रोमांस के बादशाह माने जाने वाले शाहरुख खान का तिलिस्म अब टूटता जा रहा है. फिल्म ‘जब हैरी मेट सेजल’ ने तो उनके इस तिलिस्म के किले को ही धराशाही कर दिया है. इस रोमांटिक फिल्म में रोमांस या इमोशन कहीं नजर ही नहीं आता. यह फिल्म अति घटिया कहानी व पटकथा का पुलिंदा मात्र है. शाहरुख खान और अनुष्का शर्मा भी निराश ही करते हैं.
फिल्म की कहानी हरींद्र सिंह उर्फ हैरी (शाहरुख खान) और सेजल (अनुष्का शर्मा) की यूरोप यात्रा के इर्द गिर्द घूमती है. हैरी एक ट्यूरिस्ट गाइड है, जो लोगों को पूरे यूरोप की यात्रा कराता है. हैरी मूलतः पंजाबी है. सेजल एक गुजराती लड़की है, जिसकी सगाई हो चुकी है. वह शादी करने से पहले पूरा यूरोप घूमना चाहती है. जब वह यूरोप घूमने निकलती है, तो सगाई के बाद उसकी सगाई की अंगूठी अम्सटडर्म में खो जाती है, जिसकी तलाश में वह एयरपोर्ट से वापस आ जाती है. सेजल चाहती है कि अंगूठी ढूढ़ने मे हैरी उसकी मदद करे और उसके साथ रहे. पर हैरी ऐसा नहीं चाहता. वह खुद को अच्छा इंसान नहीं मानता. वह सेजल से कहता है कि अपनी महिला ग्राहकों के साथ शारीरिक संबंध बनाने की उसकी प्रवृत्ति है. पर सेजल उसकी बातों को अविवेकपूर्ण मानकर हंसती है और खुद को आधुनिक नारी का तमगा देती है.
बहरहाल, सेजल के सामने हैरी झुकता है और उसके साथ अंगूठी ढूढ़ने के लिए तैयार हो जाता है. अंगूठी ढूढ़ते हुए एक बार फिर पूरे यूरोप की यात्रा करते हैं. हैरी के साथ सेजल खुद को कुछ ज्यादा ही सुरक्षित महसूस करती है. उधर हैरी को भी प्यार व रिश्ते की अहमियत बेहतर तरीके से समझ में आती है. भारत वापसी से दो दिन पहले अंगूठी सेजल के हैंड बैग में ही मिलती है.फिल्म की कहानी जैसे आगे बढ़ती है, वैसे दर्शक की समझ में नहीं आता कि कहानी कहां जा रही है? कई बार दर्शक को लगता है कि फिल्मकार उन्हे मूर्ख बना रहा है. कहानी में जो मोड़ आते हैं, वह भी इतने बेकार हैं कि दर्शक खुद को ठगा हुआ महसूस करता है. फिल्म की कहानी के साथ दर्शक जुड़ ही नहीं पाता. कई बार यह फिल्म महज एक ऐसा खींचा हुआ सीरियल नजर आती है, जिसकी कहानी आगे बढ़ने का नाम न ले रही हो. फिल्म में जबरन कुछ अवांछनीय दृश्य जरूर भरे गए हैं. फिर भी फिल्म गति नहीं पकड़ती है.