पर्व, तीज, त्योहार इनसान के जीवन में खुशी लाते हैं. शुष्क जीवन में सरसता का संचार करते ये त्योहार इतने व्यर्थ हो गए हैं कि इन के लिए ‘व्यर्थ’ शब्द भी व्यर्थ हो गया है. जीवन में सरसता का संचार करने के बजाय कटुता का संचार करते हैं, तनाव पैदा करते हैं.

सब से पहली बात कि इन सारे पर्व त्योहारों को मनाने के लिए जबरन चंदा वसूली होती है. लोग अपने कलेजे पर पत्थर रख कर, मजबूरी में या डर कर, चंदा वसूलने वालों को उन की मुंहमांगी मोटी रकम देते हैं. जो जरा भी आनाकानी करता है, चंदा वसूलने वालों द्वारा मारापीटा जाता है. यदि दुकानदार मिल कर विरोध करते हैं तो उन की दुकानें लूट ली जाती हैं. ये पूजापर्व मनाने वाले लोग सार्वजनिक, सरकारी, गैरसरकारी मकानों का अतिक्रमण करते हुए बांसबल्ली के टैंट गाड़ते हैं, बिजली के खंभे से सीधी बिजली चुरा कर साजसजावट करते हैं.

आई.पी.सी. हो या सी.आर.पी.सी. हो, उन पर लागू नहीं होता और पुलिस किसी भी भारतीय कानून के तहत काररवाई कहां करती है? जो कानून पसंद, शांतिप्रिय नागरिक यदि थोड़ा सा भी विरोध करते हैं तो  इनके द्वारा प्रताडि़त होते हैं, घायल किए जाते हैं...और कई बार मौत के घाट तक उतार दिए जाते हैं. थाने में उन की रिपोर्ट तक दर्ज करने से पुलिस अधिकारी टालमटोल कर जाते हैं. थाना पुलिस एवं प्रशासन उलटा शिकायतकर्ता को ही अपमानित करते हुए भगा देता है.

जहां तहां सड़कों, नुक्कड़ों, चौराहों, आम रास्तों का अतिक्रमण कर के मिट्टी की मूर्तियां बैठाई जाती हैं. बांसबल्ली लगा कर रास्ता जाम कर दिया जाता है. आम नागरिक परेशान हो तो हो. उन्हें इस की चिंता नहीं होती.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
  • 24 प्रिंट मैगजीन

डिजिटल

(1 महीना)
USD4USD2
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
 
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...