प्रेम के लिए कुर्बानी : भाग 2

पुलिस ने आरोपी नरगिस को उस के घर से ही गिरफ्तार कर लिया. नरगिस को थाने लाते ही पुलिस ने उस से कड़ी पूछताछ की तो उस ने अपना गुनाह कबूल कर लिया. नरगिस और महबूब के घर वालों से पूछताछ के बाद इस केस की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली –

जिला मुरादाबाद में कांठ मिश्रीपुर रोड पर स्थित है गांव मोड़ा पट्टी. शमशाद हुसैन इसी गांव में अपने परिवार के साथ रहता था. शमशाद हुसैन पेशे से कारपेंटर था. उस की आर्थिक स्थिति शुरू से ही मजबूत थी. उस के 6 बच्चों में महबूब आलम तीसरे नंबर का था. इस समय उस के पांचों बेटे कामधंधा कर कमाने लगे थे.

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महबूब ने कांठ में ही स्टील वेल्ंिडग का काम सीख लिया था. काम सीखने के बाद उस ने ठेके पर काम करना शुरू किया. धीरेधीरे शहर के आसपास उस की अच्छी जानपहचान हो गई थी.

लगभग 3 साल पहले की बात है. नरगिस अपने पति नौशाद को फोन मिला रही थी. लेकिन गलती से फोन किसी और के नंबर से कनेक्ट हो गया. बातों में पता चला कि वह नंबर गांव मोड़ा पट्टी निवासी महबूब का है. महबूब से बात करना उसे अच्छा लगा.

महबूब को भी उस की बातें अच्छी लगीं. बात खत्म हो जाने के बाद महबूब ने उसी वक्त नरगिस के नंबर को अपने मोबाइल में सेव कर लिया था.

उस के कई दिन बाद महबूब ने फिर से वही नंबर ट्राई किया तो फोन नरगिस ने ही उठाया. उस के बाद महबूब ने नरगिस को विश्वास में लेते हुए उस के घर की पूरी हकीकत जान ली.

एक बार दोनों के बीच मोबाइल पर बात करने का सिलसिला चालू हुआ तो दोस्ती पर ही जा कर रुका. दोनों के बीच प्रेम कहानी शुरू हुई तो महबूब नरगिस के घर तक पहुंच गया.

महबूब पहली बार नरगिस के घर जा कर उस से मिला तो उस ने उस का परिचय अपने बच्चों व ससुराल वालों से अपने दूर के खालू के लड़के के रूप में कराया. उस के बाद महबूब का नौशाद की गैरमौजूदगी में आनाजाना बढ़ गया. उसी आनेजाने के दौरान महबूब और नरगिस के बीच अवैध संबंध भी बन गए.

नौशाद अकसर काम के सिलसिले में घर से बाहर ही रहता था. उस के तीनों बच्चे स्कूल जाने लगे थे. वैसे भी महबूब का घर नरगिस के गांव से करीब 7 किलोमीटर दूर था. जब कभी नरगिस घर पर अकेली होती तो वह महबूब को फोन कर के बुला लेती. फिर दोनों मौके का लाभ उठाते हुए अपनी हसरतें पूरी करते. दोनों के बीच यह सिलसिला काफी समय तक चलता रहा.

इसी दौरान महबूब कांठ छोड़ कर काम करने गोवा चला गया. महबूब के गोवा जाते ही नरगिस खोईखोई सी रहने लगी. इस के बाद भी दोनों के बीच मोबाइल पर प्रेम कहानी चलती रही. गोवा में स्टील वेल्डिंग का काम कर के महबूब ने काफी पैसे कमाए. उस कमाई का अधिकांश हिस्सा वह नरगिस पर खर्च करता.

महबूब जब कभी गोवा से अपने घर कांठ आता तो वह नरगिस के साथसाथ उस के बच्चों के लिए भी काफी गिफ्ट ले कर आता था. वह सारी रात उसी के पास सोता और फिर दिन निकलते ही अपने गांव मोड़ा पट्टी चला जाता था.

महबूब का नरगिस के साथ करीब 3 साल से प्रेम प्रसंग चल रहा था, लेकिन उस ने इस बात की भनक अपने परिवार वालों को नहीं लगने दी थी. लेकिन नरगिस के ससुराल वाले जरूर महबूब और नरगिस के रिश्ते को ले कर शक करने लगे थे.

नौशाद का भाई शमशाद ग्रामप्रधान था. नरगिस के क्रियाकलापों की वजह से गांव में उस की बहुत बदनामी हो रही थी. उस के सभी भाई परेशान थे.

नौशाद का परिवार अलग घर में रहता था. उस के भाई अपनेअपने घरों में रहते थे. जिस के कारण वह महबूब और नरगिस को रंगेहाथों पकड़ने में असफल हो रहे थे.

महबूब अगस्त के महीने में घर आया और फिर गोवा वापस चला गया था. गोवा जाते ही घर पर उस की शादी की बात चली. बात तय हो जाने के बाद 18 सितंबर को रिश्ता होने की बात पक्की हो गई. जिस के लिए मजबूरी में उसे फिर से गोवा से गांव आना पड़ा.

15 सितंबर, 2020 को महबूब ने अपने भाई शकील के मोबाइल पर बात कर कहा था कि 18 सितंबर की सुबह वह घर पहुंच जाएगा. 16 सितंबर को वह गोवा से चल कर देर रात दिल्ली पहुंचा. दिल्ली के कीर्ति नगर में उस के जीजा गुड्डू रहते थे. वह सीधे अपने जीजा के पास चला गया.

16 सितंबर की रात को उस ने नरगिस से फोन पर बात की तो उसे पता चला कि उस का पति पानीपत, हरियाणा काम करने गया हुआ है. यह जानकारी मिलने पर उस ने सीधे नरगिस के घर जाने की योजना बना ली. उसी योजना के मुताबिक महबूब 17 सितंबर की देर रात दिल्ली से नरगिस के गांव पाठंगी पहुंचा. उस वक्त तक उस के बच्चे सो चुके थे. लेकिन नौशाद के बड़े भाई ग्राम प्रधान शहजाद को इस बात का पता चल गया था.

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भले ही नरगिस ने महबूब को अपना रिश्तेदार बता रखा था. लेकिन उस का वक्तबेवक्त आनाजाना ससुराल वालों को खलने लगा था.

गांव में हो रही बदनामी से बचने के लिए ग्राम प्रधान शहजाद और उस का छोटा भाई दिलशाद महबूब को सबक सिखाने का मौका तलाश रहे थे.

17 सितंबर की रात नरगिस के ससुराल वालों को महबूब के आने का पता चल गया था. वे देर रात तक नरगिस के बच्चों के सोने का इंतजार करते रहे. जैसे ही उन्हें आभास हुआ कि बच्चे सो चुके हैं, दोनों भाई मौका पाते ही नौशाद के घर में घुस कर छिप गए. रात में उन्होंने नरगिस और महबूब को आपतिजनक स्थिति में देख लिया.

दोनों को उस स्थिति में देखते ही शहजाद और दिलशाद का खून खौल उठा. नरगिस को उन्होंने बुरी तरह से मारापीटा. उस के बाद दोनों ने महबूब को डंडों से मारमार कर अधमरा कर दिया. कुछ ही देर में महबूब की मौत हो गई. इस के बाद उन्होंने उस की लाश छिपाने के उद्देश्य से घर में रखे संदूक में डाल दी. फिर वे उस की लाश ठिकाने लगाने की जुगत मे लग गए.

लेकिन उन्हें लाश ठिकाने लगाने का मौका नहीं मिला तो नरगिस को वही पाठ पढ़ा कर घर से गायब हो गए, जो उस ने अपने पति और पुलिस वालों को बताया था.

उधर 17 सितंबर, 2020 को महबूब ने अपने घर फोन कर जानकारी दी थी कि वह गोवा से दिल्ली गुड्डू जीजा के घर आ गया है और कल सुबह गांव पहुंच जाएगा. उस के बाद उस का मोबाइल फोन बंद हो गया था.

घर वालों ने सोचा कि शायद उस के मोबाइल की बैटरी डिस्चार्ज हो गई होगी. फिर भी उन्हें तसल्ली इस बात की थी कि वह गोवा से ठीकठाक दिल्ली पहुंच गया था. उस के बाद भी उस के परिवार वाले बीचबीच में उस का नंबर मिलाते रहे. लेकिन उस से बात नहीं हो पा रही थी.

जब काफी समय बाद भी महबूब से बात नहीं हो सकी. तो शमशाद हुसैन ने अपने दामाद गुड्डू को फोन किया. गुड्डू ने बताया कि महबूब उन के घर 16 सितंबर की रात पहुंचा था और 17 सितंबर की दोपहर में ही वह घर जाने की बात कह कर चला गया था. यह सुन कर घर वाले परेशान थे. पुलिस द्वारा फोन करने पर ही उन्हें हत्या की जानकारी हुई.

इस केस के खुलते ही पुलिस ने शमशाद की तहरीर पर मृतक महबूब की प्रेमिका नरगिस, उस के पति नौशाद, जेठ शहजाद तथा दिलशाद के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज किया.

हालांकि नरगिस और उस के पति नौशाद ने स्वयं स्वीकार किया था कि हत्या से उन का कोई लेनादेना नहीं है. नौशाद ने बताया कि हत्या वाली रात वह पानीपत में था. जांच में बेकुसूर पाए जाने पर पुलिस ने नौशाद को छोड़ दिया.

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18 सितंबर को पुलिस ने नरगिस को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया था. अन्य अभियुक्तों की तलाश जारी थी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्रेम के लिए कुर्बानी : भाग 1

18 सितंबर 2020 को देर रात थाना कांठ के थानाप्रभारी अजय कुमार गौतम के मोबाइल पर किसी अंजान व्यक्ति का फोन आया. फोन करने वाले ने बताया, ‘‘सर, मैं ऊमरी कलां के पास पाठंगी गांव के प्रधान शहजाद का छोटा भाई नौशाद बोल रहा हूं. सर, हमारे घर में एक युवक की मौत हो गई है. आप जल्द आ जाइए.’’

‘‘मौत कैसे हो गई, क्या हुआ था उसे?’’ अजय कुमार गौतम ने उस युवक से पूछा.

‘‘सर, संदूक में दम घुटने से…’’ युवक ने जबाव दिया.

यह जानकारी देने के बाद नौशाद ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

नौशाद की बात सुनते ही थानाप्रभारी को समझते देर नहीं लगी कि मामला कुछ गड़बड़ है. लिहाजा कुछ पुलिसकर्मियों को साथ ले कर वह पाठंगी गांव जा पहुंचे.

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जिस वक्त गांव में पुलिस पहुंची, अधिकांश लोग सो चुके थे. फिर भी गांव में देर रात पुलिस की गाड़ी देख कर कुछ लोग एकत्र हो गए. पुलिस की जिप्सी रुकते ही सब से पहले नौशाद पुलिस के सामने हाजिर हुआ. वह बोला, ‘‘सर, मेरा नाम ही नौशाद अली है. मैं ने ही आप को फोन किया था. आइए सर, मैं आप को युवक की लाश दिखाता हूं.’’ कह कर नौशाद अली पुलिसकर्मियों को अपने घर के अंदर ले गया.

घर के अंदर जाते ही नौशाद ने अपने घर में रखा संदूक खोला. संदूक खुलते ही बदबू का गुबार निकला. जिस की वजह से पुलिस का वहां रुकना मुश्किल हो गया. बदबू कम हुई तो पुलिस ने मृतक की लाश देखी. फिर लोगों की मदद से लाश को संदूक से बाहर निकलवाया.

मृतक हृष्टपुष्ट युवक था. जांचपड़ताल के दौरान पता चला कि उस के शरीर पर तमाम चोटों के निशान थे. उस के सिर से काफी खून भी निकल कर जम गया था. संभवत: ज्यादा खून बहने से ही उस की मौत हुई थी.

थानाप्रभारी गौतम ने इस मामले की जानकारी सीओ बलराम सिंह को भी दे दी थी. सूचना मिलते ही सीओ साहब भी पाठंगी गांव पहुंच गए और वहां मौजूद लोगों से पूछताछ की.

फोरैंसिक टीम ने भी घटनास्थल पर पहुंच कर साक्ष्य एकत्र किए.

नौशाद के घर से ही पुलिस को मृतक का एक बैग भी मिला, जिस में से पुलिस को शराब की एक बोतल के साथसाथ 2 बीयर की बोतलें, मृतक का आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज भी मिले. आधार कार्ड पर नाम महबूब आलम पुत्र शमशाद, निवासी मोड़ा पट्टी, कांठ लिखा था.

पुलिस ने नौशाद से मृतक युवक के बारे में पूछा तो उस ने बताया, ‘‘सर, मैं पानीपत में काम करता हूं. घर पर मेरे बीवीबच्चे रहते हैं. इसलिए मैं इस के बारे में नहीं जानता. लेकिन पत्नी नरगिस ने बताया कि यह उस का दूर का रिश्तेदार है. मैं पानीपत में था तो आज सुबह मेरी बीवी नरगिस का फोन आया. उस ने फोन पर बताया कि घर पर कुछ अनहोनी हो गई है. इसलिए जितनी जल्दी हो सके, फौरन घर पहुंचो.’’

नौशाद ने बताया कि बीवी की बात सुनते ही वह अपना कामधंधा छोड़ कर तुरंत घर चला आया था. घर आने पर पत्नी ने बताया कि महबूब उस का दूर का रिश्तेदार था. 17 सितंबर, 2020 की देर रात वह हमारे घर पहुंचा. उस वक्त तीनों बच्चे सो चुके थे. लेकिन बड़ा बेटा अचानक जाग गया. बेटे के डर की वजह से महबूब घर में रखे संदूक में छिप कर बैठ गया. बेटा 2 घंटे बाद सोया तो मैं ने संदूक खोल कर देखा. तब तक दम घुटने से वह मर चुका था.

नौशाद ने पुलिस को बताया कि घर में किसी व्यक्ति की मौत हो जाने की बात सुनते ही उस के हाथपांव फूल गए. संदूक में पड़ी लाश के बारे में सोचसोच कर उस का सिर फटा जा रहा था.

उसे अपनी बीवी पर भी कुछ शक हुआ. वह समझ नहीं पा रहा था कि अगर लड़का सोते से उठ गया तो उसे संदूक में छिपने की क्या जरूरत थी. इस घटना से उसे बीवी पर बहुत गुस्सा आया. लेकिन घर में जो बला पड़ी थी, पहले उस से कैसे निपटा जाए, वह उसे ले कर परेशान था.

दोपहर से शाम तक उस ने कई बार उस की लाश को ठिकाने लगाने की योजना बनाई, लेकिन वह किसी भी योजना में सफल नहीं हो पा रहा था. घर की बदनामी को देखते हुए वह न तो इस बात का जिक्र अपने घर वालों से कर सकता था और न ही खुद कोई निर्णय ले पा रहा था.

जब इस मामले में उस के दिमाग ने बिलकुल काम करना बंद कर दिया तो उस ने पुलिस को सूचना देने का फैसला लिया. उस के बाद ही उस ने पुलिस को फोन कर घटना की जानकारी दी.

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जब पुलिस इस मामले की जांचपड़ताल में लगी थी, नरगिस घर के आंगन में ही डरीसहमी सी बैठी थी. नौशाद की बताई कहानी से पुलिस को मामला समझने में देर नहीं लगी. लेकिन हैरत की बात यह थी कि 2 घंटे संदूक में बंद रहने से उस की मौत कैसे हो गई. क्योंकि बक्सा काफी बड़ा भी था और खाली भी था. सवाल यह था कि मृतक के शरीर पर चोटों के निशान कहां से आए.

पुलिस को मृतक की जेब से एक मोबाइल मिला, जो उस वक्त बंद था. पुलिस ने उसे औन कर के उस की जांच की तो पता चला कि उस के फोन पर नरगिस ने ही आखिरी काल की थी.

इस मामले को ले कर पुलिस ने नरगिस से भी पूछताछ की. पुलिस पूछताछ के दौरान नरगिस ने अपने पति की बताई रटीरटाई बात दोहरा दीं. उस वक्त तक रात के 12 बज चुके थे. पुलिस युवक की मौत की जांच में लगी थी. उसी दौरान मृतक के मोबाइल पर शमशाद नामक व्यक्ति का फोन आया.

फोन थानाप्रभारी गौतम ने रिसीव किया. जैसे ही उन्होंने हैलो कहा तभी दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘‘अरे बेटा, मैं तुम्हारा अब्बू बोल रहा हूं. तुम कहां हो? कल से तुम्हारा फोन बंद आ रहा है.’’

‘‘शमशाद जी, आप कहां से बोल रहे हैं और आप का बेटा कहां गया हुआ है?’’ अजय कुमार गौतम ने शमशाद से प्रश्न किया.

आवाज उन के बेटे की नहीं थी. मोबाइल किसी और के रिसीव करने से शमशाद हुसैन चिंतित हो उठे. वह तुरंत बोले, ‘‘आप कौन बोल रहे हैं? यह नंबर तो मेरे बेटे महबूब आलम का है. आप के पास कहां से आया?’’

‘‘मैं कांठ थाने का थानेदार अजय कुमार गौतम बोल रहा हूं.’’

पुलिस का नाम सुनते ही शमशाद अहमद घबरा गए. उन के दिमाग में तरहतरह शंकाएं घूमने लगीं.

जब उन्हें यह जानकारी मिली कि बेटे का मोबाइल पुलिस के पास है तो वे किसी अनहोनी की आशंका से परेशान हो गए. तभी अजय कुमार गौतम ने शमशाद हुसैन को बताया कि उन के बेटे के साथ एक अनहोनी हो गई है. वह तुरंत पाठंगी गांव आ जाएं.

पुलिस द्वारा जानकारी मिलने पर शमशाद हुसैन अपने घर वालों के साथ पाठंगी गांव जा पहुंचे. वहां पहुंचने पर उन्हें जानकारी मिली कि उन का बेटा महबूब अब इस दुनिया में नहीं रहा. उस की संदूक में बंद होने के कारण दम घुटने से मौत हो गई है.

यह जानकारी मिलते ही शमशाद हुसैन के परिवार में मातम छा गया. घटनास्थल की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक की गला घोंट कर हत्या करने की बात सामने आई. मृतक के शरीर पर भी चोटों के काफी निशान पाए गए थे, जिन से साफ जाहिर था कि मृत्यु से पहले उस के साथ मारपीट की गई थी और मृतक ने हमलावरों से काफी संघर्ष किया था.

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इस केस में मृतक के पिता शमशाद हुसैन की तहरीर पर पुलिस ने नरगिस, उस के पति नौशाद, ग्रामप्रधान शहजाद और दिलशाद के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

औनलाइन फ्रैंडशिप : चली गई इज्जत

दूर के ढोल सुहावने. यह कहावत कभीकभार दूर के ढोल लाएं शामत में बदल जाती है और सामने वाले को पता भी नहीं चलता है. दिल्ली की एक लड़की के साथ ऐसा ही हुआ. 20 साल की वह लड़की रोहिणी इलाके में रहती थी और सोशल मीडिया के जरीए रोहतक के एक लड़के से दोस्ती कर बैठी.

ज्यादा गहरी दोस्ती होने के बाद उस लड़के ने लड़की को रोहतक मिलने के लिए बुला लिया. लड़की खुश हुई और लड़के के बताए गए एक होटल डायमंड में जा पहुंची.

लड़की के मन क्या चल रहा था, यह तो पता नहीं, पर उस लड़के के इरादे ठीक नहीं थे. होटल में उस लड़के ने लड़की के साथ पहले खुद रेप किया, फिर अपने एक दोस्त को बुला कर उस को भी रेप का भागीदार बनाया. इतना ही नहीं, उस लड़की को जबान न खोलने की धमकी दी और होटल में बंधक बना कर 4 दिन तक उस का गैंगरेप किया.

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यह मामला रोहतक में दिल्ली बाईपास के नजदीक विनय नगर के होटल डायमंड का है, जहां से पीड़िता ने किसी तरह हिम्मत कर के अपने मोबाइल फोन से अपनी बहन को वहां की लोकेशन भेजी. इस के अलावा उस लड़की ने होटल के कमरे की खिड़की से अपने कपड़े और बैग को भी नीचे सड़क पर फेंक दिया. इस से आसपास के लोगों को शक हुआ और उन्होंने पुलिस बुला ली. इसी बीच पीड़िता की बहन भी वहां पहुंच गई.

इस के बाद एक पुलिस टीम ने होटल डायमंड पर दबिश दी और लड़की को बचाया और उस की मैडिकल जांच की गई.

रोहतक की अर्बन ऐस्टेट पुलिस ने पीड़िता की शिकायत पर झज्जर के दीपक और प्रवीण के खिलाफ आईपीसी की धारा 370, 376, 343 के तहत केस दर्ज कर लिया.

इसी तरह मध्य प्रदेश की इंदौर जिला क्राइम ब्रांच ने साइबर अपराधियों की ऐसे गिरोह की पहचान की, जो सोशल मीडिया पर प्रोफाइल बना कर अच्छेभले परिवार के मर्दऔरतों को फंसा कर लाखों रुपए वसूल चुका है. एक आईटी कंपनी के संचालक की पत्नी, डाक्टर और कारोबारी इन लोगों के शिकार बन चुके हैं.

आरोपियों ने पहले उन से दोस्ती की, फिर बेहूदा चैटिंग शुरू कर दी. धीरेधीरे बात औनलाइन कपड़े उतारने तक पहुंच गई और उन की वीडियो और फोटो रिकौर्ड कर ली. बाद में आईपी एड्रेस, काल डिटेल और बैंक खातों की जांच में पता चला कि अपराधी बिहार, झारखंड और दिल्ली के हैं.

ऐसी बहुत सी वारदातें देशभर में  होती रहती हैं. सोशल मीडिया हमारे दिलोदिमाग पर इतना ज्यादा असर डाल चुका है कि हम अच्छेबुरे के बारे में सोच ही नहीं पाते हैं. लड़कियां और औरतें ऐसे जालसाजों के झांसे में ज्यादा आती हैं.

पर अगर आप इन सब पचड़ों में नहीं फंसना चाहती हैं, तो इन बातों का रखें खयाल :

-औनलाइन फ्रैंडशिप में उतावलेपन में अपना फोन नंबर और ईमेल शेयर न करें. जिस लड़के से आप सोशल मीडिया पर चैटिंग कर रही हैं, वह पूरी तरह से अनजान होता है. वह  फोन नंबर पा कर आप को तंग कर सकता है. आप के फोन नंबर का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है.

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-किसी ऐसे लड़के से दोस्ती न करें, जिस के साथ आप के म्यूचुअल फ्रैंड न हों. किसी से चैटिंग शुरू करने के पहले उस के बारे में अच्छी तरह से जान लें. फेक आईडी वाले आप को कभी भी नुकसान पहुंचा सकते हैं.

-अपनी पर्सनल जानकारी औनलाइन फ्रैंड को मत दें. अपने परिवार के बारे में कोई बात मत बताएं. अपने घर, दफ्तर का पता बताने से भी बचें. इस का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है.

-कभी भी अपने पर्सनल फोटो, वीडियो शेयर मत करें. अगर वह ऐसी डिमांड करता है तो कड़े शब्दों में मना कर दें. ऐसी तसवीरों में फेरबदल कर के आप को ब्लैकमेल  किया जा सकता है.

-बेहूदा बातें करने से बचें. हो सकता है सामने वाला आप की बातों को रिकौर्ड कर रहा हो.

-सोशल मीडिया से बेहतर किताबें आप की दोस्त होती हैं. अच्छी पत्रिकाएं पढ़ें.

प्यार की सूली पर लटकी अंजली : भाग 3

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

अंजलि की यह बात राकेश को बुरी नहीं लगी, बल्कि उसे उस पर और भी प्यार उमड़ आया था. अंजलि की एक खास सहेली खुशबू थी, वह अपने दिल की हर बात उसी से शेयर करती थी. उस ने उसे यह भी बता दिया था कि राकेश उस पर फिदा है.

राकेश ने जब देखा कि उस की दाल नहीं गल रही है तो उस ने उस की सहेली खुशबू को पटा कर उसे सीढि़यां बनाया. राकेश ने खुशबू से अंजलि तक अपने प्यार का पैगाम भिजवा दिया.

खुशबू ने अंजलि के सामने राकेश की ऐसी जोरदार वकालत की कि उस ने राकेश के प्यार को स्वीकृति दे दी. पते की बात यह थी कि राकेश ने खुशबू से भी अपने शादीशुदा होने की बात छिपा ली थी. खुशबू के जरिए राकेश और अंजलि एकदूसरे के करीब आए. दोनों ही एकदूसरे से प्रेम करने लगे थे.

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राकेश अंजलि का पहला प्यार था. उस का प्रेम निश्छल और पाकीजा था. वह उसे जीजान से प्यार करने लगी थी. जबकि राकेश शातिर और छलिया था. उसे अंजलि से नहीं बल्कि उस के गोरे बदन से प्रेम था. वह सिर्फ उस के जिस्म का भूखा था और जिस्मानी रिश्ता बना कर उसे छोड़ देना चाहता था.

इस के लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार था. उस ने उस के सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो अंजलि उस के इस प्रस्ताव को ठुकरा नहीं सकी और शादी के लिए हां कर दी. इधर अंजलि के मांबाप ने उस की शादी झांसी के एक इंजीनियर के साथ पक्की कर दी थी. यह बात अंजलि को तब पता चली जब उसे गोदभराई की तारीख बताई गई. यह सुन कर अंजलि को झटका लगा. अपने प्यार की बात वह मांबाप से बताने ही वाली थी कि उसे अपनी शादी तय होने की खबर मिल गई.

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राकेश ने धोखा किया था अंजलि के साथ

अंजलि अपनी शादी तय होने वाली बात राकेश को बताने ही जा रही थी कि उसे राकेश के शादीशुदा होने की बात पता चली. यह जान कर अंजलि को बड़ा दुख हुआ. अपने साथ होने वाले इस धोखे की बात पता चलते ही अंजलि टूट सी गई और परेशान रहने लगी. उसे राकेश से ऐसी उम्मीद नहीं थी कि वह उसे इतना बड़ा धोखा दे सकता है.

प्यार में धोखा खाने के बाद अंजलि टूट सी गई थी. फरवरी, 2019 में उस की गोदभराई थी. गोदभराई में अंजलि घर आई तो जरूर थी, लेकिन उसे इस शादी से कोई खास दिलचस्पी नहीं थी. शादी को ले कर जो उत्साह उस के चेहरे पर होना चाहिए था, वह नदारद था. इसे मांबाप के साथ उस की बहनों ने भी महसूस किया था. खैर, गोदभराई की रस्म पूरी होने के बाद 5 मई, 2019 को अंजलि की शादी की तारीख पक्की हुई थी. इत्तफाक से उस तारीख पर चुनाव होना था, इसलिए शादी की तारीख आगे बढ़ा दी गई. गोदभराई की रस्म पूरी होने के बाद अंजलि नौकरी पर लौट आई थी.

प्यार में धोखा खाने के बाद अंजलि का मन किसी काम में नहीं लग रहा था. वह हमेशा उदास रहती थी. अंजलि को अकेली या उदास देख कर उस के मकान मालिक की दोनों बेटियां रिया और सीमा उस के पास जा कर बैठ जाती थीं. दोनों के आ जाने से अंजलि का मन लग जाता और थोड़ा समय अच्छे से कट जाया करता था.

20 मई, 2019 को स्कूलों में 45 दिन का ग्रीष्मकालीन अवकाश हुआ. छुट्टी होते ही विद्यालय के सभी अध्यापक अपनेअपने घर चले गए. अंजलि की सहेली खुशबू भी अपने घर आ गई थी. अंजलि ने भी 22 मई को घर जाने की तैयारी कर ली थी.

21 मई, 2019 के दिन अंजलि के कमरे पर कई लोग आतेजाते रहे. दोपहर बाद जब अंजलि काम से फारिग हुई तो रोज की तरह रिया और सीमा उस के कमरे में चली गईं. तीनों बैठ कर घंटों इधरउधर की बातें करती रहीं. साढ़े 3 बजे के करीब दोनों बहनें अपने कमरे में वापस लौट आई थीं.

क्या रहस्य बन कर रह जाएगी अंजलि की मौत

रिया और सीमा के वहां से जाने के बाद अंजलि के पास उस की छोटी बहन मनोरमा का फोन आया था. वह उस से पूछ रही थी कि विद्यालय में छुट्टियां हो गई हैं, घर कब आ रही हो. उस ने छोटी बहन से कहा कि आज शाम को घर के लिए रवाना होऊंगी.

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इस के बाद अंजलि फोन पर ही रोने लगी. मनोरमा ने उस से रोने की वजह पूछी तो उस ने फोन पर कुछ नहीं बताया. बस इतना ही कहा कि घर आने के बाद सब बताऊंगी. इस के बाद फोन कट गया. इस के ठीक आधे घंटे बाद रहस्यमय तरीके से अंजलि के कमरे से धुएं का बड़ा गुबार उठा. बाद में रहस्यमय तरीके से पंखे से झूलती उस की लाश मिली.

बहरहाल, मोहना पुलिस की करतूत से बेसिक शिक्षा अधिकारी राम सिंह भी आहत हैं. बीएसए राम सिंह ने आरोप लगाया कि मंगलवार 21 मई को जब घटना की जानकारी हुई तो वह शाम करीब 6 बजे गौहनिया स्थित अंजलि यादव के कमरे पर पहुंचे. वहां मौजूद एक दरोगा ने उन्हें नीचे ही रोक दिया. जब उन्होंने परिचय दिया तब जा कर परिसर में बैठने की अनुमति दी गई. एसपी डा. धर्मवीर सिंह से बात करने के बाद उन्हें कमरे में जाने दिया गया.

वहां पर 5 पुलिस वाले बैठे हुए थे. शव के गले में लोहे का तार बंधा हुआ था. पैर जंजीर से बांधा गया था. सवाल यह है कि अगर अंजलि को आत्महत्या करनी थी तो उस ने गला व पैर क्यों बांधा था. फिर उस ने दरवाजे पर बाहर ताला कैसे लगा लिया.

इस सवाल का जवाब पुलिस के पास नहीं था. सवाल सुन कर पुलिस का बस इतना ही कहना था कि पुलिस हत्या और आत्महत्या दोनों पहलू पर जांच कर रही है. इस के लिए स्वाट टीम को भी लगा दिया गया है. महिला पुलिस भी अलग से जांच कर रही है. दोषियों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा.

उधर 24 मई, 2019 को राज्य महिला आयोग की सचिव अंजू चौधरी ने शिक्षिका अंजलि यादव कांड का संज्ञान लिया. आयोग की टीम ने गौहनिया बाजार स्थित घटनास्थल का निरीक्षण किया. पूरे मामले को संदिग्ध मानते हुए महिला आयोग ने प्रदेश सरकार से उच्चस्तरीय जांच करने की अनुशंसा की.

आयोग की सचिव अंजू चौधरी ने पहले दिन से ही इस मामले को आत्महत्या मानने पर पुलिस विभाग को आड़े हाथों लिया. उन्होंने फोन पर परिजनों से बात की और उन्हें न्याय दिलाने का आश्वासन दिया.

खैर, अंजलि की मौत पूरी तरह रहस्य बन कर रह गई है. उस ने आत्महत्या की या किसी ने उस की हत्या कर के आत्महत्या का रूप दिया, पुलिस दोनों पहलुओं से जांच कर रही है.

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अंजलि से राकेश के प्रेम संबंध थे, यह सच था. उस ने उसे धोखा दिया, यह भी सच था. पुलिस ने राकेश को अंजलि को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के आरोप में जेल भेज दिया. शायद पुलिस ने यह इसलिए किया होगा कि जनाक्रोश को शांत किया जा सके.

कथा लिखे जाने तक पुलिस अंजलि कांड की गुत्थी को सुलझाने में जुटी हुई थी. क्या पुलिस इस गुत्थी को सुलझा पाएगी, यह अभी कहा नहीं जा सकता. द्य

—कथा में रिया और सीमा परिवर्तित नाम है. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्यार की सूली पर लटकी अंजली : भाग 2

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

इधर अंजलि की सहकर्मी और सहेली खुशबू को भी पुलिस ने फोन कर के सिद्धार्थनगर बुला लिया था ताकि उस की मौत की गुत्थी जल्द से जल्द सुलझाई जा सके. थानाप्रभारी अंजनी राय ने अजय यादव, उन की बेटी मनोरमा से पूछताछ की.

अजय यादव ने कहा, ‘‘अंजलि बेहद खुशदिल और नेक किस्म की निडर लड़की थी. वह तो सपने में भी मौत को गले लगाने की बात नहीं सोच सकती थी. जरूर उस की हत्या की गई है. वह कई दिनों से परेशान सी थी. पूछने पर कुछ बताती भी नहीं थी.’’

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‘‘पापा सच कह रहे हैं,’’ बात काटती हुई मनोरमा बीच में बोली, ‘‘दीदी, वाकई कुछ दिनों से परेशान थीं.’’

‘‘किस बात को ले कर परेशान थीं?’’ थानाप्रभारी ने मनोरमा से सवाल किया.

‘‘मैं ने इस बारे में दीदी से बात की थी. वह कुछ बताने को तैयार ही नहीं थीं. बस इतना कह रही थीं कि घर आने पर सारी बातें बताऊंगी. इतना कहने के बाद वह रोने लगी थीं. घटना वाले दिन शाम 4 बजे दीदी से मेरी बात हुई थी. उस समय वह कुछ ज्यादा ही परेशान लग रही थीं और फोन पर रो भी रही थीं. उस के बाद तो…’’ कह कर मनोरमा रो पड़ी.

मुकदमा हुआ दर्ज

थानाप्रभारी ने उसे प्यार से चुप कराया. तब तक मृतका की सहेली खुशबू भी वहां आ गई. पुलिस ने उस से भी पूछताछ की. तीनों से पूछताछ करने के बाद थानाप्रभारी अंजनी राय ने अजय यादव की तरफ से अज्ञात के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कर लिया.

यह बात 22 मई, 2019 की है. मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस जांच में जुट गई. पुलिस ने अंजलि के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स में एक नंबर ऐसा मिला, जिस पर अंजलि की अकसर लंबीलंबी बातें होती थीं.

जांच में वह नंबर अंजलि के साथ विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षक राकेश कुमार यादव का निकला. दोनों के रिश्तों के बारे में जब पुलिस पड़ताल की गई तो चौंकाने वाले तथ्य खुल कर सामने आए. अंजलि यादव और राकेश कुमार यादव के बीच काफी समय से मधुर संबंध थे.

दोनों एकदूसरे से प्यार करते थे और जल्द ही शादी करने वाले थे. यह बात अंजलि के घर वाले, उस की सहेली खुशबू और विद्यालय के अन्य शिक्षक जानते थे. पुलिस ने जब यह बात मृतका के पिता अजय यादव को बताई तो उन्होंने कहा कि इस बारे में उन्हें सारी बातें पता हैं.

उन्होंने पूरे विश्वास के साथ कहा कि उन की बेटी की मौत में उसी शिक्षक का हाथ है, जिस से वह प्यार करती थी. उस से सख्ती से पूछताछ की जाए तो मामला सामने आ जाएगा. काल डिटेल्स और अन्य जांच के बाद यह मामला प्रेम में धोखा मिलने के रूप में सामने आया.

काल डिटेल्स और मृतका के पिता अजय कुमार यादव के बयान के आधार पर पुलिस ने शिक्षक राकेश कुमार यादव को 26 मई, 2019 को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया.

राकेश देवरिया के थाना कोतवाली सदर स्थित गांव चकरवाधुस पनसरही का मूल निवासी था और मोहाना में किराए का कमरा ले कर रहता था. ग्रीष्मकालीन अवकाश होने की वजह से वह अपने घर चला गया था.

पूछताछ में उस ने पुलिस के सामने यह बात तो कबूल कर ली कि वह और अंजलि एकदूसरे से प्यार करते थे लेकिन उस की मौत में मेरा कोई हाथ नहीं है. मुझे नहीं पता कि अंजलि ने किस वजह से मौत गले लगाई या उस की किस ने हत्या की. मैं निर्दोष हूं.

पुलिस ने राकेश की एक नहीं सुनी. चूंकि अजय यादव ने उस के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाई थी, इसलिए पुलिस ने राकेश को गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया. चूंकि अध्यापक राकेश यादव खुद को निर्दोष बता रहा था, इसलिए यह मामला हत्या और आत्महत्या के बीच उलझ कर रह गया था.

पुलिस गुत्थी को सुलझाने में जुटी हुई थी. जब तक पुलिस गुत्थी को सुलझाने का प्रयास करती है, तब तक कहानी को आगे बढ़ाने के लिए अंजलि की निजी जिंदगी की डायरी के पन्नों को पलटते हैं.

25 वर्षीय अंजलि यादव मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के थाना कठौद के हुसेपुरा सुरई की रहने वाली थी. उस के पिता अजय कुमार यादव किसान थे. उन के पास 8 बीघा जमीन थी.

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उन के परिवार में पत्नी सावित्री के अलावा 5 बेटियां मनीषा, बेबी, रूपाली, अंजलि और मनोरमा थीं. खेती के अलावा अजय की हुसेपुरा सुरई बाजार में दवाई की दुकान थी. इस तरह वह इतना कमा लेते थे, जिस से उन की गृहस्थी मजे से चल रही थी.

अंजलि अध्यापिका नहीं कुछ और बनना चाहती थी

बेहद समझदार और सुलझे अजय यादव ने कभी बेटा और बेटियों में फर्क महसूस नहीं किया था. वह भले ही गांव में रहते थे, लेकिन बच्चों को संस्कार देने में कभी पीछे नहीं हटे. बच्चों को सामाजिक मानमर्यादा का पाठ पढ़ाना तो जैसे उन की दैनिक क्रियाओं में शामिल था.

यही वजह थी कि उन की पांचों बेटियां बेहद संस्कारी और गुणी निकलीं. पांचों बेटियां पढ़ने में होशियार थीं, जिन में चौथे नंबर की बेटी अंजलि और बहनों से ज्यादा समझदार थी.

अंजलि का सपना बड़े हो कर कलेक्टर बनने का था यह सपना उस ने सिर्फ खुली आंखों से देखा ही नहीं था बल्कि वह उसे सच करने के लिए रातदिन कमरतोड़ मेहनत करती थी. उसी तैयारी के बीच उस की शिक्षा विभाग में नौकरी लग गई. उस ने यह नौकरी यह सोच कर जौइन कर ली कि यहां से मिलने वाली सैलरी से उस के और मातापिता के खर्च पूरे हो सकेंगे और वह समय मिलने पर प्रशासनिक सेवा परीक्षा की तैयारी भी करती रहेगी.

सितंबर, 2017 में अंजलि की सिद्धार्थनगर के गौहनिया में पहली तैनाती हुई थी. चंचल और चुलबुली अंजलि ने थोड़े ही समय में विद्यालय के सभी शिक्षकों को अपना बना लिया था. उस का बच्चों को पढ़ाने का तरीका भी अलग था. वह बच्चों को हंसाते गुदगुदाते हुए पढ़ाती थी. उस की इस कलात्मक और अनोखी शैली से बच्चे जल्द ही अपना पढ़ाई का काम पूरा कर लेते थे.

बच्चे तो बच्चे, शिक्षक राकेश कुमार यादव भी अंजलि के खुशमिजाज का मुरीद था. अंजलि कब आंखों के रास्ते उस के दिल में उतर आई, उसे पता ही नहीं चला. जब पता चला तो अंजलि उस की कमजोरी बन चुकी थी. कहने का मतलब यह है कि राकेश अंजलि की खूबसूरती पर फिदा था और उस से प्यार करने लगा था.

यह बात अंजलि को पता नहीं थी कि कोई उस का दीवाना बना हुआ है, जो उस पर जान छिड़कता है. वैसे भी अंजलि ऐसीवैसी युवती नहीं थी जो सामाजिक दायरों को लांघे. उसे तो बस अपने काम से मतलब था.

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शिक्षक राकेश कुमार यादव अंजलि से उम्र में काफी बड़ा था और शादीशुदा भी. लेकिन खुद को उस ने कुंवारा बताया था. धीरेधीरे अंजलि को राकेश के चाहत भरे इरादों का पता चल गया. तब उस ने राकेश से साफसाफ कह दिया कि उसे प्यार जैसी बातों में अभी कोई दिलचस्पी नहीं है. वह उसी लड़के से शादी करेगी, जिस से उस के मांबाप करना चाहेंगे.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

प्यार की सूली पर लटकी अंजली : भाग 1

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

25 वर्षीय अंजलि यादव 22 मई, 2019 को अपने कमरे में कुरसी पर अकेली बैठी गहन चिंतन में डूबी हुई थी. वह सिद्धार्थनगर जिले के मोहाना थाना स्थित गौहनिया बाजार में विजय कुमार के मकान में पहली मंजिल पर रहती थी. अंजलि और उस की सहकर्मी मित्र खुशबू सिद्धार्थनगर के कंचनपुर प्राइमरी पाठशाला में एक साथ पढ़ाती थीं. चूंकि उन दिनों विद्यालय में ग्रीष्मकालीन छुट्टियां हो गई थीं. इसलिए छुट्टियां होते ही खुशबू अपने घर चली गई थी. अंजलि भी अपने घर जाने की तैयारी में थी.

अंजलि उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के कठौद थाना क्षेत्र के हुसेपुरा सुरई की रहने वाली थी. वह सिद्धार्थनगर में रह कर नौकरी करती थी. 22 दिसंबर, 2017 को उस की पहली तैनाती सिद्धार्थनगर जिले के गौहनिया प्राइमरी पाठशाला में हुई थी. सरकारी अध्यापिका बन कर अंजलि संतुष्ट नहीं थी. क्योंकि उस ने अपने जीवन के लिए इस से भी बड़ा लक्ष्य तय किया था. वह लक्ष्य था आईएएस अधिकारी बनने का. अपनी धुन की पक्की अंजलि विद्यालय से कमरे पर आने के बाद एग्जाम की तैयारी करती थी.

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बहरहाल, 22 मई को अंजलि अपने कमरे में अकेली थी. उसे अकेली देख कंपनी देने के लिए मकान मालिक की दोनों बेटियां रिया और सीमा उस के कमरे में आ गईं. वैसे भी जब वह अकेली होती थी, रिया और सीमा अकसर उसे कंपनी देने उस के पास आ जाया करती थीं. उस दिन भी दोनों बहनें उसे कंपनी देने कमरे में आई थीं.

बातोंबातों में कब 2-3 घंटे बीत गए, उन्हें पता ही नहीं चला. शाम साढ़े 3 बजे के करीब रिया और सीमा अपने कमरे में लौट आईं तो अंजलि फिर अकेली रह गई थी. एक घंटे बाद यानी शाम साढ़े 4 बजे के करीब अंजलि के कमरे से धुएं का तेज गुबार आसमान की ओर उठा तो उसे देख कर पासपड़ोस के लोग हैरान रह गए. कुछ ही देर में मौके पर सैकड़ों लोग जमा हो गए. अचानक घर के बाहर लोगों की भीड़ जुटते देख रिया और सीमा हैरान रह गईं. वे यह नहीं समझ पा रही थीं कि अचानक इतने लोग उन के घर के बाहर क्यों जमा हुए हैं. लेकिन जल्दी ही दोनों हकीकत समझ गईं. क्योंकि बाहर खड़े लोग आगआग चिल्ला रहे थे. पड़ोस के 8-10 लोग पहली मंजिल पर अंजलि यादव के कमरे तक पहुंचे. उन के साथ रिया और सीमा भी थीं. लोगों ने देखा कि उस के कमरे के बाहर दरवाजे पर ताला लगा हुआ था. उन्होंने किसी तरह ताला तोड़ कर दरवाजा खोला.

कमरा खुलते ही भीतर का हृदयविदारक दृश्य देख कर सभी स्तब्ध रह गए. अंजलि की लाश पंखे से लटक रही थी. वह बुरी तरह जल चुकी थी. यह देख कर रिया और सीमा गश खा कर फर्श पर गिर गईं. उन्हें यह देख कर गहरा सदमा पहुंचा कि अभी थोड़ी देर पहले तीनों ने एक साथ बैठ कर घंटों बातें की थीं और अब ऐसे कैसा हो गया.

खैर, मौके पर ही भीड़ में से किसी ने 100 नंबर पर फोन कर के घटना की सूचना पुलिस कंट्रोलरूम को दे दी. चूंकि यह इलाका मोहाना थानाक्षेत्र के अंतर्गत आता है, इसलिए पुलिस कंट्रोलरूम द्वारा यह सूचना मोहाना थाने को दे दी गई.

पुलिस भी कुछ नहीं समझ पाई

यह खबर मिलते ही थानाप्रभारी अंजनी राय पुलिस टीम के साथ गौहनिया बाजार स्थित मौके पर जा पहुंचे. क्राइम सीन देख कर थानाप्रभारी और अन्य लोग भौचक रह गए. बुरी तरह जली अंजलि की लाश पंखे से झूल रही थी. उस के गले में लोहे की तार और पैर में जंजीर बंधी हुई थी. जंजीर तख्त के पटरे के ऊपर बने सुराख में बंधी थी. तख्त से सटे कमरे में गैस सिलेंडर रखा था और किचन में लाल रंग के 2 बैग रखे थे.

थानाप्रभारी ने इस की जानकारी एसपी डा. धर्मवर सिंह और एएसपी मायाराम वर्मा को दे दी. सूचना पा कर दोनों अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए. उन्होंने भी घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया. थोड़ी देर बाद एफएसएल की टीम भी वहां आ गई. टीम ने वहां से सबूत जुटाए.

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जांच करने के दौरान हैरान करने वाली यह बात सामने आई कि गैस सिलेंडर अंजलि के कमरे में कैसे पहुंचा? जबकि उसे किचन में होना चाहिए था. फिर उस के सामान से भरे 2 बैग किचन में क्यों रखे गए? जबकि बैग उस के कमरे में होने चाहिए थे.

परिस्थितियों से यह संकेत मिल रहे थे कि उस कमरे में अंजलि के अलावा कोई और भी था, जो उसे बेहद करीब से जानता रहा होगा और उस की पहुंच उस के कमरे तक रही होगी. पते की बात तो यह थी कि अंजलि के कमरे तक पहुंचने के लिए घर के मुख्यद्वार से हो कर जाना होता था. ऐसे में कोई था तो कातिल घटना को अंजाम दे कर आसानी से बाहर कैसे चला गया था. उसे किसी ने देखा तक नहीं, यह बात बेहद चौंकाने वाली थी.

एसपी डा. धर्मवीर सिंह और एएसपी मायाराम वर्मा ने मकान मालिक विजय कुमार से घटना से संबंधित पूछताछ की. विजय ने बताया कि इस बारे में उन्हें कुछ पता नहीं, लेकिन उन की दोनों बेटियां रिया और सीमा अंजलि के साथ लंबा समय बिताती थीं. उन से जरूर कोई जानकारी मिल सकती है.

विजय कुमार ने अपनी दोनों बेटियों को बुला लिया. उस समय वे एकटक फर्श पर नजरें गड़ाए उसे ही देखे जा रही थीं. लग रहा था जैसे दोनों किसी गहरे सदमे में हों, उन्हें होश ही न हो. अधिकारियों ने उन से अंजलि की जिंदगी से जुड़े कुछ सवाल पूछे, लेकिन वे दोनों न तो कुछ बोल पाईं और न ही बता पाईं. उस के बाद पुलिस ने पड़ोसियों से घटना के बारे में जानकारी करनी चाही, लेकिन वे कुछ नहीं बता सके.

लाश और मौके की स्थिति देख कर यही अनुमान लगाया जा रहा था कि अंजलि की हत्या कर के हत्यारे ने उस के शव को पंखे से लटका दिया होगा. यह हत्या है या आत्महत्या, इस सच का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद लग सकता था.

पुलिस ने मौके की काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दी. उस के बाद पुलिस ने घटना की जानकारी उस के पिता अजय कुमार यादव को देते हुए उन्हें जल्दी पहुंचने के लिए कह दिया.

बेटी अंजलि की आकस्मिक मौत की सूचना मिलते ही घर में कोहराम मच गया. अंजलि की मां सावित्री देवी और छोटी बहन मनोरमा का रोरो कर बुरा हाल था. गांव वाले भी अंजलि की मौत की खबर सुन कर स्तब्ध थे. यकीन नहीं हो पा रहा था कि जो खबर उन्होंने सुनी, वह सच है. अंजलि थी ही ऐसी व्यवहारकुशल कि कोई भी उस की मौत को सच मानने के लिए तैयार ही नहीं था.

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बहरहाल, बेटी की मौत की खबर मिलते ही अजय यादव अपने शुभचिंतकों को साथ ले कर जालौन से सिद्धार्थनगर चल दिए. उन के साथ में उन की छोटी बेटी मनोरमा भी थी. सिद्धार्थनगर पहुंच कर अजय यादव सीधा मोहाना थाने पहुंचे. उस समय शाम के 6 बज रहे थे.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

प्यार की सूली पर लटकी अंजली

मैट्रिमोनियल साइड : ठगी का अनोखा संजाल

विवाह आंमत्रण की फर्जी साइड बनाकर सोशल मीडिया के माध्यम से देश भर की युवतियों और उनके परिवार वालों को लाखों रुपए ठगने का काम बड़े ही शातिराना अंदाज के साथ चालाकी के साथ जारी था. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, जांजगीर, सरगुजा आदि अनेक शहरों में अनेक युवतियां इस ठगी के संजाल में फंस कर ठगी की शिकार हो गई. आज जब सोशल मीडिया अपने सबाब पर है इसका जहां सकारात्मक पक्ष है वही नकारात्मक पक्ष भी है अगर आप जानकार नहीं हैं अगर आप सचेत नहीं हैं तो आपको खड़े-खड़े यहां ठग लिया जाता है.

ऐसे ही एक नाइजीरियन युवक ने बड़ी ही चालाकी और धुर्तता का परिचय देते हुए एक “मेट्रोमोनियल साइट”  बनाई और युवतियों को विदेशों में संपन्न युवकों के फोटो सपने दिखाकर शादी ब्याह का झूठ फैला कर उन्हें ठगना  और भारी राशि लेना शुरू कर दिया.

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छत्तीसगढ़ में ऐसी अनेक घटना  घटित हुई . मामला जब पुलिस के पास पहुंचा तब जांच पड़ताल तेजी से शुरू हुई.

पुलिस बताती है- फर्जी नाम से प्रोफ़ाइल बनाकर और देश के कई हिस्सों में युवतियों को शादी का झांसा देकर लाखों की ठगी करने वाले  एक विदेशी युवक को छत्तीसगढ़ की कोरिया पुलिस ने गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त कर ली है.

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अंतर प्रांतीय ठगी के मामले का खुलासा करते हुए कोरिया पुलिस अधीक्षक चन्द्र मोहन सिंह ने हमारे संवाददाता को बताया कि प्रार्थी उपेन्द्र साहू पिता सुदामा प्रसाद साहू निवासी तलवापारा बैकुण्ठपुर की लिखित शिकायत पर थाना बैकुण्ठपुर में अपराध क्र. 84/2020 धारा 419,420 ता0हि0 का मुकदमा कायम किया। प्रार्थी ने अपनी शिकायत में बताया कि घटना दिनांक  जनवरी 2020 को इसकी छोटी बहन के साथ उक्त आरोपी रोहन मिश्रा के नाम से फर्जी वेबसाईट के माध्यम से शादी करने का

झांसा देकर एवं भारत में सेटल होने के नाम पर पीड़िता से 24,07,500  अर्थात चौबीस लाख सात हजार पांच सौ का ठगी की है. प्रकरण दर्ज कर अज्ञात आरोपी को पकड़ने हेतु पुलिस महानिरीक्षक रतन लाल डांगी सरगुजा रेंज के मार्गदर्शन में पुलिस अधीक्षक कोरिया चन्द्रमोहन सिह के निर्देशन में अति. पुलिस अधीक्षक डॉ.पंकज शुक्ला व उप पुलिस अधीक्षक  धीरेन्द्र पटेल के नेतृृत्व में सायबर टीम कोरिया द्वारा मामले की पतासाजी की जाने लगी.

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नाइजीरियन आरोपी गिरफ्तार

पुलिस ने जब जांच शुरू की तो प्रकरण में देखा गया कि कथित आरोपी  द्वारा व्हाट्सएप का उपयोग किया गया है. सायबर टीम द्वारा प्रकरण के सभी बिन्दुओं का बारीकी से विशलेषण कर आरोपी

की पहचान करने में सफलता मिल गई. आरोपी का नाम एजिडे पिटर चिनाका पिता एजिडे ओबिना उम्र 30 वर्ष निवासी

17 सेटेलाईट न्यू टॉउन लागोस नाईजीरिया हाल मुकाम टावर नं0 केएम 21 फ्लैट नं0 204 जेपी कोसमोस सेक्टर 134 नोएड़ा (उ0प्र0) था. यह  रोहन मिश्रा, अरूण राय इत्यादि नाम से धोखाधड़ी किया करता था.उपरोक्त अपराध की विवेचना के दौरान विशेष टीम को दिल्ली, नोएडा (उ0प्र0) रवाना किया गया था। टीम द्वारा आरोपी के ठिकाने पर दबिश देकर आरोपी को गिरफ्तार कर आरोपी से पुछताछ किया गया. आरोपी द्वारा अन्य राज्यो तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, झारखण्ड़, उडिसा, हिमाचल प्रदेश इन सभी राज्यों में भी अपने आप को डॅाक्टर, इंजीनियर, बिजनसमेन बताये हुये अपने झासे लेकर लाखो रूपये की ठगी की गई है. ठगी की रकम को कुछ अपने पास रख बाकी शेष रकम को नाईजीरिया ट्रांसफर कर देता था.

इसके पास से दो नग पासपोर्ट मिला जिसमें एक फर्जी पासपोर्ट, दो नग नाईजीरियन डेबिट कार्ड , एक नग एसबीआई डेबिट कार्ड ,चार नग मोबाईल हैण्डसेट, 14 नग सीम कार्ड, एक वाईफाई डिवाइस, एक नग लैपटॉप जप्त किया गया. आरोपी के पासपोर्ट एवं विजा का अवलोकन किया गया जिसकी मियाद समाप्त हो चूकी है. ऐसे में यह तत्व उभर कर सामने आया है कि नाइजीरिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश अमेरिका और ब्रिटेन से सोशल मीडिया के माध्यम से छत्तीसगढ़ सहित देश के अन्य राज्यों में ठगी बदस्तूर की जा रही है. यहां यह भी महत्वपूर्ण तथ्य है कि सोशल मीडिया के द्वारा ठगी किए जाने के फल स्वरुप अधिकांश मामलों में आरोपी पुलिस के शिकंजे से बचते जाते हैं. ऐसे में यह प्रथम आवश्यकता होनी चाहिए की हम ठगों के झूठे फरेब में न फंसे.

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हाई वोल्टेज ड्रामा

हाई वोल्टेज ड्रामा : भाग 3

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

पता चला कि राममेहर ने कुछ समय पहले ही एक करोड़ 41 लाख रुपए की 4 बीमा पौलिसियां कराई थीं. उन बीमा पौलिसियों में उस ने पत्नी संतोष को नौमिनी बनाया था.

यह बात भी सामने आई कि लौकडाउन में उस की फैक्ट्री का कामकाज ठप हो गया था. फिर उस ने इतनी बड़ी रकम की पौलिसियां क्यों कराई?

इस के अलावा उस के मोबाइल की काल डिटेल्स में उस की एक महिला मित्र का पता चला. उस महिला मित्र से पूछताछ के बाद राममेहर के जीवित होने और उस की साजिश का पता चला गया. राममेहर ने बीमा पौलिसियों का पैसा हड़पने और कर्जदारों से छुटकारा पाने के लिए अपनी मौत का ड्रामा रचा था.

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राममेहर जीवित मिल गया और उस के नाटक से भी परदा उठ गया, लेकिन एक सवाल यह रह गया कि कार में जो शव मिला था, वह किस का था? हिसार के एसपी लोकेंद्र सिंह के अनुसार शव डाटा गांव के ही राममेहर उर्फ रमलू का था.

पुलिस के अनुसार, पूछताछ के बाद राममेहर की साजिश की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस तरह थी—

राममेहर को व्यापार में घाटा हो रहा था. लौकडाउन में व्यापार बिलकुल ही ठप हो गया था. उस पर एकडेढ़ करोड़ रुपए का कर्ज भी था. उस ने पीएनबी और एचडीएफसी बैंक से पर्सनल लोन भी लिया था. वह शराब पीता था और उस की कई महिलाओं से दोस्ती भी थी. इन महिला मित्रों पर भी वह काफी पैसा खर्च करता था.

पैसे के लिए परेशान था

खर्चों के हिसाब से आमदनी नहीं होने से वह परेशान रहने लगा था. उस ने एकदो बार आत्महत्या करने की भी सोची. बाद में उस ने बीमा क्लेम हड़पने और कर्जदारों से छुटकारा पाने के लिए खुद को मृत घोषित करने की साजिश रची. इस साजिश के तहत उस ने इसी साल जुलाई में एक करोड़ 41 लाख रुपए की 4 बीमा पौलिसियां कराईं.

साजिश के तहत मारने के लिए उस ने अपने ही गांव के राममेहर उर्फ रमलू को चुना. गरीब रमलू डफली बजागा कर परिवार की गुजरबसर करता था. रमलू के परिवार में उस की बीवी और बूढ़ी मां के अलावा 3 बेटे और 3 बेटियां थीं. रमलू में शराब पीने की बुरी लत थी. वह गाबजा कर आसपास के गांवों में अनाज मांगने के लिए निकल जाता, तो कभी एकदो दिन बाद और कभी तीनचार दिन बाद घर लौटता था. इसलिए परिवार वाले उस की ज्यादा चिंता नहीं करते थे.

राममेहर ने 6 अक्टूबर को बैंक से 10 लाख 90 हजार रुपए निकलवाए. इस में से उस ने साढ़े 4 लाख रुपए एक महिला मित्र सुनीता को नकद दिए. कुछ रकम उस ने दूसरी महिला मित्र के बैंक खाते में जमा करा दी.

गरीब रमलू बना निशाना

राममेहर को उस दिन शाम को रमलू गांव के बाहर शराब पीते हुए मिल गया. उसे देख कर राममेहर की आंखें चमक गईं. उस ने घर पर फोन कर कहा कि वह हिसार जा रहा है. घर फोन करने के बाद राममेहर ने रमलू को अपनी कार में बैठा लिया. फिर उस ने शराब खरीदी.

कार को भाटलामहजद की सुनसान सड़क पर खड़ी कर दोनों शराब पीते रहे. कार की ड्राइविंग सीट पर राममेहर बैठा था, उस के पास वाली सीट पर रमलू. राममेहर ने खुद कम शराब पी. रमलू को वह रात तक शराब पिलाता रहा.

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रमलू जब शराब के नशे में पूरी तरह बेसुध हो गया, तो उस ने उसे गला दबा कर मार डाला. फिर उस ने अपनी कार के फ्यूल टैंक से डीजल निकाला. डीजल निकालने के लिए उस ने पहले से ही कार में पतली पाइप रखी हुई थी. रमलू और कार पर डीजल छिड़क कर उस ने आग लगा दी.

उस ने जलती हुई कार को एकदो मिनट तक देखा. इस के बाद पैदल ही ढाणी कुतुबपुर के लिए चल दिया. रास्ते में उस ने अपने बेटे और भांजे को घबराई हुई आवाज में फोन पर झूठी सूचना दे कर कहा कि उसे कुछ बदमाशों ने घेर लिया है.

ढाणी कुतुबपुर में पहले से ही उस की एक महिला मित्र की कार तैयार खड़ी थी. वह उस कार से छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर के लिए रवाना हो गया.

7 अक्टूबर की रात में वह बिलासपुर पहुंच गया. वहां वह अपने एक परिचित के पास रुका. परिचित से उस ने कहा कि वह बिलासपुर में जमीन खरीदना चाहता है, इसलिए आया है. इस बीच, उस ने अपने नए मोबाइल नंबरों से अपनी महिला मित्रों से संपर्क बनाए रखा.

पुलिस ने इस मामले में 12 अक्टूबर को राममेहर की महिला मित्र सुनीता को गिरफ्तार कर लिया. हांसी की जगदीश कालोनी की रहने वाली सुनीता 4 साल पहले तक राममेहर की फैक्ट्री में काम करती थी. इसी दौरान वह राममेहर के संपर्क में आई थी. रमलू को जला कर मारने का पता चलने पर पुलिस ने इस मामले में एससीएसटी एक्ट की धाराएं भी जोड़ दीं.

बाद में पुलिस ने राममेहर की दूसरी महिला मित्र रानी को भी इस मामले में गिरफ्तार कर लिया. वह रानी की कार से ही बिलासपुर गया था. उस ने वारदात वाले दिन रानी के खाते में करीब पांच लाख रुपए जमा कराए थे. रानी के खाते की चैकबुक व एटीएम कार्ड राममेहर के पास थे. उस की योजना थी कि खुद को मृत घोषित करने के बाद जरूरत पड़ने पर वह उस के खाते से पैसे निकाल लेगा.

राममेहर की असलियत उजागर होने के बाद उस की पत्नी संतोष न तो खुद को सुहागन कह पा रही है और न ही विधवा. राममेहर ने अपनी मौत का ड्रामा रच कर संतोष की सुहाग की सारी निशानियां मिटा दीं. उस के बेटेबेटियां भी पिता की करतूत से हैरान हैं. 70 साल का बूढ़ा पिता टेकचंद कहता है ‘हमारे ऐसे करम थे जो ऐसा कपूत पैदा हुआ. उस ने तो जिंदगी भर का बट्टा लगा दिया.’

राममेहर के लालच में रमलू बेमौत मारा गया. उस के घर में अब आंसू, लाचारी और बेबसी है. रमलू गाबजा कर परिवार पालता था. अब उस की पत्नी कृष्णा और 6 बच्चों का गुजारा कैसे होगा, यह किसी की समझ में नहीं आ रहा. कृष्णा पर रमलू के छोटे भाई की स्वर्गवासी पत्नी के 5 बच्चों के पालनपोषण की जिम्मेदारी भी आ गई है.

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रमलू इस घटना से 2 दिन पहले गांव से गया था, वह वापस घर नहीं लौटा, तो घर वालों ने ज्यादा चिंता नहीं की, क्योंकि वह पहले भी कई बार 3-4 दिनों में लौटा था. राममेहर से पूछताछ के बाद पुलिस जब रमलू के घर पहुंची, तो सचाई का पता चलने पर उस के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. कार में जला शव रमलू का ही था, इस की पुष्टि के लिए पुलिस डीएनए जांच करा रही है.

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