जिसे फैक्टिरियों में काम करने वाले वर्कर्स पहनते थे वह आज सबको पसंदीदा पोशाक बन चुका है.
त्यौहारों का उत्सव हो या शादी का रौनक या किसी पारिवारिक आयोजन में आप शामिल हो रहे हो , इस सब में एक पोशाक आम है , जो किसी पहचान का मोहताज नहीं है . वह है जींस के कपड़े. तो आईए आज जानते है इसके हर उस पहलू को जो इसे पोशाक को सबका पसंदीदा बनता है. आइए समझते है 9 विंदुओ में....
1. डूंगरीज से जींस बनने की कहानी है शानदार :-
अगर जींस के प्रौडक्शन की बात करेंए तो फ्रांस और भारत स्वतंत्र रुप से इसका प्रॉडक्शन करते थे. शायद आपको यह जानकर आश्चर्य हो कि शुरुआत में जींस वर्कर्स द्वारा पहनी जाती थी. भारत में डेनिम से बने ट्राउजर्स डूंगा के नाविक पहना करते थेए जिन्हें डूंगरीज के नाम से जाना जाता था. वहीं फ्रांस में गेनोइज नेवी के वर्कर जींस को बतौर यूनिफॉर्म पहनते थे. उनके लिए जींस का फैब्रिक उनके काम के मुताबिक परफेक्ट था. जींस को ब्लू कलर में रंगने के लिए इंडिगो डाई का इस्तेमाल किया जाता था. हालांकि 16 वीं शताब्दी में जींस के चलन ने ज्यादा जोर पकड़ाए लेकिन बाकी देशों तक अपनी पहुंच बनाने में इसे काफी समय लग गया.
2. 1850 से 1950 तक का शानदार सफर :-
1850 तक जींस काफी पौपुलर हो चुकी थी. इस दौरान एक जर्मन व्यापारी लेवी स्ट्रास ने कैलिफोर्निया में जींस पर अपना नाम छापकर बेचना शुरू किया. वहां एक टेलर जेकब डेविस उसका सबसे पहला कस्टमर बना. वह काफी दिन तक उससे जींस खरीदता रहा और उसने भी उन्हें लोगों को बेचना शुरू कर दिया. वहां कोयले की खान में काम करने वाले मजदूर इसे ज्यादा खरीदते, क्योंकि इसका कपड़ा बाकी फैब्रिक से थोड़ा मोटा था, जो उनके लिए काफी आरामदायक था.