“मिस्टर निनाद, आप और आपकी वाइफ कोरोना पोजिटिव आए हैं, लेकिन आपके सिम्टम्स बहुत माइल्ड हैं. इसलिए आप दोनों को अपने घर पर ही सेल्फ क्वॉरेंटाइन में रहना होगा. यह रही
निनाद बात बात पर उसे अपने से कम हैसियत के परिवार का तायना देता.गाहे बगाहे वह मां से मिलने जाती तो उस से लड़ता. मामूली बातों पर उससे उलझ पड़ता. बात बात पर उसे झिड़कता.
अम्बा एक बेहद सुलझी हुई, समझदार और मैच्योर युवती थी. वह भरसक निनाद को अपनी ओर से कोई मौका नहीं देती कि वह क्रुद्ध हो लेकिन दुष्ट निनाद किसी न किसी बात पर उससे रार कर ही बैठता.
निनाद अम्बा के विवाह को तीन वर्ष बीत चले.पति के खुराफ़ाती स्वभाव से त्रस्त अम्बा कभी-कभी सोचती, पति से अलग होकर उसे इस यातना से मुक्ति मिल जाएगी.जिस दिन गले तक निनाद के दुर्व्यवहार से भर जाती, मां से अपनी व्यथा कथा साझा करती.उससे अलग होने की मंशा जताती. लेकिन पुरातनपंथी मां हर बार उसे धीरज रखने की सलाह देकर चुप करा कर वापस अपने घर भेज देती.
एक दिन लेकिन हद ही हो गई. उस दिन अम्बा मां के घर से लौटी ही थी, कि रात के आठ बजे तक टेबल पर डिनर सर्व ना होने की फ़िजूल सी बात पर निनाद उस पर गुस्से से फट पड़ा और उस दिन निनाद का बेवजह गुस्से से चीखना चिल्लाना सुन अम्बा का धैर्य जवाब दे गया. वह उल्टे पैरों वापस मां के घर चली आई. बहुत सोच विचार कर मां के यहां एक माह रहने के बाद उसने निनाद को फोन करके कहा “निनाद, अब मैं यहां माँ के साथ ही रहूँगी. तुम्हारे घर नहीं लौटूंगी. मुझे तुमसे तलाक चाहिए.’’
अम्बा की यह बात सुनकर निनाद अतीव क्रोध से बिफर उठा. अम्बा की तलाक की मांग उसे अपने पौरुष पर प्रहार लगी. सो गुस्से से भड़कते हुए वह चिल्लाया, “शौक से रहो माँ के साथ.मैं भी तुम्हारे बिना मरा नहीं जा रहा. जब चाहोगी तलाक मिल जाएगा.’’
मन ही मन समझता था कि वह पत्नी के साथ ज्यादती कर रहा है लेकिन अपने पुरुषोचित, अड़ियल और अहंवादी स्वाभाव से मजबूर था.
अम्बा तलाक की कार्यवाही शुरू करने के लिए एक अच्छे वकील की तलाश में जुट गई थी. अम्बा को माँ के यहां आए तीन माह हो चले थे.तभी अम्बा को एक अच्छी महिला वकील मिल गई थी और वह उससे मिलने ही वाली थी कि तभी उन्हीं दिनों लंदन में एक कॉन्फ्रेंस में दोनों को जाना पड़ा. कॉन्फ्रेंस अटेंड कर एक ही फ़्लाइट से वे दोनों अपने देश लौटे ही थे कि लंदन में कोरोना के प्रकोप के चलते अपने शहर के एयरपोर्ट पर निनाद को हल्का बुखार निकला. फिर हौस्पिटल में दोनों का कोरोना का टेस्ट हुआ और उसमें दोनों कोरोना पॉजिटिव निकले
कि तभी निनाद की पुकार से उसकी तंद्रा टूटी और वह वर्तमान में वापस आई और दौड़ी-दौड़ी निनाद के पास गई.
निनाद आंखें बंद कर लेटा हुआ था.”अम्बा, मेरे पास बैठो. मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा.”
” कैसा लग रहा है निनाद?”
” बहुत कमजोरी लग रही है और घबराहट हो रही है.”
“अरे घबराने की क्या बात है? चलो मैं तुम्हारे लिए गर्मागर्म टमेटो सूप बनाकर लाती हूं.सूप पीकर तुम बेहतर फ़ील करोगे,” यह कहकर अम्बा रसोई में जाकर दस मिनट में सूप बनाकर ले आई.
” अम्बा, हम दोनों ठीक तो हो जाएंगे ना?”
” हां हां बिल्कुल ठीक हो जाएंगे. डाक्टर ने कहा था न, हम दोनों के ही सिमटम्स बहुत माइल्ड हैं. डरने की कोई बात नहीं है. तुम सोने की कोशिश करो. सो लोगे तो बेहतर फील करोगे.”
” तुम भी जा कर आराम करो. तुम्हें भी तो थकान हो रही होगी.”
” नहीं नहीं, मेरा इंफेक्शन शायद कुछ ज्यादा ही माइल्ड है. मुझे कुछ गड़बड़ फील नहीं हो रहा. तुम सो जाओ.”
तभी निनाद ने अपना हाथ बढ़ाकर अम्बा का हाथ थाम उसे जकड़ लिया और उसे खींच कर अपने पास बिठाते हुए उससे बेहद मीठे स्वरों में बोला, “मुझसे नाराज़ हो? मैं अपनी पिछली गलतियों को लेकर बेहद शर्मिंदा हूं. मेरे पास बैठो. तुम मुझसे दूर चली जाती हो तो मुझे लगता है, मेरी जिंदगी मुझसे दूर चली गई. वापिस आजाओ अम्बा मेरी ज़िंदगी में. तुम्हारे बिना मैं बहुत अकेला हो गया हूँ.“ यह कह कर उसने उसकी हथेली को चूम उसके हाथों को अपनी गिरफ़्त में जकड़ लिया.”
महीनों बाद पति के स्नेहिल स्पर्श और स्वरों से अम्बा एक अबूझ मृदु ऐहसास से भर उठी लेकिन दूसरे ही क्षण वह असमंजस से भर उठी. तीन वर्षों तक उसका दुर्व्यव्हार सह कर क्या अब उसे एक बार फिर उसके करीब आना चाहिए?
पति के हाथों को जकड़े जकड़े अम्बा सोच रही थी, “काश, तुम पहले भी ऐसे ही रहते तो जिंदगी कितनी खुशनुमा होती.”
अगली सुबह निनाद जब उठा तो उसके सर में तेज दर्द था. अम्बा ने निनाद के फैमिली डॉक्टर को निनाद के चेकअप के लिए बुलाया. वह आए और निनाद की हालत देख अम्बा से बोले, “चिंता की कोई बात नहीं है. अभी भी इनके सिम्टम्स माइल्ड ही हैं. हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत नहीं है. बस इन पर पूरे वक्त वॉच रखिए और तबीयत बिगड़े तो मुझे इन्फॉर्म करिए. आपको भी कोरोना का इंफेक्शन है. बेहतर होगा यदि आप एक नर्स रख लें.”
“नहीं-नहीं डॉक्टर, मैं बिल्कुल ठीक हूं. ना मुझे कोई कमजोरी लग रही न ही कहीं दर्द है. आप निश्चिंत रहिए मैं इन पर पूरे वक्त वॉच रखूंगी.”
डाक्टर के जाने के बाद निनाद ने अम्बा से कहा, “तुम इतना लोड लोगी तो तुम भी बीमार पड़ जाओगी. प्लीज कोई नर्स रख लो.”
“हां, इस बारे में सोचती हूं. तुम अभी सो जाओ.’’