प्यार की भूल

गली में जैसे ही बाइक के हौर्न की आवाज सुनाई दी, शमा के साथसाथ उस की सहेलियां भी चौंक उठीं. क्योंकि वह बाइक शमा के प्रेमी नरेंदर की थी. नरेंदर अपनी बाइक से कपड़ों की फेरी लगाता था. शमा के घर के नजदीक पहुंचते ही वह बारबार हौर्न बजाता. तभी तो बाइक के हौर्न की आवाज सुनते ही एक सहेली ने शमा को छेड़ते हुए कहा, ‘‘लो जानेमन, आ गई तुम्हारे यार की कपड़ों की चलतीफिरती दुकान.’’

‘‘हट बदमाश, तू तो ऐसे कह रही है जैसे वह केवल मेरे लिए ही यहां आता है. क्या मोहल्ले का और कोई उस से कपडे़ नहीं खरीदता है?’’

‘‘और नहीं तो क्या, वह तेरे लिए ही तो इस गांव में आता है.’’ सहेलियों ने शमा को छेड़ते हुए कहा, ‘‘वह बेचारा तो सारे गांव छोड़ कर पता नहीं कहां से धक्के खाता हुआ तेरे दीदार के लिए इस गांव में आता है.’’

सहेलियों की चुहलबाजी से शमा शरमा गई और उन के बीच से उठ कर अपने कमरे में चली गई.

जब वह कमरे से बाहर निकली तो गुलाबी रंग का फूलों के प्रिंट वाला सुंदर सूट पहन कर आई थी. यह सूट पिछले सप्ताह नरेंद्र ने उसे यह कहते हुए दिया था कि इसे सिलवा कर तुम ही पहनना, किसी और को मत देना. इसे मैं अमृतसर से सिर्फ तुम्हारे लिए ही लाया हूं. यूं समझो शमा, यह सूट मेरे प्यार की निशानी है.

नरेंदर के दिए उसी सूट को पहन कर शमा घर से निकली. नरेंदर उस के सामने खड़ा था. जैसे ही वह घर से बाहर आई, उसे देख कर वह खुश हो गया. वह मंत्रमुग्ध सा हो कर उसे ऊपर से नीचे तक देखता रह गया था. उस सूट ने उस की खूबसूरती में चारचांद लगा दिए थे. वह किसी अप्सरा से कम सुंदर नहीं लग रही थी.

घर की ओट में खड़ी शमा की सहेलियां जब जोरजोर से हंसी तो शमा और नरेंदर की तंद्रा भंग हुई. घबराहट और शरम से भरी शमा ने जल्दीजल्दी नरेंद्र से कहा, ‘‘अच्छा, मैं चलती हूं.’’

नरेंदर ने आगे बढ़ कर उस का हाथ पकड़ लिया, ‘‘नहीं शमा, आज नहीं. आज मुझे तुम से बहुत जरूरी बात करनी है.’’

शमा के कदम वहीं रुक गए.

जालंधर शहर की बस्ती शेख निवासी नरेश चौहान के 2 बेटे थे सुरेंदर चौहान और नरेंदर चौहान. कई साल पहले किसी वजह से नरेश की मृत्यु हो गई, जिस की वजह से परिवार का भार उन की पत्नी सुदेश कुमारी के ऊपर आ गया. जो सगेसंबंधी थे, उन्होंने भी मदद करने के बजाय सुदेश का साथ छोड़ दिया था. मेहनतमजदूरी कर के उन्होंने जैसेतैसे दोनों बच्चों का पालनपोषण किया. जहां तक हो सका, उन्हें पढ़ाया भी.

बड़ा बेटा सुरेंदर जब जवान हो कर किसी फैक्ट्री में काम करने लगा तो घर के हालात कुछ सामान्य हुए. कुछ समय बाद उस ने कुछ रुपए इकट्ठे कर के और कुछ इधरउधर से कर्ज ले कर छोटे भाई नरेंदर को कपड़े का काम करवा दिया. उसे एक मोटरसाइकिल भी खरीदवा दी. नरेंदर सुबह कपड़े का गट्ठर बांध कर अपनी बाइक पर रखता और जालंधर से बाहर दूरदूर गांवों में जा कर कपड़ा बेचता.

मोटरसाइकिल से गांवगांव घूम कर कपड़ों की फेरी लगाने पर उस का काम चल निकला. अब दोनों भाई कमाने लगे तो वे पैसे मां को दे देते. मां ने पैसे जोड़जाड़ कर बड़े बेटे सुरेंदर की शादी कर दी.

पर शादी के कुछ दिनों बाद वह अपनी पत्नी को ले कर अलग रहने लगा था. जबकि नरेंदर मां के साथ रहता था. नरेंदर खूब मेहनत कर रहा था. उस का व्यवहार भी अच्छा था जिस की वजह से उसे ठीकठाक आमदनी हो जाती थी.

एक बार वह कपड़े बेचने के लिए नंगल लाहौरा गांव गया. वहां की रहने वाली भोलीनामक महिला उसे अपने घर बुला कर ले गई.

उस दिन भोली व उस की बेटी शमा ने उस से 5 हजार रुपए के कपड़े खरीदे. उसी समय उस की मुलाकात शमा से हुई थी. शमा बहुत खूबसूरत थी. उसी दिन उस की शमा से आंखें लड़ गईं.

इस के बाद वह नंगल लाहौरा गांव का रोजाना ही चक्कर लगाता और शमा के घर के नजदीक बाइक पहुंचते ही बारबार हौर्न बजाता.

हौर्न की आवाज सुनते ही शमा घर से बाहर निकल आती थी. दोनों एकदूसरे को देख कर मुसकराने लगते थे. कभीकभी अच्छे कपड़े दिखाने की बात कह कर वह भोली के घर में भी चला जाता था.

जब नरेंदर उस के यहां ज्यादा ही आनेजाने लगा तो शमा के घर वालों ने उस से बेरुखी से बात करनी शुरू कर दी. इस बारे में नरेंदर ने शमा से फोन पर पूछा तो शमा ने घर वालों की नाराजगी के बारे में बता दिया. घर वालों से चोरीछिपे शमा नरेंदर से मिलती रही. उन की फोन पर भी बात होती रहती. इस तरह उन का प्यार परवान चढ़ता रहा. यह सन 2004 की बात है.

नरेंदर शमा की पूरी पारिवारिक स्थिति जान गया था. शमा की 5 बहनें और एक भाई था. पिता की पहले ही मौत हो चुकी थी. घर की पूरी जिम्मेदारी शमा की मां भोली के कंधों पर ही थी. शमा की बड़ी बहन शादी लायक थी, उस के लिए भोली कोई अच्छा लड़का तलाश रही थी.

नरेंदर जितना शमा को चाहता था, उस से कई गुना अधिक शमा भी उस से प्यार करती थी. नरेंदर हृष्टपुष्ट और भला लड़का था. वह कमा भी अच्छा रहा था, इसलिए उसे उम्मीद थी कि शमा की शादी उस से कर देने पर भोली को कोई ऐतराज नहीं होगा.

पर पता नहीं क्यों नरेंदर ने किसी के माध्यम से शमा से शादी करने का प्रस्ताव भोली के पास भेजा तो भोली ने उस के साथ बेटी का रिश्ता करने से साफ इनकार कर दिया. इस से दोनों प्रेमियों के इरादों पर पानी फिर गया.

ऐसे प्रेमियों के पास घर से भाग कर शादी करने के अलावा कोई और दूसरा रास्ता नहीं बचता, सो शमा और नरेंदर ने भी घर से भाग कर शादी करने की योजना बनाई.

नरेंदर ने मंदिर के पंडित से ले कर वकील तक का इंतजाम कर के शमा से कहा, ‘‘शमा, अब मेरी बात गौर से सुनो. मैं ने शादी की सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं. कल सुबह तुम्हें किसी बहाने से अपने गांव से निकल कर बसअड्डे पहुंचना है. फिर वहां से कोई बस पकड़ कर तुम जालंधर आ जाना. मैं तुम्हें वहीं मिलूंगा. वहां से हम साथसाथ चंडीगढ़ चलेंगे और वहीं शादी कर लेंगे. तुम चिंता मत करो, मैं ने सारा इंतजाम कर लिया है.’’

‘‘मैं घर से कपड़े भी लेती आऊं?’’ शमा ने पूछा.

‘‘नहीं, तुम्हें कुछ भी साथ लाने की जरूरत नहीं है. तुम बस इतना करना कि टाइम से पहुंच जाना.’’ नरेंदर ने शमा को अच्छी तरह समझा दिया था. इतना ही नहीं उस ने किराएभाड़े के लिए कुछ पैसे भी उसे दे दिए थे.

योजना के अनुसार शमा निर्धारित समय पर नरेंदर के पास जालंधर पहुंच गई. फिर वहां से बस द्वारा दोनों चंडीगढ़ पहुंच गए. पहले उन्होंने एक मंदिर में शादी की फिर उस शादी को नोटरी पब्लिक के जरिए रजिस्टर भी करवा लिया.

नरेंदर शमा से शादी कर के बहुत खुश था. उस ने अपनी शादी के लिए बहुत बढि़या इंतजाम कर रखा था. हनीमून को वह यादगार बनाना चाहता था इसलिए उस ने चंडीगढ़ में ही एक थ्रीस्टार होटल में सुइट बुक करवा रखा था. वह बेहद उत्सुक था पर उस रात उस की उत्सुकता ठंडी पड़ गई. उस के सारे अरमानों पर पानी फिर गया.

उस के दिल को इतना बड़ा धक्का लगा कि उस ने सोचा भी नहीं होगा. क्योंकि अपनी मनपसंद की जिस शमा को वह जीजान से चाहता था, सब के विरोध के बावजूद जिस से उस ने शादी की, वह लड़की नहीं बल्कि किन्नर निकली. अब पूरा ब्रह्मांड उसे घूमता नजर आ रहा था. वह बुदबुदाने लगा कि मैं समाज को अब क्या मुंह दिखाऊंगा.

इस के बाद वह बैड से उठ कर जोरजोर से रोने लगा था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. गुस्से से तमतमाते हुए उस ने शमा के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ रसीद करते हुए कहा, ‘‘बताओ, मैं ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था. अपनी जान से ज्यादा तुम्हें प्यार किया था और तुम ने मेरे साथ इतना बड़ा छल किया. बताओ, क्यों किया ऐसा? सच बताओ नहीं तो मैं तुम्हारी जान ले लूंगा.’’ नरेंदर के सिर पर जैसे खून सवार हो गया था.

‘‘मैं कुछ नहीं जानती नरेंदर, तुम्हारे प्यार की कसम. मैं तो बचपन से ही ऐसी हूं. मां ने कहा था कि शादी के बाद अपने आप ठीक हो जाऊंगी.’’ शमा ने मासूमियत से जवाब दिया था.

नरेंदर समझ गया कि या तो शमा इतनी भोली है कि उसे इस बारे में कुछ पता नहीं या वह बेहद चालाक है. लेकिन बात कुछ भी रही हो, पर अब वह क्या करे. यह प्रश्न बारबार नरेंदर के दिमाग में घूम रहा था. वक्त की बेरहम आंधी ने उस की खुशियों के चमन को एक झटके में उखाड़ कर तहसनहस कर दिया था. शमा के मिन्नतें करने पर नरेंदर उसे अपने घर ले गया.

2 दिन अपने घर पर रखने के बाद उस ने शमा को घर से निकालते हुए कह दिया, ‘‘शमा, तुम ने मेरे साथ धोखा किया है. अब मैं यह बताना चाहता हूं कि तुम इस घटना को एक बुरा सपना समझ कर भूल जाना. मैं भी भूलने की कोशिश करूंगा. हां, एक बात याद रखना कि आज के बाद कभी भूल कर भी मेरे सामने मत आना. जिस दिन तुम मेरे सामने आ गई तो समझ लेना कि वह दिन तुम्हारी जिंदगी का आखिरी दिन होगा.’’

शमा को इतनी जल्दी भुला देना नरेंदर के लिए आसान नहीं था. इसलिए उस ने जालंधर से दूर जाना उचित समझा. वह अपना सब कुछ छोड़छाड़ कर अपनी मां को ले कर दिल्ली आ गया. यहां उस ने औटो चलाना शुरू कर दिया. दूसरी ओर शमा भी अपनी मां के पास चली गई.

वक्त के साथ सब कुछ सामान्य होता चला गया था. दूसरी ओर शमा की बड़ी बहन की शादी राजकुमार नामक युवक के साथ हो गई. शादी के बाद भोली के ऊपर लोगों का कर्ज भी हो गया था.

मां जो मेहनतमजदूरी करती, उस से बड़ी मुश्किल से घर का खर्च चल पाता था. ऐसी हालत में शमा ने मां का हाथ बंटाना जरूरी समझा. उस ने एक आर्केस्ट्रा ग्रुप जौइन कर लिया. इस काम में अच्छीखासी कमाई थी सो घर के हालात धीरेधीरे बदलने लगे.

शमा जालंधर के आर्केस्ट्रा ग्रुप में काम करती थी. गांव से जालंधर आने में शमा को परेशानी होती थी, इसलिए वह अपनी मां और भाईबहन को जालंधर ले आई. वहीं उस ने एक किराए का कमरा ले लिया. शमा और नरेंदर दोनों अपनेअपने काम में लग गए थे, इसलिए उन की प्रेमकहानी का अंत हो चुका था.

वक्त के बेरहम थपेड़ों में दोनों ने एकदूसरे को भुला दिया था. इस तरह वक्त का पहिया अपनी गति से घूमता रहा था. एकएक कर इस बात को पूरे 11 साल गुजर गए थे. न तो नरेंदर को पता था कि शमा अब कहां है और न ही शमा यह जानती थी कि उसे अपने घर से निकालने के बाद नरेंद्र कहां और किस हाल में है.

पहली मई 2017 की बात है. शमा रात 8 बजे अपने घर से अपनी स्कूटी पर किसी काम से बाजार जाने के लिए निकली. चलते समय उस ने अपनी मां से कहा था कि वह किसी जरूरी काम से बाहर जा रही है, थोड़ी देर में लौट आएगी. लेकिन वह उस रात घर नहीं लौटी तो भोली ने शमा को फोन मिलाया. पर उस का फोन बंद था.

रात भर तलाशने पर भी शमा का कहीं कोई पता नहीं चला. अगली सुबह शमा की एक सहेली ने बताया कि रात शमा उस को बस्ती शेख के तेजमोहन नगर की गली नंबर 6 के कोने पर मिली थी, पूछने पर उस ने बताया था किसी रिश्तेदार से मिलने जा रही है.

‘‘लेकिन यहां हमारा कोई रिश्तेदार तो क्या, कोई जानकार भी नहीं रहता.’’ भोली ने बताया.

बहरहाल, भोली अपने बेटे और दामाद को साथ ले कर तेजमोहन नगर की गली नंबर 6 में पहुंची तो मकान नंबर 3572/19 के सामने शमा की स्कूटी खड़ी मिली. आसपास के लोगों से पूछने पर पता चला कि वह मकान पिछले 4 महीनों से किसी नरेंदर चौहान ने किराए पर ले रखा था.

मकान के बाहर छोटा सा ताला था. भोली और उस के बेटे और दामाद ताला खोल कर जब भीतर गए तो वहां का नजारा देख कर उन सब के होश उड़ गए. बैड पर शमा की लाश पड़ी थी. तब भोली ने इस की सूचना थाना डिवीजन-5 पुलिस को दी.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी सुखबीर सिंह अपने सहयोगी इंसपेक्टर नरेश जोशी के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. घटनास्थल का मुआयना करने से पता चला कि मृतका के गले में दुपट्टा कसा हुआ था. इस के अलावा उस की गरदन पर गहरा घाव भी था.

पूछताछ करने पर पता चला था कि उस मकान में नरेंदर चौहान किराए पर रहता था. वह मृतका का पति था. पड़ोसियों ने बताया कि शमा रात करीब सवा 8 बजे वहां पहुंची थी. इस के कुछ देर बाद ही उस के कमरे से लड़ाईझगड़े की जोरजोर की आवाजें आने लगी थीं. कुछ देर बाद आवाजें आनी बंद हो गईं. रात करीब साढ़े 10 बजे उन्होंने नरेंदर और उस की मां को घर के बाहर निकल कर कहीं जाते हुए देखा था.

भोली ने भी अपने बयान में यही बताया था कि शमा की हत्या उस के दामाद नरेंदर चौहान और उस की मां सुदेश चौहान ने मिल कर की है.

इंसपेक्टर सुखबीर सिंह ने घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेज दी. भोली के बयान के आधार पर पुलिस ने नरेंदर चौहान और उस की मां सुदेश चौहान के खिलाफ भादंवि की धारा 302/34 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर तहकीकात शुरू कर दी.

3 डाक्टरों के पैनल ने शमा की लाश का पोस्टमार्टम कर जो रिपोर्ट दी, उस में उन्होंने साफ लिखा था कि शमा एक किन्नर थी और उस की मौत गला घोंटने और गरदन पर कोई तेज नुकीली चीज के वार से हुई थी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस ने नरेंदर की तलाश शुरू कर दी. इस के लिए पुलिस की टीमें लगातार छापेमारी कर रही.

खास मुखबिर भी नरेंदर की तलाश में दिनरात एक किए हुए थे. 7 जुलाई 2017 को एक मुखबिर ने सूचना दी कि नरेंदर अपनी मां के साथ दिल्ली के सब्जीमंडी क्षेत्र में छिपा हुआ है.

सूचना मिलते ही पुलिस टीम दिल्ली रवाना हो गई और मुखबिर द्वारा बताए पते पर दबिश दे कर नरेंदर को गिरफ्तार कर के दिल्ली से जालंधर ले आई. उस समय वहां उस की मां मौजूद नहीं थी.

नरेंदर को अदालत में पेश कर 2 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया पर रिमांड अवधि में उस ने अपना मुंह नहीं खोला. तब 10 जुलाई को उसे फिर से अदालत में पेश कर 3 दिन के रिमांड पर ले कर सख्ती से पूछताछ की गई.

आखिर उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही शमा की हत्या की थी. पुलिस अधिकारियों के सामने अपनी कहानी बताते हुए वह जोरजोर से दहाड़ें मार कर रोने लगा. उस ने उस की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—

नरेंदर अपनी मां के साथ दिल्ली में रह रहा था और औटो चला कर अपना गुजारा कर रहा था, जबकि शमा जालंधर में आर्केस्ट्रा का काम करते हुए अपनी मां और भाईबहनों के साथ रह रही थी. इत्तफाक से दिल्ली में नरेंदर की मां बीमार रहने लगी थी उस की सेवा के लिए नरेंदर का काम प्रभावित होने लगा था.

मां के इलाज पर भी काफी खर्च आ रहा था. ऐसे में जालंधर में रहने वाले नरेंदर के भाई सुरेंदर ने उसे सलाह दी कि वह मां को ले कर जालंधर चला आए. दोनों भाई मिल कर मां का इलाज भी करवा लेंगे और कामधंधा भी प्रभावित नहीं होगा.

भाई की सलाह मान कर नरेंदर मां को साथ ले कर दिल्ली छोड़ कर जालंधर की बस्ती शेख में किराए का कमरा ले कर रहने लगा यहां भी उस ने औटो चलाना शुरू कर दिया था.

यह लगभग 3 महीने पहले की बात है. तब तक न शमा जानती थी कि नरेंदर इन दिनों जालंधर में है और न ही नरेंदर यह बात जानता था कि शमा अब जालंधर में रहती है. नरेंदर शमा को एक दु:स्वप्न समझ कर पूरी तरह भुला चुका था.

30 अप्रैल, 2017 की बात है. उस दिन शाम के समय शमा को नरेंदर के चाचा का लड़का छिंदा बाजार में मिल गया था. दोनों बड़े दिनों बाद मिले थे, इसलिए भीड़ से हट कर आपस में बातें करने लगे. बातोंबातों में छिंदा ने उसे बता दिया कि आजकल नरेंदर भाई भी यहीं रह रहे हैं. शमा ने छिंदा से नरेंदर का फोन नंबर ले लिया.

अगले दिन शमा ने नरेंदर को फोन कर के मिलने की इच्छा जताई तो पहले नरेंद्र ने मिलने से इनकार कर दिया. उस ने कहा, ‘‘अब हमारे बीच कुछ नहीं बचा है, मैं तुम्हें भूल भी चुका हूं इसलिए मिलने का क्या फायदा?’’

‘‘सिर्फ एक बार मैं तुम से मिलना चाहती हूं.’’ शमा ने कहा तो वह तैयार हो गया. उसी दिन पहली मई को शमा रात करीब 8 बजे नरेंदर से मिलने उस के घर पहुंच गई.

शमा को देखते ही नरेंदर का खून खौल उठा. उस की आंखों के सामने बीते दिनों की बातें किसी चलचित्र की तरह दिखाई देने लगी थीं. बड़ी मुश्किल से उस ने अपने गुस्से पर काबू पाते हुए ठंडे लहजे में कहा, ‘‘शमा, तुम्हें यहां मेरे पास नहीं आना चाहिए था. याद है, मैं ने अलग होते समय तुम से क्या कहा था?’’

शमा मुसकरा कर बोली, ‘‘अभी भी गुस्सा हो मुझ से?’’

तभी नरेंदर ने कहा, ‘‘अच्छा, जो हुआ सो हुआ. शायद यही नियति ने लिखा था. अब एक काम करते हैं तुम आर्केस्ट्रा का काम छोड़ दो. हम दोनों अपने प्यार से मिल कर एक नई दुनिया बसाते हैं. रहा सवाल संतान का तो हम कहीं से कोई बच्चा गोद ले लेंगे.’’

‘‘नहीं नरेंदर, अब चाह कर भी मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती और न ही आर्केस्ट्रा का काम छोड़ सकती हूं. मेरे इसी काम से मेरे परिवार का खर्च चलता है. मैं उन्हें भूखा नहीं मार सकती.’’ शमा बोली.

नरेंदर को गुस्सा आ गया. वह उसे गालियां देते हुए बोला, ‘‘तो मेरे पास यहां क्या करने आई है? याद है, मैं ने क्या कहा था. जिस दिन तू मेरे सामने आएगी, मैं तुझे खत्म कर दूंगा.’’ नरेंदर ने उसे जोरदार थप्पड़ रसीद करते हुए कहा, ‘‘मैं सब कुछ भूलभाल कर तुझे अपनाने को दोबारा तैयार हो गया और तू है कि अपने बहनभाई और रंडियों वाले नाचगाने का पेशा छोड़ने को तैयार नहीं है. आज मैं तुझे जिंदा नहीं छोड़ूंगा.’’

कह कर नरेंदर वहां से उठ कर दूसरे कमरे में गया और अपनी मां को उठा कर जबरदस्ती बाथरूम में बंद कर दिया. इस के बाद वह शमा के पास पहुंचा और उसी के दुपट्टे से उस ने उस का गला घोंट दिया. कहीं वह जिंदा न रह जाए, यह सोच कर उस ने एक तेजधार चाकू का भरपूर वार शमा की गरदन पर किया था.

उस की हत्या करने के बाद उस ने बाथरूम का दरवाजा खोल कर अपनी मां को बाहर निकाला. मां सुदेश ने बाहर आ कर जब शमा की लाश देखी तो उसे माजरा समझते देर नहीं लगी. सुदेश ने नरेंदर को काफी भलाबुरा कहा. पर अब कुछ नहीं हो सकता था. इस के बाद वह मां को ले कर दिल्ली चला गया. पर पुलिस ने उसे वहीं से ढूंढ निकाला.

उस की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद कर लिया. रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद उसे अदालत में पेश किया गया और अदालत के आदेश पर उसे जिला जेल भेज दिया गया. कथा लिखने तक सुदेश गिरफ्तार नहीं हो सकी थी.

-कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चाओं पर आधारित

सत्यकथा: देवरानी निकली जेठानी से बड़ी सेक्स खिलाड़ी

इंसपेक्टर भीमसिंह पटेल को पुलिस विभाग की सेवा करते लंबा समय बीत चुका था, लेकिन 20 फरवरी, 2022 को उन के साथ यह पहली बार हुआ था कि नए थाने का चार्ज संभालते ही उन्हें हत्या जैसी गंभीर वारदात से दोचार होना पड़ा. हुआ यह कि जिस दिन इंसपेक्टर भीमसिंह पटेल ने उज्जैन जिले के तराना थाने का चार्ज संभाला ही था कि इलाके के गांव कनादी जिवासी जितेंद्र सिंह ने खुद थाने आ कर उन्हें बताया कि कल रात से लापता हुई उस की 27 वर्षीय पत्नी भागवंता बाई की लाश आज सुबह गांव के बाहर पड़ी मिली है. उस ने टीआई पटेल को यह भी बताया कि भागवंता बाई का सिर बुरी तरह कुचला है इस से लगता है कि किसी ने उस की क्रूरता से हत्या की है.

थाने की जिम्मेदारी मिलते ही सामने आई इस गंभीर वारदात की सूचना उन्होंने तत्काल एसडीपीओ राजाराम आवाश्या और एसपी (उज्जैन) सत्येंद्र कुमार शुक्ला को दे कर पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. गांव में भागवंता बाई के घर के पिछवाड़े कुछ ही दूरी पर उस का सिर कुचला शव पड़ा था. शव के पास ही भारी वजन वाले कई खून सने पत्थर पड़े थे. इस से उन्होंने अंदाजा लगा लिया कि हत्यारे गिनती में 2 से भी ज्यादा रहे होंगे. इसी बीच एसपी सत्येंद्र शुक्ला के निर्देश पर एएसपी आकाश भूरिया के अलावा एफएसएल की टीम के साथ डौग स्क्वायड ने भी गांव में पहुंच कर अपना काम शुरू कर दिया.
इस बीच प्रारंभिक पूछताछ में मृतका भागवंता बाई के पति जितेंद्र ने बताया कि वह रोज की तरह कल मैसोदा कोल्ड स्टोरेज में हम्माली का काम खत्म कर रात लगभग 12 बजे घर लौटा तो पत्नी भागवंता बाई की गैरमौजूदगी में बच्चों को रोता पाया.

पूछने पर उन्होंने मां के काफी देर से घर पर न होने की बात बताई. उस ने रात में ही अपने एक भाई को ले कर उसे तलाश किया, जिस में पूरी रात खोजने के बाद उस का शव घर के पीछे जंगल में पड़ा मिला. प्रारंभिक पूछताछ में यह साफ हो जाने पर कि भागवंता बाई खुद ही बच्चों से थोड़ी देर में वापस आने को कह कर घर से निकली थी, इस से टीआई को मामले में पहला शक अवैध संबंध को ले कर था.
उन का सोचना था कि मृतका अपने किसी प्रेमी से मिलने एकांत में गई होगी, जहां दोनों के बीच बात बिगड़ने पर भागवंता बाई की हत्या कर दी.

खोजी कुत्ता भी घटनास्थल को सूंघने के बाद गांव में रहने वाले पाटीदार समाज के एक संपन्न किसान के घर में घुस गया. इस का पाटीदार समाज के लोगों ने विरोध किया और वे सड़क पर उतर आए.
इस के बाद गांव में भीम आर्मी के झंडे तले भी कुछ लोग जमा हो गए. जिन्होंने घटना के विरोध में आरोपी की गिरफ्तारी की मांग करते हुए आगरामुंबई मार्ग पर जाम लगा दिया. जिसे संभालने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के साथसाथ पुलिस को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी. लेकिन इन सब के बीच टीआई पटेल हत्या के इस मामले में अपने दिमागी घोड़े दौड़ाते रहे. उन्होंने मृतका भागवंता बाई के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवा ली और भागवंता बाई की कुंडली खंगालने के लिए मुखबिरों को भी लगा दिया.
भागवंता बाई के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स हाथ में आते ही थानाप्रभारी के सामने हत्या की कहानी लगभग साफ हो गई.

दरअसल, उस रोज भागवंता बाई के मोबाइल पर गांव के एक संपन्न किसान किशन पाटीदार ने कई बार फोन किया था. शाम को सूरज डूबने के बाद एक घंटे में किशन ने भागवंता बाई को 22 बार फोन लगाया था. इस के अलावा काल डिटेल्स से यह भी साफ हो गया था कि भागवंता बाई और किशन पाटीदार के बीच में रोज दिन में कईकई बार लंबीलंबी बातें होती थीं. इतना ही नहीं, आधी रात में भी कभी किशन भागवंता बाई को फोन करता था तो कभी भागवंता बाई किशन को.

जवान और बेहद ही खूबसूरत भागवंता बाई किशन के खेत पर पिछले कई सालों से मजदूरी करती थी. ऐसे में मालिक अपनी जवान और सुंदर महिला मजदूर को आधी रात में किसलिए फोन करता है, यह समझना पुलिस के लिए मुश्किल नहीं था. इसलिए थानाप्रभारी ने किशन पाटीदार के मोबाइल की भी काल डिटेल्स निकलवाने के साथ ही उसे पूछताछ के लिए बुला लिया.

किशन के मोबाइल की काल डिटेल्स से एक नई बात यह सामने आ गई कि किशन केवल भागवंता बाई को ही आधी रात में फोन नहीं करता था बल्कि भागवंता बाई की देवरानी मधु के संग भी उस की देर रात में लंबी बातें होती थीं. मधु अपनी जेठानी भागवंता बाई से उम्र में छोटी मगर खूबसूरती में बड़ी थी.
मधु भी भागवंता बाई की तरह किशन के खेत पर मजदूरी करती थी. इसलिए किशन के संबंध जेठानी भागवंता बाई और देवरानी मधु दोनों से होने का शक होने पर पुलिस ने मधु के मोबाइल फोन की भी काल डिटेल्स निकलवा ली.

काल डिटेल्स से पता चला कि घटना वाली शाम को मधु ने जेठानी भागवंता बाई के अलावा किशन से भी कई बार फोन पर बात की थी. इन दोनों के अलावा उस की गुडारिया गुर्जर निवासी देवकरण फुलेरिया और शाजापुर निवासी लालू से भी फोन पर लगातार बातें हो रही थीं. ये दोनों रिश्ते में मधु के बहनोई थे. वहीं उसी रात किशन पाटीदार देवरानीजेठानी मधु और भागवंता बाई के अलावा अपने दोस्त ईश्वर बोड़ाना से लगातार फोन पर बात कर रहा था. सब से बड़ी बात तो यह थी कि रात में 8 बजे के बाद जब भागवंता बाई घर से बाहर निकली थी, तब ये पांचों फोन नंबर एक साथ उसी स्थान पर मौजूद थे, जहां सुबह भागवंता बाई की लाश मिली थी.

इसलिए कहानी साफ हो जाने पर जांच के संबंध में पूरी जानकारी एसडीपीओ राजाराम आवाश्या और एसपी सत्येंद्र शुक्ला को दे कर टीआई भीम सिंह पटेल ने किशन पाटीदार से गहन पूछताछ शुरू कर दी.
थोड़ी सी नानुकुर के बाद पूरी कहानी साफ हो जाने पर टीआई भीम सिंह पटेल की टीम में शामिल एसआई बाबूलाल चौधरी, एएसआई लोकेंद्र सिंह, हैडकांस्टेबल मांगीलाल, रामेश्वर, राहुल कुशवाहा, राजपाल सिंह, महेश, मानसिंह, कांस्टेबल राम सोनी, आदित्य प्रकाश, निधि, रीना और कल्पना की टीम ने तुरंत घेराबंदी कर किशन द्वारा बताए गए बाकी के 4 आरोपियों मृतका भागवंता बाई की देवरानी मधु, मधु के 2 जीजा देवकरण और लालू तथा किशन के दोस्त ईश्वर को भी गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने आरोपियों के पास से हत्या में प्रयुक्त बाइक और मृतका का मोबाइल फोन, जिसे आरोपियों ने एक खेत में फेंक दिया था, बरामद कर लिया. उन से पूछताछ के बाद इस हत्याकांड की कहानी इस प्रकार सामने आई— पति जितेंद्र की हम्माली की नौकरी से इतनी आय नहीं थी कि 2 बच्चों वाले भागवंता बाई के परिवार का पेट आराम से भर सके. इसलिए कोई 5 साल पहले भागवंता बाई काम की तलाश में घर से बाहर निकली.

भागवंता बाई की सुदरता गांव में चर्चा का विषय पहले ही बन चुकी थी, इसलिए भागवंता बाई को काम देने वालों की कमी नहीं थी. जल्द ही भागवंता बाई गांव के संपन्न किसान किशन पाटीदार के खेत पर काम करने लगी. किशन ने भी भागवंता बाई की सुंदरता के चर्चे सुने थे, इसलिए उसे खेत पर काम देने के अलावा भी वह उस का विशेष ध्यान रखने लगा. भागवंता बाई मर्दों की फितरत को तब से जानती थी जब वह 15-16 साल की थी. इसलिए अपने मालिक किशन पाटीदार के मन में क्या चल रहा है, यह समझने में उसे देर नहीं लगी.

किशन भी जानता था कि गर्म खाने से हाथ और जीभ दोनों जल सकते हैं. इसलिए उस ने भागवंता बाई को हासिल करने में जल्दबाजी दिखाने के बजाए गंभीरता से काम लिया. इस कड़ी में पहले तो उस ने भागवंता बाई का वेतन बढ़ाया, फिर वेतन के अलावा भी उस की मदद करने के दौरान उस के रूप की तारीफ करने लगा. ऐसा करते हुए जब उस ने देखा कि भागवंता बाई अब काम पर पहले की अपेक्षा ज्यादा सजधज कर आने लगी है तो एक रोज पैसा देते समय उस का हाथ पकड़ कर उसे अपनी ओर खींच लिया.

भागवंता बाई पहले ही किशन की मेहरबानियां देख कर उस के सामने समर्पण का मन बना चुकी थी. इसलिए किशन की हरकत का विरोध करने के बजाए उस ने खुद अपने शरीर का सारा वजन उस के ऊपर लाद दिया.संयोग से उस समय खेत पर दूरदूर तक कोई नहीं था, इसलिए भागवंता बाई किशन के कहने पर चुपचाप खेत पर बनी टपरी में चली गई, जहां पीछे से आए किशन की इच्छा पूरी कर भागवंता बाई ने उस के सारे अहसान पहली मुलाकात में ही चुका दिए.

दिलफेंक किशन पाटीदार की तो मानो लौटरी लग गई थी. जिस भागवंता बाई को पूरा गांव हसरत भरी नजरों से देखता था, वह अपना सब कुछ किशन पर लुटाने लगी थी. भागवंता बाई के पास रूप की दौलत थी सो वह उसे किशन पर लुटा रही थी. जबकि किशन की जेब की दौलत थी सो वह इसे भागवंता बाई पर लुटाने लगा. जल्द ही भागवंता बाई का रहनसहन चमकदमक से भर गया.

भागवंता बाई संयुक्त परिवार में रहती थी. उस का बदला रूप देख कर देवरानी मधु का माथा ठनका. वह जानती थी कि जेठ की तो इतनी कमाई है नहीं, जो भागवंता बाई आए दिन नई साड़ी पहन कर इठलाती हुई कान में नया मोबाइल फोन लगाए घूमती रहे. वह जल्द ही समझ गई कि उस की जेठानी यह पैसा कहां से ला रही है.भागवंता बाई सुंदर थी तो मधु भी कम नहीं थी. फिर मधु तो भागवंता बाई की तुलना में ज्यादा जवान भी थी. इसलिए उस ने भी किशन के खेत पर नौकरी करने का फैसला कर लिया. एक रोज किशन के पास जा कर उस ने किशन से काम देने की फरियाद की.

जवान औरतों को नौकरी के लिए किशन कभी मना नहीं करता था. इसलिए मधु को देखते ही उस ने उसे दूसरे दिन से काम पर आने को कह दिया. भागवंता बाई मधु को पसंद नहीं करती थी. इसलिए यह बात भागवंता बाई को पता चली तो उस ने किशन से सुधा को नौकरी पर न रखने के लिए कहा. लेकिन किशन ने कुछ दिन बाद उसे काम से निकाल देने की कह कर बात टाल दी. मधु भी किशन के खेत पर काम करने जाने लगी. उस का मकसद तो कुछ और ही था, इसलिए वह भागवंता बाई और किशन पर नजर भी रखती थी. जब एक रोज किशन भागवंता बाई को ले कर खेत में बनी टपरी में घुसा तो पीछे से जा कर मधु ने जेठानी को किशन के साथ रंगेहाथ पकड़ लिया. यह बात मधु घर में न कह दे, इसलिए भागवंता बाई के कहने पर किशन ने जेब से 2 हजार रुपए निकाल कर मधु को दे दिए.

मधु पैसे ले कर चुपचाप मुसकराते हुए चली गई तो दूसरे ही दिन किशन ने मधु को अकेले में टपरी में बुला कर उस के साथ भी संबंध बना लिए. अब किशन एक दिन मधु के साथ तो दूसरे दिन उस की जेठानी भागवंता बाई के साथ खेत पर दोपहर बिताने लगा. इस के बाद
भागवंता बाई और मधु दोनों ही एकदूसरे से चिढ़ने लगीं.

दरअसल, भागवंता बाई को लगता था कि मधु के कारण किशन अब उस के ऊपर कम पैसा खर्च करने लगा है.दूसरी तरफ मधु को लगता कि अगर भागवंता बाई न होती तो किशन पूरा पैसा उसे अकेले देता.
इसलिए किशन को एकदूसरे से अधिक खुश करने की भागवंता बाई और मधु में होड़ रहने लगी. इस के लिए भागवंता बाई ने तो मोबाइल पर देखदेख कर प्यार करने के विदेशी तरीके तक सीख लिए.
लेकिन भागवंता बाई की उम्र बढ़ रही थी, जबकि मधु अधिक जवान थी. दूसरे भागवंता बाई के साथ कई सालों से संबंध में रहने के कारण किशन का उस से मन भी भरने लगा था. प्रेमी किशन के मन की बात मधु समझ चुकी थी. इसलिए प्रेमी पर पूरा अधिकार जमाने के लिए उस ने भागवंता बाई को उस से दूर करने के लिए कई प्रयास किए.

मगर भागवंता बाई भी सोने का अंडा देने वाली मुर्गी किशन को नहीं खोना चाहती थी. जब कोई रास्ता समझ नहीं आया तो मधु ने किशन को भागवंता बाई की हत्या करने के लिए राजी कर लिया. फिर योजना बना कर 19 फरवरी, 2022 के दिन अपने बहनोइयों देवकरण और लालू को गांव बुला लिया.
वहीं दूसरी तरफ किशन भी अपने दोस्त ईश्वर को ले कर पहले से तय सुनसान इलाके में जा कर बैठ गया, जहां योजना के अनुसार मधु धोखे में रख कर भागवंता बाई को ले कर आने वाली थी.

उस रोज गांव में तेजाजी महाराज का एक कार्यक्रम होने के चलते गांव के सभी लोग उस में व्यस्त थे, जिस का फायदा उठा कर मधु ने रात लगभग 9 बजे अपना पेट खराब होने की बात कह कर भागवंता बाई से घर के पीछे झाडि़यों में साथ चलने को कहा.

गांव की ऐसी औरतों के लिए, जिन के घरों में शौचालय नहीं है, पेट खराब होना भी बहुत बड़ी समस्या है. इसलिए रात के समय में ऐसे मौकों पर सभी महिलाएं एकदूसरे की मदद करने गांव के बाहर साथ चली जाती हैं.मधु की योजना से बेखबर भागवंता बाई भी उस के साथ हो गई. मधु काफी शातिर थी. वह जानबूझ कर भागवंता बाई को ले कर ऐसे स्थान पर जा कर बैठी, जहां पास ही एक किसान ने भारी पत्थरों से अपने खेत की मेड़ बना रखी थी.

मधु का पेट सचमुच खराब तो था नहीं, इसलिए वह कुछ ही पल में पानी फेंक कर उठी और बिजली की फुरती से उस ने मेड़ से एक भारी पत्थर उठा कर पास में कुछ ही दूरी पर बैठी अपनी जेठानी भागवंता बाई के सिर पर दे मारा.इस के बाद उस ने प्रेमी किशन के साथ बैठ कर शराब पी रहे अपने दोनों बहनोइयों लालू और देवकरण को आवाज दे दी. मधु की आवाज पर किशन पाटीदार अपने साथ लालू, देवकरण और दोस्त ईश्वर को ले कर वहां आ गया, जिस के बाद पांचों ने मिल कर भागवंता बाई के सिर पर पत्थर मारमार कर उस की हत्या कर दी.

भागवंता बाई की मौत हो जाने की तसल्ली होने के बाद देवकरण, लालू और ईश्वर वहां से चले गए जबकि किशन अय्याशी करने के लिए मधु को ले कर पास के एक खेत में चला गया. यहां दोनों ने अय्याशी करने के बाद खड़ी फसल में भागवंता बाई का मोबाइल फेंक कर अपनेअपने घर चले गए.
आरोपियों का सोचना था कि पूरे गांव वालों के धार्मिक कार्यक्रम में व्यस्त होने के चलते वे कभी नहीं पकड़े जाएंगे. लेकिन पुलिस ने 24 घंटे में ही मामले का खुलासा कर पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

बेटे का पाप

Crime in hindi

सत्यकथा: पत्नी की सहेली पर वासना का वार

दिन ढलने वाला था. करीब 3 बजे का वक्त रहा हागा. उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी में रहने वाले 26 वर्षीय अमन बिष्ट कमरे में बैड पर करवटें बदल रहा था. मन में अजीब तरह की बेचैनी थी. काल सेंटर की ड्यूटी से सुबह 5 बजे घर आया था. सीधा बैड पर कंबल में जा घुसा था. पत्नी अनुप्रिया कब ड्यूटी पर घर से निकली, उसे पता ही नहीं चला. दिन में 11 बजे के करीब नींद खुली, तब फ्रैश होने के लिए सीधा बाथरूम में गया.

आधे घंटे बाद किचन में रखा फ्रिज खोलने लगा. उस पर एक चिट चिपकी थी. चिट पर लिखा था, ‘दूध खत्म हो गया है, ले आना. रात की बची सब्जी खा लेना. आटा रखा है. परांठा बना लेना.’ चिट पत्नी अनुप्रिया लगा कर गई थी.

सुबह साढ़े 8 बजे निकलते हुए उस ने सोए अमित को जगा कर कहने के बजाय चिट पर लिख दिया था. चिट की सारी बातें आदेश थीं. पढ़ कर अमन भीतर ही भीतर तिलमिला गया. पत्नी दरवाजा बाहर से लौक कर गई थी. डुप्लीकेट चाबी फ्रिज पर रखी थी.

वह कौशिक एनक्लेव के अपार्टमेंट के नीचे की दुकान से दूध, ब्रेड और मक्खन खरीद लाया. चाय बनाई. उस के साथ 4 ब्रेड सेंक लिए. खाने के बाद कमरे में ही इधरउधर चहलकदमी करता हुआ मोबाइल पर सोशल साइटों को स्क्राल करने लगा.

अचानक जाने उसे क्या सूझी, उस ने बार्डरोब से पत्नी के कपड़े निकाल कर बैड पर फैला दिए. उस में से कुछ अंडरगारमेंट छांटे. बाकी कपड़े सहेज कर दोबारा बार्डरोब में रख दिए.

कुछ समय बाद उस ने मोबाइल से एक नंबर पर काल मिलाया, ‘‘हैलो प्रियंका, क्या हो रहा है?’’

‘‘कुछ खास नहीं, यूं ही शादी के लिए लहंगे का प्राइस पता कर रही हूं. मम्मी ने कहा है कि मेरी शादी के कुछ हफ्ते ही बचे हैं.’’ प्रियंका बोली.

वह उस की पत्नी अनुप्रिया के स्कूल की खास सहेली थी. पास में ही अपने मातापिता और भाईबहन के साथ रहती थी. अमन ने पत्नी की उसी सहेली प्रियंका को काल किया था. वह उस से काफी घुलीमिली थी. उस के घर भी आनाजाना लगा रहता था.

जब कभी अमन का मन विचलित होता या उदासी से घिर जाता, तब प्रियंका से बातें कर लिया करता था. इस बात को प्रियंका भी समझती थी.

उस रोज 18 फरवरी, 2022 को भी अमन का मन बेचैन था. मन में कुछ वैसी बातें गांठ बन रही थीं, जो प्रियंका ही खोल सकती थी. इसलिए वह अपने मन की बात प्रियंका को बताना चाहता था. खुशमिजाज प्रियंका को उस ने कहा, ‘‘तुम से आज मिलना चाहता हूं, कुछ जरूरी काम है.’’

‘‘क्यों, क्या हुआ? फिर अनुप्रिया से झगड़ा हो गया?’’ प्रियंका बोली.

‘‘वैसा ही कुछ समझ लो, वैलेंटाइन डे के एक दिन पहले से ही रूठी है.’’

‘‘आखिर हुआ क्या?’’ प्रियंका बोली.

‘‘मैं जो गिफ्ट देना चाहता था, उस का नाम सुनते ही भड़क उठी. फिर भी मैं अगले रोज खरीद लाया,’’ अमन बोला.

‘‘क्या गिफ्ट था, जरा मैं भी तो सुनूं.’’ प्रियंका बोली.

‘‘मिलोगी, तब उस बारे में बताऊंगा.’’ अमन बोला.

‘‘अच्छा छोड़ो पुरानी बात, अब क्या है? वैलेंटाइन गए तो कई दिन गुजर गए,’’ प्रियंका ने कहा.

‘‘मैं चाहता हूं कि उस के पसंद की साड़ी खरीदूं, लेकिन मुझे उस की अच्छी समझ नहीं है. इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम मेरे साथ बाजार चलो ताकि मैं अच्छी साड़ी खरीद लूं. वैसे भी तुम उस का टेस्ट मुझ से अच्छी तरह जानती हो,’’ अमन आग्रह के लहजे में बोला.

‘‘चलो ठीक है चलती हूं, लेकिन मम्मी से पूछ कर काल करती हूं. तुम अपनी स्कूटी ले कर आ जाना,’’ कहती हुई प्रियंका ने फोन कट कर दिया.

कुछ देर में ही प्रियंका ने अमन को फोन कर आने की सूचना दे दी. अमन 10 मिनट में प्रियंका के घर चला गया. उसे स्कूटी पर अपने फ्लैट पर ले आया. जबकि प्रियंका ने उस से सीधे बाजार चलने को कहा, तब उस ने बताया कि पहले उसे वह गिफ्ट को दिखाना चाहता है, जो पत्नी के लिए खरीदा था.’’

बातें करतेकरते दोनों फ्लैट में आ गए थे. अमन ने प्रियंका को सीधा बैडरूम में जाने के लिए इशारा किया और खुद किचन में चला गया. प्रियंका बैडरूम में बैड पर फैले कपड़ों को देख कर चौंक पड़ी.

तुरंत वह भी किचन में आते ही बोली, ‘‘यह सब क्या है अमन? बैडरूम की तुम ने क्या हालत बना रखी है. और…और उस पर तुम ने बीवी के कैसेकैसे कपड़े फैला रखे हैं. मुझे लगता है कि अनुप्रिया ने तो ऐसा नहीं किया होगा.’’

‘‘क्यों, क्या हुआ पसंद नहीं आया वह सब,’’ अमन मुसकराता हुआ बोला.

‘‘पसंद? कैसी बेशर्मी की बातें कर रहे हो, वह भी एक लड़की के सामने. अब समझी कि अनुप्रिया तुम से क्यों नाराज हुई होगी.’’ प्रियंका सख्ती से बोली.

‘‘इस में नाराज होने की बात क्या है? मैं वही तो उस के लिए वैलेंटाइन गिफ्ट ले कर आया था. उसे पसंद नहीं आया. तुम्हें पसंद है तो तुम ले लो मेरी तरफ से यह गिफ्ट.’’

‘‘तुम तो बड़े बदतमीज हो. मैं तुम से अंडरगारमेंट्स गिफ्ट लूंगी? शर्म नहीं आती है तुम्हें… मैं तो तुम्हें बहुत अच्छा और सभ्य समझती थी, लेकिन तुम तो बेहद ही गंदे इंसान निकले. मैं जा रही हूं.’’ कहती हुई प्रियंका मेन गेट की ओर बढ़ी.

अमन ने उस का हाथ पकड़ लिया. एक झटके में हाथ छुड़ा कर प्रियंका तेजी से दरवाजा खोलने के लिए हैंडल घुमाने लगी. दरवाजा लौक था. पीछे से अमन उस के पास आ कर बोला, ‘‘लौक लगा है. दरवाजा तब तक नहीं खुलेगा, जब तक मैं नहीं चाहूंगा.’’

प्रियंका का हाथ पकड़ कर खींचते हुए बैडरूम में ले गया. उसे बैड पर वहीं गिरा दिया, जहां अनुप्रिया के लिए खरीदे गए अंडरगारमेंट्स फैले थे. कुटिलता के साथ बोला, ‘‘मैं आज इस बिकिनी और ब्रा को तुम्हें अपने हाथों से पहनाऊंगा और गिफ्ट भी करूंगा…’’

प्रियंका बैड से उठ बैठी. उस ने हाथ जोड़ लिए. वहां से जाने देने की भीख मांगने लगी, लेकिन अमन के दिमाग में उस समय कुछ और ही चल रहा था. प्रियंका उस की आंखों में सैक्स का उतावलापन देख कर सहम गई थी.

कमरे से निकलने की कोशिश करने लगी, लेकिन अमन उसे दबोचने का प्रयास करने लगा, ‘‘मैं जो कहता हूं, सीधी तरह मान जाओ, वरना मैं कुछ गलत कर बैठूंगा, तब मुझे बाद में मत कहना.’’

‘प्लीज मुझे छोड़ दो! छोड़ दो!!’ प्रियंका कहती रही. जबकि अमन उसे अपनी जिद के आगे झुकाने में लगा रहा.

‘‘मैं तुम्हें अपने हाथों से बिकिनी पहनाऊंगा, साथ में एक सेल्फी लूंगा. फिर तुम उसी पर अपने कपड़े पहन लेना और चली जाना. मैं सिर्फ इतना ही चाहता हूं.’’ अमन बोला.

‘‘नहीं…नहीं, प्लीज… अगले महीने मेरी शादी होने वाली है,’’ प्रियंका गिड़गिड़ाने लगी.

‘‘तो तुम ऐसे नहीं मानोगी.’’ यह कहते हुए अमन तेजी से किचन जा कर नायलोन की रस्सी ले आया.

पीछेपीछे दरवाजे तक आ चुकी प्रियंका को धकेलते हुए उस ने उसे बैड पर दोबारा पटक दिया. उस के हाथपैर बांध दिए. उस के साथ जबरदस्ती करने लगा. उस ने उस की जींस की बेल्ट खोलने की कोशिश की.

बचाव में प्रियंका पलट गई. अमन गुस्से में बोला, ‘‘साली… हरामजादी, हमारी बिल्ली, हम से म्याऊं. यह ले और छटपटा ले.’’ गुस्से में बड़बड़ाते हुए अमन ने उस के गले में रस्सी फंसा कर जोर से खींच दिया. प्रियंका की हलकी सी चीख निकल पड़ी और छटपटाती हुई कुछ पल में ही शांत हो गई.

औंधे मुंह पड़ी प्रियंका को देख कर अमन बोला, ‘‘सीधी तरह मान जाती तो बेहोश नहीं होती. पड़ी रह ऐसे. तेरे साथ मैं तो अब मनमाफिक सैक्स भी करूंगा…’’

अमन प्यार से प्रियंका के बदन को सहलाने लगा. उस की जींस खोल दी. उसे बिकिनी पहनाई. मोबाइल में उस की तसवीरें भी लीं और अपने मन की हर मुराद पूरी कर ली.

पत्नी की बेरुखी के चलते यौन जीवन से वंचित गुबार निकालने के बाद उस ने पाया कि प्रियंका बेहोश नहीं थी, बल्कि उस की सांसें हमेशा के लिए थम चुकी थीं. इस दौरान उस ने प्रियंका की लाश के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध भी बनाए.

प्रियंका की मौत हो जाने का एहसास होने पर वह घबरा गया. उस ने बचाव के लिए फटाफट अपने कपड़े और जरूरी सामान बैग में भरे और फरार हो गया. प्रियंका की लाश उस ने वहीं छोड़ दी. कमरे को इंटरलौक करने के अलावा बाहर से एक दूसरा ताला जड़ दिया.

शाम के करीब 8 बजे अनुप्रिया ड्यूटी से अपने फ्लैट पर आई. बाहर दूसरा ताला जड़ा देख चौंक गई. किसी अनहोनी से भी आशंकित हो गई. कारण इंटरलौक के साथसाथ दूसरा ताला तभी लगाया जाता था, जब दोनों अधिक समय या कुछ दिनों के लिए कहीं बाहर जाते थे.

अमन की स्कूटी नीचे पार्किंग में लगी थी. उस के पास बाहर लगे ताले की एक्स्ट्रा चाबी नहीं थी. वह सोच में पड़ गई. क्या करे… नहीं चाहते हुए भी उस ने अमन के मोबाइल पर काल किया, जो स्विच्ड औफ था.

अब उस की चिंता और बढ़ गई. कुछ देर इंतजार किया. करीब आधे घंटे तक वह नहीं आया, तब उस ने पड़ोसियों की मदद से ताला तुड़वाया.

कमरे में घुसते ही उसे कुछ अच्छा महसूस नहीं हुआ. जहांतहां सामान बिखरा पड़ा था. बैडरूम में जाते ही उस की चीख निकल गई. बैड पर एक युवती की अर्धनग्न लाश पड़ी थी. उस का चेहरा आधा दिख रहा था. उस ने तुरंत उसे पहचान लिया, मुंह से निकल पड़ा, ‘‘अरे यह तो प्रियंका है. यहां कैसे आई?’’

उस ने तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम को काल कर लाश की सूचना दे दी. पुलिस टीम के साथ 5 मिनट में ही आ गई. पुलिस बैड पर पड़ी लाश की स्थिति, पास पड़ी नीले रंग की नायलोन की रस्सी, गले में रस्सी के गहरे निशान, अस्तव्यस्त बैड की चादर, बिखरे कपड़े आदि से समझ गई कि उस की गला घोट कर हत्या की गई है. युवती का अर्धनग्न शरीर रेप की भी गवाही दे रहा था.

पुलिस ने घटनास्थल की जरूरी काररवाई कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में अनुप्रिया ने बताया कि मरने वाली प्रियंका उस की सहेली थी. उस का पति अमन बिष्ट वारदात के बाद से ही फरार है.

शुरुआती जांच में हत्या का संदेह अनुप्रिया के पति पर गया. पुलिस ने मृतका के घर वालों को इस की सूचना दे कर घटनास्थल पर बुला लिया.

मृतका की मां भागीभागी आई. उन्होंने पुलिस को बताया कि उस की बेटी प्रियंका अनुप्रिया के पति अमन के साथ बाजार से साड़ी खरीदवाने के लिए गई थी. अमन ही उसे बुलाने आया था.

इस मामले में थाना बुराड़ी में अमन बिष्ट के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. अनुप्रिया ने बताया कि उस ने अमन से 2 साल पहले प्रेम विवाह किया था. ग्रैजुएट अनुप्रिया एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करती थी. जबकि अमन एक काल सेंटर में काम करता था.

उस ने हरियाणा से पौलिटैक्निक किया था. अमन के मातापिता उन के प्रेम विवाह से नाराज चल रहे थे. वे अमन से कोई संबंध नहीं रखते थे. इस कारण अमन परिवार वालों से अलग किराए के मकान में रहता था.

फरार अमन की तलाशी के लिए डीसीपी (नौर्थ) सागर सिंह कलसी ने एसीपी स्वागत पाटिल के नेतृत्व में एक टीम बनाई.

टीम में बुराड़ी थानाप्रभारी राजेंद्र प्रसाद, एसआई सतेंद्र कुमार, दीपक कुमार, एएसआई राजीव कुमार, हैडकांस्टेबल सतवीर, परवीन कुमार, कांस्टेबल शीशराम, कुलदीप के साथसाथ महिला कांस्टेबल मेघा को शामिल किया गया.

अमन को ढूंढने की शुरुआत 18 फरवरी से हो गई. उस के फोन नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया गया. अगले रोज 19 फरवरी की शाम को दिल्ली पुलिस ने अमन का फोन लखनऊ में औन पाया. तुरंत वहां की पुलिस को सूचना दे कर मदद मांगी गई. लेकिन पुलिस उसे लखनऊ में नहीं दबोच पाई.

मोबाइल फोन सर्विलांस के माध्यम से 20 फरवरी, 2022 को अमन के जयपुर में होने की जानकारी मिली. दिल्ली पुलिस ने तुरंत वहां की पुलिस से संपर्क किया. अमन जयपुर से निकल भागने में सफल नहीं हो पाया. जयपुर की पुलिस ने अमन को बस अड्डे से गिरफ्तार कर लिया.

21 फरवरी की सुबहसुबह अमन बुराड़ी थाने में था. उस से जांच टीम ने प्रियंका की हत्या के मामले में गहन पूछताछ की. जल्द ही उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया.

अमन के बयान के आधार पर उस पर 24 वर्षीय युवती प्रियंका की हत्या और उस के साथ अप्राकृतिक यौनाचार संबंधी आईपीसी की धाराएं लगाई गईं. हत्या की धारा 302 तो पहले से ही एफआईआर में दर्ज थी. उस में बलात्कार की धारा और अप्राकृतिक यौन संबंध की धारा 377 को  भी जोड़ दिया गया.

अमन ने बताया कि उस ने प्रियंका के साथ बलात्कार करने की कोशिश की थी. वह उस की हत्या नहीं करना चाहता था, लेकिन उस के द्वारा  विरोध करने पर गुस्से में उस के गले में रस्सी डाल दी थी. उसे अंदाजा नहीं था कि उस की मौत हो जाएगी.

इस छानबीन के बाद पुलिस ने दावा किया कि आरोपी एक सैक्स उन्मादी युवक था. वह नियमित रूप से पोर्न देखता था. अपनी पत्नी के साथ यौन जीवन से असंतुष्ट था.

इस कारण ही उस ने 24 वर्षीया प्रियंका को निशाना बना लिया था. यहां तक कि वह ड्रग्स और सैक्स क्षमता बढ़ाने वाली गोलियां लेता था. वह अपने करीबी दोस्तों के तानों से भी परेशान था. वे उसे कमजोर मर्द का ताना देते थे.

पूछताछ के दौरान अमन ने पत्नी के वास्ते साड़ी दिलाने के बहाने प्रियंका को अपने कमरे में बुलाने की बात स्वीकार ली. उस की बात मानने से इनकार करने पर जबरदस्ती की. गुस्से में आ कर उस की गरदन पर इतना जोर लगाया कि उस का दम घुट गया.

पुलिस ने नीले रंग की नायलोन की रस्सी बरामद कर ली. मैडिकल रिपोर्ट के आधार पर अप्राकृतिक यौन संबंध का खुलासा हो गया था.

दिल्ली पुलिस ने पूछताछ कर 23 फरवरी, 2022 को उसे कोर्ट में पेश कर दिया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

(यौन उत्पीड़न से संबंधित मामलों पर माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार पीडि़ता की निजता की रक्षा के लिए उस की पहचान का खुलासा नहीं किया गया है. कथा में अनुप्रिया और प्रियंका परिवर्तित नाम हैं)

बेटे का पाप : भाग 3

6 मार्च, 2020 की शाम साढ़े 5 बजे लक्ष्मी देवी घर पर नहीं थी, वह मंदिर गई हुई थी. शिवम ने रानी को बुला लिया और घर में रखे पैसे और गहने निकालने लगा. तभी लक्ष्मी देवी घर वापस लौट आई. शिवम की हरकत देख कर वह बिफर पड़ी, ‘‘शिवम!’’

मां की आवाज सुन कर शिवम चौंक गया और एक झटके में खड़ा हो कर अपनी मां की तरफ  देखने लगा. उस के पास ही रानी भी खड़ी थी.

बेटे शिवम को दुत्कारते हुए लक्ष्मी देवी बोली, ‘‘अब यही दिन तो दिखाना बाकी रह गया तुझे दुष्ट. खुद तो कभी कुछ कमाया नहीं और मेरी जिंदगी भर की पूंजी को चुरा कर उड़ाने पर आमादा है. आज तुझे तो मैं सबक सिखा कर ही रहूंगी. अभी मैं पुलिस को फोन करती हूं और तुम दोनों को अंदर करवाती हूं. जब जेल की हवा खाओगे, तब समझ में आएगा.’’

यह सुन दोनों घबरा उठे और एकदूसरे की ओर देखा. शिवम ने महसूस किया कि रानी जैसे उस से कह रही हो रोको अपनी मां को. शिवम ने सहमति में सिर हिलाया. फिर अपनी मां की ओर झपटा. मां के हाथ से मोबाइल छीन कर शिवम ने मां को बैड पर गिरा दिया. फिर बैड पर रखे तकिया से उस ने अपनी मां का कस कर मुंह दबा दिया, जिस से दम घुटने से लक्ष्मी देवी की मौत हो गई.

अब शिवम को समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या करे. उस ने रानी को उस के घर भेजा. फिर मकान के मेनगेट में लौक लगा कर वह भावना एस्टेट गया, वहां एक चाय की दुकान पर बैठा रहा. वहां बैठने के दौरान उस ने रानी से कई बार फोन पर बात की. वह चाय की दुकान पर 5 घंटे बैठा रहा. रात 11 बजे वह घर पहुंचा, तब उस ने जगदीशपुरा थाने को मां की मौत हो जाने की सूचना दी.

सूचना मिलने पर इंसपेक्टर राजेश कुमार अपने मातहतों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने लाश का निरीक्षण किया तो लक्ष्मी देवी के शरीर पर किसी तरह की चोट के निशान नहीं दिखे. इस का मतलब यही था कि किसी चीज से गला घोंटा गया है.

इंसपेक्टर राजेश कुमार ने शिवम से पूछताछ की तो उस ने बताया कि वह घर पर नहीं था. अभी वह घर लौटा तो मां को इस हालत में पाया. घर में किसी अंजान व्यक्ति द्वारा वारदात किए जाने की शंका होते ही उस ने पुलिस को सूचना दी.

इन सब में इंसपेक्टर राजेश कुमार को अजीब बात यह लगी कि जिस बेटे की मां की मौत हुई थी उस बेटे को कोई गम नहीं था, चेहरे पर कोई शिकन तक नहीं थी, यह आश्चर्य की बात थी.

शिवम पर संदेह होने पर भी उन्होंने छेड़ा नहीं. अभी ऐसा कोई सुबूत उन के पास नहीं था, जिस से उसे गुनहगार ठहराया जा सके. उन्होंने लाश को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया.

फिर थाने आ कर उन्होंने अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो उस में मृत्यु का कारण दम घुटना बताया गया था. मौत भी सूचना मिलने के पांच घंटे पहले होने की  बात बताई गई थी.

इस के बाद इंसपेक्टर राजेश कुमार ने शिवम के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. घटना के समय शिवम की लोकेशन उस के घर की ही थी. काल डिटेल्स में एक नंबर पर इंसपेक्टर राजेश कुमार की नजर गई, उस नंबर पर शिवम की रोज कई बार बात होती थी.

घटना वाले दिन भी देर रात तक कई बार उस नंबर पर बात की गई थी. उस नंबर की जांच की गई तो वह शिवम के पड़ोस में रहने वाली रानी का निकला. घटना के समय रानी के मोबाइल फोन की लोकेशन शिवम के साथ ही थी.

8 मार्च, 2020 को इंसपेक्टर राजेश कुमार ने शिवम और रानी को गिरफ्तार कर लिया. उन से थाने ला कर पूछताछ की गई तो दोनों ने हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया. इस के बाद इंसपेक्टर कुमार ने हत्या में प्रयुक्त तकिया भी बरामद कर लिया, जिस से उन्होंने लक्ष्मी देवी का गला घोंटा था.

आवश्यक कागजी खानापूर्ति करने के बाद शिवम और रानी को सक्षम न्यायालय में पेश किया गया, वहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधार

बेटे का पाप : भाग 2

शिवम उस की तारीफ करते हुए पहले भी ऐसा कुछेक बार कर चुका था. रानी शिवम के मन की यौन जिज्ञासाओं को समझती थी. इसलिए उस की हरकतों का बुरा नहीं मानती थी.

वह जानती थी कि शिवम का मन इस से आगे कुछ और भी चाहता होगा, पर वह शिवम से यही कहती थी, ‘‘बेसब्र मत बनो, मैं तुम से प्यार करती हूं और शादी के बाद पूरी तरह तुम्हारी हो जाऊंगी, तब जो जी चाहे करना.’’

शिवम भी उस की भावनाओं को समझ कर खुद को रोक लेता था. लेकिन आज माहौल एकदम बदला हुआ था. शिवम के नग्न भीगे कसरती बदन को देख कर रानी की सोई हुई भावनाएं जाग उठी थीं. जब शिवम ने उस की पतली कमर में हाथ डाल कर जिस तरह उस के होंठों को चूमा तो उस के बदन में चिंगारियां चटखने लगी थीं.

एक फुट के फासले पर खड़े शिवम के हाथ में रानी की कलाई थी और निगाहों में एक सवाल था. वह अपलक रानी के चेहरे को निहार रहा था. जबकि रानी की झुकी हुई आंखें चोरीचोरी उस के बदन को देख रही थीं. उस की नजरों के लक्ष्य को समझ कर शिवम ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘जब तुम्हारा हूं तो मेरे शरीर का जर्राजर्रा तुम्हारा है इन पर तुम्हारा ही हक है.’’

रानी लजा गई. चेहरे पर हया की लाली फैली तो कांपते होंठों से उस ने कहा, ‘‘तुम बहुत शरारती होते जा रहे हो.’’

‘‘हुस्न का खजाना बांहों में हो तो बड़ेबड़े तपस्वी बेईमान हो जाते हैं.’’ कहते हुए शिवम रानी के एकदम करीब खिसक आया. उस ने अपने दोनों हाथ दीवार पर टिका कर उस ने रानी को अपनी जद में ले लिया. फिर धीरे से अपने होंठ उस के होंठों की तरफ  बढ़ाए.

‘‘नहीं शिवम यह ठीक नहीं है,’’ रानी ने उसे रोकना चाहा, लेकिन शिवम तब तक अपने जिस्म का बोझ उस पर डाल चुका था. तन की गरमी पा कर रानी का विरोध मंद पड़ गया.

रानी भी खुद पर नियंत्रण न रख सकी. फिर दोनों पहली बार आनंद की एक नई दुनिया की सैर को निकल गए. मंजिल मिलने के बाद ही वह एकदूसरे से अलग हुए.

रानी को हासिल करने के बाद शिवम उस का और भी दीवाना हो गया. उस की सुबह रानी से शुरू होती थी और शाम रानी पर खत्म होती थी. उन को अलग होने का बिलकुल भी मन नहीं होता था लेकिन लोकलाज के चलते शिवम अपने घर और रानी अपने घर जाने को मजबूर हो जाती.

दोनों विवाह कर के एक साथ जिंदगी बिताना चाहते थे लेकिन यह संभव नहीं था. क्योंकि वे एक जाति के नहीं थे. ऐसे में लक्ष्मी देवी कभी भी अपने बेटे शिवम को दूसरे कुल में शादी करने की अनुमति नहीं देती.

लक्ष्मी देवी पुजारिन होने के कारण धार्मिक प्रवृत्ति की थी. वह हरगिज दोनों के रिश्ते को मंजूरी नहीं देती. अपनी मां के बारे में शिवम बखूबी जानता था. ऐसे में शिवम के दिमाग में उथलपुथल मचने लगी कि क्या करे, क्या न करे.

उसे सिर्फ एक ही रास्ता सूझा कि वह आर्यसमाज मंदिर में रानी से शादी कर ले और उसे ले कर कहीं दूर चला जाए. रानी से  शिवम ने बात की तो उस का भी यही कहना था कि जब परिवार हमारे मन की करेंगे नहीं, हमारी खुशियों के बारे में नहीं सोचेंगे तो हम क्यों उन के बारे में सोचें. हम भी वही करेंगे जो हमें सही लगेगा.

आपसी सहमति के बाद दोनों ने आर्यसमाज मंदिर में विवाह कर लिया. विवाह कर के दोनों बहुत खुश थे. क्योंकि वह एक नई जिंदगी की शुरुआत जो कर रहे थे.

विवाह करने के बाद शिवम ने कुछ सोच कर अपनी मां लक्ष्मी देवी को रानी के साथ विवाह करने के बारे में बताया तो लक्ष्मी देवी ने उसे खूब खरीखोटी सुनाई, ‘‘निखट्टू घर में पड़ेपड़े मेरे दिए निवाले तोड़ता रहा, कभी एक पैसे का काम नहीं किया. अब ऊपर से चोरीछिपे शादी कर लेने की बात कर रहा है. पहले तुझे, अब उसे भी छाती पर बैठा कर खिलाऊं, ऐसा कभी नहीं हो सकता. वैसे भी मैं तेरी इस शादी को नहीं मानती.’’

‘‘आप मानो न मानो रानी से मेरी शादी हो चुकी है. मैं उसे हरगिज नहीं छोड़ सकता.’’ इतना कह कर शिवम वहां से चला गया.

लक्ष्मी देवी बैठ कर सिसकने लगी और उस दिन को कोसने लगी, जब शिवम पैदा हुआ था. वह सिसकते हुए बोली, ‘‘ऐसे कपूत से तो निपूती रहती.’’

इस के बाद मांबेटे में शादी की बात को ले कर रोज झगड़ा होने लगा.

दूसरी ओर रानी के घरवालों ने उस के लिए उपयुक्त वर देख कर उस का रिश्ता पक्का कर दिया. रानी इस से घबरा उठी. एक तरफ रानी की शादी तय हो गई, दूसरी ओर लक्ष्मी देवी उस को अपनाने को तैयार नहीं थी.

ऐसे में दोनों घर से भाग कर कहीं और अपनी दुनिया बसाने के बारे में सोचने लगे. शिवम के पास कोई कामधाम तो था नहीं, जो पैसे होते. इसलिए शिवम ने फैसला किया कि वह घर में रखे रुपए और गहने चोरी से निकाल कर रानी के साथ भाग जाएगा.

 

बेटे का पाप : भाग 1

जब किसी को किसी से प्यार हो जाए, तो उस की हालत अजीब हो जाती है. सोतेजागते उस का ही खयाल, उस के ही सपने आते हैं. सीने में अजीब सी आग भरी होने का अहसास होता है. इतना ही नहीं, आंखों और नींद में रार मच जाती है. प्रेम दीवानी रानी का यही हाल था. जब तक वह अपने प्रेमी शिवम शर्मा को देख न लेती तब तक बेचैनी उसे सताती रहती थी.

शिवम कहीं दूर नहीं रानी के घर के पास ही रहता था. बचपन से रानी उसे देखती आ रही थी. उस के प्रति मन में कभी किसी प्रकार की भावना नहीं आई थी. मोहल्ले में जैसे सब रहते थे, वैसे ही शिवम रहता था. शिवम का थोड़ा महत्त्व इसलिए था कि दूसरे लोगों के मकान कुछ फासले पर थे, जबकि शिवम रानी के घर के पास ही रहता था.

प्यार के लिए मुद्दत के इंतजार की जरूरत नहीं होती. यह तो कुदरत की वह नेमत है, जो किसी भी पल इंसान को मिल जाती है. गर्मियों की एक सुबह की बात है. कहीं जाने के लिए शिवम रानी के घर के सामने से गुजर रहा था. उस वक्त उस के जेहन में कल्पना तक नहीं थी कि कुछ क्षणों बाद उस के जीवन में एक नया मोड़ आने वाला है.

गरमी के मौसम में लू चलने के कारण धूल बहुत उड़ती है. इसीलिए लोग घरों के सामने पानी की छिड़काव कर देते हैं, ताकि धूल न उड़े.

उस सुबह रानी भी पानी से भरी बाल्टी ले कर अपने घर के सामने छिड़काव करने के लिए दरवाजे पर आई. वह यह नहीं देख पाई कि सामने से शिवम निकल रहा है. उस ने बाल्टी के पानी से मग भरा और दरवाजे से बाहर फेंक दिया. फेंका गया पानी शिवम पर गिरा. कुछ पल के लिए वह चौंक गया और उस के पैर जहां के तहां ठिठक गए.

रानी भी उसे देखती रह गई. मन में वह सोच रही थी कि यह उस से क्या हो गया. शिवम न जाने कहां जा रहा था, उस की एक गलती से उस के कपड़े भीग गए. शिवम अब उसे बहुत डांटेगा.

रानी हैरान तब हुई, जब शिवम ने अपने गीले कपड़े झटके और रानी की आंखों में देख कर मुसकराने लगा. शिवम की मुसकराहट ने रानी के डर को दूर कर दिया, वह बोली, ‘‘मैं ने तुम्हें आते नहीं देखा था, गलती से पानी फेंक दिया, माफ  कर दो.’’

‘‘गरमी के इस मौसम में ठंडा पानी मन को तरावट देता है. थोड़ी देर के लिए ही सही, ताजगी और तरावट का मजा आ गया,’’ शिवम हंसने लगा, ‘‘रही कपड़े भीगने की बात तो उस की चिंता नहीं. मौसम ऐसा है कि कुछ कदम चलते ही गरम हवा कपड़े सुखा देगी.’’ वह एक बार फिर मुसकराया और अपनी राह चल पड़ा.

शिवम की मुसकान में न जाने ऐसा क्या था कि तीर की तरह रानी के जिगर के पार हो गई. उस ने बाल्टी से पानी का मग भरा और अपने सिर पर उड़ेल लिया.

रानी की मां ने यह तमाशा देखा तो वह चिल्लाई,‘‘दरवाजे पर खड़ी हो कर तू खुद को क्यों भिगो रही है, नहाना है तो घर के भीतर आ कर नहा ले.’’

‘‘मम्मी, मैं नहा नहीं रही, ठंडे पानी से कपड़े भिगो कर खुद को ताजगी और तरावट से भर रही हूं.’’ वह बोली.

इस के बाद वह महसूस करने लगी कि जब शिवम भीगा होगा, तब उस ने ऐसा ही महसूस किया होगा. उस पल से एक अहसास ही नहीं जुड़े, दिल के तार भी जुड़ गए. बस इस के बाद शिवम बहुत तेजी से रानी के दिलोदिमाग पर छाता चला गया.

शिवम का हाल भी रानी से अलग नहीं था. पानी फेंकने में हुई चूक के बाद उस का हैरान चेहरा और फैली आंखें शिवम के दिल में बस गई थीं.

बस इसी एक बात ने उस की सोच को नई दिशा दे दी. शिवम ने रानी के बारे में सोचा तो वह यकायक अपनी सी लगने लगी. दिल भी उछल कर बोलने लगा कि हां उसे भी रानी से प्यार हो गया है.

ताजनगरी आगरा के जगदीशपुरा थाना क्षेत्र के वैशाली नगर, नगला गूजर में रमेश चंद्र शर्मा रहते थे. परिवार में उन की पत्नी लक्ष्मी देवी और इकलौता पुत्र शिवम शर्मा था. रमेश चंद्र पंडिताई का काम करते थे. उसी से परिवार का खर्च चलता था.

करीब 12 साल पूर्व रमेश चंद्र की आकस्मिक मृत्यु हो गई थी. अब लक्ष्मी देवी पर अपना और बेटे का पेट भरने और उसे अच्छी जिंदगी देने की जिम्मेदारी आ गई.

पति की पंडिताई को करते देखते हुए लक्ष्मी भी उस में पारंगत हो गई थी. इसलिए पति की मृत्यु के पश्चात एक मंदिर की पुजारिन बन गई. वहां आने वाले चढ़ावे से अपना और बेटे का पेट पालने लगी.

25 साल के हो चुके शिवम ने केवल इंटरमीडिएट तक ही पढ़ाई की थी. उस ने कुछ दिन एक कपड़े की दुकान पर काम किया, फिर वहां से छोड़ दिया. बेरोजगारी में दिन काटने लगा. मां जो लाती उसी में वह गुजारा कर लेता.

लक्ष्मी देवी के मकान के पास ही कालीचरण का मकान था. 20 वर्षीय रानी कालीचरण की ही बड़ी बेटी थी. रानी ने हाईस्कूल तक ही पढ़ाई की थी. पासपास रहने के कारण दोनों परिवार एकदूसरे से परिचित थे.

बचपन से रानी और शिवम एकदूसरे को देखते आ रहे थे. किशोरावस्था को पार कर के युवावस्था में प्रवेश कर गए, तब भी उन के मन नहीं मचले. उस दिन पानी के मग ने दोनों के बीच एक बेनाम रिश्ता बना दिया. ऐसा बेनाम रिश्ता जिस में तड़प, बेचैनी, कसक और प्यार था.

उस दिन से शिवम और रानी की आंखें एकदूजे के दीदार की प्यासी रहने लगीं. शिवम फुरसत में होता तो वह अपने घर के चबूतरे पर बैठा होता. मन रानी के बारे में सोच रहा होता और प्यासी आंखें उस के द्वार पर टकटकी लगाए होतीं.

शिवम को देखने के लिए किसी बहाने से रानी भी घर के बाहर आ जाती. दोनों की आंखें मिलतीं तो दोनों के लब खिल जाते. इस के साथ ही धड़कनों की गति बढ़ जाती.

रानी और शिवम में बातचीत होनी सामान्य बात थी. पूरे मोहल्ले के सामने बात भी करते तो उन के रिश्ते पर कोई शक नहीं करता. कहते हैं कि न, जब प्यार होता है तो मन में चोर भी पैदा हो जाता है. रानी और शिवम के मन में भी चोर पैर जमाए बैठा था. सो एकांत में सामना होते ही मानो उन की हिम्मत जवाब देने लगती.

शिवम को भी डर लगता कि प्रेम निवेदन सुन कर रानी भड़क गई तो सिर पर इतने जूते पड़ेंगे कि वह गंजा हो जाएगा.

कुछ दिन यूं ही आंखमिचौली चलती रही, फिर एक दिन मौका मिला तो शिवम ने हिम्मत कर के मन की बात कह दी, ‘‘रानी, मुझे तुम से प्यार हो गया है, अब तुम भी अपने प्यार को जता कर मेरे दिल की रानी बन जाओ.’’

शर्म से रानी के गाल गुलाबी हो गए. उस ने सिर झुका लिया और पैर के अंगूठे से जमीन खुरचने की नाकाम कोशिश करने लगी.

रानी के अंदाज से वह समझ गया कि डरने की कोई बात नहीं. रानी भी उस से प्यार करती है.

प्रेम तभी आनंद देता है जब उस का प्रदर्शन किया जाए. शिवम भी रानी के मुंह से उस के दिल का हाल सुनना चाहता था. इसलिए उसे बोलने के लिए उकसाया, ‘‘कहो न, तुम भी मुझ से प्यार करती हो?’’

रानी ने सिर उठा कर शिवम की आंखों में देखा, उस के बाद पुन: नजरें नीची कर लीं. मुसकराई, इकरार में सिर हिलाया और तेजी से उस के सामने से हट गई. शिवम का दिल बल्लियों उछलने लगा, वह समझ गया कि रानी को भी उस से प्यार है.

मोहब्बत का इजहार और इकरार होते ही रानी व शिवम की प्रेम कहानी शुरू हो गई. कभी शिवम का सूना घर, कभी पार्क तो कभी सुनसान स्थान रानी और शिवम की मोहब्बत के खामोश गवाह बनने लगे.

शिवम की मां मंदिर चली जाती तो घर में शिवम ही अकेला रह जाता था. ऐसे में रानी मिलने के लिए शिवम के घर आ जाती थी. वहां उस से घंटों बतियाती, प्यार भरी बातें करती.

एक रोज रानी सजसंवर कर शिवम के घर पहुंची. उस ने नया सूट पहन रखा था. शिवम के कमरे में दाखिल हुई तो उसे शिवम नहीं दिखा, वह बाथरूम में था. रानी ने आवाज लगाई, ‘‘शिवम!’’

‘‘कौन?’’ शिवम ने बाथरूम के अंदर से ही पूछा.

‘‘अच्छा तो जनाब मेरी आवाज भी नहीं पहचानते. आ कर बताऊं कौन हूं मैं?’’ रानी का लहजा शरारत भरा था.

‘‘बिलकुल आ जाओ, मैं कौन सा डरता हूं.’’ वह बोला.

रानी को लगा कि इस समय अन्य कोई वहां आ गया तो बदनामी होगी उस की. वह वापस मुड़ी और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया. दरवाजा बंद करने के बाद उस ने बाथरूम के दरवाजे पर दस्तक दी तो शिवम ने उसे अंदर खींच लिया. शिवम मात्र अंडरवियर पहने हुए था. उस का पूरा शरीर पानी से भीगा हुआ था.

शिवम की आंखों में शरारत नाच रही थी. उस ने रानी को करीब खींचा तो वह चिहुंक उठी, ‘‘छोड़ो मेरा सूट गीला हो जाएगा, आज ही पहना है इसे. मैं तो तुम्हें अपना सूट दिखाने आई थी कि तारीफ  क रोगे तुम मेरी.’’

‘‘तारीफ  तो मैं तुम्हारी हमेशा करता हूं, आज फिर से कह रहा हूं कि तुम से हसीन इस जहां में कोई नहीं है.’’ कहते हुए शिवम ने उस के होंठों को चूम लिया.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

जागरूकता: ठगों के तरह-तरह के रूप

ठगों के अलगअलग अंदाज और किरदार देख कर आम लोग सम झ ही नहीं पाते हैं और जब तक वे सम झ पाते हैं, तब तक ठगी के शिकार हो जाते हैं.ठग कभी अनपढ़गंवार के रूप में सामने आते हैं, तो कभी गांव के ठेठ देहाती बन जाते हैं. वे कभी भगवान दिखाने वाले बहुरुपिए होते हैं, तो कभी लखपतिकरोड़पति बनाने का आसान तरीका बताते हैं. ठगी का शिकार आखिर में सिर्फ हाथ मलता रह जाता है, क्योंकि पुलिस भी ठगों को पकड़ कर उस का लूटा गया सामान और रुपयापैसा लौटा पाने में निकम्मी ही साबित होती है.ठग अपना उल्लू तो सीधा कर लेते हैं, लेकिन लूटा गया इनसान कई तरह की परेशानियों में घिर जाता है. लापरवाह इनसान को ठग आसानी से अपना शिकार बना लेते हैं. ठगी के अनोखे अंदाज देखिए :

अनपढ़ बन कर मांगते मदद

अगर बैंक में कभी कोई अनपढ़गंवार इनसान मदद मांगे तो सावधान हो जाएं, क्योंकि वह आप को चूना लगा कर फुर्र हो सकता है.छत्तीसगढ़ में रायपुर के उइला की एक बैंक में एक कंपनी में काम करने वाला नरेश पैसे जमा करवाने पहुंचा. वहां 2 नौजवानों ने खुद को अनपढ़गंवार बताते हुए उस से मदद मांगी.

मदद मांगने पर नरेश ने न सिर्फ उन का फार्म भर दिया, बल्कि अपना बैग उन्हें थमा कर उन के पैसे जमा करने खुद लाइन में लग गया. उन नौजवानों ने नरेश को कागज में लिपटी गड्डी दी और कहा कि इस में एक लाख रुपए हैं. नरेश ने भरोसे में उसे खोल कर नहीं देखा. काउंटर पर पता चला कि गड्डी में नोट नहीं कोरे कागज के टुकड़े थे. बदहवास नरेश को कुछ नहीं सू झा. जब तक वह कुछ सम झ पाता, ठग कहीं दूर जा चुके थे. नरेश के बैग में 30,000 रुपए थे.

बेईमान बनते हैं ईमानदार

किसी को अगर लूटना या ठगना है, तो अपनी ईमानदारी का सुबूत पेश कर दो, फिर आसानी से आप उसे चूना लगा सकते हैं. ऐसा ही एक वाकिआ रायपुर गुढि़यारी के अंबे एग्रो इंडस्ट्रीज के कैशियर सुरेश कुमार के साथ हुआ था. वे अपनी कंपनी के लिए चैक से 2 लाख रुपए कैश कराने आए थे. रुपए कैश करा कर उन्होंने अपनी बाइक के हैंडल में उन्हें रखा था. इतने में सामने से गुजरते हुए एक नौजवान ने उसे कुछ रुपए गिरने की बात बताई.

सुरेश ने पलट कर देखा, तो 50-100 के नोट सड़क पर गिरे पड़े थे. उन्हें लगा कि रुपए जेब से गिरे हैं. लिहाजा, वे पैसे उठाने के लिए आगे बढ़े. इतने में दूसरे नौजवान ने दौड़ कर उन की बाइक से बैग उठाया और वहां से भाग निकला.

जब तक सुरेश कुमार माजरा सम झ पाते, तब तक लुटेरा भाग निकला. इसी बीच रुपए दिखा कर भटकाने वाला नौजवान भी फरार हो चुका था.

ऐसी ही ठगी के शिकार हुए सैयद अख्तर. रायपुर विजया बैंक कचहरी चौक पर ट्रांसपोर्टर सैयद अख्तर बैंक से पैसे ले कर निकले और उन्हें कार की पिछली सीट पर रख दिया. पीछे से एक ठग ने जमीन पर उन से रुपए गिरने की बात कही. जैसे ही सैयद अख्तर रुपए उठाने के लिए झुके, ठग कार से रुपयों से भरा बैग ले कर भाग निकला.

पता पूछते हैं ठग अपने जाल में शिकार को फांसने के लिए कई तरीके अपनाते हैं. कई बार वे शहर में अजनबी होने की बात कह कर किसी का पताठिकाना पूछते हैं. यह पूछने का उनका असल मकसद ठगी करना होता है. बूढ़ापारा के रहने वाले उत्तम चंद्र जैन चांदी के व्यापारी हैं. इन्होंने अपने ड्राइवर को बैंक से 2 लाख रुपए कैश करा कर निकालते देखा. बस, फिर क्या था. वहीं से उन का पीछा किया गया.

ड्राइवर ने रुपए अपनी बाइक की डिक्की में रखे थे. जैसे ही वे घर के सामने रुके, ठग उन के करीब पहुंच कर किसी का पता पूछने लगे. ड्राइवर ने अपनी गाड़ी खड़ी की और आगे जा कर कहा कि इस गली से जाइए, आगे चौक पर उन का मकान है. इतने में पीछे से एक नौजवान आया और डिक्की खोल कर रुपए ले कर तेजी से भाग खड़ा हुआ. ड्राइवर ने पलट कर देखा, तो वह बहुत दूर जा चुका था. पता पूछने वाला ठग भी अपनी बाइक से फरार हो गया.

लखपति बनाने का  झांसा उपहार योजना में लखपति बनाने और बैंकौक घुमाने का  झांसा दे क 8 करोड़ रुपए की ठगी की जा रही है. नरेंद्र मोदी योजना का नाम ले कर रजिस्ट्रेशन कराने के बहाने औरतों से पैसे जमा किए जाते हैं.

ठगों ने  झांसे में फांसने के लिए तगड़ी प्लानिंग की. रामपुर आरंभ में रहने वाले विजय और अमित ने सदस्य बनाने के लिए बड़ेबड़े होटलों में पार्टियां आयोजित की. पूरा आयोजन इतनी शानोशौकत से किया जाता था कि औरतें उस के झांसे में आ जाएं और तुरंत सदस्य बन जाएं.

सदस्यों से हर महीने की किस्त के रूप में 6,000 रुपए लेने का प्रावधान रखा गया. योजना में शामिल होने के लिए कहा गया कि हर महीने एक लकी ड्रा निकाला जाएगा, जिस का पहला पुरस्कार एक लाख रुपए, दूसरा बैंकौक का टूर और अन्य पुरस्कार के रूप में टीवी, फ्रिज वगैरह देने का औफर दिया गया. अंत में योजना पूरी होने के बाद पूरी रकम ब्याज समेत लौटाने का वादा किया गया.

इतना मुनाफा और घूमने का मौका देख कर लोग इन के  झांसे में आ गए. सदस्य उस समय सकते में आ गए, जब उन्होंने योजनाकारों के दफ्तर में महीनों से ताला लटका देखा. तब उन्हें सम झ आया कि वे ठगे गए हैं. लखपति तो नहीं बन पाए, हां, पुलिस और अदालत के चक्कर शुरू हो गए.

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रुस्तम नगर के रहने वाले पवन शर्मा ने छोटे नोट ले कर बड़े नोट देने पर डबल करने का  झांसा दिया. लोगों को भरमाया कि वह एक के 3 गुना पैसे कर के तुरंत देगा.

जब इस तरह कुछ लोगों को 3 गुना पैसे मिलने की बात जाहिर हो गई, तो लोगों की लंबी कतारें लग गईं. बिना मेहनत किए पैसे को तिगुना करने के लालची लोगों ने न सिर्फअपने घर और जेवर गिरवी रखे, बल्कि बच्चों को भी गिरवी रख दिया. लापरवाह होते हैं शिकार ठगी के शिकार लोगों की गहराई से स्टडी करने पर यह बात सामने आई कि ज्यादातर लोग लापरवाह होते हैं, जिस के चलते वे ठगी के शिकार होते हैं.

अब नरेश को ही लीजिए, जो बैंक में पैसे जमा करने गया था. ठग ने अनपढ़गंवार बन कर उस से मदद मांगी. मदद के नाम पर उस ने उस आदमी का फार्म भी भरा और उस से नकली रुपए की गड्डी ले कर जमा कराने लाइन में खड़ा हो गया.

यहां चूक नरेश से यह हुई कि वह अपना रुपए से भरा बैग उस अनजान आदमी को थमा गया. अगर वह ऐसी लापरवाही नहीं करता, सावधानी बरतता, रुपए से भरा बैग अपने पास ही रखता तो शायद वह न लुटता.

कुछ ऐसा ही किया उत्तम चंद्र जैन के ड्राइवर ने. उन्होंने बाइक की डिक्की में रुपए रख दिए और गाड़ी छोड़ कर अनजान आदमी को पता बताने चले गए. ठग ऐसी ही लापरवाही के इंतजार में रहते हैं. लालच में न आएं आज के भौतिकवादी युग में लोग ज्यादा से ज्यादा पैसा पाने का लालची हो गया है. जब कोई लखपति बनाने का  झांसा देता है, तो आदमी उस का शिकार हो जाता है. लोगों की इसी लालची सोच का फायदा उठा कर विजय और अमित ने वीसी उपहार योजना चला कर एक  झटके में 8 करोड़ रुपए ठगे और फरार  हो गए.

लोग यह सोचने की जहमत नहीं उठाते हैं कि आखिर कोई कैसे कुछ ही दिनों में एक का 3 तिगुना पैसा दे सकता है? अगर यहां गहराई से सोचें तो धोखे की गंध आ ही जाती है, लेकिन लालच में अंधा इनसान सोचने की ताकत नहीं रखता. लिहाजा, इनसान की ऐसी लालची सोच का फायदा अहमदाबाद के अशोक जडेजा जैसे शख्स आसानी से उठा लेते हैं.

क्यों कोसते हैं पुलिसको अगर आप सावधान नहीं हैं, अपने काम के प्रति जवाबदेह नहीं हैं, सचेत नहीं हैं, मिनटों में लखपति, करोड़पति बनना चाहते हैं और ठगी का शिकार हो जाते हैं, तो पुलिस प्रशासन को मत कोसिए. ऐसी ठगी के लिए आप खुद जिम्मेदार हैं. आखिर पुलिस एकएक आदमी की हिफाजत नहीं कर सकती. अपने जानमाल की हिफाजत की सब से पहली जवाबदेही आदमी की अपनी होती है.

अकसर लोग असावधानी और हद दर्जे की लालची सोच के चलते ठगे जाते हैं. पुलिस का काम पुलिसिंग का 2 पार्ट प्रिवैंशन और डिटैक्शन होता है. प्रिवैंशन का मतलब अपराध की रोकथाम के लिए किए जाने वाले उपाय. अपराध हो जाने के बाद पुलिस अपराधियों को पकड़ने के लिए जो कार्यवाही करती है, वह डिटैक्शन के तहत आता है.

पुलिस डिटैक्शन पर ज्यादा ध्यान देती है. ठगी, चोरी, लूटपाट की वारदात होने के बाद पुलिस इन्हें पकड़ने में ज्यादातर नाकाम ही साबित होती है. अपराध हो ही न, इस के लिए पुलिस प्रशासन को प्रिवैंशन की प्राथमिकता देनी चाहिए. इस के लिए पुराने अपराधियों पर निगाह रखी जानी चाहिए. बाहर से आने वालों पर कड़ी निगाह रखी जाए. बदमाशों के जमावड़े वाले ठिकाने जैसे ढाबा, गुमटियां और गलीमहल्लों में लगातार छापेमारी की जानी चाहिए. प्रिवैंशन का खास तरीका गश्त होता है. गश्त में पुलिस को पूरी ताकत  झोंकनी चाहिए.

Best Of Manohar Kahaniya: माशूका की खातिर- भाग 1

3 अक्तूबर, 2017 को भैरवनाथ के छोटे बेटे अभय का जन्मदिन था. उस ने इस अवसर पर घर पर एक पार्टी का आयोजन किया था. उस पार्टी में भैरवनाथ ने बोकारो से अपने पिता राजेंद्र प्रसाद और मां गायत्री देवी को भी धनबाद में अपने कमरे पर बुला लिया था. पार्टी में भैरवनाथ ने कालोनी में रहने वाले अपने कुछ जानने वालों को भी बुलाया था. देर रात तक चली पार्टी में भैरवनाथ के बच्चों ने भी खूब मजे किए. बच्चों के साथ बड़ों ने भी इस मौके पर खूब डांस किया था.

कुल मिला कर पार्टी सब के लिए यादगार रही. पार्टी एंजौय से घर के सभी लोग थक गए थे. उन की टांगों ने जवाब देना शुरू कर दिया था, इसलिए वे अपनेअपने कमरों में सोने के लिए चले गए. थकान की वजह से उन्हें जल्द ही नींद भी आ गई.

अगली सुबह रोजमर्रा की तरह घर में सब से पहले राजेंद्र प्रसाद उठे. देखा घर में सन्नाटा पसरा था. उन्होंने सोचा कि रात काफी देर तक बच्चों ने पार्टी का आनंद लिया था, उस की थकान की वजह से देर तक सो रहे हैं.

यही सोचते हुए वह घर से वह बाहर टहलने के लिए निकल गए. थोड़ी देर बाद जब वह वापस घर लौटे तो घर में वैसा ही सन्नाटा था, जैसा जाने से पहले था. यह देख कर उन का माथा ठनका. ऐसा पहली बार हुआ था कि जब बहू अनुपमा और बच्चे इतनी देर तक सो रहे हैं. वह बच्चों को उठाना चाहते थे.

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राजेंद्र प्रसाद पहले बेटे भैरवनाथ के कमरे तक गए तो उस के कमरे पर बाहर से सिटकनी बंद मिली. यह देख कर वे चौंक गए कि सुबहसुबह बेटा और बहू बच्चों को ले कर कहां चले गए, जबकि बाहर जाते हुए वह उन्हें दिखाई भी नहीं दिए थे. सिटकनी खोल कर जैसे ही उन्होंने दरवाजे से भीतर झांका तो बुरी तरह चौंके. बैड पर बहू अनुपमा और दोनों बच्चों की रक्तरंजित लाशें पड़ी थीं. वे चीखते हुए उल्टे पांव वहां से भाग खड़े हुए.

चीखने की आवाज सुन कर उन की पत्नी गायत्री देवी की नींद टूट गई. वह तेजी से उस ओर लपकीं, जिस तरफ से आवाज आई थी. उन्होंने देखा कि आंगन के पास उन के पति खड़े थरथर कांप रहे थे. अभी भी गायत्री ये नहीं समझ पा रही थीं कि उन्होंने ऐसा क्या देख लिया जो कांप रहे हैं. उन्होंने पति को झकझोरते हुए पूछा, ‘‘क्या हुआ?’’

‘‘अरे भैरव की मां, गजब हो गया. किसी ने बहू और दोनों बच्चों का कत्ल कर दिया है. बिस्तर पर तीनों की लाशें पड़ी हैं.’’ कह कर राजेंद्र प्रसाद जोरजोर से रोने लगे.

इतना सुनना था कि गायत्री भी रोनेबिलखने लगीं. वह रोती हुई बोलीं, ‘‘अरे भैरव को बुलाओ, देखो कहां है?’’

‘‘घर में वह कहीं दिखाई नहीं दे रहा. पता नहीं सुबहसुबह कहां चला गया.’’ राजेंद्र प्रसाद ने कहा.

भैरवनाथ के घर में सुबहसुबह रोने की आवाज पड़ोसियों ने सुनी तो वे भी परेशान हो गए. इंसानियत के नाते कुछ लोग भैरवनाथ के घर जा पहुंचे. कमरे में 3-3 लाशें देख कर उन के पैरों तले से जमीन खिसक गई. इस के बाद तो देखतेदेखते वहां मोहल्ले के काफी लोग जमा हो गए.

दिल दहला देने वाली घटना को देख कर लोगों का कलेजा कांप उठा. उसी दौरान किसी ने 100 नंबर पर फोन कर के सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. धनबाद की न्यू कालोनी जहां यह घटना घटी थी, वह क्षेत्र बरवा अड्डा के अंतर्गत आता है, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना थाना बरवा अड्डा को प्रसारित कर दी गई.

तिहरे हत्याकांड की सूचना मिलते ही बरवा अड्डा के थानाप्रभारी मनोज कुमार एसआई दिनेश कुमार और अन्य पुलिस वालों के साथ न्यू कालोनी पहुंच गए. यह जानकारी उन्होंने एसपी पीयूष कुमार पांडेय और डीएसपी मुकेश कुमार महतो को भी दे दी. सूचना दे कर उन्होंने डौग स्क्वायड और फोरैंसिक टीम को भी मौके पर बुला लिया.

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पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल की जांच शुरू कर दी थी. छानबीन के दौरान सब से पहले थानाप्रभारी मनोज कुमार ने राजेंद्र प्रसाद और उन की पत्नी गायत्री देवी से पूछताछ की. उन से पता चला कि भैरवनाथ सुबह से ही गायब है. वह कहीं दिखाई नहीं दिया. यह सुन कर थानाप्रभारी का माथा ठनका.

लाश के पास धमकी भरा पत्र भी मिला

छानबीन के दौरान घटनास्थल से आधार कार्ड की फोटोकौपी पर लाल स्याही से लिखा धमकी भरा 3 पन्नों का खत मिला. खत सिरहाने दूध की बोतल के नीचे दबा कर रखा गया था. लिखने वाले ने अपना नाम नहीं लिखा था. इस में अज्ञात ने राजेंद्र प्रसाद को धमकी दी थी, ‘‘गवाही देने के चलते तुम्हारे बेटे भैरवनाथ का अपहरण कर के ले जा रहे हैं. उस की भी लाश मिल जाएगी. तुम्हारे बेटे ने एक लाख दिया है. 2 लाख रुपए दे कर इसे ले जाना. पुलिस को इस की सूचना नहीं देना वरना अंजाम और भयानक हो सकता है.’’

पत्र पढ़ कर पुलिस को किसी साजिश की आशंका होने लगी.

पुलिस को शक था कि भैरवनाथ ने ही हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद जांच को गुमराह करने के लिए यह पत्र लिखा है. पुलिस कई बिंदुओं पर छानबीन करने लगी.

राजेंद्र प्रसाद से पुलिस ने भैरवनाथ का मोबाइल नंबर लिया. पुलिस ने जब उस नंबर पर काल की तो उस का मोबाइल फोन स्विच्ड औफ आ रहा था. पुलिस ने मौके से बरामद पत्र को अपने कब्जे में ले लिया ताकि उसे जांच के लिए भेजा जा सके.

लाशों का मुआयना करने पर पता चला कि तीनों की हत्याएं अलगअलग तरीके से की गई थीं. अनुपमा का किसी चीज से गला घोंटा गया था, जबकि दोनों बच्चों की हत्या गला रेत कर की गई थी. दूसरे कमरे में अनुपमा के कपड़े फर्श पर बिखरे पड़े मिले थे. अलमारी भी खुली हुई थी. लग रहा था जैसे उस में कुछ ढूंढा गया हो.

सीआईएसएफ की डौग स्क्वायड टीम ने घटनास्थल की जांच की. खोजी कुत्ता शव को सूंघने के बाद घर की सीढ़ी से छत के ऊपर गया और फिर नीचे उतर कर घर से करीब ढाई सौ मीटर दूर एक जुए के अड्डे तक पहुंचा. वहां शराब की बोतल और ग्लास मिले. टीम को शक हुआ कि हत्या के बाद हत्यारों ने यहां आ कर शराब पी होगी.

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सूचना पा कर अनुपमा के पिता राजेंद्र राय परिवार के अन्य लोगों के साथ हजारीबाग के गैडाबरकट्ठा से मौके पर पहुंच गए. उन्होंने आरोप लगाया कि बेटी और उस के बच्चों को भैरवनाथ, उस के पिता राजेंद्र प्रसाद और मां गायत्री ने मिल कर मारा है.

उन से बातचीत करने के बाद पुलिस ने जरूरी काररवाई पूरी कर के जब लाशों को पोस्टमार्टम के लिए भेजने की तैयारी की, तभी अनुपमा के घर वालों ने पुलिस का विरोध करते हुए मांग की कि पहले आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए. घटना की सूचना पर विधायक फूलचंद मंडल, जिला पंचायत सदस्य दुर्योधन प्रसाद चौधरी, कांग्रेस नेता उमाचरण महतो आदि ने मौके पर पहुंच कर पीडि़त परिवार के लोगों को ढांढस बंधाया और एसपी पीयूष कुमार पांडेय से हत्या में शामिल लोगों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की मांग की.

एसपी ने आश्वासन दिया कि जल्द ही केस का खुलासा कर हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. उन के आश्वासन के बाद ही घर वालों ने शव उठाने दिए.

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सौजन्य-मनोहर कहानियां

राजेंद्र काफी समझदार और सुलझे हुए इंसान थे. इस बात को वह अच्छी तरह से समझ रहे थे कि दामाद ने जो किया है, वह उचित नहीं है. लेकिन गलतियां इंसान से ही होती हैं.

उस से भी एक भूल हुई है. निश्चय ही उस की यह पहली गलती है, अपनी भूल को सुधारने के लिए उसे एक मौका देना चाहिए. उन्होंने बेटी को समझाया. जमाने भर की उसे नसीहत दी, तब जा कर वह पति के पास लौट जाने को तैयार हुई.

माफी मांगने के बाद भी मिलता रहा प्रेमिका से

उस के बाद राजेंद्र ने इस संबंध में दामाद से बात की. उसे समझाया कि उस ने जो किया है, वह गलत है. फिर कहा, ‘‘तुम्हारा भरपूरा परिवार है. पत्नी और 2 बच्चे हैं. उन मासूम बच्चों का तनिक भी खयाल नहीं आया.’’

ससुर की बात सुन कर भैरव काफी शर्मिंदा हुआ. उस ने ससुर से वादा किया कि उस से दोबारा ऐसी गलती नहीं होगी. यह जून, 2017 की बात है.

एक महीने अनुपमा मायके में रही. पिता के समझाने के बाद वह बच्चों को ले कर पति के पास धनबाद लौट आई. भैरवनाथ ने पत्नी को भरोसा दिया कि दोबारा ऐसा नहीं होगा. लेकिन कुछ दिनों बाद भैरव फिर पुरानी हरकतें करने लगा. लेकिन इस बार सजग हो कर और पत्नी से छिप कर प्रेमिका रूपा से बातें करता था. फिर भी अनुपमा को पति पर शक हो गया कि वह अभी भी रूपा से बातें करता है.

इस बार अनुपमा ने हजारीबाग के रेवाली के रहने वाले अपने ममेरे भाई विवेक राय से बात की. वह भी धनबाद में ही रहता था. विवेक ने किसी तरह उस के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. उस से पता चला कि भैरव किसी एक नंबर पर ज्यादा बातें करता है. उस नंबर पर विवेक ने काल की तो उसे एक महिला ने रिसीव किया. यह बात विवेक ने अनुपमा को बता दी. अब अनुपमा का शक यकीन में बदल गया कि भैरव के अभी भी रूपा से संबंध बने हुए हैं.

इस के बाद रूपा को ले कर अनुपमा का पति से रोज झगड़ा होने लगा. घर की सारी बातें भैरव रूपा से बता देता था. उसे रूपा दिलोजान से मोहब्बत करती थी. उस से अलग रहने की बात वह सोच भी नहीं सकती थी. ऐसा ही हाल भैरव का भी था. वह रूपा के बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता था.

एक दिन रूपा भैरव के साथ रहने की जिद पर अड़ गई लेकिन पत्नी अनुपमा इस के लिए कतई तैयार नहीं थी. भैरव भारी दबाव में था. इस कारण वह तनाव में रहने लगा. वह किसी भी हालत में रूपा को नहीं छोड़ना चाहता था.

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अपनी पत्नी और बच्चे उसे रास्ते का कांटा दिखने लगे क्योंकि उन के होते हुए वह रूपा को घर नहीं ला सकता था. अंत में उस ने पत्नी और बच्चों को रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया. इस के लिए उसे बेटे अभय के जन्मदिन का मौका सब से अच्छा लगा.

3 अक्तूबर, 2017 को भैरव के बेटे अभय का जन्मदिन था. उस ने एक पार्टी का आयोजन किया. पार्टी में उस के मांबाप, मकान में रह रहे अन्य किराएदार, कुछ रिश्तेदारों, मोहल्ले वालों के अलावा रूपा भी आई थी. रूपा को जैसे ही अनुपमा ने देखा, उस का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया. तब पार्टी का मजा किरकिरा हो गया. अनुपमा आगबबूला हो गई और रूपा से उलझ गई. दोनों में काफी झगड़ा हुआ.

वह कभी नहीं चाहती थी कि उस की सौतन बनी रूपा उस के पति के गले की हड्डी बन जाए. रूपा समझ गई थी कि अनुपमा उसे देख कर खुश नहीं है. लेकिन उसे इस से कोई फर्क पड़ने वाला नहीं था.

वह अपनी राह के रोड़े को जल्द से जल्द हटा हुआ देखना चाहती थी. रूपा पार्टी के दौरान भैरव को बारबार उकसाती रही कि मौका अच्छा है, हाथ से जाना नहीं चाहिए. बहरहाल, रात साढ़े 9 बजे केक कटा और खुशी का माहौल था. पार्टी के बाद बाहर के आए लोग अपने घरों को चले गए. रात साढ़े 12 बजे बिजली गुल हो गई, जो करीब 2 बजे आई. तब तक घर के लोग जागे हुए थे. बिजली आने के बाद परिवार के सभी लोग अपनेअपने कमरों में सो गए.

आभा और अभय दादी गायत्री देवी के कमरे में सो रहे थे. भैरव ने दादी के पास सो रहे बच्चों को अपने बैडरूम में पत्नी के पास ला कर सुला दिया. क्योंकि उसे अपनी योजना को अंजाम जो देना था. उधर रूपा के आने से नाखुश अनुपमा पहले ही कमरे में आ कर सो गई थी. बिजली आने के बाद रूपा अपने दूसरे रिश्तेदार के यहां चली गई ताकि उस पर कोई संदेह न करे.

ऐसे दिया वारदात को अंजाम

योजना के अनुसार, तड़के 3 बजे के करीब भैरवनाथ दबेपांव बिस्तर से नीचे उतरा. कमरे से निकल कर बाहर आया. दूसरे कमरे में सो रहे मांबाप के दरवाजे पर उस ने सिटकनी चढ़ा दी. फिर लौट कर वह अपने कमरे में आया, जहां पत्नी और बच्चे गहरी नींद में सो रहे थे. उस ने जूते के फीते से पत्नी का गला उस वक्त तक दबाए रखा, जब तक उस की मौत नहीं हो गई. फिर बाजार से खरीद कर लाए चाकू से पहले बेटी आभा फिर अभय का गला रेत कर मौत के घाट उतार दिया.

उस नराधम का ऐसा करते हुए एक बार भी हाथ नहीं कांपा. फिर साक्ष्य छिपाने और खुद को बचाने के लिए अपने हाथों से लिखे 3 पन्नों के लेटर को बैड के पास ऐसे मोड़ कर रखा ताकि किसी की भी नजर उस पर आसानी से पड़ जाए.

घटना को अंजाम देने के बाद भैरवनाथ भोर में 4 बजे के करीब भाग कर धनबाद रेलवे स्टेशन पहुंचा. वहां से होते हुए रांची चला गया. वहां से पटना होते हुए मुंबई चला गया. मुंबई में ठिकाना नहीं मिलने पर फ्लाइट से फिर पटना लौटा और पटना से रांची होते हुए 14 अक्तूबर को बोकारो के जैनामोड़ पहुंचा.

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उस के पास के सारे पैसे खत्म हो चुके थे, इसलिए वहां के एक दुकानदार के पास अपना मोबाइल गिरवी रख दिया. उस ने खुदकुशी के इरादे से जैनामोड़ में ही सल्फास की 4 गोलियां खा लीं और अपने घर पहुंचा. घर पहुंचते ही तबीयत बिगड़ने पर परिजनों ने उसे बीजीएच हौस्पिटल में भरती करा दिया, जहां से धनबाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उस से सल्फास की गोलियों के बारे मे पूछताछ की तो उस ने मोबाइल गिरवी रख कर सल्फास खरीदे जाने की बात बताई. पुलिस उसे ले कर उस दुकान पर पहुची, जहां उस ने अपना फोन गिरवी रखा था. भैरवनाथ की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त जूते का फीता और मोबाइल फोन भी बरामद कर लिया.

इस के बाद पुलिस ने हत्या के लिए उकसाने के आरोप में रूपा देवी को उस की ससुराल भाटडीह, मुदहा से 24 अक्तूबर, 2017 को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उस ने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया. दोनों से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. केस की जांच थानाप्रभारी मनोज कुमार कर रहे हैं.

– कथा पुलिस सूत्रों और सोशल मीडिया पर आधारित

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