इंसपेक्टर भीमसिंह पटेल को पुलिस विभाग की सेवा करते लंबा समय बीत चुका था, लेकिन 20 फरवरी, 2022 को उन के साथ यह पहली बार हुआ था कि नए थाने का चार्ज संभालते ही उन्हें हत्या जैसी गंभीर वारदात से दोचार होना पड़ा. हुआ यह कि जिस दिन इंसपेक्टर भीमसिंह पटेल ने उज्जैन जिले के तराना थाने का चार्ज संभाला ही था कि इलाके के गांव कनादी जिवासी जितेंद्र सिंह ने खुद थाने आ कर उन्हें बताया कि कल रात से लापता हुई उस की 27 वर्षीय पत्नी भागवंता बाई की लाश आज सुबह गांव के बाहर पड़ी मिली है. उस ने टीआई पटेल को यह भी बताया कि भागवंता बाई का सिर बुरी तरह कुचला है इस से लगता है कि किसी ने उस की क्रूरता से हत्या की है.
थाने की जिम्मेदारी मिलते ही सामने आई इस गंभीर वारदात की सूचना उन्होंने तत्काल एसडीपीओ राजाराम आवाश्या और एसपी (उज्जैन) सत्येंद्र कुमार शुक्ला को दे कर पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. गांव में भागवंता बाई के घर के पिछवाड़े कुछ ही दूरी पर उस का सिर कुचला शव पड़ा था. शव के पास ही भारी वजन वाले कई खून सने पत्थर पड़े थे. इस से उन्होंने अंदाजा लगा लिया कि हत्यारे गिनती में 2 से भी ज्यादा रहे होंगे. इसी बीच एसपी सत्येंद्र शुक्ला के निर्देश पर एएसपी आकाश भूरिया के अलावा एफएसएल की टीम के साथ डौग स्क्वायड ने भी गांव में पहुंच कर अपना काम शुरू कर दिया.
इस बीच प्रारंभिक पूछताछ में मृतका भागवंता बाई के पति जितेंद्र ने बताया कि वह रोज की तरह कल मैसोदा कोल्ड स्टोरेज में हम्माली का काम खत्म कर रात लगभग 12 बजे घर लौटा तो पत्नी भागवंता बाई की गैरमौजूदगी में बच्चों को रोता पाया.
पूछने पर उन्होंने मां के काफी देर से घर पर न होने की बात बताई. उस ने रात में ही अपने एक भाई को ले कर उसे तलाश किया, जिस में पूरी रात खोजने के बाद उस का शव घर के पीछे जंगल में पड़ा मिला. प्रारंभिक पूछताछ में यह साफ हो जाने पर कि भागवंता बाई खुद ही बच्चों से थोड़ी देर में वापस आने को कह कर घर से निकली थी, इस से टीआई को मामले में पहला शक अवैध संबंध को ले कर था.
उन का सोचना था कि मृतका अपने किसी प्रेमी से मिलने एकांत में गई होगी, जहां दोनों के बीच बात बिगड़ने पर भागवंता बाई की हत्या कर दी.
खोजी कुत्ता भी घटनास्थल को सूंघने के बाद गांव में रहने वाले पाटीदार समाज के एक संपन्न किसान के घर में घुस गया. इस का पाटीदार समाज के लोगों ने विरोध किया और वे सड़क पर उतर आए.
इस के बाद गांव में भीम आर्मी के झंडे तले भी कुछ लोग जमा हो गए. जिन्होंने घटना के विरोध में आरोपी की गिरफ्तारी की मांग करते हुए आगरामुंबई मार्ग पर जाम लगा दिया. जिसे संभालने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के साथसाथ पुलिस को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी. लेकिन इन सब के बीच टीआई पटेल हत्या के इस मामले में अपने दिमागी घोड़े दौड़ाते रहे. उन्होंने मृतका भागवंता बाई के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवा ली और भागवंता बाई की कुंडली खंगालने के लिए मुखबिरों को भी लगा दिया.
भागवंता बाई के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स हाथ में आते ही थानाप्रभारी के सामने हत्या की कहानी लगभग साफ हो गई.
दरअसल, उस रोज भागवंता बाई के मोबाइल पर गांव के एक संपन्न किसान किशन पाटीदार ने कई बार फोन किया था. शाम को सूरज डूबने के बाद एक घंटे में किशन ने भागवंता बाई को 22 बार फोन लगाया था. इस के अलावा काल डिटेल्स से यह भी साफ हो गया था कि भागवंता बाई और किशन पाटीदार के बीच में रोज दिन में कईकई बार लंबीलंबी बातें होती थीं. इतना ही नहीं, आधी रात में भी कभी किशन भागवंता बाई को फोन करता था तो कभी भागवंता बाई किशन को.
जवान और बेहद ही खूबसूरत भागवंता बाई किशन के खेत पर पिछले कई सालों से मजदूरी करती थी. ऐसे में मालिक अपनी जवान और सुंदर महिला मजदूर को आधी रात में किसलिए फोन करता है, यह समझना पुलिस के लिए मुश्किल नहीं था. इसलिए थानाप्रभारी ने किशन पाटीदार के मोबाइल की भी काल डिटेल्स निकलवाने के साथ ही उसे पूछताछ के लिए बुला लिया.
किशन के मोबाइल की काल डिटेल्स से एक नई बात यह सामने आ गई कि किशन केवल भागवंता बाई को ही आधी रात में फोन नहीं करता था बल्कि भागवंता बाई की देवरानी मधु के संग भी उस की देर रात में लंबी बातें होती थीं. मधु अपनी जेठानी भागवंता बाई से उम्र में छोटी मगर खूबसूरती में बड़ी थी.
मधु भी भागवंता बाई की तरह किशन के खेत पर मजदूरी करती थी. इसलिए किशन के संबंध जेठानी भागवंता बाई और देवरानी मधु दोनों से होने का शक होने पर पुलिस ने मधु के मोबाइल फोन की भी काल डिटेल्स निकलवा ली.
काल डिटेल्स से पता चला कि घटना वाली शाम को मधु ने जेठानी भागवंता बाई के अलावा किशन से भी कई बार फोन पर बात की थी. इन दोनों के अलावा उस की गुडारिया गुर्जर निवासी देवकरण फुलेरिया और शाजापुर निवासी लालू से भी फोन पर लगातार बातें हो रही थीं. ये दोनों रिश्ते में मधु के बहनोई थे. वहीं उसी रात किशन पाटीदार देवरानीजेठानी मधु और भागवंता बाई के अलावा अपने दोस्त ईश्वर बोड़ाना से लगातार फोन पर बात कर रहा था. सब से बड़ी बात तो यह थी कि रात में 8 बजे के बाद जब भागवंता बाई घर से बाहर निकली थी, तब ये पांचों फोन नंबर एक साथ उसी स्थान पर मौजूद थे, जहां सुबह भागवंता बाई की लाश मिली थी.
इसलिए कहानी साफ हो जाने पर जांच के संबंध में पूरी जानकारी एसडीपीओ राजाराम आवाश्या और एसपी सत्येंद्र शुक्ला को दे कर टीआई भीम सिंह पटेल ने किशन पाटीदार से गहन पूछताछ शुरू कर दी.
थोड़ी सी नानुकुर के बाद पूरी कहानी साफ हो जाने पर टीआई भीम सिंह पटेल की टीम में शामिल एसआई बाबूलाल चौधरी, एएसआई लोकेंद्र सिंह, हैडकांस्टेबल मांगीलाल, रामेश्वर, राहुल कुशवाहा, राजपाल सिंह, महेश, मानसिंह, कांस्टेबल राम सोनी, आदित्य प्रकाश, निधि, रीना और कल्पना की टीम ने तुरंत घेराबंदी कर किशन द्वारा बताए गए बाकी के 4 आरोपियों मृतका भागवंता बाई की देवरानी मधु, मधु के 2 जीजा देवकरण और लालू तथा किशन के दोस्त ईश्वर को भी गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस ने आरोपियों के पास से हत्या में प्रयुक्त बाइक और मृतका का मोबाइल फोन, जिसे आरोपियों ने एक खेत में फेंक दिया था, बरामद कर लिया. उन से पूछताछ के बाद इस हत्याकांड की कहानी इस प्रकार सामने आई— पति जितेंद्र की हम्माली की नौकरी से इतनी आय नहीं थी कि 2 बच्चों वाले भागवंता बाई के परिवार का पेट आराम से भर सके. इसलिए कोई 5 साल पहले भागवंता बाई काम की तलाश में घर से बाहर निकली.
भागवंता बाई की सुदरता गांव में चर्चा का विषय पहले ही बन चुकी थी, इसलिए भागवंता बाई को काम देने वालों की कमी नहीं थी. जल्द ही भागवंता बाई गांव के संपन्न किसान किशन पाटीदार के खेत पर काम करने लगी. किशन ने भी भागवंता बाई की सुंदरता के चर्चे सुने थे, इसलिए उसे खेत पर काम देने के अलावा भी वह उस का विशेष ध्यान रखने लगा. भागवंता बाई मर्दों की फितरत को तब से जानती थी जब वह 15-16 साल की थी. इसलिए अपने मालिक किशन पाटीदार के मन में क्या चल रहा है, यह समझने में उसे देर नहीं लगी.
किशन भी जानता था कि गर्म खाने से हाथ और जीभ दोनों जल सकते हैं. इसलिए उस ने भागवंता बाई को हासिल करने में जल्दबाजी दिखाने के बजाए गंभीरता से काम लिया. इस कड़ी में पहले तो उस ने भागवंता बाई का वेतन बढ़ाया, फिर वेतन के अलावा भी उस की मदद करने के दौरान उस के रूप की तारीफ करने लगा. ऐसा करते हुए जब उस ने देखा कि भागवंता बाई अब काम पर पहले की अपेक्षा ज्यादा सजधज कर आने लगी है तो एक रोज पैसा देते समय उस का हाथ पकड़ कर उसे अपनी ओर खींच लिया.
भागवंता बाई पहले ही किशन की मेहरबानियां देख कर उस के सामने समर्पण का मन बना चुकी थी. इसलिए किशन की हरकत का विरोध करने के बजाए उस ने खुद अपने शरीर का सारा वजन उस के ऊपर लाद दिया.संयोग से उस समय खेत पर दूरदूर तक कोई नहीं था, इसलिए भागवंता बाई किशन के कहने पर चुपचाप खेत पर बनी टपरी में चली गई, जहां पीछे से आए किशन की इच्छा पूरी कर भागवंता बाई ने उस के सारे अहसान पहली मुलाकात में ही चुका दिए.
दिलफेंक किशन पाटीदार की तो मानो लौटरी लग गई थी. जिस भागवंता बाई को पूरा गांव हसरत भरी नजरों से देखता था, वह अपना सब कुछ किशन पर लुटाने लगी थी. भागवंता बाई के पास रूप की दौलत थी सो वह उसे किशन पर लुटा रही थी. जबकि किशन की जेब की दौलत थी सो वह इसे भागवंता बाई पर लुटाने लगा. जल्द ही भागवंता बाई का रहनसहन चमकदमक से भर गया.
भागवंता बाई संयुक्त परिवार में रहती थी. उस का बदला रूप देख कर देवरानी मधु का माथा ठनका. वह जानती थी कि जेठ की तो इतनी कमाई है नहीं, जो भागवंता बाई आए दिन नई साड़ी पहन कर इठलाती हुई कान में नया मोबाइल फोन लगाए घूमती रहे. वह जल्द ही समझ गई कि उस की जेठानी यह पैसा कहां से ला रही है.भागवंता बाई सुंदर थी तो मधु भी कम नहीं थी. फिर मधु तो भागवंता बाई की तुलना में ज्यादा जवान भी थी. इसलिए उस ने भी किशन के खेत पर नौकरी करने का फैसला कर लिया. एक रोज किशन के पास जा कर उस ने किशन से काम देने की फरियाद की.
जवान औरतों को नौकरी के लिए किशन कभी मना नहीं करता था. इसलिए मधु को देखते ही उस ने उसे दूसरे दिन से काम पर आने को कह दिया. भागवंता बाई मधु को पसंद नहीं करती थी. इसलिए यह बात भागवंता बाई को पता चली तो उस ने किशन से सुधा को नौकरी पर न रखने के लिए कहा. लेकिन किशन ने कुछ दिन बाद उसे काम से निकाल देने की कह कर बात टाल दी. मधु भी किशन के खेत पर काम करने जाने लगी. उस का मकसद तो कुछ और ही था, इसलिए वह भागवंता बाई और किशन पर नजर भी रखती थी. जब एक रोज किशन भागवंता बाई को ले कर खेत में बनी टपरी में घुसा तो पीछे से जा कर मधु ने जेठानी को किशन के साथ रंगेहाथ पकड़ लिया. यह बात मधु घर में न कह दे, इसलिए भागवंता बाई के कहने पर किशन ने जेब से 2 हजार रुपए निकाल कर मधु को दे दिए.
मधु पैसे ले कर चुपचाप मुसकराते हुए चली गई तो दूसरे ही दिन किशन ने मधु को अकेले में टपरी में बुला कर उस के साथ भी संबंध बना लिए. अब किशन एक दिन मधु के साथ तो दूसरे दिन उस की जेठानी भागवंता बाई के साथ खेत पर दोपहर बिताने लगा. इस के बाद
भागवंता बाई और मधु दोनों ही एकदूसरे से चिढ़ने लगीं.
दरअसल, भागवंता बाई को लगता था कि मधु के कारण किशन अब उस के ऊपर कम पैसा खर्च करने लगा है.दूसरी तरफ मधु को लगता कि अगर भागवंता बाई न होती तो किशन पूरा पैसा उसे अकेले देता.
इसलिए किशन को एकदूसरे से अधिक खुश करने की भागवंता बाई और मधु में होड़ रहने लगी. इस के लिए भागवंता बाई ने तो मोबाइल पर देखदेख कर प्यार करने के विदेशी तरीके तक सीख लिए.
लेकिन भागवंता बाई की उम्र बढ़ रही थी, जबकि मधु अधिक जवान थी. दूसरे भागवंता बाई के साथ कई सालों से संबंध में रहने के कारण किशन का उस से मन भी भरने लगा था. प्रेमी किशन के मन की बात मधु समझ चुकी थी. इसलिए प्रेमी पर पूरा अधिकार जमाने के लिए उस ने भागवंता बाई को उस से दूर करने के लिए कई प्रयास किए.
मगर भागवंता बाई भी सोने का अंडा देने वाली मुर्गी किशन को नहीं खोना चाहती थी. जब कोई रास्ता समझ नहीं आया तो मधु ने किशन को भागवंता बाई की हत्या करने के लिए राजी कर लिया. फिर योजना बना कर 19 फरवरी, 2022 के दिन अपने बहनोइयों देवकरण और लालू को गांव बुला लिया.
वहीं दूसरी तरफ किशन भी अपने दोस्त ईश्वर को ले कर पहले से तय सुनसान इलाके में जा कर बैठ गया, जहां योजना के अनुसार मधु धोखे में रख कर भागवंता बाई को ले कर आने वाली थी.
उस रोज गांव में तेजाजी महाराज का एक कार्यक्रम होने के चलते गांव के सभी लोग उस में व्यस्त थे, जिस का फायदा उठा कर मधु ने रात लगभग 9 बजे अपना पेट खराब होने की बात कह कर भागवंता बाई से घर के पीछे झाडि़यों में साथ चलने को कहा.
गांव की ऐसी औरतों के लिए, जिन के घरों में शौचालय नहीं है, पेट खराब होना भी बहुत बड़ी समस्या है. इसलिए रात के समय में ऐसे मौकों पर सभी महिलाएं एकदूसरे की मदद करने गांव के बाहर साथ चली जाती हैं.मधु की योजना से बेखबर भागवंता बाई भी उस के साथ हो गई. मधु काफी शातिर थी. वह जानबूझ कर भागवंता बाई को ले कर ऐसे स्थान पर जा कर बैठी, जहां पास ही एक किसान ने भारी पत्थरों से अपने खेत की मेड़ बना रखी थी.
मधु का पेट सचमुच खराब तो था नहीं, इसलिए वह कुछ ही पल में पानी फेंक कर उठी और बिजली की फुरती से उस ने मेड़ से एक भारी पत्थर उठा कर पास में कुछ ही दूरी पर बैठी अपनी जेठानी भागवंता बाई के सिर पर दे मारा.इस के बाद उस ने प्रेमी किशन के साथ बैठ कर शराब पी रहे अपने दोनों बहनोइयों लालू और देवकरण को आवाज दे दी. मधु की आवाज पर किशन पाटीदार अपने साथ लालू, देवकरण और दोस्त ईश्वर को ले कर वहां आ गया, जिस के बाद पांचों ने मिल कर भागवंता बाई के सिर पर पत्थर मारमार कर उस की हत्या कर दी.
भागवंता बाई की मौत हो जाने की तसल्ली होने के बाद देवकरण, लालू और ईश्वर वहां से चले गए जबकि किशन अय्याशी करने के लिए मधु को ले कर पास के एक खेत में चला गया. यहां दोनों ने अय्याशी करने के बाद खड़ी फसल में भागवंता बाई का मोबाइल फेंक कर अपनेअपने घर चले गए.
आरोपियों का सोचना था कि पूरे गांव वालों के धार्मिक कार्यक्रम में व्यस्त होने के चलते वे कभी नहीं पकड़े जाएंगे. लेकिन पुलिस ने 24 घंटे में ही मामले का खुलासा कर पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.