गीत संगीत में खुलापन तो हिंदी, गुजराती और पंजाबी समेत सभी बोलियों व भाषाओं में छाया हुआ है, पर जितनी बुराई भोजपुरी गानों में खुलेपन की होती है, उतनी किसी और की नहीं होती. लेकिन भोजपुरी गानों की बुराई करने वालों से ज्यादा इस को पसंद करने वाले हैं. यही वजह है कि यूट्यूब पर सब से ज्यादा डाउनलोड होने वाले गानों में भोजपुरी के गाने शामिल हैं.

भोजपुरी गानों की लोकप्रियता ही है कि हनी सिंह तक इन गानों के रैप सौंग बनाने लगे हैं. उन्होंने भोजपुरी सौंग ‘तू लगइलू जब लिपस्टिक, हिलेला आरा डिस्ट्रिक...’ का जब रैप सुनाया, तो सभी को पसंद आया.

यही वजह है कि भोजपुरी फिल्मों के बराबर ही भोजपुरी संगीत का उद्योग खड़ा हो गया है. कुछ समय पहले तक तो गाने रिकौर्ड कराने और उन का वीडियो अलबम बनवाने के लिए लोगों को दिल्ली, मुंबई और वाराणसी के चक्कर लगाने पड़ते थे, लेकिन अब वही वीडियो अलबम पटना, हाजीपुर, छपरा, गोपालगंज और रांची में तैयार हो जाते हैं. भले ही कैसेट और सीडी का धंधा 70 फीसदी बंद हो गया हो, पर म्यूजिक में कैरियर बनाने वालों की कमी नहीं है.

झारखंड और बिहार के शहरों में ही नहीं, बल्कि गांवकसबों तक में गानों को डाउनलोड करने वाली दुकानें खुल गई हैं. गानों को डाउनलोड करने की जितनी दुकानें बिहार और झारखंड में खुली हैं, उतनी दुकानें किसी और प्रदेश में नहीं मिलेंगी. 35 से 40 रुपए में एक जीबी वाला मैमोरी कार्ड गानों से डाउनलोड किया जा रहा है.

केवल पटना शहर में ही आडियो और वीडियो अलबम बनाने वाले तकरीबन 40 स्टूडियो हैं. हर स्टूडियो में एक महीने में 5 से 6 अलबम तैयार होते हैं. एक अलबम में तकरीबन 8 गाने होते हैं. एक आडियोवीडियो अलबम अब 50 हजार से ले कर 80 हजार रुपए तक में तैयार हो जाता है.

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