उत्तर प्रदेश के कानपुर महानगर के नजीराबाद थाना अंतर्गत एक मोहल्ला है जवाहर नगर. इसी मोहल्ले में स्थित गुरुद्वारे में गुरुवचन सिंह अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी गुरप्रीत कौर के अलावा 2 बेटे सुरेंद्र सिंह, महेंद्र सिंह तथा 2 बेटियां जगप्रीत व हरप्रीत कौर थीं.
गुरुवचन सिंह गुरुद्वारा में ग्रंथी व सेवादार थे. उन की अर्थिक स्थिति भले ही कमजोर थी पर मानसम्मान बहुत था.
भाईबहनों में हरप्रीत कौर सब से छोटी थी. हरप्रीत जितनी सुंदर थी, पढ़ने में वह उतनी ही तेज थी. उस ने ग्रैजुएशन तक पढ़ाई की थी. शारीरिक सौंदर्य बनाए रखने हेतु वह गतिका सीखती थी. गुरुद्वारे में वह सेवादार भी थी. जत्थे की महिलाओं का उस पर स्नेह था.
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हरप्रीत कौर का एक भाई सुरेंद्र सिंह दिल्ली के चांदनी चौक में अपने परिवार के साथ रहता था. हरप्रीत का अपने भैयाभाभी के घर आनाजाना बना रहता था. भाई के घर रहने के दौरान कभीकभी वह मत्था टेकने बंगला साहिब गुरुद्वारा भी चली जाती थी.
हरप्रीत कौर धार्मिक प्रवृत्ति की थी. धर्मकर्म में उस की विशेष रुचि थी. गुरुनानक जयंती व गुरु गोविंद सिंह के जन्म पर्व पर वह बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती थी.
एक बार हरप्रीत अपने मातापिता के साथ बंगला साहिब गुरुद्वारा अपने भाई महिंद्र सिंह के लिए लड़की देखने गई. यहीं उस की मुलाकात एक खूबसूरत सिख युवक युवराज सिंह से हुई. पहली ही नजर में दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हो गए थे. इस के बाद दोनों की अकसर मुलाकातें होने लगीं. बाद में मुलाकातें प्यार में तब्दील हो गईं. दोनों एकदूसरे को टूट कर चाहने लगे. प्यार परवान चढ़ा तो दोनों एकदूजे का होने के लिए उतावले हो उठे.
युवराज सिंह मूलरूप से पंजाब प्रांत के अमृतसर जिले के गांव जुगावा का रहने वाला था. वह शादीशुदा तथा एक बच्चे का पिता था. उस का परिवार तो गांव में रहता था, जबकि वह स्वयं दिल्ली स्थित बंगला साहिब गुरुद्वारे में रहता था. उस के मांबाप भी गुरुद्वारे में सेवादार थे. वह महीनोंमहीनों गुरुद्वारे में रहते थे.
युवराज सिंह छलिया आशिक था. उस का असली नाम जुगराज सिंह था. उस ने जानबूझ कर हरप्रीत कौर से अपनी पहचान, नाम व शादी वाली बात छिपा रखी थी. युवराज सिंह के प्यार में हरप्रीत ऐसी अंधी हो गई थी कि वह उस से ब्याह रचाने के सपने संजोने लगी.
युवराज सिंह भी हरप्रीत से प्यार का ऐसा दिखावा करता था कि उस से बढ़ कर कोई आशिक हो ही नहीं सकता. उस ने हरप्रीत को कभी आभास ही नहीं होने दिया कि वह शादीशुदा और एक बच्चे का बाप है.
हरप्रीत जब तक भाई के घर रहती, युवराज के साथ प्यार की पींगें बढ़ाती, जब वापस कानपुर आती तब मोबाइल फोन द्वारा दोनों घंटों तक बतियाते. हरप्रीत ने अपने मातापिता को भी अपने और युवराज के प्यार के संबंध में जानकारी दे दी थी. भाई सुरेंद्र सिंह को भी दोनों का प्यार पनपने की जानकारी थी.
एक रोज जब सुरेंद्र सिंह का दिल्ली में एक्सीडेंट हो गया, तब हरप्रीत अपने मांबाप के साथ भाई को देखने दिल्ली आ गई. हरप्रीत के दिल्ली आने की जानकारी पा कर युवराज भी सुरेंद्र सिंह को देखने आया. यहां भाई के घर पर हरप्रीत ने युवराज सिंह की मुलाकात अपने मांबाप से कराई.
चूंकि युवराज सिंह देखने में स्मार्ट था, सो गुरुवचन सिंह ने उसे बेटी के लिए पसंद कर लिया. उन्होंने उसी समय युवराज सिंह को शगुन भी दे दिया.
किंतु इन्हीं दिनों युवराज सिंह के छलावे की बात खुल गई. हरप्रीत को पता चला कि युवराज सिंह शादीशुदा और एक बच्चे का बाप है. इस छलावे को ले कर हरप्रीत और युवराज सिंह के बीच जम कर झगड़ा हुआ. उस ने शिकवाशिकायत की, लेकिन युवराज सिंह ने उस से माफी मांग ली.
हरप्रीत कौर, युवराज सिंह के प्यार में अंधी हो चुकी थी. वह प्यार की सब से ऊंची सीढ़ी पर पहुंच चुकी थी, जहां से नीचे उतरना उस के लिए संभव नहीं था. अत: शादीशुदा वाली बात जानने के बावजूद भी वह उस से शादी करने को अडिग रही. यद्यपि उस ने युवराज के शादीशुदा होने वाली बात अपने मातापिता से छिपा ली.
हरप्रीत को शक था कि भेद खुल जाने से कहीं युवराज सिंह सगाई से मुकर न जाए. अत: वह युवराज सिंह पर जल्द सगाई करने का दबाव डालने लगी. उस ने अपने मांबाप पर भी सगाई की तारीख तय करने का दबाव बनाया.
दबाव के चलते युवराज सिंह सगाई करने को राजी हो गया. हरप्रीत के मांबाप ने सगाई की तारीख 13 दिसंबर, 2019 नियत कर दी. इस के बाद वह बेटी की सगाई की तैयारी में जुट गए. तय हुआ कि जवाहर नगर, कानपुर गुरुद्वारे में दोनों की सगाई होगी.
युवराज सिंह हरप्रीत कौर से प्यार तो करता था, लेकिन सगाई नहीं करना चाहता था. क्योंकि सगाई से उस की खुशहाल जिंदगी तबाह हो सकती थी.
उस ने हरप्रीत से 1-2 बार सगाई का विरोध भी किया था, लेकिन हरप्रीत ने उसे यह धमकी दे कर उस का मुंह बंद कर दिया कि वह सारी बात बंगला साहिब गुरुद्वारा तथा उस के परिवार में सार्वजनिक कर देगी. तब उस की नौकरी भी चली जाएगी और परिवार में कलह भी होगी. हरप्रीत की इसी धमकी के चलते वह उस से सगाई को राजी हो गया था.
युवराज ने हामी तो भर दी लेकिन वह किसी भी कीमत पर हरप्रीत से सगाई नहीं करना चाहता था, अत: जैसेजैसे सगाई की तारीख नजदीक आती जा रही थी, वैसेवैसे युवराज की चिंता बढ़ती जा रही थी. आखिर उस ने इस समस्या से निजात पाने के लिए अपनी प्रेमिका हरप्रीत कौर को शातिराना दिमाग से ठिकाने लगाने की योजना बनाई.
इस योजना में उस ने अपने गांव के दोस्त सुखचैन सिंह तथा दिल्ली के दोस्त सुखविंदर सिंह को एकएक लाख रुपए का लालच दे कर शामिल कर लिया. सुखविंदर सिंह मूलरूप से तरसिक्का (अमृतसर) का रहने वाला था. दिल्ली में वह पांडव नगर के पास गणेश नगर में रहता था. उस के पास वैगनआर कार थी, जिसे वह दिल्ली में टैक्सी के रूप में चलाता था.
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हत्या की योजना बनाने के बाद युवराज सिंह हरप्रीत कौर व उस के मातापिता से मनलुभावन बातें करने लगा, ताकि उन्हें किसी प्रकार का शक न हो. बातचीत के दौरान युवराज सिंह को पता चला कि हरप्रीत 9 दिसंबर को भाई से मिलने तथा खरीदारी करने घर से दिल्ली को रवाना होगी.
अत: युवराज सिंह ने 9 दिसंबर की रात ही उसे ठिकाने लगाने का निश्चय किया. उस ने इस की जानकारी अपने दोस्तों को भी दे दी.
9 दिसंबर, 2019 की सुबह 11 बजे युवराज सिंह व सुखचैन सिंह, सुखविंदर सिंह की कार से दिल्ली से कानपुर को रवाना हुआ. युवराज सिंह ने अपना एक मोबाइल घर पर ही छोड़ दिया ताकि उस की लोकेशन ट्रेस न हो सके. रास्ते में सुखचैन सिंह के मोबाइल से हरप्रीत व उस की मां से बतियाता रहा. हालांकि उस ने यह जानकारी नहीं दी कि वह कानपुर आ रहा है. रात 8 बज कर 31 मिनट पर उस की कार ने बारा टोल प्लाजा पार किया, फिर साढ़े 9 बजे वह रेलवे स्टेशन से कैंट साइड में पहुंच गया.
इधर हरप्रीत कौर भी दिल्ली जाने को कानपुर सेंट्रल स्टेशन पहुंच गई थी. यह बात युवराज सिंह को पता थी. उस ने फोन कर के हरप्रीत को स्टेशन के बाहर कैंट साइड में बुलवा लिया. हरप्रीत उसे देख कर चौंकी तो उस ने कहा कि वह उसे ही लेने आया है. इस के बाद हरप्रीत ने मां को झूठी जानकारी दी कि उस का टिकट कंफर्म हो गया है.
रात 10 बजे युवराज सिंह ने हरप्रीत को कार में बिठा लिया. फिर चारों गोविंदनगर आए. यहां सभी ने अनिल मीट वाले के यहां खाना खाया और कोल्डड्रिंक पी. युवराज सिंह ने चुपके से हरप्रीत की कोल्डडिं्रक में नशीली दवा मिला दी थी. हरप्रीत ने कोल्डड्रिंक पी तो वह कार में बेहोश हो गई.
कार इटावा हाइवे की तरफ बढ़ी और उस ने रात 12:36 बजे बारा टोल प्लाजा पार किया. चलती कार में युवराज सिंह व सुखचैन सिंह ने शराब पी. युवराज सिंह ने दोस्तों को हरप्रीत के साथ दुष्कर्म करने को कहा लेकिन सुखचैन सिंह व सुखविंदर सिंह ने इस औफर को ठुकरा दिया.
लगभग 45 मिनट बाद कार फिर कानपुर की तरफ वापस हुई और उस ने रात 1 बज कर 19 मिनट पर टोल प्लाजा को पार किया. फिर कार कानपुर हाइवे पार कर महराजपुर थाना क्षेत्र के तिवारीपुर गांव के समीप पहुंची. यहां युवराज सिंह ने सुनसान जगह पर हाइवे किनारे कार रुकवा ली.
इस के बाद बेहोशी की हालत में कार में बैठी हरप्रीत को युवराज सिंह ने दबोच लिया. सुखचैन सिंह तथा सुखविंदर सिंह ने हरप्रीत के पैर पकड़े तथा युवराज सिंह ने उस का गला घोंट दिया. हत्या करने के बाद तीनों ने मिल शव को हाइवे किनारे झाडि़यों में फेंक दिया.
इस के बाद ये लोग कार से दिल्ली की ओर चल पड़े. उन की कार ने रात 3:36 बजे बारा टोल प्लाजा को पार किया. दिल्ली पहुंच कर युवराज सिंह हरप्रीत के भाई सुरेंद्र सिंह के साथ हरप्रीत की तलाश का नाटक करता रहा. 12 दिसंबर को वह पकड़े जाने के डर से फरार हो गया. उस ने अपना मोबाइल फोन भी बंद कर लिया था.
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सुखविंदर सिंह को गिरफ्तार कर पुलिस ने उसे 17 दिसंबर, 2019 को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट बी.के. पांडेय की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार भेज दिया. द्य
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित