नरपिशाच -भाग 1: ट्यूटर की दरिंदगी

रामपुरा कोटा का सब से चर्चित और हलचल वाला इलाका है. अनेक गलीकूचों से घिरा हुआ रामपुरा सिर्फ
रिहायशी क्षेत्र ही नहीं है, बल्कि शहर का सब से बड़ा व्यावसायिक केंद्र भी है. मशहूर कोटा डोरिया साडि़यों से लकदक दुकानें, सर्राफों की अटूट गद्दियों के अलावा स्कूलों और कोतवाली होेने के कारण यहां हरदम लोगों की रेलपेल बनी रहती है.

सर्राफा व्यवसायी अजय जैन अपनी पत्नी संजना जैन और 15 वर्षीय बेटी परिधि के साथ रामपुरा की शनि मंदिर गली में अपने पुश्तैनी मकान में रह रहे थे. नौंवी कक्षा में पढ़ने वाली परिधि ने कोटा का बड़ा कोचिंग संस्थान जौइन कर रखा था. लेकिन अच्छी तैयारी के लिए बजाजखाने में रहने वाले गौरव जैन के यहां भी ट्यूशन पढ़ने जाती थी.

गौरव तथा परिधि के परिवारों में घनिष्ठता थी. गौरव भी पूरी तरह भरोसेमंद और परिवार के सदस्य की तरह था. ऐसे में किशोरावस्था के नाजुक दौर से गुजर रही बेटी को गौरव के पास ट्यूशन के लिए भेजने में अजय जैन दंपत्ति को कोई आपत्ति नहीं थी.

13 फरवरी, 2022 को रविवार होने के कारण ट्यूशन की छुट्टी थी. लेकिन गौरव जैन ने परिधि की मां को एक्स्ट्रा क्लास का हवाला देते हुए परिधि को ट्यूशन के लिए भेजने का आग्रह किया. किंतु संजना ने कहा, ‘‘परिधि की तबियत ठीक नहीं है, ऐसे में उस का ट्यूशन पर आना संभव नहीं है.’’
लेकिन गौरव ने यह कह कर संजना को निरुत्तर कर दिया कि सोमवार को उस का पेपर है. ऐसे में नुकसान परिधि को ही होगा. हालांकि बेटी की नासाज तबियत के कारण संजना उसे भेजने को तैयार नहीं थी. लेकिन गौरव का फिर फोन आया तो परिधि ने भी जाने का मन बना लिया. गौरव ने कहा कि परिधि 11 बजे तक हर हाल में ट्यूशन पर पहुंच जाए.

बजाजखाना कोई ज्यादा दूर नहीं था. इसलिए परिधि पौने 11 बजे ही घर से निकल गई. साढ़े 12 बजे अजय जैन के पास गौरव का फोन आया, उस ने कहा कि आप आ कर बेटी को ले जाएं.
यह कोई नई बात नहीं थी. ट्यूशन के बाद गौरव जैन परिधि को ले जाने के लिए उस के घर फोन कर दिया करता था.करीब एक बजे अजय जैन जब गौरव के घर पहुंचे तो वहां कोई नहीं था. घर के बाहर कुंडी लगी हुई थी. अजय कुंडी खोल कर भीतर गए तो कमरों पर ताले लगे हुए थे. यह देख कर उन की हैरानी का पारावार नहीं था.

उन्होंने गौरव को फोन लगाया तो उस का मोबाइल आउट औफ रेंज बता रहा था. जिस समय अजय जैन बाहर आ कर हकबकाए हुए इधरउधर ताक रहे थे, उन्हें गौरव का चचेरा भाई हर्षद जैन नजर आ गया.
अजय ने लपक कर उसे थाम लिया और गौरव के पिता का फोन नंबर पूछा. हर्षद ने इस बारे में तो अनभिज्ञता जाहिर की. लेकिन वह उन्हें उन की सर्राफा की दुकान तक ले गया.

रविवार की वजह से दुकान तो बंद थी, अलबत्ता बाहर लगे बोर्ड पर उन का फोन नंबर दर्ज था. अजय को तनिक आस बंधी तो उन्होंने तत्काल गौरव के पिता जितेंद्र जैन को फोन लगाया. फोन गौरव की मां नीरू जैन ने उठाया.

अजय ने गौरव की बाबत पूछा तो उन्होंने कहा, ‘‘गौरव तो गुलाबबाड़ी स्थित अपने दोस्त विपिन के यहां जाने की बात कह रहा था. हम लोग तो साढ़े 10 बजे ही घर से एक शादी में जाने के लिए निकल आए थे. हम ने गौरव को भी साथ चलने को कहा था. लेकिन उस ने कहा था कि उसे एक जरूरी मीटिंग में जाना है.’’यह सुन कर अजय परेशान हो गए. उन्होंने जितेंद्र से कहा कि वह अभी गौरव के दोस्त विपिन को फोन कर गौरव के बारे में पूछें या विपिन का नंबर उन्हें दे दें.

कुछ देर बाद गौरव के पिता जितेंद्र का अजय के पास फोन आया. उन्होंने अजय को बताया कि विपिन ने इस बात से साफ इनकार कर दिया है कि गौरव उस से मिला था या उस के घर आया था.
इस के बाद तो अजय की बेचैनी और बढ़ गई. परेशानहाल अजय जैन पूरी तरह पसीने से नहा गए. कांपते लड़खड़ाते पसीने से तरबतर अजय ने पत्नी संजना को साथ लिया और गौरव को ढूंढने निकल पड़े.
इसी दौरान उन्हें बरतन बाजार में गौरव के मातापिता जितेंद्र और नीरू आते दिखाई दिए. उन्होंने पूरा मामला सुना तो वे भी बुरी तरह हैरान रह गए.

अजय और उन की पत्नी संजना को ले कर वे घर की तरफ दौड़े. हड़बड़ाते हुए कमरों के ताले खोले तो वहां गौरव की स्कूटी नदारद थी और उस की मां नीरू की दराज से 9 हजार रुपए गायब थे. ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ था. आखिर क्या मतलब था इस का.गौरव का कमरा मकान की दूसरी मंजिल पर था. एकाएक अजय की नजर कमरे के बाहर कोने पर पड़ी तो उन की हैरानी का पारावार नहीं रहा. वहां परिधि की चप्पलें पड़ी थीं.

दोस्ती के जरिए प्यार में सेंध: भाग 3

सरस्वती की बात सुनते ही संजय का पारा हाई हो गया, ‘‘क्या यही तुम्हारा प्यार था? मैं तुम पर इतने समय से पैसे लुटाता आ रहा हूं, क्या तुम ने मुझे पागल समझ रखा था? अगर तुमने मेरे साथ भाग कर शादी नहीं की तो मैं तुम्हें कहीं का नहीं छोड़ूंगा. मेरे पास तुम्हारी सारी मौजमस्ती की वीडियो हैं. अगर तुम ने शादी करने से जरा सी भी आनाकानी की तो उन वीडियो को जगजाहिर करने में जरा सी भी देर नहीं लगेगी.’’

संजय की बात सुन कर सरस्वती को पहली बार अफसोस हुआ. उसे उम्मीद नहीं थी कि संजय भविष्य में ऐसी ओछी हरकत भी कर सकता है. संजय की धमकी भरे शब्द सुन कर सरस्वती कुछ सहम गई. उसे लगा कि यह बात अगर उस की ससुराल वालों के सामने आ गई तो उस का जीना ही मुश्किल हो जाएगा.

सरस्वती पूरी तरह से संजय के बिछाए जाल में फंस चुकी थी. उस के बाद उसे कोई रास्ता नहीं सूझा तो उस ने संजय के साथ शादी करने की हामी भर ली.

दोनों के बीच काफी समय से अवैध संबंध बनते आ रहे थे, जिस के कारण वह भी उसे दिलोजान से चाहने लगी थी. संजय की जिद के आगे उस ने उस से कह दिया कि ठीक है वह उस के साथ शादी करने के लिए तैयार है. लेकिन उस की भी एक शर्त है कि वह शादी के बाद अपने बच्चों को अपने साथ ही रखेगी. क्योंकि वह अपने बच्चों को बहुत ही प्यार करती है.

लेकिन उस की यह शर्त संजय को मंजूर नहीं थी. संजय का कहना था कि वह उस के बच्चों के कारण अपने परिवार वालों को मुंह दिखाने लायक भी

नहीं रहेगा.

इसी बात को ले कर दोनों के बीच मनमुटाव हो गया. उस के बाद सरस्वती ने काफी समय तक संजय से बात नहीं की. लेकिन संजय बारबार उस से बात करने की कोशिश करता रहा.

 

दोनों के बीच मनमुटाव वाली बात महेश को भी पता चल गई. लेकिन महेश को उन दोनों के बीच बने अवैध संबंधों की कानोकान खबर नहीं हुई थी. उसे दोनों पर शक हुआ तो वह दोनों की सच्चाई जानने के लिए अंजान बन कर उन के पीछे ही पड़ गया.

एक दिन ऐसा भी आया कि महेश ने छिपते हुए सरस्वती को संजय से बात करते देख लिया. सरस्वती की बात सुनते ही उसे बहुत ही दुख हुआ. उसे पहली बार इस बात का आघात पहुंचा कि जिसे वह अपना दोस्त समझ कर उस पर विश्वास कर रहा था, वही उस की पीठ में छुरा घोंप रहा था.

उसी शाम को महेश ने सरस्वती से सच्चाई जानने की कोशिश की तो वह उस से लड़ बैठी. उस के बाद दोनों के बीच काफी कहासुनी हुई. महेश को अपनी पत्नी से ऐसी उम्मीद नहीं थी. इस के बावजूद भी वह न तो संजय से ही लड़ा और न ही सरस्वती के साथ मारपीट की.

महेश सीधासादा था. उस के बाद भी उस ने सरस्वती को समझाने की कोशिश की. लेकिन सरस्वती कहीं से कहीं तक भी अपनी गलती मानने को तैयार न थी. वह अपने दोनों बच्चों को पति के पास छोड़ कर अपने मायके चली गई.

उस के मायके जाने के बाद संजय फिर से उस पर शादी करने के लिए दबाव बनाने लगा. लेकिन सरस्वती उस के सामने अपने बच्चों को साथ रखने वाली बात दोहराती रही. इस के साथ ही उस ने संजय से कहा, ‘‘पहले तो तुम हमारी वो वीडियो अपने मोबाइल से डिलीट करो. उस के बाद ही मैं आगे बात करूंगी.’’

इतना कहते ही उस ने काल डिसकनेक्ट कर दी. उस के बाद कई बार संजय ने उस से मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उस ने उस की काल रिसीव नहीं की.

संजय उस के प्यार में पूरी तरह से पागल हो चुका था. वह किसी भी कीमत पर उसे छोड़ने को तैयार नहीं था. जब सरस्वती ने उस की काल रिसीव नहीं की तो उस के तनबदन में आग लग गई. उस ने तभी प्रण किया कि अगर सरस्वती ने उस की बात नहीं मानी तो वह उस की जीवन लीला ही खत्म कर डालेगा.

यही कारण है कि प्यार के आगे इंसान लाचार हो जाता है. लेकिन कभीकभी प्यार खूंखार भी हो उठता है. संजय कई बार उस के मायके जा चुका था. वह उस के घर की लोकेशन से वाकिफ था. उस दौरान भी उस ने उस से कई बार मिलने की कोशिश की, लेकिन सरस्वती ने उस से मिलने से इंकार कर दिया था. सरस्वती की हरकतें देख उस के सब्र का बांध टूटने लगा.

 

2॒अगस्त, 2022 की शाम को संजय ने जम कर दारू पी. दारू गले से उतरी तो उसे सरस्वती के साथ बिताए दिन काट खाने को दौड़ने लगे थे. उस दिन हर वक्त खातेपीते वह उस की आंखों के सामने आ कर घूमने लगी थी.

जब वह सरस्वती की याद में परेशान हो उठा तो उस ने बाइक उठाई और सीधा उस के मायके खाता चिंतामन जा पहुंचा. उस समय रात काफी हो चुकी थी. वह पूरी तरह से नशे में था.

गांव जाते ही उस ने बाइक गांव के बाहर ही लौक कर के खड़ी कर दी, ताकि गांव में उस के आने का किसी को पता ही न चले. नत्थूलाल का घर भी गांव के बाहरी छोर पर था. उस वक्त गांव के सभी लोग गहरी नींद में सोए हुए थे.

नत्थूलाल के घर पहुंच कर उस ने दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन वह अंदर से बंद था. उस के बाद वह घर की चारदीवारी लांघ कर उस के घर में घुस गया. उसी समय उस की नजर दरवाजे के पास सो रही सरस्वती पर पड़ी. वह उस चारपाई पर अकेली ही सोई हुई थी.

सरस्वती को अकेला देखते ही उस ने उसे उठाया. इतनी रात गए अपने सामने संजय को देख कर उस की चीख निकल गई. तभी संजय ने झट से अपने हाथ से उस का मुंह बंद कर दिया. फिर वह उस से उस के साथ चलने की जिद करने लगा. तब सरस्वती ने कहा कि वह किसी भी कीमत पर उस के साथ नहीं जाएगी. उल्टे ही उस ने उसे वहां से तुरंत भाग जाने को कहा. उस ने धमकी दी कि अगर वह नहीं गया तो वह शोर मचा देगी.

सरस्वती की धमकी से उस का पारा चढ़ गया. इस से पहले कि सरस्वती कुछ समझ पाती, उस ने गुस्से के आवेग में आ कर एक हाथ से उस का मुंह बंद करने के बाद अपने साथ लाए चाकू से उस की गरदन पर कई वार कर डाले.

चाकू के वार होते ही सरस्वती की जोरदार चीख निकली. जिस को सुन कर उस के मायके वाले बाहर आ गए. परिवार वालों के आते ही संजय ने चाकू एक तरफ फेंक दिया और दरवाजा खोल कर भागने की कोशिश करने लगा. तभी चारों ओर से घेराबंदी करते हुए सरस्वती के घर वालों ने संजय को पकड़ लिया था.

संजय से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

2 सगे भाइयों की साझा प्रेमिका की नफरत का सैलाब : भाग 1

घटनास्थल का दृश्य बड़ा ही भयावह था. कमरे के अंदर 2 लाशें खून से तरबतर पड़ी थीं. बड़ी निर्दयता से किसी धारदार हथियार से उन का गला काटा गया था. मृतकों में घर का मुखिया मुन्नालाल उत्तम (61वर्ष) तथा उन की पत्नी राजदेवी (55 वर्ष) थी.
शवों के पास अनूप और कोमल बिलख रहे थे. अनूप मृतक दंपति का बेटा था, जबकि कोमल उन की गोद ली हुई बेटी थी. दिल को झकझोर देने वाली यह घटना 4 जुलाई, 2022 की रात बर्रा-2, कानपुर स्थित ईडब्लूएस कालोनी यादव मार्केट के पास घटी थी.

5 जुलाई की सुबह डबल मर्डर की सूचना पुलिस महकमे को लगी तो अफरातफरी मच गई. आननफानन में पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा, एडिशनल कमिश्नर आनंद कुलकर्णी, डीसीपी (क्राइम) सलमान ताज पाटिल, एसीपी (गोविंद नगर) विकास पांडेय तथा बर्रा थानाप्रभारी दीनानाथ मिश्रा घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों ने मौकाएवारदात पर डौग स्क्वायड तथा फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया.

अब तक डबल मर्डर की खबर जंगल की आग की तरह पूरे बर्रा क्षेत्र में फैल गई थी. भारी भीड़ घटनास्थल पर जुट गई. इस भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस को पसीना छूट रहा था. उपद्रवी तत्त्व इस भीड़ का गलत उपयोग न कर लें, इस के लिए पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा ने कई थानों की फोर्स वहां बुला ली और क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया.

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के बाद पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. कमरे में पड़ी लाशें देख कर वह दहल उठे. बड़ी ही क्रूरता के साथ दंपति की हत्या की गई थी. देखने से ऐसा लग रहा था कि किसी भारी नफरत के चलते घटना को अंजाम दिया गया था.नफरत से भरे कातिल ने बेरहमी से दंपति का गला रेता था. कमरे में खून फैला था और बिस्तर भी खून से तरबतर था. घर का सारा सामान सुरक्षित था, जिस से लूट की संभावना नहीं थी.

निरीक्षण के बाद पुलिस अधिकारियों ने रोतीबिलखती मृतक दंपति की बेटी कोमल से पूछताछ की. कोमल ने बताया कि पापा बाहर वाले कमरे में सो रहे थे और मैं बीच वाले कमरे में मां के साथ सो रही थी. भाई अनूप पहली मंजिल पर बने कमरे में सो रहा था. हत्या कब हुई पता ही नहीं चला. लेकिन आवाज सुन कर जब आंखें खुलीं तो 3 नकाबपोशों को घर से भागते देखा. उन में से एक अनूप भाई का साला मयंक था. मैं घबरा गई और अनूप भैया को जगा कर मम्मीपापा की हत्या की जानकारी दी. फिर भैया ने डायल 112 पर पुलिस को सूचना दी.

अनूप ने नहीं पिया था जूस पुलिस अधिकारियों ने मृतक दंपति के बेटे अनूप से पूछताछ की तो उस ने बताया कि बीती रात 9 बजे कोमल ने जूसर से अनार और चुकंदर का जूस बनाया फिर एकएक गिलास मम्मीपापा और मुझे दिया. मैं ने 2-3 घूंट जूस पिया तो मुझे कड़वा लगा और स्वाद भी अजीब था. फिर मैं ने जूस नहीं पिया और पूछा, ‘‘कोमल, जूस कड़वा और कसैला क्यों है. तुम ने इस में क्या मिलाया है?’’
इतना सुनते ही कोमल तुनक कर बोली, ‘‘मम्मीपापा ने जूस पी लिया, उन्हें तो कड़वा नहीं लगा. तुम्हें कड़वा लग रहा है, तो मत पियो.’’

अनूप ने आगे बताया कि मैं ने 2-3 घूंट ही जूस पिया था. फिर भी मुझे चक्कर सा आने लगा था और उल्टी भी हो गई थी. इस के बाद मैं अपने कमरे में जा कर सो गया. रात लगभग 3 बजे कोमल ने दरवाजा खटखटा कर मुझे जगाया और बताया कि मम्मीपापा मर गए हैं. यह सुन कर मैं घबराया हुआ नीचे कमरे में आया तो देखा मम्मीपापा मृत पड़े थे. कोमल ने बताया कि उस ने 3 नकाबपोशों को घर से भागते देखा था, जिस में मेरा साला मयंक भी था.

‘‘तो क्या तुम्हें भी अपने साले मयंक पर हत्या का शक है?’’ डीसीपी सलमान ताज पाटिल ने पूछा. ‘‘हां सर, मुझे भी उन पर हत्या का शक है.’’ अनूप बोला.
‘‘वह कैसे?’’

2 पत्नियों ने दी पति की सुपारी : भाग 3

शादी के बाद उस ने नजमा का नाम गीता रख दिया. दरअसल, इस के पीछे उस की एक रणनीति काम कर रही थी. सरकारी दस्तावेजों में हर जगह पहली पत्नी के नाम की जगह गीता दर्ज था. अपनी सरकारी नौकरी को संजीव दांव पर नहीं लगाना चाहता था, लिहाजा उस ने दूसरी पत्नी का नाम भी गीता रख दिया.

दफ्तर के कुछ कागजों में उस ने गीता उर्फ नजमा की फोटो भी लगाई थी. इस के अलावा उस ने कुछ प्रौपर्टी अपनी पहली पत्नी गीता के नाम पर खरीदी थी. वह प्रौपर्टी उस के हाथ से न निकल जाए.नजमा उर्फ गीता के साथ संजीव मजे में रहने लगा. कुछ दिन तो नजमा के बहुत अच्छे बीते. इतनी धनदौलत और जमीनें देख कर वह बड़ी खुश हुई, मगर जल्दी ही उस की खुशियां काफूर हो गईं. संजीव का असली रूप उस के सामने आने लगा.

वह गीता की तरह नजमा पर भी जुल्म ढाने लगा. उसे बातबात पर मारनेपीटने लगा. गंदीगंदी गालियां देता. नजमा उर्फ गीता उस का यह रूप देख कर घबरा गई. एक तो वह उस से उम्र में दोगुना था, दूसरे उस ने उसे शादी के नाम पर ठगा भी था.नजमा को भी करने लगा प्रताडि़त

इन सभी अत्याचारों के बीच नजमा उर्फ गीता प्रेग्नेंट हो गई और तय समय पर उस ने एक बेटे को जन्म दिया. बेटे को पा कर संजीव खुश था मगर नजमा पर उस का अत्याचार कम नहीं हुआ था. वहीं उसे यह शक भी होने लगा था कि नजमा का किसी और से नैनमटक्का चल रहा है.इस शक के कारण उस की हिंसा और बढ़ गई. यहां तक कि उस ने अपने घर के बाहर और अंदर कमरों में सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए ताकि उसे पता चल सके कि उस की गैरमौजूदगी में उस के पास कौनकौन आताजाता है.

इसी बीच एक दिन मौका पा कर नजमा उर्फ गीता अपने दुधमुंहे बच्चे और संजीव के पैसे ले कर एक आदमी के साथ अपने गांव भाग गई. वहां उस ने एक अन्य आदमी से निकाह कर लिया. कुछ दिन बाद संजीव भी झारखंड स्थित उस के घर पर आ धमका.
उस ने कुछ राजनीतिक पहुंच लगा कर नजमा के परिजनों के खिलाफ स्थानीय थाने में मुकदमा दर्ज करवाया और पुलिस के साथ मिलीभगत कर के उस के भाइयों और पिता को हवालात में बंद करवा दिया.

नजमा के परिजन अनपढ़ और गरीब थे. इस आफत के आगे वे रो पड़े और नजमा से कहा कि संजीव जैसा कहता है वैसा करे. संजीव ने नजमा को धमकी दी कि अगर वह बच्चे के साथ वापस दिल्ली नहीं चली तो वह उस के भाइयों और पिता को कभी जेल से बाहर नहीं आने देगा. नजमा मजबूर हो गई और उस आदमी को छोड़ कर संजीव के साथ वापस दिल्ली आ गई.

नजमा जब अपने गांव में थी, उसी दौरान संजीव की पहली पत्नी गीता की बेटी कोमल को टीबी की बीमारी हो गई. गीता ने संजीव से इस बारे में बताया और बेटी का इलाज करवाने को कहा.संजीव ने उस से कहा कि वह इलाज तो करा देगा लेकिन एक शर्त यह है कि वह उस से मिलने उस के दूसरे घर में आया करेगी और उसे नजमा के साथ उस के रिश्ते पर कोई ऐतराज नहीं होगा. बेटी की खातिर गीता ने संजीव की सारी शर्तें मान लीं.

दोनों पत्नियों ने साझा किए अपने दुखदर्द संजीव ने अपनी बेटी कोमल को इलाज के लिए अस्पताल में भरती करवा दिया. कोमल के इलाज के बहाने उस ने अपने दफ्तर से 7 लाख रुपए भी लिए. अब जब गीता संजीव से मिलने आने लगी तो नतीजा यह हुआ कि वह एक बार फिर गर्भवती हो गई.

इस बीच संजीव नजमा के गांव जा कर उसे और अपने बेटे गौरव को भी वापस ले आया. इस तरह अब संजीव के दोनों हाथों में लड्डू थे. समय के साथ गीता तीसरे बच्चे की मां बनी. उसे एक बेटी पैदा हुई, जिस की उम्र फिलहाल 11 साल है.नजमा अकसर संजीव के साथ अस्पताल में कोमल को देखने जाती थी. वहां उस की मुलाकात गीता से होती थी. दोनों वहां काफी देर अकेले भी रहती थीं तो दोनों के बीच बातचीत भी होने लगी.

एक दिन नजमा ने अपना दुख गीता के आगे कह दिया. गीता उस का दुख सुन कर हंसी और बोली, ‘‘तुम ने तो अभी कुछ नहीं सहा, जो मैं ने उस दरिंदे के हाथों सहा है.’’
2 पत्नियों के होते हुए भी अन्य महिलाओं से थे संबंध

धीरेधीरे गीता और नजमा अपने अपने दुखदर्द आपस में बांटने लगीं और उन की मंडली में संजीव की बेटी कोमल भी शामिल हो गई. कोमल अब धीरेधीरे स्वस्थ हो रही थी. इसी बीच कोरोना काल शुरू हो गया जिस से संजीव का काम लगभग बंद हो गया और वह ज्यादा समय घर में ही रहने लगा.

बीते 3 साल तो नजमा उर्फ गीता के लिए नरक बन गए, क्योंकि घर में रहने के दौरान संजीव का अत्याचार बहुत बढ़ गया. नजमा उस के सामने डर के मारे भीगी बिल्ली बनी रहती थी.यही नहीं, संजीव दूसरी औरतों के साथ भी शारीरिक संबंध रखता है, यह बातें भी नजमा को पता चलीं तो वह डरने लगी कि कहीं संजीव किसी तीसरी से शादी कर के उसे घर पर न ले आए.

एक दिन नजमा ने अपना यह डर गीता के सामने रखा. गीता ने कहा, ‘‘ये हो सकता है कि जैसे वह मुझे हटा कर तुझे ले आया तो आगे तुझे हटा कर किसी तीसरी को ले आएगा. उस के पास न पैसे की कमी है और न घर की.’’संजीव की हरकतों और प्रताड़नाओं से तंग आ कर लगभग 3 साल पहले गीता और नजमा ने संजीव की हत्या का प्लान बनाया, जिस में गीता की बेटी कोमल भी शामिल थी. गीता और कोमल का सहारा पा कर नजमा में कुछ हिम्मत आई.

गीता ने नजमा से कहा, ‘‘अगर दोनों की जिंदगी से संजीव नाम का कांटा निकल जाए तो कानूनन उस की बीवी होने के नाते उस की सारी चलअचल संपत्ति पर मेरा हक हो जाएगा. फिर उस में से मैं आधी संपत्ति तुम्हारे नाम कर दूंगी.’’नजमा इस आश्वासन पर खुश हो गई. अब तीनों मिल कर संजीव की हत्या की साजिश रचने लगीं. हत्या करवाने का जिम्मा नजमा ने अपने सिर लिया. उस ने कोमल के फोन से अपने घर के लोगों से बातचीत शुरू की और उन्हें अपनी आपबीती सुनाई.

दोनों पत्नियों ने दी 15 लाख की सुपारी संजीव की हत्या की सुपारी नजमा ने अपनी बुआ के लड़के इकबाल को दी.42 वर्षीय इकबाल झारखंड के गोड्डा में रहता था. नजमा ने उस से कहा कि संजीव की हत्या के बदले में वह उसे पूरे 15 लाख रुपए देगी.
15 लाख का लालच बहुत बड़ा था, मगर इकबाल खुद यह काम नहीं करना चाहता था. वह इस के लिए किसी सुपारी किलर की तलाश में जुट गया. जल्दी ही उस ने अपने दोस्त और शूटर नयूम अंसारी को इस काम के लिए राजी कर लिया.

नयूम गुजरात के वासी में टेलर था और इकबाल भी उस की दुकान पर टेलरिंग का काम कर चुका था. इकबाल ने शूटर नयूम अंसारी का फोन नंबर नजमा को दे कर कहा कि बाकी की सारी बातें अब वह नयूम से ही करे.कुछ दिन बाद नयूम झारखंड से दिल्ली नजमा से मिलने आया. संजीव की गैरमौजूदगी में नजमा नयूम से पास के एक पार्क में मिली और आगे की सारी प्लानिंग वहीं हुई. नयूम ने नजमा से संजीव की बाइक का नंबर ले लिया.

यही नहीं, नजमा के कहने पर कोमल ने 20 हजार रुपए भी नयूम के खाते में ट्रांसफर कर दिए और बाकी के 15 लाख काम हो जाने के बाद संजीव की एक प्रौपर्टी बेच कर देने का वादा किया.अब नजमा ने कोमल के फोन से नयूम को घर की एकएक बात बतानी शुरू कर दी. संजीव कब घर में रहता है, कब बाहर जाता है, वह कहांकहां जाता है इस की पूरी जानकारी नजमा नयूम को देने लगी.

शूटर ने बाइक चलाते हुए मारी गोली नयूम ने इस काम के लिए अपने एक अन्य दोस्त मनीष को भी गुजरात से बुला लिया. मनीष का एक चचेरा भाई दिल्ली के लाजपत नगर में रहता है, जिस से उस ने काम के बहाने बाइक मांग ली.
प्लानिंग पक्की थी. 6 जुलाई की रात साढ़े 8 बजे जब संजीव नजमा और अपने 10 साल के बेटे को साथ ले कर बाइक से चक्की पर गेहूं पिसवाने के लिए निकला तो नजमा ने निकलने से पहले अपने पास छिपा कर रखे गए कोमल के फोन से यह जानकारी तुरंत नयूम को दी.

जैसे ही नजमा का इशारा मिला, दोनों हत्यारे तमंचा लोड कर के शिकार का पीछा करने निकल पड़े. चक्की पर गेहूं रखवा कर दीपालय स्कूल के पास जैसे ही थोड़े सन्नाटे में संजीव की बाइक पहुंची, हत्यारों ने उसे ओवरटेक करते हुए रोका और उस के सीने में दनादन कई गोलियां उतार दीं.

गोली लगते ही संजीव बाइक लिए गिर पड़ा. साथ ही पीछे बैठी नजमा भी बेटे के साथ गिरी. वह सचमुच बेहोश हुई या उस ने नाटक किया, इस का पता नहीं चल पाया. मगर घटना के बाद गोलियों की आवाज सुन कर आसपास के लोग वहां जमा हो गए.
लोगों ने संजीव को पास के मजीदिया अस्पताल पहुंचाया.

थानाप्रभारी ने जब गीता से सख्ती से पूछताछ की गई तो वह टूट गई. महिला पुलिस ने नजमा की तलाशी में वह फोन भी बरामद कर लिया, जिस के जरिए उस ने कई बार नयूम से बातचीत की थी. अलगअलग राज्यों से पकड़े गए आरोपी

हत्या का मामला उजागर होने के बाद दक्षिणपूर्वी दिल्ली क्षेत्र की डीसीपी ईशा पांडेय ने क्षेत्र के एसीपी प्रदीप कुमार के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया.
इस टीम में थानाप्रभारी (गोविंदपुरी) जगदीश यादव, इंसपेक्टर सुनील कुमार, एसआई विवेक, रवि कुमार, स्पैशल सेल से इंसपेक्टर असवीर सिंह, हैडकांस्टेबल नरसी मीणा और ऋषि दास को शामिल किया.

गीता उर्फ नजमा को हत्या के शक में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उस ने हत्या की साजिश में संजीव की पहली पत्नी गीता, उस की 21 वर्षीय बेटी कोमल, अपने बुआ के बेटे इकबाल, शार्प शूटर नयूम और मनीष के नाम उजागर कर दिए.

पुलिस ने सब से पहले इकबाल को ट्रैप लगा कर झारखंड से पकड़ा. उस ने नयूम के साथ हत्या में शामिल मनीष मिश्रा का नाम बताया और यह भी कि मनीष वलसाड भाग गया है.

पुलिस की एक टीम तब गुजरात गई और वहां से मनीष को गिरफ्तार किया गया.
पुलिस ने शूटर नयूम अंसारी को झारखंड के गोड्डा गांव से गिरफ्तार कर लिया. नयूम को झारखंड की अदालत से ट्रांजिट रिमांड पर ले कर दिल्ली लाया गया. आरोपियों के पास से 3 जिंदा कारतूस के साथ .315 बोर का तमंचा और बाइक बरामद की गई.

कोमल के पास से हत्या के लिए इस्तेमाल किए गए 3 मोबाइल भी पुलिस ने बरामद कर लिए हैं. कोमल सहित सभी आरोपियों को पुलिस ने हत्या के आरोप में जेल भेज दिया है.

गीता और गीता उर्फ नजमा के 3 बच्चे अब अपने चाचा विमल कुमार के साथ रह रहे हैं. गौरतलब है कि प्राइवेट नौकरी करने वाले विमल के पास खुद के 2 बच्चे हैं, जिन की परवरिश और पढ़ाई का भारी बोझ उन पर है.

मुस्कान की मुस्कुराह के दुश्मन : भाग 3

थाने पर उस की जामातलाशी ली गई तो उस के पास से सोने की 28 ज्वैलरी बरामद की गईं, जिन की कीमत 14 लाख रुपए आंकी गई. इस के अलावा 16 हजार रुपए नकद, एक तमंचा .315 बोर तथा डिजिटिल वीडियो रिकौर्डर का ऐडाप्टर बरामद हुआ. उस से मुसकान की हत्या के संबंध में पूछा गया तो वह मुकर गई. लेकिन सख्ती करने पर सलोनी टूट गई और उस ने हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया.
इंसपेक्टर अवनीश कुमार सिंह ने किन्नर मुसकान की हत्या का परदाफाश करने और एक आरोपी को गिरफ्तार करने की जानकारी एसपी दिनेश त्रिपाठी को दी तो उन्होंने पुलिस सभागार में प्रैसवार्ता की. मीडियाकर्मियों के समक्ष किन्नर मुसकान की हत्या का खुलासा किया. खुलासा करने वाली टीम को उन्होंने पुरस्कृत करने की भी घोषणा की.

जयसिंह आखिर क्यों बना मुसकान मुसकान कौन थी? वह किन्नर कैसे बनी? उस ने अकूत संपत्ति कैसे कमाई? फिर वह अपनों का शिकार कैसे बनी? यह सब जानने के लिए हम पाठकों को उस के अतीत की ओर ले चल रहे हैं. उत्तर प्रदेश के कानपुर महानगर से करीब 20 किलोमीटर दूर एक धार्मिक व ऐतिहासिक कस्बा बिठूर है. इसी कस्बे से 4 किलोमीटर दूर अरैर गांव में ज्ञान सिंह अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी लौंग श्री के अलावा 2 बेटे मान सिंह व जय सिंह थे. ज्ञान सिंह के पास कटरी में कुछ खेत तथा 2 बीघा में अमरूद का बाग था. खेत व अमरूद के बाग से ज्ञान सिंह की गुजरबसर हो जाती थी.

ज्ञान सिंह का बड़ा बेटा मान सिंह तो तेजतर्रार था. लेकिन छोटे बेटे जयसिंह से वह परेशान रहते थे. जयसिंह की चालढाल भी ठीक न थी. वह मटकमटक कर चलता था. वह लड़कों के बजाय लड़कियों में ज्यादा रुचि लेता था. एक रोज कल्याणपुर का एक किन्नर गांव में किसी बच्चे के जन्म पर बधाई देने आया. नाचने के दौरान उस की नजर 12 वर्षीय जयसिंह पर पड़ी. उस किन्नर को समझते देर न लगी कि वह उसी के समुदाय का है.

इस के बाद वह किन्नर अकसर गांव आने लगा और जयसिंह से मिलने लगा. वह किन्नर सजधज कर सोने के आभूषण पहन कर आता था, जिस से जयसिंह उस से प्रभावित हो गया था. एक रोज उस किन्नर ने जयसिंह की आंखों में लालच देखा तो उस ने कहा, ‘‘तुम भी यह सब हासिल कर सकते हो बशर्ते कि तुम मेरे साथ चलो और हमारे समुदाय में शामिल हो जाओ.’’ जिज्ञासा और लालचवश जयसिंह ने बात मान ली और एक रोज घर वालों को बिना बताए उस किन्नर के साथ चला गया. उस किन्नर ने जयसिंह की मुलाकात अपने गुरु संजू से कराई और उसे अपने समुदाय में शामिल करने का अनुरोध किया.

संजू कल्याणपुर की किन्नर बस्ती में रहती थी. उस ने जयसिंह को अपने यहां रख लिया. अब जयसिंह को सुबहशाम नाचगाना व ताली बजाने की ट्रेनिंग दी जाने लगी. कुछ माह की ट्रेनिंग के बाद ही वह इन सभी कलाओं में पारंगत हो गया. संजू गुरु ने अब जयसिंह का नाम मुसकान रख दिया. शुरू हआ मुसकान का नया सफर

मुसकान अब अन्य किन्नरों के साथ सजधज कर नेग मांगने व बधाइयां गाने जाने लगी. किन्नरों का क्षेत्र बड़ा होता है. हर क्षेत्र का एक किन्नर गुरु होता है. क्षेत्र से किन्नर जो कमाते हैं, वह गुरु के चरणों में अर्पित करते है. गुरु आधा हिस्सा अपना निकाल कर बाकी का बंटवारा शिष्यों में कर देते हैं. मुसकान की भी अब कमाई होने लगी थी और वह धन जुटाने लगी थी. इस के बाद उस का रहनसहन भी बदल गया था. इस तरह धीरेधीरे 5 साल बीत गए. इस बीच न तो घर वालों को उस की याद आई और न ही मुसकान ने अपने मांबाप के घर की तरफ कदम रखा.

मुसकान पढ़ीलिखी तो थी नहीं, लेकिन महत्त्वाकांक्षी थी. वह किन्नर बन कर अकूत धन कमाना चाहती थी. इस के लिए उस ने लाखों रुपए खर्च कर प्लास्टिक सर्जरी के जरिए लिंग परिवर्तन करा लिया और सर्जरी के जरिए ही सुंदर स्त्री का रूप धारण कर लिया. अब वह सजधज कर जहां भी शादी समारोह में जाती तो लोगों की निगाह उस पर टिक जाती. उस के ठुमकों पर लोग वाहवाह करने लगते. मुसकान अब लाखों रुपए कमाने लगी थी.

किन्नर मुसकान ने कुछ सालों तक कानपुर परिक्षेत्र में कमाई की, उस के बाद वह उन्नाव शहर आ गई. इस बीच मुसकान ने कई किन्नर गुरुओं से अच्छे संबंध बना लिए थे. उन्नाव शहर के सफीपुर कस्बे में उस की मुलाकात जानकी कुंड में रहने वाली किन्नर गुरु मंजू से हुई. मंजू गुरु ने मुसकान को अपने ग्रुप में शामिल कर लिया और क्षेत्र में घूमने की इजाजत दे दी. कम समय में ही मुसकान ने अपने काम तथा अच्छे व्यवहार से मंजू का दिल जीत लिया और वह उस की चहेती शिष्या बन गई. मंजू ने उसे किन्नर नायक बना दिया. मंजू गुरु की मौत के बाद मुसकान नायक (गुरु) बन गई.

मुसकान ने वसीम से की लव मैरिज वर्ष 2010 में फतेहपुर शहर में हुए किन्नर सम्मेलन के दौरान मुसकान की मुलाकात वसीम से हुई. मुलाकातें बढ़ीं तो दोनों को एकदूसरे से प्यार हो गया. इस के बाद किन्नर मुसकान ने वसीम से प्रेम विवाह कर लिया. मुसकान कुछ माह तक उन्नाव में रही, उस के बाद वह वापस सफीपुर आ गई.

इन्हीं दिनों मुसकान ने सफीपुर कस्बे के बब्बर अली खेड़ा में एक मकान खरीद लिया और उसे आधुनिक रूप से सुसज्जित कर उस मकान में रहने लगी.वसीम और मुसकान के बीच 3 साल तक सब ठीक रहा. उस के बाद तनाव बढ़ने लगा. तनाव की वजह थी वसीम की शारीरिक मानसिक प्रताड़ना. वसीम नेग में मिलने वाले रुपए व जेवर उस से छीनने लगा था. मुसकान विरोध करती तो वह उसे मारतापीटता था.
मुसकान जब आजिज आ गई तो उस ने किन्नर समुदाय की मदद ली और वसीम से नाता तोड़ लिया. नाता तोड़ने के बाद भी वह उसे परेशान करता रहता था. वसीम से रिश्ता तोड़ने के बाद मुसकान ने जनवरी, 2019 में सोनू के साथ कोर्ट मैरिज कर ली. सोनू कश्यप मथुरा शहर के थाना चंद्रावली के यमुना पल्ली लक्ष्मी नगर मोहल्ले में रहता था. सोनू हृष्टपुष्ट आकर्षक युवक था. इसलिए मुसकान उस पर फिदा हो गई थी.

संदीप राजपूत उर्फ सलोनी मजबूरी में बना किन्नर शादी के बाद सोनू मुसकान के साथ सफीपुर में रहने लगा. वह कुछ माह मुसकान के साथ रहता तो कुछ माह मातापिता के साथ. इस तरह सोनू का आनाजाना सफीपुर बना रहता था. वसीम को जब मुसकान द्वारा दूसरी शादी करने की जानकारी हुई तो वह जलभुन उठा. उस ने मुसकान से कहा कि दूसरी शादी रचा कर उस ने अच्छा नहीं किया. तब उस ने मुसकान को जान से मारने की धमकी भी दी. उस के बाद वसीम उसे आए दिन धमकियां देने लगा. वसीम की धमकियों से आजिज आ कर मुसकान ने सुरक्षा के तौर पर अपने घर पर 2 सीसीटीवी कैमरे भी लगवा लिए.

मुसकान के साथ उस की 3 किन्नर साथी अन्नू, रूबी व सलोनी रहती थीं. सलोनी युवक किन्नर था. उस का नाम संदीप राजपूत था. संदीप का विवाह रिंकी से हुआ था. रिंकी ने सुहागरात को ही जान लिया था कि उस का पति संदीप नपुंसक (किन्नर) है. रिंकी का इस बाबत संदीप की मां मीना से झगड़ा हुआ.

लड़झगड़ कर रिंकी मायके चली गई और ससुराल वालों के खिलाफ कोर्ट में दहेज व धोखाधड़ी का मामला दर्ज करा दिया. कोर्टकचहरी के चक्कर से बचने के लिए संदीप किन्नर बन गया. उस ने अपना नाम सलोनी रख लिया और मुसकान के घर सफीपुर आ कर रहने लगा.

मुसकान सफीपुर कस्बे की चर्चित किन्नर थी. वह अपनी चेलियों अन्नू, रूबी, सलोनी व ढोलकिया मनोज बाबा के साथ क्षेत्र में निकलती थी और खूब कमाई करती थी. कमाई का आधा भाग वह स्वयं लेती थी और शेष भाग का बंटवारा सहयोगियों में करती थी. एक किलो सोने की ज्वैलरी थी मुसकान के पास

मुसकान ने अब तक कार भी खरीद ली थी. मनोज गोस्वामी को उस ने बतौर ड्राइवर रखा था. उस का रहनसहन अब रईसों जैसा था. उसे सोने के आभूषण खरीदने तथा पहनने का बेहद शौक था. कस्बे के एक ज्वैलर से उस ने एक किलोग्राम सोने के आभूषण खरीदे थे. वह पैसा बैंक में जमा करने के बजाय उस से ज्वैलरी खरीदना ज्यादा पसंद करती थी.

मुसकान के इस रहनसहन से अन्नू, रूबी व सलोनी ईर्ष्या करती थीं. वे सोचती थीं कि जो मुसकान के पास है, वह सब उन के पास भी होता.इसी सोच में अन्नू और रूबी की नीयत डोल गई. अन्नू ने एक रोज मुसकान के एटीएम से 40 हजार रुपए निकाल लिएइस की जानकारी मुसकान को हुई तो उस ने अन्नू को भलाबुरा कहा और पिटाई भी की. यही नहीं, उस ने वाट्सऐप के जरिए अन्नू को समुदाय में बदनाम भी कर दिया.

इस अपमान से अन्नू तिलमिला उठी और मुसकान से बदला लेने की सोचने लगी. रूबी ने भी उस की ज्वैलरी चुराई थी, सो उसे भी मुसकान ने बेइज्जत किया था. इसलिए रूबी भी मुसकान से नाराज रहने लगी थी.मुसकान के घर पर पुष्पा और संतोषा खाना बनाने का काम करती थीं. अन्नू व रूबी की करतूत से दोनों वाकिफ थीं, सो वे दोनों उन पर नजर रखती थीं. मुसकान को किन्नर सम्मेलन में जाने का बड़ा शौक था. वह आसपास के जिलों में होने वाले किन्नर सम्मेलनों में अकसर जाती रहती थी.

सम्मेलनों के अलावा मुसकान को पशुपक्षी से भी प्रेम था. उस ने दरजनों सफेद कबूतर व सफेद खरगोश पाल रखे थे, जिन का मकान की छत पर डेरा रहता था. मुसकान का एक वफादार कुत्ता चीकू भी था. वह उस से बेहद प्यार करती थी.अन्नू व रूबी दोनों मुसकान से अपमान का बदला लेना चाहती थीं. उन की निगाह मुसकान के आभूषणों तथा नकदी पर भी थी. आखिर में उन दोनों ने मुसकान की हत्या व लूट करने की योजना बनाई.

इस में उन दोनों ने संदीप उर्फ सलोनी को भी शामिल कर लिया. संदीप इसलिए राजी हो गया कि लूटे गए पैसों से वह पत्नी रिंकी से समझौता कर लेगा और कोर्टकचहरी से निजात पा जाएगा. योजना बनाने के बाद तीनों समय का इंतजार करने लगे.29 जुलाई, 2022 की सुबह मुसकान का ड्राइवर मनोज गोस्वामी बाइक की चाबी सोनू को देने मथुरा चला गया. दरअसल, 8 दिन पहले सोनू जब सफीपुर आया था तो अपनी बाइक की चाबी घर पर ही भूल गया था. शाम को रसोइया पुष्पा व संतोषा आईं और रात 8 बजे खाना बना कर अपने घर चली गई थीं.

उचित मौका देख कर रूबी, अन्नू तथा सलोनी ने गुफ्तगू की फिर काम तमाम करने की ठान ली. तीनों ने मिल कर शराब पी तथा मुसकान को भी पिलाई. शराब पीने के बाद मुसकान कमरे में जा कर लेट गई. चारों में से खाना किसी ने नहीं खाया.रात साढ़े 10 बजे किन्नर मुसकान जब सो गई, तब रूबी, अन्नू व सलोनी मुसकान के कमरे में पहुंचीं. रूबी व सलोनी ने मुसकान के हाथपैर पकड़ लिए और अन्नू ने तमंचा माथे पर सटा कर फायर कर दिया. गोली लगने से मुसकान का भेजा उड़ गया और उस की मौत हो गई.
फिर तीनों ने मिल कर शव फर्श पर रखा. इस के बाद कमरे का सामान बिखेर कर अलमारी से ज्वैलरी व नकदी लूट ली. अन्नू ने मुसकान का आईफोन भी अपने कब्जे में ले लिया. घर में 2 सीसीटीवी कैमरे लगे थे. पकड़े जाने के डर से उन्होंने उखाड़ कर सुरक्षित कर लिए. फिर कमरे को बाहर से बंद कर तीनों फरार हो गईं. मुसकान का आईफोन भी अन्नू ने रख लिया था.

सफीपुर से तीनों एक ट्रक ड्राइवर से लिफ्ट ले कर रात में ही बरेली आ गईं. यहां वे एक होटल में ठहरीं. होटल में ही अन्नू, रूबी व सलोनी ने आभूषण व नकदी का आपस में बंटवारा किया.बंटवारे में तीनों के हिस्से में 26-26 हजार रुपए नकद तथा सोने की ज्वैलरी के 28-28 नग आए. बंटवारे के बाद तीनों अलगअलग रास्ते से फरार हो गईं.

इधर घटना की जानकारी तब हुई, जब मुसकान का कुत्ता चीकू पुष्पा के घर गया और उस की साड़ी खींच कर घर लाया. पुष्पा ने ढोलकिया मनोज बाबा की मार्फत पुलिस को सूचना दी.4 अगस्त, 2022 को पुलिस ने आरोपी संदीप उर्फ सलोनी को उन्नाव कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. 2 अन्य आरोपी रूबी व अन्नू फरार थीं. पुलिस उन की तलाश में जुटी थी.

बीवी की शतरंजी चाल : भाग 3

एक समय में वीरेंद्र का नरकटियागंज सहित पूरे बेतिया में दबदबा था. इसलिए कमलेश उर्फ बिट्टू जायसवाल ने वीरेंद्र से शरण मांगी थी. उसे उम्मीद थी कि वीरेंद्र उसे पुलिस और प्रियंका के घर वालों से बचाने में मदद करेगा.
बताया जाता है कि जब बिट्टू और प्रियंका भाग कर उस के पास आए थे, तब कुछ दिन बाद वीरेंद्र ने बिट्टू को अपने घर से भगा दिया और प्रियंका से जबरन शादी कर ली.
प्रियंका से उस के 3 बच्चे भी हुए. लेकिन जब वीरेंद्र प्रियंका के साथ लखनऊ रहने आ गया, तब वहीं खुशबून तारा उस की जिंदगी में आ गई, जिसे वह नरकटियागंज से ही जानता था.

वीरेंद्र दिल में बसा चुका था प्रियंका को प्रियंका को वीरेंद्र ने पहली बार बिट्टू की नरकटियागंज के चौराहे पर स्थित पान की दुकान पर देखा था. उसे देखते ही वह उस पर फिदा हो गया था. दुकान पर प्रियंका बिट्टू की वजह से नियमित आती थी.
एक दिन आधी रात को वीरेंद्र ने बिट्टू और प्रियंका को साथ अपने घर आया देखा तो वह चौंक गया. वह अभी कुछ सवाल करता, इस से पहले ही कमलेश ने उसे कुछ दिनों तक प्रियंका के साथ रहने के लिए शरण मांगी.

उन्होंने बताया कि दोनों मंदिर में शादी कर चुके हैं, जिस का दोनों के परिवार में विरोध होगा. प्रियंका ठाकुर खानदान की है और वह वैश्य समाज से आता है. उन की शादी को प्रियंका के घर वाले कभी नहीं स्वीकारेंगे.वीरेंद्र को भी यह बात अच्छी नहीं लगी कि ऊंची जाति की कोई लड़की अपने नीचे की जाति वाले से अंतरजातीय विवाह करे. वह खुद ठाकुर था, लेकिन प्रियंका की वजह से उस ने अपने बड़े घर के एक हिस्से में उन दोनों को रहने की इजाजत दे दी.

प्रियंका को शादी के लिए कर लिया राजी अगले रोज ही वीरेंद्र ने प्रियंका को हिफाजत से रखने के बहाने से कमलेश उर्फ बिट्टू को चले जाने के लिए कहा. उस ने वादा किया कि उस की अमानत के तौर पर प्रियंका सुरक्षित रहेगी. बिट्टू उस की बातों में आ गया.
बिट्टू के जाने के बाद वीरेंद्र ने प्रियंका से न केवल अपने दिल की बात कही, बल्कि उसे समाज से बाहर किसी से शादी करने को ले कर डरायाधमकाया भी. वीरेंद्र ने इलाके में अपनी हैसियत और पैसा का हवाला देते हुए उस के साथ शादी करने का दबाव बनाया.
प्यार में अंधी प्रियंका घर से भाग चुकी थी.

उस के लिए दोबारा घर लौटना असंभव दिखा. उसे संरक्षण देने वाला व्यक्ति प्रेमी से कहीं ज्यादा वफादार लगा और वह वीरेंद्र से शादी करने को तैयार हो गई.उन्हीं दिनों वीरेंद्र के सामने बिहार छोड़ने की मजबूरी आ गई. वह प्रियंका के साथ लखनऊ आ गया. बिट्टू को जब पता चला कि उस की प्रेमिका प्रियंका पर वीरेंद्र ने कब्जा कर लिया है तो वह ठगा से महसूस करने लगा और भीतर ही भीतर वीरेंद्र से दुश्मनी भी पाल ली.
प्रियंका अभी अपनी शादी की 2 वर्षगांठ भी नहीं मना पाई थी कि उस का सामना सौतन खुशबून तारा से हो गया.

वीरेंद्र से शादी करने के बाद खुशबून ने अपना धर्म भी बदल लिया. इस का जम कर विरोध करते हुए प्रियंका बातबात में वीरेंद्र को जलील करने लगी.
फिरदौस गैंगस्टर का शूटर होने के चलते अभिमान में रहता था. वह अपना ठेका लेने या दूसरे के ठेके में से हिस्सा लेने की ताक में लगा रहता है. नहीं मिलने पर उस से दुश्मनी कर बैठता था. इस का शिकार वीरेंद्र भी हो चुका था.

वीरेंद्र को छोटेमोटे विवाद तो आपस में लेनदेन के बाद निपट जाते थे, लेकिन 2011 में हुआ विवाद थाना और अदालत तक जा पहुंचा. एक ठेके को ले कर वीरेंद्र के खिलाफ स्थानीय थाने में मामला दर्ज हो गया. जब उस ने महसूस किया कि बिहार में रहते हुए ठेकेदारी में काफी अड़चनें आ रही हैं, तब उस ने राज्य छोड़ने की योजना बना ली.

वीरेंद्र लखनऊ तो आ गया, लेकिन वह पिछली जिंदगी की परेशानियों से उबर नहीं पाया. पेशागत दुश्मनी बनी रही और दुश्मन पीछे लगे रहे. उन्हीं दिनों खुशबून तारा भी वीरेंद्र के संपर्क में आ गई थी और साथ रहने लगी. पहले से दुश्मन बना बैठा फिरदौस वीरेंद्र के साथ एक बार फिर रेलवे की ठेकेदारी हासिल करने को ले कर टकरा गया.

एक घटना सन 2014 की है, जो वीरेंद्र के लिए काफी नुसानदायक साबित हुई. एक काम के सिलसिले में उस का नरकटियागंज आना हुआ था. वहां घात लगाए दुश्मनों ने उस पर हमला कर दिया था.उस हमले में वह बच गया था, लेकिन शंभु राम नामक व्यक्ति की हत्या हो गई थी. हत्या का आरोप वीरेंद्र पर ही लगा जरूर, लेकिन उस का दबदबा भी बढ़ गया.

कुछ समय बाद ही बेतिया में 1 करोड़ 19 लाख के ठेके के विवाद में वीरेंद्र पर फायरिंग हो गई, जिस में एक महिला समेत 5 अन्य व्यक्तियों को जेल भेज दिया गया. उन में एक को छोड़ कर बाकी की जमानत हो गई थी.ठेके के विवाद में ही 2 जुलाई, 2019 को वीरेंद्र पर जानलेवा हमला लखनऊ के चारबाग जीआरपी स्टेशन के पास हुआ. उसे 2 युवतियों से मिलने के बहाने से बुलाया गया था. उस हमले में वह बच गया था, लेकिन कुछ गोलियां उस के पैरों में जा लगी थीं. रीढ़ की हड्डी को नुकसान हुआ था, जिस से वह दिव्यांग हो गया था.

तब दर्ज मुकदमे में प्रियंका और बिट्टू के अलावा अलावा 3 अन्य आरोपी शादाब अख्तर, फिरदौस और मिराज खातून बनाए गए थे. उस के बाद से वीरेंद्र और उन की दुश्मनी की जड़ें और गहरी हो गई थीं. हालांकि वीरेंद्र सतर्क हो गया था और सुरक्षा के लिए उस ने 3 गार्ड रख लिए थे.

वीरेंद्र की निगाह में बिट्टू के साथ प्रियंका भी खटकने लगी थी. हालांकि तब तक प्रियंका 3 बच्चों की मां भी बन चुकी थी. बात प्रियंका के तलाक तक की पहुंच गई थी, किंतु कोरोना प्रकोप के चलते मार्च 2020 में लौकडाउन लग गया और उन के तलाक की अरजी अदालती फाइलों में ही दबी रही.

घर में रहते हुए वीरेंद्र का घर कलह का अखाड़ा बन चुका था. वीरेंद्र का कामधंघा भी रुका हुआ था. वीरेंद्र उन दिनों काफी मानसिक तनाव में आ चुका था. किसकिस को संभाले, यह तय नहीं कर पा रहा था.

लौकडाउन खत्म होने के बाद साल 2021 के मध्य से वीरेंद्र कामकाज में जुट गया था, लेकिन उस का कभी इलाज के सिलसिले में दिल्ली जाना होता तो कभी कोर्ट की सुनवाई के सिलसिले में बिहार जाना पड़ता था. उन सब समस्याओं से निपट कर जब घर लौटता तब प्रियंका और खुशबून तारा की जलीभुनी बातें सुनने को मिलती थीं.
आखिरकार, एक दिन उस ने प्रियंका को कह दिया कि जहां जाना चाहे जाए, तलाक की अरजी मंजूर होते ही वह उसे उस का हक दे देगा.

प्रियंका ने पूर्व प्रेमी के साथ रची साजिश फिर एक दिन प्रियंका अपने एक बच्चे को ले कर मायके चली आई. उस के कुछ दिनों बाद उस ने पुराने प्रेमी कमलेश जायसवाल उर्फ बिट्टू से मिल क र खतरनाक योजना बना डाली. वारदात में कोई चूक न होने पाए, इस के लिए फिरदौस ने प्रियंका के साथ वीरेंद्र के घर के आसपास जा कर मुआयना तब किया था, जब वीरेंद्र इलाज के सिलसिले में खुशबून तारा के साथ दिल्ली गया हुआ था.

इस हत्याकांड के बाद 3 जुलाई, 2022 को बिहार के सीवान जिले के बड़हरिया कस्बे से क्राइम ब्रांच और एसटीएफ की टीम ने भाड़े के शूटरों को गिरफ्तार कर लिया था, किंतु तीनों मुख्य आरोपी पकड़ में नहीं आ पाए थे. उन्हें बड़े ही नाटकीय ढंग से पकड़ा गया था. इस बारे में डीसीपी (ईस्ट) प्राची सिंह ने जांच टीम को कुछ अहम सुराग दिए थे.

प्राची सिंह के अनुसार घटना को अंजाम देने के बाद फरार आरोपियों ने जियामऊ होटल में रात गुजारी थी. उन्हें फिरदौस ने रात में जश्न की एक पार्टी दी थी. पुलिस को वहीं पास में ही स्थित बक्शी का तालाब के निकट झाड़ी से मोबाइल फोन मिला था. उस से मिले नंबरों को सर्विलांस में लगा कर काल डिटेल्स निकाली गई थी. उसी आधार पर हमलावर पकड़े गए थे.

11 जुलाई, 2022 को एसटीएफ की टीम ने उसी काल डिटेल्स के आधार पर शाहजहांपुर जा कर वीरेंद्र के सुरक्षा गार्ड सतीश और देवेंद्र को भी पकड़ लिया था. पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लखनऊ ले आई. उन्होंने पूछताछ में बताया कि 25 जून की घटना से वे काफी डर गए थे. इस कारण वे फरार हो गए थे कि कहीं उन का नाम भी ठेकेदार की हत्या में न आ जाए.

बहरहाल, इस मामले में हत्या का मास्टरमाइंड कमलेश जायसवाल उर्फ बिट्टू जायसवाल की 25 जुलाई को पुलिस से मुठभेड़ हो गई, जिस से कमलेश के दाहिने पैर में गोली लगी और उसे सिविल अस्पताल में भरती करवा दिया गया. इस दौरान उस का एक साथी भाग गया था, संभवत: वह फिरदौस हो.

पुलिस ने कमलेश उर्फ बिट्टू जायसवाल पर 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर रखा था. उस के पास से एक तमंचा, कारतूस व बाइक बरामद हुई. इस के खिलाफ बिहार के कई थानों में मुकदमे दर्ज हैं.

कथा लिखे जाने तक इस हत्याकांड के 2 आरोपी प्रियंका और फिरदौस फरार चल रहे थे. आरोपियों से पूछताछ के बाद उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया

2 पत्नियों ने दी पति की सुपारी : भाग 2

इसी बीच घर वालों ने बुलंदशहर में अपने गांव के पास के एक परिवार की लड़की से उस का रिश्ता तय कर दिया. लड़की का नाम था गीता. गीता की मां अपने पति को छोड़ कर अपने बच्चों के साथ दिल्ली में आ बसी थी.यहां उसे एनडीएमसी में सफाईकर्मी के रूप में काम मिल गया तो गृहस्थी की गाड़ी आराम से चलने लगी. गीता की शादी संजीव से तय हुई तो दोनों के ही परिजन खुश थे. मगर इस रिश्ते में खुशी ज्यादा दिन नहीं टिक पाई.

दरअसल, संजीव शुरू से ही इधरउधर मुंह मारने का आदी था. मतलब एक औरत से उस की हवस शांत नहीं होती थी. शादी के बाद भी उस ने पत्नी के अलावा कई औरतों से शारीरिक संबंध बना रखे थे, जिसे ले कर गीता और संजीव में आए दिन झगड़े होने लगे.इस बीच संजीव से गीता को 2 बच्चे हुए. बेटा ललित जो अब 27 साल का है और बेटी कोमल जिस की उम्र इस समय 21 साल है, घर में आए दिन मांबाप के बीच होने वाली मारपीट गालीगलौज के बीच दोनों बच्चे बड़े होने लगे.

उस की रासलीलाओं को देख कर गीता अंदर ही अंदर घुली जाती थी. पति के अत्याचार से तंग आ कर गीता कभीकभी बच्चों को ले कर अपनी मां के पास चली जाती थी.संजीव ने सरकारी नौकरी करते हुए गोविंदपुरी इलाके में 200 गज का एक प्लौट, 2 मकान, डीडीए का एक मकान, नोएडा के परी चौक जैसे एरिया में एक प्लौट और एक अन्य मकान छोटी सी अवधि में बना लिए थे. उस के पास इतना पैसा कहां से आ रहा था, यह कोई नहीं जानता.

भाइयों की जमीन करा ली थी अपने नाम यही नहीं, संजीव ने गांव में अपने बूढ़े और कम पढ़ेलिखे पिता पर दबाव डाल कर और झूठ बोल कर फरजी तरीके से भाइयों के हिस्से की जमीन भी अपने नाम लिखवा ली थी. जिस का पता चलने पर पिता ने उसे अपनी सभी संपत्तियों से बेदखल कर दिया था. जिस के बाद मातापिता से संजीव के रिश्ते पूरी तरह खत्म हो गए थे.

बस, यहां उस की पत्नी गीता थी, जो तमाम उत्पीड़न और हिंसा सहते हुए भी संजीव के भाइयों के परिवार से नातारिश्ता जोड़े हुए थी. मगर एक दिन जब संजीव अपने से आधी उम्र की लड़की नजमा को अपनी दूसरी पत्नी बना कर घर ले आया तो गीता की बरदाश्त करने की हद समाप्त हो गई. वह अपने दोनों बच्चों को ले कर हमेशा के लिए अपनी मां के घर चली गई.

उस की मां ने जोड़जुगाड़ लगा कर बेटी की नौकरी बतौर सफाई कर्मचारी एनडीएमसी में लगवा दी तो गीता के लिए जीवन के रास्ते कुछ आसान हो गए. वह अकेली ही अपने दोनों बच्चों को पालने लगी. जब चार पैसे आने लगे तो उस ने दक्षिणपुरी इलाके में एक मकान किराए पर ले लिया और बच्चों के साथ उस में शिफ्ट हो गई.इधर नजमा से संजीव की शादी की कहानी भी गजब की थी. नजमा झारखंड के गोड््डा की रहने वाली थी. नजमा के भाई काम की आस में कभीकभी दिल्ली आया करते थे और यहां वे संजीव के मकान में किराएदार के रूप में ठहरते थे. एकाध बार नजमा भी अपने भाइयों के साथ दिल्ली आई.

जब संजीव की नजर कमसिन नजमा पर पड़ी तो उस की कामुक चाहतें पंख फड़फड़ाने लगीं. योजना के अनुसार, उस ने नजमा के भाइयों से नजदीकियां बढ़ाईं. फिर उस की नजमा से भी बातचीत शुरू हो गई. संजीव ने नजमा के भाइयों से कहा कि वह उन की बहन के लिए एक अच्छा रिश्ता देखेगा और उस की शादी करवा देगा. इस तरह संजीव ने उन के दिल में अपनी जगह बना ली.

मौका मिलने पर संजीव एक दिन एक लड़के को साथ ले कर नजमा के गांव पहुंचा और उस लड़के से नजमा के निकाह की बात कह कर वह नजमा को अपने साथ दिल्ली ले आया. नजमा से कर ली दूसरी शादी

यहां आ कर उस ने नजमा को अपने घर में रख लिया और अपनी लच्छेदार मीठीमीठी बातों में फंसा कर उसे अपने साथ शादी करने के लिए राजी कर लिया और एक मंदिर में शादी कर ली. उधर संजीव की अपनी पत्नी गीता ने तूफान खड़ा कर दिया. दोनों के बीच जम कर लड़ाईझगड़ा और जूतमपैजार हुई.

बीवी की शतरंजी चाल : भाग 1

लखनऊ में थाना कैंट के प्रभारी शिवचरण लाल यादव 25 जून, 2022 को नीलमथा इलाके में एक दिव्यांग व्यक्ति वीरेंद्र ठाकुर की हत्या की सूचना पा कर चौंक गए थे. उन के चौंकने का कारण भी स्वाभाविक था, क्योंकि 42 वर्षीय वीरेंद्र और उस के परिवार की सुरक्षा में 3-3 गार्डों की तैनाती के बावजूद उस की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. हत्यारों ने गार्ड समेत परिवार के सभी सदस्यों को बंधक बना दिया था.

थानाप्रभारी यादव ने इस घटना की सूचना तुरंत एसीपी अर्चना सिंह को दी और अपने सहयोगी एसआई इरशाद आलम, अख्तर अहमद, उमेश यादव और एक महिला सिपाही पूजा सिंह को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए. कुछ समय में ही अर्चना सिंह, डीसीपी (ईस्ट) प्राची सिंह और एडिशनल डीसीपी कासिम आबिदी भी घटनास्थल पर आ गए.

जांचपड़ताल के दौरान पुलिस ने पाया कि हमलावर पुलिस जैसी वरदी पहन कर आए थे. वे हरे रंग की कैप लगाए हुए थे, जबकि चेहरे पर नकाब था.इन अधिकारियों को निरीक्षण में पता चला कि हमलावर घटना को अंजाम देने के बाद घर के अंदर लगे सीसीटीवी कैमरों की डिजिटल वीडियो रिकौर्डर (डीवीआर) को खोल कर ले गए थे.
सभी पुलिस अधिकारियों ने आपसी विचारविमर्श के बाद हत्याकांड संबंधी कुछ बिंदुओं पर गहन तहकीकात करने का निर्णय लिया. साथ ही यह अनुमान लगाया गया कि दिव्यांग ठेकेदार की हत्या निश्चित तौर पर आपसी दुश्मनी का नतीजा है.
घटना में पुलिस का शक वीरेंद्र की पहली पत्नी पर गया,

जो उस समय वहां नहीं थी. जबकि बंधक बनाए गए परिवार के सदस्यों में उन के 3 बच्चे और वीरेंद्र की दूसरी बीवी खुशबून तारा मौजूद थी. उस ने घटना के बारे में बताया कि दोपहर साढ़े 12 बजे के करीब की जब वह किचन में आई, तब किसी ने दरवाजा खटखटाया. उस वक्त घर के हाल में सोफे पर बैठे 3 में एक गार्ड ने पूछा, ‘‘कौन है?’’

‘‘पुलिस!’’ बाहर से आवाज आई, जो एक कमरे में बैठे वीरेंद्र ठाकुर ने भी सुनी. उन्होंने गार्ड से कहा, ‘‘देखो कोई पुलिस वाला है? पूछो, क्या बात है.’’‘‘जी, अभी देखता हूं.’’ कहता हुआ गार्ड दरवाजे तक जाने के लिए आगे बढ़ा और दरवाजे की कुंडी खोलने से पहले पूछा, ‘‘कहां की पुलिस हो?’’

‘‘लोकल, दरवाजा खोलो. वीरेंद्र ठाकुर से कुछ पूछताछ करनी है,’’ बाहर से
आवाज आई.गार्ड ने दरवाजा खोल दिया. दरवाजा खुलते ही हथियारों से लैस पुलिस की वरदी पहने 3 व्यक्ति घर में दनदनाते हुए घुस आए. वे चौड़ा मास्क लगाए और टोपी पहने हुए थे. चेहरा पहचानना मुश्किल था.

पुलिस वरदी में आए थे हत्यारे पुलिस वालों को आया देख खुशबून तारा तब तक किचन से बाहर बड़े हाल में आ गई थी, एक ने उन्हें दबोच कर मुंह दबा दिया. बाकी ने तुरंत असलहा निकाल कर गार्डों पर तान दिए. उन के मोबाइल छीन लिए और खुशबून तारा समेत सभी गार्डों को साथ लगे एक कमरे में बंद कर दिया.

वहां पहले से ही 2 बच्चे हर्ष व ऋषि पढ़ाई कर रहे थे. उस के बाद वे सीधे वीरेंद्र के कमरे में घुस गए. खुशबून तारा ने पुलिस को यह भी बताया कि उन के तीनों सुरक्षागार्ड भी वरदीधारी हमलावरों के सामने कुछ नहीं कर पाए.

वीरेंद्र की हत्या की खबर पा कर लल्लन ठाकुर भागेभागे घटनास्थल पर पहुंचे. इस से पहले खुशबून तारा की तहरीर पर थानाप्रभारी कैंट शिवचरन लाल यादव ने प्राथमिकी दर्ज कर ली. उस में वीरेंद्र की हत्या का आरोप उस की पहली पत्नी प्रियंका और उस के प्रेमी कमलेश उर्फ बिट्टू जायसवाल समेत बिहार के पूर्व सांसद मरहूम शहाबुद्दीन के शूटर फिरदौस पर लगाया. उन के खिलाफ भादंवि की धारा 342, 452, 302 के अंतर्गत 25 जून, 2022 को मुकदमा दर्ज किया गया.

गोलीकांड के बाद वीरेंद्र के घर में लगे 4 सीसीटीवी कैमरों की डीवीआर गायब होने के कारण हमलावरों के चेहरे की पहचान नहीं हो पाई. पुलिस को सिर्फ हमले से पहले वीरेंद्र के घर के बाहर गली में 12 बजे के करीब एक कार खड़ी दिखी. कार में सवार 4 लोग गली में जाते हुए दिखे, जो कुछ देर बाद वापस लौट आए थे. उस के कुछ समय बाद ही वारदात को अंजाम दिए जाने का अनुमान लगाया गया.

ASI के फरेेबी प्यार में बुरे फंसे थाना प्रभारी

इश्क की बिसात पर खतरनाक साजिश : भाग 2

रहस्यमय लगी फौजी प्रवीण की मौत

मनीषा ने जब खाना पका लिया तो पति और बच्चों के साथ फर्श पर बैठ कर एक साथ सभी ने खाना खाया. खाना खिलानेपिलाने के बाद अपनी आदत के अनुसार मनीषा रसोई में जा कर बरतन धोते हुए पति को सोने के लिए दोनों बच्चों के साथ कमरे में भेज दिया और थोड़ी देर बाद खुद रसोई का काम निपटा कर वह भी सोने के लिए कमरे में चली गई. यह 3 फरवरी, 2022 की बात है.
मनीष अगली सुबह जल्दी उठ गई थी. उठते ही दहाड़ें मार कर रो रही थी. बहू मनीषा के रोने की आवाज सुन कर सब से बड़े जेठ ओमप्रकाश अपने कमरे से नीचे उतर कर आए और प्रवीण के कमरे के पास पहुंचे तो देखा कि मनीषा पति के सिरहाने फर्श पर बैठी दहाड़ें मारमार कर रो रही है.
मां को रोता देख उस के दोनों बच्चे भी रो रहे थे. ओमप्रकाश ने मनीषा से रोने का कारण पूछा तो उस ने बताया कि रात में इन्हें (पति) को हार्ट अटैक आया और यह अब इस दुनिया में नहीं रहे.
मनीषा के मुंह से यह सुन कर उसे ऐसा लगा जैसे उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई हो. उस ने बैड पर सोए भाई को हिलाडुला कर देखा. वाकई उस के शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही थी.
फिर क्या था? ओमप्रकाश ने अपने और भाइयों को आवाज लगाई और नीचे प्रवीण के कमरे में बुलाया. फिर उसे लादफांद कर जिला अस्पताल चरखी दादरी ले गए, जहां डाक्टरों से उसे मृत घोषित कर दिया.

प्रवीण कुमार भारतीय सेना के 22 सिंगनल रेजीमेंट, मेरठ में हवलदार पद पर तैनात था. उस की मौत की खबर मिलते ही घर में कोहराम मच गया. पत्नी और बच्चों का रोरो कर हाल बुरा हुए जा रहा था.
यह खबर जब मेरठ, रेजीमेंट तक पहुंची तो उस के साथी शौक्ड रह गए. उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि उन का जिंदादिल एक साथी उन्हें हमेशाहमेशा के लिए छोड़ कर इस दुनिया से चला गया.
बहरहाल, 4 फरवरी, 2022 के बाढड़ा थाने के प्रभारी रामअवतार सिंह ने मृतक प्रवीण के बड़े भाई ओमप्रकाश के बयान के आधार पर इत्तफाकिया मौत की काररवाई करते हुए डाक्टरों के बोर्ड द्वारा शव का पोस्टमार्टम करवाया था, लेकिन उस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आनी थी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से चौंक उठे थानाप्रभारी

उधर रेजीमेंट वालों ने राजकीय सम्मान के साथ प्रवीण को अंतिम विदाई दी. 10 वर्षीय बेटे ने पिता को मुखाग्नि दी तो वहां का माहौल बेहद गमगीन हो गया और सब की आंखें नम हो गईं.
खैर, नियति को भला कौन टाल सकता है. जो होना है वह हो कर ही रहेगा. उसे कोई रोक नहीं सकता. छोटे भाई की मौत का गहरा सदमा सब से ज्यादा बड़े भाई ओमप्रकाश को लगा था. पता नहीं क्यों उन्हें भाई की मौत संदिग्ध लग रही थी.
उन्हें यह बात भी खटक रही थी कि जब उस रात भाई को हार्ट अटैक आया तो बहू ने घर वालों को जगा कर क्यों नहीं बताया. कुछ तो गड़बड़ है, जो उन की आंखों के सामने होते हुए भी उन्हें दिखाई नहीं दे रहा है. वो बात क्या हो सकती है.
इन्हीं उलझे हुए सवालों के बीच ओमप्रकाश गुत्थी को सुलझाने में जुटे हुए थे, लेकिन गुत्थी का कोई भी सिरा अभी तक उन के हाथ नहीं लगा था और भाई की चिता को ठंडा हुए करीब हफ्ता भर बीत गया.

12 फरवरी को प्रवीण की मौत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो उसे पढ़ कर थानाप्रभारी रामअवतार ऐसे उछले जैसे सैकड़ों बिच्छुओं ने उन्हें एक साथ डंक मारे हों.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में प्रवीण की मौत दम घुटने से हुई बताया गया था. जबकि उस की पत्नी मनीषा हार्टअटैक से पति की मौत होना बता रही थी. दोनों बातों में काफी विरोधा
भास था.

यही नहीं, जब थानाप्रभारी रामअवतार सिंह ने ओमप्रकाश को थाने बुलवा कर उन्हें पोस्टमार्टम रिपोर्ट की सच्चाई बताई तो वह भी चौंक उठे. प्रवीण की मौत ने नई कहानी को जन्म दे दिया था.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़ने के बाद ओमप्रकाश का शक यकीन में बदल गया. उन्हें बहू मनीषा पर शक हो गया कि भाई की मौत के पीछे जरूर उस का हाथ होगा.
लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट की सच्चाई ओमप्रकाश ने किसी के सामने जाहिर नहीं होने दी थी और न ही इंसपेक्टर रामअवतार ने. जबकि वह केस की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को देते रहते थे. उन्हीं से गाइडेंस भी लेते रहे. उन्होंने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.

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