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‘‘ठीक है, उसे दिल्ली जा कर ही उठा लो. एक टीम को फौरन दिल्ली रवाना कर दो.’’ अंशुमान भोमिया ने आदेशात्मक स्वर में कहा.
इस से पहले कि मीटिंग बरखास्त होती, एसपी ने एएसपी अनंत कुमार शर्मा को निर्देश देते हुए कहा, ‘‘भुवनेश की गैरमौजूदगी में जो भी कैफे चला रहा है, उसे और भुवनेश के घर वालों को फौरन तलब करो.’’
जब पुलिस टीमें मृतक दुर्गेश के व्यावसायिक क्रियाकलापों, प्रौपर्टी तथा परिचितों का दायरा खंगाल रही थीं, उसी दौरान पुलिस की नजरों से सोशल मीडिया पर वायरल होता एक मैसेज गुजरा, जिस में भुवनेश सफाई देता नजर आ रहा था कि उस का इस मामले से कोई लेनादेना नहीं है. आखिर दुर्गेश की हत्या में उस का नाम क्यों उछाला जा रहा है?
हत्यारे ने दी सोशल मीडिया पर सफाई
इस से पहले कि पुलिस इस मामले को ठीक से समझ पाती, अगले दिन यानी 11 अगस्त को डीएसपी शिव भगवान गोदारा के पास एक फोन आया. फोन करने वाले आदमी ने अपना नाम भुवनेश बताते हुए पूछा, ‘‘साहब, इस मामले में मेरा नाम क्यों घसीटा जा रहा है? आखिर मुझ पर बेवजह क्यों शक किया जा रहा है, जबकि मैं तो दिल्ली में हूं.’’
उस का कहना था कि वह अगले दिन कोटा पहुंच जाएगा. डीएसपी गोदारा ने जब यह बात अंशुमान भोमिया को बताई तो एक पल के लिए वह भी चौंके, लेकिन अगले ही पल उन के चेहरे पर मुसकराहट तैर गई. उन्होंने कहा, ‘‘गोदारा, यह कहावत गलत नहीं है कि अपराध अपराधी के सिर पर चढ़ कर बोलता है. अपराधी ने खुद ही हमें भटकने से बचा लिया. यही है हमारा शिकार. तुरंत इस फोन का लोकेशन ट्रेस करवाओ ताकि पता चल सके कि फोन कहां से किया गया था.’’