सौजन्य- मनोहर कहानियां
लेखक- शैलेंद्र कुमार ‘शैल’
खूबसूरत और जवान युवती दारू के ठीहे पर हो और बवाल न हो, ऐसा संभव नहीं. दिलफेंक युवक दारू पीने कम, रीमा के गदराए बदन को घूरने ज्यादा आते थे. रीमा को ले कर वहां अकसर मारपीट होती थी. पुलिस को शक था कि कहीं इन्हीं में से उस का कोई पुराना आशिक तो नहीं, जिस ने इस दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया हो. पुलिस ने इस दृष्टिकोण को भी जांच में शामिल कर लिया था.
उलझी जिंदगी की चौंकाने वाली कहानी
इस के साथ ही पुलिस को जांच में रीमा से जुड़ी एक और चौंकाने वाली बात पता चली. रीमा की 3 शादियां हुई थीं. पहली शादी के 15 दिनों बाद ही रीमा विधवा हो गई थी. उस के पति की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. उस के बाद रीमा मायके आ गई और वहीं रहने लगी थी. सफेद साड़ी में लिपटी जवान बेटी को देख कर पिता रामरक्षा परेशान रहते थे. वह सोचते थे कि इतना लंबा जीवन बेटी कैसे काटेगी. ठीकठाक वरघर देख कर उस की गृहस्थी फिर से बस जाए तो अच्छा है.
रिश्तेदारों के माध्यम से रामरक्षा ने महराजगंज के बेलवा काजी के रहने वाले रविंद्र गौड़ से बेटी का दूसरा ब्याह कर दिया. विवाह से पहले उन्होंने बेटी की पिछली जिंदगी के बारे में सब कुछ साफसाफ बता दिया था, ताकि पिछली जिंदगी नासूर न बने.
लेकिन होनी को भला कौन टाल सकता है, शादी के कुछ महीनों बाद रीमा फिर ससुराल से हमेशा के लिए मायके लौट आई. पता चला कि दूसरा पति रविंद्र गौड़ अव्वल दर्जे का दारूबाज था. दारू हलक से नीचे उतरने के बाद नशे में धुत हो कर वह रीमा को बिना वजह बुरी तरह मारतापीटता था.
पति के अत्याचारों से तंग आ कर वह पति का घर हमेशा के लिए छोड़ कर मायके आ कर रहने लगी थी.
पत्नी के इस कदम से रविंद्र परेशान था. वह नहीं चाहता था रीमा मायके में जा कर रहे, वह चाहता था कि जो हुआ उसे भुला कर रीमा घर लौट आए. लेकिन रीमा पति की बात मानने के लिए कतई तैयार नहीं थी, वह ससुराल आने के लिए तैयार नहीं हुई.
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इस बात को ले कर शंकर टोला गांव में पंचायत बुलाई गई. पंचायत में गांव वालों के साथसाथ रीमा, रीमा के घर वाले, बगल के गांव जैनपुर टोला मोहम्मद बरवा का अनरजीत और पति रविंद्र मौजूद था. पंचायत के सामने रविंद्र ने पत्नी रीमा के सामने घर वापस आने का प्रस्ताव रखा. लेकिन रीमा ने पति का प्रस्ताव नामंजूर कर दिया.
रीमा की बातों से हमदर्दी दिखाते अनरजीत बीचबीच में उछल कर बोलता रहा. अनरजीत की बातों से नाराज रविंद्र ने उसे ललकारा कि बहुत हमदर्द बनते हो तो क्यों नहीं उस से ब्याह कर लेते?
रविंद्र की बातों को अनरजीत ने दिल पर ले लिया और भरी पंचायत में रविंद्र की ललकार चुनौती के रूप में ले ली. उस ने पंचायत के बीच कह दिया कि यदि रीमा राजी हो तो वह उस से ब्याह करने के लिए तैयार है. रीमा ने हामी भर दी. पंचायत वहीं खत्म हो गई. उस दिन के बाद से रीमा और अनरजीत लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगे.
बाद में दोनों ने दुर्गा मंदिर बांसस्थान में गंधर्व विवाह कर लिया. इस बिंदु को भी पुलिस ने अपनी जांच में शामिल कर लिया.
पुलिस ने रविंद्र गौड़ से पूछताछ की. लेकिन इस हत्याकांड में उस का कोई हाथ नजर नहीं आया. डेढ़ महीना बीत जाने के बावजूद भी पुलिस जहां से चली थी, फिर वहीं आ कर खड़ी हो गई थी. त्रिकोण कहानी में उल्लिखित बातों का कोई सूत्र नहीं मिला था.
मतलब साफ था अनरजीत और रीमा हत्याकांड में उन की जिंदगी से जुड़ी घटना का कहीं इन्वौल्वमेंट नहीं था. पुलिस यह सोचसोच कर परेशान थी कि आखिर दोहरे हत्याकांड को किस ने और क्यों अंजाम दिया था? पुलिस अभी तक हत्या का मोटिव भी पता नहीं लगा सकी थी.
पुलिस उलझी अंधविश्वास में
इस बीच कहानी में उस समय एक नया मोड़ आ गया, जब मृतका की चाची सीमा के शरीर पर तथाकथित अदृश्य शक्ति ने सवारी कर सभी को चौंका देने वाली बात कही. सीमा बोली, ‘‘मैं रीमा की आत्मा हूं. मुझे पता है कि मेरी और अनरजीत की हत्या किस ने की है?’’
फिर उस ने गांव के 5 लोगों के नाम बताए. सीमा के बताए नामों के आधार पर पुलिस ने पांचों लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. ऐसा करना पुलिस की मजबूरी थी. हत्यारों का अभी तक पता नहीं चला था. पुलिस का तर्क था कि हो सकता है कातिल इन्हीं में से कोई हो.
पुलिस पांचों लोगों से पूरी रात सख्ती से पूछताछ करती रही. लेकिन यहां भी नतीजा शून्य रहा, पूछताछ बेनतीजा निकली.
पांचों आरोपियों का हत्या में कहीं हाथ नहीं मिला तो उन्हें हिदायत दे कर छोड़ दिया गया. पुलिस घटना की तह में जाने के लिए सर्विलांस की मदद ले रही थी. पुलिस मृतकों के फोन की काल डिटेल्स भी निकाल कर कई बार अध्ययन कर चुकी थी. साथ ही मुखबिरों की भी मदद ले रही थी.
पहली अक्तूबर, 2020 को एक मुखबिर ने पुलिस को ऐसी सूचना दी, जिसे सुन कर पुलिस चौंक गई. मुखबिर ने पुलिस को बताया कि घटना से कुछ दिनों पहले लकड़ी तस्कर रहमुद्दीन उर्फ रामदीन का अनरजीत से रुपयों को ले कर विवाद हुआ था. रामदीन उसे देख लेने की धमकी दे कर चला गया था.
मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने अपनी जांच लकड़ी तस्कर रामदीन उर्फ रहमुद्दीन की ओर मोड़ दी. छानबीन के दौरान पता चला कि घटना से महीने भर पहले चोरी से जंगल से सागौन की कीमती लकडि़यां कटवा कर रात के समय ले जाते हुए रामदीन को पुलिस ने धर दबोचा था और गाड़ी सहित लकडि़यां जब्त कर ली थीं.
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रामदीन गाड़ी छुड़ाने के लिए अनरजीत के पास कर्ज मांगने आया था. वह उस के सामने गिड़गिड़ाया भी था, लेकिन अनरजीत ने रुपए देने से इंकार कर दिया था.
महत्त्वपूर्ण सुराग
अनरजीत और रामदीन दोनों पुराने दोस्त थे. वह जानता था कि अनरजीत के पास लाखों रुपए की रकम जमा रहती है. यह रकम वह अपने घर पर ही रखता है. फिर भी मदद करने से इंकार कर रहा है. यह बात रामदीन को चुभ गई थी. छानबीन में पाया गया अनरजीत और रामदीन के बीच वाकई में विवाद हुआ था. इस से शक की सुई रामदीन की ओर घूम गई थी. शक के आधार पर पुलिस ने 5 अक्तूबर, 2020 को रामदीन उर्फ रहमुद्दीन को हिरासत में ले लिया.
पूछताछ में रामदीन ने अपना जुर्म कबूल लिया. पता चला कि रुपयों के लिए उसी ने अनरजीत और उस की पत्नी रीमा की हत्या की थी.
2 महीने से रहस्य बने दोहरे हत्याकांड का पटाक्षेप हो गया. उसी दिन शाम को सीओ कपिलदेव मिश्र ने गुलरिहा थाने में प्रैसवार्ता बुला कर आरोपी रामदीन उर्फ रहमुद्दीन को पेश किया. पत्रकारों के सामने आरोपी रामदीन ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. पूछताछ करने पर अनरजीत और रीमा की हत्या की कहानी ऐसे सामने आई—
अगले भाग में पढ़ें- अनरजीत का हमप्याला था रामदीन