पंचवटी का रावण

प्यार का प्रतिशोध

प्यार का प्रतिशोध : भाग 3

आखिर जब लालमणि से नहीं रहा गया तो एक रोज उस ने प्यार का इजहार कर ही दिया, ‘‘वंदना, मैं तुम से बेहद प्यार करता हूं. तुम्हारे बिना अब मैं खुद को अधूरा समझता हूं. तुम मेरे दिल में रचबस गई हो. तुम्हारे अलावा मुझे कुछ सूझता ही नहीं.’’

वंदना कुछ क्षण मौन रही फिर बोली, ‘‘लल्लू, प्यार तो मैं भी तुम से करती हूं, पर हम दोनों के बीच ऊंचनीच, बिरादरी का मतभेद है. पता नहीं मेरे मांबाप इस रिश्ते को स्वीकार करेंगे भी या नहीं. मुझे इस बात का डर सता रहा है.’’

‘‘तुम डरो नहीं वंदना, हम चाचाचाची को मना लेंगे. मुझे उम्मीद है वह मेरी बात मान जाएंगे. क्योंकि चाचा राममिलन जानते हैं कि अब मैं कमाने लगा हूं. मुझ में नशाखोरी जैसा कोई ऐब भी नहीं है. सब से बड़ी बात हम दोनों हमउम्र हैं और दोनों एकदूसरे को प्यार करते हैं.’’ लालमणि बोला.

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इस के बाद वंदना और लालमणि का प्यार परवान चढ़ने लगा. उन के बीच की दूरियां कम होने लगीं. फिर उन का शारीरिक मिलन भी होने लगा. लालमणि ऐसे समय पर घर आता जब राममिलन घर के बाहर होता.

वंदना मां की आंखों में धूल झोंक कर प्रेमी से मिलन कर लेती. उन्हें घर में मौका न मिलता तो खेतखलिहान, बागबगीचे में भूख मिटा लेते. इस मिलन का परिणाम यह हुआ कि गांव भर में दोनों के अवैध संबंधों की चर्चा होने लगी.

वंदना के बहकते कदमों की खबर जल्द ही उस के पिता राममिलन और मां राजकुमारी के कानों तक जा पहुंची. दोनों को जमीन घूमती हुई नजर आई. इज्जत ही गरीब की दौलत होती है और उसी दौलत को उन की बेटी नीलाम करने पर उतारू थी. यह बात उन्हें भला कैसे गवारा होती.

लिहाजा दोनों ने बेटी डांटाफटकारा भी और समझाया भी, ‘‘वंदना, लल्लू छोटी जाति का है. उस से तुम्हारा रिश्ता हरगिज नहीं हो सकता. अगर तूने मनमानी की तो बिरादरी के लोग हमारा हुक्कापानी बंद कर देंगे. उस हालात में हमारा जीना दूभर हो जाएगा. इसलिए तू अपना रास्ता बदल ले.’’

मांबाप की नसीहत सौ फीसदी सच थी, इसलिए वंदना ने उन की बात मान ली और लालमणि से मिलनाजुलना बंद कर दिया. उस ने लल्लू को बता भी दिया कि उस के मांबाप उस के साथ शादी को राजी नहीं हैं. यह पता चलते ही लालमणि का गुस्सा फट पड़ा. वह राममिलन तथा राजकुमारी को अपने प्यार में बाधक मानने लगा.

जब उस का गुस्सा शांत होता तो वह वंदना के घर पहुंच जाता और चाचाचाची के पैर छू कर उन्हें शादी के लिए मनाता. इतना ही नहीं, उन के न मानने पर अंजाम भुगतने की धमकी भी देता. उस ने वंदना पर भाग कर शादी करने का भी दबाव डाला, पर वंदना राजी नहीं हुई. इस से लालमणि वंदना से भी नाराज रहने लगा.

24 मई, 2020 की रात 8 बजे भी लालमणि, राममिलन के घर पहुंचा और उस पर तथा उस की पत्नी राजकुमारी पर उस से वंदना की शादी करने का दबाव डाला. लेकिन वह दोनों राजी नहीं हुए. इस पर लालमणि ने उन्हें धमकी दी कि इस का परिणाम अच्छा नहीं होगा.

धमकी देने के बाद लालमणि ने प्यार के प्रतिशोध में वंदना के मातापिता को शादी का रमांबाप की हत्या होने पर बिलखती वंदना और उसे ढांढस बंधाती आसपड़ोस की महिलाएोंड़ा मानते हुए ठिकाने लगाने का निश्चय कर लिया और घर चला गया. उस ने घर में पहले से रखी शराब पी फिर आधी रात के बाद घर से निकला और वंदना के घर पहुंच गया.

राममिलन के घर का मुख्य दरवाजा बंद था. इस पर वह घर के पिछवाड़े पहुंचा और नीम के पेड़ पर चढ़ कर वंदना के घर की छत पर पहुंच गया. वंदना नीचे कमरे में सोई थी. छत पर राममिलन व उस की पत्नी राजकुमारी गहरी नींद में सो रहे थे.

जीने के रास्ते लालमणि किचन में चाकू लाने पहुंचा, पर उसे चाकू नहीं मिला, तभी उस की निगाह सामने रखी हंसिया पर पड़ी. वह हंसिया ले कर छत पर आया और सो रहे राममिलन की गरदन पर हंसिया से वार पर वार करने लगा.

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हंसिया के वार से राममिलन की गरदन कट गई और खून बहने लगा. कुछ देर तड़पने के बाद राममिलन की मौत हो गई. इस के बाद इसी तरह उस ने राजकुमारी पर हंसिया से वार किया तो वह चीख पड़ी. उस की चीख सुन कर वंदना छत पर आ गई, लेकिन तब तक वह राजकुमारी को भी मौत के घाट उतार चुका था.

वंदना को आया देख कर लालमणि ने हंसिया वहीं फेंक दिया और पेड़ के रास्ते छत से नीचे आ गया. उस ने प्राइमरी स्कूल के पास जा कर खून सने हाथपांव और मुंह धोया, फिर घर जा कर कपड़े बदले. इस के बाद उस ने खून सने कपड़े अपने खेत के पास झाडि़यों में छिपा दिए. सवेरा होने से पहले ही वह घर से फरार हो गया.

इधर वंदना मांबाप की लाशें देख कर चेतनाशून्य हो गई. जब उसे होश आया तो उस ने चीखनाचिल्लाना शुरू किया. उस की चीख सुन कर पासपड़ोस के लोग आ गए. फिर तो सूरज की किरण बिखरते ही पूरे गांव में डबल मर्डर का शोर मच गया.

इसी बीच किसी व्यक्ति ने मोबाइल फोन से डबल मर्डर की सूचना गोसाईगंज पुलिस को दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी एस.के. सिंह घटनास्थल पर आ गए.

लालमणि उर्फ लल्लू से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे 3 जून, 2020 को सुलतानपुर की जिला अदालत में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

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कथा संकलन तक लालमणि की जमानत स्वीकृत नहीं हुई थी. वंदना अपनी बड़ी बहन गीता के साथ उस की ससुराल अमेठी चली गई थी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्यार का प्रतिशोध : भाग 2

चूंकि लालमणि ने दोहरी हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, उस ने खून सने कपड़े भी बरामद करा दिए थे. इस के अलावा पुलिस आला कत्ल हंसिया पहले ही बरामद कर चुकी थी. अत: पुलिस ने उसे हत्या के जुर्म में विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में प्यार के प्रतिशोध में हुई दोहरी हत्या की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई—

सुलतानपुर जिले का गांव सलारपुर, थाना गोसाईगंज क्षेत्र में आता है. राममिलन अपने परिवार के साथ इसी गांव में रहता था. उस के परिवार में पत्नी राजकुमारी के अलावा 3 बेटियां गीता, अनीता और वंदना थीं. राममिलन के पास उपजाऊ खेती की जमीन तो नाम मात्र की थी, लेकिन वह पंपिंग मशीन का बेहतरीन कारीगर था.

अपने हुनर से वह अपने परिवार का पालनपोषण करता था. मशीनरी का कारीगर होने के कारण राममिलन आसपास के दरजनों गांव में चर्चित था. लोग उस की इज्जत करते थे. राममिलन ने गीता और अनीता की शादी कर दी थी.

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वंदना राममिलन की सब से छोटी बेटी थी. वह अपनी 2 बहनों से ज्यादा खूबसूरत थी, सादे कपड़ों और बिना मेकअप के भी उस की सुंदरता पहली ही नजर में मन में उतर जाती थी.

उस ने गांव के गांधी स्मारक माध्यमिक विद्यालय से हाईस्कूल पास किया था. इस के बाद उस की पढ़ाई पर विराम लग गया था. वह मां के घरेलू कामों में हाथ बंटाने लगी थी.

एक रोज राममिलन पंपिंग इंजन ठीक  करने पड़ोसी गांव कसमऊ गया. वहां उस की मुलाकात युवा लालमणि उर्फ लल्लू से हुई. लालमणि कसमऊ गांव निवासी तुलसीराम का बेटा था. तुलसीराम राजमिस्त्री था. उस के 2बच्चों में लालमणि बड़ा था. इंटर पास लालमणि नौकरी की कोशिश में लगा था.

राममिलन ने चंद घंटों में इंजन की मरम्मत कर उसे चालू कर दिया और मालिक से 1000 रुपए मेहनताना ले लिया. राममिलन के इस हुनर को देख कर लालमणि प्रभावित हुआ और उसे अपने घर ले गया.

घर ला कर लालमणि ने राममिलन का खूब आदरसत्कार किया फिर बोला, ‘‘चाचा, आप हुनरमंद हैं. आप अपने इस हुनर को मुझे भी सिखा दें तो मेरी बेरोजगारी दूर हो जाएगी. मैं जीवन भर आप का एहसान मानूंगा.’

‘‘एहसान किस बात का, पर तुम्हें हुनर सीखने के लिए मेहनत और लगन से काम करना होगा, समय भी देना होगा. भूखप्यास से भी जूझना पड़ सकता है.’’ राममिलन ने उसे टटोला.

‘‘मुझे आप की हर शर्त मंजूर है, बस आप अपना हुनर सिखा दीजिए.’’ लालमणि बेताब हो कर बोला.

इस के बाद लालमणि, राममिलन के साथ जाने लगा. राममिलन उसे इंजन खोलना, बांधना सिखाने लगा. लालमणि में हुनर सीखने का जज्बा था. साल बीततेबीतते वह हुनर सीख गया. अब राममिलन बैठा रहता और लालमणि इंजन को सुधारने का काम करता.

लालमणि की मेहनत व लगन से राममिलन खुश था. उसे जो भी मेहनताना मिलता, उस का आधा लालमणि को दे देता. लालमणि राममिलन के घर भी आनेजाने लगा था. घर आतेजाते ही उस की निगाह उस की खूबसूरत जवान बेटी वंदना पर पड़ी. वंदना पहली ही नजर में लालमणि के दिल में रचबस गई.

वह उसे मन ही मन प्यार करने लगा. वंदना भी लालमणि से प्रभावित थी. जब भी दोनों का आमनासामना होता तो एकदूसरे को देख कर मुसकरा देते थे. लेकिन अपने प्यार का इजहार करने की हिम्मत दोनों में से कोई नहीं जुटा पाता था.

एक रोज वंदना घर की साफसफाई कर रही थी, तभी लालमणि दरवाजे पर आ कर खड़ा हो गया और टकटकी लगा कर वंदना को निहारने लगा.

लालमणि को अपनी ओर निहारते देख वंदना के चेहरे पर मुसकान तैर गई, ‘‘आइए लल्लूजी आइए.’’ आंखें मिली तो दोनों के दिल के तार झनझना उठे.

‘‘चाचा नहीं दिखाई पड़ रहे, कहीं गए हैं क्या?’’ लालमणि ने वंदना से पूछा.

‘‘हां, पापा गोसाईगंज बाजार गए हैं. दोपहर बाद ही लौट पाएंगे.’’

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‘अच्छा, तो मैं चलता हूं, चाचा आ जाएं तो बता देना लल्लू आया था.’

‘‘अरे, ऐसे कैसे चले जाओगे. चायनाश्ता कर लो, फिर चले जाना. नहीं तो पापा नाराज होंगे. कहेंगे उन का शागिर्द आया था और तुम ने चायपानी को भी नहीं पूछा.’’ कहते हुए वंदना ने आंगन में कुरसी डाल दी.

लालमणि कुरसी पर बैठ गया. वंदना उस समय साधारण कपड़ों में थी. लेकिन उस सादगी में भी वह गजब की खूबसूरत लग रही थी. लालमणि के मन में आया कि वह उस के सौंदर्य की जी भर कर प्रशंसा करे, मगर संकोच के झीने परदे ने उस के होंठों को हिलने से रोक लिया.

हालांकि मनमस्तिष्क में जज्बातों की खुशनुमा हवाएं काफी देर तक हिलोरें लेती रहीं. दिल में एक आशंका यह भी आ रही कि कही वंदना ने किसी दूसरे को अपने दिल में न बसा रखा हो. ऐसा हुआ तो उस के अरमानों को ग्रहण लगने का खतरा हो सकता था. इश्क हर किसी से तो नहीं होता, बस एक बार और फिर आर या पार.

आंगन में कुरसी पर बैठे लालमणि के मस्तिष्क में सुखद विचारों का मंथन चल रहा था. उधर वंदना के दिलोदिमाग में एक अलग तरह की हलचल मची हुई थी. उन्हीं विचारों में खोई वंदना चायनाश्ता ले कर आ गई, ‘‘लीजिए गरमागरम चाय पीजिए.’’

उस रोज वंदना के हाथों बनाई चाय पीते समय लालमणि की आंखें लगातार उस के शबाबी जिस्म का जायजा लेती रहीं. दिन के उजाले में ही लालमणि की आंखें उस के हुस्न के दरिया में डूब जाने के सपने देखने लगी.

इस मुलाकात के बाद वंदना की मोहब्बत की आस में उस पर ऐसी दीवानगी सवार हुई कि वह उसे अपनी आंखों का काजल बना बैठा. कुछ ही दिनों में आंखों से उठ कर वंदना ने लालमणि की रूह में आशियाना बना लिया.

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लालमणि जैसा ही हाल वंदना का भी था. रात में वह सोने के लिए बिस्तर पर लेटती तो नींद के भौरे पलकों पर आआ कर चले जाते. वे उड़ जाते तो लालमणि का मुसकराता चेहरा पलकों में आ कर छिप जाता. तब वह रोमांचित हो उठती और सुखद अनुभूति महसूस करती.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

प्यार का प्रतिशोध : भाग 1

एस.के. सिंह को दोहरे हत्याकांड की सूचना सलारपुर गांव के किसी व्यक्ति ने मोबाइल फोन से दी थी. उस ने अपना नाम तो नहीं बताया था, पर यह जरूर बताया था कि गांव के बुजुर्ग दंपति की निर्मम हत्या हुई है. एस.के. सिंह कुछ और पूछते, उस से पहले ही फोन डिसकनेक्ट कर दिया गया था. सलारपुर गांव से थाना गोसाईगंज 8 किलोमीटर दूर था. पुलिस को वहां पहुंचने में करीब आधा घंटा लगा.

सलारपुर पहुंचते ही एस.के. सिंह को पता चल गया कि हत्या राममिलन व उस की बीवी राजकुमारी की हुई है. उस समय घटनास्थल पर लोगों की भीड़ जुटी थी. पूछने पर पता चला कि शव घर की छत पर पड़े हैं. एस.के. सिंह साथी पुलिसकर्मियों के साथ छत पर पहुंचे.

वहां एक 20-22 वर्षीय युवती चीखचीख कर रो रही थी. वह मृतक दंपति की बेटी वंदना थी. थानाप्रभारी ने उसे समझाबुझा कर शव से अलग किया फिर निरीक्षण में जुट गए.

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राममिलन और उस की पत्नी राजकुमारी के शव अगलबगल पड़े थे. शवों के पास ही खून सना हंसिया पड़ा था. संभवत: उसी हंसिया से वार कर दोनों को मौत के घाट उतारा गया था. दोनों के गले पर गहरे जख्म थे. चेहरों पर भी वार किए गए थे. मृतक राममिलन की उम्र 60 वर्ष के आसपास थी, जबकि उस की पत्नी राजकुमारी 55 वर्ष के आसपास थी. पुलिस ने साक्ष्य के तौर पर आला कत्ल हंसिया जाब्ते में लिया.

थानाप्रभारी एस.के. सिंह अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी शिवहरी मीणा, एएसपी (ग्रामीण) शिवराज तथा सीओ दलबीर सिंह भी आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल पर फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने जहां घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया, वहीं फौरेंसिक टीम ने जांच कर साक्ष्य जुटाए और कई जगह से फिंगरप्रिंट उठाए.

डौग स्क्वायड ने खोजी कुतिया लूसी को मौका ए वारदात पर छोड़ा. लूसी दोनों शवों को सूंघ कर छत से जीने के रास्ते घर के बाहर आई और भौकते हुए आगे बढ़ी फिर प्राथमिक पाठशाला के पास लगे हैंडपंप पर जा कर रुक गई. उस ने हैंडपंप को कई बार सूंघा और भौंकने लगी. इस के बाद वह वापस लौट आई. टीम के सदस्यों ने अनुमान लगाया कि हत्यारों ने हत्या करने के बाद हाथपैरों पर लगे खून को संभवत: इसी हैंडपंप पर धोया होगा.

घटनास्थल पर मृतक की बेटी वंदना मौजूद थी. उस की आंखों बहते आंसुओं का सैलाब थम नहीं रहा था. पुलिस अधिकारियों ने उस से पूछताछ की तो वंदना ने बताया कि उस के मांबाप का कातिल कोई और नहीं उस का प्रेमी लालमणि उर्फ लल्लू है. वह पड़ोसी गांव कसमऊ का रहने वाला है.

वह बीती रात 8 बजे घर आया था. उस ने मातापिता पर शादी करने का दबाव डाला था, लेकिन उन्होंने साफ इंकार कर दिया था. इस से नाराज हो कर वह वापस चला गया था. आधी रात के बाद लगभग 3 बजे वह घर से सटे पेड़ पर चढ़ कर छत पर आया और छत पर सो रहे मातापिता की हंसिया से वार कर हत्या कर दी और फरार हो गया. आप उसे जल्दी गिरफ्तार कर लीजिए वरना वह मुझे भी मार डालेगा.

‘‘लालमणि के अलावा कोई और भी उस के साथ था?’’ सीओ दलबीर सिंह ने वंदना से पूछा.

‘‘नहीं साहब, कोई दूसरा उस के साथ नहीं था. उस ने अकेले ही घटना को अंजाम दिया है.’’ वंदना बोली.

वंदना से पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल की काररवाई पूरी कर राममिलन और राजकुमारी के शव पोस्टमार्टम के लिए सुलतानपुर के जिला अस्पताल भिजवा दिए. इस के बाद वंदना की तहरीर पर थाना गोसाईगंज थाने में भादंवि की धारा 302 के तहत लालमणि उर्फ लल्लू के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

चूंकि मामला डबल मर्डर का था और क्षेत्र में दहशत थी. इसलिए हत्यारोपी को पकड़ने के लिए एसपी शिवहरी मीणा ने एएसपी शिवराज की अगुवाई में एक पुलिस टीम का गठन किया. इस टीम में गोसाईगंज थानाप्रभारी एस.के. सिंह, सीओ दलबीर सिंह, एसआई जगदेव सिंह, रामकुमार, आरक्षी अनूप कुमार तथा सिपाही लाल को सम्मिलित किया गया. टीम के साथ सर्विलांस टीम को भी लगा दिया गया.

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गठित पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया, वंदना का बयान दर्ज किया तथा उस नीम के पेड़ का जायजा लिया, जिस पर चढ़ कर हत्यारा छत पर आया था. टीम ने वंदना के पड़ोसियों और उस के चाचा गिरिराज व चाची सरिता से भी पूछताछ की और उन के बयान दर्ज किए.

इस के बाद देर रात पुलिस टीम ने कसमऊ गांव निवासी लालमणि के घर छापा मारा. लालमणि घर से फरार था, पुलिस टीम ने उस के पिता तुलसीराम से उस के बेटे के बारे में सख्ती से पूछताछ की. तुलसीराम ने टीम को उन ठिकानों की जानकारी दी जहां लालमणि छिप सकता था.

जानकारी हासिल करने के बाद पुलिस टीम ने उन ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापे मारे लेकिन लालमणि हाथ नहीं लगा. उस ने अपना मोबाइल फोन भी बंद कर लिया था, जिस से सर्विलांस टीम उस की लोकेशन पता नहीं कर पा रही थी. पुलिस टीम ने खास मुखबिर भी लगाए पर हत्यारोपी का पता न चल सका.

2 जून, 2020 की शाम सर्विलांस टीम को लालमणि की लोकेशन गोपालगंज और कसमऊ गांव के बीच की मिली. लोकेशन ट्रेस होते ही पुलिस टीम ने उस का पीछा किया और रात 8 बजे उसे कसमऊ गांव के बाहर से धर दबोचा. वह अपने पिता तुलसीराम से रात के अंधेरे में मिलने जा रहा था. पुलिस टीम उसे पकड़ कर थाना गोसाईगंज ले आई.

थाने में जब लालमणि से दोहरे हत्याकांड के बारे में पूछा गया तो वह साफ मुकर गया. उस ने कहा कि वह तो वंदना से प्यार करता है, भला उस के मातापिता की हत्या कैसे कर सकता है.

वंदना के मांबाप की हत्या उस के परिवार वालों ने की है. वे लोग उन की जमीन और घर हड़पना चाहते थे. उसे झूठा फंसाया जा रहा है. उस के इस झूठ पर थानाप्रभारी एस.के. सिंह को गुस्सा आ गया. उन्होंने उस से सख्ती के साथ पूछताछ की. इस के बाद वह टूट गया और दोहरी हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

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यही नहीं उस ने खून से सने कपड़े भी बरामद करा दिए, जो उस ने अपने खेत के पास झाडि़यों में छिपा दिए थे. उस ने बताया कि वह वंदना से शादी करना चाहता था. दोनों एक दूसरे से मोहब्बत करते थे. लेकिन वंदना के मांबाप राजी नहीं थे. इसलिए उस ने दोनों को मौत की नींद सुला दिया.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

ओवरडोज

ओवरडोज : भाग 3

पूछताछ के बाद पुलिस टीम ने अपनी जांच 3 बिंदुओं पर केंद्रित की. पहली नशेबाजी, दूसरी पारिवारिक कलह और तीसरी आशनाई. पुलिस टीम ने त्वरित काररवाई करते हुए मृतक विष्णु के कई नशेबाज दोस्तोंं को पकड़ा और उन से कड़ी पूछताछ की. लेकिन उन्होंने हत्या करने की बात स्वीकार नहीं की. पारिवारिक कलह की जांच में भी हत्या का कोई कारण या सबूत नहीं मिला.

अब पुलिस टीम ने अपना सारा ध्यान आशनाई पर केंद्रित किया. इस दिशा में जांच से पता चला कि शालू की पहली शादी कन्नौज जनपद के कस्बा गुरसहायगंज निवासी रामू के साथ हुई थी, लेकिन साल भर बाद ही शालू ने उस से तलाक ले लिया था. पुलिस को शक हुआ कि कहीं खुन्नस में रामू ने ही तो दोनों का मर्डर नहीं कर दिया.

पुलिस टीम ने रामू को उस के घर से हिरासत में ले कर सख्ती से पूछताछ की. रामू ने बताया कि दोनों का तलाक आपसी सहमति से हुआ था. तलाक के बाद शालू ने विष्णु से शादी कर ली थी और उस ने भी दूसरा विवाह कर लिया था. शालू और उस के बीच किसी प्रकार का कोई मनमुटाव नहीं था. उन दोनों की हत्या किस ने और क्यों की उसे कोई जानकारी नहीं है.

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पूछताछ के बाद पुलिस को लगा कि रामू निर्दोष है, अत: उसे थाने से जाने दिया.

दूसरी ओर सर्विलांस प्रभारी सतीश सिंह ने मृतक विष्णु व शालू के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लिया. लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिल पा रहा था. यही नहीं उन्होंने घटनास्थल के पास स्थित टावर से डेटा डंप करा कर कुछ संदिग्घ नंबर निकाले और जांच टीम को सौंप दिए.

पुलिस ने नंबरों के आधार पर कुछ लोगों को पकड़ा भी और उन से सख्ती से पूछताछ भी की. लेकिन हत्या के संबंध में कोई जानकारी नही मिली. एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल डबल मर्डर के खुलासे के लिए एड़ीचोटी का जोर लगा रहे थे. साथ ही वह पुलिस टीम को दिशानिर्देश भी दे रहे थे. पर सफलता नहीं मिल पा रही थी.

इसी बीच सर्विलांस प्रभारी सतीश सिंह ने मृतक विष्णु व शालू के मोबाइल फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई तो चौंकाने वाली जानकारी मिली. पता चला कि शालू के फोन से 3 अगस्त की प्रात: 8 बज कर 44 मिनट पर काल की गई थी. पुलिस टीम ने जब उस नंबर को खंगाला तो पता चला यह नंबर सुजातगंज निवासी शबीना का है.

पुलिस टीम शबीना के घर सुजातगंज पहुंची और उस से मोबाइल फोन नंबर के संबंध में पूछताछ की. शबीना ने बताया कि यह नंबर उसी का है लेकिन मोबाइल का इस्तेमाल उस का भांजा जमशेद करता है, जो उसी के साथ रहता है. उस ने यह भी बताया कि जमशेद 2 अगस्त की पूरी रात घर नहीं आया था.

जमशेद पुलिस की रडार पर आया तो पुलिस टीम ने उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया. इस के बाद 7 अगस्त, 2020 की रात उसे नाटकीय ढंग से सुजातगंज मोड़ पर पकड़ लिया गया. फिर उसे थाना रेलबाजार लाया गया.

थाने पर जब उस से रामलीला ग्राउंड के अंदर हुए डबल मर्डर के संबंध में पूछा गया तो वह साफ मुकर गया. लेकिन जब सख्ती की गई तो वह टूट गया और डबल मर्डर का अपराध कबूल कर लिया.

उस ने बताया कि हत्या में उस का मामा मो. दानिश तथा उस का साथी विकास गौतम भी शामिल थे. मो. दानिश गम्मू खां का हाता का रहने वाला था, लेकिन वर्तमान में वह मीरपुर (तलउवा) में रहता था. विकास गौतम कानपुर देहात के रामनगर (रूरा) का रहने वाला था. फिलहाल वह श्यामनगर (चकेरी) में रहता था.

इस के बाद पुलिस टीम ने जमशेद की निशानदेही पर मो. दानिश तथा विकास गौतम को भी पकड़ लिया. उन दोनों ने भी सहज ही हत्या का जुर्म कबूल लिया. यही नहीं उन तीनों ने पुलिस को शालू का मोबाइल फोन 4 हजार रुपए नकद, सोने की चेन तथा उस के पति विष्णु का मोबाइल फोन बरामद करा दिया.

पुलिस ने जब तीनों से मृतका शालू के साथ दुष्कर्म करने की बाबत पूछा तो तीनों ने साफ इनकार कर दिया.

पुलिस टीम ने डबल मर्डर का परदाफाश करने तथा माल बरामद करने की जानकारी एसएसपी डा. प्रीतिंदर सिंह को दी, तो उन्होंने आननफानन में पुलिस लाइन सभागार में प्रैसवार्ता की और हत्यारोपियों को मीडिया के सामने पेश कर डबल मर्डर का खुलासा किया.

उन्होंने खुलासा करने वाली टीम को पुरस्कार स्वरूप 75 हजार रुपए देने की घोेषणा भी की. पुलिस खुलासे से जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार है.

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मो. दानिश चमनगंज थाना क्षेत्र के गम्मू खां के हाता में रहता था. वह अपने भांजे जमशेद तथा साथी विकास गौतम के साथ चोरियां करता था.

तीनों नशेबाज थे और नशेबाजी करने रामलीला ग्राउंड जाते थे. यहीं एक रोज उन की नजर ग्राउंड में रहने वाले विष्णु की पत्नी शालू पर पड़ी. शालू टहलते हुए महंगे मोबाइल पर बात कर रही थी. उस का पहनावा भी रईसों जैसा था.

शालू को देख कर दानिश को लगा कि वह मालदार औरत है. उस ने अपने साथियों के साथ उस का घर साफ करने की योजना बनाई और उस के घर की रैकी करने लगा.

2 अगस्त, 2020 की रात 10 बजे मो. दानिश अपने साथी जमशेद व विकास के साथ रामलीला ग्राउंड में छिप कर बैठ गया. रात लगभग 12 बजे लाइट चली गई तो विष्णु और शालू कमरे के बाहर आ गए और खुले में बिस्तर लगा कर सो गए.

कुछ देर बाद वे तीनों वहां पहुंचे और शालू के तकिया के नीचे से चाबी निकालने लगे. तभी शालू जाग गई और चीख पड़ी. इस पर विकास ने उसे दबोच कर उस का मुंह दबा दिया. लेकिन शालू की चीख से विष्णु जाग गया था वह उन से भिड़ गया. इस पर मो. दानिश व जमशेद ने पास पड़ी ईंट उठा ली और दोनों विष्णु के सिर पर प्रहार करने लगे. विष्णु का सिर फट गया और वह बिस्तर पर ही ढेर हो गया.

विष्णु की हत्या के बाद विकास गौतम और जमशेद शालू को कमरे में घसीट ले गए. वहां उसे निर्वस्त्र किया, कामेच्छा पूरी की फिर उस का गला उसी की साड़ी से घोंट दिया. हत्या करने के बाद उन्होंने कमरे का सामान बिखेरा, बक्से का ताला खोल कर नकद रुपया, आभूषण कब्जे में किए और दोनों के मोबाइल फोन ले कर फरार हो गए.

ये तीनों पुलिस के हत्थे कभी नहीं चढ़ते यदि जमशेद के नाबालिग भाई ने शालू के फोन से जमशेद को फोन न किया होता. उस 13 सेकेंड की काल ने ही पुलिस को जमशेद तक पहुंचा दिया और तीनों पकड़े गए.

थाना रेलबाजार पुलिस ने मृतक विष्णु के पिता रामदीन को वादी बना कर भादंवि की धारा 302/380/411 के तहत मो. दानिश, जमशेद व विकास गौतम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और तीनों को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

आरोपियों ने वारदात के दौरान शालू से दुष्कर्म की बात नकार दी थी. लेकिन पुलिस ने उन की बात पर यकीन नहीं किया. अत: आरोपी दानिश, जमशेद व विकास का पुलिस ने मैडिकल कराया. अगर शालू की स्लाइड रिपोर्ट से आरोपितों की मैडिकल रिपोर्ट का मिलान होता है तो दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म की धारा बढ़ा दी जाएगी.

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9 अगस्त, 2020 को थाना रेलबाजार पुलिस ने अभियुक्त मो. दानिश, जमशेद तथा विकास गौतम को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से तीनों को जिला जेल भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

ओवरडोज : भाग 2

शालू अलग रहने की चेतावनी देने लगी थी. परिवार में कलह शुरू हुई तो बढ़ती ही गई. आखिर कलह से आजिज आ कर रामदीन ने परिवार के लिए चकेरी क्षेत्र के श्यामनगर में किराए पर एक मकान ले लिया. इस मकान में रामदीन की पत्नी कुसुम, 3 बेटे सूरज, शिवा, नंदी तथा 2 बेटियां प्रीति व नंदनी रहने लगी.

रामदीन परिवार के साथ इसलिए नहीं गया, क्योंकि उस के जाने से रामलीला ग्राउंड का सरकारी मकान उसे खाली करना पड़ता. अब रामलीला ग्राउंड वाले मकान में शालू, उस का पति विष्णु तथा ससुर रामदीन रह गए. बड़े वाले कमरे में शालू ने अपना सामान सजा लिया तथा छोटा कमरा ससुर को दे दिया.

अब शालू बनसंवर कर रहने लगी. उस ने पति से लड़झगड़ कर महंगा टचस्क्रीन मोबाइल फोन भी खरीदवा लिया. मोबाइल फोन को उस ने चलाना भी सीख लिया. शालू सप्ताह में एक दिन पति के साथ घूमने जरूर जाती थी. उस दिन वह खाना नहीं बनाती थी. पतिपत्नी स्वयं तो खापी कर आते, लेकिन रामदीन को भूखे पेट सोना पड़ता था.

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रामलीला ग्राउंड काफी बड़ा था. चारों ओर बाउंड्री वाल थी और अंदर आनेजाने के 2 बड़े तथा 2 छोटे गेट थे. रामलीला मंचन के लिए अंदर काफी बड़ा मंच बना था. इस ग्राउंड पर शाम को नशेबाजों का जमावड़ा शुरू हो जाता था. ये नशेबाज चरस, गांजा तथा शराब पीते और कभीकभी उपद्रव भी करते. कभी पुलिस का छापा पड़ता तो ये भाग जाते, लेकिन पुलिस के जाते ही फिर आ जाते.

विष्णु के कई दोस्त भी ग्राउंड पर आते थे. विष्णु कभीकभी उन के साथ नशेबाजी कर लेता था. जरूरत होती तो ये नशेड़ी दोस्त विष्णु के घर पर कभी गिलास तो कभी पानी मांगने आ जाते. ये नशेबाज विष्णु की पत्नी शालू को ललचाई नजरों से देखते थे. वह शालू को महंगा फोन चलाते देखते तो समझते कि शालू के पास बहुत पैसा है. शालू को दिखावे की लत थी. इस के चलते उसे बनसंवर कर फोन पर बतियाते हुए ग्राउंड में घूमना अच्छा लगता था. 2 अगस्त, 2020 की रात किन्हीं अज्ञात लोगों ने शालू और उस के पति विष्णु की हत्या कर दी. बेटेबहू की हत्या की खबर रामदीन ने थाना रेल बाजार पुलिस को दी तो थाने में हड़कंप मच गया.

रक्षाबंधन के दिन डबल मर्डर की सूचना पा कर पुलिस अधिकारी भी दहल उठे. अत: कुछ ही देर में एसएसपी डा. प्रीतिंदर सिंह, एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल तथा एसपी (साउथ) दीपक भूकर रामलीला ग्राउंड पहुंच गए.

रेल बाजार थानाप्रभारी दधिबल तिवारी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहले से मौजूद थे. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड टीम को भी बुलवा लिया था.

घटनास्थल का दृश्य बड़ा ही वीभत्स था, जिसे देख कर पुलिस अधिकारी सहम गए. घर के बाहर जमीन पर बिछे बिस्तर पर 24-25 वर्षीय विष्णु का शव पड़ा था. उस की हत्या सिर को ईंट से कूच कर की गई थी. पूरा बिस्तर खून से तरबतर था. पास ही खून से सनी 2 ईंटें पड़ी थीं. विष्णु के चेहरे पर भी जख्म थे.

कमरे के अंदर का दृश्य शर्मसार करने वाला था. अंदर शालू का शव नग्नावस्था में पड़ा था, उस की हत्या साड़ी के पल्लू से गला घोंट कर की गई थी. देखने से ऐसा लग रहा था जैसे उस के साथ हत्या से पहले दुष्कर्म किया गया हो.

कमरे का सामान उलटपुलट पड़ा था. बक्सा भी खुला था, जिस से चोरी से भी इनकार नहीं किया जा सकता था. हालांकि मृतका कान में झुमकी तथा पैर में पायल पहने थी, उन्हें नहीं उतारा गया था.

फोरैंसिक टीम ने भी घटनास्थल पर बारीकी से जांच की तथा साक्ष्य जुटाए. टीम ने ईंट तथा बिस्तर से फिंगरप्रिंट लिए और खून का नमूना सुरक्षित किया. टीम ने खून सनी ईंटों को भी साक्ष्य के तौर पर जाब्ते में शामिल किया गया.

डौग स्क्वायड टीम भी घटनास्थल पर मौजूद थी. टीम ने कुत्ता छोड़़ा तो वह घटनास्थल पर पड़े शव और खून को सूंघ कर भौंकता हुआ ग्राउंड के बाहर आया और जीटी रोड पर आ कर भटक गया. वह हत्या का कोई भी सबूत नहीं जुटा पाया.

घटनास्थल पर मृतक का पिता रामदीन तथा उस का पूरा परिवार मौजूद था. मृतक के बहनभाई रो रहे थे, मां कुसुम का भी रोरो कर बुरा हाल था. शालू की मां तथा पिता भी मौजूद थे. वह भी बेटी की मौत पर आंसू बहा रहे थे.

एसएसपी डा. प्रीतिंदर सिंह ने मृतक के पिता रामदीन से घटना के संबंध में पूछताछ की तो उस ने बताया कि 3 अगस्त की सुबह जब वह सो कर उठा तो कमरे का दरवाजा बाहर से बंद था. उस ने बेटेबहू को कई आवाजें दीं पर कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई.

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उस ने दरवाजे पर जोर से दस्तक दी तो कुंडी सरक गई और दरवाजा खुल गया. वह कमरे से निकल कर बाहर आया तो सामने बिस्तर पर विष्णु की लाश पड़ी थी. वह घबरा गया और श्यामनगर में रह रहे अपने परिवार के पास पहुंचा. वहां उस ने विष्णु की हत्या की जानकारी दी. साथ ही संदेह भी जताया कि बहू शालू विष्णु की हत्या कर घर से भाग गई है. इस के बाद पूरा परिवार रोतापीटता रामलीला ग्राउंड स्थित मकान पर आ गया.

जब हम सब शालू के कमरे में पहुंचे तो सब की आंखें शर्म से झुक गईं. कमरे के अंदर शालू का शव नग्नावस्था में पड़ा था. हमें शक हुआ कि चोरबदमाश घर में घुसे, फिर शालू के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और विरोध करने पर शालू व विष्णु की हत्या कर फरार हो गए. वे नकदी, आभूषण के साथ शालू का कीमती मोबाइल फोन तथा विष्णु का मोबाइल भी ले गए.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण तथा पूछताछ के बाद विष्णु और शालू के शव पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय अस्पताल भिजवा दिए. इस के बाद एसएसपी डा. प्रीतिंदर सिंह ने इस डबल मर्डर के खुलासे के लिए एक विशेष टीम का गठन किया, जिस की कमान एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल को सौंपी गई.

इस विशेष टीम में थाना रेलबाजार प्रभारी निरीक्षक दधिबल तिवारी, एसएसआई संतोष ओझा, एसओजी प्रभारी दिनेश कुमार तथा सर्विलांस प्रभारी सतीश सिंह को शामिल किया गया.

विशेष पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार विष्णु की मौत सिर फटने तथा अधिक रक्त होने से हुई थी. उस के सिर की हड्डियां टूटी पाई गईं, जबकि शालू की मौत गला घोंटने से हुई थी. दुष्कर्म की आशंका के चलते स्लाइड भी बनाई गईं.

इस के बाद पुलिस टीम ने मृतक के पिता रामदीन तथा मृतका की मां जानकी से पूछताछ की. जिस से पता चला कि शालू ने पहले पति रामू से तलाक ले कर विष्णु से दूसरी शादी की थी. उस की अपने ससुराल वालों से नहीं पटती थी, जिस से वे लोग अलग मकान ले कर रहने लगे थे. यह भी पता चला कि शालू का पति विष्णु नशाखोर था. कई नशेबाज उस के दोस्त थे.

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जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

ओवरडोज : भाग 1

रामदीन मूलरूप से बस्ती जिले के रिउना गांव का रहने वाला था. बरसों पहले रोजीरोटी की तलाश में वह कानपुर शहर आया, तो फिर यहीं का हो कर रह गया. रामदीन रेलवे में संविदा कर्मचारी था.

वह परिवार सहित लोको कालोनी के पास रामलीला ग्राउंड के अंदर 2 कमरों वाले मकान में रहता था. उस का भरापूरा परिवार था. पत्नी कुसुम, 4 बेटे और 2 बेटियां. भारीभरकम परिवार के भरणपोषण की जिम्मेदारी रामदीन की ही थी.

रामदीन की संतानों में विष्णु सब से बड़ा था. पहली संतान होने की वजह से उसे मांबाप का अधिक लाड़प्यार मिला, जिस से वह बिगड़ता गया. पढ़ाई छोड़ कर वह हमउम्र लड़कों के साथ आवारागर्दी करने लगा. उन के साथ वह नशा और चोरीचकारी भी करता था.

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किशोरावस्था पार कर के विष्णु युवा तो हो गया, पर उस ने अपने दायित्वोें को कभी नहीं समझा. काम में पिता का हाथ बंटाना तो उस ने सीखा ही नहीं था. घर वालों के लिए स्थिति तब बदतर हो गई, जब उसे शराबखोरी और जुआ खेलने की लत लग गई.

रामदीन विष्णु को ले कर चिंतित रहने लगा. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह उसे कैसे सुधारे. ऐसे में हर मांबाप की तरह उस ने सोचा कि अगर उस की शादी कर दी जाए तो शायद वह सुधर जाए.

लेकिन रामदीन के तमाम प्रयासों के बावजूद कोई भी विष्णु जैसे नकारा युवक को अपनी बेटी देने को राजी नहीं हुआ. विष्णु को अपनी कमजोरी और मातापिता की परेशानियों का आभास था. पर वह अपनी आदतों से मजबूर था. लेकिन वक्त के साथ उसे अपने दायित्वों का बोध हुआ तो उस ने एकएक कर आवारा लड़कों का साथ छोड़ कर पिता के काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया.

रामदीन को बेटे का सहयोग मिला तो वह रंगाईपुताई के बड़े ठेके लेने लगा. इस काम में बापबेटे मिल कर अच्छी कमाई कर लेते थे.

रामलीला ग्राउंड के बाहर जीटी रोड पर सड़क किनारे एक महिला पान मसाले की दुकान चलाती थी, नाम था जानकी. जानकी बाबूपुरवा क्षेत्र के मुंशीपुरवा में रहती थी. उस का पति मंगली प्रसाद एक रिक्शा कंपनी में रिक्शा मरम्मत का काम करता था. जिस दिन उस की कंपनी बंद रहती थी, उस दिन पान की दुकान पर मंगली प्रसाद बैठता था.

विष्णु जानकी की दुकान पर अकसर पान मसाला खाने आता था. पैसे कभी नकद तो कभी उधार. दोनों में अच्छी जानपहचान थी, सो वह उसे सामान देने को मना नहीं करती थी.

एक रोज विष्णु जानकी की दुकान पर पहुंचा तो उस की आंखें चुंधिया गईं. दुकान पर सजीसंवरी एक युवती बैठी थी. पहली ही नजर में वह विष्णु के मन भा गई. वह उसे एकटक देखने लगा.

युवती ने विष्णु को अपनी ओर टकटकी लगाए देखा तो टोका, ‘‘ ऐसे घूरघूर कर क्या देख रहे हो, क्या पहली बार किसी औरत को देखा है.’’

विष्णु झेंप कर बोला, ‘‘ऐसी बात नहीं है. मैं तुम्हें घूर नहीं रहा था, बल्कि तुम्हारी खूबसूरती के बारे में सोच रहा था. वैसे मैं ने कभी तुम्हें दुकान पर बैठे नहीं देखा. जानकी चाची कहां गई? आप उन की रिश्तेदार हैं क्या?’’

‘‘नहीं, मैं उन की बेटी हूं, नाम है शालू. मां मुझे पूजा कह कर बुलाती है.’’ शालू मुस्कराते हुए बोली.

शालू और विष्णु अभी आपस में बात कर ही रहे थे तभी दुकान का सामान ले कर जानकी आ गई. विष्णु उसे उलाहना देते हुए बोला, ‘‘चाची, आप ने कभी बताया नहीं कि आप की एक खूबसूरत बेटी भी है.’’

जानकी बोली, ‘‘विष्णु बेटा, पूजा शक्ल से तो अच्छीभली है. लेकिन भाग्य की खोटी है. पता नहीं अपने भाग्य में क्या लिखा कर लाई है?’’

विष्णु ने अचकचा कर पूछा, ‘‘पूजा और भाग्य की खोटी. यह आप क्या कह रही हैं चाची?’’

‘‘मैं सही कह रही हूं. लगभग 2 साल पहले हम ने पूजा का विवाह हंसीखुशी से कन्नौज जिले के कस्बा गुरसहायगंज निवासी रामू के साथ किया था. लेकिन उस की पति से नहीं बनी. ससुराल छोड़ कर मायके में आ कर रहने लगी. इस ने पति से तलाक भी ले लिया है. समझ में नहीं आता, जवान बेटी का बोझ कैसे उठाऊं.’’ जानकी लंबी सांस लेते हुए बोली.

‘‘चाची, आप नाहक चिंता कर रही हो. आप की बेटी पूजा सुंदर भी है और जवान भी. उस के लिए लड़कों की क्या कमी, बस आप हां भर कह दो.’’ विष्णु पूजा की ओर देखते हुए मुसकरा कर बोला.

उस रात विष्णु को नींद नहीं आई. वह रात भर शालू के बारे में ही सोचता रहा. उस ने मन ही मन निश्चय कर लिया कि वह पूजा को अपना जीवनसाथी बना कर रहेगा.

विष्णु घर से काम के लिए निकलता तो उस की नजरें शालू की नजरों से टकरा जातीं. नजरें मिलते ही दोनों के चेहरे पर मुसकान बिखर जाती. जल्दी ही शालू ने उस के मन की बात भांप ली. शालू उर्फ पूजा विष्णु की बातचीत से प्रभावित थी, वह उसे अच्छा लगने लगा था. लेकिन वह अपने मन की बात उस से नहीं कह पा रही थी. दूसरी ओर विष्णु उस के आकर्षण में इस कदर डूब चुका था कि उसे शालू के बिना सब सूनासूना लगने लगा था.

जब विष्णु से नहीं रहा गया तो एक दिन दोपहर में वह दुकान पर पहुंचा पता चला शालू घर पर है. तब वह उस के घर पहुंच गया. उस ने दरवाजा खटखटाया तो शालू ने ही खोला. उसे देख कर वह घबरा गई. उस ने कहा, ‘‘घर में कोई नहीं है.’’

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‘‘पता है, तभी तो आया हूं. मुझे किसी और से नहीं तुम से बात करनी है.’’ विष्णु ने कहा.

‘‘कहो क्या कहना है?’’ शालू सकुचाते हुए बोली.

‘‘मैं तुम से प्यार करता हूं, बस यही कहने आया था.’’

‘‘तुम मुझ से प्यार करते हो, यह ठीक है, पर मैं एक तलाकशुदा महिला हूं. क्या तुम्हें यह बात पता है? तुम्हारे घरवाले तलाकशुदा से शादी करने को राजी हो जाएंगे?’’

‘‘तुम्हारी पिछली जिंदगी से मुझे कुछ लेनादेना नहीं. मैं तुम से प्यार करता हूं और अपना जीवनसाथी बनाना चाहता हूं. रही बात घर वालों की, तो वे मान जाएंगे.’’

इस तरह अपनी बात कह कर विष्णु ने शालू के तनमन में खुशी भर दी. अब वह हर समय इसी सोच में डूबी रहने लगी कि विष्णु के प्यार को स्वीकार करे या ठुकरा दे. काफी सोचविचार के बाद उस ने विष्णु को जीवनसाथी बनने का निर्णय कर लिया.

अपना निर्णय उस ने अपने मातापिता को भी बता दिया. जानकी तो रातदिन बेटी के भविष्य को ले कर चिंतित रहती थी, उस ने बेटी के निर्णय को मान लिया.

उधर विष्णु ने जब अपने मातापिता को शालू के बारे में बताया और उस से विवाह करने की बात कही तो वे राजी हो गए.

कुसुम अपनी बेटी प्रीति व नंदनी के साथ शालू से मिलने उस के घर गई और नेग दे कर शालू को पसंद कर लिया. दोनों तरफ की रजामंदी के बाद विष्णु ने एडवोकेट ताराचंद्र के माध्यम से 6 जनवरी, 2018 को कानपुर कोर्ट में शालू से कोर्टमैरिज कर ली.

शादी के बाद शालू पति विष्णु के साथ रामलीला ग्राउंड में बने मकान में रहने लगी. लगभग एक साल तक दोनों हंसीखुशी से रहे, फिर परिवार में झगड़ेझंझट शुरू हो गए.

दरअसल शालू को संयुक्त परिवार में रहना अच्छा नहीं लगता था. उसे सासससुर, देवर व ननदें कांटे की तरह चुभती थीं. भारीभरकम परिवार के लिए खाना बनाना भी उसे बोझ लगता था.

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कभी खाने को ले कर तो कभी साफसफाई को ले कर कभी सास कुसुम तो कभी ननद प्रीति व नंदनी से शालू का झगड़ा होने लगा. शालू ने पति को मुट्ठी में कर रखा था, सो वह कुछ बोल ही नहीं पाता था.

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मर्यादाओं का खून : भाग 3

मनीष कुछ देर सोचता रहा फिर बोला, ‘‘बात तो तुम सही कह रही हो, पर तुम्हें ले कर मैं अलग हुआ नहीं कि बाबूजी मुझे परिवार से अलग कर देंगे. तब हम खाएंगे क्या.’’

‘‘लालच छोड़ो और मेरी इज्जत के बारे में सोचो. हम मेहनतमजदूरी कर गुजारा कर लेंगे. भूखा भी रहना पड़ा तो रह लेंगे. पर इज्जत बचाने को घरगृहस्थी अलग कर लो.’’

पत्नी की बात मान कर मनीष ने अपनी गृहस्थी अलग करने की बात कही तो वंशलाल भड़क उठा, ‘‘बेशक तुम अलग रहो. पर मैं अपनी जमीन का एक इंच भी जोतनेबोने को नहीं दूंगा. तुम्हें खुद कमानाखाना पड़ेगा.’’

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मनीष को पहले से यही उम्मीद थी. अत: उस ने पिता की धमकी की परवाह नहीं की और पिता के खाली पड़े मकान में अलग रहने लगा. उसे दहेज में जो सामान मिला था, उस से उस ने अपना घर सजा लिया और पत्नी के साथ रहने लगा.

जेठानी रमा को देवरानी का अलग होना खलने लगा. क्योंकि अब उसे ही घर के कामों के अलावा सास की सेवा करनी पड़ती थी. सास मायादेवी बीमार रहने लगी थी, जिस से उन की दवा आदि का विशेष खयाल रखना पड़ता था. विनीता को भी जब समय मिलता था, तो सास की सेवा में पहुंच जाती थी . इस बहाने देवरानीजेठानी बतिया लेती थी. रामादेवी उसे चोरीछिपे घरगृहस्थी का सामान भी दे देती थी.

वंशलाल बना हैवान

विनीता की मुश्किल तब बढ़ी जब मनीष जनवरी, 2019 में बीमार पड़ गया और उस का काम भी छूट गया. उस ने कुछ सप्ताह तो जैसेतैसे काटे और पति का इलाज भी कराया लेकिन जब आर्थिक परेशानी ज्यादा बढ़ी तो एक रोज उस ने ससुर वंशलाल को घर बुलाया और आर्थिक मदद की गुहार लगाई.

विनीता पर वंशलाल की गिद्ध दृष्टि पहले से ही थी. अत: लालच में उस ने विनीता की आर्थिक मदद कर दी. इलाज होने पर मनीष स्वस्थ हो गया और फिर से काम करने लगा.

वंशलाल हर हाल में बहू के जिस्म को हासिल करना चाहता था. अत: मदद के बहाने वह विनीता के घर आनेजाने लगा. ससुर होने के नाते विनीता कभी चाय को पूछ लेती तो कभी खाने को.

विनीता घूंघट की ओट से ही ससुर से बातें करती थी और चायपानी देती थी. इस बीच वंशलाल किसी प्रकार की अश्लील हरकत नहीं करता था, जिस से विनीता को लगने लगा था कि शायद वह सुधर गया है, पर यह उस की भूल थी.

एक शाम वंशलाल डयूटी से घर आया तो उसे पता चला कि उस का बेटा अपनी ससुराल नगरा गया है. यह पता चलते ही उस के जिस्म की भूख जाग उठी. उस ने मन ही मन निश्चय किया कि आज वह अपनी भूख मिटा कर ही रहेगा.

रात 10 बजे जब गली में सन्नाटा पसर गया तो वह विनीता के घर पहुंचा और कुंडी खटखटाई. विनीता ने सोचा कि कहीं मनीष तो नहीं लौट आया. उस ने अलसाई आंखों से दरवाजा खोल दिया. सामने ससुर वंशलाल खड़ा था. इस से पहले कि विनीता कुछ पूछती, ससुर ने अंदर आ कर दरवाजा बंद किया और बहू विनीता को दबोच लिया. फिर वह उसे बिस्तर पर ले गया और मनमानी करने लगा.

विनीता ने ससुर की बांहों से छूटने का भरसक प्रयास किया, गिड़गिड़ाई, इज्जत की दुहाई दी, पर वंशलाल पर तो हवस का शैतान सवार था. हाथपांव चलाने के बावजूद उस ने विनीता को नहीं छोड़ा. शारीरिक भूख मिटाने के बाद ही वह विनीता के जिस्म से अलग हुआ. इस के बाद वह वापस चला गया.

विनीता चाहती तो चीखचिल्ला कर पूरे मोहल्ले को इकट्ठा कर लेती. पर उस ने ऐसा कुछ नहीं किया.

इस की वजह यह थी कि लोग उसे ही दोषी ठहराते. पुलिस में जाती तो उस की कोई नहीं सुनता. क्योंकि वह बिंदकी थाने में ही ड्यूटी करता था. बाहर भी उस की सुनवाई नहीं होती. इसलिए इज्जत लुटाने के बावजूद वह चुप रही.

दूसरे रोज पति आया तो उस ने उसे भी कुछ नहीं बताया. क्योंकि बताने से बापबेटे में द्वंद होता फिर पूरे गांव में इज्जत नीलाम होती. इसलिए सारा जहर विनीता स्वयं ही पी गई.

इधर जब घर में कोई शोरशराबा या शिकवाशिकायत नहीं हुई तो वंशलाल का हौसला बढ़ गया. उसे लगा कि विनीता ने दिखावे के तौर पर विरोध किया, पर अंतर्मन से उस की भी रजामंदी है.

हौसला बढ़ते ही एक शाम वंशलाल, विनीता के घर आ पहुंचा. उस ने मदद के नाम पर विनीता की हथेली पर हजार रुपए रखे, फिर उसे बिस्तर पर ले गया और हवस मिटा कर चला गया. इस के बाद तो यह सिलसिला ही बन गया. वंशलाल को जब भी मौका मिलता, बहू के साथ खेल लेता.

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परंतु गलत काम ज्यादा दिन छिपा नहीं रहता. वंशलाल के साथ भी ऐसा ही हुआ. उस शाम वंशलाल बहू से मुंह काला कर के घर से निकल रहा था, तभी मनीष आ गया. मनीष ने बाप को घर से निकलते देखा तो उस का माथा ठनका. वह अंदर पहुंचा तो विनीता अर्धनग्न अवस्था में बिस्तर पर बैठी सुबक रही थी.

विनीता को उस अवस्था में देख कर मनीष समझ गया कि चंद मिनट पहले ही ससुरबहू ने वासना का खेल खेला है. अत: उस ने गुस्से में विनीता की पिटाई की फिर उस का गला दबाते हुए बोला, ‘‘बता यह सब कब से चल रहा है?’’

विनीता ने किसी तरह अपना बचाव किया फिर बोली, ‘‘मेरा गला क्यों दबा रहे हो. दबाना ही है तो अपने बाप का दबाओ, जो मुझे जबरदस्ती हवस का शिकार बनाता है. मैं गिड़गिड़ाती रहती, पर हवस के उस दरिंदे को जरा भी दया नहीं आती.’’

मनीष ने रची बाप की हत्या की साजिश

मनीष ने पत्नी की बात पर सहज भरोसा कर लिया. फिर गुस्से से बोला, ‘‘अगर ऐसी बात है तो बाप को सबक सिखाना ही पड़ेगा. पर इस के लिए मुझे तुम्हारा साथ चाहिए.’’

‘‘मैं साथ देने को तैयार हूं,’’  विनीता ने वादा किया.

इस के बाद मनीष और विनीता ने वंशलाल की हत्या की योजना बनाई और समय का इंतजार करने लगे.

16 मार्च, 2020 की शाम 7 बजे होमगार्ड वंशलाल थाना बिंदकी से ड्यूटी पूरी कर घर लौटा. फिर शराब पीने बैठ गया.

रात 9 बजे उस ने खाना खाया और घर के बाहर बरामदे में आ कर वर्दी उतार कर खूंटी पर टांग दी और तख्त पर लेट गया. उसे लेटे हुए अभी चंद मिनट ही बीते थे कि उस के मोबाइल पर काल आई. उस ने मोबाइल नंबर देखा तो विनीता का था.

वंशलाल ने काल रिसीव की तो विनीता बोली, ‘‘बाबूजी, मनीष घर पर नहीं है. मैं घर पर अकेली हूं. डर लग रहा है. आप आ जाइए.’’

वंशलाल बहू की चाल को समझ नहीं पाया और बोला, ‘‘तुम डरो मत, मै तुरंत आ रहा हूं.’’

इस के बाद वह कच्छाबनियान पहने ही विनीता के घर पहुंच गया. घर पर मनीष घात लगाए बैठा ही था. वंशलाल के पहुंचते ही उस ने उसे दबोच लिया. पहले दोनों ने वंशलाल कोे लातघूंसों से पीटा, फिर अंगौछे से गला कस कर मार डाला.

इस बीच नफरत से भरी विनीता ने फुंकनी से ससुर के गुप्तांग पर चोट पहुंचाई और बुरी तरह कुचल डाला, जिस से खून बहने लगा. हत्या करने के बाद दोनों मिल कर शव को तख्त पर डाल गए फिर घर में ताला लगा कर फरार हो गए.

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सुबह अनिल जब दिशामैदान को घर से निकला तो उस ने पिता का शव तख्त पर पड़ा देखा. अनिल ने शोर मचाया तो पड़ोसी आ गए. फिर अनिल थाना बिंदकी पहुंचा और बाप की हत्या की सूचना दी.

मनीष और उस की पत्नी विनीता से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने 21 मार्च, 2020 को दोनों को फतेहपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रेट बी.के. सहगल की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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