लेखक – नीरज कुमार मिश्रा
“गांव वालों के सारे कष्ट दूर करने आ रहे हैं आप के गांव में पहली बार ‘अकरोना बाबा’, कल से उन की कष्ट हरण कथा गांव के स्कूल के मैदान में सुबह 10 बजे से शुरू होगी, जो बाबाजी की इच्छा तक चलेगी,” एक मोटा सा आदमी एक दाढ़ी वाले बाबा का फोटो लगा कर रिकशे पर बैठा पूरे गांव में मुनादी कर रहा था.
“याद रहे… अकरोना बाबा की कथा में सब को नहाधो कर आना है और सब लोग सामाजिक दूरी के साथ बैठेंगे. और सब से जरूरी बात अकरोना बाबा की कथा में आप सब लोगों को मास्क मुफ्त में बांटे जाएंगे… आप लोगों को घर से मास्क लाने की जरूरत नहीं है.”
मुफ्त मिलेगा के नाम पर कई गांव वालों के कान खड़े हो गए थे.
“आप सब लोगों को बता दें… जो लोग अकारोना बाबा की कथा में आएंगे, उन को कभी भी कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं सताएगा… बाबा ने बड़ेबड़े नेताओं को कोरोना से बचाया है… बोलो, अकरोना बाबा की जय.”
“अरे भैया… बाबा की कथा में हम लोगों को क्याक्या मुफ्त मिलेगा,” एक व्यक्ति ने दूसरे से पूछा.
“अरे पांडे यार, तुम भी एकदम बुड़बक ही हो… मास्क यानी फेस को कवर करने वाली चीज… जैसे हमारे पास होता है न ये गमछा… बस उसी का शहरी रूप है मास्क… और कोई बहुत बंपर चीज थोड़े ही न है,” दूसरे ने ज्ञान बघारा.
“हां, पर वो मुफ्त में दे रहे हैं… तब तो हम बाबाजी का आशीर्वाद लेने जरूर जाएंगे.”
पूरे गांव में अकरोना बाबा के विज्ञापन छाए हुए थे और हर कोई बाबा में उत्सुक हो गया था.
“पर, बाबा का नाम तो बड़ा अजीब सा लग रहा है,” एक ग्रामीण ने चर्चा छेड़ी.
“हां… हां, क्यों नहीं… अरे, उन के बारे में मैं ने सुना है कि उन का जन्म ही कोरोना नामक विषाणुरूपी राक्षस को मारने के लिए हुआ है.
“अरे, मैं ने तो इन की बहुत सी कथाएं सुनी हैं. और तो और मुझे तो इन से व्यक्तिगत रूप से मिलने का पुण्य भी प्राप्त हो चुका है,” युवक ने शेखी बघारते हुए कहा.
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“वाह भैया वाह, तुम तो बड़े किस्मत वाले हो… तनिक हमारा भी सोर्स लगवाओ, हमें भी बाबाजी से आशीर्वाद दिलवाओ,” दूसरा ग्रामीण मिन्नतें करने लगा.
“हां… हां, तुम को भी मिलवा ही देंगे, पर जरा कथा शुरू तो होने दो” शेखी बघारने वाला युवक शान से अकड़ा हुआ था.
शाम तक गांव के हर घर में अकरोना बाबा की ही बातें हो रही थीं, और लोग अकरोना बाबा को देखने के लिए बड़े उत्साहित हो रहे थे .
अगले दिन के सूरज उदय होने के साथ ही गांव में पानी का खर्चा अचानक से बढ़ गया था, हर एक घर में सभी लोगों का नहानाधोना चल रहा था, क्योंकि आज सभी को अकरोना बाबा के प्रवचन सुनने जाना है था, इसलिए तन, मन को धोना बहुत जरूरी था.
स्कूल के प्रांगण में एक तरफ तीन कारें खड़ी थीं, जो देखने में बहुत महंगी लग रही थीं.
अकरोना बाबा के आने का समय 10 बजे था, पर वह किसी बड़े नेता की तरह ठीक 12 बजे आए.
लंबी दाढ़ी और एक सफेद सा चोगा, होठों पर मुसकान और हाथों में सोने का ब्रेसलेट पहने हुए अकरोना बाबा का जलवा देखते ही बनता था.
बाबा ने मंच पर आते ही कहा, “भक्तजनो, आज पूरी दुनिया में कोरोना नामक बीमारी बहुत बुरी तरह फैल रही है, लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में आ गए हैं… पर, आप सब लोगों को इस बीमारी से डरने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि आप लोग अकरोना बाबा की शरण में आ गए हैं. अब दुनिया का कोई भी वायरस आप लोगों का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता है…
“वैसे भी मैं बता दूं कि आप लोगों के गांव में एक चुड़ैल की प्यासी आत्मा घूम रही है, वो कभी भी किसी के सिर पर सवार हो सकती है, पर जो मेरी शरण में आएगा, वो सुरक्षित रहेगा,” बाबा बोले जा रहे थे और भक्त मोहित हो कर सुन रहे थे.
तभी बाबा के एक समर्थक ने जयकारा लगाना शुरू कर दिया, “अकरोना बाबा की जय.”
और इस जयकारे के साथ ही भीड़ में से एक ग्रामीण निकला और मंच के पास जा कर एक सौ का नोट चढ़ा दिया.
“सुनें… एक बात अच्छी तरह से समझ लें… ये बाबा सब जानते हैं और ऐसे दिव्यज्ञानी लोग पैसे को हाथ भी नहीं लगाते. और वैसे भी करेंसी को छूने में इस समय हमारे देश की सरकार भी एहतियात बरतने को कह रही है, विषाणु का प्रकोप तेजी पर है, इसलिए मेरा आप लोगों से यह कहना है कि अगर आप लोग कुछ चढ़ाना चाहें तो वो या तो सोने की हो या चांदी की कोई वस्तु… कृपया रुपयापैसा चढ़ा कर स्वामीजी का अपमान न करे.”
और उस के बाद स्वामीजी ने कोई भजन गाना शुरू कर दिया, जिस की धुन पर सभी गांव वाले मस्त हो कर नाचने लगे.
जब सब गांव वाले नाच कर थक गए, तो उन सब को एक एक मास्क ये कह कर दिया गया कि ये अकरोना बाबा का प्रसाद है, जिसे लोगों ने बड़ी श्रद्धा के साथ लिया और पहन भी लिया.
“जिन लोगों की कोई पारिवारिक, सामाजिक या आर्थिक समस्या है, वो अपना समय ले ले और अकरोना बाबा से शाम के बाद वे मुलाकात कर सकते हैं,” अकरोना बाबा के एक चेले ने घोषणा की.
दुनिया में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जिस को कोई समस्या न हो, इसलिए बाबा के शिविर में तो अपनी समस्याओं का समाधान पाने वालों का तांता लगने लगा.
बाबा वैसे तो सब की समस्याएं सुनते, पर महिला भक्तों पर उन की कृपा थोड़ी ज्यादा ही बरसती, उन के पास जो भी पुरुष पहुचते थे, उन की समस्याओं को तो वे एक विशेष प्रकार की लकड़ी, जिसे वे कल्पवृक्ष की लकड़ी कहते थे, उसी के स्पर्श मात्र से ही सही कर देते थे, पर यदि कोई महिला भक्त आती थी, तो उसे कुछ विशेष नुसखा देते थे.
“अकरोना बाबा की जय हो,” एक बहुत खूबसूरत महिला ने अंदर प्रवेश किया.
“कहो ठकुराइन, क्या कष्ट है?” बाबा ने आंखें बंद किए ही कहा.
ठकुराइन मन ही मन सोचने लगी कि मैं ने तो अभी बाबा को अपना नाम तक नहीं बताया और फिर भी वो नाम कैसे जान गए, भक्ति भाव में भर कर उस ने एक बार और जयकारा लगाया
“क्या बताऊं बाबाजी, मेरे कंधों में बहुत दर्द रहता है… कोई उपाय बताइए.”
“तू पिछले जन्म में किसी राज्य की राजकुमारी थी और तू ने लुटेरों के चंगुल से बचने के लिए वह खजाना कहीं गाड़ दिया था… उस खजाने का बोझ अब भी तेरे कंधों पर है, उस बोझ को हटाना होगा,” अकरोना बाबा ने कहा.
“पर, कैसे बाबा?”
“हमें वो खजाना ढूंढ़ना होगा,” बाबा ने कहा.
“पर, मिलेगा कहां बाबा?”
“खजाना तेरे घर में ही है… हमें वहीं आ कर खुदाई करनी होगी. और क्योंकि तू राजकुमारी थी, इसलिए तुझे हमारे काम में सहयोग भी देना होगा,” अकरोना बाबा ने कहा.
“मैं तैयार हूं बाबा,” अब अपने दर्द को भूल गई थी ठकुराइन और उस की आंखों में खजाने के सपने तैरने लगे थे.
अगले दिन सुबह से ही ठकुराइन के घर पर अनुष्ठान होना था, अकरोना बाबा ने इसे बेहद गुप्त रखने को कहा था, सिर्फ बाबा और उस के 2 साथी ही वहां पहुचे थे.
“भाई हमारे साथ अनुष्ठान में सिर्फ राजकुमारी… मेरा मतलब है कि ठकुराइन ही रहेगी, क्योंकि अपने खजाने की वो ही वारिस है इसलिए… किसी को कोई आपत्ति तो नहीं? क्यों ठाकुर?” अकरोना बाबा ने ठाकुर की ओर देखते हुए कहा.
“अरे नहीं, नहीं, बाबाजी… हमें कोई दिक्कत नहीं है. बस आप खजाना ढूंढ़ दीजिए तो हमारी पत्नी के कंधे का दर्द तो कम हो जाए कम से कम.”
“अवश्य कम होगा,” बाबा ने हुंकार भरी.
अकरोना बाबा ने ठाकुर के मकान में घूमघूम कर एक कमरे का चुनाव किया और कहा कि इसी कमरे में हम अनुष्ठान करेंगे और हमें जरूरी सामान ले दिया जाए.
अनुष्ठान शुरू हुआ. उस कमरे में अकरोना बाबा ने ठकुराइन से ध्यान केंद्रित करने को कहा. ठकुराइन ने ऐसा ही किया. वह लगातार उसी बिंदु पर ध्यान लगाती रही, जबकि अकरोना एक यज्ञ कर रहा था. अचानक से ठकुराइन बेहोश हो कर गिर गई, आग से उठता हुआ धुआं नशीला था.
फिर क्या था, ठकुराइन के गिरते ही अकरोना अपने असली रंग में आ गया. उस ने ठकुराइन के साथ बेहोशी की हालत में ही बलात्कार किया और उस की नग्न हालत में फोटो भी उतारा.
बेचारी ठकुराइन को जब होश आया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. वह किसी से कुछ कह भी नहीं सकती थी और यदि बाबा की करतूत अपने पति से भी बताती तो भी उस के वैवाहिक जीवन को खतरा हो सकता था, इसलिए सब आगापीछा सोच कर वह चुप ही रही.
अब तक अकरोना समझ चुका था कि ठकुराइन अपना मुंह नहीं खोलेगी, इसलिए उस ने फिर से एक नाटक खेला.
कमरे का दरवाजा खोल कर ठाकुर को एक मिट्टी की हांडी दिखाई और बोला, “राजकुमारी ने खजाना तो सोने के घड़े में छुपाया था, पर किसी निर्दोष को सजा देने के कारण राजकुमारी को पाप मिला और राजकुमारी का वह खजाना अपनेआप मिट्टी में बदल गया… और अब कुछ नहीं हो सकता.”
“कोई बात नहीं अकरोना बाबा, आप ने इन को इतना टाइम दिया… यही हमारे लिए बहुत बड़ी बात है… आप का बहुत धन्यवाद है,” ठाकुर ने कहा.
और अकरोना बाबा ने गांव में भोलीभाली जनता को बेवकूफ बनाना शुरू कर दिया और जब गांव के बाकी लोगों ने जाना कि बाबा प्रवचन करने के साथसाथ समस्याएं भी सुलझाते हैं, तो अकरोना के पास लोगों की भीड़ बढ़ने लगी.
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और अब तो कभी हरिया, कभी किसना तो कभी राघव तो कभी मंगलू जैसे लोग बाबा के पास अपनी समस्या का इलाज कराने जाने लगे.
जिस तरह से उस ने ठकुराइन के साथ किया रहा, कुछ वैसा ही वह मंगलू के घर पर करने वाला था, उस बंद कमरे में मंगलू की पत्नी के अलावा बाबा और उस के 2 चेले थे.
मंगलू और उस के परिवार की आर्थिक समस्या सही करने के लिए अकरोना यज्ञ कर रहा था.
मंगलू की पत्नी अभी बेहोश नहीं हुई थी और बाबा अधिक ही उत्तेजित हो रहा था.
इसी दौरान अकरोना मंगलू की पत्नी की पीठ सहलाने लगा और धीरेधीरे उस के हाथ सीने की तरफ बढ़ने लगे.
मंगलू की पत्नी उस की नीयत भांप गई और उस का विरोध कर के बाहर निकल आई और शोर मचा कर सब को इकट्ठा कर के जोरजोर से कहने लगी, “देखो… देखो ये ढोंगी बाबा… ये मेरे साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रहा है… देखो, देखो,” मंगलू की पत्नी चीख रही थी.
उस के इस तरह चीखने पर उस का पति और आसपास के लोग जमा हो गए, वे सभी उस की बातों को सुन ही रहे थे कि अंदर के कमरे से अकरोना मुसकराते हुए बाहर निकला और बोला, “देखो गांव वालो, मैं ने तुम लोगों को तो बहुत पहले ही उस प्यासी चुड़ैल की आत्मा के बारे में बता दिया था…
“देखो, आज उसी चुड़ैल की आत्मा इस औरत के अंदर आ गई है. आज हमारे पास इसे देने का मौका है… इसे मेरे शिविर में ले चलो… हम सब मिल कर सजा देंगे.”
मंगलू की पत्नी चीखती रह गई थी, पर उस गांव में भला उस की सुनने वाला कौन था, गांव के लोग तो उसे चुड़ैल समझ कर उसे मारने पर आमादा थे.
अब मंगलू की पत्नी अकरोना के चंगुल में थी. अकरोना बाबा आया और बोला, “क्या फायदा मिला तुझे… देख लिया न, तेरे ही लोग तुझे यहां छोड़ कर गए हैं मेरे लिए… अगर तू चुपचाप रहती तो इतना नाटक नहीं करना पड़ता… तू भी खुश रहती और मैं भी खुश रहता… अब अपनी नासमझी का अंजाम भुगत.”
और उस के बाद बाबा और उस के चेलों ने जी भर कर उस के जिस्म से कई दिनों तक अपनी प्यास बुझाई.
बाबा का जाल सब गांव वालों की आंखों पर पड़ चुका था. बाबा औरतों और लड़कियों के जिस्म से तो खेलता ही था और पैसे भी मार रहा था.
धीरेधीरे अकरोना ने पूरे गांव पर अपने छोटेमोटे चमत्कार या हाथ की सफाई दिखा कर गांव वालों के मन में जगह बना ली थी और गांव वाले उसे पूजने लगे थे, और बाबा की नजर जिस भी लड़की और महिला पर पड़ जाती उसे वह किसी पूजा के बहाने अपनी हवस का शिकार बनाने की कोशिश करता. और अगर वह विरोध करती तो उसे इसी तरह प्यासी चुड़ैल बता कर मारतेपीटते और अपनी हवस का शिकार भी बनाते.
गांव की कुछ महिलाओं ने उत्पीड़न सहने के बाद जब इस बाबा की पोल खोलने की कोशिश की, तो अकरोना ने गांव वालों को बताया कि ये प्यासी चुड़ैल है और अगर इसे मारा नहीं गया तो ये गांव वालों के बच्चों को ही खाने लगेगी, इसलिए बहुत सी औरतों को तो गांव के कुछ दबंग, ऊंची जाति और पैसे वाले लोगों ने उन महिलाओं को पेड़ के तने से बांध कर मारा, इतना मारा कि जब तक वे मर नहीं गई.
एक दिन की बात है, अकरोना के पास एक दंपती आया और चांदी की भेंट चढ़ाई, “बाबा के चरणों में हमारा प्रणाम.”
“हां… कल्याण हो तुम लोगों का… पर देखने में तुम लोग तो इस गांव के नहीं लगते,” अकरोना बोला.
“बाबाजी ने सही पहचाना, हम लोग पास के गांव से आए हैं. और हमारी समस्या यह है कि मेरी बीवी को बच्चा नहीं ठहरता, इसीलिये हम शादी के बाद भी बेऔलाद हैं,” उस आदमी ने बाबा से विनती की.
बाबा ने युवती की नब्ज़ टटोली. थोड़ी देर मौन रखने के बाद वह बोला, “खेत में खाली हल चलाने से फसल अच्छी नहीं होती… बीज अच्छा हो तो ही अच्छी फसल मिलती है… और तुम्हारे मस्तक की रेखाएं बता रही हैं कि तुम ने पिछले जन्म में किसी बच्चे को मारा है, इसीलिए उस जन्म की सजा तुम्हें इस जन्म में मिल रही है…
“और तुम्हें संतान प्राप्ति नहीं हो रही है, चलो कोई बात नहीं है. अब तुम सही जगह आ गए हो, अब तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जाएंगे… हां, पर हमें संतान प्राप्ति यज्ञ करना होगा और हो सकता है कि उस बच्चे की आत्मा तुम पर या तुम्हारे पति पर आ जाए तो होशियार रहना… घबराना बिलकुल मत. हम यहीं ठहरने और खानेपीने आदि की व्यवस्था करा देतें हैं. हमारा अनुष्ठान आज रात को ही शुरू हो जाएगा.”
वे दंपती आश्रम में ही रुक गए थे. बाबा की तरह उन्हें भी शाम होने का बेसब्री से इंतजार था.
शाम हुई तो उस दंपती को एक कमरे में ले जाया गया, जहां बाबा सिर्फ एक लंगोटी बांधे, आंखें बंद किए बैठा था.
“इस पूजा में सिर्फ स्त्री ही बैठेगी… पुरुष को बाहर जाना होगा,” बाबा ने कहा.
बाबा की आज्ञा मान कर उस स्त्री के साथ आया आदमी बाहर आ कर बैठ गया.
बाबा ने यज्ञ करना शुरू किया और पता नहीं क्या बुदबुदाने लग गया.
कुछ देर बाद उस बाबा ने उस आई हुई औरत का हाथ पकड़ लिया. औरत ने कोई विरोध नहीं किया.
“बाबाजी, मुझे आप के बारे में सब पता है. दरअसल, मेरी एक सहेली भी आप से यही वाली पूजा कराने आई थी और इसी तरह आप ने उसे बच्चा पैदा करने वाली कृपा की थी और जिस का मजा मेरी सहेली को भी आया था, इसलिए मेरे साथ आप को कोई नाटक करने की जरूरत नहीं है.”
“अरे वाह, तुम तो बहुत समझदार निकली, तो फिर आओ, हम आराम से बिस्तर पर लेट कर सेक्स का मज़ा लेते हैं,” बाबा ने कहा.
“सेक्स का मजा, पर वो क्यों?” उस औरत ने पूछा.
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“अरे, अभी तुम ने ही तो कहा कि तुम मेरा तरीका जानती हो, तब तो तुम यह भी जानती ही होगी कि मैं आई हुई महिलाओं के साथ जबरन सेक्स करता हूं. और अगर वे नानुकुर करती हैं, तो मैं उन को चुड़ैल की आत्मा घोषित कर देता हूं और फिर मुझे कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं पड़ती, बाकी का काम उस के गांव वाले खुद ही कर डालते हैं… हा हा हा ” कह कर हंसने लगा था अकरोना बाबा.
“बस, अब तेरा खेल खत्म.म अकरोना,” उस महिला ने अपने बैग से पिस्तौल निकालते हुए कहा.
“क्या मतलब? कौन हो तुम?”
“मैं एक पुलिस इंस्पेक्टर हूं… और ये मेरी साथी हैं,” बाहर बैठा हुआ आदमी अंदर आते हुए बोला.
“हां तो… तुम पुलिस हो… तो मैं क्या करूं… मैं ने किया क्या है,” बाबा ने कहा.
“महिलाओं का जबरन बलात्कार और उत्पीड़न के आरोप में हम तुम्हें गिरफ्तार करते हैं.
“हमें कई बार तुम्हारे खिलाफ गुमनाम फोन द्वारा शिकायतें मिल रही थीं, पर सबूत की कमी में हम कुछ नहीं कर पा रहे थे और इसीलिए हम ने ये प्लान बनाया.
“और हम ने तुम्हारी इस दाढ़ी के पीछे छिपे चेहरे को भी पहचान लिया है, तुम शातिर ठग विजय कुमार हो, जो जेल से भाग कर अपना वेश बदल कर ये काम करने लगे थे,” इंस्पेक्टर ने कहा
“पर सबूत क्या है, तुम लोगों के पास,” बाबा चीख रहा था.
“सारा सबूत इस के अंदर है,” उस महिला इंस्पेक्टर ने अपने बैग में छिपा हुआ एक खुफिया कैमरा दिखाते हुए कहा,
“और मेरे उकसाने पर तुम ने खुद ही अपनी सारी बातें अपने मुंह से ऊगली हैं, अब बाकी की जिंदगी जेल में कैदियों का कोरोना भगाने में लगाना,” महिला इंस्पेक्टर ने बाबा को हथकड़ी पहनाते हुए कहा.
बाबा ने कहा, “मुझे 10 मिनट अपने सहयोगी से बात करने दो. फिर मैं आप लोगों के साथ चलूंगा,” पुलिस पार्टी मान गई.
10 मिनट बाद बाबा के एक सहयोगी ने पेशकश रखी कि पुलिस पार्टी को 20 लाख नकद मिलेंगे और इंस्पेक्टर को साथ में पदोन्नति भी मिलेगी व 5 करोड़ साल वाला थाना मिलेगा. अंत में फैसला 30 लाख में हुआ.
पुलिस बाबा को पकड़ कर ले गई कि अगले दिन जमानत मिल जाएगी और बाद में केस रफादफा हो जाएगा.
एक ठग, जो अकरोना बाबा बना फिरता था, पहुंच गया जेल. वह सारी कमाई गंवा बैठा.
सही कहा गया है, बुरे कोरोना का बुरा नतीजा…