कोरोना महामारी के बीच राजधानी दिल्ली में पतिपत्नी और 'वो' के बीच पिस कर एकसाथ कई जिंदगियां तबाह हो गई हैं.

कहते हैं वह घर ही खुशहाल रहता है जहां भरोसा कायम रहता है और दांपत्य की गाङी पतिपत्नी रूपी पहिए के रूप में साथ चलती है. जो संभल कर इस गाङी को चलाता है उस की जिंदगी आबाद रहती है, वहीं गाङी का एक पहिया भी अगर सङक से उतरा तो गाङी का पलटना तय है.

उड़ीसा का रहने वाला शरत दिल्ली आया तो उस के आंखों में भी सपने थे. जिंदगी खुशहाल थी. एकएक कर 2 बच्चे आए तो जिंदगी और हसीन हो गई. परिवार दिल्ली के जेलरवाला बाग इलाके में रहने लगा. उस ने घर के पास ही किराने की एक दुकान खोल ली. दुकान भी अच्छा चल निकला. मगर इसी बीच वह बुरी लत का शिकार भी हो गया.

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शराब ने बिगाड़ी जिंदगी

दिनभर दुकान पर रहने के बाद लङखङाते कदमों से घर आने लगा तो बीवी रोकटोक करने लगी.

आएदिन घर में किचकिच होने लगी तो दोनों बच्चे अपने मामा के पास रहने लगे. घर में पतिपत्नी रहते तो दोनों में संवाद कम होता. पेटभर खाना तो दोनों खाते पर शारीरिक सुख से कोसों दूर रहते.

पति पास आने की कोशिश करता तो बीवी उसे अपने से दूर कर देती. धीरेधीरे दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं और घर सिर्फ एक दीवार और छत बन कर रह गया, जहां प्रेमप्यार दूरदूर तक नहीं होता.

बीवी जब पति की शारीरिक भूख शांत करने में दिलचस्पी न ले तो संबंध को बिखरते देर नहीं लगती.

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