सुभाष बाथम के घर से विस्फोटक का जो जखीरा मिला, उस से साफ हो गया कि अगर धमाका होता तो 40 मीटर के दायरे में तबाही मच जाती. यह बात भी साफ थी कि सुभाष बम बनाना जानता था. सिलेंडर को सौर ऊर्जा की प्लेट और नीचे बैटरी के तार से जोड़ा गया था. दोनों तारों के कनेक्शन आपस में जुड़ जाते तो बड़ा धमाका हो जाता.
बच्चों ने झेली थी मानसिक यंत्रणा
दूसरी तरफ फोरैंसिक टीम ने तमंचा, राइफल तथा कारतूसों को साक्ष्य के तौर पर सील कर दिया. एएसपी त्रिभुवन सिंह ने सुभाष के मोबाइल को जांच हेतु जाब्ते में शामिल कर लिया. पूरे घर को खंगालने के बाद पुलिस ने सुभाष बाथम के मकान को सील कर के बाहर पुलिस का पहरा बिठा दिया.
इधर आईजी मोहित अग्रवाल ने डीएम मानवेंद्र सिंह, विधायक नागेंद्र सिंह राठौर, एसपी डा. अनिल कुमार मिश्र और गांव वालों की मौजूदगी में बंधक बनाए गए कुछ बच्चों से बातचीत की. इन में गांव के दिवंगत नरेंद्र की 13 वर्षीय बेटी अंजलि भी थी. अंजलि नौवीं कक्षा की छात्रा थी, समझदार. अंजलि ने कैद के दौरान उन 11 घंटों की खौफनाक दास्तां बताई तो सभी के रोंगटे खड़े हो गए.
अंजलि ने बताया कि जब वह चाचा (सुभाष) के घर पहुंची तो तहखाने में 12 बच्चे मौजूद थे.
इस के बाद धीरेधीरे उस की तरह 24 बच्चे आ गए. बच्चों को एक दरी दी गई, सब उसी पर बैठ गए. वहां जन्मदिन मनाने जैसा कोई इंतजाम नहीं था, जिस से उस के मन में कुछ संशय हुआ.
कुछ देर में बच्चे शोर मचाने लगे तो सुभाष चाचा ने उन्हें डांटा और धमकी दी कि शोर मचाया तो बम से उड़ा देंगे. धमकी से बच्चे डर गए. इस के बाद तो बच्चों की सिसकियों पर भी पाबंदी लग गई. भूख और प्यास पर खौफ हावी हो गया. सामने मौत खड़ी थी, लेकिन कोई आवाज भी निकालता तो दूसरा बच्चा उस के मुंह पर हाथ लगा देता.
खौफनाक मंजर का हाल बताते समय अंजलि के चेहरे पर दहशत झलक रही थी. उस ने बताया कि तहखाने के अंदर एक बोरी में बारूद रखा था, जिस में बिजली का तार लगा था. एक 5 किलोग्राम का गैस सिलेंडर भी रखा था. उस में से भी तार निकला था, जो ऊपर कमरे की ओर गया था.
सुभाष चाचा बारबार धमकी दे रहे थे कि अगर मुंह से आवाज निकाली तो सब को बम से उड़ा देंगे. धमकी देने के बाद चाचा तहखाने से बाहर गए तो उस ने लपक कर तहखाने का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. फिर चाचा के कहने पर भी नहीं खोला.
अंजलि ने बताया कि जब उस की निगाह बोरी और सिलेंडर पर पड़ी तो उसे लगा कि चाचा बोरी में रखे बारूद से ही उड़ाने की धमकी दे रहा है. उस ने हिम्मत जुटा कर बोरी के बाहर निकला तार दांत से काट दिया, फिर गैस सिलेंडर से निकला तार भी दांत से काट दिया. चाची (रूबी) ने दरवाजे के नीचे से बिसकुट और खाना दिया, लेकिन किसी ने कुछ नहीं खाया और चुप रहे. रात करीब डेढ़ बजे पुलिस के कहने पर उस ने अंदर से दरवाजा खोला.
सुभाष और रूबी का शव कोई भी लेने को तैयार नहीं था, उस की मां सुरजा देवी भी इनकार कर चुकी थी. अंतत: पुलिस ने दोनों शवों का अंतिम संस्कार कर दिया.
सुभाष कौन था, वह अपराधी कैसे बना, उस ने मासूम बच्चों को बंधक क्यों बनाया, उस की पत्नी रूबी ने उस का साथ क्यों दिया? यह सब जानने के लिए अतीत में लौटना होगा.
फर्रुखाबाद जिले के थाना मोहम्मदाबाद क्षेत्र में एक गांव है करथिया. इटावा बेबर रोड पर बसा यह गांव जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर है. करथिया में 300 परिवार रहते हैं और यहां की आबादी है 1200. ज्यादातर परिवार खेतीकिसानी करते हैं. गरीब परिवार अधिक हैं जो मेहनतमजदूरी कर अपनी जीविका चलाते हैं.
इसी करथिया गांव के जगदीश प्रसाद बाथम का बेटा था सुभाष. वह शुरू से ही क्रोधी और सनकी था. वह आवारा लोगों के साथ घूमता, उन के साथ बैठ कर शराब पीता, शराब पी कर उत्पात मचाता.
मात्र 13 साल की उम्र में सुभाष चोरी करने लगा. सन 1998-99 में उस पर चोरी के 2 मुकदमे दर्ज हुए, जिन के इलजाम में थाना मोहम्मदाबाद पुलिस ने उसे जेल भेज दिया. जेल से बाहर आने के बाद वह फिर अपराध करने लगा. वह जबरदस्ती घर का अनाज बेच देता, मां विरोध करती तो उस के साथ मारपीट करता. पति की मौत के बाद दुष्ट बेटे से तंग आ कर सुरजा देवी अपनी बहन के घर अहकारीपुर जा कर रहने लगी.
स्वभाव से चिड़चिड़ा और सनकी था सुभाष
सुभाष की मौसी सुमन इसी करथिया गांव में मेघनाथ को ब्याही थी. मेघनाथ गांव के स्कूल में चपरासी था. सुभाष का मौसा मेघनाथ सुभाष को इसलिए पसंद नहीं करता था क्योंकि वह चोरी करता था. मेघनाथ उसे सुधर जाने की नसीहत देता था. इस के चलते सुभाष अपने मौसा से खुन्नस खाने लगा था. इसी खुन्नस में उस ने 25 नवंबर, 2001 की सुबह 8 बजे चाकू घोंप कर मौसा मेघनाथ की हत्या कर दी.
सुमन ने पति की हत्या की रिपोर्ट सुभाष के खिलाफ लिखवाई. थाना मोहम्मदाबाद पुलिस ने सुभाष को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. सन 2005 में सुभाष को 10 साल की सजा सुनाई गई. सजा की अवधि 2015 में पूरी हुई. उस के बाद वह जेल से घर आ गया और मेहनतमजदूरी कर के अपना भरणपोषण करने लगा. हालांकि उस ने चोरी करना अब भी नहीं छोड़ा था.
सुभाष की गांव के वीरपाल कठेरिया से दोस्ती थी. दोनों साथ बैठ कर शराब पीते थे. एक दिन सुभाष की नजर वीरपाल कठेरिया की साली रूबी पर पड़ी. पहली ही नजर में रूबी सुभाष के मन को भा गई. उस ने रूबी के सामने प्यार का इजहार किया और शादी का प्रस्ताव रखा. रूबी राजी हो गई. इस के बाद सुभाष ने रूबी के साथ प्रेम विवाह कर लिया. दलित की बेटी बाथम परिवार में बहू बन कर आई तो बाथम बिरादरी के लोगों ने सुभाष का बहिष्कार कर दिया.
रूबी से शादी करने के बाद सुभाष ने अपनी 4 बीघा जमीन बेच दी. इस पैसे से उस ने बंकरनुमा घर बनाया. घर के भीतर के गोपनीय ठिकानों की किसी को जानकारी न हो, इस के लिए उस ने बाहर से राजमिस्त्री या मजदूर बुलाने के बजाय पत्नी के साथ मिल कर निर्माण किया. कमरे के अंदर ही उस ने तहखाना बनाया. इसी बीच उस ने सरकारी कालोनी तथा शौचालय पाने का प्रयास किया, लेकिन मिला कुछ नहीं.
सन 2019 के जनवरी महीने में रूबी ने एक बच्ची को जन्म दिया. बेटी गौरी के जन्म से रूबी सुभाष दोनों खुश थे. गौरी अभी 6 महीने की थी कि एसओजी ने सुभाष को फतेहगढ़ में हुई चोरी के आरोप में पकड़ लिया. पुलिस ने उस को खूब टौर्चर किया और जेल में भेज दिया.
3 महीने पहले वह जमानत पर घर आया तो उस के मन में टीस बनी रही. यह भी खुन्नस थी कि बिरादरी के लोग उस का साथ नहीं देते थे. उस के मन में इस बात की टीस भी थी कि सरकारी सिस्टम से उसे कोई मदद नहीं मिल रही थी. उसे टौर्चर करने वाली पुलिस, ग्रामप्रधान, जो उस के खिलाफ थी, पर भी गुस्सा था.
खतरनाक इरादा था
इसी सब की वजह से सुभाष ने कुछ ऐसा धमाका करने की सोची, जिस से वह सब से हिसाब बराबर कर सके. सुभाष को मोबाइल फोन चलाना अच्छी तरह आता था. उस ने गूगल व यूट्यूब से सर्च कर के बम बनाना और इस के लिए उपकरण बनाना सीखा. गूगल सर्च में ही उस ने मास्को (रूस) में बंधक बनाए गए बच्चों का वीडियो देखा.
वीडियो को देख कर उस ने भी मासूम बच्चों को बंधक बनाने की योजना तैयार की. इस के बाद वह तैयारी में जुट गया. उस ने अपने घर को बारूद के ढेर पर खड़ा कर दिया. उस के पास तमंचा व राइफल पहले से ही थी. सुभाष ने कारतूस भी खरीद कर रख लिए.
30 जनवरी को उस की बेटी का बर्थडे था. उस ने दोपहर बाद से बच्चों को बर्थडे पार्टी में बुलाना शुरू कर दिया. 3 बजे तक 24 बच्चे उस के घर आ गए.
इन बच्चों को उस ने तहखाने में बंधक बना लिया और धमकी दी कि शोर मचाया तो वह सब को बम से उड़ा देगा. घटना की जानकारी तब हुई, जब बबली अपने बच्चों को बुलाने गई. इस के बाद पुलिस को सूचना दी गई. पुलिस ने सर्च औपरेशन कर बंधक बच्चों को छुड़ाया और अपराधी को मार गिराया.
7 फरवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने 5, कालिदास मार्ग स्थित आवास पर सभी 24 बच्चों को सम्मानित किया. योगी ने इस अवसर पर मारे गए सुभाष बाथम की बेटी गौरी की परवरिश सरकार द्वारा किए जाने की घोषणा की.
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इस के अलावा सिलेंडर बम का तार निकाल कर तहखाने में बंधक बच्चों की जान बचाने वाली 13 वर्षीया अंजलि को बतौर पुरस्कार 51 हजार रुपए दिए जाने की घोषणा की. उसे एक टैबलेट दे कर सम्मानित भी किया.
कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित