रहस्य: बर्निंग कार का

17 मई, 2018 को रात के कोई 8 बजे का वक्त रहा होगा. हल्द्वानी भीमताल मार्ग पर गांव सिलुड़ी के पास सड़क के किनारे खड़ी कार से अचानक ही आग की लपटें उठने लगीं, जिसे देखते ही हाइवे पर अफरातफरी मच गई. देखते ही देखते आसपास रहने वाले लोगों के अलावा राहगीर भी इकट्ठे हो गए थे. उस वक्त वहां पर मौजूद लोग इस बात को ले कर हैरान थे कि न तो उस कार का कोई एक्सीडेंट हुआ था और न ही उस जलती कार से किसी के रोनेचिल्लाने की आवाज ही आ रही थी.

वहां मौजूद लोगों में से किसी ने उस की सूचना पुलिस को और दमकल विभाग को दे दी. लेकिन जब तक दमकलकर्मी वहां पहुंचे, कार पूरी तरह से जल चुकी थी. कार से धुआं उठ रहा था. दमकलकर्मियों ने आग बुझाई.

कार के जलने की सूचना पर थाना काठगोदाम व थाना भीमताल की पुलिस भी पहुंच चुकी थी. पुलिस ने जब जांच की तो ड्राइवर की बगल वाली सीट पर एक व्यक्ति का जला शव कंकाल के रूप में मिला. वह शव इतनी बुरी तरह से जल चुका था कि उस की यह भी शिनाख्त नहीं हो पाई थी कि वह किसी महिला का है या किसी पुरुष का.

पुलिस ने जांचपड़ताल करने के बाद वहां पर रह रहे कुछ स्थानीय लोगों से उस कार के बारे में पूछताछ की तो सभी ने यही बताया कि कार से किसी के चीखने की आवाज नहीं आई थी. मौके की जांचपड़ताल करने के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी, साथ ही उस का डीएनए सैंपल भी सुरक्षित रखवा लिया.

इस कार की सच्चाई जानने के लिए अगले दिन सुबह से ही भीमताल पुलिस जांच में जुट गई थी. पुलिस ने जिले के सभी थानों को इस बर्निंग कार की जानकारी देते हुए पूछा था कि किसी भी थाने में किसी इंसान के लापता होने की रिपोर्ट तो दर्ज नहीं है. इस कोशिश में भी पुलिस के हाथ कोई सुराग नहीं मिला.

पुलिस के सामने सब से बड़ी समस्या यह आ रही थी कि कार से जो जला हुआ शव मिला था, उस की शिनाख्त कैसे हो. शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद पुलिस ने गाड़ी की जांचपड़ताल की तो पुलिस के हाथ छोटा सा सुराग लगा. मृतक ने जो जूता पहन रखा था, वह ऊपर से तो जल गया था, लेकिन उस का तलवा कार से ही चिपक गया था. पुलिस ने उस जूते के तलवे को किसी तरह छुड़ाया तो पता चला कि मृतक 7 नंबर का जूता पहनता था. लेकिन उस जूते के नंबर से भी यह साफ नहीं हो पा रहा था कि वह जूता किसी मर्द का है या किसी औरत का.

पुलिस अपनी जांचपड़ताल में जुटी थी कि अगले ही दिन सामिया लेक सिटी रुद्रपुर निवासी नीलम नाम की एक महिला सुबहसुबह रुद्रपुर कोतवाली पहुंची. उस ने पुलिस को जानकारी दी कि उस का पति अवतार सिंह कल से लापता है. नीलम ने पुलिस को बताया कि कल शाम से उन का मोबाइल भी बंद आ रहा है. वह सारी रात अपने परिजनों के साथ उन की तलाश करती रही, लेकिन उन के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिल पाई.

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नीलम ने पुलिस को जानकारी देते हुए बताया कि कल शाम वह अपने पति के साथ अपना इलाज कराने के लिए रुद्रपुर से हल्द्वानी आई थी. लेकिन डाक्टर के न मिलने के बाद अवतार ने बताया था कि उन्हें पहाड़ पर अपना कुछ काम है. तब वह उसे कालू सिद्ध मंदिर के पास उतार कर चले गए थे. जहां से देर रात वह दवा ले कर रुद्रपुर अपने घर पहुंच गई थी. घर पहुंचने के बाद उन का मोबाइल नंबर मिलाया तो उन का फोन स्विच्ड औफ मिला.

मृतक की बीवी नीलम से विस्तृत पूछताछ करने के उपरांत थानाप्रभारी ने इस की सूचना हल्द्वानी के एसएसपी को दे दी. एसएसपी ने एएसपी व सीओ (भवाली) के निर्देशन में 6 पुलिस टीमें गठित कीं, जिस में प्रशिक्षु एसपी अमित कुमार, कोतवाली हल्द्वानी के इंसपेक्टर विक्रम राठौर, काठगोदाम के थानाध्यक्ष कमाल हसन, भीमताल थानाप्रभारी अनवर, एसओजी प्रभारी दिनेशचंद्र पंत को शामिल किया गया था.

एसएसपी के निर्देश पर थानाप्रभारी ने कुछ औपचारिकताएं  पूरी करते हुए नीलम को सीधे भीमताल भेज दिया था ताकि वह घटनास्थल पर मिली कार की कुछ शिनाख्त कर सके.

नीलम रुद्रपुर से सीधे थाना भीमताल पहुंची और पुलिस के सामने पति अवतार सिंह के गायब होने की बात बताते हुए कहा कि उस के पति सिडकुल की कंपनियों में मैनपौवर सप्लाई करते हैं.

नीलम ने पुलिस को बताया कि पहले वह किसी के साथ पार्टनरशिप में काम करते थे, लेकिन करीब साल भर से उन्होंने अपना काम अलग कर लिया था. उस के बाद उन्होंने रुद्रपुर में अपना औफिस बना लिया था. वैसे वह मूलरूप से हरियाणा के निवासी थे और अब से लगभग 10 साल पहले रुद्रपुर आ कर बस गए थे. नीलम ने नहीं पहचानी लाश, नीलम की बात सुनने के बाद पुलिस को लगा कि अब बर्निंग कार की गुत्थी शीघ्र ही सुलझ सकती है. पुलिस नीलम को अपने साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंची लेकिन नीलम ने जली कार को देखते ही उसे पहचानने से मना कर दिया. यही नहीं उस ने उस कार में कंकाल के रूप में मिली लाश भी नहीं पहचानी. उस का कहना था कि उस के पति तो हल्द्वानी तक मेरे साथ ही थे, वह कार खुद ही चला रहे थे. फिर उन की बगल वाली सीट पर वह कंकाल किस का हो सकता है.

उसी दौरान पुलिस ने उस जली कार की गहनता से जांचपड़ताल की तो पुलिस के हाथ ऐसा सूत्र हाथ लगा जो इस केस की जड़ों तक जा सकता था. छानबीन के दौरान पुलिस के हाथ गाड़ी के बोनट वाली डिक्की में रखा इंश्योरेंस का अधजला कागज मिला. पुलिस ने उस मिले कागज के आधार पर कार का पता किया तो वह अवतार सिंह के नाम से ही थी.

लेकिन उस वक्त पुलिस के सामने एक और समस्या आ खड़ी हुई थी. नीलम ने उस कार से मिले कंकाल को पहचानने से ही इनकार कर दिया था. नीलम का कहना था कि जिस वक्त उस के पति ने उसे वहां छोड़ा था तो वह कार में अकेले ही थे. फिर अगर कंकाल ड्राइवर की सीट पर होता तो वह मान सकती थी कि लाश पति की हो सकती है.

नीलम की बात सुनते ही पुलिस फिर से चक्कर में पड़ गई. उस के बाद तो पुलिस के सामने इस केस को खोलने के लिए एक ही रास्ता बाकी बचा था, वह रास्ता था पोस्टमार्टम और डीएनए की रिपोर्ट का.

यह खबर तमाम अखबारों में प्रमुखता से छपी थी. इस खबर को पढ़ने के बाद 18 मई, 2019 को अंबाला निवासी अवतार सिंह के पिता गुलजार सिंह, मां नक्षत्रो देवी और भाई जगतार सिंह हल्द्वानी पहंचे.

पुलिस पूछताछ में गुलजार सिंह ने अपने बेटे अवतार सिंह की हत्या की आशंका जाहिर करते हुए उस की बीवी पर संदेह प्रकट किया. उस के बाद इंसपेक्टर विक्रम राठौर ने गुलजार सिंह और उन के बेटे जगतार सिंह से लगभग आधे घंटे तक पूछताछ की.

इस पूछताछ में कई चौंकाने वाले राज खुल कर सामने आए. इस हादसे से संबंधित कई महत्त्वपूर्ण तथ्य सामने आने के उपरांत उसी रात पुलिस ने गुलजार सिंह की तहरीर के आधार पर नीलम और उस के करीबी माने जाने वाले उस के दोस्त मनीष मिश्रा के खिलाफ थाना भीमताल में मुकदमा दर्ज करा दिया.

इस सब काररवाई से निपटने के बाद पुलिस ने इस मामले की तह तक पहुंचने के लिए उस के परिजनों से पूछताछ करनी ही उचित समझी.

अवतार सिंह के पिता और भाई के बयानों के आधार पर पुलिस को विश्वास हो गया था कि यह कोई हादसा नहीं बल्कि मर्डर है, जिस को अंजाम देने के लिए पूरी साजिश रची गई थी. इंसपेक्टर विक्रम राठौर ने इस मामले की गहराई तक पहुंचने के लिए उस हाइवे पर जगहजगह लगे लगभग 200 सीसीटीवी कैमरे खंगाले. इस मामले में पुलिस लगभग 30-35 अलगअलग लोगों से पूछताछ कर चुकी थी.

लेकिन सीसीटीवी कैमरे से मिली जानकारी के बाद पुलिस ने अपना फोकस कैमरों को ही बना लिया था. इस दौरान रुद्रपुर से ले कर काठगोदाम तक सीसीटीवी की जांच में पुलिस के हाथ कई अहम सुराग लगे. जांचपड़ताल के दौरान पुलिस को उस कार में आगे की सीट पर 2 लोग बैठे दिखाई दिए. लेकिन उन दोनों की तसवीर साफ नजर नहीं आ रही थी. उस वक्त उस गाड़ी को कौन चला रहा था और उस के पास वाली सीट पर कौन बैठा हुआ था, यह जानकारी भी रहस्य बनी हुई थी.

सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद पुलिस इतना तो जान ही चुकी थी कि उस कार में 2 बैठे हुए व्यक्तियों में से एक जरूर हत्यारा रहा होगा, वरना वह भी कार में जल चुका होता. इस सब जांचपड़ताल के बाद पुलिस ने अपना ध्यान उस दूसरे व्यक्ति पर लगा दिया जो कार जलने से पहले ही वहां से गायब हो गया था.

यह सब जानकारी हासिल करने के बाद पुलिस ने नीलम की सच्चाई जानने के लिए उस के मोबाइल को भी सर्विलांस पर लगा दिया था. उसी दौरान पुलिस ने मृतक अवतार के घर से उस के महत्त्वपूर्ण कागजात अपने कब्जे में लेते हुए उन की गहनता से जांचपड़ताल की. उन्हीं कागजों से पता चला कि अवतार ने 15 दिन पहले ही 50 लाख रुपए का टर्म इंश्योरेंस लिया था, जिस में उस ने अपनी पत्नी नीलम को ही नौमिनी बनाया था.

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यह सच्चाई सामने आने के बाद पुलिस को पूरा विश्वास हो गया कि कहीं इस रकम को हड़पने की कोशिश में ही तो नीलम ने अपने पति की हत्या नहीं करा दी. उसी जांचपड़ताल के दौरान पुलिस को पता चला कि सामिया लेक सिटी स्थित अवतार का मकान भी उस की पत्नी नीलम के नाम पर था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चली हकीकत उधर पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सभी पुलिस अधिकारियों को चौंकाने पर मजबूर कर दिया था. रिपोर्ट के अनुसार, मृतक की हत्या जलने से पूर्व ही हो चुकी थी. रिपोर्ट से पता चला कि मृतक की सांस नली ठीकठाक निकली, जबकि अगर कोई इंसान आग में जल कर मरता है तो उस की सांस नली में धुएं (कार्बन) के कण जरूर मिलते हैं.

जबकि कार से बरामद शव की सांस नली में ऐसा कुछ भी नहीं मिला. जिस से साफ हो गया था कि अवतार को कहीं और खत्म करने के बाद उस की लाश को कार में जला कर हादसे का रूप देने की कोशिश की गई थी.

नीलम का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाने के बाद पुलिस के सामने और भी चौंकाने वाले तथ्य उभर कर सामने आए. नीलम के फोन की काल डिटेल्स में एक नंबर ऐसा मिला, जिस पर वह दिन में सब से ज्यादा बातें करती थी. पुलिस ने उस नंबर का पता लगाया तो जानकारी मिली कि वह नंबर मनीष नाम के व्यक्ति का है, जो नीलम के पास में ही रहता था.

नीलम के साथ मनीष का नाम जुड़ते ही पुलिस ने फिर से रुद्रपुर में मृतक अवतार के पड़ोसियों से पूछताछ की तो सब कुछ सामने आ गया.

पुलिस को इस बात की पुख्ता जानकारी मिल गई कि मनीष और नीलम के बीच काफी समय से चक्कर चल रहा था, जिसे ले कर अवतार और उस की बीवी में अकसर नोंकझोंक हो जाती थी.

इस मामले के सामने आते ही पुलिस ने नीलम को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. पुलिस ने नीलम को साथ ले कर घटनास्थल के 3 चक्कर लगाए. इस के बाद उस से पूछताछ की.

इस पूछताछ के दौरान नीलम ने आखिर सच्चाई बता ही दी. इस बर्निंग कार का रहस्य जब लोगों के सामने आया तो सभी के होश फाख्ता हो गए. मृतक अवतार सिंह हरियाणा के अंबाला कैंट थाना क्षेत्र के गांव घसीटपुर के रहने वाले गुलजार सिंह का बेटा था. कई साल पहले अंबाला कैंट थाना क्षेत्र में ही अवतार सिंह के भाई जगतार सिंह एक कैमिकल फैक्ट्री चलाते थे. उस वक्त अवतार सिंह भी अपने भाई के साथ फैक्ट्री के काम में हाथ बंटाता था. उसी काम के दौरान ही अवतार की मुलाकात नीलम से हुई थी.

नीलम बागेश्वर जिले के गांव बनलेख कारोली गांव की रहने वाली थी. वह देखनेभालने में खूबसूरत थी. उस की खूबसूरती पर अवतार सिंह रीझ गया था.

फिर दोनों के बीच बातचीत शुरू हो गई. यह मुलाकात दोस्ती से शुरू हो कर प्यार तक पहुंच गई. बात यहां तक पहुंच गई थी कि उन्होंने आपस में शादी करने का फैसला ले लिया. लेकिन उन की शादी के लिए दोनों के घर वाले राजी नहीं हुए, तब उन्होंने अपनी मरजी से शादी कर ली. करीब एक साल बाद नीलम ने एक बेटी को जन्म दिया.

लगभग 10 साल पहले अवतार रुद्रपुर में काम की तलाश में आया था. यहां पर उस ने अपने किसी दोस्त के साथ पार्टनरशिप में सिडकुल की कंपनियों में मैनपौवर सप्लाई का काम शुरू कर दिया था. कुछ दिनों बाद ही उन का काम तेजी पकड़ गया. जब काम ठीकठाक चल निकला तो अवतार ने 2 साल पहले रुद्रपुर में ही अपना अलग काम शुरू कर लिया, वहीं पर उस ने अपना औफिस भी खोल लिया था.

बाद में अवतार सिंह ने रुद्रपुर में ही अपना मकान भी बना लिया था. अवतार सिंह के घर के सामने ही मनीष मिश्रा का मकान था. मनीष मूलरूप से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के गांव नंदोत फूलपुर का निवासी था. मनीष करीब 2 साल पहले रुद्रपुर आया था. मनीष शादीशुदा और 2 बच्चों का बाप था लेकिन उस का परिवार प्रयागराज में ही रहता था. वह रुद्रपुर में अकेला ही रहता था.

मनीष ने रुद्रपुर में सिक्योरिटी एजेंसी का औफिस खोला था. वह रुद्रपुर की ही विभिन्न फैक्ट्रियों में सुरक्षाकर्मियों को लगा कर उन से अच्छाखासा कमीशन कमा लेता था. उधर अवतार सिंह फैक्ट्रियों में हाउसकीपिंग ठेकेदार था. आमनेसामने रहने और एक ही लाइन से जुड़े होने के कारण अवतार सिंह और मनीष के बीच अच्छी दोस्ती हो गई थी. उन का एकदूसरे के घर भी आनाजाना था.

इसी दौरान नीलम और मनीष के बीच प्रेमप्रसंग शुरू हो गया. उन के बीच संबंध इतने प्रगाढ़ हो गए थे कि दोनों ने अवतार सिंह की गैरमौजूदगी में बाहर भी घूमनाफिरना शुरू कर दिया था. मनीष ने अपने दोस्त के साथ दोस्ती में दगा करते हुए उस के बिस्तर पर भी कब्जा कर लिया. जब कभी भी अवतार किसी काम से घर से बाहर जाता तो उस रात मनीष पूरी तरह से नीलम के घर पर ही रहता था.

इस तरह की बातें लाख छिपाने के बावजूद भी ज्यादा दिनों तक नहीं छिप पाती हैं. लिहाजा किसी तरह उन के संबंधों की भनक अवतार को भी लग गई. उस ने इस बारे में पत्नी से पूछताछ की, लेकिन नीलम ने सफाई देते हुए कहा कि उस के और मनीष के बीच ऐसा कुछ नहीं है, किसी ने जरूर कान भरे होंगे. पत्नी की इस सफाई पर अवतार उस समय शांत जरूर हो गया लेकिन उस के मन का शक दूर नहीं हुआ था. वह पत्नी पर नजर रखने लगा.

4 महीने पहले की बात है. अवतार एक योजना के अनुसार, किसी काम के बहाने घर से बाहर गया हुआ था, तभी नीलम ने मौके का फायदा उठाते हुए अपने प्रेमी मनीष को बुला लिया. कुछ देर बाद अवतार घर लौट आया तो मनीष उसे घर पर ही मिल गया. मनीष को नीलम के साथ देख कर अवतार का खून खौल उठा.

उसी दौरान दोनों में हाथापाई हो गई थी. यही नहीं अवतार ने मनीष को डराने की नीयत से अपनी पिस्टल की नाल उस के मुंह में डाल कर सुधरने की धमकी भी दी थी. उसी दौरान अवतार ने पुलिस को फोन कर घर बुला लिया. मनीष को पुलिस अपने साथ ले गई.

उस के बाद चौकी में बैठ कर दोनों के बीच सुलहनामा हो गया. उसी दौरान अवतार ने पुलिस के सामने ही मनीष को उस के घर पर न आने की हिदायत दी. मनीष ने भी वादा किया कि वह आइंदा उस के घर नहीं जाएगा.

फैसला हो जाने के बाद मनीष अपने घर चला गया. लेकिन उस के मन में उस दिन से अवतार सिंह के प्रति नफरत का बीज अंकुरित हो गया था. मनीष ने मन ही मन ठान लिया था कि वह किसी भी तरह से अपने अपमान का बदला ले कर ही रहेगा. मनीष जानता था कि अवतार की अपनी बीवी नीलम से नहीं बनती है. और वैसे भी अवतार उस वक्त करोड़ों का मालिक था.

करोड़ों रुपए की संपत्ति का मालिक था अवतार. हालांकि नीलम ने अवतार सिंह के साथ लवमैरिज की थी. लेकिन उस की संपत्ति को देख कर वह भी बौखला गई थी. उस के बावजूद भी वह अवतार से सीधे मुंह बात नहीं करती थी. जबकि अवतार उसे जीजान से चाहता था. उस का मकान भी अच्छा बना हुआ था. इस के अलावा हरियाणा में भी उस के नाम पर काफी संपत्ति थी.

पुलिस चौकी में हुए फैसले के बाद मनीष ने कुछ दिनों के लिए नीलम से मिलनाजुलना बंद कर दिया था. लेकिन फोन के द्वारा उस का और नीलम का संपर्क बना हुआ था. उसी दौरान मनीष ने नीलम से मिल कर अवतार को अपने रास्ते से हटाने की बात की तो नीलम भी तैयार हो गई. इस के बाद दोनों ने योजना बनानी शुरू कर दी.

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मार्च, 2019 में उन्होंने योजना को अंतिम रूप दे दिया लेकिन किसी वजह से वह अपनी योजना को अंजाम नहीं दे पा रहे थे. मनीष जानता था कि अवतार सिंह को रास्ते से हटा देने पर वह करोड़ों का मालिक बन सकता है.

मनीष का एक पुराना दोस्त था अजय यादव, जो जौनपुर जिले के दौलतिया गांव का रहने वाला था. मनीष ने अपने दिल की पीड़ा उस के सामने रखते हुए इस मामले में उस का साथ मांगा तो वह साथ देने के लिए तैयार हो गया. फिर योजना के अनुसार, अजय यादव 15 मई, 2019 को मनीष के पास पहुंच गया था. मनीष और नीलम ने पूरी योजना पहले ही तैयार कर रखी थी.

योजना के तहत मनीष ने नीलम को नींद की गोलियां ला कर दे दीं. 16 मई, 2019 को नीलम ने ग्लूकोन डी के पाउडर में नींद की 10 गोलियां पीस कर मिला दी थीं. वही ग्लूकोन डी पाउडर उस ने एक गिलास पानी में घोल कर अवतार को पिला दिया.

नींद की गोलियों ने कुछ देर में असर दिखाया तो अवतार नींद में झूमने लगा. जब उसे लगा कि अब अवतार पूरी तरह से नशे में हो चुका है तो उस ने तुरंत ही मनीष को फोन कर के उस की स्थिति बता कर उसे घर से निकलने के लिए कह दिया.

नीलम ने बेहोश पति को जैसेतैसे कर अपनी कार में ही अगली सीट पर बिठा दिया. नीलम ने खुद कार चलाई और सीधे हल्द्वानी में मुखानी चौराहे पर स्थित डा. नीलांबर भट्ट के क्लीनिक पहुंची. योजनानुसार मनीष मिश्रा और उस का दोस्त अजय यादव भी पल्सर बाइक से उस के पीछे लगे रहे. उसी दौरान उन्होंने रास्ते से ही पैट्रोल भी खरीद लिया था.

हल्द्वानी पहुंचते ही नीलम ने वह कार मनीष के हवाले कर दी थी. मनीष कार को ले कर गांव सलड़ी के रास्ते निकल गया. उस का दोस्त अजय यादव उस के पीछेपीछे बाइक से चल रहा था. सलड़ी गांव के पास पहुंचते ही एकांत जगह पा कर मनीष ने अजय के सहयोग से गले में गमछा लपेट कर अवतार की हत्या कर दी.

अवतार की हत्या करने के बाद मनीष और अजय ने उस के गले में पड़ी सोने की चेन और अंगुली से सोने की अंगूठी भी निकाल ली थी. इस के बाद मनीष ने गाड़ी में पैट्रोल छिड़क कर उसे आग से हवाले कर दिया.

यह काम करने के बाद मनीष और अजय यादव उसी बाइक से हल्द्वानी की ओर आ गए. उस वक्त तक नीलम भी सिटी बस से रुद्रपुर चली गई थी.

योजना को अंजाम देने के बाद नीलम ने अगली सुबह ही रुद्रपुर जा कर पुलिस के सामने अपनी पीड़ा सुना दी. नीलम और मनीष इस कदर चालाक थे कि उन्होंने अवतार हत्याकांड को पूरी तरह से हादसा दिखा कर सारे सबूत खत्म करने की योजना बनाई थी. लेकिन पुलिस के सामने उन की योजना धरी की धरी रह गई. उन की असली योजना अवतार को गायब होना दिखाना था. लेकिन वह अपनी मंशा में पूरी तरह से असफल रहे.

पुलिस ने मनीष मिश्रा को भी गिरफ्तार कर लिया, जो इस वारदात को अंजाम देने के बाद से ही लापता हो गया था. पुलिस ने नीलम और उस के प्रेमी मनीष मिश्रा से विस्तार से पूछताछ के बाद उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया था. जबकि पुलिस तीसरे अभियुक्त अजय यादव को तलाश कर रही थी. जो घटना वाले दिन से ही फरार हो गया था. कथा लिखने तक पुलिस मामले की तहकीकात कर रही थी कि इस हत्याकांड में कहीं और कोई तो शामिल नहीं था.

(कहानी सौजन्य मनोहर कहानी)

प्यार की खातिर

शाम का वक्त था. दिल्ली के वसंत कुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल का पूरा स्टाफ अपनी ड्यूटी पर था. तभी एक युवक अस्पताल के स्ट्रेचर को ठेलता हुआ अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचा और बदहवासी में बोला, ‘‘डाक्टर साहब, मेरी वाइफ ने जहर खा लिया है, इसे बचा लो वरना मैं जी नहीं सकूंगा.’’

उस की बात सुन कर अस्पताल के डाक्टरों ने उस युवती का चैकअप शुरू किया. उस की नब्ज और धड़कन गायब थीं. चैकअप के बाद डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. डाक्टर द्वारा पूछे जाने पर मृतका के साथ आए युवक राहुल मिश्रा ने बताया कि उस ने औफिस से लौटने के बाद पूजा को फर्श पर बेसुध पड़े देखा, उस की बगल में ही एक सुसाइड नोट पड़ा था.

नोट को पढ़ने के बाद उस की समझ में आया कि पूजा ने जहर खा लिया है. इस के बाद वह पूजा को गाड़ी में डाल कर सीधे अस्पताल ले आया.

चूंकि मामला सुसाइड का था, इसलिए अस्पताल प्रशासन ने पूजा राय की मौत की सूचना इलाके के थाना किशनगढ़ को दे दी. थोड़ी ही देर में किशनगढ़ थाने की पुलिस वहां पहुंच गई. पूजा की लाश को अपने कब्जे में ले कर पुलिस राहुल मिश्रा से घटना के बारे में पूछताछ करने लगी.

पूछताछ के दौरान राहुल मिश्रा ने पुलिस को बताया कि वह गुड़गांव की एक बड़ी कंपनी में मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर तैनात है. थोड़ी देर पहले जब वह फ्लैट में पहुंचा तो पूजा फर्श पर पड़ी थी और उस के बगल में सुसाइड नोट रखा था, जिस में उस ने सुसाइड करने की बात लिखी थी.

पूजा की लाश को पोस्टमार्टम के लिए सफदरजंग अस्पताल भेज कर थानाध्यक्ष राजेश मौर्य पूजा के पति राहुल मिश्रा के साथ उस के फ्लैट में पहुंचे. राहुल ने उन्हें पूजा का लिखा हुआ सुसाइड नोट सौंप दिया. कमरे का मुआयना करने के बाद थानाध्यक्ष राजेश मौर्य किशनगढ़ थाना लौट गए. पहली नजर में उन्हें यह मामला सुसाइड का ही लग रहा था.

उसी दिन यानी 16 मार्च, 2019 को किशनगढ़ थाने में सीआरपीसी 173 के तहत यह मामला दर्ज कर लिया गया. अगले दिन डाक्टरों की एक टीम ने पूजा राय का पोस्टमार्टम किया. उस का विसरा भी जांच के लिए रख लिया गया. इस दौरान थानाध्यक्ष राजेश मौर्य ने पूजा के मायके सिंदरी, झारखंड को इस घटना की सूचना दे कर उस के पिता सुरेश राय को दिल्ली बुला लिया.

सुरेश राय ने अपने दामाद पर आरोप लगाते हुए थानाध्यक्ष राजेश मौर्य से कहा, ‘‘मेरी बेटी पूजा ने सुसाइड नहीं किया है, बल्कि उस की हत्या की गई है.’’

राजेश पर आरोप लगने के बाद पुलिस ने 18 मार्च को 3 डाक्टरों के पैनल से पूजा का पोस्टमार्टम कराया. डाक्टरों ने पोस्टमार्टम के बाद उस के विसरा को जांच के लिए भेज दिया. करीब एक महीने के बाद 27 अप्रैल, 2019 को पूजा का पोस्टमार्टम तथा विसरा रिपोर्ट आ गई, जिस में उस के मरने का कारण उस के सिर में घातक चोट का लगना तथा जहर मिला जूस पीना बताया गया.

इस के बाद पुलिस ने 31 अप्रैल को पूजा राय की हत्या का मामला आईपीसी की धारा 302 के अंतर्गत दर्ज कर लिया. इस मामले की तफ्तीश थानाध्यक्ष राजेश मौर्य को सौंपी गई.

केस की जांच संभालते ही थानाध्यक्ष राजेश मौर्य ने अपने आला अधिकारियों को पोस्टमार्टम रिपोर्ट तथा केस में आए इस बदलाव से अवगत करा दिया. साउथ वेस्ट दिल्ली के डीसीपी देवेंद्र आर्य इस मामले में पहले से ही दिलचस्पी ले रहे थे.

उन्होंने केस का खुलासा करने के लिए एसीपी ईश्वर सिंह की निगरानी में एक टीम बनाई, जिस में थानाध्यक्ष राजेश मौर्य, इंसपेक्टर संजय शर्मा, इंसपेक्टर नरेंद्र सिंह चहल, एसआई मनीष, पंकज, एएसआई अजीत, कांस्टेबल गौरव आदि को शामिल किया गया.

थानाध्यक्ष ने उसी दिन मृतका के पति राहुल मिश्रा को थाने बुला कर उसे बताया कि पूजा ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि किसी ने उस की हत्या की है. इसलिए वह इस मामले को सुलझाने में सहयोग करें.

थानाध्यक्ष की बात सुन कर राहुल को हैरानी हुई. वह बोला, ‘‘सर, पूजा की तो किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. ऐसे में भला उस की हत्या कौन कर सकता है? अगर ऐसा है तो मेरी पत्नी के हत्यारे का पता लगा कर उसे जल्द से जल्द पकड़ने की कोशिश करें.’’

‘‘चिंता मत करो, पुलिस अपना काम करेगी. बस आप जांच में सहयोग करते रहना.’’ थानाध्यक्ष ने कहते हुए राहुल से उस से और पूजा से मिलने आने वाले सभी लोगों के फोन नंबर ले कर सभी नंबरों की काल डिटेल्स निकलवा कर उन की बारीकी से जांच की. राहुल की काल डिटेल्स में एक फोन नंबर ऐसा मिला, जिस पर उस की ज्यादा बातें होती थीं.

वह नंबर पद्मा तिवारी का था, जो दिल्ली के मयूर विहार में रहती थी. राहुल ने बताया कि पद्मा उस की दोस्त है. घटना वाले दिन भी पद्मा ने शाम के वक्त राहुल के मोबाइल पर फोन कर उस से काफी देर तक बातें की थीं. इस से दोनों ही पुलिस के शक के दायरे में आ गए.

इस के बाद थानाध्यक्ष राजेश मौर्य ने राहुल के फ्लैट पर पहुंच कर वहां आसपड़ोस में रहने वालों से पूछताछ की तो पता चला कि 16 मार्च, 2019 की सुबह पद्मा तिवारी पूजा से मिलने उस के फ्लैट पर आई थी. इस के बाद किसी ने पूजा को फ्लैट से बाहर निकलते नहीं देखा था. अलबत्ता शाम के वक्त राहुल पूजा को बेहोशी की हालत में ले कर फोर्टिस अस्पताल गया था.

थानाध्यक्ष को अब मामला कुछकुछ समझ में आने लगा था, लेकिन उस वक्त उन्होंने राहुल मिश्रा से ऐसा कुछ नहीं कहा जिस से उसे पता चले कि उन्हें उस के ऊपर शक हो गया है.

राहुल से पूछताछ के बाद जब वह अपनी टीम के साथ वहां से चलने को हुए तो राहुल को फिर से थाने में आने का आदेश दिया. इस के अलावा उन्होंने राहुल की दोस्त पद्मा तिवारी को भी फोन कर उसे किशनगढ़ थाने में पहुंच कर मामले की जांच में सहयोग करने के लिए कह दिया.

जब राहुल और पद्मा किशनगढ़ थाने में पहुंचे तो उन दोनों से उन की कालडिटेल्स तथा उन के द्वारा पूर्व में दिए गए बयानों में आ रहे विरोधाभासों के आधार पर अलगअलग पूछताछ की गई तो उन के बयानों में फिर से काफी विरोधाभास नजर आया.

 

सुसाइड नोट की राइटिंग की जांच के लिए पुलिस ने पद्मा की हैंडराइटिंग की जांच की. इस जांच में पुलिस को सुसाइड नोट की राइटिंग और पद्मा की हैंडराइटिंग काफी हद तक एक जैसी लगी.

तीखे पुलिसिया सवालों से आखिर पद्मा टूट गई. उस ने पूजा की हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया. फिर राहुल ने भी मान लिया कि पूजा की हत्या पूरी तरह सुनियोजित थी. इतना ही नहीं, घटना वाले दिन पद्मा ने उस के मोबाइल पर फोन कर उसे पूजा की हत्या की जानकारी दी थी.

उन्होंने पूजा की हत्या क्यों की, इस बारे में जब उन से विस्तार से पूछताछ की गई तो पूजा राय की हत्या के पीछे जो तथ्य उभर कर सामने आए, वह बचपन के प्यार को पाने की जिद की एक हैरतअंगेज कहानी थी.

कहा जाता है कि बचपन की दोस्ती और स्कूल के दिनों का प्यार भुलाए नहीं भूलता. और जब शादी के बाद वही बचपन का प्यार उस के शादीशुदा जीवन में अचानक सामने आ कर खड़ा हो जाए तो जिंदगी किस दोराहे या चौराहे पर पहुंचेगी, यह अनुमान लगाना आसान नहीं होता. कुछ ऐसा ही हुआ 32 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर राहुल मिश्रा और उस के बचपन की दोस्त 33 वर्षीय एमबीए पद्मा तिवारी के साथ.

राहुल मिश्रा अपने पिता रामदेव मिश्रा के साथ झारखंड के शहर सिंदरी में रहता था. वह वहां के डिनोबली स्कूल में पढ़ता था. पद्मा तिवारी भी उस के क्लास में थी. पद्मा तिवारी के मातापिता भी सिंदरी में रहते थे. दोनों बचपन से ही एकदूसरे के दोस्त थे. उम्र बढ़ने के साथ उन की दोस्ती प्यार में बदल गई.

12वीं पास करने के बाद दोनों आगे की पढ़ाई के लिए न चाहते हुए भी एकदूसरे से बिछड़ गए, क्योंकि राहुल मिश्रा ने ग्वालियर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी और सन 2010 में गुड़गांव स्थित एक कंपनी में उस की नौकरी लग गई. राहुल अपनी नौकरी में व्यस्त था. उस का पद्मा तिवारी से एक तरह से संपर्क टूट गया था.

 

सन 2015 में राहुल मिश्रा के स्कूल के दोस्तों ने एक वाट्सऐप ग्रुप बनाया, जिस में राहुल मिश्रा और पद्मा तिवारी का नाम भी शामिल था. इस ग्रुप के द्वारा पद्मा ने राहुल मिश्रा से मोबाइल फोन पर संपर्क किया. चूंकि उन की काफी दिनों बाद बातचीत हुई थी, इसलिए वे बहुत खुश हुए.

बातचीत से पता चला कि पद्मा ने नोएडा में रह कर एमबीए किया था. उस के बाद उसे नोएडा की एक मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी मिल गई थी. इस समय वह नोएडा में नौकरी कर रही थी, जहां उसे अच्छीखासी तनख्वाह मिलती थी. इस के बाद दोनों लगातार एकदूसरे से फोन पर बातें करने लगे.

इस से उन के स्कूल के दिनों का प्यार फिर से जीवित हो गया. अब दोनों ही अच्छी सैलरी ले रहे थे, इसलिए उन का जब मन होता, वे इधरउधर घूम कर दिल की बातें कर लेते थे. उन की नजदीकियां उस मुकाम पर पहुंच चुकी थीं कि अब दोनों को कोई जुदा नहीं कर सकता था.

लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. सन 2017 में जब राहुल मिश्रा के घर में उस की शादी की बात चली तो उन लोगों ने अपनी बहू के रूप में सिंदरी की ही रहने वाली पूजा राय को पसंद कर लिया. इस पर राहुल ने अपने घर वालों को बताया कि वह सिंदरी की रहने वाली सहपाठी पद्मा तिवारी से प्यार करता है और उसी से शादी करना चाहता है.

राहुल ने घर वालों को यह भी बताया कि एमबीए करने के बाद पद्मा नोएडा की एक कंपनी में ऊंचे पद पर नौकरी कर रही है. लेकिन राहुल के पिता रामदेव मिश्रा ने राहुल की बात को हलके में लिया और उस की बात अनसुनी करते हुए पूजा से ही उस की शादी पक्की कर दी.

 

बनने लगी हत्या की योजना

 

राहुल को इस बात का दुख हुआ. वह अब ऐसा उपाय सोचने लगा कि किसी तरह उस की पूजा से शादी टूट जाए. उस ने तय कर लिया कि वह पूजा से मिल कर बता देगा कि उस का पद्मा के साथ अफेयर चल रहा है.

एक दिन वह पूजा राय के पास पहुंचा और अपने व पद्मा तिवारी के बीच सालों से चले आ रहे अफेयर की बात यह सोच कर बता दी कि यह सुन कर शायद वह उस से शादी करने से मना कर देगी. लेकिन पूजा समझदार लड़की थी.

वह राहुल की इस बात पर नाराज नहीं हुई बल्कि उसे उस की साफगोई अच्छी लगी कि राहुल दिल का साफ है जो उस ने यह बात उसे बता दी. यानी अपने होने वाले पति के मुंह से उस के पुराने अफेयर के बारे में जानकारी मिलने के बाद भी पूजा उस से शादी के लिए तैयार थी.

अप्रैल, 2017 में राहुल मिश्रा की शादी पूजा राय से हो गई. शादी के बाद राहुल पूजा को ले कर दिल्ली आ गया और साउथ दिल्ली के किशनगढ़ इलाके में किराए का एक फ्लैट ले कर रहने लगा. राहुल से शादी कर के पूजा बहुत खुश थी.

उस ने तय कर लिया था कि वह राहुल को इतना प्यार देगी कि वह अपना पिछला प्यार भूल जाएगा. पूजा ने राहुल की सेवा करने में सचमुच कोई कसर नहीं छोड़ी. यहां तक कि महंगाई के कारण घर चलाने के लिए जब अधिक रुपयों की जरूरत महसूस हुई तो उस ने भी नौकरी करने का फैसला कर लिया.

उधर राहुल पूजा से शादी के बाद भी पद्मा को अपने दिल से नहीं निकाल सका. पद्मा का हाल भी राहुल की तरह ही था. दोनों वक्त निकाल कर एकदूसरे से मिलतेजुलते रहे. पद्मा मयूर विहार में एक किराए के फ्लैट में रहती थी.

 

अक्तूबर 2018 में जब पूजा की नौकरी करने के लिए उस का बायोडाटा तैयार करने की बात आई तो राहुल ने इसी बहाने पद्मा को अपने फ्लैट पर बुला लिया. पद्मा ने पूजा का बायोडाटा तैयार कर दिया. आगे चल कर पूजा को भी गुड़गांव की एक मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी मिल गई. इस के बाद पद्मा किसी न किसी बहाने उस के यहां आती रही.

जब पद्मा का राहुल के यहां ज्यादा आनाजाना बढ़ गया तो पूजा को पद्मा और राहुल के रिश्तों पर शक हो गया. उसे पद्मा का बारबार फ्लैट पर आना अखरने लगा. तब पूजा उस के साथ रूखा व्यवहार करने लगी.

इतना ही नहीं, वह पद्मा को हंसीमजाक के दौरान राहुल को ले कर कुछ ऐसी बात कर देती जिसे सुन कर वह तिलमिला कर रह जाती थी. पर पद्मा दिल के हाथों मजबूर थी. वह राहुल को बहुत चाहती थी. इसलिए उस ने राहुल के फ्लैट पर आना नहीं छोड़ा. इसलिए पूजा के व्यंग्य करने के बाद भी वह उस के यहां आती रही.

 

पद्मा ने ही ली पूजा की जान

 

लेकिन जब पूजा ने उस के और राहुल के रिश्तों को ले कर जलीकटी सुनानी जारी रखीं तो एक दिन उस ने यह बात राहुल को बताई और इस का कोई हल निकालने को कहा. पद्मा की बात सुन कर राहुल को अपनी पत्नी पर बहुत गुस्सा आया. उसी दिन दोनों ने मिल कर निश्चय कर लिया कि वे इस के बदले पूजा को जरूर सबक सिखाएंगे. दोनों ने इस के लिए एक योजना भी बना ली.

16 मार्च, 2019 को शनिवार का दिन था. योजना के अनुसार राहुल सुबह तैयार हो कर गुड़गांव स्थित अपने औफिस चला गया. चूंकि पूजा की उस दिन छुट्टी थी, इसलिए वह फ्लैट पर अकेली आराम कर रही थी. राहुल के जाने के कुछ देर बाद पद्मा पूजा से मिलने फ्लैट पर पहुंची तो पूजा ने उस से कहा कि उसे किसी काम से बाहर निकलना है, इसलिए वह उसे अधिक समय नहीं दे पाएगी.

इस पर पद्मा ने उस से कहा, ‘‘कुछ देर बातचीत कर के मैं चली जाऊंगी तो तुम चली जाना.’’

पद्मा अपने साथ 2 गिलास फ्रूट जूस ले कर आई थी. उस ने दोनों गिलास पूजा के सामने टेबल पर रख दिए. उस वक्त काम करने वाली आया घर का कामकाज निपटा रही थी. इस बीच पूजा ने पद्मा के साथ नाश्ता किया. जब आया अपना काम खत्म कर वहां से चली गई तो पद्मा ने पूजा से जूस पी लेने के लिए कहा.

जैसे ही पूजा ने जूस पीने के लिए गिलास उठाना चाहा तो पद्मा ने कहा कि वह उस के लिए एक गिलास पानी ले आए. यह सुन कर पूजा जूस का गिलास वहीं छोड़ कर पानी लाने के लिए चली गई.

पूजा के जाते ही पद्मा ने अपने कपड़ों में छिपा कर लाया जहरीला पदार्थ उस के गिलास में डाल कर मिला दिया. पूजा किचन से पानी का गिलास ले कर लौटी और गिलास पद्मा को दे दिया. इस के बाद पूजा ने पद्मा द्वारा लाया जूस का गिलास उठाया और धीरेधीरे पूरा जूस खत्म कर दिया.

जूस पीने के थोड़ी देर बाद अचानक उस की तबीयत खराब होने लगी. उल्टी और पेट दर्द की शिकायत होने पर उस ने फ्लैट से बाहर निकलना चाहा लेकिन पद्मा ने उसे पकड़ कर दबोच लिया. पूजा के बेहोश होने पर पद्मा ने उस का सिर बारबार फर्श से पटका ताकि उस के जीवित रहने की संभावना न रहे.

 

पूजा की हत्या करने के बाद पद्मा ने फ्लैट को अच्छी तरह साफ किया और पेपर के बने उन दोनों गिलासों को अपने साथ ले कर वहां से मयूर विहार अपने कमरे पर लौट आई. शाम को उस ने अपने प्रेमी राहुल मिश्रा को फोन कर बता दिया कि आज उस ने उस की पत्नी पूजा का किस्सा तमाम कर दिया है.

साथ ही उस ने यह भी बताया कि उस ने पूजा के पास में सुसाइड नोट भी लिख कर छोड़ दिया है, जिसे पढ़ कर पुलिस और तमाम लोग यह समझेंगे कि पूजा ने किसी कारण परेशान हो कर सुसाइड कर लिया है.

शाम के वक्त राहुल औफिस से अपने फ्लैट पर पहुंचा तो योजना के अनुसार पूजा की डैडबौडी को ले कर वसंत कुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल पहुंचा और वहां डाक्टर से नाटक करते हुए अपनी पत्नी की जान बचा लेने की गुहार लगाई.

लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हेड इंजरी तथा पूजा को जूस में जहर देने की बात सामने आई, जिस से राहुल और पद्मा द्वारा रचे गए पूजा के नकली सुसाइड के रहस्य से पदा हटा दिया.

अगले दिन पुलिस ने दोनों आरोपियों को अदालत में पेश कर दिया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

अपना कातिल ढूंढने वाली महिला

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का डा. राममनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय देश भर में प्रसिद्ध है. थाना कृष्णानगर क्षेत्र में आने वाले इस विश्वविद्यालय की पार्किंग बाउंड्री वाल के बाहर है. 23 मार्च, 2019 को जब मौर्निंग वाक पर निकले कुछ लोग उधर से गुजरे तो उन की निगाह फुटपाथ पर पड़े एक बड़े से बैग पर चली गई.

सामान्य रूप से लोगों ने समझा कि या तो कोई अपना बैग वहां रख कर भूल गया है या मौर्निंग वाक पर आए किसी व्यक्ति ने उसे वहां रख दिया है, जो वापस लौटते वक्त ले लेगा. हालांकि बैग का बड़ा साइज इन संभावनाओं को नकार रहा था.

लेकिन लोगों की यह सोच तब बदल गई, जब लौटते समय भी उन्होंने बैग को वहीं पड़े देखा. बैग में विस्फोटक रखे होने की आशंका के चलते किसी ने भी उसे हाथ लगाने की हिम्मत नहीं की. इस से बेहतर यही था कि पुलिस को बुला लिया जाए. ऐसा ही किया भी गया.

सूचना मिलते ही थाना कृष्णानगर के थानाप्रभारी दिनेश मिश्रा अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. पुलिस ने बैग खोला तो उस के होश उड़ गए. बैग में 30-40 साल की किसी महिला का सिर, दोनों पैर और दोनों हाथ थे. बैग में 521 प्रीमियम राइस की 25 किलो की बोरी और बेबी क्लब का बैग निकले. चावल की बोरी में महिला के पैर और सिर था, जबकि बेबी क्लब के बैग में दोनों हाथ रखे हुए थे. मृतका ने सोने की अंगूठी पहन रखी थी और एक हाथ पर टैटू गुदा हुआ था.

हालफिलहाल पुलिस के सामने सब से बड़ा सवाल यह था कि उस महिला के धड़ को कहां और कैसे खोजा जाए. पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीमों ने धड़ को खोजने की कोशिश की. इस के लिए डौग स्क्वायड की भी मदद ली गई. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

एसएसपी कलानिधि नैथानी और सीओ लालप्रताप सिंह भी वहां पहुंच गए थे. उन्होंने भी लाश के टुकड़ों और उस जगह को अपने नजरिए से देखा समझा. प्रथम संभावना में उस महिला को घरेलू हिंसा की शिकार माना गया.

अंतत: यह तय हुआ कि बरामद अंगों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया जाए और जितनी भी संभावनाएं हों, सभी की सिलसिलेवार जांच की जाए. पुलिस ने केस दर्ज कर के आसपास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली. साथ ही जो भी तरीके हो सकते थे, पुलिस ने उन तरीकों से भी महिला की पहचान कराने की कोशिश की. साथ ही धड़ की खोजबीन भी जारी रखी.

जिस जगह पर बैग रखा मिला था, उस के आसपास की छानबीन में पुलिस को लाल स्याही से हाथ से लिखे एक पत्र के दरजनों टुकड़े मिले, जिन्हें समेट कर सावधानी से रख लिया गया. एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि अलसुबह 4 बजे जब वह मौर्निंग वाक पर जा रहा था तो उस ने एक व्यक्ति को पीठ पर बोरा लाद कर ले जाते देखा था. इतना ही नहीं, उस ने फुटपाथ पर बोरा भी उस के सामने ही रखा था.

पुलिस द्वारा सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी गईं तो उन में से एक फुटेज में एक व्यक्ति को पीठ पर बैग लाद कर ले जाते हुए देखा गया. लेकिन बैग ले जा रहे व्यक्ति का चेहरा साफ नहीं था, इसलिए उसे पहचानना संभव नहीं था.

महिला की पहचान के लिए कोई रास्ता न निकलता देख पुलिस ने महिला के हाथ में पहनी अंगूठी, हाथ पर बने टैटू, लाश वाला बैग, उस के अंदर मिली चावल की बोरी और बेबी क्लब का बैग वगैरह चीजों का कोलाज बना कर जारी किया. साथ ही घोषणा की कि उस महिला की पहचान करने या उस के बारे में सूचना देने वाले को 25 हजार रुपए का नकद ईनाम दिया जाएगा.

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25 मार्च रविवार की सुबह बीबीखेड़ा निवासी महिला कीर्ति सिंह जब दूध ले कर लौट रही थी तो उस ने न्यू कांशीराम कालोनी के पास स्थित हैमिल्टन स्कूल के पीछे से गुजरते समय तेज बदबू महसूस की. उस ने देखा तो पौलीथिन में कुछ लिपटा नजर आया. कीर्ति ने घर जा कर यह बात अपने पति अमरेंद्र सिंह को बताई. अमरेंद्र ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर के सूचना दे दी.

पुलिस कंट्रोल रूम ने यह सूचना थाना पारा को दी. पुलिस ने वहां पहुंच कर देखा तो पौलीथिन में लिपटा उसी महिला का धड़ मिला, जिस का सिर और हाथपांव डा. राममनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के बाहर पार्किंग में पड़े थैले में रखे मिले थे. हत्यारे ने महिला के धड़ को लाल काले रंग की दरी में लपेट कर प्लास्टिक की बोरी में डाला था ताकि खून न बहे.

एसपी (पूर्व) सुरेशचंद रावत सहित क्राइम ब्रांच, फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड भी मौके पर पहुंचे. थाना पारा और थाना कृष्णानगर की पुलिस तो वहां थी ही. कृष्णानगर थानाक्षेत्र जहां महिला का सिर और पैर मिले थे, वहां से थाना पारा का वह इलाका जहां धड़ मिला था, के बीच 6 किलोमीटर की दूरी थी.

पुलिस ने अनुमान लगाया कि हत्यारे ने कृष्णानगर या पारा के आसपास किसी घर में महिला की हत्या की होगी और लाश के टुकड़ों को 2 जगहों पर इसलिए फेंका होगा कि पुलिस असमंजस में पड़ जाए कि हत्या कृष्णानगर क्षेत्र में हुई या पारा क्षेत्र में. यह सब उस ने पुलिस से बचने के लिए किया होगा. पुलिस का यह भी अनुमान था कि हत्यारा कोई एक ही व्यक्ति रहा होगा.

प्राथमिक काररवाई के बाद पुलिस ने धड़ को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. धड़ और अन्य अंग एक ही महिला के हैं, इस का पता लगाने के लिए डीएनए कराने को लिखा गया. घटना का खुलासा जल्दी हो, इस के लिए एसएसपी कलानिधि नैथानी ने एसपी (पूर्वी) सुरेशचंद्र रावत के नेतृत्व में सीओ क्राइम, सीओ कृष्णानगर और डीसीआरबी प्रभारी को खुलासे की जिम्मेदारी सौंपते हुए 3 पुलिस टीमें बनाईं.

इन टीमों ने उसी दिन यानी 24 मार्च की शाम तक 20 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखीं. इस के साथ ही पुलिस अधिकारियों ने लखनऊ जोन के सभी जिलों के थानों में दर्ज महिलाओं की गुमशुदगी व अपहरण के मुकदमों की जानकारी मांगी. गहन छानबीन के मद्देनजर बीट के 100 सिपाहियों को घूमघूम कर महिला की पहचान कराने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में भेजा गया. महिला से संबंधित जानकारी पुलिस को देने के लिए जगहजगह पोस्टर भी लगवाए गए.

पारा क्षेत्र में रहने वाले बाबूलाल कनौजिया ने 25 मार्च को थाना पारा में गुमशुदगी दर्ज कराई कि उस का भाई सुनील कनौजिया 2 हफ्ते से लापता है. बाबूलाल ने यह भी बताया कि सुनील पिछले 4-5 महीने से अपनी पत्नी भारती पांडेय के साथ हंसखेड़ा, न्यू कांशीराम कालोनी में किराए के मकान में रह रहा था.

सुनील की कोई जानकारी न मिलने पर उस के भाई बाबूलाल ने थाना चौकी के चक्कर लगाने शुरू कर दिए थे. इस मामले की जांच कर रहे सबइंसपेक्टर ने सुनील के फोटो लगा पोस्टर छपवा कर विभिन्न जगहों पर लगवाने को कहा.

लेकिन बाबूलाल के पास सुनील का कोई फोटो नहीं था. अंतत: सुनील के गुम होने के 11वें दिन यानी 4 अप्रैल को फोटो की तलाश में जांच अधिकारी बाबूलाल के साथ सुनील के कमरे पर पहुंचे. ताला तोड़ने के अलावा उन के पास कोई विकल्प नहीं था.

ताला तोड़ कर कमरे के अंदर छानबीन की गई तो यह रहस्य सामने आया कि सुनील की पत्नी भारती पांडेय भी लापता थी. पुलिस ने कमरे से मिले सुनील और भारती पांडेय के सामूहिक फोटो और कृष्णानगर क्षेत्र में मिली लाश के अंगों के फोटो आसपड़ोस के लोगों को दिखाए तो कई लोगों ने सोने की अंगूठी, टैटू और चेहरा पहचान लिया. ये चीजें भारती पांडेय की ही थीं.

पुलिस ने कमरे को खंगाला तो टंकी के पाइप में रखे युवक के गीले कपड़ों पर खून के धब्बे नजर आए. इस के साथ ही यह बात भी साफ हो गई कि जिस महिला का धड़, सिर और अन्य अंग मिले थे, उस की हत्या इसी कमरे में की गई थी यानी वह भारती पांडेय ही थी.

छानबीन में भारती के बारे में कई जानकारियां मिलीं. पुलिस ने मकान मालिक दिलीप कुमार को बुला कर इस मामले में पूछताछ की. उस ने बताया कि भारती पांडेय नाम की महिला ने 5 महीने पहले 18 सौ रुपए महीने पर उन के मकान का कमरा किराए पर लिया था. उस ने आईडी की प्रति देते हुए बताया था कि वह नाका क्षेत्र की एक कंपनी में काम करती है. आईडी में भारती के पति का नाम रामगोपाल पांडेय और नाका के होलीग्राम स्कूल आर्यनगर का पता दर्ज था. इसपर पुलिस ने नाका क्षेत्र में रामगोपाल की तलाश शुरू की. जांच के दौरान खुलासा हुआ कि पश्चिम बंगाल के कोलकाता की मूल निवासी भारती पांडेय 12 साल पहले अपने बेटे राजकुमार के साथ लखनऊ आई थी. उस ने रामगोपाल पांडेय से दूसरी शादी की थी. बाद में उस ने रामगोपाल को छोड़ कर सुनील से शादी कर ली थी. सुनील से भारती को कोई बच्चा नहीं था.

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भारती ने पहली शादी कोलकाता में और दूसरी गोंडा के कर्नलगंज निवासी रामगोपाल पांडेय जो होलीग्राम स्कूल का रिक्शाचालक था, से की थी. रामगोपाल पांडेय ने भारती के बेटे राजकुमार को अपना लिया था. तीनों लोग नेवाजखेड़ा में रहने लगे थे. भारती इलाके की एक चाऊमीन फैक्ट्री में काम कर के घर के खर्च में हाथ बंटाने लगी थी. इस बीच उस ने 2 बेटियों चांदनी व लक्ष्मी को जन्म दिया था.

शव की शिनाख्त के लिए पुलिस की एक टीम भारती पांडेय के दूसरे पति रामगोपाल पांडेय की तलाश में गोंडा भेजी गई. पुलिस रामगोपाल व उस की एक बेटी को लखनऊ ले आई. रामगोपाल ने बैग में मिले शरीर के टुकड़ों की पहचान अपनी पूर्वपत्नी भारती पांडेय के रूप में कर दी.

रामगोपाल ने पुलिस को जानकारी दी कि भारती के पहले पति का बेटा राजकुमार पश्चिम बंगाल में अपनी ननिहाल में रहता है. कोलकाता से आई भारती 8 साल रामगोपाल की पत्नी बन कर उस के साथ रही. इस के बाद उस के संबंध सुनील कनौजिया से हो गए. भारती का हाथ थामने से पहले सुनील ने अपनी पहली पत्नी से नाता तोड़ लिया था.

बाबूलाल व अन्य लोगों से पूछताछ में खुलासा हुआ कि सुनील की पहली पत्नी इंदिरानगर इलाके में रहती है. भारती पांडेय की हत्या के बाद सुनील के पहली पत्नी के पास लौटने की संभावना को देखते हुए पुलिस ने जांच की, लेकिन सुनील वहां नहीं मिला.

छानबीन में पता चला कि चाऊमीन फैक्ट्री में काम करने के दौरान दिलफेंक भारती की आंखें फ्रेमिंग का काम करने वाले सुनील कनौजिया से लड़ गई थीं. सुनील एल्युमीनियम के फ्रेम तैयार करने वाली जिस दुकान में काम करता था, वह चाऊमीन फैक्ट्री के सामने थी. जब भी भारती फैक्ट्री से निकलती, उस की नजर दुकान पर काम करते सुनील पर ही टिकी होतीं. जब कभी नजरें मिल जातीं तो दोनों मुसकरा देते थे. यह सिलसिला काफी दिनों तक चला. इस बीच दोनों की बातचीत होने लगी और फिर दोस्ती हो गई.

कोलकाता से साथ लाए बेटे और रामगोपाल से पैदा अपनी दोनों बेटियों को छोड़ कर भारती ने साढ़े 3 साल पहले सुनील का हाथ थाम लिया था.

रामगोपाल ने दोनों बच्चियों की देखरेख के लिए भारती को काफी समझाया. लेकिन उस के सिर पर चढ़े इश्क के भूत के आगे उसे हार माननी पड़ी. भारती को समझाने का कोई नतीजा न निकलने पर वह तीनों बच्चों को ले कर गोंडा स्थित अपने घर चला गया.

भारती करीब ढाई साल सुनील के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रही. पिछले साल दोनों ने राजाजीपुरम की महिला शक्ति कल्याण समिति द्वारा आयोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम में शादी कर ली थी.

पुलिस ने भारती व सुनील की शादी कराने वाली संस्था की अध्यक्ष रजनी यादव व कालोनी में रहने वाले भारती के पड़ोसियों से पूछताछ की. पता चला कि भारती का फिर किसी से अफेयर हो गया था और वह अकसर फोन पर बातचीत करती रहती थी, जिसे ले कर उस का पति सुनील उस पर शक करता था. वह उसे फोन पर बात करने से मना करता था, लेकिन भारती पर इस का कोई असर नहीं होता था.

भारती के आचरण पर शक

इसी बात को ले कर दोनों में आए दिन झगड़ा होने लगा था. इस पर भारती ने पति को छोड़ कर दिलीप कुमार के मकान में किराए का अलग कमरा ले लिया था. कई दिन तक भारती के न मिलने पर सुनील उस की तलाश करता रहा और आखिरकार किसी तरह उस के कमरे तक पहुंच ही गया.

सुनील ने उस से पूछा कि वह उसे अकेला छोड़ कर बिना बताए क्यों चली आई? इस बात को ले कर उस ने भारती को डांटाफटकारा, जिस ले कर दोनों में झगड़ा हो गया. हालांकि बाद में वह भारती के पास ही रहने लगा था. हालांकि कमरा लेते वक्त भारती ने मकान मालिक को बताया था कि उस का पति बाहर काम करता है और वह यहां अकेली रहेगी.

पुलिस ने भारती पांडेय के मोबाइल की काल डिटेल्स खंगालने के बाद सुनील के भाई बाबूलाल से गहराई से पूछताछ की. सुनील अपने भाई बाबूलाल की दुकान पर ही काम करता था. पुलिस ने उसी दुकान के शीशा कटिंग व फ्रेमिंग के कारीगर प्रेमप्रकाश व नरेंद्र को हिरासत में ले कर पूछताछ की, ये दोनों भारती से परिचित थे.

पड़ताल में जुटे पुलिस अफसरों का मानना था कि तीसरा पति सुनील कनौजिया भारती की अन्य लोगों से नजदीकी से नाराज था, इसीलिए उस ने उस की हत्या की थी. हत्या में अन्य लोगों के शामिल होने की भी पुलिस गहनता से जांच में लग गई. पुलिस ने आशंका व्यक्त की कि फ्रेमिंग के लिए एल्युमीनियम काटने वाली आरी से भारती के शव के टुकड़े किए गए थे.

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पुलिस का मानना था कि फोन पर बातचीत को ले कर हुए विवाद के बाद 23 मार्च की रात में सुनील ने भारती की गला दबा कर हत्या की होगी और उस के बाद आरी से उस के टुकड़े किए होंगे. बाद में वह उन टुकड़ों को 2 अलगअलग जगहों पर फेंक कर फरार हो गया होगा. जांच के दौरान यह भी पता चला कि भारती का मोबाइल 22 मार्च को बंद हो गया था.

सुनील के बड़े भाई बाबूलाल ने पुलिस को बताया कि सुनील 24 मार्च की रात में उस के घर आया था. इस दौरान उस ने खाना भी खाया था. भतीजी ने जब सुनील से पूछा, ‘‘चाचा, चाची को साथ क्यों नहीं लाए?’’ तो सुनील ने कहा, ‘‘तुम्हारी चाची भारती अपने मायके गई हुई है.’’

सुनील ने 25 मार्च को अपना फोन स्विच्ड औफ कर लिया था. जिस के बाद से उस का कोई सुराग नहीं लग पा रहा था.

कमरे में टंकी के पाइप पर सुनील की पीली जींस व काली शर्ट पर खून के हलके धब्बों के अलावा कोई साक्ष्य नहीं मिला. इस पर एसएसपी कलानिधि नैथानी ने फोरैंसिक टीम भेज कर जांच कराई.

बेंजिडाइन टेस्ट में कमरे में रखे वाइपर, प्लास्टिक के टब, स्टील के मग और फर्श पर खून के धब्बे नजर आने लगे. फोरैंसिक जांच में सुनील की जींस और टीशर्ट पर मिले खून के धब्बों में भारती के ब्लड सेल्स मिलने की पुष्टि हुई. हालांकि सुनील ने पूरा कमरा साफ कर दिया था, लेकिन बेंजिडाइन टेस्ट की वजह से खून के धब्बे मिल ही गए.

पुलिस व क्राइम ब्रांच की टीम ने इस बीच विधि विश्वविद्यालय की तरफ जाने वाले विभिन्न मार्गों के सीसीटीवी कैमरों के 22 मार्च की शाम से 23 मार्च की सुबह तक के फुटेज खंगाले, लेकिन सुनील या अन्य कोई संदिग्ध नजर नहीं आया.

एक फुटेज में बैग लादे एक युवक दिखा भी, लेकिन उस का चेहरा साफ नहीं दिखाई दे रहा था. अपर पुलिस अधीक्षक नगर (पूर्वी) का कहना है कि मार्ग से गुजरे एक आटो को संदेह के घेरे में लिया गया है. आशंका है कि सुनील 22 मार्च की रात आटो या किसी अन्य वाहन से भारती पांडेय के हाथ, पैर व सिर से भरा बैग ले कर राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय के सामने उतरा होगा और वहां बैग को छोड़ कर चला गया होगा.

भारती का मोबाइल 22 मार्च को बंद हुआ. इस के अगले दिन कृष्णानगर इलाके में बैग में महिला के शरीर के टुकड़े और 24 मार्च को पारा इलाके में बोरी में धड़ बरामद होने की खबर विभिन्न अखबारों में छपी, टीवी चैनलों के साथ सोशल मीडिया पर भी वायरल हुई, लेकिन भारती के किसी भी दोस्त ने उस की सुध नहीं ली.

पुलिसकर्मियों ने उस के हाथ व चेहरे के फोटो ले कर कांशीराम कालोनी के लोगों से संपर्क किया, पोस्टर लगवाए, लेकिन उसे किसी ने नहीं पहचाना. न भारती के लापता होने की जानकारी पुलिस को दी. भारती का जेठ बाबूलाल भी चुप्पी साधे रहा. सुनील कनौजिया के मोबाइल की काल डिटेल्स खंगालने पर पुलिस को पता चला कि उस ने 25 मार्च को अपने भाई बाबूलाल कनौजिया से बात करने के बाद फोन बंद कर लिया था.

इस पर पुलिस ने बाबूलाल से कड़ाई से पूछताछ की, तब खुलासा हुआ कि भारती की अन्य युवकों से दोस्ती के चलते सुनील बेहद नाराज था. जब सुनील 24 मार्च को भाई के घर खाना खाने आया तब उस ने पत्नी की हत्या की कोई जानकारी नहीं दी थी.

 

सुनील ने 25 मार्च को बाबूलाल को फोन किया था. उस ने बताया, ‘‘भाई, मैं ने अपनी भारती की हत्या कर दी है. उस के शव को भी ठिकाने लगा दिया है.’’

सुनील ने आगे कहा, ‘‘अब वह आत्महत्या करने जा रहा है.’’

बाबूलाल ने बताया कि वह सुनील से कुछ कहता, इस से पहले ही सुनील ने फोन काट दिया था. फिर उस ने अपना फोन बंद कर दिया था. इस के बाद ही बाबूलाल ने पारा थाने में सुनील की गुमशुदगी दर्ज कराई थी. भारती का मोबाइल 22 मार्च को बंद हुआ. इस के अगले ही दिन कृष्णानगर में बैग में उस की लाश मिली.

भारती की हत्या कर शव के टुकड़े करने के मामले में पुलिस आरोपित पति सुनील की लोकेशन का पता नहीं लगा पाई. हालांकि 25 मार्च के बाद से आरोपित का मोबाइल बंद है. इस मामले में पुलिस ने कई जगहों पर दबिश दी, लेकिन लापता कथित हत्यारे पति सुनील का कोई सुराग नहीं मिला.

इंसपेक्टर कृष्णानगर दिनेश मिश्रा के मुताबिक मामले की छानबीन की जा रही है. महिला के जेठ बाबूलाल से कई चरणों में पूछताछ की गई.

कपड़ों की तरह प्रेमियों को बदलने वाली स्वार्थी भारती ने अपने बच्चों की तरफ भी ध्यान नहीं दिया. उन्हें छोड़ कर उस ने अपने तीसरे प्रेमी के साथ शादी रचा ली. लेकिन जब वह चौथे प्रेमी से इश्क लड़ाने लगी तो उसे अपनी जान गंवानी पड़ी. उस के तीसरे पति ने उस की हत्या कर उस की लाश को टुकड़ों में बांट दिया.  द्य

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

जस्टिस फौर ट्विंकल

  लेखक:   निखिल अग्रवाल

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले का नाम मजबूत तालों के लिए देश में ही नहीं, विदेशों में भी मशहूर है. इसी अलीगढ़ जिले में एक कस्बा है-टप्पल. दिल्ली से करीब 90 किलोमीटर दूर मिलीजुली आबादी वाले इस कस्बे में ढाई

साल की मासूम ट्विंकल से हुई हैवानियत ने लोगों को झकझोर कर रख दिया था. जून के पहले पखवाड़े में घटी वारदात के बाद अलीगढ़ का यह कस्बा पूरे देश में अचानक ही सुर्खियों में छा गया.

इसी 2 जून की बात है. सुबह के 9-10 बजे होंगे. टप्पल कस्बे में सफाई कर्मचारी सड़कों पर सफाई कर कूड़ाकचरा उठा रहे थे. उन्होंने एक जगह कूड़े के ढेर में कई कुत्तों को मुंह मारते हुए देखा. कुत्तों का गंदगी में मुंह मारना कोई नई बात नहीं थी. लेकिन कुत्ते वहां कचरे में कपड़े में लिपटी जिस चीज को खींच रहे थे, उस से दुर्गंध भी आ रही थी.

तेज दुर्गंध आने से सफाई कर्मचारियों को कुछ शक हुआ. कुत्तों को वहां से भगा कर वह उस जगह पर पहुंचे तो गंदे से उस फटेपुराने कपड़े से बाहर निकले हुए किसी बालक के हाथपैर देख कर सफाईकर्मियों के भी हाथपैर कांपने लगे. उन्होंने आवाज दे कर अपने अन्य साथियों को बुलाया.

2-4 सफाईकर्मी वहां और आ गए, तो उन्होंने कपड़े को खोल कर देखा. मैलेकुचैले उस कपड़े में एक बच्ची की क्षतविक्षत लाश लिपटी हुई थी. बच्ची का दाहिना हाथ कटा हुआ था, आंखें निकाली हुई थीं और पहचान छिपाने के लिए शव पर एसिड डाला गया था. शव गल चुका था. बच्ची की उम्र करीब ढाईतीन साल लग रही थी. कचरे के ढेर में किसी बच्ची का शव मिलने की खबर पूरे कस्बे में जंगल की आग की तरह फैल गई. वहां लोगों की भीड़ लग गई. तरहतरह की चर्चाएं होने लगीं.

कस्बे के मोहल्ला कानूनगोयान में रहने वाले बनवारी लाल शर्मा और उन की पत्नी शिल्पा देवी को भी खबर मिली, तो वे भी मौके पर पहुंच गए. क्योंकि उन की ढाई साल की बेटी भी पिछले 3 दिनों से गायब थी. वह जगह उन के घर से केवल डेढ़ सौ मीटर दूर थी. शिल्पा ने सफाई कर्मचारियों के पास रखा कचरे में मिला शव देखा, तो वे दहाड़ मार कर रोने लगे.

वह शव शिल्पा की ढाई साल की इकलौती बेटी ट्विंकल का था. ट्विंकल 30 मई, 2019 की सुबह करीब साढ़े 8 बजे घर के बाहर खेलते समय गायब हो गई थी. ट्विंकल अपने मांबाप के साथ चाचा और दादा की भी लाडली थी. मां और पिता के साथ पूरे परिवार ने मोहल्ले भर में ट्विंकल की तलाश की थी, लेकिन उस का कोई पता नहीं चल पाया था.

दोपहर तक जब पूरा परिवार ट्विंकल को ढूंढ कर निराश हो गया, तो लोगों ने उन्हें पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने की सलाह दी. तब बनवारी लाल शर्मा पत्नी शिल्पा को ले कर उसी दिन दोपहर में टप्पल थाने गए. वहां उन्होंने थानाप्रभारी से अपनी मासूम बेटी को ढूंढने की गुहार लगाई.

बनवारी ने पड़ोस में रहने वाले जाहिद पर ट्विंकल के अपहरण का संदेह भी जताया, लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज किए बिना ही बच्ची को ढूंढने का आश्वासन दे कर पीडि़त परिवार को घर भेज दिया. आरोप है कि काफी कहासुनी के बाद पुलिस ने दूसरे दिन रिपोर्ट दर्ज की. इस के बाद भी पुलिस ने बच्ची को तलाश करने का कोई प्रयास नहीं किया.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी पुलिस का कोई सहयोग नहीं मिलने पर बनवारी लाल शर्मा और उन का परिवार अपने स्तर पर मासूम ट्विंकल को तलाश करने में जुटा रहा. 30 मई का दिन यूं ही निकल गया.

ट्ंिवकल के लापता होने के बाद से बनवारी के घर की खुशियां चली गई थीं. वह मासूम ही इस घर का चांद और सितारा थी. ट्विंकल के नहीं मिलने से उस की मां शिल्पा ज्यादा बेहाल थी. बनवारी लाल उसे बारबार दिलासा देते रहे कि हमारी लाडो कहीं खो गई है, वह जल्दी ही घर आ जाएगी.

काश, ऐसा होता. 31 मई को दूसरा दिन भी निकल गया. ट्विंकल का कोई पता नहीं चला. पहली जून को तीसरे दिन भी पूरा परिवार मासूम ट्विंकल को ढूंढने में जुटा रहा लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला.

यह भी पता नहीं चला कि ट्विंकल कहां गई. उसे आसमान निगल गया या जमीन खा गई. ढाई साल की बच्ची खुद तो कहीं जा नहीं सकती थी. ऐसा भी कुछ नहीं था कि वह बच्ची किसी पानी के टैंक या नाले वगैरह में गिर गई हो.

4 दिन से लापता ट्विंकल का शव जब कूड़े के ढेर में मिला, तो पुलिस के खिलाफ आक्रोश छा गया. इस बीच, सूचना मिलने पर पुलिस भी मौके पर पहुंच गई. पुलिस ने शव को कब्जे में लिया. जब वह शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने लगी, तो आक्रोशित लोगों ने पुलिस की गाड़ी को रोक लिया और बच्ची का शव अपने कब्जे में ले लिया.

गुस्साए लोगों ने टप्पल पुलिस थाने के सामने बच्ची का शव रख कर नारेबाजी करते हुए अलीगढ़पलवल मार्ग जाम कर दिया. बाद में एसएसपी, सांसद, विधायक और कई अधिकारियों ने समझाबुझा कर आक्रोशित लोगों को शांत किया. करीब 4 घंटे बाद लोगों ने रास्ता खोला.

अपहृत बच्ची का शव कूड़े के ढेर में मिलने से यह साफ  हो गया कि बच्ची की हत्या कर शव वहां फेंका गया था. पुलिस अधिकारियों ने मामला भड़कने की आशंका को देखते हुए डौग स्क्वायड और फोरैंसिक टीम को मौके पर बुलवा लिया. पुलिस ने बच्ची के शव का पोस्टमार्टम 3 डाक्टरों के पैनल से कराया. इस के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया.

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बच्ची की नृशंस हत्या की बात जिसने भी सुनी उस का खून खौल गया. पुलिस के प्रति लोगों में तनाव बढ़ता जा रहा था. बाजार बंद हो गए. बच्ची के परिजनों ने पड़ोसी युवक पर मासूम ट्विंकल का अपहरण कर हत्या करने का आरोप लगाया. एसएसपी आकाश कुलहरि ने लोगों के आक्रोश को देखते हुए टप्पल थानाप्रभारी कुशलपाल सिंह को लापरवाही बरतने के आरोप में लाइन हाजिर कर दिया.

शव मिलने के बाद भी मासूम के हत्यारों के नहीं पकड़े जाने पर 3 जून को लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. आक्रोशित लोगों ने कस्बे के बाजार बंद कर पीडि़त परिवार के साथ थाने का घेराव किया. प्रदर्शनकारियों ने हत्या के आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर मामले का पूरी तरह खुलासा करने की मांग की.

खैर के सीओ पंकज श्रीवास्तव ने मौके पर पहुंच कर लोगों को समझाबुझा कर और पुलिस की ओर से की जा रही काररवाई के बारे में बता कर उन का आक्रोश शांत किया.

ट्विंकल हत्याकांड को ले कर कुछ संगठनों ने कस्बे में धरना देना शुरू कर दिया. कुछ संगठनों ने कैंडल मार्च निकाला. पीडि़त परिवार को न्याय दिलाने के लिए संगठनों ने गांवों में जनसंपर्क शुरू कर दिया.

लोगों का गुस्सा 4 जून को भी शांत नहीं हुआ. विभिन्न संगठनों और ग्रामीणों का अनशन व धरना दूसरे दिन भी जारी रहा. आंदोलनकारियों ने पुलिस व प्रशासन के सामने 3 प्रमुख मांगें रखीं. इन में पहली यह कि मुख्यमंत्री मौके पर आ कर ग्रामीणों से बात करें. दूसरी यह कि हत्याकांड में कड़ी से कड़ी काररवाई की जाए ताकि कोई ऐसा करने की हिम्मत न करे. तीसरी यह कि पीडि़त परिवार को आर्थिक मदद दी जाए.

जनाक्रोश और लगातार चल रहे आंदोलन को देखते हुए टप्पल कस्बे में भारी पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई. शांति व्यवस्था के लिए आसपास के थानों की पुलिस के अलावा पीएसी और आरएएफ  को बुला लिया गया.

अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम व खैर विधायक अनूप प्रधान ने पीडि़त परिवार के घर पहुंच कर आर्थिक मदद के रूप में 2 लाख रुपए का चैक दिया.

पुलिस की काररवाई हुई शुरू

पुलिस ने ट्विंकल की हत्या के आरोप में दो अभियुक्तों जाहिद और असलम को 4 जून को गिरफ्तार कर लिया. दोनों आरोपी टप्पल कस्बे के ही रहने वाले थे. पुलिस ने दावा किया कि बनवारी लाल से रुपयों के लेनदेन के विवाद में मासूम बच्ची की हत्या की गई. आरोपी जाहिद का बच्ची के दादा और चाचा से विवाद हुआ था. जाहिद ने उन्हें अंजाम भुगतने की धमकी दी थी. जाहिद और बनवारी पड़ोस में ही रहते हैं.

जाहिद ने कुछ समय पहले बनवारी से 50 हजार रुपए उधार लिए थे. इन में से 40 हजार रुपए तो वापस लौटा दिए थे. बाकी के 10 हजार रुपयों के लिए जब तकादा किया गया, तो जाहिद ने मई के आखिरी सप्ताह में बनवारी के घर वालों को गालीगलौज करते हुए धमकी दी थी.

उधार के पैसों को ले कर जाहिद खफा था. वह बनवारी से इस का बदला लेना चाहता था. 30 मई की सुबह उसे मौका मिल गया. ढाई साल की बच्ची ट्विंकल जब अपने घर के सामने खेल रही थी, तो बिसकुट दिलाने के बहाने जाहिद उसे अपने घर ले गया.

इस के बाद उसी दिन जाहिद ने अपने दोस्त असलम के साथ मिल कर दुपट्टे से उस का गला घोंट कर उस फूल सी बच्ची की हत्या कर दी. बच्ची का शव उन्होंने भूसे के ढेर में छिपा दिया. जब शव से बदबू आने लगी, तो पहली जून को उन्होंने शव कपड़े में लपेट कर घर के पास ही कचरे के ढेर में फेंक दिया.

ट्विंकल हत्याकांड का खुलासा करते हुए पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ  अपहरण व हत्या का मामला दर्ज कर लिया. बाद में उसी दिन अदालत में पेश कर दोनों को जेल भेज दिया गया.

5 जून को भी यह मामला गरमाया रहा. टप्पल में आंदोलन होता रहा. ट्विंकल के पिता बनवारी लाल शर्मा ने पुलिस को चेतावनी दी कि अगर आरोपियों के परिजनों के खिलाफ काररवाई नहीं की गई, तो वे 6 जून को आत्मदाह कर लेंगे.

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बनवारी लाल की इस चेतावनी को देखते हुए एसएसपी आकाश कुलहरि 5 जून की रात को ही उन के घर जा कर मिले. एसएसपी ने उन्हें हरसंभव काररवाई का आश्वासन देते हुए कहा कि आरोपियों को फास्ट ट्रेक के माध्यम से जल्द सजा दिलाने का प्रयास किया जाएगा. एसएसपी के आश्वासन पर बनवारी लाल ने आत्मदाह का इरादा त्याग दिया.

पुलिस ने भले ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन यह मामला तूल पकड़ता जा रहा था. पूरे देश में आंदोलन हो रहे थे. सोशल मीडिया पर ट्विंकल हत्याकांड सुर्खियां बन गया.

पीडि़त परिवार को न्याय दिलाने के लिए कई सेलिब्रिटी भी आगे आ गए. क्रिकेटर शिखर धवन, वीरेंद्र सहवाग से ले कर बौलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार, अनुपम खेर, अभिनेत्री सनी लियोनी ने ट्विटर के जरिए हत्यारों को कड़ी सजा और परिवार को जल्द न्याय दिलाने की आवाज उठाई.

एसएसपी आकाश कुलहरि ने 6 जून को मासूम ट्विंकल के मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में टप्पल के तत्कालीन थानाप्रभारी कुशलपाल सिंह सहित 3 दरोगा और एक कांस्टेबल को निलंबित कर दिया. आरोप है कि अपहरण की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी इन पुलिस कर्मियों ने बच्ची की बरामदगी का कोई प्रयास नहीं किया था. अभियुक्तों का पता लगने के बाद भी उन के खिलाफ  कोई काररवाई नहीं की गई थी.

टप्पल में ढाई साल की मासूम बच्ची से हुई बर्बरता पर पूरे देश में गुस्सा बढ़ता जा रहा था. सड़कों से ले कर सोशल मीडिया तक पर गुनहगारों को फांसी की सजा दिलाए जाने की मांग उठ रही थी. सियासत भी गरमा गई थी. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और बसपा प्रमुख मायावती ने इस मामले में जहां यूपी सरकार को आड़े हाथ लिया, वहीं बच्ची को न्याय दिलाने के लिए बौलीवुड व खेल जगत की हस्तियों ने मोर्चा खोल दिया.

इस बीच, 7 जून, 2019 को सोशल मीडिया पर वायरल हुई ट्विंकल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने लोगों को झकझोर दिया. ट्विंकल की हत्या क्रूरतापूर्ण तरीके से गला घोंट कर की गई थी. इस से पहले उसे बुरी तरह पीटा गया, जिस से उस की पसलियां टूट गई थीं. बाएं पैर में फैक्चर था. नाक की हड्डी भी टूटी हुई थी. सिर में चोट थी.

बच्ची की एक किडनी, पेशाब की थैली व प्राइवेट पार्ट गायब मिले. एक हाथ शरीर से अलग था. पहचान छिपाने के लिए मासूम के शव को एसिड डाल कर जलाया गया था. बच्ची से दुष्कर्म का भी शक है, लेकिन एसएसपी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से कहते हैं कि रेप की पुष्टि नहीं हुई है. दुष्कर्म की जांच के लिए कुछ स्लाइड और सैंपल आगरा की फोरैंसिक लैब भेजे गए.

जांच सौंप दी गई एसआईटी को

पूरे देश में यह मामला छा जाने पर उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (ला एंड और्डर) आनंद कुमार ने ट्विंकल हत्याकांड की जांच एसआईटी से कराने और दोनों हत्या आरोपियों के खिलाफ  पोक्सो एक्ट में काररवाई करने की घोषणा की. इस के लिए एसपी (क्राइम) डा. अरविंद कुमार और एसपी (देहात) मणिलाल पाटीदार के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया.

दिल दहला देने वाले ट्विंकल हत्याकांड में पुलिस ने 8 जून को मुख्य आरोपी जाहिद की पत्नी शाइस्ता और भाई मेहंदी हसन को भी गिरफ्तार कर लिया. पुलिस के अनुसार, ये दोनों आरोपी ट्विंकल की हत्या के समय मौके पर मौजूद थे. बाद में ट्विंकल का शव शाइस्ता के दुपट्टे में लपेट कर फेंका गया था. पुलिस ने इन दोनों आरोपियों को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया.

अलीगढ़ बार एसोसिएशन ने बैठक कर फैसला किया कि कोई भी वकील दरिंदों की पैरवी नहीं करेगा और न ही किसी बाहरी वकील को पैरवी करने दिया जाएगा. वकीलों ने मासूम को न्याय दिलाने के लिए पीडि़त पक्ष का मुकदमा निशुल्क लड़ने की भी घोषणा की.

राज्य बाल संरक्षण आयोग की टीम ने 8 जून को टप्पल पहुंच कर पीडि़त परिवार से मुलाकात की. आयोग के अध्यक्ष डा. विशेष कुमार गुप्ता की अगुवाई में इस टीम ने पीडि़त परिवार से घटनाक्रम की जानकारी ली. पीडि़त परिवार ने कहा कि हत्याकांड में कई अन्य लोग भी शामिल हैं, जिन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए.

आयोग के दल ने इस के बाद अधिकारियों से बात की. आयोग के अध्यक्ष डा. गुप्ता ने कहा कि आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत काररवाई की सिफारिश करते हुए मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे. गैंगस्टर एक्ट में काररवाई होने पर ही आरोपियों पर रासुका लग सकेगी.

सोशल मीडिया पर ट्विंकल के हत्यारों को फांसी की मांग को ले कर महापंचायत के आयोजन का फैसला किया गया. इस की वजह से 9 जून, 2019 को टप्पल कस्बा छावनी बना रहा. पुलिस ने सुबह ही टप्पल की सीमाएं सील कर दीं. हरेक आनेजाने वाले की तलाशी ली गई. पीडि़त परिवार के घर जाने वाले रास्ते भी सील कर दिए गए. दूरदराज से आए लोगों को पुलिस ने वापस भेज दिया.

भाजपा नेत्री साध्वी प्राची को पुलिस ने जेवर टोल प्लाजा पर रोक लिया. पुलिस की सतर्कता से टप्पल में महापंचायत नहीं हो सकी. आक्रोशित लोगों ने इस दौरान कुछ वाहनों में तोड़फोड़़ भी की. एक बारात की कार पर भी पथराव हुआ.

अघोषित कर्फ्यू जैसे हालात के कारण पूरे कस्बे में बाजार बंद और गलियां सूनी रही. जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह और एसएसपी आकाश कुलहरि दिनभर टप्पल में डेरा डाल कर हालात पर नजर रखे रहे.

ट्विंकल हत्याकांड में कई दिनों से विरोध प्रदर्शन के बीच अफवाहों पर लगाम लगाने के लिए जिला प्रशासन ने 10 जून को टप्पल और खैर तहसील इलाके में इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी. टप्पल कस्बे में आधेअधूरे बाजार खुलने से तनावपूर्ण शांति रही. आगरा जोन के एडीजी अजय आनंद ने टप्पल पहुंच कर अधिकारियों के साथ बैठ कर हालात की समीक्षा की.

महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुष्मिता देव और कांग्रेस के कई राष्ट्रीय और प्रदेश पदाधिकारियों ने टप्पल पहुंच कर पीडि़त परिवार से मुलाकात कर उन की हिम्मत बंधाई. उन्होंने कहा कि मासूम के साथ हैवानियत करने वालों को जल्द से जल्द कठोर सजा मिलनी चाहिए.

11 जून को 6 दिन बाद बाजार खुलने से टप्पल कस्बे में पलवल मार्ग पर चहलपहल नजर आई. प्रशासन ने इंटरनेट सेवा भी बहाल कर दी. तनाव को देखते हुए कई जगह पुलिस फोर्स तैनात रही. पुलिस लगातार हर गतिविधि पर नजर रखती रही.

पुलिस की थ्यौरी अभी भी स्पष्ट नहीं

12 जून को मासूम बच्ची की आत्मा की शांति के लिए पीडि़त परिवार की ओर से टप्पल में शुद्धि हवन और शोकसभा की गई. इस में सांसद सतीश गौतम, विधायक अनूप प्रधान सहित भाजपा के कई पदाधिकारी और पुलिस अधिकारी शामिल हुए. जिला प्रशासन ने ट्विंकल मामले की न्यायिक जांच शुरू कर दी. इस के तहत 11 से 19 जून तक घटना के संबंध में जानकारी रखने वाले लोगों के बयान दर्ज किए गए.

ट्विंकल की हत्या के मामले में गिरफ्तार आरोपियों का पुलिस ने जब रिकौर्ड खंगाला तो पता चला कि 43 साल के असलम पर दुष्कर्म, अपहरण और गुंडा एक्ट सहित 5 मामले दर्ज हैं. सन 2014 में असलम के खिलाफ  टप्पल थाने में अपनी ही 4 साल की भतीजी से दुष्कर्म करने का मामला दर्ज हुआ था.

इस के बाद उस की पत्नी ने घर छोड़ दिया था. इस के अलावा उस के खिलाफ 2017 में दिल्ली के गोकलपुरी थाना इलाके से एक बच्चे के अपहरण का मामला दर्ज हुआ था.

असलम वहां से एक बालक का अपहरण कर टप्पल ले आया था और उस के घर वालों से फिरौती मांगी थी. टप्पल थाने में उस पर गुंडा एक्ट के भी 3 मामले दर्ज हैं. अलसम कुछ दिन पहले ही जमानत पर छूटा था. दूसरा आरोपी जाहिद जुआरी है. लोग उसे सट्टा किंग के नाम से भी जानते हैं.

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फिलहाल, अलीगढ़ और टप्पल में इस मामले को ले कर शांति है, लेकिन पीडि़त परिवार को अभी अपनी सुरक्षा की चिंता है. इस परिवार ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिख कर आरोपियों को मौत की सजा दिलाने की मांग करते हुए कहा है कि अगर इन्हें फांसी नहीं हुई तो जेल से बाहर निकलने पर इन की हिम्मत और बढ़ जाएगी.

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