उस दिन मई 2020 की 25 तारीख थी. कानपुर शहर में सादगी से ईद का त्यौहार मनाया जा रहा था. लौकडाउन के कारण बाजार, सड़कों पर ज्यादा चहलपहल तो नहीं थी. लेकिन लोग एकदूसरे के घर जा कर गले मिल रहे थे और ईद की मुबारकबाद दे रहे थे. अनवरगंज थानाप्रभारी दिलीप कुमार बिंद सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए क्षेत्रीय गश्त पर थे. दरअसल उन का थाना क्षेत्र मुसलिम बाहुल्य आबादी वाला तो था ही, संवेदनशील भी था. अधिकारियों के आदेश पर पुलिस चप्पेचप्पे पर नजर गड़ाए हुए थी.
शाम लगभग 3 बजे दिलीप कुमार बिंद क्षेत्रीय गश्त कर थाने वापस आए. अभी वह अपने कक्ष में आ कर बैठे ही थे कि उन के मोबाइल पर काल आई. उन्होंने काल रिसीव करते हुए पूछा, ‘‘मैं थाना अनवरगंज से इंसपेक्टर दिलीप कुमार. आप कौन?’’
‘‘सर, मैं कुली बाजार से मीट कारोबारी हाफिज मोहम्मद रईस बोल रहा हूं. मेरे जवान बेटे मोहम्मद जफर ने आत्महत्या कर ली है. आप जल्दी आ जाइए.’’
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थानाप्रभारी दिलीप कुमार बिंद थकान महसूस कर रहे थे, फिर भी सूचना मिलते ही पुलिस टीम के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. रवाना होने से पहले उन्होंने यह सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी थी.
हाफिज मोहम्मद रईस कुली बाजार का चर्चित मीट कारोबारी था. थाने में मीट कारोबारियों की लिस्ट में उस का नामपता दर्ज था. इसलिए पुलिस को उस के घर पहुंचने में कोई परेशानी नहीं हुई. उस समय उस के घर भीड़ जुटी थी. भीड़ को हटाते हुए बिंद ने घर के अंदर प्रवेश किया. मोहम्मद जफर की लाश बाथरूम में पड़ी थी. उस के गले में गहरा घाव था, उम्र रही होगी 22 साल.
दिलीप कुमार बिंद अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल तथा सीओ (अनवरगंज) सैफुद्दीन बेग भी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. साथ ही मृतक के घर वालों से घटना के बारे में पूछताछ की.
मृतक के पिता मोहम्मद रईस ने बताया कि उन का बेटा मोहम्मद जफर पिछले कई महीने से मानसिक रूप से बीमार था. इसी के चलते उस ने आज दोपहर बाद गले को ब्लेड से चीर कर आत्महत्या कर ली. घटना के समय वह अपनी बेगम के साथ ईद मिलन को घर से बाहर गए थे. वापस आए तो जफर की लाश बाथरूम में पड़ी देखी. उस के बाद मैं ने थाने को सूचना दी.
मृतक की मां वसीम बानो ने बताया कि वह अपनी बेटी तसलीम के साथ पड़ोस में ईद मिलन को गई थी. वापस आई तो शौहर से पता चला कि बेटे ने ब्लेड से गला चीर कर आत्महत्या कर ली है. साहब, जफर मानसिक रोगी था. इसी मानसिक अवसाद में उस ने आत्महत्या कर ली. इतना कह वह फूटफूट कर रोने लगी.
वसीम बानो की बेटी तसलीम ने पूछताछ में कई बार बयान बदले. कभी वह कहती कि मां के साथ पड़ोस में गई थी, कभी कहती वह अकेले ही सहेली के घर गई थी. भाई जफर की मौत की जानकारी उसे अम्मीजान से मिली थी. उस ने यह भी कहा कि जफर मानसिक रोगी नहीं था. वह पूरी तरह से स्वस्थ था. उस ने आत्महत्या क्यों की, उसे पता नहीं है.
चूंकि घर के सभी लोग कह रहे थे कि मोहम्मद जफर ने आत्महत्या की है और पासपड़ोस के लोग भी कोई शंका जाहिर नहीं कर रहे थे, इसलिए पुलिस अधिकारियों को लगा कि शायद मोहम्मद जफर ने आत्महत्या ही की है.
हालांकि मृतक के मांबाप, बहन के बयानों में विरोधाभास था और पुलिस अधिकारियों को कुछ संदेह भी हुआ था. फिर भी उन्होंने निरीक्षण के बाद शव को पोस्टमार्टम हाउस भिजवा दिया.
दूसरे रोज शाम 5 बजे थानाप्रभारी दिलीप कुमार बिंद को मृतक जफर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई. उन्होंने रिपोर्ट पढ़ी तो वह चौंके. रिपोर्ट के अनुसार मोहम्मद जफर की मौत अधिक खून बहने से हुई थी. उस का गला किसी तेज धार वाले औजार से काटा गया था. गले का वैसा घाव ब्लेड से संभव न था. गले के अलावा उस के शरीर पर चोट का कोई निशान नहीं था. न ही उस ने अल्कोहल की डोज ली थी.
थानाप्रभारी दिलीप कुमार बिंद ने मृतक जफर की रिपोर्ट से एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल को अवगत कराया. उन्हें पहले ही परिवार के विरोधाभासी बयानों पर शक था. रिपोर्ट देखने के बाद उन्हें भी पक्का यकीन हो गया कि जफर की हत्या परिवार के ही किसी सदस्य ने की है. फिर साक्ष्य मिटा कर हत्या को आत्महत्या का रूप दिया गया है. उन्होंने सीओ (अनवरगंज) सैफुद्दीन बेग की अगुवाई में दिलीप कुमार बिंद को जफर की हत्या का रहस्य सुलझाने का आदेश दिया.
आदेश पाते ही दिलीप कुमार बिंद ने हकीकत का पता लगाने के लिए अपने क्षेत्र के एक खास खबरी को लगाया. एक दिन बाद ही उस ने थानाप्रभारी बिंद को एक चौंकाने वाली जानकारी दी. उस ने बताया कि मोहम्मद जफर न तो मानसिक रोगी था और न ही उसे कोई अन्य रोग था.
जफर की बहन तसलीम तथा पड़ोस में रहने वाले चचेरे भाई तौसीफ अहमद के बीच मोहब्बत पनप रही थी. जफर को दोनों के अवैध संबंधों की जानकारी थी और वह इस का विरोध करता था. इन्हीं नाजायज संबंधों के चलते जफर की हत्या हुई है. हत्या का रहस्य घर वालों के पेट में ही छिपा है. यदि कड़ाई से पूछताछ की जाए तो सारा भेद खुल सकता है.
दिलीप कुमार बिंद ने नाजायज रिश्तों की जानकारी सीओ सैफुद्दीन बेग को दी तो वह बिंद को साथ ले कर दोबारा मोहम्मद रईस के घर जा पहुंचे. उन्होंने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. फोरैंसिक टीम ने अपनी जांच उस बाथरूम से शुरू की, जहां मोहम्मद जफर की लाश पड़ी मिली थी.
टीम प्रभारी प्रवीण कुमार ने बाथरूम का बेंजामिन टेस्ट किया तो वहां खून की एक भी बूंद का प्रमाण नहीं दिखा. इस के बाद टीम ने मकान के दूसरे बाथरूम का बेंजामिन टेस्ट किया तो वहां खून के प्रमाण मिले.
टीम ने दोनों बाथरूम के बीच 2 जगहों पर शक के आधार पर टेस्ट किया तो वहां भी खून के प्रमाण मिले. जाहिर था शव को एक बाथरूम से दूसरे बाथरूम में लाया गया था. टीम प्रभारी प्रवीण ने मृतक के मांबाप, भाईबहन के हाथों का बेंजामिन टेस्ट किया तो खून के प्रमाण मिले.
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फोरैंसिक टीम की जांच से हत्या के पुख्ता सबूत मिले तो सीओ सैफुद्दीन बेग ने मोहम्मद रईस, उस की पत्नी वसीम बानो तथा बेटी तसलीम से अलगअलग सख्ती से पूछताछ की.
पूछताछ में मोहम्मद रईस टूट गया. उस ने बताया कि बच्चों के जेल जाने के डर से उस ने झूठ बोला था कि जफर ने आत्महत्या की है. जफर तो मर ही गया था, सच बोलता तो परिवार के 2 बेटे और बेटी जेल चले जाते.
सच यह है कि मोहम्मद जफर ने अपनी बहन तसलीम को बाथरूम में चचेरे भाई तौसीफ अहमद के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था. भेद खुलने के डर से तसलीम ने तौसीफ व उस के भाई सैफ के साथ मिल कर बकरा काटने वाले चाकू से जफर को गला रेत कर मार डाला था.
मोहम्मद रईस के टूटते ही उस की पत्नी वसीम बानो तथा बेटी तसलीम ने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया. चूंकि हत्या में तसलीम का प्रेमी तौसीफ अहमद और उस का भाई सैफ भी शामिल था, अत: पुलिस ने उन दोनों को भी नाटकीय ढंग से पकड़ लिया.
दोनों को थाना अनवरगंज लाया गया. जब उन दोनों का सामना मोहम्मद रईस, वसीम बानो तथा तसलीम से हुआ तो वे समझ गए कि अब सच बताने में ही भलाई है. अत: उन दोनों ने सहज ही जुर्म कबूल कर लिया.
पुलिस अभी तक आलाकत्ल चाकू बरामद नहीं कर पाई थी. अत: थानाप्रभारी दिलीप कुमार बिंद ने चाकू के संबंध में पूछताछ की तो तौसीफ ने बताया कि कत्ल करने के बाद चाकू को मकान के सीवर टैंक (मेन होल) में छिपा दिया था.
यह बात पता चलते ही दिलीप कुमार बिंद तौसीफ अहमद को घटनास्थल पर ले गए. वहां उस की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त चाकू बरामद कर लिया. बरामदगी के बाद तौसीफ को वापस थाने लाया गया और चाकू को सीलमोहर कर दिया गया.
चूंकि सभी ने मोहम्मद जफर की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया था और आला कत्ल (चाकू) भी बरामद करा दिया था, इसलिए थानाप्रभारी दिलीप कुमार बिंद ने भादंवि की धारा 302/201 के तहत तसलीम, तौसीफ अहमद, सैफ, वसीम बानो तथा हाफिज मोहम्मद रईस के विरुद्व रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा पांचों को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में इश्क में अंधी बहन द्वारा भाई को हलाल करने की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई.
उत्तर प्रदेश के कानपुर महानगर के अनवरगंज थाना क्षेत्र में मुसलिम बाहुल्य आबादी वाला एक मोहल्ला है कुली बाजार. इसी कुली बाजार में बड़ी मसजिद के पास हाफिज मोहम्मद रईस अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी वसीम बानो के अलावा 2 बेटे तथा बेटी तसलीम थी.
मोहम्मद रईस मीट कारोबारी थे. इस कारोबार में उन के दोनों बेटे भी हाथ बंटाते थे. कुली बाजार में उन की चर्चित मीट की दुकान थी. कुली बाजार में ही उन का अपना निजी मकान था. उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी.
वसीम बानो की बेटी तसलीम खूबसूरत थी, तन से ही नहीं मन से भी खूबसूरत. इसलिए उसे हर कोई पसंद करता था. बचपन में जहां वह अपनी चंचलता की वजह से सब को प्यारी लगती थी, वहीं जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही वह अपने व्यवहार से सब की आंखों का तारा बनी हुई थी.
अपने मिलनसार स्वभाव की वजह से वह सब का मन मोह लेती थी. युवा जहां उस की सुंदरता के दीवाने थे, वहीं बड़ेबूढ़े उस के स्वभाव से खुश रहते थे. पढ़नेलिखने में भी वह तेज थी. उस ने जुबली इंटर कालेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर ली थी.
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तसलीम के पड़ोस में तौसीफ अहमद रहता था. रिश्ते में वह उस का चचेरा भाई था. अपने पिता के साथ वह भी मीट का कारोबार करता था. तौसीफ दिखने में स्मार्ट था. रहता भी ठाटबाट से था. तसलीम और तौसीफ रिश्ते में चचेरे भाईबहन थे और हमउम्र थे, सो उन में खूब पटती थी. दोनों का एकदूसरे के घर आनाजाना लगा रहता था. दोनों परिवारों के बीच आपसी लगाव था और दुख की घड़ी में एकदूसरे की मदद को भी तत्पर रहते थे. ईद, बकरीद जैसे त्यौहार दोनों परिवार मिलजुल कर मनाते थे.