निर्माताः ‘कन्हैयालाल प्रोडक्शन’ के बैनर तले हेमा सिंह

निर्देषकः पवन कुमार और मुकेश सिंह

अवधिः एक घंटा 13 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्म: एम एक्स प्लेअर

अमूमन हर फिल्म कलाकार बातचीत के दौरान दावा करता है कि वह उन फिल्मों का हिस्सा बनने का प्रयास करते हैं,जिन फिल्मों में उनके अभिनय को देखकर हर आम इंसान व भावी पीढ़ी उन्हें उनके इस दुनिया को अलविदा कहने के बाद भी याद रखें. लेकिन कलाकार की यह सोच मृगमरीचिका व छलावा के अलावा कुछ नही है. इस बात को समझने के लिए हर इंसान को  ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘एम एक्स प्लेअर ’पर स्ट्रीम  हो रही अभिनेता स्व. कन्हैलाल पर बनायी गयी डाक्यूमेंट्ी फिल्म ‘‘नाम था कन्हैयालाल’’ एक बार जरुर देखनी चाहिए.

इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि 1957 में प्रदर्शित फिल्म ‘‘मदर इंडिया’’ में दुष्ट साहूकार सुखीलाला,जो विधवा औरत पर बुरी नजर रखता है, का किरदार निभाकर अपने अभिनय से पूरे विश्व को हिलाकर रख देने वाले अभिनेता स्व. कन्हैयालाल को नई पीढ़ी के कलाकार व आज की पीढ़ी तक नहीं जानती.इस फिल्म में नरगिस,सुनील दत्त, राजेंद्र कुमार,राज कुमार,कुमकुम, मुकरी जैसे कलाकारों ने भी अभिनय किया था. ज्ञातब्य है कि उस वक्त फिल्म ‘मदर इंडिया’ महज एक वोट के चलते आॅस्कर अवार्ड पाने से वंचित रह गयी थी.यह एक सुखद बात है कि अब कन्हैयालाल पर उनकी बेटी हेमा सिंह ने डाक्यूमेंट्ी  फिल्म ‘‘नाम था कन्हैयालाल’ का निर्माण किया है.

कहानीः

वाराणसी में दस दिसंबर 1910 को जन्में कन्हैयालाल के पिता भैरोदत्त चैबे ‘सनातन धर्म नाटक समाज’ के मालिक थे. और वह कई षहरों व गांवो में घूम घूमकर नाटक किया करते थे. कन्हैयालाल अपने पिता के  साथ जाते थे और स्टेज के पीछे  के कामो में हाथ बंटाया करते थे.सोलह साल की उम्र में कन्हैयालाल ने नाटक व गीत लिखने शुरू किए. पिता की मौत के बाद भाईयों ने कुछ समय तक नाटक कंपनी को चलाने का प्रयास किया. इस बीच बड़े भाई  संकटाप्रसाद चतुर्वेदी का विवाह हो गया था.एक दिन घर में किसी को बिना बताए संकटाप्रसाद मंुबई पहुॅच गए. उनकी तलाश कर उन्हें वापस वाराणसी ले जाने के लिए कन्हैयालाल को भेजा गया.

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