ताजमहल वाली फोटो का राज: भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा 

9 दिसंबर को पूनम के भाई की शादी थी. इस में शिवकुमार अपनी पत्नी के साथ गया था. 3 दिन तक वह वहीं रहा. उसी दौरान पूनम को संदीप के साथ कई बार मिलने का मौका मिला. संदीप ने उस से कहा कि शिवकुमार से छुटकारा पाने का एक ही उपाय है कि उस की हत्या कर दी जाए.

जब वह विधवा हो जाएगी तो परिवार वाले एक गांव का होने के बावजूद उन की शादी करने के लिए मजबूर हो जाएंगे.

बात पूनम की समझ में आ गई. उस ने शिवकुमार की हत्या करने के लिए हामी भर दी. लेकिन शिवकुमार को कैसे मारा जाए कि उन पर कोई अंगुली भी न उठे. इस के लिए 2-3 मुलाकातों में पूनम ने संदीप से मिल कर हत्या की पूरी साजिश तैयार कर ली.

शादी के बाद पूनम पति शिवकुमार के साथ वापस आ गई. पूनम व संदीप के पास मोबाइल फोन थे, जिस के माध्यम से वे शादी के बाद से एकदूसरे से बातचीत करते थे. साथ ही वाट्सऐप कालिंग भी करते रहते थे.

लेकिन भाई की शादी से लौटने के बाद पूनम का संदीप से फोन पर बातचीत करने का सिलसिला ज्यादा बढ़ गया. क्योंकि शिवकुमार को रास्ते से हटाने के लिए उन्हें अपनी उस योजना को अंजाम देना था.

संदीप ने पूनम से कहा था कि अगले एकदो दिन में वह अपने पति को आगरा घूमने के लिए राजी कर ले और उसे अपने साथ आगरा ले आए.

अतीक अहमद खूंखार डौन की बेबसी: भाग 2

पूनम ने ऐसा ही किया. उस ने शिवकुमार से कहा कि शादी के बाद वह उसे कहीं घुमाने नहीं ले गया. कम से कम आगरा में प्यार की निशानी ताजमहल तो दिखा दें. फरमाइश कोई ज्यादा बड़ी और नाजायज नहीं थी, लिहाजा शिवकुमार परिवार वालों से इजाजत ले कर 14 दिसंबर को पूनम को ताजमहल दिखाने के लिए बस से आगरा ले आया.

14 दिसंबर को पूनम और शिवकुमार आगरा ताजमहल घूमते रहे. रात को एक होटल में रुके. अगले दिन सुबह यानी 15 दिसंबर को उन्होंने ताजमहल देखा और शाम को वहीं रुके.

अगली सुबह 6 बजे दोनों आगरा से बस द्वारा घर के लिए निकले. हालांकि शिवकुमार का प्लान यह था कि पहले मथुरा जा कर कृष्ण जन्मभूमि व प्रेम मंदिर देखेंगे उस के बाद मथुरा में अपने मामा से मिलेगा और बाद में घर जाएगा.

लेकिन बस में बैठते समय पूनम ने अनुरोध कर के उस का प्लान बदलवा दिया. दरअसल, पूनम ने उस से कहा कि राया के पास उस के रिश्ते के एक मौसा रहते हैं. उन्होंने कई बार उस से पति के साथ घर आने के लिए कहा है. थोड़ी देर के लिए उन से मिलने के बहाने वह शिवकुमार को ले कर राया के पास एक्सप्रेसवे के यमुना कट पर ही उतर गई.

दरअसल, शिवकुमार पत्नी से इतना प्यार करता था और भले स्वभाव का था कि उसे पता ही नहीं था कि पूनम साजिश के तहत उसे राया लाई है. हकीकत यह थी कि वहां उस का कोई मौसा नहीं रहता था.

इस दौरान संदीप से लगातार उस की बात चल रही थी. उस वक्त सुबह के करीब 7 बजे थे. एक्सप्रेसवे पर बस से उतरने के बाद पूनम ने चाय पीने की इच्छा जताई तो दोनों ने एक स्टाल पर रुक कर चाय पी.

इस के बाद पूनम ने साजिश के तहत शिवकुमार से टौयलेट जाने की बात कही तो वह असमंजस में पड़ गया. क्योंकि एक्सप्रेसवे पर सब जगह टायलेट नहीं होते. लेकिन पत्नी को इमरजेंसी थी, लिहाजा सब से उचित जगह सड़क के नीचे दिख रहा जंगल ही था.

शिवकुमार पूनम को ले कर नीचे जंगल की ओर उसे टौयलेट कराने के लिए ले गया. लेकिन उसे क्या पता था कि मौत पहले से वहां उस का इंतजार कर रही है. संदीप वहां पहले ही झाडि़यों में छिपा था.

जैसे ही शिवकुमार उस की तरफ पीठ कर के खड़ा हुआ, संदीप ने दबेपांव पीछे से जा कर शिवकुमार के सिर पर भारीभरकम पत्थर दे मारा. इस के बाद संदीप और पूनम ने शिवकुमार के सिर पर पत्थर से कई प्रहार किए.

शिवकुमार वहीं निढाल हो कर गिर पड़ा. शिवकुमार के पास 2 बैग थे. एक बैग में पूनम के कपडे़ थे, दूसरे में शिवकुमार के कपड़े. शिवकुमार के बैग से पूनम ने सारा सामान निकाल कर अपने बैग में रख लिया ताकि बैग में ऐसी कोई चीज न मिले, जिस से शिवकुमार की पहचान हो सके. लेकिन गलती से शिवकुमार और पूनम का ताजमहल पर खिंचवाया गया फोटो वाला लिफाफा थैले में ही रह गया था. इसी आधार पर पुलिस ने मृतक की शिनाख्त की थी.

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दरअसल, हत्या का ये पूरा प्लान संदीप ने तैयार किया था. शिवकुमार की हत्या करने के बाद वे दोनों वहां से टैंपो ले कर मथुरा की ओर भाग आए थे. इस के बाद वे इधर से उधर भागते रहे.

पूनम एक दिन बाद ससुराल जाने का मन बना रही थी. उस से पहले ही पुलिस ने उसे पकड़ लिया. पूनम की हालत ऐसी हो गई न तो सनम मिला ना विसाले सनम.

पुलिस ने पूनम व संदीप से पूछताछ करने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर सक्षम न्यायालय में पेश कर दिया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस की जांच व आरोपियों तथा पीडि़त परिवार के बयान पर आधारित

ताजमहल वाली फोटो का राज: भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा 

छानबीन करने के दौरान पुलिस टीम को आखिर एक ऐसा टिकट मिल गया, जो 2 लोगों के लिए बना था. उस में जो आईडी प्रूफ लगा था, वह हरियाणा के पलवल जिले के थाना होडल क्षेत्र के गांव सेवली में रहने वाले शिवकुमार का था. साथ में उस की पत्नी पूनम का नाम लिखा था.

पुलिस टीम ने ताजमहल प्रशासन की मदद से सीसीटीवी फुटेज और एंट्री टिकट का रिकौर्ड वहां से अपने कब्जे में ले लिया. इंसपेक्टर शर्मा अपनी टीम के साथ 16 दिसंबर की रात को ही मथुरा वापस लौट आए.

इंसपेक्टर शर्मा ने एक सिपाही को पलवल के सेवली गांव भेजा. जहां से वह अगली सुबह शिवकुमार के चाचा लक्ष्मण सिंह व अन्य परिजनों को अपने साथ राया थाने ले आया.

सब से पहले लक्ष्मण व अन्य परिजनों को पोस्टमार्टम हाउस में प्रिजर्व कर के रखा गया शव दिखाया तो उन्होंने देखते ही उस की पहचान शिवकुमार के रूप में कर दी.

लक्ष्मण सिंह ने कपड़ों को देख कर भी साफ कर दिया कि उस ने जो कपड़े पहने थे, वह घर से पहन कर गया था. साथ ही उन्होंने मृतक शिवकुमार के शव के पास मिली फोटो को देख कर स्पष्ट कर दिया कि वह फोटो शिवकुमार तथा उस की पत्नी पूनम की है.

पूछताछ करने पर लक्ष्मण ने बताया कि 14 दिसंबर को शिवकुमार अपनी पत्नी पूनम के साथ ताजमहल जाने की बात कह कर बस से गया था. वह दोपहर में अपने मामा ओंकार सिंह से मुलाकात करने के लिए भरतपुर गेट मथुरा जाने की बात कह रहा था.

उन्होंने बताया कि शिवकुमार की शादी इसी साल 29 जून को अलीगढ़ जिले के गांव गोरोला निवासी पूनम से हुई थी. लक्ष्मण ने बताया कि उन के बेटे सूरज की शादी भी इसी गांव में हुई थी और उस के सुझाव पर उन के भाई भरत सिंह ने बेटे शिवकुमार का विवाह पूनम से किया था.

चूंकि शादी के बाद से कोरोना की महामारी के कारण शिवकुमार अपनी पत्नी को कहीं भी घुमाने के लिए ले कर नहीं गया था, इसीलिए उस ने पहली बार पत्नी को घुमाने का प्लान बनाया था और ताजमहल घुमाने के लिए ले गया था.

शिवकुमार की हत्या और उस की पत्नी पूनम के लापता होने की गुत्थी को लक्ष्मण सिंह भी नहीं समझ पा रहे थे. इंसपेक्टर शर्मा को लग रहा था कि हो न हो शिवकुमार की हत्या और उस की पत्नी के लापता होने में कोई संबंध हो.

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शिवकुमार तथा उस की पत्नी पूनम के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई गई. शिवकुमार की काल डिटेल्स से तो पुलिस को कुछ खास मदद नहीं मिली. लेकिन पूनम की काल डिटेल्स खंगाली गई तो पता चला कि पिछले कुछ महीनों से उस की एक खास नंबर पर दिन में कई बार लंबीलंबी बातें होती थीं.

16 दिसंबर की सुबह जब पुलिस ने शिवकुमार का शव बरामद किया था, उस दिन तथा उस से पहले 3-4 दिन में उसी नंबर पर पूनम की कई बार लंबी बातचीत हुई थी.

पुलिस ने जब उस नंबर की काल डिटेल्स निकाली तो पता चला कि वह पूनम के ही गांव गोरोला में रहने वाले किसी संदीप के नाम है.

जांच जैसेजैसे आगे बढ़ रही थी, धीरेधीरे पूरा माजरा पुलिस की समझ में आ रहा था. क्योंकि जब पूनम व संदीप के फोन की लोकेशन ट्रेस की गई तो 15 दिसंबर की शाम से ले कर अभी तक दोनों के फोन की लोकेशन अलीगढ़ व मथुरा के बौर्डर एरिया में एक साथ मिल रही थी. साफ था कि पूनम व संदीप एक साथ थे.

पुलिस की एक टीम पूनम की तलाश में उस के मायके पहुंची, लेकिन वहां उस का कोई पता नहीं चल सका.

पुलिस ने लोकेशन के आधार पर कई टीमें बना कर अलीगढ़ में अलगअलग छापेमारी शुरू कर दी. आखिरकार पुलिस ने पूनम व संदीप को मथुरा व अलीगढ़ बौर्डर के गांव नगला गंजू से उस के एक दोस्त के घर से गिरफ्तार कर लिया.

दोनों को राया थाने ला कर पूछताछ शुरू की गई तो पुलिस को शिवकुमार की हत्या का राज खुलवाने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई. पूनम पति से बेवफाई और अपनी निजी जिंदगी का एकएक राज खोलती चली गई.

24 साल की पूनम ने जब से जवानी की दहलीज पर कदम रखा था, तब से संदीप को ही अपना सब कुछ मान लिया था. दोनों एक ही बिरादरी के थे, इसलिए पूनम ने कभी सोचा ही नहीं था कि संदीप को पति के रूप में देखने का उस का सपना कभी पूरा नहीं होगा.

अलीगढ़ जिले के गोरोला गांव के रहने वाले चंद्रपाल सिंह के 4 बच्चों में पूनम सब से बड़ी थी. उस से छोटी एक बहन व 2 भाई थे. गांव में खेतीकिसानी करने वाले पिता को जब एक साल पहले पता चला कि बड़ी बेटी पूनम गांव में ही रहने वाले महावीर के छोटे बेटे

संदीप से प्यार करती है तो उन का गुस्सा फूट पडा.

दरअसल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आज भी एक ही गांव में रहने वाले युवकयुवतियों को आपस में भाईबहन मानने की प्रथा है. इसलिए चंद्रपाल सिंह ने पूनम से साफ कह दिया कि वे मर जाएंगे, लेकिन संदीप से उस की शादी नहीं करेंगे.

पूनम ने पिता से साफ कहा कि वह संदीप से 3 सालों से प्यार करती है और उस के बिना जीने की उस ने कल्पना भी नहीं की है. अगर उन्होंने उस की शादी कहीं कर भी दी तो वह खुश नहीं रह पाएगी. क्योंकि वह तन मन से संदीप को ही अपना पति मान चुकी है.

चंद्रपाल सिंह ने बेटी को ऊंचनीच और समाज का वास्ता दे कर उस वक्त शांत तो कर दिया लेकिन उन्हें लगा कि अगर जल्द ही बेटी के हाथ पीले नहीं किए तो वह समाज में उसे बदनाम कर सकती है.

गांव में बिरादरी के ही एक दोस्त की बेटी की शादी पलवल के सूरज से हुई थी. सूरज के परिवार और खानदान के बारे में उन्हें पता था कि निहायत शरीफ और अच्छे परिवार का लड़का है. चंद्रपाल ने दोस्त से कह कर पूनम के लिए अपने घरपरिवार में कोई लड़का देखने की बात कही तो सूरज ने उसे बताया कि उस के चाचा का लड़का शिवकुमार भी शादी के लायक है.

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शिवकुमार भाइयों में सब से बड़ा था. हालांकि घर में थोड़ीबहुत जमीन थी, जिस पर परिवार के लोग खेती करते थे. लेकिन इस के अलावा भी शिवकुमार पलवल में एक कारखाने में नौकरी करता था. जब खेती का काम ज्यादा होता तो वह नौकरी छोड़ देता था. कुल मिला कर जिंदगी की गुजरबसर ठीक तरह से हो रही थी.

सूरज ने जब अपने चाचा और पिता को अपनी ससुराल में रहने वाले चंद्रपाल की लड़की पूनम का जिक्र किया तो परिवार को लगा कि देखाभाला परिवार है दोनों भाइयों की ससुराल एक ही गांव में होगी तो अच्छा रहेगा.

एक दिन सूरज ने शिवकुमार को अपनी ससुराल ले जा कर चोरी से पूनम को दिखा भी दिया. शिवकुमार को पूनम पहली ही नजर में भा गई. गांव की सीधीसादी और मासूम सी पूनम को देख कर शिवकुमार ने घर वालों से शादी की हां कर दी. इस के बाद दोनों परिवारों में बात हुई और कोरोना के कारण दोनों परिवारों ने सादगी के साथ शादी संपन्न करा दी.

शादी के बाद पूनम शिवकुमार की दुलहन बन कर उस के गांव सेवली आ गई. दोनों का वक्त धीरेधीरे प्यार के बीच गुजरने लगा. लेकिन शादी के बाद पूनम अपने दिल से संदीप का प्यार व उस की यादों को निकाल नहीं सकी.

वक्त जैसेजैसे गुजर रहा था, संदीप के लिए उस की तड़प और ज्यादा बढ़ती जा रही थी. वह जब भी मायके जाती तो चोरीछिपे संदीप से जरूर मिलती तो उस पर किसी तरह शिवकुमार से छुटकारा दिला कर अपनी बनाने का दबाव डालती.

संदीप भी पूनम के बिना खुद को अधूरा समझता था. उस ने पूनम को भरोसा दिलाया कि जल्द ही वह उस के लिए कुछ करेगा.

अगले भाग में पढ़ें- दरअसल, हत्या का ये पूरा प्लान संदीप ने तैयार किया था

ताजमहल वाली फोटो का राज: भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा 

16दिसंबर, 2020 की सुबह करीब 9 बजे का वक्त था. यमुना एक्सप्रेसवे से मथुरा के राया कस्बे में उतरने वाले रास्ते के किनारे लोगों ने झाडि़यों में खून से लथपथ एक युवक का शव पड़ा देखा.

कुछ ही देर में वहां राहगीर जुटने लगे. उसी दौरान किसी ने इस की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. चूंकि यह क्षेत्र थाना राया क्षेत्र में आता था, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम द्वारा वायरलैस मैसेज दे कर घटना से अवगत करा दिया गया.

राया थाने के प्रभारी निरीक्षक सूरज प्रकाश शर्मा को उन के मुंशी ने हत्या के बारे में बताया तो थानाप्रभारी एस.पी. शर्मा तत्काल तैयार हो गए. एसआई मोहनलाल यादव, राजकुमार, कांस्टेबल यशपाल, आशुतोष कुमार व प्रदीप कुमार को साथ ले कर वह उस स्थान पर पहुंच गए, जहां खून से लथपथ शव पड़े होने की सूचना मिली थी.

लाश को देखते ही इंसपेक्टर शर्मा समझ गए कि मामला दुर्घटना का नहीं बल्कि हत्या का है. क्योंकि पास में ही एक बड़ा सा पत्थर पड़ा था, जिस पर लगा खून इस बात की गवाही दे रहा था कि उसी पत्थर से मृतक के सिर पर प्रहार किया गया था. इसी से मृतक का सिर व चेहरा खून से सराबोर थे. उस के चेहरे पर ताजा खून बह रहा था. मतलब हत्या हुए ज्यादा वक्त नहीं बीता था. मृतक के चेहरे पर घनी दाढ़ी थी जो खून से लथपथ थी.

थानाप्रभारी ने एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर तथा सीओ आरती सिंह को राया मोड़ पर मिले शव के बारे में सूचना दे दी. एसएसपी व सीओ सूचना मिलने के कुछ देर बाद ही घटनास्थल पर पहुंच गए. फोरैंसिक टीम का दस्ता भी मौके पर आ गया.

मृतक की उम्र 26 साल के आसपास रही होगी. शरीर पर जींस और जैकेट के साथ पैरों के जूतों से लग रहा था कि वह कोई राहगीर था, जिस से या तो लूटपाट के लिए उस की हत्या की गई थी या किसी ने रंजिशन यहां ला कर मार डाला था.

मृतक के जेबों की तलाशी में ऐसी कोई चीज बरामद नहीं हो सकी, जिस से उस की पहचान की जा सकती. इंसपेक्टर शर्मा शव का मुआयना कर रहे थे, तभी उन की नजर लाश से कुछ दूरी पर पड़े एक बैग पर पड़ी. लेकिन बैग खाली था. तलाशी लेने पर उस में कागज का एक लिफाफा पड़ा मिला, जिस में एक फोटो थी.

फोटो ताजमहल के सामने खिंचवाई गई थी. फोटो में मृतक के साथ एक महिला भी खड़ी थी. फोटो इस तरह खिंचाई गई थी जिस तरह नवदंपति खिंचवाते हैं. फोटो बहुत पुरानी नहीं थी, क्योंकि मृतक के शरीर पर जो कपड़े थे, फोटो में भी उस ने वही कपड़े पहने हुए थे. मतलब मृतक ताजमहल घूम कर लौटा था.

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लेकिन सवाल यह था कि अगर फोटो में उस के साथ खड़ी महिला उस की पत्नी थी तो वह कहां है? अचानक इंसपेक्टर एस.पी. शर्मा के मन में सवाल कौंधा कि कहीं पत्नी ने ही तो उस का काम तमाम नहीं कर दिया.

लेकिन ये तमाम सवाल तब तक कयास थे, जब तक मृतक की शिनाख्त नहीं होती. ताजमहल देख कर राया के इस रास्ते पर उतरने से इस बात की भी संभावना थी कि मृतक आसपास के ही किसी गांव का रहने वाला हो सकता है.

इसी उम्मीद में इंसपेक्टर सूरज प्रकाश शर्मा ने उस इलाके में 5 किलोमीटर तक पड़ने वाले सभी गांवों में अपनी पुलिस टीम से कह कर ऐसे जिम्मेदार लोगों को मौके पर बुलवाया, जो अपने गांव के अधिकांश लोगों को जानते हों.

कई घंटे मशक्कत की गई, लेकिन काफी लोगों को दिखाने के बाद भी मृतक की शिनाख्त नहीं हो सकी तो पुलिस ने मौके की काररवाई पूरी कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

पुलिस अधिकारी घटनास्थल से थाने लौट आए. पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया. एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर ने जांच की जिम्मेदारी राया थाने के प्रभारी निरीक्षक सूरज प्रकाश शर्मा को ही सौंप दी. साथ ही उन्होंने सीओ आरती सिंह के नेतृत्व में एक टीम भी गठित कर दी.

टीम में थानाप्रभारी के अलावा एसआई मोहनलाल यादव, राजकुमार, कांस्टेबल यशपाल, आशुतोष कुमार, प्रदीप, इंसपेक्टर (सर्विलांस) जसवीर सिंह तथा उन की टीम के कांस्टेबल राघवेंद्र सिंह, समुनेश, योगेश कुमार और गोपाल सिंह को शामिल किया गया. एसएसपी ने इस हत्याकांड का जल्द से जल्द खुलासा कर आरोपियों को पकड़ने के निर्देश दिए.

पुलिस के पास मृतक की पहचान करने व वारदात का खुलासा करने के लिए केवल एक ही लीड थी और वह था बरामद हुआ फोटो.

थानाप्रभारी एस.पी. शर्मा खुद पुलिस टीम ले कर आगरा पहुंच गए. उन्होंने आगरा पहुंच कर वहां ताजमहल के आसपास फोटो खींचने वाले फोटोग्राफरों को मृतक के पास से मिले फोटो दिखा कर जानकारी हासिल करनी चाही. लेकिन इस प्रयास में उन्हें कोई सफलता नहीं मिली.

क्योंकि वहां सैकड़ों फोटोग्राफर थे और सभी से संपर्क होना बेहद मुश्किल था. अचानक उन्होंने उस साइट का निरीक्षण किया, जहां खड़े हो कर मृतक ने फोटो खिंचवाई थी. इस से एक बात स्पष्ट हो गई कि मृतक ने ताजमहल के भीतर जा कर फोटो खिंचवाई थी.

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इंसपेक्टर शर्मा ने ताजमहल प्रशासन की मदद से ताजमहल के भीतर प्रवेश करने वाले गेट की पिछले 2 दिनों की सीसीटीवी फुटेज देखी तो 15 दिसंबर को मृतक एक महिला के साथ ताजमहल में प्रवेश करते हुए दिखाई पड़ गया. इस से यह साफ हो गई कि मृतक आगरा से घूम कर ही मथुरा गया था, जहां उस की हत्या हो गई.

आगे का काम पुलिस के लिए बेहद आसान हो गया. पुलिस ने ताजमहल प्रशासन की मदद से 15 दिसंबर को ताजमहल देखने वालों के टिकट की छानबीन शुरू कर दी. दरअसल ताजमहल देखने जाने वालों को अपना नाम, पता और मोबाइल नंबर की जानकारी देनी होती है.

अगले भाग में पढ़ें- शिवकुमार की हत्या और उस की पत्नी के लापता होने में कोई संबंध हो

Crime: भूत प्रेत, अंधविश्वास और हत्या!

भूत प्रेत और अंधविश्वास का संजाल कुछ ऐसा तारी होता है कि आदमी को भय के जाल में फंस कर कुछ भी सुनाई नहीं देता, दिखाई नहीं देता.

यह भूत प्रेत का मायाजाल अशिक्षित अपढ़ और दुरस्थ ग्रामीण अंचल में हो तो यह समझा जा सकता है कि इसका मूल कारण अशिक्षा है. मगर यही भूत प्रेत का खेल अगर शहर और महानगर में होने लगे तो और ज्यादा भयावह और चिंता का सबब होना चाहिए.

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के स्थल गुढ़ियारी में एक महिला को कथित रूप से भूत प्रेत दिखाई देते थे. एक दिन महिला की लाश ओवर ब्रिज के पास मिली. पुलिस ने जांच की तो जो सनसनीखेज तथ्य सामने आए उसके आधार पर पुलिस मान रही है कि मामला भूत प्रेत अंधविश्वास के माया जाल में फंस कर पति द्वारा पत्नी की हत्या का है.

नए वर्ष जनवरी के द्वितीय पखवाड़े में राजधानी रायपुर के मंदिर हसौद क्षेत्र में एक महिला स्मिता बोपचे (लगभग 35 वर्ष) की हत्या मामले को पुलिस ने कथित रूप से सुलझा लिया है.मगर इस संपूर्ण प्रकरण में कुछ प्रश्न ऐसे हैं जिनके जवाब मृतक महिला के परिवार के पास है और विवेचना करने वाली पुलिस के पास.

परिणाम स्वरूप यह कहा जा सकता है कि आज हमारी पुलिस हमारा समाज हमारी कानून व्यवस्था, न्याय व्यवस्था एक ऐसे अंधेरे में अपना काम कर रही है जिसमें सच्चाई संभवत छुप कर रह जाती है. लोगों को पता ही नहीं चलता. फलस्वरूप अंधविश्वास की बीमारी समाज को अनेक तरीके से एक भ्रम के मायाजाल में उलझा कर रख देती है और पता ही नहीं चलता कि सच्चाई आखिर है क्या? महिला की हत्या के इस सनसनीखेज मामले में कई ऐसे हैं जिनका जवाब पुलिस को देना चाहिए.

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पुलिस मानती है हत्यारा पति है!

महिला की लाश मिलने के बाद पुलिस ने जांच की और माना कि महिला का हत्यारा कोई और नहीं बल्की मृतका का पति है! सायबर सेल और पुलिस की टीम ने आरोपी पति राजेंद्र बोपचे को गिरफ्तार कर लिया है. इस मामले में खुलासा करते हुए इसकी जानकारी ग्रामीण अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और क्राइम अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक माहेश्वरी ने दी.

घटना मंदिर हसौद थाना के छेरीखेड़ी ओवर ब्रिज के पास की है. यहां पर एक सुनसान प्लाट में महिला की लाश 18 जनवरी को मिली थी. महिला के शव पर जख्म के कई निशान भी पाये गये थे.साथ ही आरोपी ने महिला की पहचान छुपाने के लिए चेहरे को बुरी तरह से कुचल दिया था.इस घटना की सूचना के बाद मंदिर हसौद पुलिस और सायबर सेल की टीम मौके पर पहुंची हुई थी. जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि मृतिका महिला का नाम स्मिता बोपचे, पति राजेन्द्र बोपचे है, जो गुढ़ियारी की रहने वाली थी. महिला की पहचान होने के बाद संदेह के आधार पर पुलिस ने मृतिका के पति राजेन्द्र बोपचे को हिरासत में लेकर उससे कढ़ाई से पूछताछ शुरू की.पूछताछ के दौरान आरोपी ने हत्या की बात कबूल करते हुये पुलिस की टीम को बताया कि,उसकी पत्नी मानसिक रूप से बीमार थी.

आरोपी पति ने पुलिस को आगे बताया कि उसकी पत्नी को लगता था कि उस पर भूत-प्रेत और आत्माओं का साया है और इसी बात लेकर दोनों में अक्सर विवाद भी होता रहता था. घटना वाले दिन भी उसकी पत्नी ने भूत देखने की बात कह कर उसे अपने साथ मंदिर हसौद के छेरीखेड़ी स्थित खाली प्लाट में लेकर आयी. यहां पर उसकी पत्नी ने अचानक से उसके उपर पत्थरों से हमला करना शुरू कर दिया.इस बीच विवाद के दौरान राजेन्द्र ने भी अपनी पत्नी से मारपीट करते उसके सिर को पत्थरों में कुचलकर उसकी हत्या कर दी. घटना के बाद वह फरार हो गया. आरोपी राजेंद्र बोपचे कुछ माह पहले ही बालाघाट ( मध्यप्रदेश ) से रायपुर के गुढ़ियारी आया था. यहाँ पर एक किराये के मकान में अपनी पत्नी के साथ रह रहा था.

कुछ अनसुलझे सवाल?

संपूर्ण घटनाक्रम को एक बारगी करने पर यह तथ्य स्पष्ट दिखाई देता है कि पति सफेद झूठ बोल रहा है की स्मिता को भूत प्रेत दिखाई देते थे. दूसरी सबसे बड़ी बात यह कि पत्नी ने कहा- चलो, मैं तुम्हें भूत प्रेत दिखाऊं और पति पर पत्थरों की वर्षा कर दी. ऐसा था तो पति महाशय वहां से भाग क्यों नहीं गया! वह अपनी जान भागकर बचा सकता था.

सवाल यह भी है कि क्या कोई महिला इतनी ताकतवर हो सकती है कि पति पर पत्थर बरसाने लगे? और आगे पुलिस कहती है कि अपने को बचाने के लिए पति ने पत्थर बरसाने शुरू कर दिए. संपूर्ण बयानों में कई पेंच है जो बताते हैं कि यह पति द्वारा बताया गया कथित घटनाक्रम एक झूठ और कल्पना का पुलिंदा मात्र है. सवाल यह भी है कि अगर महिला को भूत प्रेत की व्याधि थी तो उसका इलाज क्यों नहीं कराया गया? उसका इलाज कहां कराया जा रहा था? यह भी स्पष्ट नहीं है.

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बालाघाट से रायपुर आ कर के रहना और पत्नी की हत्या यह सब एक अपराधिक मानसिक बनावट के संकेत देती है जो बताती है राजेंद्र ने बड़े ही चालाकी से पत्नी को मौत के घाट उतार दिया. इस संदर्भ में अधिवक्ता डॉ उत्पल अग्रवाल के मुताबिक आगे चलकर न्यायालय में जब इस प्रकरण की सुनवाई होगी तो पति यह कह कर की पत्नी को भूत प्रेत का साया था, आसानी से सजा से बच जाएगा. अथवा बहुत ही कम सजा पाकर एक बार फिर समाज में अपराध के लिए तैयार और कानून व्यवस्था पर हंसता हुआ मिलेगा.

Crime Story: रान्ग नंबर भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

मध्य प्रदेश के जबलपुर का उपनगरीय इलाका रांझी रक्षा मंत्रालय की फैक्ट्रियों के लिए जाना जाता है. यहां पर गन कैरेज, आर्डिनैंस, व्हीकल और ग्रे आयरन फाउंडी में सेना के उपयोग में आने वाले गोलाबारूद, टैंक और भारी वाहन बनाए जाते हैं.

ग्रे आयरन फाउंडी के गेट नंबर 2 के पास ही रांझी के रिछाई अखाड़ा मोहल्ले में 40 साल का सोनू ठाकुर अपनी 28 साल की पत्नी नीतू और 2 बेटियों के साथ रहता था. मूलरूप से दामोह जिले के हिनौता गांव का रहने वाला सोनू परिवार में 4 भाईबहनों में सब से बड़ा था.

शादी के बाद खर्चे बढ़े तो सोनू गांव में परेशान रहने लगा. वैसे भी गांव में उस का छोटा सा घर था, जिस में उस का पूरा परिवार रहता था. जहां पतिपत्नी एकदूसरे से ढंग से बात भी नहीं कर पाते थे. रात को दोनों एक छोटी सी कोठरी में सोते थे, जहां मन की बातें नहीं हो पाती थी. यह नीतू को बहुत अखरता था.

रात को जब घर के सभी लोग सो जाते, तब उन्हें एकदूसरे का साथ मिलता था. नीतू उलाहना दे कर अकसर सोनू से कहती थी कि वह कहीं अलग घर ले कर रहे. तब सोनू उसे समझा देता कि हमारी नईनई शादी हुई है. अभी परिवार से अलग रहेंगे तो घर वालों को अच्छा नहीं लगेगा. कुछ महीनों के बाद वह अपना कामधंधा जमा कर अलग  रहने लगेगा.

जब शादी को साल भर का समय बीत गया तो एक रात नीतू ने सोनू को सलाह देते हुए कहा, ‘‘क्यों न हम लोग गांव से दूर शहर जा कर कुछ कामधंधा कर लें.’’

सोनू को पत्नी की सलाह पसंद आई. जबलपुर शहर में हिनौता गांव के कुछ लड़के काम करते थे. सोनू ने उन के घर वालों से मोबाइल नंबर ले कर बातचीत की तो उन्होंने बताया कि उसे जबलपुर में आसानी से काम मिल जाएगा.

शादी के साल भर बाद सोनू बीवी के साथ काम की तलाश में जबलपुर आ गया था. दोनों रांझी के अखाड़ा मोहल्ले में वे किराए का कमरा ले कर रहने लगे. नीतू सिलाईकढ़ाई का काम करने लगी और सोनू को बड़ा फुहारा में घमंडी चौक पर कपड़े की एक दुकान में सेल्समैन का काम मिल गया.

देखतेदेखते सोनू को जबलपुर आए करीब 5 साल हो गए थे. पतिपत्नी ने धीरेधीरे तिनकातिनका जोड़ कर एक छोटा सा घर बना लिया था. इन सालों में नीतू 2 बेटियों की मां बन चुकी थी. सोनू और नीतू की गृहस्थी की गाड़ी हंसीखुशी से चल रही थी, मगर एक रौंग नंबर की काल ने उन के जीवन में जहर घोल दिया.

2020 के जनवरी महीने की बात है. दोपहर का वक्त था. घर के कामकाज से फुरसत पा कर नीतू मोबाइल फोन में यूट्यूब पर वीडियो देख रही थी. तभी मोबाइल की रिंग बजी. नीतू ने काल रिसीव की तो दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘‘हैलो, मैं राजू बोल रहा हूं.’’

‘‘कौन राजू? मैं ने आप को पहचाना नहीं.’’

‘‘जी, मैं गाजीपुर से राजू राजभर बोल रहा हूं. कंप्यूटर ट्रेडिंग का काम करता हूं. क्या मेरी बात निशा वर्मा से हो रही है?’’

‘‘जी नहीं, आप ने गलत नंबर लगाया है.’’ नीतू ने जबाब दिया.

‘‘जी सौरी, मुझे निशा वर्मा के घर प्रिंटर भिजवाना था. गलती से आप का नंबर लग गया. वैसे आप कहां से बोल रही हैं?’’ राजू ने विनम्रता से पूछा.

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‘‘मैं तो जबलपुर से बोल रही हूं.’’

‘‘आप की आवाज बड़ी प्यारी है. क्या मैं आप का नाम जान सकता हूं?’’ वह बोला.

‘‘मेरा नाम नीतू ठाकुर है.’’ नीतू ने कहा.

‘‘नीतूजी, आप से बात कर के बहुत अच्छा लगा.’’

‘‘जी शुक्रिया.’’ कह कर नीतू ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया. नीतू को राजू का इस तरह से बात करना अच्छा लगा. इस के बाद राजू नीतू के मोबाइल पर काल करने लगा. रौंग नंबर से शुरू हुआ बातचीत का सिललिला धीरेधीरे दोस्ती में बदल गया. अब नीतू भी हर दिन राजू के फोन आने का इंतजार करने लगी. एकदूसरे को वीडियो काल कर के दोनों की बातचीत होने लगी.

तीखे नैननक्श वाली नीतू ने हायर सेकेंडरी तक पढ़ाई की थी. उसे घूमनेफिरने और मौजमस्ती करने का बड़ा शौक था. उस ने शादी के पहले जो रंगीन ख्वाब देखे थे, वे सोनू से शादी कर के बिखर चुके थे.

थोड़ी सी पगार में घरगृहस्थी चलाने वाला उस का पति सोनू दिन भर काम में लगा रहता और नीतू घर की चारदीवारी में कैद घर के काम में लगी रहती.

पति के काम पर जाने के बाद फुरसत मिलती तो वह मोबाइल पर सोशल मीडिया साइट पर व्यस्त हो जाती.

मोबाइल फोन के जरिए राजू और नीतू का संबंध जब परवान चढ़ने लगा तो दोनों एकदूसरे से मिलने को बेताब रहने लगे. नीतू राजू के प्रेम में इस कदर खो चुकी थी कि बारबार राजू से जबलपुर आ कर मिलने की बात करती.

आग राजू के सीने में भी धधक रही थी. राजू नीतू को भरोसा दिलाता कि वह जल्द ही जबलपुर आ कर उस से मिलेगा.

इसी बीच मार्च महीने में कोरोना महामारी के कारण 24 मार्च को लौकडाउन लग गया. लौकडाउन में भी नीतू और राजू की मोबाइल पर बातें होती रहीं. नीतू का पति सोनू घर के बाहर गली में जब भी टहलने जाता, नीतू राजू को काल कर लेती. जैसेजैसे लौकडाउन में ढील मिलने लगी, राजू जबलपुर जाने की प्लानिंग करने लगा.

राजू जिस कंपनी के लिए कंप्यूटर ट्रेडिंग का काम करता था, उस का कारोबार जबलपुर शहर में भी था. किसी तरह कंपनी के मार्केटिंग मैनेजर से बात कर के उस ने जबलपुर की कंपनी में काम करने का जुगाड़ कर लिया. कंपनी की तरफ से उसे जबलपुर में काम करने का मौका मिला तो उस के मन की मुराद पूरी हो गई.

इसी हसरत में 25 साल का कुंवारा राजू नीतू की चाहत में सितंबर 2020 में अपने गांव जफरपुर, गाजीपुर से जबलपुर आ गया .

जिस दिन राजू जबलपुर आ कर नीतू से मिला तो नीतू की खुशी का ठिकाना न रहा. राजू ने नीतू को करीब से देखा तो देखता ही रह गया.

‘‘वाकई तुम बहुत खूबसूरत हो,’’ राजू ने नीतू से कहा तो वह शरमा कर बोली, ‘‘मेरी तारीफ बाद में करना. मैं चाय बना कर लाती हूं.’’

जब नीतू राजू के लिए चाय बनाने किचन में गई, राजू अपने आप को रोक नहीं सका. वह भी किचन में पहुंच गया और नीतू को अपनी बांहों में भर लिया. वह उस के गालों को चूमते हुए बोला, ‘‘तुम्हें पाने को कितना इंतजार करना पड़ा.’’

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नीतू ने अपने आप को छुड़ाते हुए नखरे दिखा कर कहा, ‘‘थोड़ा सब्र और करो, धीरज का फल मीठा होता है.’’

नीतू राजू को चाय का कप पकड़ा कर बाहर आ गई. उस ने बाहर आ कर देखा उस की दोनों बेटियां आंगन में खेल में मस्त थीं.

इसी मौके का फायदा उठा कर नीतू ने राजू के पास जा कर कमरे का दरवाजा बंद कर लिया और राजू के सीने से लग गई. राजू ने नीतू की कमर में हाथ डाला और उसे बिस्तर पर ले गया. 8 महीने से मोबाइल पर चल रहे उन के संबंध के हसीन ख्वाब पूरे हो गए. उस दिन दोनों ने दिल खोल कर अपनी हसरतें पूरी कर लीं.

राजू ने जब उसे बताया कि उस ने अपना ट्रांसफर जबलपुर करा लिया है, इसलिए अब यहीं रहेगा. नीतू बड़ी खुश हुई. इतना ही नहीं, उस ने राजू को अपना रिश्तेदार बताते हुए उसे अपने मोहल्ले में भाड़े पर खाली कमरा दिला दिया. उस के खानेपीने की जिम्मेदारी वह खुद उठाने लगी.

नीतू ने राजू से मिलने का एक तरीका खोज लिया था. उस ने पति सोनू से बात कर उसे इस बात के लिए राजी कर लिया कि ढाई हजार रुपए महीने में राजू को दोनों टाइम खाना बना कर देगी. सोनू ने यह सोच कर हामी भर दी कि थोड़ी सी मेहनत से बैठे ठाले ढाई हजार रुपए महीने की आमदनी बढ़ जाएगी, जो उस की बेटियों की पढ़ाईलिखाई के काम आएगी.

अगले भाग में पढ़ें-  जांच टीम को सोनू के घर में भी खून के धब्बे मिले

Crime Story: रान्ग नंबर भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

सोनू का यही निर्णय उस के लिए घातक साबित हुआ. नीतू को तो बस अपने प्रेमी से मिलने का बहाना चाहिए था. अब वह बेरोकटोक राजू के लिए खाने का टिफिन देने के बहाने उस से मिलनेजुलने लगी.

सोनू सुबह 9 बजे घर से निकल जाता और दिन भर कपड़े की दुकान में काम कर के थकाहारा रात 9 बजे के बाद घर पहुंचता. नीतू और उस के पति सोनू की उम्र में 12 साल का फासला था. यही वजह थी कि नीतू की शारीरिक जरूरतों को वह पूरा नहीं कर पाता था.

जब भी राजू को मौका मिलता वह नीतू के घर भी आ जाता. नीतू भी अपनी बेटियों तनु और गुड्डी को काम के बहाने घर से बाहर भेज देती और दोनों जी भर कर हसरतें पूरी करते.

29 नवंबर, 2020 की सुबह के साढ़े 7 बजे जबलपुर के रांझी थाने को फोन पर सूचना मिली कि ग्रे आयरन फाउंडी के गेट नंबर 2 के पास की नाली में कंबल में लिपटी एक लाश पड़ी है.

खबर मिलते ही टीआई आर.के. मालवीय ने पुलिस के आला अधिकारियों को सूचना दी और पुलिस टीम के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

घटनास्थल पर आसपास के लोगों की भीड़ मौजूद थी. लोगों ने लाश की शिनाख्त कर बताया कि वह पास में ही रहने वाले सोनू ठाकुर की लाश है. सोनू की गरदन और बाएं हाथ की नस कटी हुई थीं. घटनास्थल के पास ही सोनू की पत्नी अपनी दोनों बेटियों को सीने से चिपकाए चीखचीख कर रो रही थी.

जब पुलिस ने सोनू के बारे में नीतू से पूछताछ की तो उस ने बताया कि रात को साढ़े 10 बजे यह घर से घूमने की बात कह कर निकले थे. जब देर रात तक नहीं लौटे तो उस ने फोन किया. फोन स्विच्ड औफ बता रहा था.

नीतू से प्रारंभिक पूछताछ करने के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए मैडिकल कालेज भेज दी और आसपास रहने वाले लोगों से पूछताछ कर मामले की जांच शुरू कर दी.

जांच के दौरान पुलिस टीम के ट्रेनी आईपीएस अमित कुमार, टीआई आर.के. मालवीय और फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया और पाया कि जीआईएफ गेट नंबर 2 के पास की जिस नाली में सोनू की लाश मिली थी, वहां खून के धब्बों के निशान थे.

सड़क पर मिले खून के निशानों का पीछा करतेकरते पुलिस सोनू के घर तक पहुंच गई.

जांच टीम को सोनू के घर में भी खून के धब्बे मिले. जबकि नीतू ने सोनू के रात साढ़े 10 बजे घर से बाहर जाने की बात कही थी. पुलिस को जांच में यह भी पता चला कि नीतू के मोहल्ले में रहने वाले एक युवक राजू से संबंध थे.

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संदेह की सुई नीतू की तरफ घूमी तो पुलिस ने नीतू को हिरासत में ले कर सख्ती से पूछताछ की. पहले नीतू पुलिस को गोलमोल जबाब देती रही. लेकिन जब पुलिस टीम की महिला आरक्षक ने उस से सख्ती के साथ पूछताछ की तो जल्द ही उस ने अपना गुनाह कबूल कर लिया.

नीतू के बयान के आधार पर रांझी पुलिस ने राजू को भी हिरासत में ले कर पूछताछ की. पुलिस पूछताछ में नीतू और राजू ने पुलिस को जो कहानी बताई, वह नाजायज संबंधों की ऐसी कहानी निकली जो दोनों को गुनाह के रास्ते पर ले गई थी.

रौंग नंबर फोन काल से शुरू हुए नीतू और राजू के अवैध संबंधों की जानकारी धीरेधीरे पूरे मोहल्ले में चर्चा का विषय बन चुकी थी. नीतू द्वारा फोन पर की जाने वाली लंबी बातें सोनू के मन में शक की जड़ें जमा चुकी थीं.

शक होने पर सोनू नीतू पर नजर रखने लगा. एक दिन सोनू ने नीतू को मोबाइल फोन पर किसी से अमर्यादित बातें करते हुए सुन लिया तो इसे ले कर दोनों में विवाद हो गया. अपनी गलती छिपाने के लिए नीतू रोनेधोने का नाटक करने लगी. उस ने कहा कि वह उस के चरित्र पर शक कर रहा है.

राजू सोनू की गैरमौजूदगी में उसे और उस की बच्चियों को घुमाने ले जाता था. दोनों के नाजायज संबंधों का यह खेल ज्यादा दिनों तक समाज की नजरों से नहीं छिप सका. दोनों के संबंधों की चर्चा मोहल्ले में खुलेआम होने लगी. मोहल्ले के कुछ लोगों ने सोनू को बताया कि उस की गैरमौजूदगी में राजू अकसर उस के घर आताजाता है.

सोनू को अब इस बात का पक्का यकीन हो गया था कि पत्नी उस के साथ बेवफाई कर रही है. इस बात से सोनू मानसिक रूप से परेशान रहने लगा.

एक दिन सोनू को अपनी तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही थी. इसलिए अपने सेठ से बोल कर वह दोपहर के वक्त घर आ गया. उस की बेटियां खिलौनों के साथ खेल रही थीं. उस ने जैसे ही कमरे का दरवाजा खोला, अंदर का दृश्य देख उस के होश उड़ गए. बिस्तर पर नीतू अपने प्रेमी के साथ रंगरलियां मना रही थी.

यह देख उस की आंखों में खून उतर आया. वह पत्नी पर चीखा, ‘‘हरामजादी, मेरी गैरमौजूदगी में आशिक के साथ ये गुल खिला रही है.’’

सोनू की चीख सुन कर दोनों हड़बड़ा कर कर अलग हो गए. राजू अपने कपड़े समेट कर भाग खड़ा हुआ और नीतू अपराधबोध से नजरें नीची किए खड़ी रही. उस ने पति से माफी मांगी और भविष्य में ऐसी गलती न दोहराने का वादा किया. सोनू ने भी उसे माफ कर दिया.

नीतू कुछ दिन तो ठीक रही, लेकिन उस से प्रेमी की जुदाई बरदाश्त नहीं हो रही थी. इसलिए वह उस से फिर मिलनेजुलने लगी. सोनू सब कुछ जान कर भी पत्नी की वेवफाई को बरदाश्त कर रहा था. कई बार उस के मन में विचार आता कि वेवफा पत्नी को हमेशाहमेशा के लिए छोड़ कर कहीं चला जाए, परंतु मासूम बेटियों के भविष्य की खातिर वह चुप रह जाता.

सोनू को कुछ नहीं सूझ रहा था. वैसे तो सोनू ने जीआईएफ गेट नंबर 2 के सामने खुद का घर बना लिया था. मगर नीतू के बहके कदमों को रोकने के लिए उस ने सोचविचार के बाद फैसला कर लिया कि इसी रविवार कुछ दिनों के लिए वह बीवीबच्चों को ले कर गांव चला जाएगा और गांव में ही कुछ कामधंधा करेगा.

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उसे भरोसा था कि कुछ दिन नीतू राजू से दूर रहेगी तो यह रोग भी दूर हो जाएगा. नीतू अपनी बेटियों की परवरिश में सब कुछ भूल कर सही रास्ते पर आ जाएगी. वापस गांव लौटने के अपने इस फैसले की जानकारी उस ने नीतू को भी दे दी थी.

जब नीतू ने राजू से परिवार सहित गांव वापस लौटने की बात कही तो राजू के माथे पर भी चिंता की लकीरें उभर आईं.

उसे लगा कि जिस नीतू की खातिर वह अपने गांव से इतनी दूर आ गया, वही अब उस की नजरों से दूर चली जाएगी. राजू की प्लानिंग नीतू के साथ शादी कर के घर बसाने की थी. राजू के इस निर्णय में नीतू की भी सहमति थी.

अगले भाग में पढ़ें- अब दोनों सोनू की लाश को ठिकाने लगाने की सोचने लगे

Crime Story: रान्ग नंबर भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

पहले दोनों के मन में विचार आया कि घर से भाग कर शादी कर लें और सुकून से अपनी जिंदगी गुजारें, मगर मासूम बेटियों की खातिर नीतू कोई ठोस निर्णय नहीं ले पाई. राजू का भी जबलपुर शहर में कामधंधा ठीकठाक चल रहा था. उसे पता था कि नई जगह कामधंधा जमाने में कितनी मुश्किल होती है. वह अपने गांव भी नहीं लौटना चाहता था, क्योंकि उसे पता था घर वाले बालबच्चों वाली विवाहिता नीतू को इतनी आसानी से नहीं अपनाएंगे.

जैसेजैसे रविवार का दिन नजदीक आ रहा था, नीतू और राजू की चिंता बढ़ती जा रही थी. राजू को पता था कि रविवार के पहले यदि इस समस्या का कोई हल नहीं निकला तो सोनू नीतू को ले कर अपने गांव चला जाएगा. अंतत: दोनों ने सोनू को अपने प्यार की राह से दूर करने का निर्णय ले लिया था.

राजू और नीतू ने सोनू को हमेशा के लिए उन की जिंदगी से दूर करने का खौफनाक प्लान तैयार कर लिया. उन्होंने सोच लिया लिया था कि किसी भी तरह सोनू को जान से मार कर सदासदा के लिए एकदूसरे के हो जाएंगे.

घटना के दिन राजू दिन भर घर से बाहर नहीं निकला. वह सोनू की हत्या कर लाश को ठिकाने लगाने की योजना बनाता रहा. नीतू पूरे दिन सब्जी काटने वाले चाकू की धार तेज करने में लगी रही. नीतू ने तेज धार वाले चाकू को अपने तकिए के नीचे छिपा कर रख लिया था .

28 नवंबर, 2020 की रात रोज की तरह सोनू अपने घर आया तो उस ने नीतू से दूसरे दिन बस से अपने गांव वापस लौटने की चर्चा की तो नीतू ने भी हामी भर दी. यह देख कर सोनू खुश हो गया. खाना खाने के कुछ देर बाद वह अपनी बेटियों को दुलारता रहा और फिर टहलने के लिए घर से बाहर आ गया.

साढ़े 10 बजे वापस आ कर वह बिस्तर पर लेटेलेटे नीतू से प्यारभरी बातें करता रहा. अपनी दोनों बेटियों को सुलाने के बाद नीतू भी बिस्तर पर आ कर प्यार का नाटक करने लगी. जब सोनू निढाल हो कर सो गया तो नीतू आगे की योजना बनाने लगी.

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नीतू की आंखों से उस रात नींद कोसों दूर थी. उस ने रात करीब एक बजे राजू को फोन कर के घर बुला लिया. राजू के आते ही योजना के मुताबिक नीतू ने गहरी नींद सो रहे सोनू के दोनों पैर पकड़ लिए और राजू ने उस की छाती पर बैठ कर चाकू से उस का गला रेत दिया और एक हाथ की कलाई भी काट दी.

कुछ देर छटपटाने के बाद सोनू निढाल हो कर एक तरफ लुढ़क गया. अब दोनों सोनू की लाश को ठिकाने लगाने की सोचने लगे. उन्होंने बिस्तर पर गिरे खून के दागधब्बों को पोंछा. फिर लाश एक कंबल में लपेट ली.

इसी बीच नीतू ने घर का दरवाजा खोल कर बाहर का मुआयना किया. मौका देखते ही दोनों लाश को ग्रे आयरन फाउंडी के गेट नंबर 2 के पास बनी नाली में फेंक आए.

लाश को ठिकाने लगाने के बाद दोनों अपनेअपने घर चले गए और कपड़ों पर लगे खून के दाग साफ करते रहे. दूसरे दिन सुबह नीतू ने घर पर रोनापीटना शुरू कर दिया.

चीखपुकार सुन कर मोहल्ले के लोग उस के घर जमा होने लगे तो नीतू ने बताया कि उस के पति रात से घर नहीं लौटे हैं और उन का मोबाइल भी बंद है.

सोनू के गायब होने की बात सुन कर मोहल्ले के लोग उस की खोज में लग गए थे, तभी किसी ने आ कर बताया कि ग्रे आयरन फाउंडी गेट नंबर 2 के पास सोनू की लाश एक कंबल में लिपटी पड़ी है.

मोहल्ले के लोगों के साथ नीतू भी नाले के पास पहुंच गई. सोनू की लाश देख कर चीखचीख कर घडि़याली आंसू बहाने लगी.

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सोनू की लाश मिलने की खबर से नीतू का प्रेमी राजू भी वहां आ गया था. सोनू की मौत को लेकर मोहल्ले के लोग नीतू के प्रेमी राजू पर भी शक कर रहे थे. इसी बीच वहां पर रांझी थाने की पुलिस ने आ कर कुछ ही घंटों में हत्या की गुत्थी सुलझा दी.

रांझी थाना पुलिस ने 24 घंटे में ही सेल्समैन सोनू सिंह हत्याकांड का खुलासा कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.

एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा और ट्रेनी आईपीएस अमित कुमार ने प्रैस कौन्फ्रैंस कर मामले का खुलासा किया. दोनों की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त चाकू, खून से सने कपड़े, मृतक सोनू और आरोपी नीतू के 3 मोबाइल, एटीएम कार्ड आदि जब्त कर लिए गए.

मृतक सोनू के घर वालों के जबलपुर पहुंचने से पहले नीतू हवालात चली गई. उस की दोनों बेटियों तनु और गुड्डी को पड़ोसियों की देखरेख में रखवाया गया. बाद में गांव से उस के परिजनों के आते ही उन के सुपुर्द किया गया.

पति से वेवफाई कर मौजमस्ती की खातिर बनाए गए नाजायज संबंधों की वजह से नीतू ने अपनी जिंदगी के साथ मासूम बेटियों की जिंदगी भी बरबाद कर दी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime Story: रान्ग नंबर

खून में डूबी दूध की धार: भाग 2

सौजन्य-  सत्यकथा

जिस मां ने बेटे को 9 महीने कोख में पाला, उस के लालनपालन में अपनी नींद चैन की भी परवाह नहीं की, वही कपूत बन गया था. राहुल और उस के परिवार वालों की जानकारी से इस हत्याकांड की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह हृदयविदारक थी.

उत्तराखंड के शहर हल्द्वानी की ट्रांसपोर्ट नगर चौकी के अंतर्गत एक गांव है करायल जौलासाल. राजेंद्र शाही का परिवारइसी गांव में रहता था. राजेंद्र शाही फौज में थे. फौज में होने के कारण वह साल में एकाध बार ही अपने घर आ पाते थे. राजेंद्र शाही के परिवार में उन की पत्नी हीरा देवी सहित समेत 8 सदस्य थे. 4 बेटियों और 2 बेटों में राहुल उर्फ राजा सब से छोटा था.

राजेंद्र सिंह के फौज में होने के कारण सभी बच्चों का लालनपालन हीरा देवी की देखरेख में ही हुआ था. हीरा देवी के सभी बच्चे समझदार थे. सभी ने मन लगा कर पढ़ाई की, जिस की वजह से सभी कामयाब हो गए थे.

राजेंद्र शाही ने बहुत पहले बच्चों की सहूलियत के हिसाब से गांव के छोर पर काफी बड़ा मकान बनवाया था. उन के पास पैसों की कमी नहीं थी. उसी दौरान उन्होंने अपने घर के सामने एक प्लौट और खरीद लिया था. जिसे उन्होंने अपनी बड़ी बेटी ममता के नाम करा दिया था.

ममता अपनी मां के साथ रहती थी. दूसरे नंबर की बेटी मंजू की शादी हो चुकी थी. तीसरे नंबर पर रवींद्र सिंह था, जो फौज में चला गया था.

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रवींद्र की शादी पिथौरागढ़ की युवती से हुई थी. उस की पत्नी अधिकांशत: पिथौरागढ़ में ही रहती थी. राजेंद्र शाही की चौथे नंबर की बेटी सपना सरकारी टीचर बनकर मनीला में रहने लगी थी. जबकि पांचवें नंबर की बेटी अंजलि भीमताल में टीचर बन गई थी. राहुल इन सब में सब से छोटा था. जो इंटरमीडिएट पास करने के बाद नौकरी की तलाश में लगा था.

इस परिवार में सभी पढ़ेलिखे होने के बावजूद एकदूसरे से तालमेल नहीं बिठा पाते थे. हीरा देवी का शुरू से ही लड़कियों की तरफ झुकाव था. यही कारण था कि उन्होंने जब घर के सामने प्लौट खरीदा था, वह किसी लड़के के नाम न करा कर अपनी सब से बड़ी बेटी ममता के नाम कराया था. वही प्लौट बाद में पारिवारिक विवाद का कारण बना.

हीरा देवी की अन्य बेटियां भी उस प्लौट पर अपना अधिकार जमाना चाहती थीं, जबकि ममता उस पर केवल अपना ही अधिकार मानती थी. इसी विवाद के चलते अब से लगभग 16 साल पहले पतिपत्नी में मनमुटाव हो गया था. मनमुटाव के चलते पतिपत्नी के रिश्तों में ऐसी दरार आई कि राजेंद्र सिंह अपने परिवार से अलग रहने लगे.

सन 1990 में राजेंद्र सिंह फौज से रिटायर हो चुके थे. उन के रिटायरमेंट के वक्त भी पतिपत्नी में पैसों को ले कर तकरार बढ़ी थी. जिस के बाद राजेंद्र सिंह ने पत्नी को घर खर्च देना बंद कर दिया था. इस पर हीरा देवी ने अदालत में पति के खिलाफ भरणपोषण का मुकदमा दायर किया था, जिस के चलते हीरा देवी को पति की तरफ से हर माह 3 हजार रुपए भरणपोषण के रूप में मिलते थे, जिस के सहारे ही हीरा देवी अपने खर्च चलाती थीं.

सन 2005 से राजेंद्र सिंह का अपने घर आनाजाना बंद हो गया था. अपना घर होने के बावजूद राजेंद्र सिंह को किराए के मकान में रहने पर मजबूर होना पड़ा. फौज से रिटायर होने के बाद उन्होंने रामनगर में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की. उस वक्त बेटा राहुल भी उन के साथ रहता था. राहुल शुरू से ही गुस्सैल और चिड़चिड़े स्वभाव का था.

राहुल ने इंटरमीडिएट करने के बाद आईटीआई की थी. इस के बावजूद उसे कहीं कोई काम नहीं मिल पाया था. राहुल जब कभी घर जाता तो उस की मां हीरा देवी उसे नौकरी न लगने का ताना मारती थी. जिस से उस की दिमागी हालत और भी खराब होती गई थी.

उस की दिमागी हालत के चलते एक बार राहुल ने खुद को भी चोट पहुंचाने की कोशिश की थी. उस की मां अपनी बेटियों को ज्यादा ही महत्त्व देती थी, जिस के कारण राहुल की मां से नहीं पटती थी. पत्नी की तरफ से राजेंद्र सिंह का मन टूटा तो उन्होंने रामनगर से नौकरी छोड़ गुजरात जा कर सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की.

गुजरात में नौकरी करने के दौरान भी राहुल उन्हीं के साथ रहा. बापबेटे के बाहर रहने के बावजूद राजेंद्र शाही की बेटियों में आपस में तकरार बनी रही.

गुजरात में नौकरी करने के दौरान राहुल किसी बीमारी का शिकार हो गया. उस की परेशानी को देखते हुए राजेंद्र शाही उसे ले कर दिल्ली आ गए. उस के बाद राजेंद्र शाही और राहुल दोनों ने दिल्ली में ही सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर ली.

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दिल्ली में नौकरी करने के दौरान उन्होंने राहुल का एम्स में इलाज कराया. उस दौरान राहुल बीचबीच में घर आताजाता था. लेकिन अपने प्रति मां का बदला व्यवहार देख कर वह फिर अपने पिता के पास चला जाता था. उस के अधिकांश दोस्त पढ़ाई करने के बाद नौकरियों में लग गए थे. लेकिन राहुल ही एक ऐसा बचा था, जिसे बाहर दोस्तों के उलाहने सुनने पड़ते थे और घर में मां की सुनती पड़ती थी.

अगले भाग में पढ़ें- राहुल  ने अपनी मां को ही मौत की नींद सुला दिया 

खून में डूबी दूध की धार: भाग 1

सौजन्य-  सत्यकथा

20दिसंबर, 2020 को सुबह के 7 बजे का वक्त रहा होगा. ममता सो कर उठी तो सब से पहले उसे अपनी मम्मी की याद आई. क्योंकि ममता हर रात अपनी मां के लिए 5-6 बादाम पानी में भिगो कर रखती थी. जिन्हें सुबह होते ही छील कर मां को खाने के लिए देती थी.

उस ने बादाम छीले और मां हीरा देवी को आवाज लगाई. लेकिन मां ने जब कोई जबाव नहीं दिया तो वह उन के कमरे में गई. उस वक्त उस की मां लिहाफ ओढ़े सोई हुई थी.

मां को सोता देख कर उसे हैरानी हुई कि वह अभी तक सोई हुई हैं. जबकि हर रोज वह सब से पहले उठ जाती थीं.

मम्मी के पास जा कर उस ने उन के मुंह से लिहाफ हटाया तो उन के चेहरे को रक्तरंजित देख ममता के होश उड़ गए.

मां की हालत देख उस की चीख निकल गई. सुबहसुबह ममता के चीखनेचिल्लाने की आवाज सुन कर उस की छोटी बहन अंजलि और भाई रवींद्र भी कमरे में आ गए. कमरे में सोती मां हीरा देवी की किसी ने रात में गरदन काट कर हत्या कर दी थी.

सुबहसुबह हीरा देवी की हत्या की बात सुनते ही वहां कुछ ही देर में काफी लोग इकट्ठा हो गए. हीरा देवी की हत्या किस ने और क्यों की, यह कोई नहीं समझ पा रहा था. उस रात उस घर में 5 सदस्य थे, स्वयं हीरा देवी, उन की 2 बेटियां ममता, अंजलि और बेटे रवींद्र शाही व राहुल. हीरा देवी के पति राजेंद्र सिंह शाही किसी काम से घर से बाहर गए हुए थे.

हालांकि राजेंद्र शाही का घर अलग था, लेकिन घर के मुख्य दरवाजे पर लोहे का जाल वाला शटर लगा था. जिस के होते बाहर वाले इंसान का घर में घुसना नामुमकिन था. फिर ऐसे में बाहर का व्यक्ति घर में घुस कर हीरा देवी की हत्या कर के कैसे भाग सकता था. यह बात समझ के बाहर थी.

इस घटना की जानकारी हल्द्वानी की टीपी नगर पुलिस चौकी को दी गई. चौकी इंचार्ज ने यह सूचना आला अधिकारियों को दे दी. एक 65 वर्षीय बुजुर्ग महिला की हत्या की जानकारी मिलते ही एसपी (सिटी) अमित श्रीवास्तव, सीओ शांतनु पाराशर, कोतवाल संजय कुमार पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे.

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पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए मृतका हीरा देवी के परिवार वालों से विस्तार से जानकारी हासिल की.

पुलिस पूछताछ में ममता शाही ने बताया कि हर रोज की तरह सभी घर वाले खाना खा कर सो गए थे. वह सुबह उठी तो मम्मी को बादाम देने गई. तब उसे पता चला कि किसी ने मम्मी का गला काट कर हत्या कर दी. उन की हत्या किस ने किस समय की, किसी को कुछ नहीं मालूम. उस ने बताया कि मम्मी अलग कमरे में सोती थीं और घर के बाकी सदस्य अलग कमरों में सोते थे.

मृतका के पति राजेंद्र शाही उस रात भोटिया पड़ाव क्षेत्र अंबिका विहार में रहने वाली अपनी चाची के घर गए हुए थे. इस घटना की जानकारी उन को छोटी बेटी अंजलि ने फोन कर के दी. तब राजेंद्र शाही घर लौट आए.

घटना की जांचपड़ताल हेतु फोरैंसिक टीम को भी मौके पर बुलाया गया था. फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल की बारीकी से जांचपड़ताल कर के जरूरी नमूने ले कर पैक कर लिए. इस केस के खुलासे के लिए एसपी (सिटी) अमित श्रीवास्तव ने कोतवाल संजय कुमार के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित कर दी.

घटनास्थल से साक्ष्य जुटाने के बाद पुलिस ने हीरा देवी की लाश पोस्टमार्टम हेतु भिजवा दी. 20 दिसंबर, 2020 को ही मृतका की बेटी मंजू शाही की तरफ से कोतवाली हल्द्वानी में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया गया.

केस दर्ज होते ही पुलिस टीम ने अपनी काररवाई में फिर से फोरैंसिक टीम के साथ घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. पुलिस ने मृतका के पति राजेंद्र शाही और उन के परिवार वालों से पूछताछ की तो पता चला कि इस परिवार में काफी समय से संपत्ति को ले कर विवाद चल रहा था.

इस मामले में राजेंद्र शाही का सब से छोटा बेटा राहुल उर्फ राजा हमेशा तनाव में रहता था, जिस के कारण आए दिन मांबेटे में किसी न किसी बात को ले कर तकरार होती रहती थी.

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने राहुल को पूछताछ के लिए अपनी कस्टडी में ले लिया. पुलिस ने राहुल को एकांत में ले जा कर उस से कड़ी पूछताछ की तो उस ने साफ शब्दों में कहा कि वह अपनी मां को क्यों मारेगा क्योंकि मां ही उस का सहारा थी.

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उसी दौरान राहुल की बहन ममता ने पुलिस को बताया कि राहुल रात में कभी भी घर का शटर खोल कर बाहर घूमने लगता था. घटना वाली रात भी उस ने उसे रात के एक बजे घर के बाहर घूमते देखा था. इस बात की जानकारी मिलते ही पुलिस का उस के प्रति शक गहरा गया.

पुलिस ने उस की जांचपड़ताल करते हुए उस के कपड़े देखे. उस ने उस वक्त लोअर के ऊपर पैंट पहन रखी थी. पुलिस ने उस की पैंट उतरवाई तो सारा मामला सामने आ गया. उस की लोअर खून से सनी हुई थी.

पुलिस पूछताछ में वह लोअर पर लगे खून का कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका. उस के तुरंत बाद उस ने अपनी मां की हत्या की बात कबूल ली.

अगले भाग में पढ़ें- आईटीआई करने के बाद भी राहुल को कोई काम क्यों नहीं मिल पाया था

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