प्यार की परिभाषा : भाग 1

एमबीबीएस की पढ़ाई का पहला साल. प्रवेश प्रक्रिया पूरी होते ही हौस्टल में रहने आए सभी छात्र अपनी नई जीवनशैली के अनुकूल ढलने की कोशिश कर रहे थे. सभी के मन में नए साथियों से मिलने का आनंद था, साथ ही घर से दूर आ कर घर की याद भी सता रही थी.

सभी स्टूडेंट घर और हौस्टल में संतुलन साधने का प्रयास कर रहे थे. इसी समिश्रित लगाव को मन में छिपाए हौस्टल से कालेज जा रहे गेट के पास तेजी से चली आ रही एक लड़की हर्ष से टकरा गई.

उस लड़की ने झिझकते हुए कहा, ‘‘सौरी, मैं जरा जल्दी में थी. मेरा एडमिशन आज ही हुआ है. क्या आप बता देंगे कि एमबीबीएस फर्स्ट ईयर का लेक्चर हाल कहां है?’’

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‘‘इट्स ओके. सेकेंड फ्लोर लेक्चर हाल नंबर 705.’’ हर्ष ने जवाब दिया.

‘‘थैंक्स.’’ कह कर लड़की पलभर में गायब हो गई. जैसेजैसे प्रवेश प्रक्रिया का काम पूरा हो रहा था, वैसेवैसे कालेज में नए चेहरे आते जा रहे थे. उस लड़की के कोमल मुलायम कंधे का स्पर्श और मधुर स्वर में हुआ संवाद हर्ष के हृदय को गति दे रहा था.

लेक्चर हाल में दाखिल होते ही हर्ष की निगाहें स्टूडेंट्स के बीच उसी चेहरे को खोज रही थीं. आखिर पहली ही लाइन में वह चेहरा दिखाई दे गया. उस पर नजर पड़ते ही उस के हृदय की गति तेज हो गई. उस दिन के बाद हर्ष रोजाना उस चेहरे को निहारता रहता और मन ही मन तेज गति से धड़कते दिल की धड़कन को काबू करने की कोशिश करता रहता. इस के पहले उस ने किसी के लिए इतना लगाव महसूस नहीं किया था.

हर्ष किसी भी तरह उस लड़की से बात करना चाहता था. उस की इस चाहत को पूरा करने में मदद की रितु ने. रितु और हर्ष एक शहर के रहने वाले तो थे ही, एक ही कालेज में साथ पढ़े थे. हर्ष ने रितु को पूरी बात बताई तो उस ने खुश हो कर कहा, ‘‘अनुशा मेरी बेस्ट फ्रैंड है. मैं उस से तुम्हारी बात तो करा दूंगी, पर…’’

‘‘पर क्या?’’ हर्ष ने पूछा.

‘‘इस के बदले में मुझे क्या मिलेगा?’’

‘‘इस के लिए तुम जो कहो, मैं करने को तैयार हूं.’’ हर्ष ने उत्तेजित हो कर कहा.

‘‘तुम्हें मेरी एनाटौमी का जर्नल लिखना होगा. इस के अलावा कैंटीन में रोज एक आइसक्रीम खिलानी पड़ेगी.’’

‘‘ओके डन.’’ हर्ष के हिसाब से सौदा बहुत सस्ते में पट गया था.

और रितु ने कैंटीन में हर्ष की मुलाकात अनुशा से करा दी, ‘‘इट इज नाइस टू मीट यू अगेन.’’ कहते हुए हर्ष की आंखों में अपार खुशी छलक रही थी.

‘‘हम दोनों अपने कालेज के पहले दिन मिले थे.’’ अनुशा ने जवाब दिया.

पता चला अनुशा भी उसी शहर की रहने वाली थी, जिस शहर के वे दोनों थे. थोड़ी बातचीत उस के बाद आइसक्रीम पार्टी कर के तीनों हौस्टल के लिए निकल गए.

हर्ष अपने हौस्टल के कमरे की ओर जा तो रहा था, लेकिन उस के मन में अनुशा ही बसी थी. बस, इसी तरह मुलाकातें बढ़ती गईं. कभी कैंटीन में हर्ष और अनुशा के साथ रितु भी होती तो कभी सिर्फ हर्ष और अनुशा ही होते.

हर्ष का मन अनुशा के साथ उत्कट प्रणय संबंध में बंध गया था, पर यह प्रणय एकतरफा था. सौदे के अनुसार हर्ष रितु का काम तो करता ही, अनुशा के भी उसे कई काम करने होते थे. कैंटीन में अनुशा और रितु के लिए नाश्ता और कौफी वही लाता था. पर वह चाह कर भी वह दिल की बात अनुशा से नहीं कह सका.

इसी तरह 3 साल बीत गए. चौथे साल के पहले सेमेस्टर की भी परीक्षा हो गई थी. सभी स्टूडेंट्स फाइनल एग्जाम की तैयारी में लगे थे. फाइनल एग्जाम अप्रैल-मई में होने थे. इसी बीच फरवरी का महीना आ गया.

प्रेम करने वालों के लिए इस महीने की 14 तारीख महत्त्वपूर्ण होती है. जिन के वैलेंटाइन होते हैं, वे अपनेअपने वैलेंटाइन को गुलाब का फूल और उपहार देते हैं. यानी एक तरह से प्रेम का इजहार करते हैं.

हर्ष ने अनुशा से अपने प्यार का इजहार करने के लिए इसी दिन को चुना, क्योंकि यह उस के लिए अंतिम चांस था. अगर इस बार वह चूक जाता तो फिर जल्दी मौका नहीं मिलता. क्योंकि एग्जाम के दौरान ऐसी बात नहीं की जा सकती थी. एग्जाम खत्म होते ही सब को अपनेअपने घर चले जाना था. हर्ष को पूरी उम्मीद थी कि अनुशा उस के प्यार को अस्वीकार नहीं करेगी.

आखिर 14 फरवरी यानी वैलेंटाइंस डे को कैंटीन में हर्ष ने अनुशा को गुलाब का फूल दे कर सहज रूप से हैप्पी वैलेंटाइंस डे कहा और अपने दिल की बात उस के सामने रखी, ‘‘अनुशा, मैं ने एक सपना देखा है कि शहर की पौश कालोनी में नदी के किनारे एक फ्लैट है. उस फ्लैट की गैलरी में तुम खड़ी हो और मैं शाम को तुम्हारे लिए कौफी बना कर लाता हूं. क्या तुम मुझे ऐसा मौका दोगी कि मैं तुम्हारे लिए रोज कौफी बनाऊं?’’

‘‘मतलब?’’ अनुशा की भौंहें तन गईं.

‘‘आई लव यू अनुशा. कालेज के पहले दिन ही तुम्हें देख कर मेरा दिल धड़कने लगा था. और अब यह हमेशाहमेशा के लिए सिर्फ तुम्हारी खातिर धड़कना चाहता है. तुम्हारे लिए इस में अनहद प्रेम है और सदा इसी तरह अनहद रहेगा.’’ कहते हुए हर्ष ने प्रेमभरी नजरों से अनुशा को देखा और उस के प्रत्युत्तर की राह तकने लगा.

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‘‘हर्ष, मैं जो कहने जा रही हूं, तुम उस का बुरा मत मानना. मैं ने कभी भी तुम्हें एक फ्रैंड से ज्यादा नहीं माना. जीवनसाथी को ले कर मेरे मन में बड़ी अपेक्षाएं हैं, जिस में तुम्हारा साधारण और सामान्य रूप फिट नहीं बैठता. मुझे अपनी सुंदरता पर अभिमान तो नहीं है पर चाहती हूं कि मेरा जोड़ीदार ऐसा हो, जिस के साथ मैं खड़ी होऊं तो लोग कहें कितनी सुंदर जोड़ी है.’’ अनुशा ने अपनी बात स्पष्ट कर दी.

अनुशा के इन शब्दों ने हर्ष के दिल की गति मंद कर दी थी. अनुशा संभवत: उस के प्रणय की परिभाषा नहीं समझ सकी थी. हर्ष को आघात तो लगा, पर वह दुखी होने का समय नहीं था. जिस के लिए वह अपना घरपरिवार छोड़ कर वहां आया था, वह काम जरूरी था. उसी दिन से हर्ष अपनी पढ़ाई में लग गया और उस ने पूरे मन से परीक्षा दी.

परीक्षा दे कर अनुशा अपने मामा के यहां चली गई, क्योंकि उन का अपना नर्सिंगहोम था. रितु और हर्ष अपने शहर लौट गए. क्योंकि उन के घर वालों की उन्हीं के शहर में जमीजमाई प्रैक्टिस थी.

सभी अपने-अपने काम में व्यस्त हो गए. एक दिन अचानक रितु ने अनुशा को फोन किया, ‘‘हैलो अनुशा, कैसी हो?’’

‘‘हाय वैनवी, बहुत मजे में तो नहीं हूं, फिर भी चल रहा है. बस, वही रूटीन क्लिनिक वर्क. तुम बताओ, आज सवेरेसवेरे कैसे याद कर लिया. कोई गुड न्यूज है क्या? क्योंकि तुम्हारी बातों में ही खुशी झलक रही है.’’

‘‘बहुत होशियार हो गई हो दिल्ली जा कर. तुम्हें तो बातों से सब पता चल जाता है. सुनो, 16 फरवरी को मेरी शादी है. तुम्हें आज ही यहां आना है. अभी मेरी सारी की सारी शौपिंग बाकी है. तुम्हारे आने के बाद ही शौपिंग शुरू करूंगी.’’

‘‘वाव दैट्स ग्रेट न्यूज. कौन है भाई वह भाग्यशाली, जो मेरी रितु को ले जा रहा है?’’ अनुशा के मन में भी खुशी भर गई थी.

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‘‘तुम आ जाओ बस, सब बताऊंगी. तुम्हें लेने मैं एयरपोर्ट पर आऊंगी.’’ वर्षों बाद अनुशा से मिल कर सब कुछ बताने की उत्कंठा और खुशी रितु के चेहरे पर स्पष्ट झलक रही थी.

जानें आगे की कहानी अगले भाग में…

प्यार की परिभाषा

शादी से पहले दूल्हे का खेल

शादी से पहले दूल्हे का खेल : भाग 3

उत्तर प्रदेश के कानपुर महानगर के नजीराबाद थाना अंतर्गत एक मोहल्ला है जवाहर नगर. इसी मोहल्ले में स्थित गुरुद्वारे में गुरुवचन सिंह अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी गुरप्रीत कौर के अलावा 2 बेटे सुरेंद्र सिंह, महेंद्र सिंह तथा 2 बेटियां जगप्रीत व हरप्रीत कौर थीं.

गुरुवचन सिंह गुरुद्वारा में ग्रंथी व सेवादार थे. उन की अर्थिक स्थिति भले ही कमजोर थी पर मानसम्मान बहुत था.

भाईबहनों में हरप्रीत कौर सब से छोटी थी. हरप्रीत जितनी सुंदर थी, पढ़ने में वह उतनी ही तेज थी. उस ने ग्रैजुएशन तक पढ़ाई की थी. शारीरिक सौंदर्य बनाए रखने हेतु वह गतिका सीखती थी. गुरुद्वारे में वह सेवादार भी थी. जत्थे की महिलाओं का उस पर स्नेह था.

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हरप्रीत कौर का एक भाई सुरेंद्र सिंह दिल्ली के चांदनी चौक में अपने परिवार के साथ रहता था. हरप्रीत का अपने भैयाभाभी के घर आनाजाना बना रहता था. भाई के घर रहने के दौरान कभीकभी वह मत्था टेकने बंगला साहिब गुरुद्वारा भी चली जाती थी.

हरप्रीत कौर धार्मिक प्रवृत्ति की थी. धर्मकर्म में उस की विशेष रुचि थी. गुरुनानक जयंती व गुरु गोविंद सिंह के जन्म पर्व पर वह बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती थी.

एक बार हरप्रीत अपने मातापिता के साथ बंगला साहिब गुरुद्वारा अपने भाई महिंद्र सिंह के लिए लड़की देखने गई. यहीं उस की मुलाकात एक खूबसूरत सिख युवक युवराज सिंह से हुई. पहली ही नजर में दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हो गए थे. इस के बाद दोनों की अकसर मुलाकातें होने लगीं. बाद में मुलाकातें प्यार में तब्दील हो गईं. दोनों एकदूसरे को टूट कर चाहने लगे. प्यार परवान चढ़ा तो दोनों एकदूजे का होने के लिए उतावले हो उठे.

युवराज सिंह मूलरूप से पंजाब प्रांत के अमृतसर जिले के गांव जुगावा का रहने वाला था. वह शादीशुदा तथा एक बच्चे का पिता था. उस का परिवार तो गांव में रहता था, जबकि वह स्वयं दिल्ली स्थित बंगला साहिब गुरुद्वारे में रहता था. उस के मांबाप भी गुरुद्वारे में सेवादार थे. वह महीनोंमहीनों गुरुद्वारे में रहते थे.

युवराज सिंह छलिया आशिक था. उस का असली नाम जुगराज सिंह था. उस ने जानबूझ कर हरप्रीत कौर से अपनी पहचान, नाम व शादी वाली बात छिपा रखी थी. युवराज सिंह के प्यार में हरप्रीत ऐसी अंधी हो गई थी कि वह उस से ब्याह रचाने के सपने संजोने लगी.

युवराज सिंह भी हरप्रीत से प्यार का ऐसा दिखावा करता था कि उस से बढ़ कर कोई आशिक हो ही नहीं सकता. उस ने हरप्रीत को कभी आभास ही नहीं होने दिया कि वह शादीशुदा और एक बच्चे का बाप है.

हरप्रीत जब तक भाई के घर रहती, युवराज के साथ प्यार की पींगें बढ़ाती, जब वापस कानपुर आती तब मोबाइल फोन द्वारा दोनों घंटों तक बतियाते. हरप्रीत ने अपने मातापिता को भी अपने और युवराज के प्यार के संबंध में जानकारी दे दी थी. भाई सुरेंद्र सिंह को भी दोनों का प्यार पनपने की जानकारी थी.

एक रोज जब सुरेंद्र सिंह का दिल्ली में एक्सीडेंट हो गया, तब हरप्रीत अपने मांबाप के साथ भाई को देखने दिल्ली आ गई. हरप्रीत के दिल्ली आने की जानकारी पा कर युवराज भी सुरेंद्र सिंह को देखने आया. यहां भाई के घर पर हरप्रीत ने युवराज सिंह की मुलाकात अपने मांबाप से कराई.

चूंकि युवराज सिंह देखने में स्मार्ट था, सो गुरुवचन सिंह ने उसे बेटी के लिए पसंद कर लिया. उन्होंने उसी समय युवराज सिंह को शगुन भी दे दिया.

किंतु इन्हीं दिनों युवराज सिंह के छलावे की बात खुल गई. हरप्रीत को पता चला कि युवराज सिंह शादीशुदा और एक बच्चे का बाप है. इस छलावे को ले कर हरप्रीत और युवराज सिंह के बीच जम कर झगड़ा हुआ. उस ने शिकवाशिकायत की, लेकिन युवराज  सिंह ने उस से माफी मांग ली.

हरप्रीत कौर, युवराज सिंह के प्यार में अंधी हो चुकी थी. वह प्यार की सब से ऊंची सीढ़ी पर पहुंच चुकी थी, जहां से नीचे उतरना उस के लिए संभव नहीं था. अत: शादीशुदा वाली बात जानने के बावजूद भी वह उस से शादी करने को अडिग रही. यद्यपि उस ने युवराज के शादीशुदा होने वाली बात अपने मातापिता से छिपा ली.

हरप्रीत को शक था कि भेद खुल जाने से कहीं युवराज सिंह सगाई से मुकर न जाए. अत: वह युवराज सिंह पर जल्द सगाई करने का दबाव डालने लगी. उस ने अपने मांबाप पर भी सगाई की तारीख तय करने का दबाव बनाया.

दबाव के चलते युवराज सिंह सगाई करने को राजी हो गया. हरप्रीत के मांबाप ने सगाई की तारीख 13 दिसंबर, 2019 नियत कर दी. इस के बाद वह बेटी की सगाई की तैयारी में जुट गए. तय हुआ कि जवाहर नगर, कानपुर गुरुद्वारे में दोनों की सगाई होगी.

युवराज सिंह हरप्रीत कौर से प्यार तो करता था, लेकिन सगाई नहीं करना चाहता था. क्योंकि सगाई से उस की खुशहाल जिंदगी तबाह हो सकती थी.

उस ने हरप्रीत से 1-2 बार सगाई का विरोध भी किया था, लेकिन हरप्रीत ने उसे यह धमकी दे कर उस का मुंह बंद कर दिया कि वह सारी बात बंगला साहिब गुरुद्वारा तथा उस के परिवार में सार्वजनिक कर देगी. तब उस की नौकरी भी चली जाएगी और परिवार में कलह भी होगी. हरप्रीत की इसी धमकी के चलते वह उस से सगाई को राजी हो गया था.

युवराज ने हामी तो भर दी लेकिन वह किसी भी कीमत पर हरप्रीत से सगाई नहीं करना चाहता था, अत: जैसेजैसे सगाई की तारीख नजदीक आती जा रही थी, वैसेवैसे युवराज की चिंता बढ़ती जा रही थी. आखिर उस ने इस समस्या से निजात पाने के लिए अपनी प्रेमिका हरप्रीत कौर को शातिराना दिमाग से ठिकाने लगाने की योजना बनाई.

इस योजना में उस ने अपने गांव के दोस्त सुखचैन सिंह तथा दिल्ली के दोस्त सुखविंदर सिंह को एकएक लाख रुपए का लालच दे कर शामिल कर लिया. सुखविंदर सिंह मूलरूप से तरसिक्का (अमृतसर) का रहने वाला था. दिल्ली में वह पांडव नगर के पास गणेश नगर में रहता था. उस के पास वैगनआर कार थी, जिसे वह दिल्ली में टैक्सी के रूप में चलाता था.

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हत्या की योजना बनाने के बाद युवराज सिंह हरप्रीत कौर व उस के मातापिता से मनलुभावन बातें करने लगा, ताकि उन्हें किसी प्रकार का शक न हो. बातचीत के दौरान युवराज सिंह को पता चला कि हरप्रीत 9 दिसंबर को भाई से मिलने तथा खरीदारी करने घर से दिल्ली को रवाना होगी.

अत: युवराज सिंह ने 9 दिसंबर की रात ही उसे ठिकाने लगाने का निश्चय किया. उस ने इस की जानकारी अपने दोस्तों को भी दे दी.

9 दिसंबर, 2019 की सुबह 11 बजे युवराज सिंह व सुखचैन सिंह, सुखविंदर सिंह की कार से दिल्ली से कानपुर को रवाना हुआ. युवराज सिंह ने अपना एक मोबाइल घर पर ही छोड़ दिया ताकि उस की लोकेशन ट्रेस न हो सके. रास्ते में सुखचैन सिंह के मोबाइल से हरप्रीत व उस की मां से बतियाता रहा. हालांकि उस ने यह जानकारी नहीं दी कि वह कानपुर आ रहा है. रात 8 बज कर 31 मिनट पर उस की कार ने बारा टोल प्लाजा पार किया, फिर साढ़े 9 बजे वह रेलवे स्टेशन से कैंट साइड में पहुंच गया.

इधर हरप्रीत कौर भी दिल्ली जाने को कानपुर सेंट्रल स्टेशन पहुंच गई थी. यह बात युवराज सिंह को पता थी. उस ने फोन कर के हरप्रीत को स्टेशन के बाहर कैंट साइड में बुलवा लिया. हरप्रीत उसे देख कर चौंकी तो उस ने कहा कि वह उसे ही लेने आया है. इस के बाद हरप्रीत ने मां को झूठी जानकारी दी कि उस का टिकट कंफर्म हो गया है.

रात 10 बजे युवराज सिंह ने हरप्रीत को कार में बिठा लिया. फिर चारों गोविंदनगर आए. यहां सभी ने अनिल मीट वाले के यहां खाना खाया और कोल्डड्रिंक पी. युवराज सिंह ने चुपके से हरप्रीत की कोल्डडिं्रक में नशीली दवा मिला दी थी. हरप्रीत ने कोल्डड्रिंक पी तो वह कार में बेहोश हो गई.

कार इटावा हाइवे की तरफ बढ़ी और उस ने रात 12:36 बजे बारा टोल प्लाजा पार किया.  चलती कार में युवराज सिंह व सुखचैन सिंह ने शराब पी. युवराज सिंह ने दोस्तों को हरप्रीत के साथ दुष्कर्म करने को कहा लेकिन सुखचैन सिंह व सुखविंदर सिंह ने इस औफर को ठुकरा दिया.

लगभग 45 मिनट बाद कार फिर कानपुर की तरफ वापस हुई और उस ने रात 1 बज कर 19 मिनट पर टोल प्लाजा को पार किया. फिर कार कानपुर हाइवे पार कर महराजपुर थाना क्षेत्र के तिवारीपुर गांव के समीप पहुंची. यहां युवराज सिंह ने सुनसान जगह पर हाइवे किनारे कार रुकवा ली.

इस के बाद बेहोशी की हालत में कार में बैठी हरप्रीत को युवराज सिंह ने दबोच लिया. सुखचैन सिंह तथा सुखविंदर सिंह ने हरप्रीत के पैर पकड़े तथा युवराज सिंह ने उस का गला घोंट दिया. हत्या करने के बाद तीनों ने मिल शव को हाइवे किनारे झाडि़यों में फेंक दिया.

इस के बाद ये लोग कार से दिल्ली की ओर चल पड़े. उन की कार ने रात 3:36 बजे बारा टोल प्लाजा को पार किया. दिल्ली पहुंच कर युवराज सिंह हरप्रीत के भाई सुरेंद्र सिंह के साथ हरप्रीत की तलाश का नाटक करता रहा. 12 दिसंबर को वह पकड़े जाने के डर से फरार हो गया. उस ने अपना मोबाइल फोन भी बंद कर लिया था.

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सुखविंदर सिंह को गिरफ्तार कर पुलिस ने उसे 17 दिसंबर, 2019 को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट बी.के. पांडेय की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार भेज दिया. द्य

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

शादी से पहले दूल्हे का खेल : भाग 1

दरअसल, 13 दिसंबर को कानपुर में हरप्रीत कौर की रिंग सेरेमनी थी. उस का मंगेतर युवराज सिंह दिल्ली के बंगला साहिब गुरुद्वारे में रहता था. हरप्रीत कौर की भाभी व भाई सुरेंद्र सिंह भी दिल्ली में ही रहते थे. हरप्रीत भाई से मिलने तथा अपनी सगाई का सामान खरीदने के लिए 9 दिसंबर, 2019 की रात घर से निकली थी.

बेटी सफर में अकेली हो तो मांबाप की चिंता स्वाभाविक है. गुरुवचन सिंह को भी बेटी की चिंता थी. अत: हालचाल जानने के लिए उन्होंने रात 12 बजे बेटी को काल लगाई, पर उस का फोन स्विच्ड औफ था. उन्होंने सोचा कि वह सो गई होगी. लेकिन मन में शक का बीज पड़ गया था, जिस ने सवेरा होतेहोते वृक्ष का रूप ले लिया. सुबह 7 बजे उन्होंने फिर से हरप्रीत को काल लगाई, पर फोन अब भी बंद था.

इस से गुरुवचन सिंह की चिंता और बढ़ गई. उन्होंने दिल्ली में रहने वाले बेटे सुरेंद्र सिंह को फोन पर सारी बात बताई. सुरेंद्र सिंह ने उन्हें बताया कि हरप्रीत कौर अभी तक यहां नहीं पहुंची है. इस के बाद सुरेंद्र सिंह बहन की खोज में निकल पड़ा.

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सुरेंद्र सिंह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचा क्योंकि श्रमशक्ति एक्सप्रैस नई दिल्ली तक ही आती है. वहां उस ने स्टेशन का हर प्लेटफार्म छान मारा लेकिन उसे हरप्रीत कौर नहीं दिखी. उस ने वेटिंग रूम में भी चेक किया, पर हरप्रीत कौर वहां भी नहीं थी.

सुरेंद्र सिंह ने सोचा कि हो न हो, हरप्रीत अपने मंगेतर युवराज सिंह के पास चली गई हो? मन में यह विचार आते ही सुरेंद्र सिंह ने हरप्रीत के मंगेतर युवराज से फोन पर बात की, ‘‘युवराज, हरप्रीत तेरे पास तो नहीं आई?’’

‘‘नहीं तो,’’ युवराज ने जवाब दिया. फिर उस ने पूछा, ‘‘सुरेंद्र बात क्या है, हरप्रीत को ले कर तू इतना परेशान क्यों है?’’

‘‘क्या बताऊं… हरप्रीत कल रात कानपुर से दिल्ली आने को निकली थी, पर वह अभी तक यहां नहीं पहुंची. स्टेशन पर आ कर मैं ने चप्पाचप्पा छान मारा पर वह कहीं नहीं दिख रही. मैं बहुत परेशान हूं. समझ में नहीं आ रहा कि हरप्रीत गई तो कहां गई?’’

‘‘तुम परेशान न हो. मैं तुम्हारे पास आ रहा हूं.’’ युवराज बोला और कुछ देर बाद वह नई दिल्ली स्टेशन पहुंच गया. वह भी सुरेंद्र सिंह के साथ हरप्रीत की खोज करने लगा. दोनों ने नई दिल्ली स्टेशन का कोनाकोना छान मारा, लेकिन हरप्रीत का कुछ पता न चला. दिल्ली में सुरेंद्र व युवराज के कुछ परिचित थे. हरप्रीत भी उन्हें जानती थी. उन परिचितों के यहां भी सुरेंद्र सिंह ने बहन की खोज की, पर उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.

सुरेंद्र सिंह के पिता गुरुवचन सिंह मोबाइल पर उस के संपर्क में थे. सुरेंद्र पिता को पलपल की जानकारी दे रहा था. जब सुबह से शाम हो गई और हरप्रीत का कुछ भी पता नहीं चला तो गुरुवचन सिंह चिंतित हो उठे. तब वह कानपुर रेलवे स्टेशन पर स्थित जीआरपी (राजकीय रेलवे पुलिस) थाना पहुंच गए. उन्होंने थानाप्रभारी को बेटी के लापता होने की बात बताते हुए बेटी की गुमशुदगी दर्ज करने की मांग की.

लेकिन थानाप्रभारी ने गुरुवचन सिंह की बात को तवज्जो नहीं दी. उन्होंने यह कह कर उन्हें वापस भेज दिया कि बेटी जवान है हो सकता है किसी के साथ सैरसपाटा के लिए निकल गई हो, 1-2 रोज इंतजार कर लो. उस के बाद न लौटे तो हम गुमशुदगी दर्ज कर लेंगे.

गुरुवचन सिंह बुझे मन से वापस घर आ गए. गुरुवचन सिंह और उन की पत्नी गुरप्रीत कौर ने वह रात आंखों ही आंखों में काटी. दोनों के मन में तरहतरह की आशंकाएं उमड़नेघुमड़ने लगी थीं.

अब तक गुरुवचन सिंह की युवा बेटी के गायब होने की खबर कई गुरुदारों तथा सिख समुदाय में फैल गई थी. लोगों की भीड़ उन के घर पर जुटने लगी थी. गुरुद्वारे के जत्थे की महिलाएं भी आ गई थीं. सभी तरहतरह के कयास लगा रही थीं. गुरुवचन सिंह ने अपने खास लोगों से बंद कमरे में विचारविमर्श किया और जीआरपी थाने जा कर हरप्रीत की गुमशुदगी दर्ज कराने का निश्चय किया.

11 दिसंबर, 2019 की दोपहर गुरुवचन सिंह अपने परिचितों के साथ एक बार फिर कानपुर जीआरपी थाने पहुंचे. इस बार दबाव में बिना नानुकुर के थाना पुलिस ने हरप्रीत कौर की गुमशुदगी दर्ज कर ली. गुरुवचन सिंह एवं उन के परिचितों ने पुलिस से सीसीटीवी की फुटेज दिखाने का अनुरोध किया.

इस पर पुलिस ने व्यस्तता का हवाला दे कर फुटेज दिखाने को इनकार कर दिया लेकिन जब दवाब बनाया गया तो फुटेज दिखाई. फुटेज में हरप्रीत कौर स्टेशन की कैंट साइड से बाहर निकलते दिखाई दी. उस के बाद पता नहीं चला कि वह कहां गई.

गुरुवचन सिंह जवाहर नगर में रहते थे. यह मोहल्ला थाना नजीराबाद के अंतर्गत आता है. शाम 5 बजे वह परिचितों के साथ थाना नजीराबाद जा पहुंचे. उस समय थानाप्रभारी मनोज रघुवंशी थाने पर ही मौजूद थे.

गुरुवचन सिंह ने उन्हें अपनी व्यथा बताई और बेटी की गुमशुदगी दर्ज करने की गुहार लगाई. थानाप्रभारी ने तत्काल गुरुवचन सिंह की बेटी हरप्रीत कौर की गुमशुदगी दर्ज कर ली. उन्होंने बेटी को तलाशने में हर संभव कोशिश करने का आश्वासन दिया.

इधर 12 दिसंबर की अपराह्न 3 बजे कानपुर के ही थाना महाराजपुर की पुलिस को हाइवे के किनारे झाडि़यों में एक युवती की लाश पड़ी होने की सूचना मिली. सूचना पाते ही थानाप्रभारी ए.के. सिंह कुछ पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

लाश तिवारीपुर स्थित राधाकृष्ण मुन्नीदेवी महाविद्यालय के समीप हाइवे किनारे झाडि़यों में पड़ी थी. उन्होंने घटनास्थल और लाश का निरीक्षण किया.

मृतका की उम्र 22 साल के आसपास थी. उसे देखने से लग रहा था कि उस की हत्या 2-3 दिन पहले कहीं और कर के लाश वहां डाली गई थी. मृतका के शरीर पर कोई जख्म वगैरह नहीं था जिस से प्रतीत हो रहा था कि उस की हत्या गला दबा कर की गई होगी. उस के पास ऐसी कोई चीज नहीं मिली जिस से उस की शिनाख्त हो सके.

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थानाप्रभारी ने हुलिए सहित एक युवती की लाश पाए जाने की सूचना वायरलेस द्वारा कानपुर नगर तथा देहात के थानों को प्रसारित कराई ताकि मृतका की पहचान हो सके. इस सूचना को जब नजीराबाद थानाप्रभारी मनोज रघुवंशी ने सुना तो उन का माथा ठनका. क्योंकि उन के यहां भी एक दिन पहले 22 वर्षीय युवती हरप्रीत कौर की गुमशुदगी दर्ज हुई थी.

उन्होंने आननफानन में हरप्रीत कौर के पिता गुरुवचन सिंह को थाने बुलवा लिया. फिर उन्हें साथ ले कर वह महाराजपुर में मौके पर पहुंच गए. गुरवचन सिंह उस लाश को देखते ही फफक पड़े, ‘‘सर, यह शव हमारी बेटी हरप्रीत का ही है. इसे किस ने और क्यों मार डाला?’’

हरप्रीत की लाश पाए जाने की सूचना जब अन्य घरवालों को मिली तो घर में कोहराम मच गया. मां, बहन, भाई व परिजन घटनास्थल पर पहुच गए. हरप्रीत का शव देख कर सभी बिलख पड़े. थानाप्रभारी ने हरप्रीत कौर की हत्या की सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी.

कुछ ही देर बाद एसएसपी अनंतदेव तिवारी, एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता तथा सीओ (नजीराबाद) गीतांजलि सिंह भी मौके पर पहुंच गईं. मौके से साक्ष्य जुटाए गए. खोजी कुत्ता शव को सूंघ कर राधाकृष्ण मुन्नीदेवी महाविद्यालय की ओर भौंकता हुआ आगे बढ़ा फिर कुछ दूर जा कर वापस आ गया.

खोजी कुत्ता हत्या से संबंधित कोई साक्ष्य नहीं जुटा पाया. घटना स्थल से न तो मृतका का मोबाइल फोन बरामद हुआ और न उस का बैग. निरीक्षण के बाद पुलिस ने शव पोस्टमार्टम हेतु लाला लाजपत राय अस्पताल भेज दिया.

13 दिसंबर, 2019 को हरप्रीत हत्याकांड की खबर समाचारपत्रों में सुर्खियों में छपी तो सिख समुदाय के लोगों में रोष छा गया. सुबह से ही लोग पोस्टमार्टम हाउस पहुंचने लगे. दोपहर 12 बजे तक पोस्टमार्टम हाउस पर भारी भीड़ जुट गई. सपा विधायक इरफान सोलंकी तथा अमिताभ बाजपेई भी वहां पहुंच गए. विधायकों के आने से भीड़ ज्यादा उत्तेजित हो उठी. लोगों में पुलिस की लापरवाही के प्रति गुस्सा था.

अत: पुलिस विरोधी नारेबाजी शुरू हो गई. यह देख कर थानाप्रभारी मनोज रघुवंशी के हाथपांव फूल गए. उन्होंने घटना की जानकारी आला अधिकारियों को दी तो एडीजी प्रेम प्रकाश, आईजी मोहित अग्रवाल, एसएसपी अनंतदेव तिवारी, एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता, तथा सीओ गीतांजलि सिंह लाला लाजपतराय अस्पताल आ गईं.

वहां जुटी भीड़ को देखते हुए एसएसपी ने मौके पर नजीराबाद, स्वरूप नगर, फजलगंज, काकादेव थाने की फोर्स भी बुला ली. बवाल की जानकारी पा कर जिलाधिकारी विजय विश्वास पंत भी मौके पर आ गए.

सपा विधायक माहौल को बिगाड़ न दें, इसलिए पुलिस अधिकारियों ने भाजपा विधायक सुरेंद्र मैथानी तथा गुरु सिंह सभा, कानपुर के नगर अध्यक्ष सिमरन जीत सिंह को वहां बुलवा लिया. भाजपा विधायक व पुलिस अधिकारियों ने मृतका के परिजनों से बातचीत शुरू की.

मृतका के पिता गुरुवचन सिंह ने आरोप लगाया कि पुलिस ने बेहद लापरवाही की. पुलिस यदि सक्रिय होती, तो शायद आज उन की बेटी जिंदा होती. वह थानों के चक्कर लगाते रहे, कहते रहे कि जल्द से जल्द उन की बेटी के हत्यारों को गिरफ्तार किया जाए. उन्होंने जिलाधिकारी के समक्ष तीसरी मांग यह रखी कि उन्हें कम से कम 5 लाख रुपए की आर्थिक मदद दी जाए.

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गुरुवचन सिंह की इन मांगों के संबंध में विधायक सुरेंद्र मैथानी तथा गुरु सिंह सभा नगर अध्यक्ष सिमरन जीत सिंह ने जिलाधिकारी तथा पुलिस अधिकारियों से विचारविमर्श किया. अंतत: उन की सभी मांगें मान ली गईं. अधिकारियों के आश्वासन के बाद माहौल शांत हो गया.

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शादी से पहले दूल्हे का खेल : भाग 2

3 डाक्टरों के एक पैनल ने हरप्रीत कौर के शव का पोस्टमार्टम किया. पैनल में डिप्टी सीएमओ डा. ए.बी. मिश्रा, डा. कृष्ण कुमार तथा डा. एस.पी. गुप्ता को शामिल किया गया. पोस्टमार्टम के दौरान वीडियोग्राफी भी की गई. डाक्टरों ने विसरा के साथ ही स्लाइड बना कर डीएनए सैंपल जांच के लिए सुरक्षित रख लिए.

पोस्टमार्टम के बाद हरप्रीत के शव को जवाहर नगर गुरुद्वारा लाया गया. यहां जत्थे की महिलाओं की पुलिस से झड़प हो गई. सीओ गीतांजलि सिंह ने किसी तरह महिलाओं को समझाया. उस के बाद मृतका के शव को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बर्रा स्थित स्वर्गआश्रम लाया गया. जहां परिजनों ने उसे नम आंखों से अंतिम विदाई दी.

दरअसल हरप्रीत कौर की 13 दिसंबर को कानपुर में रिंग सेरेमनी थी. सगाई वाले दिन ही उस की अर्थी उठी. इसलिए जिस ने भी मौत की खबर सुनी, उस की आंखें आंसू से भर आईं. यही कारण था कि उस की शवयात्रा में भारी भीड़ उमड़ी. भीड़ में गम और गुस्सा दोनों था. गम का आलम यह रहा कि सिख समुदाय के अनेक घरों तथा गुरुद्वारे में खाना तक नहीं बना.

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एसएसपी अनंतदेव तिवारी ने हरप्रीत हत्याकांड को बेहद गंभीरता से लिया. उन्होंने हत्या के खुलासे की जिम्मेदारी एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता को सौंपी. अपर्णा गुप्ता ने खुलासे के लिए एक स्पैशल टीम गठित की.

इस टीम में नजीराबाद थानाप्रभारी मनोज रघुवंशी, सीओ गीतांजलि सिंह, कई थानों के तेजतर्रार दरोगाओं तथा कांस्टेबलों को सम्मिलित किया गया. अब तक थानाप्रभारी ने गुमशुदगी के इस मामले को भा.द.वि. की धारा 302, 201 के तहत अज्ञात हत्यारों के विरूद्ध तरमीम कर दिया था.

एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता द्वारा गठित टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया, फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया. रिपोर्ट के मुताबिक हरप्रीत की हत्या गला दबा कर की गई थी. दुष्कर्म की आशंका के चलते स्लाइड बनाई गई थी तथा जहर की आशंका को देखते हुए विसरा भी सुरक्षित कर लिया गया था. स्लाइड व विसरा को परीक्षण हेतु लखनऊ लैब भेजा गया.

टीम ने मृतका के पिता गुरुवचन सिंह का बयान दर्ज किया. उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी हरप्रीत कौर का रिश्ता दिल्ली के बंगला साहिब गुरुद्वारा में क्लर्क के पद पर सेवारत युवराज सिंह के साथ तय हुआ था. 13 दिसंबर को उस की सगाई थी.

वह सामान की खरीदारी करने 9 दिसंबर को दिल्ली जाने के लिए कानपुर रेलवे स्टेशन पहुंची थी. बेटी तो दिल्ली नहीं पहुंची, अपितु उस की मौत की खबर जरूर मिल गई.

‘‘हरप्रीत का मंगेतर युवराज कहां है? क्या वह तुम से मिलने तुम्हारे घर आया है?’’ थानाप्रभारी ने गुरुवचन सिंह से पूछा.

‘‘नहीं, वह मौत की खबर पा कर भी कानपुर नहीं आया. 12 दिसंबर को उस से बात जरूर हुई थी. उस के बाद उस से संपर्क नहीं हो पाया. युवराज का मोबाइल फोन भी बंद है.’’ गुरुवचन सिंह ने पुलिस को जानकारी दी.

गुरुवचन सिंह की बात सुन कर मनोज रघुवंशी का माथा ठनका, इस की वजह यह थी कि जिस की होने वाली पत्नी की हत्या हो गई हो, वह खबर पा कर भी न आए, यह थोड़ा अजीब था. ऊपर से उस ने अपना मोबाइल भी बंद कर लिया था. इन सब वजहों से उन्हें लगा कि कुछ तो गड़बड़ है.

हरप्रीत कौर घर से कानपुर सेंट्रल स्टेशन पहुंची थी. स्टेशन से ही वह गायब हुई थी. पुलिस टीम जांच करने स्टेशन पहुंची. कानपुर रेलवे स्टेशन की जीआरपी पुलिस की मदद से सीसीटीवी फुटेज देखे गए तो हरप्रीत कौर स्टेशन से कैंट साइड में बाहर जाते दिखी.

इस के बाद पुलिस ने रेल बाजार के हैरिशगंज क्षेत्र के एक सीसीटीवी फुटेज की जांच की तो इस फुटेज में 9 दिसंबर की रात 10 बजे हरप्रीत के अलावा 3 अन्य लोग कार में बैठे दिखे.

पुलिस ने उन की पहचान कराने के लिए यह फुटेज गुरुवचन सिंह को दिखाई तो उन्होंने उन में से एक युवक की तत्काल पहचान कर ली. यह कोई और नहीं बल्कि हरप्रीत का मंगेतर युवराज सिंह था. 2 अन्य युवकों को वह नहीं पहचान पाए.

युवराज सिंह पुलिस की रडार पर आया तो पुलिस ने युवराज तथा हरप्रीत के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. इस से पता चला कि 9 दिसंबर को युवराज और हरप्रीत के बीच कई बार बात हुई थी.

हरप्रीत ने अपने मोबाइल फोन से उसे आखिरी मैसेज भी भेजा था. लेकिन उस ने हरप्रीत से अपने एक दूसरे फोन नंबर से बात की थी. उस के पहले उस के फोन की लोकेशन 9 दिसंबर की रात दिल्ली की ही मिल रही थी.

पुलिस टीम को समझते देर नहीं लगी कि युवराज सिंह शातिर दिमाग है. उस ने ही अपने साथियों के साथ मिल कर अपनी मंगेतर हरप्रीत की हत्या की है. पुलिस को उस पर शक न हो इसलिए वह अपना एक मोबाइल फोन दिल्ली में ही छोड़ आया था. हत्या में कार का प्रयोग भी हुआ था. इस का पता लगाने पुलिस टीम बारा टोल प्लाजा पहुंची. क्योंकि इसी टोल प्लाजा से कानपुर शहर का आवागमन दिल्ली आगरा की ओर होता है.

पुलिस टीम ने बारा टोल प्लाजा के सीसीटीवी फुटेज देखे तो हैरान रह गई. दिल्ली नंबर की टैक्सी वैगन आर कार 7 घंटे में 4 बार टोल से इधर से उधर क्रास हुई थी. 9 दिसंबर की रात साढ़े 8 बजे वह टैक्सी कानपुर शहर आई.

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रात 12.36 बजे वह वापस दिल्ली की तरफ गई. फिर 45 मिनट बाद रात 1.19 बजे कार वापस कानपुर की तरफ आई. इस के बाद रात 3.36 बजे वापस बारा टोल प्लाजा क्रास कर दिल्ली की ओर चली गई.

इस बीच पुलिस ने डाटा डंप करा कर कई संदिग्ध नंबर निकाले तथा इन नंबरों की जानकारी जुटाई. कार पर अंकित नंबर डीएल1आरटीए 5238 की आरटीओ कार्यालय से जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि कार का रजिस्ट्रैशन तरसिक्का (अमृतसर) निवासी सुखविंदर सिंह के नाम है.

एक अन्य संदिग्ध मोबाइल नंबर की जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि वह नंबर अमृतसर (पंजाब) जिले के जुगावा गांव निवासी सुखचैन सिंह का है. हरप्रीत का मंगेतर युवराज सिंह भी इसी जुगावा गांव का रहने वाला था.

पुलिस टीम जांच के आधार पर अब तक हरप्रीत कौर हत्याकांड के खुलासे के करीब पहुंच चुकी थी. अत: टीम ने जांच रिपोर्ट से एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता को अवगत कराया तथा युवराज सिंह तथा उस के साथियों की गिरफ्तारी की अनुमति मांगी.

अपर्णा गुप्ता ने जांच रिपोर्ट के आधार पर गिरफ्तारी का आदेश दे दिया. इस के बाद पुलिस पार्टी हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली व पंजाब रवाना हो गई.

15 दिसंबर, 2019 को पुलिस टीम युवराज सिंह की तलाश में दिल्ली स्थित बंगला साहिब गुरुद्वारा पहुंची. पता चला कि युवराज सिंह का असली नाम जुगराज सिंह है. 5 दिसंबर से वह ड्यूटी पर नहीं आ रहा है. गुरुद्वारे में वह क्लर्क के पद पर तैनात था.

युवराज सिंह जब गुरुद्वारे में नहीं मिला तब पुलिस टीम ने युवराज सिंह व उस के दोस्त सुखचैन सिंह की तलाश में उस के गांव जुगावा (अमृतसर) में छापा मारा. लेकिन वह दोनों अपनेअपने घरों से फरार थे. उन का मोबाइल फोन भी बंद था, जिस से उन की लोकेशन नहीं मिल पा रही थी.

युवराज सिंह तथा सुखचैन सिंह जब पुलिस के हत्थे नहीं चढ़े तो पुलिस टीम को निराशा हुई लेकिन टीम ने हिम्मत नहीं हारी. इस के बाद टीम ने रात में तरसिक्का (अमृतसर) निवासी सुखविंदर सिंह के घर दबिश दी. सुखविंदर सिंह घर में ही था और चैन की नींद सो रहा था. पुलिस टीम ने उसे दबोच लिया और उस की कार भी अपने कब्जे में ले ली. पुलिस टीम कार सहित सुखविंदर सिंह को कानपुर ले आई.

एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता तथा सीओ (नजीराबाद) गीतांजलि सिंह ने थाना नजीराबाद में सुखविंदर सिंह से हरप्रीत कौर की हत्या के संबंध में सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया. उस ने हत्या में शामिल होना कबूल कर लिया. कार की डिक्की से उस ने मृतका हरप्रीत का ट्रौली बैग तथा मोबाइल फोन भी बरामद करा दिया.

सुखविंदर सिंह ने बताया कि हरप्रीत कौर की हत्या उस के मंगेतर जुगराज सिंह उर्फ युवराज सिंह ने अपने गांव के दोस्त सुखचैन सिंह के साथ मिल कर रची थी. हत्या में वह भी सहयोगी था. हत्या के बाद शव को ठिकाने लगाने के बाद वह तीनों रात में ही दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे. कार उस की खुद की थी.

दिल्ली में वह उस कार को टैक्सी के रूप में चलाता था. सुखविंदर सिंह ने बताया कि वह हत्या करना नहीं चाहता था, लेकिन दोस्त जुगराज सिंह की शादीशुदा जिंदगी तबाह होने से बचाने के लिए वह हत्या जैसे जघन्य अपराध में शामिल हो गया.

चूंकि सुखविंदर सिंह ने हत्या का परदाफाश कर दिया था और हत्या में प्रयुक्त कार भी बरामद करा दी थी. साथ ही मृतका का ट्रौली बैग तथा मोबाइल फोन भी बरामद करा दिया था. अत: एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता ने सीओ गीतांजलि सिंह के कार्यालय परिसर में आननफानन में प्रैस वार्ता की.

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पुलिस ने कातिल सुखविंदर सिंह को मीडिया के समक्ष पेश कर घटना का खुलासा कर दिया. पुलिस पूछताछ में प्यार में धोखा खाई एक युवती की मौत की सनसनीखेज कहानी प्रकाश में आई.

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ऐसा भी होता है प्यार : भाग 2

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कमला गुस्से से बोली, ‘‘कुलच्छिनी, मुंहजली, तू इतनी बड़ी रासलीला रचाती रही और मुझे खबर तक नहीं लगी. मांबाप की नाक कटाते हुए तुझे शर्म नहीं आई. अगर हमें पता होता कि तू बड़ी हो कर हमारी छाती पर मूंग दलेगी तो जन्मते ही तेरा गला दबा देती. आज के बाद अगर तू राजेश से मिली या बात की तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा.’’

‘‘लेकिन मां, तुम मेरी बात तो सुन लो.’’

‘‘चुपऽऽ अब क्या रह गया है सुननेसुनाने को. हमारी इज्जत तो तूने मिट्टी में मिला दी.’’

कमला गुस्से में पैर पटकती हुई दूसरे कमरे में चली गई. पूनम कमरे में खड़ी आंसू बहाती रही. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करे? एक तरफ मांबाप की इज्जत थी तो दूसरी ओर उस का प्यार.

कमला ने पूनम की हरकतों की जानकारी पति को दी तो गिरजाशंकर को बहुत दुख हुआ. उसी पूनम ने पिता के विश्वास को तोड़ दिया था. गिरजाशंकर ने पूनम को प्यार से समझाया और अपने कदम वापस खींचने को कहा. पूनम ने भी पिता से वादा कर लिया कि अब वह राजेश से कभी नहीं मिलेगी. इस के बाद पूनम को कालेज जाना बंद करा दिया गया. कमला उस पर कड़ी नजर रखने लगी.

लेकिन पूनम अपने वादे पर कायम नहीं रह सकी. पूनम और राजेश एकदो माह तक एकदूसरे के लिए तड़पते रहे, फिर जब उन से नहीं रहा गया तो दोनों चोरीछिपे मिलने लगे. उन का मिलन महीने में बमुश्किल एक या 2 बार हो पाता था. बाकी दिनों में दोनों मोबाइल पर बात कर के दिल की लगी बुझाते थे.

ऐसे ही एक रात पूनम राजेश से मोबाइल पर बतिया रही थी कि तभी कमला की आंख खुल गई. वह समझ गई कि पूनम राजेश से ही बात कर रही है. वह आहिस्ता से उठी और पूनम के हाथ से मोबाइल छीन कर दूर फेंक दिया, फिर उसे थप्पड़ घूंसों से पीटने लगी. पिटाई के दौरान कमला ने उसे खूब खरीखोटी सुनाई.

मां की पिटाई से पूनम तिलमिला उठी और बोली, ‘‘मां, तुम मुझे मारपीट कर जख्मी तो कर सकती हो, लेकिन मेरे प्यार को कम नहीं कर सकतीं. मैं राजेश से प्यार करती हूं और करती रहूंगी. शादी भी उसी से करूंगी.’’

बेटी की ढिठाई पर कमला को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन किसी तरह गुस्से को काबू में कर के वह दूसरे कमरे में चली गई. अगले कई दिनों तक मांबेटी के बीच बात नहीं हुई. पूनम को अब सारा जहां वीराना लगने लगा.

वह कोई काम करने बैठती तो राजेश का चेहरा सामने आ जाता. फिर वह उसी के बारे में सोचने लगती. मां ने उस का मोबाइल फोन भी छीन लिया था, जिस की वजह से अब वह राजेश से भी बात नहीं कर पाती थी.

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दूसरी ओर पूनम से संपर्क न हो पाने के कारण राजेश की स्थिति भी पागलों जैसी हो गई थी. वह रातदिन पूनम से मिलने के उपाय सोचता रहता था, लेकिन मिल नहीं पाता था. फोन पर भी पूनम से संपर्क नहीं हो पा रहा था, जिस से उस की बेचैनी बढ़ती जा रही थी.

कहते हैं, जहां चाह होती है वहां राह मिल ही जाती है. एक दिन राजेश मोटरसाइकिल से पूनम के गांव आया. उस ने पूनम के घर के चक्कर लगाए तो पूनम उसे दरवाजे पर दिख गई. उस ने इशारा कर पूनम को गांव के बाहर आने को कहा. पूनम ने हिम्मत जुटाई और बहाना कर के घर से निकल आई.

गांव के बाहर सड़क पर राजेश उस के इंतजार में खड़ा था. पूनम के आते ही उस ने उसे मोटरसाइकिल पर बिठाया और सड़क किनारे बगीचे में पहुंच गया. वहां दोनों एक पेड़ की ओट में बैठ कर बतियाने लगे. राजेश बोला, ‘‘पूनम, अब मुझ से तुम्हारी जुदाई बरदाश्त नहीं होती. तुम नहीं मिली तो मैं जीवित नहीं रह पाऊंगा.’’

राजेश की बात सुन कर पूनम उस के सीने से लिपट गई. उस की आंखों से आंसू बहने लगे. कुछ देर में जब आंसुओं का सैलाब थमा तो पूनम बोली, ‘‘राजेश, तुम्हारी जुदाई मुझ से भी बरदाश्त नहीं होती, मैं भी तुम्हारे बिना नहीं जी पाऊंगी. तुम कुछ करो.’’

‘‘मेरा भी यही हाल है पूनम. घरसमाज के लोग हमें जीने नहीं देंगे. अब तो एक ही रास्ता बचा है.’’

‘‘वह क्या?’’ पूनम ने पूछा.

‘‘यही कि हम आत्महत्या कर लें और दुनिया को दिखा दें कि हम सच्चे प्रेमी थे. क्योंकि सच्चा प्यार करने वाले जान तो दे सकते हैं किंतु जुदाई बरदाश्त नहीं कर सकते.’’

‘‘क्या इस के अलावा और कोई रास्ता नहीं है?’’ पूनम ने पूछा.

‘‘एक रास्ता और भी है.’’ राजेश बोला.

‘‘क्या?’’

‘‘यही कि तुम मेरे साथ नोएडा भाग चलो. वहां हम दोनों मंदिर में शादी कर लेंगे. दोनों पतिपत्नी बन जाएंगे तो फिर हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा.’’

‘‘तुम ठीक कहते हो, मैं तुम्हारा साथ देने को तैयार हूं.’’ इस के बाद पूनम और राजेश ने साथ भागने की योजना बनाई. दोनों ने दिन व तारीख भी तय कर ली. इस के बाद पूनम तैयारी में जुट गई. उस ने अपने मातापिता को आभास तक नहीं होने दिया कि वह उन की इज्जत को छुरा घोंपने जा रही है.

उन्हीं दिनों एक रात जब कमला गहरी नींद में सो गई तो पूनम उठी, उस ने अपना जरूरी सामान बैग में रखा और दबेपांव घर के बाहर आ गई. गांव के बाहर सड़क किनारे राजेश मोटरसाइकिल लिए खड़ा था. पूनम के आते ही उस ने उसे मोटरसाइकिल पर बिठाया और वहां से निकल गया.

नोएडा में राजेश 12-22 चौड़ा मोड़ पर वेद मंदिर के पास किराए के मकान में रहता था. पूनम को वह अपने इसी मकान में ले गया. उस ने अपनी प्रेमकहानी अपनी भाभी सरिता को बताई और भैया के साथ शीघ्र आने का अनुरोध किया.

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लेकिन उस का भाई श्याम सिंह यादव इतना नाराज हुआ कि उस ने आने से साफ इनकार कर दिया. इस के बाद राजेश ने मंदिर में पूनम की मांग में सिंदूर भर कर उस के साथ प्रेम विवाह कर लिया और दोनों पतिपत्नी की तरह रहने लगे.

उधर सुबह को कमला सो कर उठी तो बगल की चारपाई पर पूनम को न देख उस का माथा ठनका. उस ने घर के अंदर पूनम को ढूंढा, लेकिन जब वह कहीं नहीं दिखी तो वह दरवाजे पर पहुंची. दरवाजे की कुंडी खुली हुई थी.

कमला ने झकझोर कर पति को जगाया और पूनम के लापता होने की बात बताई. सुन कर गिरजाशंकर घबरा गया. उस ने घरबाहर सब जगह पूनम की खोज की. पर जब वह नहीं मिली तो दोनों ने माथा पीट लिया. दोनों जान गए कि पूनम उन की इज्जत पर दाग लगा कर अपने प्रेमी राजेश के साथ भाग गई है.

कमला और गिरजाशंकर कई दिनों तक पूनम के भागने वाली बात छिपाए रहे. लेकिन ऐसी बातें छिपती कहां हैं. इस बीच पूरा गांव जान गया कि पूनम किसी लड़के साथ भाग गई है.

पूनम को ले कर गांव में तरहतरह की बातें होने लगी थीं. खासकर औरतें ज्यादा चटखारे ले कर बातें कर रही थीं. पूनम के इस कदम से गिरजाशंकर की इज्जत मिट्टी में मिल गई थी.

पूनम अपने साथ मोबाइल ले गई थी. उस का मोबाइल नंबर गिरजाशंकर के पास था. उस ने पूनम से बात करने की कोशिश की, लेकिन फोन बंद होने की वजह से बात नहीं हो पाई. इसी बीच कमला को पूनम की एक कौपी पर दर्ज राजेश के घर व नोएडा का पता मिल गया.

कमला ने पति पर दबाव बनाया कि वह थाने जा कर रिपोर्ट दर्ज कराए. पत्नी की बात मान कर गिरजाशंकर थाना गुरसहायगंज जा पहुंचा. थाने पर उस समय थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह मौजूद थे. गिरजाशंकर ने उन्हें सारी बात बताई और रिपोर्ट दर्ज करने की गुहार लगाई.

थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह ने गिरजाशंकर को विश्वास दिलाया कि वह उस की बेटी पूनम को बरामद करने का पूरा प्रयास करेंगे. इस के साथ ही उन्होंने गिरजाशंकर की तहरीर पर भादंवि की धारा 363, 366 के तहत राजेश कुमार यादव के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली. इस मामले की विवेचना चौकी इंचार्ज देवेंद्र कुमार को सौंपी गई.

एसपी के आदेश पर गिरफ्तारी

चौकी इंचार्ज देवेंद्र कुमार ने जांच शुरू की तो पता चला पूनम बालिग है और अपनी मरजी से अपने प्रेमी राजेश के साथ भागी है. उसे बलपूर्वक भगा कर नहीं ले जाया गया. यह पता चलने के बाद राजबहादुर सिंह ने जांच में कोई रुचि नहीं दिखाई.

हालांकि वह दबिश का परचा काटते रहे. गिरजाशंकर जब भी बेटी के बारे में पूछने थानाचौकी जाता तो उसे आश्वासन मिलता कि उस की बेटी जल्द बरामदगी हो जाएगी.

धीरेधीरे 3 महीने बीत गए. लेकिन पूनम की बरामदगी नहीं हो सकी. तब गिरजाशंकर अपनी फरियाद ले कर एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह के औफिस पहुंचा. गिरजाशंकर ने उन्हें पूनम के बरामद न होने की बात बताई, साथ ही पुलिस की भी शिकायत की. एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने गिरजाशंकर की व्यथा को समझ कर आश्वासन दिया कि उस की बेटी जल्द ही मिल जाएगी.

अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने पूनम के मामले को गंभीरता से लिया और थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह को आदेश दिया कि वह पूनम को शीघ्र बरामद कर नामजद आरोपी को बंदी बना कर जेल भेजें.

आदेश पाते ही थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह ने राजेश के घर हरदासपुर जमाली गांव में छापा मारा, लेकिन राजेश व पूनम वहां नहीं मिले. इस पर पुलिस ने उस के भाई श्याम सिंह और बद्रीप्रसाद को हिरासत में ले लिया और उन से राजेश व पूनम के बारे में जानकारी जुटाई.

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श्याम सिंह यादव ने थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह को बताया कि राजेश पूनम को ले कर नोएडा के सेक्टर 12-22 मोड़ के पास रह रहा है. पता चला है कि उन दोनों ने शादी कर ली है. यह पता लगते ही पुलिस नोएडा पहुंची और पूनम को राजेश के कमरे से बरामद कर लिया. राजेश को हिरासत में ले लिया गया. पुलिस दोनों को थाना गुरसहायगंज ले आई.

बेटी की बरामदगी की जानकारी कमला और गिरजाशंकर को मिली तो दोनों थाने पहुंच गए. वहां दोनों पूनम को मनाने में जुट गए. लेकिन पूनम ने मांबाप के साथ जाने से साफ मना कर दिया.

इस के बाद थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह ने पूनम को महिला पुलिस संरक्षण में डाक्टरी परीक्षण हेतु जिला अस्पताल कन्नौज भेजा. डाक्टरी परीक्षण के बाद पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत पूनम का बयान मजिस्ट्रैट के सामने दर्ज कराया.

जीत गया प्यार

अपने बयान में पूनम ने कहा कि वह राजेश से प्रेम करती है. उस के साथ उस ने मंदिर में विवाह भी कर लिया है. अब वह उस की पत्नी है. राजेश उसे भगा कर नहीं ले गया था. उस के मांबाप ने राजेश के विरुद्ध गलत रिपोर्ट दर्ज कराई है. वह मांबाप के घर नहीं जाना चाहती, बल्कि अपने पति राजेश के साथ रहना चाहती है.

चूंकि पूनम ने राजेश के साथ जाने की इच्छा जाहिर की थी, इसलिए मजिस्ट्रैट ने पूनम को राजेश के साथ रहने की इजाजत दे दी. लेकिन राजेश पुलिस हिरासत में था.

पुलिस ने पूनम के बयान के दूसरे दिन राजेश को कन्नौज कोर्ट में पेश किया. राजेश के भाई श्याम सिंह ने वकील के जरिए पहले ही कोर्ट में जमानती प्रार्थना पत्र दाखिल कर दिया था. चूंकि पूनम ने अपने बयान में राजेश को निर्दोष बताया था, इसी आधार पर उसे जमानत मिल गई.

राजेश की जमानत के बाद थाना गुरसहायगंज में पंचायत हुई. पंचायत की अगुवाई थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह ने की. इस पंचायत में पूनम के मातापिता को बुलवाया गया और खुशीखुशी बेटी की शादी कर उसे विदा करने का अनुरोध किया गया.

थोड़ी नानुकुर के बाद पूनम के मातापिता राजी हो गए. इस के बाद थाने में धूमधाम से पूनम और राजेश की शादी हो गई. वरवधू को थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह के अलावा राजेश के भाई श्याम सिंह, उन की पत्नी सरिता तथा अन्य लोगों ने आशीर्वाद दिया. देर से ही सही, पूनम और राजेश के प्यार की अच्छी परिणति हुई. पूनम अब राजेश के साथ सुखमय जीवन बिता रही है.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

ऐसा भी होता है प्यार : भाग 1

पूनम की झील जैसी गहरी, कजरारी आंखों में गजब की कशिश थी. गोल चेहरा, गुलाबी होंठ और भरे हुए गालों वाली पूनम ने जब उम्र के 18 साल पार किए तो वह गांव के युवकों की नजरों में चुभने लगी थी. जब पूनम स्कूल जाने के लिए या किसी काम से घर से बाहर निकलती, तो गांव लड़के उसे छेड़ने लगते. उन की यही छेड़छाड़ पूनम को जवान और खूबसूरत होने का अहसास कराती थी.

पूनम के पिता गिरजाशंकर कन्नौज जिले में पड़ने वाले थाना गुरसहायगंज के गांव ताखेपुरवा के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी कमला के अलावा 2 बेटियां थीं सुधा और पूनम उर्फ मोनी. साथ ही एक बेटा भी अजय.

गिरजाशंकर के पास 5 बीघा उपजाऊ जमीन थी, जिस में अच्छी पैदावार होती थी. कृषि की आय से ही वह परिवार का पालनपोषण करता था. कुल मिला कर गिरजाशंकर का खातापीता परिवार था. बहुत सुखी नहीं तो गांव के हिसाब से उस के घर में किसी चीज की कमी नहीं थी.

भाईबहनों में पूनम सब से छोटी थी. उस की बड़ी बहन सुधा की शादी फर्रुखाबाद शहर के रहने वाले आलू व्यवसाई रामकुमार के साथ हुई थी. वह अपनी ससुराल में सुखी थी. पूनम पढ़ने में तेज थी, उस ने गांव के माध्यमिक विद्यालय से प्रथम श्रेणी में हाईस्कूल पास किया था. आगे की पढ़ाई के लिए उस ने गुरसहायगंज के सरस्वती देवी इंटर कालेज में 11वीं में प्रवेश ले लिया था. पढ़ाई के साथ पूनम घरेलू कामों में मां का हाथ भी बंटाती थी.

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आहिस्ताआहिस्ता जवानी के शिखर की ओर कदम बढ़ा रही पूनम के मातापिता गिरजाशंकर और कमला को उस की शादी की चिंता सताने लगी थी. वे लोग बेटी की शादी किसी खातेपीते, संस्कारवान परिवार में करना चाहते थे ताकि उस का भविष्य उज्ज्वल रहे.

पूनम के विवाह के लिए गिरजाशंकर सालों से पैसा जमा कर रहे थे. आजकल ज्यादातर मांबाप दहेज के नाम पर धनधान्य दे कर बेटियों का भविष्य बनाने की कोशिश करते हैं. गिरजाशंकर की सोच भी ऐसी ही थी. इस के लिए वह प्रयासरत भी थे.

मांबाप जहां अपने हिसाब से पूनम के लिए सपने देख रहे थे, वहीं पूनम अपने हिसाब से भावी जीवनसाथी को ले कर सपने बुन रही थी. वह सोच रही थी कि उस का जीवनसाथी उसी की तरह पढ़ालिखा, सुंदर सलोना और मृदुभाषी हो. वह इतना प्यार करने वाला हो कि जहां वह कदम रखे, उस का जीवनसाथी उस जगह अपनी हथेली पसार दे. टीवी, इंटरनेट और मोबाइल ने पूनम के सपनों को पंख लगा दिए थे.

टीवी पर पूनम जब कभी दहेज प्रताड़ना की खबरें देखती तो उसे बड़ी कोफ्त होती. वह सोचती दुनिया में कैसेकैसे लोग हैं जो चंद रुपयों के लिए अपनी जीवनसंगिनी को मंझधार में छोड़ देते हैं. दहेज के लोभी लोगों से पूनम नफरत करती थी.

घरवर की तलाश

पूनम को पता था कि उस के मांबाप उस के भावी जीवनसाथी के लिए पैसों के मामले में किसी भी हद तक जा सकते हैं. वे लोग हर हाल में उस के सुखद भविष्य के लिए वह सब भी करेंगे, जो उन की हैसियत के बाहर होगा. लेकिन पूनम किसी दहेज लोलुप से शादी नहीं करना चाहती थी. वह नहीं चाहती थी कि उस के पिता कर्ज में डूबें, किसी साहूकार के सामने हाथ फैलाएं.

समय अपनी निर्बाध गति से दौड़ता रहा. गिरजाशंकर ने पूनम के लिए अच्छे घरवर की मुहिम सी छेड़ दी. उस ने अपने नातेरिश्तेदारों को भी पूनम के लिए अच्छा घरवर बताने के लिए कह दिया. 19वां बसंत पार करने के बाद पूनम का रूप और भी निखर गया था. गिरजाशंकर और कमला यही सोचते थे कि कोई अच्छा लड़का मिल जाए तो पूनम की शादी जल्दी कर दें. पूनम को नापसंद किए जाने की रत्ती भर भी गुंजाइश नहीं थी.

कई लड़के और उन के परिवार पूनम को  देखने के लिए गिरजाशंकर के घर आए. उन लोगों ने पूनम को पसंद भी किया, लेकिन पूनम ने रिश्ता ठुकरा दिया. कारण पूनम को जो लोग देखने आए थे, सब दहेज के लालची थे. कोई लाखों का कैश मांग रहा था तो कोई कार की डिमांड कर रहा था. पूनम को दहेज लोभियों से नफरत थी, सो उस ने शादी से इनकार कर दिया.

पूनम ने शादी से इनकार जरूर कर दिया था, लेकिन वह शादी के प्रति सजग भी थी और गंभीर भी. उसे मोबाइल पर इंटरनेट चलाने का बड़ा शौक था. फुरसत में वह सोशल साइट फेसबुक पर नएनए फ्रेंड बनाती और उन से चैटिंग करती. जो युवक उसे मन भाता, उस का मोबाइल नंबर ले कर वह उसे अपना नंबर दे देती थी. वह ऐसे दोस्तों से बात भी करती थी. अगर किसी युवक से बतियाना अच्छा लगता तो वह उस का फोन रिसीव करती, अन्यथा डिसकनेक्ट कर देती.

चैटिंग सर्फिंग के दौरान फेसबुक पर पूनम का परिचय राजेश कुमार यादव से हुआ. पूनम ने उस की प्रोफाइल देखी तो पता चला, उस की उम्र 27 साल है और वह फिरोजाबाद के जसराना थाना क्षेत्र के गांव हरदासपुर जमाली का रहने वाला है. उस के 2 अन्य भाई थे, जो किसान थे. जबकि वह बीए पास कर चुका था.

राजेश कुमार यादव पढ़ालिखा भी था और दिखने में स्मार्ट भी. राजेश की हकीकत जान कर पूनम का रुझान उस की ओर हो गया. फेसबुक के माध्यम से पूनम राजेश के संपर्क में आ गई, दोनों चैटिंग करते थे. दोनों ने अपने मोबाइल नंबर भी एकदूसरे को दे दिए थे, जिस से उन के बीच अकसर बातें होने लगी थीं.

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बातों के दौरान पूनम राजेश के परिवार के बारे में अधिक से अधिक जानकारी जुटाने की कोशिश करती थी. कह सकते हैं कि पूनम राजेश से प्रभावित थी, इसीलिए उस के बारे में इतनी खोजबीन कर रही थी.

एक दिन बातचीत के दौरान पूनम ने कहा, ‘‘राजेश, मैं ने तुम्हारे परिवार के बारे में बहुत कुछ पूछ और जान लिया लेकिन यह नहीं पूछा कि तुम करते क्या हो?’’

राजेश खिलखिला कर हंसते हुए बोला, ‘‘पूनम, मुझे झूठ बोलने की आदत नहीं है, इसलिए सच बताऊंगा. सच्चाई यह है कि मैं बेरोजगार नहीं हूं. सर्विस करता हूं और नोएडा में रहता हूं.’’

पूनम मन ही मन खुश हुई और बोली, ‘‘राजेश, मुझे यह जान कर बेहद खुशी हुई कि तुम बेरोजगार नहीं हो. सर्विस करते हो और अपने परिवार पर बोझ नहीं हो.’’

अब तक दोनों की दोस्ती गहरा गई थी. पूनम को लगा कि राजेश ही उस के सपनों का राजकुमार है, इसलिए उस का मन राजेश को देखने, उस से मिलने और आमनेसामने बैठ कर बातें करने का होने लगा.

इसीलिए एक रोज उस ने बातोंबातों में राजेश को अपने गांव के निकटवर्ती कस्बे गुरसहायगंज आने को कह दिया. दिन, तारीख व समय भी उसी दिन निश्चित हो गया. गुरसहायगंज में मिलने में इसलिए कोई परेशानी नहीं थी, क्योंकि पूनम वहां पढ़ने जाती थी. पूनम के इस बुलावे को राजेश ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.

निश्चित दिन राजेश तय समय पर गुरसहायगंज पहुंच गया. मोबाइल के माध्यम से दोनों एकदूसरे के संपर्क में थे. पूनम उस से बस स्टौप से लगभग एक किलोमीटर दूर रामजानकी मंदिर के पास मिली. दोनों ने अपनी वेशभूषा एकदूसरे को बता दी थी, इसलिए एकदूसरे को पहचानने में परेशानी नहीं हुई.

प्यार के 2 कदम

राजेश कुमार यादव का व्यक्तित्व आकर्षक था तो पूनम भी खूबसूरत और जवानी से भरपूर थी. राजेश से बातें करतेकरते पूनम सोचने लगी कि उस ने भावी पति के रूप में जैसे सुंदर और सजीले युवक के सपने संजोए थे, राजेश वैसा ही सुंदर, सजीला युवक है. अगर राजेश से उस की शादी हो जाए तो उस का जीवन सुखमय हो जाएगा.

पूनम इसी सोच में डूबी थी कि राजेश बोला, ‘‘तुम इतनी सुंदर होगी, मैं सोच भी नहीं सकता था. जैसा तुम्हारा नाम है, वैसा ही रूप भी है. तुम वास्तव में पूनम का चांद हो. वैसे बुरा न मानो तो एक बात बोलूं.’’

पूनम की धड़कनें तेज हो गईं. उस ने सोचा कहीं ऐसा तो नहीं कि जो वह सोच रही है, राजेश भी वही सोच रहा हो. मन की बात मन में छिपा कर वह बोली, ‘‘जो कहना चाहते हो, बेहिचक कहो.’’

‘‘तुम्हें देखते ही दिल में प्यार का अहसास जाग उठा है,’’ कहते हुए राजेश उस के हाथ पर हाथ रख कर बोला, ‘‘आई लव यू पूनम.’’

प्रेम निवेदन सुनते ही पूनम मानो आपे में नहीं रह पाई. उस ने अपना दूसरा हाथ उठा कर राजेश के हाथ पर रख कर कह दिया, ‘‘आई लव यू टू.’’

फलस्वरूप चंद मिनटों में दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई. इस के बाद पूनम घर वालों की आंख में धूल झोंक कर राजेश से मिलने लगी. राजेश घर वालों को बिना कुछ बताए पूनम के प्यार में बंध गया. जैसेजैसे समय बीतने लगा, दोनों का प्यार दिन दूना रात चौगुना बढ़ने लगा. पूनम कालेज जाने के बहाने घर से निकलती और राजेश को मिलने के लिए गुरसहायगंज बुला लेती.

इस के लिए वह राजेश को फोन कर के मिलने का दिन, समय पहले ही तय कर लेती थी. गुरसहायगंज व्यापारिक कस्बा है, जहां दरजनों ऐसे लौज और होटल हैं, जहां आसानी से कमरा उपलब्ध हो जाता है. दोनों प्रेमी ऐसे ही लौज व होटल में मिलते थे.

राजेश कुमार यादव मूलरूप से फिरोजाबाद जिले के थाना जसराना के हरदासपुर जमाली गांव का रहने वाला था. उस के 2 भाई थे श्याम सिंह व बद्रीप्रसाद यादव, जो गांव में किसानी करते थे. उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. गांव में उन का पक्का दोमंजिला मकान था, जिस में हर सुविधा उपलब्ध थी.

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दोनों भाई विवाहित थे और संयुक्त परिवार की तरह साथसाथ रहते थे. राजेश अभी कुंवारा था. बीए पास करने के बाद उस ने कंप्यूटर का प्रशिक्षण लिया था. इस के बाद वह नोएडा की एक कंपनी में काम करने लगा था. नौकरी के दौरान ही उस की दोस्ती पूनम से हो गई थी और वह उस से मिलने आने लगा था.

राजेश और पूनम एकदूसरे से बेइंतहा प्यार करने लगे. दोनों शादी करना चाहते थे. लेकिन दोनों शादी कर पाते, उस के पहले ही उन के प्यार का भांडा फूट गया. हुआ यह कि एक रोज पूनम ने राजेश को मिलने के लिए गुरसहायगंज बुलाया. जब दोनों रामजानकी मंदिर परिसर में आपस में बातें करते हुए हंसबोल रहे थे, गांव के एक युवक ने पूनम को देख लिया.

उस ने गांव लौट कर पूनम की मां कमला के कान भर दिए. सयानी बेटी का किसी अनजान युवक से हंसनाबतियाना कमला को नागवार लगा, वह तिलमिला उठी.

कुछ देर बाद पूनम घर वापस आई तो मां का चेहरा तमतमाया हुआ था. पहले तो वह सहम गई फिर सहजता से बोली, ‘‘मां, क्या बात है? तुम नाराज क्यों हो? क्या पिताजीने कुछ ऊटपटांग कह दिया?’’

कमला गुस्से से बोली, ‘‘बाप को बीच में क्यों लाती है, पहले तू यह बता कि आ कहां से रही है?’’

‘‘मां, मैं कालेज गई थी और वहीं से आ रही हूं. पर यह सब क्यों पूछ रही हो? क्या तुम्हें मुझ पर कोई शक है?’’

‘‘हां शक है, क्योंकि तू कालेज गई ही नहीं थी, बल्कि किसी से इश्क लड़ा रही थी. सचसच बता, कौन है वह, जिस ने तुझे भरमा लिया है?’’

‘‘मां, यह सब झूठ है, किसी ने तुम्हारे कान भर दिए हैं.’’ पूनम ने सफेद झूठ बोला.

‘‘बुलाऊं रामनरेश को, जिस ने तुम दोनों को रामजानकी मंदिर में इश्क लड़ाते देखा था.’’ कमला ने सच्चाई बता दी.

रामनरेश का नाम सुन कर पूनम चौंक पड़ी. वह जान गई कि उस के प्यार का भांडा फूट गया है. अब सच्चाई बताने में ही भलाई थी. अत: वह बोली, ‘‘मां, मैं राजेश से बतिया रही थी. मैं ने आप से झूठ बोला था कि कालेज गई थी. राजेश पढ़ालिखा स्मार्ट युवक है.’’

‘‘पहले तू यह बता कि राजेश है कौन? उस से तेरी दोस्ती कैसे हुई?’’ कमला ने पूछा.

पूनम बोली, ‘‘मां, राजेश नोएडा में रह कर नौकरी करता है. वह फिरोजाबाद का रहने वाला है. हमारी दोस्ती फेसबुक पर हुई थी. फिर मोबाइल फोन पर बातें करने लगे. इस के बाद वह मुझ से मिलने आने लगा. हम दोनों एकदूसरे से बेहद प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं.’’

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

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