आरुषि हत्याकांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को तलवार दंपति को बरी कर दिया. दो सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों से आरोप साबित नहीं होते हैं. सीबीआई के पास अपनी कहानी साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं. कोर्ट ने आरुषि के मां-बाप डॉ. नूपुर और डॉ. राजेश तलवार को संदेह का लाभ पाने का हकदार मानते हुए रिहा करने के आदेश दिए.
सीबीआई अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी
राजेश और नूपुर तलवार को सीबीआई अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी. न्यायमूर्ति बीके नारायण एवं न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र (प्रथम) की खंडपीठ ने गुरुवार को दोपहर बाद तकरीबन तीन बजे फैसला सुनाया. अदालत ने कहा कि सीबीआई की कहानी के समर्थन में ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए गए हैं. जिस घर में हत्या हुई, उसमें किसी तीसरे व्यक्ति के प्रवेश की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. हाईकोर्ट ने सीबीआई अदालत के इस निष्कर्ष को नहीं माना कि घर में किसी तीसरे व्यक्ति के आने की संभावना नहीं है, इसलिए हत्या तलवार दंपति द्वारा ही की गई है.
खंडपीठ ने कहा कि सीबीआई के पास पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं. ऐसी परिस्थिति में सर्वोच्च न्यायालय के प्रतिपादित विधि संहिता के मुताबिक यह केस संदेह का लाभ देने के लिहाज से एकदम सही है.तलवार दंपति के अधिवक्ता दिलीप कुमार ने बताया कि सीबीआई की तरफ से प्रस्तुत परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की कड़ी में तारतम्यता नहीं है इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि तलवार दंपति ने ही हत्या की है.