जब तक कमलेश गांव में रहे, तब तक गांव में उन की चलती रही. गांव छोड़ कर औरैया में रहने लगे तो यहां भी अपना साम्राज्य कायम करने में जुट गए. उन दिनों औरैया में स्वामीचरण की तूती बोलती थी. वह हिस्ट्रीशीटर था.
गांव से आए युवा कमलेश ने एक रोज शहर के प्रमुख चौराहे सुभाष चौक पर हिस्ट्रीशीटर स्वामीचरण को घेर लिया और भरे बाजार में उसे गिरागिरा कर मारा.
इस घटना के बाद कमलेश की औरैया में भी धाक जम गई. अब तक वह स्थायी रूप से औरैया में बस गए थे. बनारसीदास मोहल्ले में उन्होंने अपना निजी मकान बनवा लिया.
दबंग व्यक्ति पर हर राजनीतिक पार्टी डोरे डालती है. यही कमलेश के साथ भी हुआ. बसपा, सपा जैसी पार्टियां उन पर डोरे डालने लगीं. कमलेश को पहले से ही राजनीति में रुचि थी, सो वह पार्टियों के प्रमुख नेताओं से मिलने लगे और उन के कार्यक्रमों में शिरकत भी करने लगे. वैसे उन्हें सिर्फ एक ही नेता ज्यादा प्रिय थे सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव.
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सन 1985 के विधानसभा चुनाव में कमलेश पाठक को औरैया सदर से लोकदल से टिकट मिला.
इस चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की और 28 वर्ष की उम्र में विधायक बन गए. लेकिन विधायक रहते सन 1989 में उन्होंने लोकदल के विधायकों को तोड़ कर मुलायम सिंह की सरकार बनवा दी.
इस के बाद से वह मुलायम सिंह के अति करीबी बन गए. लोग उन्हें मिनी मुख्यमंत्री कहने लगे थे. वर्ष 1990 में सपा ने उन्हें एमएलसी बनाया और 1991 में कमलेश दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री बने.
सन 2002 के विधानसभा चुनाव में सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह ने कमलेश पाठक को कानपुर देहात की डेरापुर सीट से मैदान में उतारा. इस चुनाव में उन के सामने थे भाजपा से भोले सिंह. यह चुनाव बेहद संघर्षपूर्ण रहा.
दोनों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंदिता में जम कर गोलियां चलीं. इस के बाद ब्राह्मणों ने एक मत से कमलेश पाठक को जीत दिलाई. तब से उन्हें ब्राह्मणों का कद्दावर नेता माना जाने लगा.
चुनाव के बाद मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बने. मुख्यमंत्री बनने के बाद मुलायम सिंह ने औरैया को जिला बनाने के नियम को रद्द कर दिया. इस पर कमलेश ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ बिगुल फूंक दिया. उन्होंने जिला बचाओ आंदोलन छेड़ कर जगहजगह धरनाप्रदर्शन शुरू कर दिया.
मुख्यमंत्री मुलायम सिंह औरैया में सभा करने आए तो उन्होंने गोलियां बरसा कर उन के हैलीकाप्टर को सभास्थल पर नहीं उतरने दिया. एक घंटा हेलीकाप्टर हवा में उड़ता रहा, तब कहीं जा कर मानमनौव्वल के बाद उतर सका.
इस घटना के बाद मुलायम सिंह नाराज हो गए, लेकिन दबंग नेता की छवि बना चुके कमलेश पाठक के आगे उन की नाराजगी ज्यादा दिन टिक न सकी. सन 2007 में नेताजी ने उन्हें पुन: टिकट दे दिया, लेकिन कमलेश दिबियापुर विधानसभा सीट से हार गए.
साल 2009 में कमलेश पाठक ने जेल में रहते सपा के टिकट पर अकबरपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा पर हार गए. इस के बाद उन्होंने साल 2012 में सिकंदरा विधानसभा से चुनाव लड़ा, पर इस बार भी हार गए.
हारने के बावजूद वर्ष 2013 में कमलेश पाठक को राज्यमंत्री का दरजा दे कर उन्हें रेशम विभाग का अध्यक्ष बना दिया गया. इस के बाद 10 जून 2016 को समाजवादी पार्टी से उन्हें विधान परिषद का सदस्य बना कर भेजा. वर्तमान में वह सपा से एमएलसी थे. सपा सरकार के रहते कमलेश पाठक ने अपनी दबंगई से अवैध साम्राज्य कायम किया.
उन्होंने ग्राम समाज के तालाबों तथा सरकारी जमीनों पर कब्जे किए. उन्होंने पक्का तालाब के पास नगरपालिका की जमीन पर कब्जा कर गेस्टहाउस बनवाया. साथ ही औरैया शहर में 2 आलीशान मकान बनवाए. अन्य जिलों व कस्बों में भी उन्होंने भूमि हथियाई. जिले का कोई अधिकारी उन के खिलाफ जांच करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था. कमलेश की राजनीतिक पहुंच से उन के भाई संतोष व रामू भी दबंग बन गए थे. दबंगई के बल पर संतोष पाठक ब्लौक प्रमुख का चुनाव भी जीत चुका था. दोनों भाइयों का भी क्षेत्र में खूब दबदबा था. सभी के पास लाइसैंसी हथियार थे.
कमलेश पाठक की दबंगई का फायदा उन के भाई ही नहीं बल्कि शुभम, कुलदीप तथा विकल्प अवस्थी जैसे रिश्तेदार भी उठा रहे थे. ये लोग कमलेश का भय दिखा कर शराब के ठेके, सड़क निर्माण के ठेके तथा तालाबों आदि के ठेके हासिल करते और खूब पैसा कमाते. ये लोग कदम दर कदम कमलेश का साथ देते थे और उन के कहने पर कुछ भी कर गुजरने को तत्पर रहते थे. कमलेश पाठक ने अपनी दबंगई के चलते धार्मिक स्थलों को ही नहीं छोड़ा और उन पर भी अपना आधिपत्य जमा लिया. औरैया शहर के नारायणपुर मोहल्ले में स्थित प्राचीन पंचमुखी हनुमान मंदिर पर भी कमलेश पाठक ने अपना कब्जा जमा लिया था. साथ ही वहां अपने रिश्तेदार वीरेंद्र स्वरूप पाठक को पुजारी नियुक्त कर दिया था. कमलेश की नजर इस मंदिर की एक एकड़ बेशकीमती भूमि पर थी.
इसी नारायणपुरवा मोहल्ले में पंचमुखी हनुमान मंदिर के पास शिवकुमार उर्फ मुनुवां चौबे का मकान था. इस मकान में वह परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे संजय, मंजुल और
3 बेटियां रश्मि, रुचि तथा रागिनी थीं. तीनों बेटियों तथा संजय की शादी हो चुकी थी.
मुनुवां चौबे मोहल्ले के सम्मानित व्यक्ति थे. धर्मकर्म में भी उन की रुचि थी. वह हर रोज पंचमुखी हनुमान मंदिर में पूजा करने जाते थे. पुजारी वीरेंद्र स्वरूप से उन की खूब पटती थी. पुजारी मंदिर बंद कर चाबी उन्हीं को सौंप देता था.
मुनुवां चौबे का छोटा बेटा मंजुल पढ़ाई के साथसाथ राजनीति में भी रुचि रखता था. उन दिनों कमलेश पाठक का राजनीति में दबदबा था. मंजुल ने कमलेश पाठक का दामन थामा और राजनीति का ककहरा पढ़ना शुरू किया. वह समाजवादी पार्टी के हर कार्यक्रम में जाने लगा और कई कद्दावर नेताओं से संपर्क बना लिए. कमलेश पाठक का भी वह चहेता बन गया.
मंजुल औरैया के तिलक महाविद्यालय का छात्र था. वर्ष 2003 में उस ने कमलेश पाठक की मदद से छात्र संघ का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इस के बाद मंजुल ने अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी. उस ने अपने दर्जनों समर्थक बना लिए. अब उस की भी गिनती दबंगों में होने लगी. इसी महाविद्यालय से उस ने एलएलबी की डिग्री हासिल की और औरैया में ही वकालत करने लगा.
मंजुल के घर के पास ही उस के चाचा अरविंद चौबे रहते थे. उन के बेटे का नाम आशीष तथा बेटी का नाम सुधा था. मंजुल की अपने चचेरे भाईबहन से खूब पटती थी. सुधा पढ़ीलिखी व शिक्षिका थी. पर उसे देश प्रदेश की राजनीति में भी दिलचस्पी थी.
मंजुल की ताकत बढ़ी तो कमलेश पाठक से दूरियां भी बढ़ने लगीं. ये दूरियां तब और बढ़ गईं, जब मंजुल को अपने पिता से पता चला कि कमलेश पाठक मंदिर की बेशकीमती भूमि पर कब्जा करना चाहता है. चूंकि मंदिर मंजुल के घर के पास और उस के मोहल्ले में था, इसलिए मंजुल व उस का परिवार चाहता कि मंदिर किसी बाहरी व्यक्ति के कब्जे में न रहे. वह स्वयं मंदिर पर आधिपत्य जमाने की सोचने लगा. पर दबंग कमलेश के रहते, यह आसान न था.
16 मार्च, 2020 को थाना कोतवाली पुलिस ने अभियुक्त कमलेश पाठक, रामू पाठक, संतोष पाठक, अवनीश प्रताप, लवकुश उर्फ छोटू तथा राजेश शुक्ला को औरैया कोर्ट में सीजेएम अर्चना तिवारी की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें इटावा जेल भेज दिया गया.
दूसरे रोज बाहुबली कमलेश पाठक को आगरा सेंट्रल जेल भेजा गया. रामू पाठक को उरई तथा संतोष पाठक को फिरोजाबाद जेल भेजा गया. लवकुश, अवनीश प्रताप तथा राजेश शुक्ला को इटावा जेल में ही रखा गया. 18 मार्च को पुलिस ने अभियुक्त कुलदीप अवस्थी, विकल्प अवस्थी तथा शुभम को भी गिरफ्तार कर लिया. उन्हें औरैया कोर्ट में अर्चना तिवारी की अदालत मे पेश कर जेल भेज दिया गया.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित