बरातियों के झगड़े में दूल्हे को लग गई गोली

हाथी, घोड़े और ऊंटों के साथ बग्गी पर बैठकर दुल्हन लेने जा रहे दूल्हे को गोली मार दी गई. उसे अस्पताल ले जाया गया. उसके कंधे से गोली निकाली भी नहीं गई थी कि वह अस्पताल से शादी के मंडप में पहुंच गया. सात फेरे लिए. मंगलवार सुबह दुल्हन को घर तक लेकर आया. इसके बाद फिर से अस्पताल में जाकर भर्ती हो गया.

वाकया साउथ दिल्ली के आंबेडकर नगर इलाके में हुआ. पुलिस के मुताबिक, खानपुर इलाके में रहने वाले 25 वर्षीय बादल की सोमवार रात मदनगीर में बारात आ रही थी. बारात में करीब 125 बाराती थे. हाथी, घोड़े और ऊंट भी लाए गए थे. एक संकरी गली से जिस समय बारात निकल रही थी, दूसरी साइड से बाइक पर दो लड़के आ रहे थे. रास्ता छोड़ने को लेकर युवकों का बरातियों से झगड़ा हो गया. बाइक सवार युवकों में से एक ने पिस्टल निकाल ली और दूल्हे की बग्गी के पास पहुंच गया. उसी दौरान उसने गोली चला दी, जो दूल्हे के कंधे में जाकर लगी.

खून से लथपथ दूल्हा गोली लगते ही बग्गी से कूद पड़ा. बारातियों ने रास्ते से गुजर रहे एक युवक नवीन की बाइक छीन ली और दूल्हे को बतरा हॉस्पिटल ले गए. उसका इलाज चल ही रहा था कि बुधवार सुबह करीब 4:30 बजे दूल्हे ने जर्बदस्ती छुट्टी ले ली और फेरे लेने मदनगीर जा पहुंचा. शादी करके वह दुल्हन को घर ले गया, उसके बाद वह एम्स ट्रोमा सेंटर में भर्ती हुआ. पुलिस विडियोग्राफी के आधार पर आरोपियों की तलाश कर रही है.

बुझ गई दूसरों की उम्मीदें जगाने वाली ‘ज्योति’

दिल्ली महिला आयोग की काउंसलर रहीं ज्योति की साजिशन हत्या हुई या उन्होंने आत्महत्या की/ रविवार रात आखिरी साढ़े चार घंटे में छिपी है मौत की ये मिस्ट्री. बवाना पुलिस हर पहलू से तफ्तीश कर रही है. 304बी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है. ज्योति का सोमवार को पोस्टमौर्टम नहीं हो सका. परिजनों ने आशंका जताई है कि ज्योति का पति संजू खुद बाड़ा हिंदूराव अस्पताल में कार्यरत है, इसलिए मेडिकल बोर्ड की निगरानी में पोस्टमौर्टम की मांग की है. परिवार व जानकार ज्योति की खुदकुशी पर यकीन करने को तैयार नहीं.

जानकारों का कहना है कि औरों के जीवन में उम्मीद की रोशनी बिखरने वाली आखिर खुदकशी कैसे कर सकती है. पुलिस का कहना है कि शादी के बाद से ही पति उसपर शक करता था. मौत के बाद पति अस्पताल लेकर नहीं गया था, बल्कि शव घर पर ही पुलिस को मिला.

परिवार के मुताबिक, रविवार रात ज्योति से वौट्सऐप चैट हुई थी. आखिरी मेसेज 7:09 बजे आया था. आरोप है कि ज्योति ने चैट में बताया था कि अब ये लोग कैश की डिमांड भी कर रहे हैं. उसके बाद अचानक क्या हुआ कि उसने चैट में लिखा ‘प्लीज डोंट रिप्लाई नाउ’. उसके करीब साढ़े तीन घंटे बाद 11:36 पर पति ने ज्योति के परिवार को कौल करके बताया कि वह स्यूसाइड की कोशिश कर रही हैं. फिर 11:46 की कौल में पति ने बताया कि ज्योति ने स्यूसाइड कर लिया है और वो मर गई है. उसके बाद ज्योति के परिवारवालों ने पीसीआर कौल की.

पीसीआर के साथ मायके वाले घर पहुंचे. पुलिस के साथ देखा कि ज्योति का शव बेड पर था. उसका शरीर अकड़ चुका था. आरोप है कि उसके गले पर चोट के निशान थे. जबकि पति व ससुराल वाले पास ही थे. आंबेडकर में मोर्चरी में शव को रखवाया. ज्योति का मोबाइल व मौके से मिले कुछ सामान क्राइम टीम ने जांच के लिए सील कर लिए. गौरतलब है कि ज्योति की मौत पर मायकेवालों ने हत्या का आरोप लगाया है. जबकि पति व ससुराल वालों ने खुदकुशी का दावा किया.

वौट्सऐप पर आखिरी चैट ‘प्लीज डोंट रिप्लाई

एमएसडब्ल्यू (मास्टर इन सोशल वर्क) की डिग्री हासिल कर चुकीं 27 साल की ज्योति सहरावत तीन बहनों में सबसे छोटी थीं. बवाना के दरियापुर में ज्योति का परिवार रहता है. पिता रोहताश एयरफोर्स में औफिसर रैंक से रिटायर्ड हैं, फिलहाल इलेक्ट्रौनिक्स शोरूम है. शुरू से ही यह लोग ओम शांति मिशन से जुड़े हुए हैं.

ज्योति की मां का साढ़े चार साल पहले बीमारी की वजह से निधन हो चुका है. बड़ी बहन आकाश पीएचडी कर रही हैं, छोटी बहन रंजू बैंक में जॉब करती हैं. दोनों बड़ी बहनों ने शादी नहीं की. क्योंकि बड़ी बहन ने पीएचडी की वजह से शादी नहीं की. रंजू भी ओम शांति से जुड़ी हुई हैं. घर में ज्योति और छोटा भाई शक्ति सहरावत की ही शादी हुई है.

बहन रंजू ने बताया कि इसी साल 25 जून को मुंगेशपुर निवासी संजू राणा से शादी हुई थी. मायके और ससुराल में 15 मिनट का फासला है. ज्योति के परिवारवालों ने पुलिस को बताया कि शादी में 50 लाख के आसपास खर्च किया था. ज्योति पिछले पांच साल से आउटर जिले में दिल्ली महिला आयोग में रेप विक्टिम काउंसलर थीं.

अपराधों को बढ़ावा देते पर्व त्योहार

पर्व, तीज, त्योहार इनसान के जीवन में खुशी लाते हैं. शुष्क जीवन में सरसता का संचार करते ये त्योहार इतने व्यर्थ हो गए हैं कि इन के लिए ‘व्यर्थ’ शब्द भी व्यर्थ हो गया है. जीवन में सरसता का संचार करने के बजाय कटुता का संचार करते हैं, तनाव पैदा करते हैं.

सब से पहली बात कि इन सारे पर्व त्योहारों को मनाने के लिए जबरन चंदा वसूली होती है. लोग अपने कलेजे पर पत्थर रख कर, मजबूरी में या डर कर, चंदा वसूलने वालों को उन की मुंहमांगी मोटी रकम देते हैं. जो जरा भी आनाकानी करता है, चंदा वसूलने वालों द्वारा मारापीटा जाता है. यदि दुकानदार मिल कर विरोध करते हैं तो उन की दुकानें लूट ली जाती हैं. ये पूजापर्व मनाने वाले लोग सार्वजनिक, सरकारी, गैरसरकारी मकानों का अतिक्रमण करते हुए बांसबल्ली के टैंट गाड़ते हैं, बिजली के खंभे से सीधी बिजली चुरा कर साजसजावट करते हैं.

आई.पी.सी. हो या सी.आर.पी.सी. हो, उन पर लागू नहीं होता और पुलिस किसी भी भारतीय कानून के तहत काररवाई कहां करती है? जो कानून पसंद, शांतिप्रिय नागरिक यदि थोड़ा सा भी विरोध करते हैं तो  इनके द्वारा प्रताडि़त होते हैं, घायल किए जाते हैं…और कई बार मौत के घाट तक उतार दिए जाते हैं. थाने में उन की रिपोर्ट तक दर्ज करने से पुलिस अधिकारी टालमटोल कर जाते हैं. थाना पुलिस एवं प्रशासन उलटा शिकायतकर्ता को ही अपमानित करते हुए भगा देता है.

जहां तहां सड़कों, नुक्कड़ों, चौराहों, आम रास्तों का अतिक्रमण कर के मिट्टी की मूर्तियां बैठाई जाती हैं. बांसबल्ली लगा कर रास्ता जाम कर दिया जाता है. आम नागरिक परेशान हो तो हो. उन्हें इस की चिंता नहीं होती.

एक ओर सरस्वती की पूजा होती है दूसरी ओर सजीव सरस्वतियों, यानी लड़कियों और युवतियों के साथ छेड़छाड़. सरस्वती को तथाकथित भक्त (जो हकीकत में ‘भक्त’ नहीं गुंडेबदमाश हुआ करते हैं) स्त्रियों, खासकर लड़कियों, किशोरियों के गालों पर गुलाल लगाने के बहाने छेड़छाड़ करते हैं. यही बात दुर्गापूजा और छठपर्व में भी देखने में आती है.

अखबारों में छपी खबरें सुबूत हैं. हाल में राजधानी दिल्ली में ठीक दशहरे के दिन अपने घर लौटती लड़की का उस के मातापिता के सामने ही अपहरण कर लिया गया. उस के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ. ऐसी घटनाओं की सूची काफी लंबी है. पिछली दीवाली के दिन दिल्ली में एक 7 वर्षीय बच्ची का अपहरण कर के बलात्कार किया गया और हत्या कर के उस की लाश रिज एरिया में फेंक दी गई. पूजा व पर्व के दिनों में गुंडे जश्न मनाने के लिए जैसे मीट, मछली, शराब का जुगाड़ किया करते हैं वैसे ही अपनी मौजमस्ती के लिए मासूम लड़कियों का अपहरण, बलात्कार और हत्या भी कर देते हैं.

त्योहारों को तत्काल बंद कर देना चाहिए जो नाना अनाचारों, व्यभिचारों, आपराधिक कृत्यों के जनक हैं. यह कहना अतिशयोक्ति न होगा कि इन पर्वों, त्योहारों की आड़ में घोर अपराध पनप रहे हैं. समाज गर्त में जा रहा है. लड़कियों की इज्जत लूटी जा रही है. व्यभिचार बढ़ रहा है.

अब तो ‘धर्म निरपेक्षता’ भी दांव पर लग गई है. देश की सरकार सचमुच धर्मनिरपेक्ष रहती तो हिंदुओं के पर्वत्योहारों की इतनी सरकारी छुट्टियां क्यों? यह ‘विधान’ ही गलत है. यह भारतीय संविधान के विरुद्ध है. किसी भी धर्म की कोई भी छुट्टी नहीं होनी चाहिए. जिसे जो भी पर्वत्योहार मनाना हो वह अपना आकस्मिक अवकाश (सी.एल.) का प्रयोग करे.

इस देश में बहुत से सरकारी व गैरसरकारी संस्थान ऐसे हैं जहां चौबीसों घंटे काम चलता रहता है. किसी भी पर्व व त्योहार पर वहां छुट्टी नहीं होती और लोग भय या किसी लालच में नहीं बल्कि काम के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझ कर ड्यूटी पर आते हैं. यदि सरकार के एक उपक्रम में ऐसा हो सकता है तो दूसरे विभागों में क्यों नहीं.

प्लान बनाकर किया डिजाइनर का मर्डर

फैशन डिजाइनर माला लखानी (53) उनके नौकर बहादुर (50) की हत्या के आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने दावा किया है कि योजना बनाकर मर्डर को अंजाम दिया गया. बाद में आरोपी डर गए और खुद ही थाने पहुंचकर सरेंडर कर दिया.

पूछताछ में पता चला है कि राहुल ने वारदात की योजना पहले से बनाई थी. इन लोगों को पैसों की जरूरत थी. राहुल को लगता था कि माला के घर से उसे काफी रुपये और जूलरी या दूसरा कीमती सामान हाथ लग सकता है. वह दोस्तों के साथ मिलकर हथियारों के बल पर लूट को अंजाम देना चाहता था. उसने बीते रविवार को ही वसंत कुंज इलाके में लगनेवाली संडे मार्केट से मीट काटने वाले 2 बड़े चाकू भी खरीद लिए थे.

फोन कर कहा- ड्रेस रेडी है : पुलिस के मुताबिक, बुधवार रात 10:30 या 10:45 बजे के करीब राहुल ने माला को कॉल करके बताया कि ड्रेस रेडी है. वह वर्कशाप में आकर चेक कर लें. माला टीवी देख रहीं थीं. राहुल की कॉल के बाद जब वह वर्कशॉप पहुंचीं, तो आरोपियों ने पीछे से उनका मुंह दबाकर जमीन पर गिराने की कोशिश की. माला ने विरोध कर खुद को छुड़ाना चाहा, उसी दौरान उनके गले और पेट पर चाकू से ताबड़तोड़ 5-6 वार कर दिए गए. गले की नस कटने से माला ने मौके पर ही दम तोड़ दिया.

बहादुर न आता तो शायद बच जाता : आरोपी वर्कशाप से निकले भी नहीं थे कि 10 मिनट बाद ही माला का नौकर बहादुर वहां पहुंच गया. उसने खून से लथपथ माला को देखा, तो हक्का-बक्का रह गया. इससे पहले कि बहादुर कुछ समझ पाता, आरोपियों ने उसे भी वर्कशाप के गेट से अंदर की तरफ धक्का देकर नीचे गिरा दिया. फिर दरवाजा लगाकर उस पर भी हमले कर दिए. आरोपियों को डर था कि अगर बहादुर बच गया, तो उनकी पहचान हो जाएगी. बहादुर ने काफी देर तक आरोपियों का मुकाबला किया, लेकिन पेट में चाकू के 5-6 वार के बाद उसने भी वहीं दम तोड़ दिया. उसके बाद आरोपियों ने कपड़े बदले. करीब एक घंटे घर के कोने-कोने को खंगाला. उन्हें थोड़ी बहुत जूलरी ही मिल पाई.

बोतल ले गए थे, लेकिन पी नहीं पाए : पुलिस का दावा है कि रात 12:15 बजे आरोपी माला की कार लेकर घर से निकले. रंगपुरी पहाड़ी पर पहुंचे. उन्होंने वहां चाकू और खून से सने कपड़ों को ठिकाने लगाया. देर रात तक वहीं रुके रहे. आरोपी माला के घर से शराब की एक बोतल भी ले गए थे, लेकिन इतने घबराए हुए थे कि शराब पी नहीं पाए.

पड़ोसियों के लिए यकीन करना मुश्किल

वसंत कुंज एनक्लेव के ए ब्लौक में जिस जगह माला का घर बना हुआ है, वहां आज भले ही महेंद्र सिंह धोनी और चेतन शर्मा जैसे नामी क्रिकेटर भी रह रहें हो, लेकिन पड़ोसी शकील अहमद और उनके भाई वसीम अहमद ने बताया कि माला तब से इस इलाके में अकेली रह रहीं थीं, जब यह इलाका ठीक से बसा भी नहीं था. वह काफी हिम्मत वाली महिला थीं और उन्हें बच्चों से बहुत प्यार था. उनकी हिम्मत की आस-पास के लोग भी दाद देते थे. गाड़ी भी वो खुद ही ड्राइव करती थीं.

वसीम ने बताया कि माला के घर में अक्सर जब कोई पार्टी होती थी या मेहमान आते थे, तो वह उन्हीं के घर से बड़े बर्तन मंगवाती थीं. साथ ही त्योहारों पर भी वे एक-दूसरे को विश करते थे. वसीम और शकील के बच्चों से भी माला बहुत प्यार और स्नेह से मिलती थीं. वसीम ने बताया कि गुरुवार तड़के 4 बजे के करीब जब उन्होंने शोरशराबा सुना और वो बाहर आए, तो उन्होंने भारी तादाद में पुलिस देखी. पुलिसवाले माला के घर के अंदर छानबीन कर रहे थे.

पहले उन्हें लगा कि शायद कोई चोरी हुई है, क्योंकि माला की कार नहीं दिख रही थी. पूछने पर पुलिसवालों ने कुछ नहीं बताया और अंदर चले जाने के लिए कहा. फिर 6 बजे के करीब जब पुलिसवालों ने दो लाशें घर से बाहर निकालीं, तो उसे देखकर हर कोई हैरान रह गया.

भरोसे का उठाया फायदा

मुख्य आरोपी राहुल अनवर माला के यहां साढ़े तीन साल से काम कर रहा था. वही उनका मेन टेलर था. माला ने वर्कशाप का पूरा जिम्मा उसी को दिया था. वर्कशॉप की चाबी भी राहुल के पास रहती थी. माला उसे जिस तरह के कपड़े बनाने के लिए कहतीं, राहुल जरूरत के हिसाब से दूसरे टेलरों और हेल्परों को हायर कर लेता था. माला ने राहुल को इसकी खुली छूट दे रखी थी. इसी का फायदा उठाकर राहुल ने बुधवार की शाम को 6:30 बजे के करीब अपने 2 साथियों वसीम और रहमत को वर्कशॉप पर बुला लिया था. एक-दो बार पहले भी राहुल उन्हें माला के घर बुला चुका था.

आखिर में तीनों आरोपियों ने रजामंदी से लिया सरेंडर का फैसला

करीब दो ढाई घंटे तक बातचीत के बाद आरोपियों को लगा कि पुलिस कभी न कभी उन्हें पकड़ लेगी. उनकी पहचान ज्यादा दिन छुपी नहीं रह पाएगी. तीनों घबरा गए. आखिरकार उन्होंने मिलकर सरेंडर का फैसला किया. रात 2:45 बजे सभी माला की गाड़ी लेकर वसंत कुंज (साउथ) थाने पहुंचे. ड्यूटी अफसर को बताया कि डबल मर्डर करके आए हैं. तब एसएचओ संजीव कुमार थाने में ही थे. तड़के 3 बजे पुलिस तीनों आरोपियों को लेकर मौके पर पहुंची. वहां माला और बहादुर की लाश थी.

क्लास में छेड़ते थे लड़के-लड़कियां, तो ट्रेन के आगे कूदी

12वीं की एक छात्रा अपने ही दो सहपाठियों की छेड़छाड़ से इतनी आहत हो गई कि उसने जान दे दी. मामला जवाहर कौलोनी का है. जीआरपी को बुधवार शाम 7:00 बजे जानकारी मिली कि एक लड़की ने न्यू टाउन रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली है. इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और उसके परिवारजनों को बुलाया. लड़की के पिता की शिकायत पर पुलिस ने 4 छात्रों के खिलाफ आत्महत्या के लिए विवश करने का मामला दर्ज कर लिया है. इनमें दो लड़कियां भी शामिल हैं.

जीआरपी में दर्ज मामले के अनुसार, जवाहर कालोनी की रहने वाली 18 साल की एक लड़की यहीं के एक पब्लिक स्कूल में 12वीं कक्षा की छात्रा थी. उसी की क्लास में पढ़ने वाले दो लड़के उसका पीछा कर अश्लील शब्द बोलते थे.

आरोप है कि इसमें उनका सहयोग 12वीं कक्षा की ही दो लड़कियां भी करती थीं. पीड़ित छात्रा ने कई बार चारों को समझाया पर वे नहीं माने. आखिर में पीड़िता ने अपने परिवार के लोगों को आपबीती बताई. यह बात पता चलने के बाद परिवारजनों ने चारों छात्रों को समझाया, लेकिन इसका उनपर कोई असर नहीं हुआ. पिता का कहना है कि इससे उनकी बेटी परेशान रहने लगी थी.

वारदात वाले दिन वह बुधवार सुबह स्कूल गई थी. वहां पांचों के बीच स्कूल में कुछ कहासुनी हुई. इसके बाद दोपहर 2:00 बजे स्कूल की छुट्टी होने के बाद वह अपनी घर पहुंची. शाम 4:30 बजे वह स्कूटी चलाकर जवाहर कालोनी में ही ट्यूशन पढ़ने के लिए निकल गई, लेकिन देर शाम तक घर नहीं पहुंची.

उधर, जीआरपी एसएचओ ओमप्रकाश को बुधवार शाम 7:00 बजे जानकारी मिली कि एक लड़की ने न्यू टाउन रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली है. जानकारी मिलने पर एसएचओ ओमप्रकाश व एएसआई कृपाल सिंह मौके पर पहुंचे. शव की पहचान न होने से उसे बीके अस्पताल के रखवा दिया. उधर, छात्रा के रात 8:00 बजे तक घर न पहुंचने पर परिवारीजन जीआरपी थाने पहुंचे. पुलिस ने मौके से टूटी घड़ी और कंगन बरामद किए हैं.

पड़ोस में खड़ी कर दी थी स्कूटी

छात्रा ट्यूशन पढ़ने के लिए स्कूटी लेकर जाती थी. बुधवार शाम उसने स्कूटी जवाहर कालोनी में ही खड़ी कर दी. वह न्यू टाउन रेलवे स्टेशन कैसे पहुंची, यह अभी तक पता नहीं चल पाया है. एक अन्य थ्योरी यह भी सामने आई है कि छुट्टी होने के बाद रास्ते में लड़की समेत पांचों छात्रों ने किसी केक की दुकान से सामान भी खरीदा. इसी दौरान पांचों की आपस में कहासुनी हो गई. इससे नाराज छात्रा मौके पर ही स्कूटी छोड़कर न्यूटाउन स्टेशन पहुंच गई. स्कूल के प्रिंसिपल आकाश शर्मा ने बताया कि पीड़ित परिवारजनों ने स्कूल आकर बताया था कि 28 अक्टूबर को मृतक छात्रा के नाना की मौत हो गई है, इसलिए उनकी बेटी कुछ दिनों तक स्कूल नहीं आ पाएगी.

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