5 वर्षीय ध्रूव बहुत शरारती था, शरारती के साथ जिद्दी भी. वजह यह कि घर में एकलौता बेटा था, सभी का दुलारा, घर के लोग उस की शरारतों को नजरअंदाज कर देते थे.
ध्रूवमुरादाबाद शहर के लाइनपार क्षेत्र में रहने वाले गौरव कुमार का बेटा था. उस के अलावा गौरव की 8 वर्ष की एक बेटी थी सादगी.
7 अगस्त, 2020 की बात है. ध्रुव अपनी पसंद के बिस्कुट खाने की जिद कर रहा था. उस की मां शिखा ने उसे पैसे देते हुए घर के पास की दुकान से बिस्कुट लेने भेज दिया. उस वक्त दोपहर का डेढ़ बजने को था. बिस्कुट ला कर खाने के कुछ देर बाद ध्रुव घर से बाहर खेलने चला गया.
ध्रूवको घर से निकले काफी देर हो गई, लेकिन वह घर नहीं लौटा. मां शिखा को चिंता हुई तो वह उसे ढूंढने निकल पड़ी. शिखा ने ध्रूवको इधरउधर ढूंढा लेकिन वह कहीं नहीं दिखा तो शिखा परेशान हो कर घर लौट आई. उस ने यह बात अपनी सास सुधा को बताई. पोते के न मिलने से सुधा चिंतित हुई. फिर सासबहू दोनों ध्रूवको ढूंढने निकल गईं.
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दोनों कुछ दूर स्थित रामलीला मैदान में भी गईं. वहां मोहल्ले के बच्चे खेल रहे थे. उन्होंने बच्चों से ध्रूवके बारे में पूछा, लेकिन कोई भी उस के बारे में नहीं बता पाया. इधरउधर तलाशने के बाद भी जब उन का लाडला नहीं मिला तो दोनों उदास मन से घर लौट आईं. कुछ देर पहले ध्रूवखेलने गया था, ऐसे कहां गायब हो गया, यही सोचसोच कर सास बहू परेशान हो रही थीं.
सुधा का पति गौरव एक फाइनैंस कंपनी में नौकरी करता था. उस समय वह अपनी ड्यूटी पर था. शिखा ने बेटे के गायब होने की सूचना गौरव को दी तो वह कुछ ही देर में घर पहुंच गया. शिखा ने पति को बेटे के गायब होने की बात विस्तार से बताई.
हालांकि गौरव की पत्नी और मां ध्रूवको पहले ही सब जगह ढूंढ चुकी थीं, इस के बावजूद गौरव का मन नहीं माना. वह बाइक ले कर बेटे को ढूंढने के लिए निकल गया.
उस ने सभी संभावित जगहों पर बेटे को ढूंढा, लेकिन कुछ पता नहीं लगा. गौरव के दोस्तों ने भी ध्रूवको लाइन पार के नाले के किनारे जा कर देखा कि कहीं खेलतेखेलते नाले में न गिर गया हो, पर वहां भी कुछ दिखाई नहीं दिया .
ध्रूवके गायब होने की खबर मिलने पर मोहल्ले वाले गौरव के घर पर एकत्र होने लगे. सभी आश्चर्य में थे कि आखिर 5 साल का बच्चा कहां चला गया. लोग तरहतरह के कयास लगा रहे थे.
बेटे की चिंता में शिखा की आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. गौरव की समझ में भी नहीं आ रहा था कि वह बेटे को अब कहां तलाश करे.
शाम के 4 बजे थे. गौरव अपने घर वालों के साथ घर में बैठा हुआ था. तभी उस के मोबाइल पर एक अनजान नंबर से काल आई. गौरव ने जैसे ही काल रिसीव की, तभी दूसरी ओर से आवाज आई, ‘‘तुम्हारा बेटा ध्रूवअब हमारे कब्जे में है. अगर उसे जिंदा चाहते हो तो 30 लाख रुपए का इंतजाम कर लो वरना उस की लाश भी नहीं मिल पाएगी.’’
‘‘नहीं, आप मेरे बेटे को कुछ नहीं करना, जैसा कहोगे मैं वैसा ही करूंगा.’’ गौरव गिड़गिड़ाते हुए बोला.
‘‘ठीक है, तुम पैसों का इंतजाम कर लो. मैं बाद में फोन करूंगा. और हां, एक बात भेजे में डाल लो, पुलिस के पास जाने की कोशिश भी की तो नुकसान तुम्हारा ही होगा.’’ कहने के बाद अपहर्त्ता ने काल डिसकनेक्ट कर दी.
30 लाख रुपए नहीं थे गौरव के पास
गौरव समझ चुका था कि उस के बेटे का किसी ने अपहरण कर लिया है और अपहर्त्ता 30 लाख रुपए की फिरौती मांग रहा है. गौरव ने अपहर्त्ता से कह तो दिया था कि वह सब करने को तैयार है लेकिन समस्या यह थी कि 30 लाख रुपए का इंतजाम कहां से करे. ध्रूवके अपहरण की बात सुन कर घर के सभी लोगों की चिंताएं बढ़ गई थीं.
चूंकि स्थिति गंभीर थी, इसलिए रिश्तेदारों और मोहल्ले वालों ने गौरव को सलाह दी कि यह जानकारी पुलिस को देना जरूरी है. वही मदद कर सकती है.
गौरव को भी यह सलाह सही लगी और वह पत्नी शिखा और 2-3 लोगों के साथ एसएसपी प्रभाकर चौधरी के निवास पर पहुंच गया. उस ने चौधरी को बेटे के रहस्यमय तरीके से गायब होने और 30 लाख की फिरौती मांगे जाने की बात बता दी.
जिस फोन नंबर से गौरव के पास फिरौती की काल आई थी, एसएसपी ने उस के फोन में वह नंबर देखा तो आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि वह नंबर 13 अंकों का था. यानी वह काल किसी सिमकार्ड से नहीं बल्कि इंटरनेट से की गई थी. इस से वह समझ गए कि अपहर्त्ता बेहद शातिर है.
उन्होंने अपहरण के इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उसी समय एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद को अपने पास बुला कर इस मामले में त्वरित काररवाई करने को कहा. पुलिस कप्तान के निर्देश पर थाना मझोला के थानाप्रभारी राकेश कुमार सिंह ने अज्ञात के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज कर लिया.्र
केस को सुलझाने के लिए एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद के निर्देशन में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में एएसपी कुलदीप सिंह गुलावत, थानाप्रभारी (मझोला) राकेश कुमार सिंह, एसओजी प्रभारी इंसपेक्टर सत्येंद्र सिंह, एसआई राजेंद्र सिंह, पंकज कुमार, मोहित, कांस्टेबल अंकुल, आलोक त्यागी आदि को शामिल किया गया.
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पुलिस टीम ने गौरव कुमार और उस के घर वालों से पूछताछ करने के बाद जांच शुरू कर दी. गौरव के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच की गई. एक फुटेज में ध्रूवपास ही स्थित दुकान तक जाता दिखा और वहां से बिस्कुट का पैकेट लाते हुए भी दिखाई दिया.
इस के बाद जब वह दोबारा खेलने के लिए घर से निकला तो फुटेज में नजर नहीं आया. इस के बाद वह सीसीटीवी कैमरे की जद से बाहर हो गया, जिस से पता नहीं चल पाया कि वह कहां गया. पुलिस ने उस दुकानदार से भी पूछताछ की, इस के अलावा अन्य लोगों से भी ध्रूवके बारे में पूछा लेकिन पुलिस को कोई जानकारी नहीं मिली, जिस के सहारे जांच आगे बढ़ सकती.
एसपी (सिटी) ने ध्रुव के घर वालों से पूछा कि उन की किसी से कोई दुश्मनी तो नहीं है, इस पर शिखा ने कहा, ‘‘सर, वैसे तो हमारी किसी से दुश्मनी नहीं है, पर हमारा प्रौपर्टी को ले कर विवाद जरूर चल रहा है.’’
‘‘किस से?’’ एसपी (सिटी) ने पूछा.
तभी गौरव बोला, ‘‘सर, हमारे मामा सतीश से प्रौपर्टी को ले कर विवाद चल रहा है.’’
इस बारे में एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद ने उस से विस्तार से पूछताछ की तो पता चला कि गौरव जिस मकान में रहता है, वह उस के नाना कुंवर सैन का है.
कुंवर सैन रेलवे विभाग में नौकरी करते थे. उन की 3 बेटियां सुधा, रेखा, सरोज के अलावा 2 बेटे सतीश और सुशील थे. वह अपने सभी बच्चों की शादी कर चुके थे. उन के एक बेटे सुशील की मौत हो चुकी थी. जिस का परिवार मेरठ में रहता था, जबकि 2 बेटियां रेखा और सरोज अपने परिवार के साथ सम्राट अशोक नगर में रहती थीं.
संदेह था मामला प्रौपर्टी विवाद से न जुड़ा हो
कुंवर सैन का मुरादाबाद के लाइनपार क्षेत्र में जो दोमंजिला मकान था, उस की कीमत करीब डेढ़ करोड़ रुपए थी. सुधा के बेटे गौरव को कुंवर सैन बहुत प्यार करते थे, इसलिए गौरव अपने बीवीबच्चों और मां सुधा के साथ इसी मकान में रहता था. यहीं पर कुंवर सैन का बेटा सतीश भी अपने परिवार के साथ रह रहा था.
सतीश झगड़ालू किस्म का था, वह पिता के साथ मारपिटाई करता रहता था, इसलिए कुंवर सैन ने उसे अपनी प्रौपर्टी से बेदखल कर दिया था. लेकिन वह जबरदस्ती वहां रह रहा था. गौरव और सतीश का उसी प्रौपर्टी को ले कर विवाद चल रहा था.
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