पंजाब में काले दौर के समय बहुत बड़ी तादाद में लोग अपनी जानमाल की सुरक्षा के लिए पंजाब से पलायन कर के देश के अन्य शहरों में जा कर बस गए थे, जिन में अधिकांश व्यापारी तबके के लोग शामिल थे.
सरदार मंजीत सिंह बग्गा, जिन का कपड़े का बहुत बड़ा कारोबार था, वह भी अपना कारोबार समेट कर पंजाब छोड़ बीवीबच्चों सहित उत्तर प्रदेश के जिला रायबरेली जा बसे थे. रायबरेली के गुरुनानक नगर में वह कोठी नंबर-13 ले कर रहने लगे और वहीं अपना कपड़े का काम शुरू कर दिया.
उन के अधिकांश ग्राहक यूपी, बिहार और महाराष्ट्र के थे, इसलिए उन के ग्राहकों को पंजाब की जगह रायबरेली आने से काफी सहूलियत हो गई थी. देखतेदेखते मंजीत सिंह बग्गा का व्यवसाय रायबरेली में पंजाब से भी अच्छा चल निकला था.
मंजीत सिंह के परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे जगजीत सिंह बग्गा उर्फ सोनू और सुरजीत बग्गा थे. दोनों बेटे पढ़ाई पूरी करने के बाद पिता के कपड़े के कारोबार में शामिल हो गए थे. उन्होंने रेडीमेड गारमेंट के लिए फैक्ट्री भी लगा ली थी, जिस की देखभाल जगजीत सिंह किया करता था.
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कारोबार और परिवार जब दोनों पूरी तरह से सैटल हो गए तो मंजीत सिंह ने 14 अक्तूबर, 2001 को बड़े बेटे जगजीत सिंह की शादी साहिबगंज, फैजाबाद निवासी जसवंत सिंह की बेटी रविंदर कौर के साथ कर दी थी.
शादी के बाद कुछ सालों तक पतिपत्नी दोनों खूब खुश थे. जगजीत आम लोगों की तरह घर में बैठ कर 2-4 पैग शराब जरूर पीता था. पर शराब को ले कर उन का आपस में कभी झगड़ा नहीं हुआ था. उन के घर 2 बेटों ने जन्म लिया, जिन के नाम हरप्रीत सिंह और हरमीत सिंह रखे गए थे.