15 जुलाई, 2020 की सुबह करीब 9 बजे मंजू नाम की महिला गांव के कुछ लोगों के साथ जनपद मुरादाबाद के थाना मूंडा पांडे पहुंची. उस ने थानाप्रभारी नवाब सिंह को बताया कि वह 4 दिन पहले अपने पति सुखपाल के साथ ननद ऊषा की ससुराल खाईखेड़ा आई थी. कल 14 जुलाई, 2020 की रात को उस का पति वहीं से अचानक गायब हो गया.
पुलिस पूछताछ में मंजू ने यह भी बताया कि उस का पति देर रात अपने बहनोई राजीव के साथ घर से निकला था. लेकिन उस के बाद उस का बहनोई तो घर वापस आ गया लेकिन उस के पति का कोई अतापता नहीं है.
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किसी मामले में अगर किसी आरोपी का नाम पहले ही सामने आ जाता है तो पुलिस की सिरदर्दी काफी कम हो जाती है. इस मामले में भी पुलिस ने कुछ राहत की सांस ली और सब से पहले इस आरोपी राजीव कुमार को हिरासत में लेना जरूरी समझा. थानाप्रभारी उसी वक्त राजीव के गांव खाईखेड़ा पहुंचे तो राजीव तो घर पर नहीं मिला. लेकिन उस की पत्नी ऊषा ने जो बताया, उस ने इस केस को और भी उलझा दिया.
ऊषा ने बताया कि उस की भाभी के साथ मुरादाबाद निवासी राजकुमार भी था, जिसे वह भैया बता रही थी. 14 जुलाई की देर रात वह सभी मेहमानों को खाना खिलाने के बाद घर का काम खत्म कर अपने बच्चों को ले कर छत पर सोने चली गई थी. उस के बाद उस का भाई सुखपाल अचानक कहां गायब हो गया उसे कुछ नहीं मालूम.
उस रात उस के भाई सुखपाल, राजकुमार ने उस के पति के साथ शराब भी पी थी. जिस के बाद तीनों पर ज्यादा नशा हावी हो गया तो गांव के पास बगीचे में आम खाने की बात कह कर घर से निकल गए थे. वहां पर आम खाने के बाद राजीव और राजकुमार तो घर वापस आ गए, लेकिन सुखपाल अचानक गायब हो गया था.
पुलिस जिस केस को आसान समझ रही थी, इस जानकारी के बाद वह पुलिस के लिए काफी जटिल बन गया. क्योंकि ऊषा ने पुलिस को जो जानकारी दी थी, वह सुखपाल की बीवी मंजू ने ही उस के पूछने पर बताई थी.
इस मामले में पुलिस को सब से पहले सुखपाल की बीवी मंजू की बातों में झोल नजर आ रहा था. लेकिन पुलिस को लिखित तहरीर मंजू ने दी थी. इसलिए पुलिस पहले इस मामले में जानकारी जुटाना चाहती थी. पुलिस ने सब से पहले राजीव कुमार से पूछताछ करना ठीक समझा. उस की तलाश की गई तो वह जल्दी ही पुलिस के हत्थे चढ़ गया.
राजीव ने पुलिस को गुमराह करते हुए बताया कि उस रात वह उन सभी के साथ आम खाने बाग में गया जरूर था, लेकिन आते समय सुखपाल न जाने अचानक कहां गायब हो गया.
राजीव ने पुलिस को यह भी बताया कि उस की बीवी मंजू भी उस के साथ थी. उस के बाद उन्होंने उसे काफी ढूंढने की कोशिश की, लेकिन उस का कहीं पता न चला.
उन्होंने सोचा कि उसे शायद कुछ ज्यादा ही नशा हो गया था. जिस के कारण वह पीछे आतेआते कहीं बैठ गया होगा. उन्हें उम्मीद थी कि वह खुद ही घर चला आएगा. लेकिन हम सब देर रात तक उस का इंतजार करते रहे, वह नहीं आया. उस के बाद उसे सुबह में भी सब जगह पर तलाशा लेकिन उस का कहीं भी अतापता न चल सका.
इस मामले की पूछताछ की हर कड़ी में एक नई जानकारी जुड़ रही थी. जिस से पुलिस को लगने लगा था कि सुखपाल इस दुनिया में नहीं रहा. राजीव कुमार की बातों से पुलिस को सारी कहानी समझ आ गई थी. पुलिस यह भी जानती थी कि यह मामला इतनी जल्दी खुलने वाला नहीं है.
तभी थानाप्रभारी ने अपनी चाल चलते हुए राजीव कुमार से प्रश्न किया, ‘‘लेकिन उस की बीवी मंजू का कहना है कि तुम ने उस की हत्या कर डाली है.’’
यह सुनते ही राजीव बोला, ‘‘वो सरासर झूठ बोल रही है, सर. सुखपाल की हत्या की पूरी योजना तो उसी की थी. इस में वह खुद शामिल थी.’’
इस के बाद पुलिस ने सुखपाल की पत्नी मंजू को भी हिरासत में ले लिया.
इस केस के खुलते ही पुलिस ने मंजू और उस के ननदोई राजीव कुमार की निशानदेही पर कुएं से सुखपाल का शव बरामद कर लिया. शव मिलने के बाद पुलिस ने काररवाई कर के उस की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. पोस्टमार्टम हो जाने के बाद पुलिस ने उस की डैडबौडी सुखपाल के परिवार वालों को सौंप दी. पुलिस पूछताछ में राजीव, मंजू और उस के प्रेमी राजकुमार के जुर्म की जो दास्तान उभर कर सामने आई. वह इस प्रकार थी –
उत्तर प्रदेश के मुरादाबादरामपुर हाईवे से उत्तर दिशा में एक छोटा सा गांव है हरसैनपुर. इस गांव में ठाकुर जाति के लोग रहते हैं. आज भी सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही आधुनिक सुखसुविधा प्रदान करने के बाद भी यह गांव पिछड़ा हुआ सा लगता है. यहां के घरों में आज तक बाथरूम और शौचालय तक नहीं है. इसी गांव में रहता था, रतन सिंह का परिवार.
रतन सिंह के पास गांव में लगभग 8 बीघा खेती की जमीन थी, जिस के सहारे उस के परिवार का पालनपोषण होता था. रतन सिंह का सीमित परिवार था. उस के घर में उस की बीवी और 3 बच्चों को मिला कर 5 सदस्य थे. 3 बच्चों में सब से बड़ी बेटी ऊषा थी. उस के बाद राजबाला तथा सुखपाल थे. दोनों बेटियों की शादी हो चुकी था. सुखपाल ने बड़े होते ही घर की जिम्मेदारी संभाल ली. सुखपाल राजगीर का काम करता था.
अब से लगभग 6 साल पहले उस का विवाह गांव कनौबी निवासी राजेंद्र की बेटी मंजू के साथ हो गया था. शुरू से मंजू का सपना किसी शहरी युवक से शादी करने का था. जो सुखपाल के साथ शादी होने के बाद एक छोटे से घर में आ कर बिखर गया था. मंजू सुखपाल को कभी भी अपने दिल में जगह नहीं दे पाई थी. दूसरी तरफ सुखपाल उस के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता था.
मांबाप की मौत के बाद सुखपाल अकेला पड़ गया था. उस के घरेलू खर्च भी बढ़ गए थे. लेकिन खेती से सीमित आय ही होती थी. जिस के कारण उसे गांव में राजगीरी करनी पड़ती थी. वह सारे दिन काम करने के बाद शाम को थकाहारा घर लौटता और रात का खाना खा कर जल्दी सो जाता. यह बात मंजू को बिलकुल पसंद नहीं थी.
उस के बावजूद भी वह सुखपाल से तरहतरह की फरमाइशें पूरी कराती रहती थी, जिन्हें वह किसी न किसी तरह से पूरी करता था. लेकिन मंजू को इतने से भी तसल्ली नहीं होती थी. वह जानती थी कि सुखपाल उसे बहुत प्यार करता है. इसी का लाभ उठाते हुए वह उस पर हावी होती गई.
इसी बीच मंजू ने एक बेटे को जन्म दिया. जिस का नाम अभिमन्यु रखा गया. लेकिन प्यार से सब उसे अभि कह कर पुकारते थे. सुखपाल को उम्मीद थी कि बच्चा हो जाने के बाद पत्नी के व्यवहार में बदलाव आ जाएगा, लेकिन उस का दिमाग और भी सातवें आसमान पर चढ़ गया था.
घर में तकरार बढ़ी तो सुखपाल शराब का आदी हो गया. एक बच्चे की मां बन जाने के बाद मंजू की खूबसूरती में चार चांद लग गए थे. इअ वह और भी ज्यादा सजसंवर कर रहने लगी थी.
राजीव का गांव सुखपाल के गांव के पास ही था. वह वक्तबेवक्त ससुराल आताजाता रहता था. मंजू के बच्चा होने के समय राजीव काफी समय तक अपनी बीवी ऊषा के साथ वहीं पर रहा था.
सुखपाल दिन निकलते ही अपने काम पर चला जाता, लेकिन राजीव दामाद होने के नाते घर पर ही पड़ा रहता था. मौके का फायदा उठाते हुए वह मंजू के साथ लच्छेदार बातें करने लगा. जो उस के मन को भी भाने लगी थीं.