प्रीति और अंकित अगर एकदूसरे को दिलोजान से चाहते थे तो उन्हें सामाजिक बंधनों को तोड़ कर एक हो जाना चाहिए था. ऐसा हो गया होता तो न तो प्रीति के 2 बच्चे अनाथ होते, न ही वृद्ध जनार्दन केसरी और उन की पत्नी की बुढ़ापे की लाठी टूटती और न अंकित और प्रीति को...