बंगलादेश की राजधानी ढाका में होली आर्टिसन बेकरी नाम का एक कैफे है. उस दिन शाम सुहानी थी. तारिषी जैन अपने पिता संजीव जैन व 2 दोस्तों अबिंता कबीर व फराज अयाज हुसैन के साथ कैफे में डिनर पर गई थी. यह कैफे ढाका के दूतावास क्षेत्र में था. डिनर आया भी नहीं था कि तारिषी के पिता के मोबाइल पर किसी का फोन आया, जिस की वजह से उन्हें जरूरी काम से कैफे से जाना पड़ गया.

पिता संजीव जैन को गए अभी कुछ समय ही हुआ था कि अचानक कैफे गोलियों और धमाकों की आवाज से गूंज उठा. पता ही नहीं चला कि कैफे में कब दबेपांव आतंकवादी घुस आए थे. ताबड़तोड़ गोलियां चलते ही कैफे में अफरातफरी मच गई. आतंकवादियों ने गोलियां चलाते हुए कैफे में घुस कर डिनर कर रहे मेहमानों को बंधक बना लिया.

उन्होंने कैफे में मौजूद मेहमानों को 12 घंटे तक अपने कब्जे में रखा. बंधक बनाने के बाद उन्होंने एकएक कर 22 लोगों को मौत के घाट उतार दिया. मरने वालों में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद शहर की छात्रा तारिषी जैन सहित इटली के 9, जापान के 7, बंगलादेश में जन्मा एक अमेरिकी, बंगलादेश के 2 नागरिकों के अलावा 2 पुलिस अधिकारी भी शामिल थे.

ये भी पढ़ें- विदेशी शोलों में झुलसते भारतीय : भाग 2

कुछ देर में सेना के कमांडो भी वहां पहुंच गए. कमांडो औपरेशन में वे 5 आतंकवादी मारे गए, जिन्होंने कैफे में गोलीबारी की थी. यह घटना पहली जुलाई, 2016 को घटी थी. हमले के बाद बंगलादेश में चरमपंथ को ले कर नई बहस छिड़ गई. इतना ही नहीं, देश के उद्योग, व्यापार को ले कर भी चिंता बढ़ गई थी. क्योंकि देश के इतिहास में यह सब से भीषण आतंकवादी हमला था.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...