फिल्म समीक्षाः

रेटिंगः तीन स्टार

निर्माताःमीना सेठी मंडोल

निर्देशकः सुवेंदु राज

संगीतकारः पिनाकी बोस,रोहन डी पाठक व बाॅब एस एन

कलाकारःअमित सेठी,दिपांजन बसाक, मुश्ताक खान, समीक्षा गौड़, सुदीप मुखर्जी,गुलषन पाडे व अन्य.

अवधिःएक घंटा 51 मिनट

कहानीः

फिल्म की कहानी शुरू होती है कलकोता से दिल्ली जा रही ट्रेन में एक बैंक के नब्बे करोड़ रूपए की डकैती से. इस डकैती से पूरे बंगाल राज्य में हड़कंप मंच जाता है. तुरंत बंगाल के मंत्री (मुश्ताक खान) पुलिस विभाग में सर्वोच्च पद पर आसीन अविनाश चक्रवर्ती (सुदीप मुखर्जी) को बुलाते हैं तथा उन्हे अपने तरीके काम करते हुए अपराधियों को सजा देने के साथ ही बैंक को उसके नब्बे करोड़ रूपए वापस दिलाने के लिए कहते हैं. अविनाश पुलिस विभाग के बेहतरीन इंस्पेक्टर इमरान (दिपांजन बसाक) को यह केस सौपते हैं. इमरान जांच करते करते पता लगा लेता है कि - झारखंड में बप्पा नाम से मशहूर शैलेंद्र व उनके बेटे सत्येंद्र उर्फ सत्तू (अमित सेठी) ने मिलकर यह बैंक डकैती करवायी है. वास्तव में सत्तू को इस बार चुनाव लड़ना है. पार्टी हाईकमान ने चुनाव लड़ने के लिए पार्टी का टिकट देने के लिए सौ करोड़ रूपए मांगे हैं. इसीलिए ट्रेन डकैती की गयी, जिसमें से अस्सी करोड़ रूपए तो पार्टी हाईकमान को भेज दिए जाते हैं. अब बीस करोड़ रूपए इकट्ठे करने के लिए शैलेंद्र व उनके बेटे सत्तू जुगाड़ में लगे हुए हैं. उधर अविनाश के इशारे पर पुलिस इंस्पेक्टर इमरान अपने एक साथी के साथ -झारखंड पहुंचकर शैलेंद्र व उनके बेटे सत्तू के खिलाफ सबूत व जानकारियां इकट्ठे करने लगता है. उधर पैसे का जुगाड़ करते हुए बप्पा एक सुनार को बीस करोड़ रूपए देने के लिए धमकाते हैं.

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