छुट्टी लेने के लिए खुद को बताया कोरोना से पीड़ित

पूरा विश्व जहां कोरोना वायरस को ले कर डर के माहौल में है, वहीं कुछ लोग इस बीमारी को मजाक भी बना डालते हैं.

यह सही है कि किसी को औफिस जाने का मन नहीं होता तो वह बौस से तरह-तरह के बहाने बना कर छुट्टियां  लेता है. मगर एक ऐसे समय जब कोरोना वायरस को ले कर सब डरे हुए हों, एक व्यक्ति ने औफिस न जाने का बहाना बनाते हुए खुद को कोरोना से पीड़ित मरीज घोषित कर दिया.

अजीबोगरीब मामला

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह अजीबोगरीब मामला है चीन का, जहां एक व्यक्ति ने लंबी छुट्टियां लेने और मौजमस्ती करने के लिए अपनी कंपनी को मेल कर दिया कि वह कोरोना वायरस से पीङित है और उसे छुट्टियां चाहिए ताकि वह अपना उपचार करा पाए.

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कंपनी ने तुरंत उस की छुट्टियां मंजूर कर दीं और उस के आसपास बैठे लोगों का मैडिकल चैकअप भी कराया.

इतना ही नहीं औफिस को कुछ दिनों तक के लिए बंद भी कर दिया गया ताकि वहां अच्छी तरह साफसफाई हो सके.

हैरत की बात तो तब हुई जब कंपनी के एक भी कर्मचारी कोरोना वायरस से पीङित नहीं पाए गए तब कंपनी ने उस व्यक्ति से अपना मैडिकल रिपोर्ट भेजने को कहा.

सिर मुंडाते ओले पड़े

झूठ बोलने वाला वह व्यक्ति कोई रिपोर्ट पेश नहीं कर पाया तो कंपनी ने पुलिस में शिकायत करी. पुलिस की सख्ती से उस ने सच उगल दिए और कहा कि उस ने छुट्टियां लेने के बहाने झूठ कहा था.

कंपनी ने काररवाई करते हुए उक्त व्यक्ति को नौकरी से बर्खास्त कर दिया, वहीं पुलिस ने भी उस पर काररवाई की और 3 महीने के लिए जेल भेज दिया.

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मालूम हो कि किसी भी तरह का अफवाह फैलाना कानूनन जुर्म माना जाता है और इस के लिए सजा का प्रावधान है.

दाई से डिलीवरी न कराएं

फिल्म ‘दंगल’ तो आप सब को याद होगी ही. हरियाणा का एक ठेठ देहाती पहलवान जब साधनों की कमी में खुद कुश्ती में कोई बड़ा कारनामा नहीं कर पाता है, तो उसे अपनी आने वाली औलाद से उम्मीद बंध जाती है. औलाद भी लड़का ही चाहिए, क्योंकि तब समाज में लड़कियों को लड़कों की तरह लंगोट बांध कर अखाड़े में उतरने की तो सोचिए भी मत, ढंग से स्कूल में भेज दो तो गनीमत समझी जाती थी.

बेटे के चक्कर में पहलवान महावीर फोगाट बने आमिर खान के एक के बाद एक 4 बेटियां पैदा हो जाती हैं. बाद में इस फिल्म की कहानी क्या मोड़ लेती है, उस पर ज्यादा बात नहीं करेंगे, पर हां एक गंभीर मुद्दे पर जरूर सोचेंगे कि फिल्म में आमिर खान की पत्नी बनी साक्षी तंवर की जचगी कहां और कैसे होती है.

महावीर फोगाट का घर एक ऐसे किसान का घर था, जहां सुखसुविधाओं के नाम पर जरूरत का कुछ पुराना सामान, खाना बनाने के लिए चूल्हा और ईंधन की लकडि़यां ही थीं. घर की जर्जर होती दीवारों के बंद कमरे के बाहर महावीर फोगाट अपनी औलाद की पहली रुलाई सुनने के लिए बेचैन खड़ा होता है.

दरवाजा खुलता है तो एक बुढि़या दाई मायूस सा चेहरा लिए बेटी होने की खबर देती है. ऐसा एक बार नहीं, बल्कि 4 बार होता है, क्योंकि महावीर फोगाट 4 बेटियों का बाप जो बनता है. पर हर बार जचगी दाई से ही होती है.

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वहां पर गनीमत यह होती है कि उस दाई से कोई हादसा नहीं होता है. यह भी कह सकते हैं कि आज से 25-30 साल पहले तक दाई से जचगी कराने पर इतना ध्यान नहीं दिया जाता था. लेकिन आज जब गांवदेहात के आसपास के कसबे या छोटे शहर में लेडी डाक्टर मिल जाती हैं, तो भी बहुत से लोग जचगी गांव में किसी दाई से ही करा लेते हैं.

यूनिसैफ द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, दुनियाभर में पेट से होने  और जचगी से जुड़ी समस्याओं के चलते तकरीबन 2,90,000 औरतों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था.

अंदाजा है कि हर साल 28,00,000 गर्भवती औरतों की मौत हो जाती है, जिस के पीछे की सब से बड़ी वजह सही पोषण और उचित देखभाल का न मिल पाना होता है.

इतना ही नहीं, दुनियाभर में एकतिहाई नवजात बच्चों की मौतें अपने जन्म के दिन ही हो जाती हैं, जबकि बाकी तीनचौथाई बच्चे जन्म के एक हफ्ते के भीतर ही मर जाते हैं.

दिक्कत यह है कि आज भी भारत के बहुत से गांवों में बच्चा पैदा होने को गंभीरता से नहीं लिया जाता है, जबकि यह एक तरह से बच्चे के साथसाथ उस औरत का भी दूसरा जन्म होता है, जो मां बनती है. लिहाजा, जचगी ऐसी किसी बूढ़ी औरत से करा दी जाती है, जो दिल की थोड़ी पक्की जरूर होती है, पर उसे जचगी के समय होने वाले खतरों की उतनी जानकारी नहीं होती है, जितनी किसी माहिर डाक्टर को होती है.

इस सिलसिले में फरीदाबाद के मेवला महाराजपुर गांव की एक आंगनबाड़ी महिला हैल्पर ने बताया कि यहां की कच्ची कालोनियों में रहने वाले ज्यादातर लोग दूसरे राज्य के गरीब परिवारों के होते हैं. सरकारी अस्पताल में बच्चा जनने के लिए आधारकार्ड जैसे पहचानपत्र की जरूरत होती है और बहुत से लोगों के पास वह नहीं होता है. लिहाजा, ऐसी औरतें घर पर ही अपनी सगीसंबंधी औरतों या पड़ोस की औरतों की मदद से जचगी करा लेती हैं.

इसी गांव की रहने वाली रेखा का दूसरा बेटा गांव में ही दाई के हाथों पैदा हुआ था, जबकि पहला बेटा सरकारी अस्पताल में.

रेखा के मुताबिक, घर हो या अस्पताल, सारा काम तो जच्चा को ही करना होता है. अगर वह शरीर और मन से मजबूत है तो उस की मददगार कोई डाक्टर है या दाई, कोई फर्क नहीं पड़ता है.

पर, रेखा का यह बयान भावुकता पर ज्यादा टिका है. इस बात को एक उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए, कोई औरत पहली बार मां बनने वाली है और वह किसी ऐसे गांव में रहती है, जहां आसपास प्रसूति केंद्र तो है, लेकिन उस की ससुराल वाले गांव की दाई से ही जचगी कराना चाहते हैं.

चूंकि वह औरत पढ़ीलिखी है और जचगी के दौरान अपने और होने वाले बच्चे के लिए कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है, तो अपनी ससुराल वालों की सलाह को दरकिनार कर के वह डाक्टर से मिलती है और समयसमय पर अपनी जांच कराती है. वहां डाक्टर द्वारा खून, पेशाब, ब्लड प्रैशर, वजन, पोषण वगैरह की जांच होते रहने से उस औरत को बहुत फायदा होता है, जो एक दाई उसे कभी नहीं बता पाएगी.

याद रखिए, मां बनने वाली जिन औरतों का ब्लड ग्रुप आरएच नैगेटिव होता है, उन के बच्चे की पीलिया या दूसरी किसी दिक्कत से मौत हो जाने का डर रहता है. लेकिन समय से पहले आरएच नैगेटिव ब्लड ग्रुप पता चल जाने पर सावधानी बरती जा सकती है और बच्चे में नया खून ‘ट्रांसफ्यूजन’ से यानी बदल कर उस की जान बचाई जा सकती है. गांवदेहात में क्या, बहुत सी शहर की औरतों को इस बारे में शायद ही जानकारी हो, दाई की तो छोड़ ही दीजिए.

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बहुत सी औरतें अपनी दाई से यह बात छिपा जाती हैं कि उन को पहले गर्भपात भी हो चुका है यानी उन का पेट गिर चुका है. उन की यही लापरवाही खुद उन के लिए और आने वाले बच्चे के लिए खतरनाक हो सकती है, क्योंकि अगर ऐसा हुआ है, तो दाई कुछ नहीं कर पाएगी, जबकि माहिर डाक्टर समय रहते जच्चा को बता देगी कि उसे क्याक्या सावधानियां बरतनी होंगी.

इस सिलसिले में दिल्ली के बीएल कपूर अस्पताल की गाइनोकौलोजिस्ट डाक्टर शिल्पी सचदेव ने बताया, ‘‘आमतौर पर गांवदेहात में लोग घर पर ही किसी दाई से जचगी इसलिए करा लेते हैं, क्योंकि वे प्राइवेट अस्पताल के खर्च से बचना चाहते हैं या फिर सरकारी अस्पताल में लंबी लाइनों में नहीं लगना चाहते हैं, जबकि गांव में जच्चा का कोई टैस्ट नहीं होता है. मां और बच्चे का वजन कितना है या पेट में बच्चे का सिर नीचे है या फिर उलटा है, यह भी दाई को नहीं पता होता है.

‘‘अगर मां का ब्लड ग्रुप नैगेटिव है और पिता का ब्लड ग्रुप पौजिटिव है तो जचगी में बच्चे को दिक्कत हो सकती है. इस के लिए एक इंजैक्शन लगाया जाता है. अगर पहली जचगी में यह इंजैक्शन नहीं लगता है, तो दूसरी जचगी में बच्चे को बहुत नुकसान हो सकता है.

‘‘दाई के साथ सब से बड़ी समस्या यह होती है कि बहुत बार वह साफसफाई का ध्यान नहीं रखती है. वह दस्ताने नहीं पहनती है. इस से मां और बच्चे दोनों को इंफैक्शन होने का खतरा बना रहता है. दाई के पास टांके लगाने का भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं होता है. दूसरे अहम उपकरण भी नहीं होते हैं.

‘‘अगर जचगी के दौरान खून ज्यादा बहने लगता है, तो दाई को सही तकनीक नहीं पता होती है कि कैसे उस पर काबू पाया जाए. इस से मां की जान को खतरा हो सकता है.

‘‘कभीकभार तो जचगी के बाद गर्भनाल अंदर ही रह जाती है. यह भी एक बहुत बड़ी समस्या है. अगर बच्चा एकदम से नहीं रोया या उस को औक्सीजन नहीं मिल पा रही है, उस के फेफड़े नहीं फूल रहे हैं, तो दाई को इस से निबटने का तरीका पता ही नहीं होता है, जबकि अस्पताल में आधुनिक उपकरण होते हैं, जिन की मदद से डाक्टर ऐसी किसी समस्या का हल तुरंत निकाल लेता है.

‘‘ऐसे बहुत से केस सुनने में आते हैं कि जब किसी बच्चे में पूरी औक्सीजन नहीं पहुंचने से वे विकलांग तक हो जाते हैं या दिमागी तौर पर वे अच्छी तरह बढ़ नहीं पाते हैं. अगर किसी औरत को थायराइड की दिक्कत होती है, तो इस का बुरा असर पैदा होने वाले बच्चे पर भी पड़ सकता है.

‘‘किसी मां के पेट में पल रहे बच्चे में अगर कोई बनावट संबंधी खराबी है, तो गांव में उस का पता ही नहीं चल पाता है, जबकि डाक्टर इन सब बातों की पूरी जानकारी रखता है.

‘‘दाई गर्भनाल काटने के लिए अच्छे ब्लेड का इस्तेमाल नहीं करती है. कपड़ा भी कैसा है, इस का ज्यादा ध्यान नहीं रखती है. इस से इंफैक्शन का खतरा बढ़ जाता है.’’

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पहले तो सुविधाएं न होने और जानकारी की कमी में लोग दाई से जचगी करा लेते थे और अगर कोई हादसा हो जाता था तो उसे ऊपर वाले का फैसला मान कर चुप्पी साध लेते थे, पर अब ऐसा करने या सोचने की कोई वजह नहीं है.

याद रखिए, अगर बच्चे सेहतमंद पैदा नहीं होंगे तो वे बड़े हो कर अपनी पूरी ताकत से देश को आगे बढ़ाने में कामयाब नहीं हो पाएंगे. दाई के पास  नहीं, बल्कि जचगी के लिए डाक्टर के पास जाएं, जच्चाबच्चा को सहीसलामत घर वापस लाएं.

कोरोनावायरस के बाद अब बर्डफ्लू फैलने का खतरा मंडराया, चेक रिपब्लिक में मिला दूसरा मामला

चीन के वुहान शहर से निकला कोरोना वायरस दुनियाभर में फैल चुका है. एशिया के बाद यूरोप, अमेरिका समते तमाम मुल्कों में इसके मरीज देखने को मिले. भारत में फिलहाल अभी तक इस वायरस से किसी की भी मौत की खबर नहीं है इसी बीच एक और बड़ी बीमारी फैलने का डर मंडराने लगा है.

चेक रिपब्लिक के कृषि मंत्रालय ने सोमवार को पार्डुबिस के मध्य चेक क्षेत्र में एवियन इंन्फ्लूएंजा (बर्डफ्लू) के दूसरे मामले के फैलने की पुष्टि की है. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “एच5एन8 (बर्डफ्लू) के प्रसार को रोकने के लिए 1 लाख मुर्गियों को मारना पड़ेगा.” समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पारडुबिक के स्लोपोटिक गांव के एक पॉल्ट्री बीडर ने रविवार को इस सप्ताहंत तुर्की के 7500 मुर्गियों में से 1300 की मौत की पुष्टि की.

इन पक्षियों में कथित रूप से एवियन इंन्फ्लूएंजा (बर्डफ्लू) के लक्षण देखे गए थे, इस बात की पुष्टि बाद में प्राग के राज्य पशु चिकित्सा संस्थान ने की थी. इसके अलावा फार्म में 1,30,000 ब्राइलर मुर्गियां भी हैं. कृषि मंत्री मिरोस्लेव तोमान ने कहा, “पूरे कंपनी परिसरों को बंद कर दिया गया है. परिसर से बाहर बीमारी को फैलने से रोकने के लिए प्रवेशद्वार पर एहतियाती उपाय अपनाए जाएंगे.”

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कोरोना वायरस की वजह से दुनिया भर के व्यापार में भी काफी फर्क देखने को मिला है. फिलहाल अब हालात कुछ सुधरने की ओर हैं. चीन में सोमवार तक 80 प्रतिशत से अधिक केंद्रीय उद्यमों में कामकाम फिर से शुरू हो गया है. नए कोरोना वायरस महामारी से केंद्रीय उद्यमों के उत्पादन लक्ष्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

चीनी राज्य परिषद के राज्य-अधिकृत संपत्ति के पर्यवेक्षण और प्रबंध आयोग के उप प्रमुख रन होंगपिन ने मंगलवार को पेइचिंग में यह बात कही. नए कोरोना वायरस निमोनिया की महामारी फैलने के बाद चीन के केंद्रीय उद्यमों ने पूरी तरह से महामारी की रोकथाम और नियंत्रण का समर्थन किया. सीओएफसीओ निगम हर दिन 200 टन से अधिक चावल वुहान पहुंचाता है.

रन होंगपिन ने कहा कि काम और उत्पादन की बहाली महामारी की रोकथाम और आर्थिक विकास की महत्वपूर्ण गारंटी है. प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार 80 प्रतिशत से अधिक केंद्रीय उद्यमों ने अपने कामकाज बहाल किया है. पेट्रोलियम, संचार, पावर ग्रिड और परिवहन आदि व्यवसाय में फिर से काम शुरू करने की दर 95 से 100 प्रतिशत तक जा पहुंची है.

कोरोना वायरस से व्यापार में होने वाले नुकसान का असर केवल चीन में नहीं बल्कि हिंदुस्तान में हुआ है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि सरकार कोरोना वाइरस का घरेलू उद्योगों पर पड़ने वाले प्रभाव से निपटने के लिए जल्दी ही उपायों की घोषणा करेगी. उन्होंने चीन में फैले खतरनाक वाइरस से उत्पन्न स्थिति को लेकर उद्योग प्रतिनिधियों के साथ समीक्षा बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में यह जानकारी दी.

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क्या आप जानते है धनिया कैसे घटाता है वजन

हमारे घर के किचन में ऐसे कई सारे खाने के आइटम्स होते है जो हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. रोजाना खाने में शामिल कुछ सब्जियां और मसाले सेहत के लिए अच्छे हैं. उन्हीं में से एक है धनिया. जी हां.. क्या आप जानते है की धनिये की पत्तियों में ऐसे एंटीऔक्सीडेंट्स और मिनरल्स होते हैं, जो आपके वजन घटाने की प्रक्रिया को तेज कर देते हैं. पेट पर जमा चर्बी घटाना आसान नहीं होता है, पर अगर आप किसी बीमारी की वजह से मोटे नहीं हुए हैं, तो मोटापा घटाया जा सकता है. ऐसे मे धनिये के पत्ते से अच्छा कोई घरेलू नुस्खा नहीं हैं. धनिये की पत्तियां हमारे घर में आसानी से मिल जाती है और ये अमुमन सभी सब्जियों में डाली भी जाती है. तो चलिए जानते है की धनिये की पत्तियों से कैसे वजन खटाया जा  सकता हैं.

सालों से जमा चर्बी को घटाने के लिए रखे डाइट पर ध्यान

सालों से जमा चर्बी को खत्म करने के लिए सिर्फ धनिया की पत्तियां काफी नहीं हैं, बल्कि इसके लिए आपको अपने जंक फूड्स और ज्यादा खाने की आदत को थोड़ा कंट्रोल करना पड़ेगा और थोड़ी एक्सरसाइज करनी पड़ेगी. धनिया की पत्तियों का कमाल ये है कि ये आपका मेटाबौलिज्म बढ़ा देती हैं, जिससे आपके वजन घटाने की प्रक्रिया तेज हो जाती है. ऐसे में अगर आप सामान्य तरीके से सप्ताह में 1 किलो वजन घटाते हैं, तो धनिया पत्तियों की मदद से आपका वजन 1.5 से 2 किलो तक घट सकता है.

फैट बर्न करता है धनिया

धनिया को आमतौर पर सब्जियों में खुश्बू और स्वाद के लिए प्रयोग किया जाता है. मगर आयुर्वेद में धनिया को औषधि भी माना जाता है. धनिया की पत्तियों में क्वरसेटिन नाम का एक विशेष एंटीऔक्सीडेंट होता है, जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है. ये एंटीऔक्सीडेंट आपके मेटाबौलिज्म को बेहतर बनाता है और शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है. इसके अलावा धनिया के पत्तियों को बहुत अच्छा डिटॉक्स एजेंट माना जाता है, यानी धनिया पत्तियों के सेवन से शरीर में जमा सभी गंदगी बाहर निकल जाती हैं.

धनिया में होते है ऐसे तत्व

धनिया की पत्तियां मैग्नीशियम का बहुत अच्छा स्रोत होती हैं. इसके अलावा इनमें विटामिन बी और फौलिक एसिड भी अच्छी मात्रा में होता है. ये दोनों ही तत्व शरीर में ग्लूकोज को बर्न करने में मदद करते हैं, जिससे आप जो भी कैलोरीज लेते हैं, शरीर उनका इस्तेमाल कर लेता है और वे अतिरिक्त फैट के रूप में आपके शरीर में जमा नहीं होते हैं.

बरसात में इन 4 चीजों से बचें

बरसात के मौसम में घर के बाहर पैर रखते ही कीचड़, नालों का गंदा पानी, कूड़े के ढेर से उठती सड़ांध से दिमाग खराब हो जाता है. बारिश की बूंदों से गरमी से राहत मिलती है लेकिन इस मौसम में पनपने वाली कई बीमारियों से बचना बेहद जरूरी है. आइए, जानते हैं दिल्ली के वरिष्ठ फिजिशियन व कार्डियोलौजिस्ट डा. के के अग्रवाल से कि इन बीमारियों से कैसे बचें.

1. लेप्टोस्पायरोसिस

इस बीमारी में बुखार आता है और आंखों में सूजन आती है. यह बीमारी जानवरों के मलमूत्र से फैलने वाले लेप्टोस्पाइश नामक बैक्टीरिया के कारण होती है. खासकर यह चूहों से होती है. चूहे जब पानी में या अन्य जगह पेशाब करते हैं तो आप के पैरों के माध्यम से, विशेषकर यदि आप के पैरों में घाव हैं तो, उस पेशाब के कीटाणु जिस्म में घुस जाते हैं. इस मौसम में जलभराव व बहते पानी के कारण यह संक्रमण पानी में मिल कर उसे दूषित कर देता है. इस वजह से इस बीमारी की आशंका अधिक रहती है.

बारिश के मौसम में नंगेपैर चलना ठीक नहीं रहता, हमेशा जूते, चप्पल, दस्ताने, चश्मा, मास्क आदि लगाएं. तालाबों, पूलों व नदियों आदि के  पास जाने, मृत जानवरों को छूने से बचें. घावों की नियमित साफसफाई करते रहें.

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2. मलेरिया

बारिश की वजह से जगहजगह सड़कों व नालों में पानी जमा हो जाता है और गंदे पानी में मच्छर पनपने शुरू हो जाते हैं, जिन में से कुछ मलेरिया के भी मच्छर होते हैं. इस मौसम में दिल्ली में डेंगू व चिकनगुनिया, गुजरात में जिका और पूर्वोत्तर में मलेरिया का जबरदस्त आतंक रहता है.

मच्छर को घर में या बाहर पनपने न दें. छोटे व बड़े बरतन में पानी को ढक कर रखें. पानी की टंकी को बराबर साफ करते रहें. मांसपेशियों में दर्द और कंपकंपी के साथ बुखार आना मलेरिया के लक्षण हो सकते हैं.

3. डायरिया, टायफायड व जौंडिस

ये तीनों बीमारियां दूषित पानी पीने से होती हैं. इस मौसम में उबला पानी पिएं. अच्छी तरह पका हुआ खाना खाएं. सब्जी को छील कर या अच्छी तरह धो कर पकाएं और ठंडा खाना हमेशा गरम कर के ही खाएं.

सर्दीजुकाम, गले में खराश या बुखार हो तो टायफायड के लक्षण हो सकते हैं. उलटी, कमजोरी या फिर आंखों व हाथ के नाखूनों में पीलापन आना जौडिंस के लक्षण हैं.

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4. स्नेक पौयजनिंग

बरसात में बिलों में पानी घुसने से अकसर सांप बाहर निकल आते हैं. यदि सांप काट ले तो तुरंत अस्पताल जाएं नजदीकी डाक्टर को दिखाएं. फिल्मों में जो दिखाया जाता है कि सांप काटने से मुंह से जहर खींच लेते हैं, ऐसा कतई न करें.

Edited by – Neelesh Singh Sisodia

सावधान: मोटापा अच्छी सेहत की निशानी नहीं

भारतीयों में पिछले 12-15 वर्षों के दौरान मोटापा बड़ी तेजी से बढ़ा है. मोटापे की 2 श्रेणियां मानी जाती हैं. पहली है ओवरवेट यानी जरूरत से ज्यादा वजन. इस से दिल और सांस से जुड़ी कई बीमारियां हो जाती हैं. दूसरी श्रेणी है ओबेसिटी, जो ढेर सारी बीमारियों का आधार होने के अलावा खुद में एक बीमारी है. इसे डाक्टर की मदद के बिना ठीक नहीं किया जा सकता है. मैडिकल जर्नल ‘लांसेट’ में प्रकाशित सर्वे के अनुसार, भारत में करीब 20 प्रतिशत लोग मोटापे से जुड़ी किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त हैं. खाने की खराब गुणवत्ता और शारीरिक श्रम का अभाव मोटापे की 2 बड़ी वजहें मानी जाती हैं. कार से सफर करना, एयरकंडीशंड में रहना, होटलों में खानापीना व लेटनाइट पार्टियों के मजे लेना आदि आज खातेपीते लोगों की जीवनशैली बन चुकी है. ऐसी आदतों और जीवनशैली को ले कर हमें समय रहते चेत जाना जरूरी है क्योंकि कड़ी मेहनत की कमाई अगर हमें मोटापे से जुड़ी बीमारियों पर लुटानी पड़े तो यह अफसोसजनक है.

एक अन्य अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2030 तक मोटापा नौन कम्यूनिकेबल डिजीज का एक बड़ा कारण बन जाएगा और दुनिया में 70 प्रतिशत मौतें मोटापे से जुड़ी बीमारियों की वजह से होंगी. इस सर्वे के अनुसार, वर्ष 2030 तक मोटापे से जुड़ी बीमारियों से मरने वाले लोगों में भारत जैसे विकासशील देश के लोगों की संख्या काफी अधिक होगी. मोटापा महामारी बन जाए, इस से पहले इस की रोक पर हमें गंभीर प्रयास शुरू कर देने चाहिए.

यह सवाल, कि हम ओवरवेट या मोटे हैं या नहीं, इस को डा. पारुल आर सेठ की रिपोर्ट से बेहतर ढंग से जाना जा सकता है.

कैसे जानें अपना बीएमआई : अपनी लंबाई और वजन के जरिए बौडी मास इंडैक्स यानी बीएमआई को कैलकुलेट किया जा सकता है. बीएमआई को जानने के लिए अपनी लंबाई को (मीटर में) इसी नंबर से गुणा कर दें. फिर जो नंबर मिले उसे अपने वजन (किलोग्राम) से भाग कर दें. इस से जो नंबर आएगा वह आप की बौडी का बीएमआई होगा.

क्या हो बीएमआई : अगर आप का बीएमआई 18.50 से कम है तो आप अंडरवेट हैं. बीएमआई 30 से ज्यादा होने का मतलब है कि आप मोटे हैं और आप को अपने बढ़ते वजन पर नियंत्रण करने की जरूरत है.

कमर कितनी हो: शरीर के मध्य भाग पर जमे फैट का अंदाजा कमर के मापने से हो जाएगा. इस के लिए टेप को अपने लोअर रिब्स और हिप्स के बीच के हिस्से में रखते हुए गहरी सांस छोड़ते हुए घेरा नापें.

पुरुषों में यह नाप 94 सैंटीमीटर और महिलाओं में 88 सैंटीमीटर से ज्यादा होने का मतलब है कि आप कार्डियोवैस्कुलर, स्ट्रोक या डायबिटीज जैसी बीमारियों के खतरे पर खड़े हैं. पुरुषों में यह नाप 102 सैंटीमीटर और महिलाओं में 88 सैंटीमीटर से ऊपर जाने की स्थिति में मोटापे से जुड़ी बहुत सी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

वेस्ट-हिप रेशियो : वेस्ट यानी कमर, हिप्स यानी कूल्हे पर जमे फैट का अंदाजा लगाने के लिए उन का रेशियो निकाला जाता है. नाभि के पास से कमर की नाप लें और फिर कूल्हे के निचले हिस्से को नापें. कमर की नाप को कूल्हे की नाप से भाग कर दें. पुरुषों में यह रेशियो एक से ज्यादा और महिलाओं में 0.8 से ज्यादा आने का मतलब है कि आप हैल्थ प्रौब्लम के रिस्क जोन में हैं. ऐसे में आप को अपनी सेहत को ले कर सावधान हो जाने की सख्त जरूरत है.

वेट ज्यादा है तो : बीएमआई और वेस्ट की नाप ज्यादा होने का साफसाफ मतलब है कि आप ओवरवेट हैं और अपने वजन को नियंत्रण में रखने के लिए अब आप को हैल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की सख्त जरूरत है. इस समय अगर आप अब भी रोजाना ऐक्सरसाइज व नियंत्रित खानपान पर ध्यान नहीं देंगे तो आप का शरीर और भी फैल जाएगा.

बढ़ते वजन पर नियंत्रण : सब से पहले हमें इस मूल धारणा को दिमाग से निकालना होगा कि बढ़ता वजन ‘सेहत बन रही है’ की निशानी है. दरअसल, बढ़ता वजन सेहत की नहीं, मोटापे की निशानी है. वजन पर नियंत्रण करें.

मोटापे से बचने के उपाय

– प्रतिदिन ऐक्सरसाइज अवश्य करें. जिस में एरोबिक व कार्डियो ऐक्सरसाइज भी हो सकती हैं.

– भोजन एकसाथ ज्यादा न करें. इकट्ठा बहुत सारा भोजन मोटापा लाता है. दिनभर में 6-7 बार थोड़ाथोड़ा कर भोजन लें.

– हमेशा सुबह जल्दी सो कर उठें. सो कर उठने के बाद एकदम से काम में न लग जाएं. कम से कम 5 मिनट तक सीधा हो कर हलकेहलके कदम से कमरे के भीतर ही चलफिर कर शरीर का रक्तसंचार ठीक कर लें. फिर काम में लगें.

– खाने में फल, जूस, दालें और कच्ची हरी सब्जियों का सेवन अधिक करें.

– अपना आकारप्रकार देख कर और यदि ज्यादा असुविधा न हो तो किसी डाक्टर से परामर्श ले कर वजन व रक्त की मात्रा के आधार पर भोजन का निर्धारण करें.

– तेलयुक्त चीजों का सेवन कम से कम करें.

– डिनर जल्दी लिया करें.

– लंच व डिनर हलका लें किंतु ब्रेकफास्ट भारी लिया करें.

 

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