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एक समय में वीरेंद्र का नरकटियागंज सहित पूरे बेतिया में दबदबा था. इसलिए कमलेश उर्फ बिट्टू जायसवाल ने वीरेंद्र से शरण मांगी थी. उसे उम्मीद थी कि वीरेंद्र उसे पुलिस और प्रियंका के घर वालों से बचाने में मदद करेगा.
बताया जाता है कि जब बिट्टू और प्रियंका भाग कर उस के पास आए थे, तब कुछ दिन बाद वीरेंद्र ने बिट्टू को अपने घर से भगा दिया और प्रियंका से जबरन शादी कर ली.
प्रियंका से उस के 3 बच्चे भी हुए. लेकिन जब वीरेंद्र प्रियंका के साथ लखनऊ रहने आ गया, तब वहीं खुशबून तारा उस की जिंदगी में आ गई, जिसे वह नरकटियागंज से ही जानता था.

वीरेंद्र दिल में बसा चुका था प्रियंका को प्रियंका को वीरेंद्र ने पहली बार बिट्टू की नरकटियागंज के चौराहे पर स्थित पान की दुकान पर देखा था. उसे देखते ही वह उस पर फिदा हो गया था. दुकान पर प्रियंका बिट्टू की वजह से नियमित आती थी.
एक दिन आधी रात को वीरेंद्र ने बिट्टू और प्रियंका को साथ अपने घर आया देखा तो वह चौंक गया. वह अभी कुछ सवाल करता, इस से पहले ही कमलेश ने उसे कुछ दिनों तक प्रियंका के साथ रहने के लिए शरण मांगी.

उन्होंने बताया कि दोनों मंदिर में शादी कर चुके हैं, जिस का दोनों के परिवार में विरोध होगा. प्रियंका ठाकुर खानदान की है और वह वैश्य समाज से आता है. उन की शादी को प्रियंका के घर वाले कभी नहीं स्वीकारेंगे.वीरेंद्र को भी यह बात अच्छी नहीं लगी कि ऊंची जाति की कोई लड़की अपने नीचे की जाति वाले से अंतरजातीय विवाह करे. वह खुद ठाकुर था, लेकिन प्रियंका की वजह से उस ने अपने बड़े घर के एक हिस्से में उन दोनों को रहने की इजाजत दे दी.

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