(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)
उस दिन से प्रह्लाद के प्रति मंशा की सोच बदल गई. वह उसे लालच की नजरों से देखने लगी. प्रह्लाद को मंशा की नीयत समझते देर नहीं लगी. वह भी उसे चाहत की नजरों से देखने लगा.
चूंकि चाहत दोनों ओर से थी, सो उन के बीच नाजायज रिश्ता बनने में ज्यादा समय न लगा. फिर तो अकसर दोनों का मिलन होने लगा. प्रह्लाद और मंशा ज्यादा से ज्यादा एकदूसरे के निकट रहने का प्रयास करने लगे.
जब भी मौका मिलता, दोनों एकाकार हो जाते. परिणाम यह हुआ कि जल्द ही दोनों बदनाम हो गए. लेकिन इस बदनामी की चिंता न मंशा को थी और न ही प्रह्लाद को. दोनों शादी करने के मंसूबे बना रहे थे.
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सूरज को जब प्रह्लाद व मंशा के नाजायज रिश्तों की बात पता चली तो उस ने पत्नी को समझाया, बच्चों का वास्ता दिया पर प्रेम दीवानी मंशा नहीं मानी. उस ने एक रोज पति से साफ कह दिया, ‘‘अब न तुम जोशीले रहे, न रसीले, तुम्हारे साथ जवानी जलाते रहने से क्या फायदा? मैं तो प्रह्लाद के साथ रहूंगी.’’
मंशा ने जो कहा, कर दिखाया. एक रोज वह प्रह्लाद के साथ गोविंद नगर स्थित दुर्गा मंदिर पहुंची और प्रह्लाद के गले में माला पहना कर प्रेम विवाह कर लिया. फिर विवेकानंद स्कूल के पास कच्ची बस्ती बर्रा में प्रह्लाद के साथ रहने लगी.
उस के पूर्वपति सूरज ने अपमान और ग्लानि से कानपुर शहर छोड़ दिया और अपने दोनों बच्चों को साथ ले कर घर शाहजहांपुर आ कर रहने लगा. परिवार की मदद से वह बच्चों का भरणपोषण करने लगा.
दूसरी ओर मंशा गुप्ता प्रह्लाद से प्रेम विवाह करने के बाद 3 साल तक हंसीखुशी से रही. उस के बाद दोनों के बीच नोंकझोंक होने लगी. दरअसल मंशा फैशनपरस्त थी. वह प्रह्लाद की आधी से अधिक कमाई अपने फैशन और मौजमस्ती में खर्च कर देती थी, जिस से प्रह्लाद को घर चलाना मुश्किल हो जाता था. पैसों को ले कर दोनों में झगड़ा होने लगा था.
प्रह्लाद फैक्ट्री में काम करता था. उसे मासिक वेतन ही मिलता था. प्रह्लाद का एक दोस्त था रामू. वह बर्रा थाने के कर्रही मोहल्ले में किराए पर रहता था. जब भी प्रह्लाद का पत्नी से झगड़ा होता था, वह दोस्त के घर आ जाता था और अपनी व्यथा साझा कर मन हल्का कर लेता था.
इसी मकान में शिवानी अपने पति दुर्गेश के साथ किराए पर रहती थी. दुर्गेश गोविंद नगर की एक मिठाई की दुकान पर कारीगर था. उस के बेटे थे गोलू और मृत्युंजय थे.
एक रोज प्रह्लाद दोस्त रामू के घर पहुंचा तो शिवानी और मकान मालिक में किराए को ले कर झगड़ा हो रहा था. शिवानी कह रही थी कि पति को वेतन मिलेगा तब किराया चुकता करेगी जबकि मकान मालिक को तुरंत किराया चाहिए था. मकान मालिक ने शिवानी को इतना जलील किया कि वह रोने लगी थी.
प्रह्लाद से देखा नहीं गया तो वह शिवानी के आंसू पोंछने पहुंच गया. प्रह्लाद ने उस रोज शिवानी के आंसू ही नहीं पोंछे, बल्कि 2 हजार का नोट मकान मालिक को थमा कर किराया भी चुकता कर दिया.
इस सहानुभूति के बाद प्रह्लाद का शिवानी के घर आनाजाना शुरू हो गया. शिवानी भी उसे भाव देने लगी. धीरेधीरे दोनों के बीच मधुर संबंध बन गए. प्रह्लाद बच्चों के बहाने शिवानी को भी उपहार लाने लगा. जिन्हें वह नानुकुर के बाद स्वीकार कर लेती.
प्रह्लाद के शिवानी से मधुर संबंध बने तो वह मंशा की उपेक्षा करने लगा. उस से बातबेबात झगड़ने लगा. वह उसे एकएक पैसे को भी तरसाने लगा. घर कभी आता, कभी नहीं भी आता. कभीकभी तो 2-2 दिन गायब हो जाता था. मंशा पूछती तो कोई न कोई नया बहाना बना देता. मंशा उस की बातों पर सहज ही विश्वास कर लेती.
लेकिन विश्वास की भी एक सीमा होती है. मंशा का विश्वास डगमगाया तो उस ने पति की निगरानी शुरू कर दी. तब उसे पता चला कि उस के पति प्रह्लाद के शिवानी से नाजायज संबंध हैं. वह अपनी कमाई उसी पर खर्च करता है और उसे पाईपाई को तरसाता है.
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शिवानी को ले कर दोनों में झगड़ा होने लगा. लड़झगड़ कर प्रह्लाद शिवानी के घर पहुंच जाता और वहीं पड़ा रहता. कई बार मंशा ने प्रह्लाद को शिवानी के घर पकड़ा भी. तब उस ने शिवानी और पति को जलील किया. किंतु वे दोनों नहीं माने.
28 जुलाई, 2020 की दोपहर भी शिवानी को ले कर मंशा का पति से झगड़ा हुआ. गुस्से में प्रह्लाद ने मंशा को पीटा और उस का मोबाइल ले कर घर से चला गया. मंशा घंटों तक आंसू बहाती रही और अपने भाग्य को कोसती रही. उसे पति से ज्यादा शिवानी पर गुस्सा आ रहा था.
मंशा को शक था कि उस का पति प्रह्लाद शिवानी के घर ही पड़ा होगा. अत: वह उस की खोज में शाम 6 बजे शिवानी के घर पहुंची. शिवानी उस समय घर पर न थी. उस का 3 साल का बेटा मृत्युंजय पलंग पर पड़ा सो रहा था.
मंशा ने सोचा कि शिवानी उस के पति के साथ ऐश करने गई होगी. उस ने पलक झपकते ही शिवानी को सबक सिखाने की ठानी. उस ने सामने अलमारी में रखा शिवानी का मोबाइल फोन कब्जे में किया फिर मृत्युंजय को गोद में उठा कर चुपके से फरार हो गई.
शिवानी घरेलू सामान खरीदने कर्रही बाजार गई थी. वह शाम 7 बजे घर वापस आई तो मृत्युंजय गायब था. उस ने पहले बेटे की हर संभव खोज की, नहीं मिला तो पति दुर्गेश को फोन कर घर बुलाया.
दुर्गेश शिवानी रात भर बेटे की खोज में जुटे रहे. अगली सुबह जब मंशा ने दुर्गेश को फोन किया तब मृत्युंजय के अपहरण की जानकारी हुई.
उस के बाद दुर्गेश पत्नी शिवानी के साथ थाना बर्रा पहुंचा और मंशा गुप्ता के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दी. थाना बर्रा पुलिस ने 36 घंटे में मृत्युंजय को सहीसलामत बरामद कर अपहर्त्ता मंशा गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया.
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31 जुलाई, 2020 को थाना बर्रा पुलिस ने अभियुक्ता मंशा गुप्ता को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. मंशा गुप्ता का पति प्रह्लाद पुलिस के डर से फरार था. उसे डर था कि कहीं पुलिस उसे भी दोषी न ठहरा दें.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित