर कहानी एकदम सीधी नहीं होती. उस में कई बाधाएं होती हैं और सिमरन का प्यार तो वैसे भी पहली नजर का अंधा प्यार था, जिस में न तो भविष्य की भलाई देखी गई थी न ही भावी जिदंगी की कड़वी सच्चाई को परखा गया था.

सिमरन बहनों में सब से छोटी थी और मां बाप की लाड़ली भी. मां बाप चाहते थे कि जवानी की दहलीज पर खड़ी सिमरन की शादी भी किसी अच्छे परिवार में कर दी जाए. इसीलिए वे उस के लिए अच्छा वर तलाश रहे थे.

सिमरन के प्यार से अंजान मां ने जब एक दिन सिमरन को रिश्ते के लिए एक लड़के की फोटो दिखाई तो सिमरन को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसे हसीन सपना देखते हुए जगा दिया हो.

‘‘अम्मी अभी शादी की क्या जल्दी है.. मुझे घर से निकालना चाहती हो क्या?’’ सिमरन ने बेमन से लड़के की फोटो देखने के बाद कहा.

‘‘नहीं बेटा, लड़की मांबाप के लिए एक जिम्मेदारी होती है जितनी जल्दी ये जिम्मेदारी पूरी हो जाए मांबाप का मन हल्का हो जाता है. और तेरा निकाह हो जाएगा तो उस के बाद फिरोज के लिए भी तो दुल्हन लानी है घर में.’’

शाबरी बेगम ने सिमरन के शादी के ऐतराज को स्वभाविक रूप से लिया. लेकिन वे इस बात से कतई अंजान थी कि बेटी के मन में क्या चल रहा है.

सिमरन जानती थी कि अगर उस ने अपनी अम्मी को अपनी पंसद के बारे में बताया तो वे आमिर से उस की शादी के लिए कतई तैयार नहीं होगी. क्योंकि आमिर का परिवार उस की दूसरी बहनों की ससुराल की तरह समृद्ध नहीं था.

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आमिर के पिता शाहिद मूलरूप से मेरठ के रहने वाले हैं. वे जवानी के दिनों में ही दिल्ली आ गए थे. आजादपुर मंडी में आढ़तियों को लेबर सप्लाई करने वाले शाहिद के परिवार में उन की बीवी आबिदा के अलावा 10 बच्चे थे, 3 बेटियां व 7 बेटे.

परिवार लंबाचौड़ा था और खर्चे अधिक. मंदे समय में उन्होेंने किसी तरह अपने परिवार के लिए मंडोली की गली नंबर 9 में मकान तो बना लिया था, लेकिन 3 बेटियों की शादी करने और 7 बेटों को पालपोस कर जवान करतेकरते वे उम्र से पहले ही बूढे हो कर बीमार रहने लगे थे. उन का कोई भी बच्चा 5वीं जमात से ज्यादा नहीं पढ़ सका था.

मेरठ के सरूरपुर, जैनपुर में पनीर बनाने के कई प्लांट हैं. शाहिद के लगभग सभी बेटे इन्हीं फैक्ट्रियों में काम करते हैं. 2 बड़े बेटे अपने परिवार के साथ जैनपुर में ही किराए का मकान ले कर रहते थे.

आमिर से छोटे भाई की भी शादी हो चुकी थी, लेकिन उस की पत्नी दिल्ली में शाहिद व उन की पत्नी आबिदा के पास ही रहती थी.3 बेटों की अभी शादी नहीं हुई थी.

ढाई साल पहले जिन दिनों सिमरन और आमिर का प्यार परवान चढ़ रहा था उन दिनों आमिर पनीर बनाने का काम सीख रहा था. उस ने अभी नौकरी शुरू नहीं की थी. अलबत्ता 10 हजार रूपए में उस की नौकरी एक प्लांट में पक्की हो गई थी.

इधर जब सिमरन ने आमिर को बताया कि उस के अम्मी अब्बू उस का जल्द से जल्द कहीं दूसरी जगह निकाह कराने की तैयारी कर रहे है तो आमिर सकते में आ गया. क्योंकि वो चाहता था कि सिमरन के साथ अभी एक साल उस के प्रेम संबध यूं ही चलते रहें.

उस ने सोचा था कि नौकरी कर के पहले पैसा कमाएगा फिर सिमरन से शादी करेगा. लेकिन जब अचानक सिमरन ने बताया कि परिवार वाले उस का निकाह कराने की तैयारी कर रहे हैं तो उस के हाथपांव फूल गए.

उसे समझ नहीं आया कि वह क्या करें. सिमरन ने उसे ये भी बता दिया था कि उस के परिवार की हैसियत देख कर उस के परिवार वाले कभी दोनों की शादी के लिए तैयार नहीं होंगे.

सिमरन दिल्ली में रहने वाली और 12वीं क्लास तक पढ़ी लड़की थी. उसे पता था कि अगर परिवार शादी की इजाजत ना दे तो बालिग प्रेमियों को शादी के लिए क्या करना चाहिए.

सिमरन मिली भावी ससुराल वालों से

इसलिए सिमरन ने आमिर से पूछा कि क्या उस के परिवार वाले उसे अपनाने के लिए तैयार हैं. सिमरन अच्छे संपन्न परिवार की पढ़ीलिखी सुंदर लड़की थी. जब आमिर ने उसे अपने परिवार वालों से मिलाया तो सब ने शादी के लिए हां कर दी.

अब सवाल यह था कि सिमरन के परिवार वाले दोनों का निकाह कराने के लिए तैयार नहीं होंगे. तय हुआ कि सिमरन व आमिर कोर्ट मैरिज कर लें. बाद में सिमरन का परिवार अपने आप मान जाएगा.

सिमरन व आमिर ने शाहदरा मैरिज कोर्ट में शादी के लिए आवेदन कर दिया. चूंकि दोनों ही बालिग थे और परिवार के तौर पर दोनों की तरफ से आमिर के दोस्त गवाह थे, लिहाजा दोनों की कोर्ट मैरिज होने में कोई अड़चन नहीं आई.

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लेकिन जब कोई लड़की निकाह करती है तो भले ही परिवार से कुछ ना बताए लेकिन उस के रहनसहन और पहनावे में इतना परिवर्तन तो आ ही जाता है कि सवालों का पहाड़ अपने आप ही खड़ा हो जाए.

कोर्ट मैरिज के बाद सिमरन जब चूड़ा पहन कर अपने घर गई तो उस की अम्मी को शक हुआ, तो उन्होंने सवालों की बौछार कर दी. सिमरन जानती थी कि एक ना एक दिन सब को सच बताना ही पडे़गा. लिहाजा उस ने अपनी मां को बता दिया कि वह आमिर नाम के एक लड़के से प्यार करती है और उस ने कोर्ट मैरिज कर ली है.

बेटी के लिए अच्छे घर का सपना देखने वाले मातापिता के लिए बेटी के प्रेम विवाह की खबर किसी वज्रपात से कम नहीं होती. उन्होंने जब लड़के व उस के परिवार के बारे में पूछा तो सिमरन ने सब कुछ सचसच बता दिया.

जैसा कि सिमरन को आशंका थी वैसा ही हुआ. मां ने सिमरन को लानतमलानत दी और उस की पिटाई कर दी. अब्बू के घर आने के बाद तो जम कर हंगामा हुआ. पिता ने उसी दिन आमिर को अपने घर बुलाया और उसे धमकी देते हुए अपनी बेटी को भूल जाने के लिए कहा.

आमिर ने सिमरन से सच्ची मोहब्बत की थी. भूल जाने का तो सवाल ही नहीं उठता था. लिहाजा उस ने साफ कह दिया कि वह दुनिया में सब को छोड़ सकता है लेकिन सिमरन को छोड़ना उस के लिए मुमकिन नहीं.

मोहम्मद शरीफ ने जब उसे अपनी हैसियत देखने के लिए कहा तो आमिर ने साफ कह दिया कि उस ने सिमरन की हैसियत से नहीं, बल्कि दिल से प्यार किया है.

शरीफ ने आमिर को मारपीट कर घर से भगा दिया और उसे चेतावनी दे दी कि भूल कर भी सिमरन से मिलने का प्रयास न करें. आमिर जानता था कि अगर उस ने जरा सी भी देर कर दी तो सिमरन के घर वाले जल्दी ही कहीं उस का निकाह कर देंगे. लिहाजा उस ने अपनी जान पहचान के कुछ लोगों से बात की और हर्ष विहार थाने पहुंच गया.

अगले भाग में पढ़ें- क्या मांबाप का दिल तोड़ कर खुश थी सिमरन

Crime Story: जंगल में चोरी के लिए

Crime Story: जंगल में चोरी के लिए- पार्ट 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

लेखक- शैलेंद्र कुमार ‘शैल’ 

अनरजीत और उस की दूसरी पत्नी रीमा की हत्या पुलिस के लिए एक पहेली बन गई थी. 2 महीने तक पुलिस ने सभी पहलुओं पर जांच की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. बाद में हत्याकांड का परदाफाश हुआ तो ऐसी वजह सामने आई, जिस की किसी ने…

रीमा गौड़ गोरखपुर जिले के गुलरिहा क्षेत्र के शंकर टोला गांव में पति अनरजीत गुप्ता के साथ रहती थी.

रीमा का मायका इसी गांव में था, लेकिन वह अपने मांबाप के घर से दूर गांव के बाहर बने टिनशेड वाले मकान में रहती थी. यह मकान उस के पति अनरजीत ने बनवाया था. बात 6 अगस्त, 2020 की है. सुबहसुबह रीमा के चाचा बैजनाथ गौड़ घूमते हुए उस के घर पहुंचे तो उन्हें रीमा के घर का मुख्य दरवाजा  खुला मिला.

बैजनाथ ने दरवाजे से ही 2 बार ‘रीमा…रीमा…’ नाम से आवाज लगाई. आवाज देने के बावजूद अंदर कोई हलचल नहीं हुई तो बैजनाथ खुद अंदर कमरे में दाखिल हो गए.

जैसे ही वह कमरे में पहुंचे, तो वहां की दिल दहला देने वाला हाल देख कर उलटे पांव लौट आए. कमरे के अंदर तख्त पर रीमा और जमीन पर औंधे मुंह उस के पति अनरजीत की रक्तरंजित लाश पड़ी थीं. अनरजीत के सिर पर और रीमा की गरदन पर फावड़े से वार किए गए थे. बगल में खून से सना फावड़ा भी पड़ा था.

बेटी और दामाद की खून में डूबी लाशें देख बैजनाथ के हाथपांव फूल गए और वह घबराहट में वहां से वापस लौट आए.

रीमा पति अनरजीत के साथ गांव में रहती थी. उस की अपनी कोई औलाद नहीं थी. अनरजीत रीमा का तीसरा पति था, जबकि रीमा, अनरजीत की दूसरी पत्नी थी. अनरजीत की पहली पत्नी संगीता से 14 और 10 साल के 2 बेटे थे.

उस की पत्नी संगीता गुलरिहा थाना क्षेत्र के गांव जैनपुर के टोला मोहम्मद बरवा में दोनों बच्चों के साथ अलग रहती थी. अनरजीत ने संगीता और बच्चों को छोड़ा नहीं था, बल्कि स्वेच्छा से पत्नी और बच्चों का भरणपोषण होता था. वह परिवार से मिलने जैनपुर आता था लेकिन ज्यादातर समय दूसरी पत्नी रीमा के साथ ही बिताता था.

बहरहाल, बैजनाथ गौड़ दौड़ेभागे घर पहुंचे और सारी बात बड़े भाई रामरक्षा और भतीजे अखिलेश को बताई. छोटे भाई के मुंह से बेटी और दामाद की हत्या की खबर सुनते ही उन के हाथपांव कांपने लगे और वह धम्म से गिर पड़े. यही नहीं, बेटी और दामाद की हत्या की खबर सुन घर में भी कोहराम मच गया.

बैजनाथ ने फोन द्वारा यह सूचना बेटी की ससुराल में भी दे दी. थोड़ी देर में अनरजीत और रीमा की हत्या की खबर जंगल की आग की तरह पूरे गांव में फैल गई. खबर मिलते ही गांव वाले मौके पर जुट गए. भीड़ में से किसी ने घटना की सूचना गुलरिहा थाने को दे दी.

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दोहरे हत्याकांड की सूचना मिलते ही थानेदार अनिल पांडेय पुलिस टीम के साथ शंकर टोला पहुंच गए और घटना की सूचना तत्कालीन एसएसपी डा. सुनील गुप्ता, एसपी (नार्थ) अरविंद कुमार पांडेय और सीओ (चौरीचौरा) रचना मिश्रा को दे दी. इस के बाद जांच में जुट गए.

सूचना मिलने के कुछ देर बाद सभी पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए. घटनास्थल की बारीकी से जांच की गई. जांच के दौरान अनरजीत के सिर के पीछे और रीमा की गरदन पर गहरे घाव के निशान पाए गए. तख्त के बगल में खून से सना फावड़ा पड़ा था.

पुलिस जुटी जांच में

पुलिस ने अनुमान लगाया कि हत्यारे ने फावड़े से वार किया होगा. पुलिस ने साक्ष्य के तौर पर फावड़ा अपने कब्जे में ले लिया. जांचपड़ताल के दौरान कमरे में 4 जूठी थालियां भी मिलीं.

घर में तो 2 ही सदस्य थे तो थालियां भी 2 होनी चाहिए, लेकिन वहां 4 थालियां थीं. इस का मतलब रात में वहां 2 अन्य लोग रुके थे, जो अनरजीत या रीमा दोनों में से किसी के जानने वाले रहे होंगे और दोनों की हत्या कर के अलमारी से गहने लूट कर फरार हो गए होंगे. क्योंकि जांचपड़ताल के दौरान अलमारी खुली हुई मिली थी. जेवर का डिब्बा खुला हुआ था.

स्थिति को देख कर पुलिस पता लगा रही थी कि हत्या लूट के चलते की गई थी या लूट दोनों की हत्या के बाद हुई थी. कहीं ऐसा तो नहीं, पुलिस को गुमराह करने के लिए हत्यारों ने घटना को लूट का रंग देने की कोशिश की हो. लेकिन यह बात कातिलों के पकड़े जाने के बाद ही पता चल सकता है.

बहरहाल, काररवाई करतेकरते दोपहर के 12 बज गए. पुलिस ने दोनों लाशें पोस्टमार्टम के लिए बाबा राघव दास मैडिकल कालेज, गोरखपुर भिजवा दीं और थाने लौट आई.

थाने पहुंच कर थानाप्रभारी ने दोनों मृतकों के पिता की संयुक्त तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ धारा 302 आईपीसी का मुकदमा दर्ज कर के आगे की काररवाई शुरू कर दी.

जैसेजैसे जांच की काररवाई आगे बढ़ी, अनरजीत और रीमा की जिंदगी से जुड़ी हैरान करने वाली त्रिकोणीय कहानी सामने आई, जिस में रीमा की जिंदगी से जुड़ी भूतकाल की कहानी भी थी. अनरजीत के जीवन से जुड़ी कहानी भी कम हैरतअंगेज नहीं थी.

पता चला कि छोटी बहन राजमती के बहकते कदम रोकने के लिए अनरजीत ने उस के प्रेमी प्रदीप यादव पर बहन के अपहरण का मुकदमा दर्ज करा कर उसे जेल भिजवाया था. 3 माह जेल में रहने के बाद जब प्रदीप जमानत पर बाहर आया तो राजमती और प्रदीप का प्यार फिर से जवां हो गया. नतीजा यह हुआ कि राजमती दूसरी बार प्रेमी के साथ घर छोड़ कर भाग गई.

राजमती के इस कदम से अनरजीत और उस के घर वालों की खूब जगहंसाई हुई. अनरजीत और उस के घर वाले बहुत दुखी थे. बहन के चालचलन से दुखी अनरजीत ने राजमती को उस के हाल पर छोड़ दिया था. अलबत्ता बहन से नाराज हो कर उस ने उस के कुछ कीमती जेवरात अपने पास रख लिए थे.

अनरजीत का तर्क था कि राजमती जब पहली बार प्रदीप के साथ भागी थी उस ने उस की तलाश में हजारों रुपए पानी की तरह बहाए थे. उधर भाई द्वारा जेवर रखने की बात राजमती ने अपने प्रेमी प्रदीप को बता दी थी.

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तब जेवरों को ले कर अनरजीत और प्रदीप के बीच विवाद भी हुआ था. पुलिस ने अपनी जांच में इसे भी शामिल कर लिया कि कहीं इस कांड के पीछे प्रदीप ही तो नहीं  है.

जैसेजैसे जांच आगे बढ़ी पुलिस के सामने रीमा और अनरजीत की उलझी हुई जिंदगी की चौंकाने वाली कहानी सामने आई. पता चला कि अनरजीत से प्रेम विवाह करने से पहले रीमा के कई युवकों से मधुर संबंध थे. तब वह दारू बेचने का धंधा करती थी. उस के दारू के ठीहे पर कई दिलफेंक आशिक दारू पीने आते थे और उन की नजरें रीमा के जवान शरीर पर जमी रहती थीं.

अगले भाग में पढ़ें-  पुलिस उलझी अंधविश्वास में

Crime Story: जंगल में चोरी के लिए- पार्ट 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

लेखक- शैलेंद्र कुमार ‘शैल’ 

खूबसूरत और जवान युवती दारू के ठीहे पर हो और बवाल न हो, ऐसा संभव नहीं. दिलफेंक युवक दारू पीने कम, रीमा के गदराए बदन को घूरने ज्यादा आते थे. रीमा को ले कर वहां अकसर मारपीट होती थी. पुलिस को शक था कि कहीं इन्हीं में से उस का कोई पुराना आशिक तो नहीं, जिस ने इस दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया हो. पुलिस ने इस दृष्टिकोण को भी जांच में शामिल कर लिया था.

उलझी जिंदगी की चौंकाने वाली कहानी

इस के साथ ही पुलिस को जांच में रीमा से जुड़ी एक और चौंकाने वाली बात पता चली. रीमा की 3 शादियां हुई थीं. पहली शादी के 15 दिनों बाद ही रीमा विधवा हो गई थी. उस के पति की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. उस के बाद रीमा मायके आ गई और वहीं रहने लगी थी. सफेद साड़ी में लिपटी जवान बेटी को देख कर पिता रामरक्षा परेशान रहते थे. वह सोचते थे कि इतना लंबा जीवन बेटी कैसे काटेगी. ठीकठाक वरघर देख कर उस की गृहस्थी फिर से बस जाए तो अच्छा है.

रिश्तेदारों के माध्यम से रामरक्षा ने महराजगंज के बेलवा काजी के रहने वाले रविंद्र गौड़ से बेटी का दूसरा ब्याह कर दिया. विवाह से पहले उन्होंने बेटी की पिछली जिंदगी के बारे में सब कुछ साफसाफ बता दिया था, ताकि पिछली जिंदगी नासूर न बने.

लेकिन होनी को भला कौन टाल सकता है, शादी के कुछ महीनों बाद रीमा फिर ससुराल से हमेशा के लिए मायके लौट आई. पता चला कि दूसरा पति रविंद्र गौड़ अव्वल दर्जे का दारूबाज था. दारू हलक से नीचे उतरने के बाद नशे में धुत हो कर वह रीमा को बिना वजह बुरी तरह मारतापीटता था.

पति के अत्याचारों से तंग आ कर वह पति का घर हमेशा के लिए छोड़ कर मायके आ कर रहने लगी थी.

पत्नी के इस कदम से रविंद्र परेशान था. वह नहीं चाहता था रीमा मायके में जा कर रहे, वह चाहता था कि जो हुआ उसे भुला कर रीमा घर लौट आए. लेकिन रीमा पति की बात मानने के लिए कतई तैयार नहीं थी, वह ससुराल आने के लिए तैयार नहीं हुई.

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इस बात को ले कर शंकर टोला गांव में पंचायत बुलाई गई. पंचायत में गांव वालों के साथसाथ रीमा, रीमा के घर वाले, बगल के गांव जैनपुर टोला मोहम्मद बरवा का अनरजीत और पति रविंद्र मौजूद था. पंचायत के सामने रविंद्र ने पत्नी रीमा के सामने घर वापस आने का प्रस्ताव रखा. लेकिन रीमा ने पति का प्रस्ताव नामंजूर कर दिया.

रीमा की बातों से हमदर्दी दिखाते अनरजीत बीचबीच में उछल कर बोलता रहा. अनरजीत की बातों से नाराज रविंद्र ने उसे ललकारा कि बहुत हमदर्द बनते हो तो क्यों नहीं उस से ब्याह कर लेते?

रविंद्र की बातों को अनरजीत ने दिल पर ले लिया और भरी पंचायत में रविंद्र की ललकार चुनौती के रूप में ले ली. उस ने पंचायत के बीच कह दिया कि यदि रीमा राजी हो तो वह उस से ब्याह करने के लिए तैयार है. रीमा ने हामी भर दी. पंचायत वहीं खत्म हो गई. उस दिन के बाद से रीमा और अनरजीत लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगे.

बाद में दोनों ने दुर्गा मंदिर बांसस्थान में गंधर्व विवाह कर लिया. इस बिंदु को भी पुलिस ने अपनी जांच में शामिल कर लिया.

पुलिस ने रविंद्र गौड़ से पूछताछ की. लेकिन इस हत्याकांड में उस का कोई हाथ नजर नहीं आया. डेढ़ महीना बीत जाने के बावजूद भी पुलिस जहां से चली थी, फिर वहीं आ कर खड़ी हो गई थी. त्रिकोण कहानी में उल्लिखित बातों का कोई सूत्र नहीं मिला था.

मतलब साफ था अनरजीत और रीमा हत्याकांड में उन की जिंदगी से जुड़ी घटना का कहीं इन्वौल्वमेंट नहीं था. पुलिस यह सोचसोच कर परेशान थी कि आखिर दोहरे हत्याकांड को किस ने और क्यों अंजाम दिया था? पुलिस अभी तक हत्या का मोटिव भी पता नहीं लगा सकी थी.

पुलिस उलझी अंधविश्वास में

इस बीच कहानी में उस समय एक नया मोड़ आ गया, जब मृतका की चाची सीमा के शरीर पर तथाकथित अदृश्य शक्ति ने सवारी कर सभी को चौंका देने वाली बात कही. सीमा बोली, ‘‘मैं रीमा की आत्मा हूं. मुझे पता है कि मेरी और अनरजीत की हत्या किस ने की है?’’

फिर उस ने गांव के 5 लोगों के नाम बताए. सीमा के बताए नामों के आधार पर पुलिस ने पांचों लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. ऐसा करना पुलिस की मजबूरी थी. हत्यारों का अभी तक पता नहीं चला था. पुलिस का तर्क था कि हो सकता है कातिल इन्हीं में से कोई हो.

पुलिस पांचों लोगों से पूरी रात सख्ती से पूछताछ करती रही. लेकिन यहां भी नतीजा शून्य रहा, पूछताछ बेनतीजा निकली.

पांचों आरोपियों का हत्या में कहीं हाथ नहीं मिला तो उन्हें हिदायत दे कर छोड़ दिया गया. पुलिस घटना की तह में जाने के लिए सर्विलांस की मदद ले रही थी. पुलिस मृतकों के फोन की काल डिटेल्स भी निकाल कर कई बार अध्ययन कर चुकी थी. साथ ही मुखबिरों की भी मदद ले रही थी.

पहली अक्तूबर, 2020 को एक मुखबिर ने पुलिस को ऐसी सूचना दी, जिसे सुन कर पुलिस चौंक गई. मुखबिर ने पुलिस को बताया कि घटना से कुछ दिनों पहले लकड़ी तस्कर रहमुद्दीन उर्फ रामदीन का अनरजीत से रुपयों को ले कर विवाद हुआ था. रामदीन उसे देख लेने की धमकी दे कर चला गया था.

मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने अपनी जांच लकड़ी तस्कर रामदीन उर्फ रहमुद्दीन की ओर मोड़ दी. छानबीन के दौरान पता चला कि घटना से महीने भर पहले चोरी से जंगल से सागौन की कीमती लकडि़यां कटवा कर रात के समय ले जाते हुए रामदीन को पुलिस ने धर दबोचा था और गाड़ी सहित लकडि़यां जब्त कर ली थीं.

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रामदीन गाड़ी छुड़ाने के लिए अनरजीत के पास कर्ज मांगने आया था. वह उस के सामने गिड़गिड़ाया भी था, लेकिन अनरजीत ने रुपए देने से इंकार कर दिया था.

महत्त्वपूर्ण सुराग

अनरजीत और रामदीन दोनों पुराने दोस्त थे. वह जानता था कि अनरजीत के पास लाखों रुपए की रकम जमा रहती है. यह रकम वह अपने घर पर ही रखता है. फिर भी मदद करने से इंकार कर रहा है. यह बात रामदीन को चुभ गई थी. छानबीन में पाया गया अनरजीत और रामदीन के बीच वाकई में विवाद हुआ था. इस से शक की सुई रामदीन की ओर घूम गई थी. शक के आधार पर पुलिस ने 5 अक्तूबर, 2020 को रामदीन उर्फ रहमुद्दीन को हिरासत में ले लिया.

पूछताछ में रामदीन ने अपना जुर्म कबूल लिया. पता चला कि रुपयों के लिए उसी ने अनरजीत और उस की पत्नी रीमा की हत्या की थी.

2 महीने से रहस्य बने दोहरे हत्याकांड का पटाक्षेप हो गया. उसी दिन शाम को सीओ कपिलदेव मिश्र ने गुलरिहा थाने में प्रैसवार्ता बुला कर आरोपी रामदीन उर्फ रहमुद्दीन को पेश किया. पत्रकारों के सामने आरोपी रामदीन ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. पूछताछ करने पर अनरजीत और रीमा की हत्या की कहानी ऐसे सामने आई—

अगले भाग में पढ़ें- अनरजीत का हमप्याला था रामदीन

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